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JDU सांसद के बेटे को 1600 करोड़ रुपये के एम्बुलेंस ठेका दिये जाने के मामलें पर पटना हाईकोर्ट में 24 जून,2023 को सुनवाई की जाएगी

कथित रूप से जदयू सांसद के बेटे को 1600 करोड़ रुपये के एम्बुलेंस ठेका दिये जाने के मामलें पर पटना हाईकोर्ट में 24 जून,2023 को सुनवाई की जाएगी। जस्टिस पी वी बजनथ्री की खंडपीठ में इस बीभीजे इंडिया लिमिटेड व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई की जाएगी।

इस याचिका में ये आरोप लगाया गया है कि जदयू के जहानाबाद से सांसद चंदेश्वर प्रसाद चन्द्रवंशी के बेटे बेटी की कंपनी पशुपतिनाथ डिस्ट्रीब्यूटर्स को इस एम्बुलेंस का ठेका मिला हैं।

बाक़ी बीडर्स ने इस मामलें पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई याचिकायें दायर की है।इन्हीं याचिकायों पर कोर्ट सुनवाई करेगी।

बीडिंग में सरकार के द्वारा सांसद के बेटे की कंपनी को लाभ पहुँचाने का आरोप है।बीडिंग में नियमों को बदलकर पशुपति डिस्ट्रिब्यूटर्स को लाभ पहुँचाया गया हैं।

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इन पर आरोप हैं कि बीडिंग में रेट को कम करके पशुपति कंपनी को टेंडर दिया गया है।इन याचिकायों में कहा गया कि इन्हें लाभ पहुँचाने के लिए नियमों की उपेक्षा की गयी है।

याचिकाओं में ये भी कहा गया कि यह कंपनी इस बीडिंग के लिए योग्य नहीं हैं । सांसद के परिवार के चार लोग कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल हैं।

24 जून,2023 को हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई की जाएगी।

Bihar Cabinet Expansion: नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार आज; JDU विधायक रत्नेश सदा को आज शपथ दिलाई जायेगी

पटना । पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बड़े बेटे और हम पार्टी के अध्यक्ष संतोष सुमन ने बिहार सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है जिसके बाद बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है । सोनबरसा से जनता दल (यूनाइटेड) के विधायक और दलित नेता रत्नेश सदा को सुमन के स्थान पर मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की संभावना है।

अगस्त 2022 में जद (यू) द्वारा महागठबंधन (महागठबंधन) सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ अपना नाता तोड़ लेने के बाद लंबे समय से मंत्रिमंडल विस्तार किया जा रहा है। वर्तमान में, संतोष सुमन के इस्तीफे के बाद बिहार मंत्रिमंडल में 30 मंत्री हैं। विधानसभा की कुल संख्या के आधार पर अधिकतम 36 मंत्री हो सकते हैं।

शपथ ग्रहण समारोह सुबह 11 बजे राजभवन में होगा। सदा के अलावा कांग्रेस और राजद के कुछ नेता मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।

मंत्रिमंडल में राजद के 16, जदयू के 11 और कांग्रेस के दो मंत्री हैं। एक निर्दलीय सदस्य भी है।

रत्नेश सदा, जो सोनबरसा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, को SC और ST कल्याण विभाग दिए जाने की संभावना है, जो पहले संतोष सुमन के पास था। सदा मुसहर समुदाय से हैं। जद (यू) से तीन बार के विधायक कबीरपंथी से जुड़े हैं।

रत्नेश सदा ने मांझी पर 1980 के दशक से कई सरकारों में मंत्री रहने के अलावा CM के रूप में एक संक्षिप्त कार्यकाल के बावजूद दलितों, विशेष रूप से मुसहरों के लिए जुबानी सेवा करने का भी आरोप लगाया है।

यह अनुमान लगाया जा रहा है कि नीतीश कुमार आबादी वाले उत्तर बिहार से ताल्लुक रखने वाले सदा को ऊपर उठाकर मांझी को होने वाले नुकसान को बेअसर करना चाह रहे हैं, खासकर अगर वह 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के नेतृत्व वाले NDA में लौट आए।

बिहार में प्रचंड गर्मी और लू से हालत खराब, आने वाले 48 घंटे में गर्मी से कोई राहत के संकेत नहीं

राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में प्रचंड गर्मी और लू के बढ़ने के साथ कोई राहत के संकेत नहीं हैं। मौसम विभाग के अनुसार शनिवार को पटना, पूर्वी एवं पश्चिमी चंपारण, भोजपुर, शेखपुरा, बेगूसराय, खगड़िया, नालंदा और बांका में भीषण लू चलने की आशंका है।

वहीं, भागलपुर, सुपौल, जमुई, कटिहार, नवादा, सीवान, औरंगाबाद और जमुई में भी हीटवेव के हालात बन सकते हैं। मौसम पूर्वानुमान में बताया गया है कि अगले तीन से चार दिनों के दौरान प्रदेश के दक्षिणी भागों में लू का असर बना रहेगा। वहीं, उत्तरी भागों में वर्षा की आंशिक गतिविधियां बने होने के कारण लोगों को गर्मी से राहत मिलेगी।

मानसून के पहले बिहार में जानलेवा गर्मी जारी है। मौसम विभाग की माने तो आने वाले 48 घंटे में गर्मी से कोई राहत के संकेत नहीं हैं।

hot weather

पूरे बिहार में प्रचंड गर्मी और लू के बढ़ने के साथ प्रदेश में बिजली की खपत का रिकॉर्ड भी ध्वस्त हो गया है। इस गर्मी में बिजली कंपनी ने 6 हजार मेगावाट से अधिक बिजली देना शुरू किया जो बढ़ता हुआ 6900 मेगावाट तक आ पहुंचा है।

मौसम विभाग का कहना है कि जब तक मानसून बिहार को पूरी तरह से प्रभावित नहीं कर लेता है तब तक ऐसे ही मौसम की मार झेलना होगा।

बिहार में निर्माणाधीन पुल दूसरी बार टूटा; BJP ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव का मांगा इस्तीफा

भागलपुर । पूर्वी भारतीय राज्य बिहार में गंगा नदी पर बनाया जा रहा चार लेन का कंक्रीट का पुल सिर्फ एक साल में दूसरी बार भरभराकर कर गंगा नदी में गिर गया। जिसने एक बार फिर इसके निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा कर दिया है।

निर्माणाधीन पुल के गिरने के बाद बिहार की राजनीति गर्म हो गई है । BJP नेता और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव का इस्तीफा मांगा है । इसके बाद तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस पर सफाई दी और बताया कि आखिर ये पुल क्यों गिरा है. उन्होंने इसके डिजाइन में ही खामी बताई है।

सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होंने इस घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं ।

गंगा नदी के ऊपर बन रहा पुल रविवार को गिर गया। नदी के तट पर लोगों की भीड़ को पुल को फिल्माते और नीचे गिरते हुए चिल्लाते हुए देखा जा सकता है। रविवार की शाम करीब 6 बजे अचानक पुल गिर गया। जिस वक्त हादसा हुआ, उस वक्त काम बंद हो चुका था। इस वजह से पुल पर कोई मजदूर नहीं था। जैसे ही पुल ताश के पत्तों की तरह गंगा में गिरा, नदी के पानी की कई फीट ऊंची लहरें उठीं। सड़क किनारे बैठे लोग सहम गए। पुल गिरने की घटना का स्थानीय लोगों ने वीडियो बना लिया।

पटना हाईकोर्ट ने महादलित विकास मिशन योजना अंतर्गत छात्रवृत्ति घोटाले के मामलें में जेल में बंद आईएएस अधिकारी एसएम राजू को नियमित जमानत देते हुए उनकी रिहाई का आदेश दिया

पटना हाईकोर्ट ने महादलित विकास मिशन योजना अंतर्गत छात्रवृत्ति घोटाले के मामलें में जेल में बंद आईएएस अधिकारी एसएम राजू को नियमित जमानत देते हुए उनकी रिहाई का आदेश दिया है ।
न्यायमूर्ति राजेश कुमार वर्मा ने राजू की जमानत याचिका को मंजूर करते हुए ये निर्णय सुनाया।

यह मामला राज्य सरकार की महादलित विकास मिशन के योजना अंतर्गत अनुसूचित जनजाति व महादलित के छात्र व छात्राओं को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि के घोटाले से संबंधित है। इस मामले पर निगरानी ब्यूरो के डीएसपी ने 23 अक्टूबर, 2017 को एक मामला दर्ज किया था, जो निगरानी थाना कांड संख्या एकाशी 2017 के रूप में आईपीसी की सुसंगत धाराओं एवं भ्रष्टाचार निरोध कानून की धारा 13 के अंतर्गत दर्ज हुआ था।

इस मामले में राजू को इसीलिए आरोपी बनाया गया, क्योंकि वह महादलित विकास मिशन के सचिव के रूप में पदस्थापित थे।

याचिकाकर्ता के तरफ से वरीय अधिवक्ता पुष्कर नारायण शाही ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में राजू बिल्कुल बेकसूर है।

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उनके खिलाफ प्राथमिकी में कोई सीधा आरोप दर्ज नहीं है और ना ही कोई ऐसा आरोप लगाया गया है। जिससे यह साबित हो कि इस कांड के मुख्य अभियुक्त कंपनी के साथ उनका कोई लेन-देन हुआ था।

उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया था कि इस कांड के एक अन्य रिटायर्ड आईएएस कड़ा परशुराम रमैया को 2019 में ही निचली अदालत से जमानत मिल गई थी। उनसे कहीं बेहतर केस राजू का है ,जो पिछले साढ़े 4 महीने से जेल में बंद है ।

वही निगरानी ब्यूरो की तरफ से विशेष लोक अभियोजक अरविंद कुमार ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि केस डायरी की कई जगहों पर स्पष्ट सबूत व साक्ष्य मिलते हैं, जिससे राजू का इस कांड में संलिप्तता उजागर होता है।

कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद 5 मई,2023 को फैसला सुरक्षित कर लिया था जिसे आज सुनाया गया।

पटना हाईकोर्ट ने पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर याचिकाओं को स्वीकृत करते हुए वहां के नागरिकों को बड़ी राहत दी

पटना हाईकोर्ट ने पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर याचिकाओं को स्वीकृत करते हुए वहां के नागरिकों को बड़ी राहत दी है।कोर्ट ने अपने निर्णय में ये स्पष्ट किया कि जो भी निर्माण 2018 के पहले बने है,उस पर दीघा लैण्ड सेटलमेंट एक्ट के तहत किया जाना है।कोर्ट ने प्रशासन द्वारा नेपालीनगर क्षेत्र में मकान तोड़े जाने को अवैध ठहराया। साथ ही अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया को रद्द कर दिया।

जस्टिस संदीप कुमार ने 17 नवंबर,202 सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने इस मामलें पर निर्णय देते हुए कहा कि जिन लोगों के मकानों को गैर कानूनी तरीके से तोड़ा गया है,उन्हें पांच पाँच लाख रुपए मुअबजा देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है।कोर्ट ने साफ किया है कि यदि क्षतिपूर्ति की राशि अगर अधिक हो,तो उस पर विचार कर देना होगा।

कोर्ट ने ये भी कहा कि जिनका मकान 2018 के बाद बना है,उन सभी मामलों में दीघा लैण्ड सेटलमेंट एक्ट के तहत विचार करने का निर्देश दिया गया था।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने बिहार राज्य आवास बोर्ड को बताने को कहा था कि अब तक पटना में उसने कितनी कॉलोनियों का निर्माण और विकास किया हैं।

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साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को एमिकस क्यूरी संतोष सिंह द्वारा प्रस्तुत दलीलों का अगली सुनवाई में जवाब देने का निर्देश दिया था।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को बिहार राज्य आवास बोर्ड के दोषी अधिकारियों और जिम्मेवार पुलिस वाले के विरुद्ध की जाने वाली कार्रवाई की कार्य योजना प्रस्तुत करने को कहा था।

कोर्ट ने कहा था कि ये बहुत आश्चर्य की बात है कि इनके रहते इस क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर नियमों का उल्लंघन कर मकान बना लिए गए।

इस मामलें पर कोर्ट द्वारा सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय 17 नवंबर,2022 को सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया गया।

बिहार में बड़े पैमाने पर ट्रांसफर-पोस्टिंग; DSP स्तर के अफसरों का ट्रांसफर, देखिए पूरी लिस्ट

पटना । बिहार में बढ़ती अपराध की घटनाओं को लेकर सरकार की खूब किरकिरी हो रही है, विपक्षी दल सरकार पर हमलावर बने हुए हैं और लगातार सरकार से जवाब मांग रहे हैं । विधि व्यवस्था को लेकर हो रही फजीहत के बाद सरकार ने राज्य के लॉ एंड ऑर्डर को सुधारने के लिए DSP स्तर के 55 अधिकारियों का तबादला कर दिया है।

सरकार की तरफ से तबादले का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। गृह विभाग की तरफ से जारी अधिसूचना के मुताबिक, पटना के मद्यनिषेध डीएसपी मनीष आनंद को जमालपुर का रेल डीएसपी बनाया गया है। पटना में ही तैनात मद्यनिषेध के डीएसपी नवीन कुमार को समस्तीपुर का रेल डीएसपी बनाया गया है।

जमुई में तैनात डीएसपी उमेश कुमार को मुजफ्फरपुर का रेल डीएसपी बनाया गया है। पटना के मद्यनिषेध डीएसपी मनीष आनंद को जमालपुर का रेल डीएसपी बनाया गया है, वहीं पटनामें ही तैनात मद्यनिषेध के डीएसपी नवीन कुमार को समस्तीपुर का रेल डीएसपी बनाया गया है ।

बिहार पुलिस मुख्यालय में पदस्थापना का इंतजार कर रहे मनोज कुमार सुधांशु कोभोजपुर के ट्रैफिक डीएसपी नियुक्त किया गया है। वहीं बगहा के वाल्मीकिनगर में तैनातधीरज कुमार को मुजफ्फरपुर का ट्रैफिक डीएसपी बनाया गया है। पटना में तैनात बसंतीटुड्डू को सारण का ट्रैफिक डीएसपी बनाया गया है।

पटना में ही आर्थिक अपराध इकाई के डीएसपी कौशल किशोर कमल को पूर्णिया का ट्रैफिक डीएसपी नियुक्त किया गया है। पटना में तैनात बसंती टुड्डू को सारण का ट्रैफिक डीएसपी बनाया गया है। पटना में विशेष सशस्त्र पुलिस बल में तैनात प्रभात रंजन को मुंगेर का ट्रैफिक डीएसपी बनाया गया है।

Police transfer

महेंद्र कुमार को बेगूसराय ट्रैफिक डीएसपी से विशेष सशस्त्र पुलिस-10 में तैनात किया गया। गौतम शरण ओमी को विशेष शाखा से विशेष सशस्त्र बल-16 में पोस्टिंग मिली है। पोस्टिंग के इंतजार में रहे रविशंकर प्रसाद को मद्य निषेध और अपराध अनुसंधान विभाग में तैनाती की गई है। डुमरांव से संजय कुमार झा को भी मद्य निषेध और अपराध अनुसंधान विभाग में ताबदला किया गया है।

अन्य जिलों के भी डीएसपी स्तर के कई अधिकारियोंका तबादला किया गया है. देखिए पुरी सूची…


पटना हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी पूर्व RJD विधायक गुलाब यादव को बड़ी राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगा दी

पटना हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी पूर्व आरजेडी विधायक गुलाब यादव को बड़ी राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगा दी है । जस्टिस संदीप कुमार की एकलपीठ ने गुलाब यादव की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके ख़िलाफ़ कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने का भी आदेश दिया है।

पूर्व विधायक पर एक महिला ने कथित रूप से दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। महिला ने वर्ष 2021 में शिकायत दर्ज कर आरोप लगाया था कि उसे महिला आयोग का सदस्य बनाने का झांसा देकर पूर्व विधायक ने उसे अपने रूकनपुरा स्थित आवास पर बुलाया। उसके साथ दुष्कर्म कर उसका वीडियो बना लिया था।

अपनी शिकायत में महिला ने यह भी आरोप लगाया था कि गुलाब यादव ने उसे दिल्ली एवं पुणे के विभिन्न होटल में बुला कर उसके साथ दुष्कर्म किया था।

इस मामले की अगली सुनवाई 6 सितंबर,2023 को होगी ।

UPSC Result 2022: बिहार का UPSC पर कब्जा, टॉपर बनीं पटना की इशिता किशोर; द्वितीय स्थान पर गरिमा लोहिया

UPSC सिविल सेवा परिणाम 2022: यूपीएससी परीक्षा अपने कठिन स्तर और प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए प्रसिद्ध है। UPSC ने मंगलवार को सिविल सेवा अंतिम परिणाम 2022 घोषित कर दिया गया। इशिता किशोर इस साल UPSC IAS टॉपर बनी हैं।

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट- upsc.gov.in पर सिविल सेवा अंतिम परिणाम 2022 घोषित कर दिया है। इशिता किशोर इस साल UPSC IAS टॉपर बनी हैं। उम्मीदवार यूपीएससी की मेरिट लिस्ट ऑनलाइन चेक कर सकते हैं।

नियुक्ति के लिए कुल 1022 का चयन किया गया है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए कुल 180 उम्मीदवारों का चयन किया गया है। भारतीय विदेश सेवा के लिए 38 और भारतीय पुलिस सेवा के लिए 200 का चयन किया गया है।

UPSC TOPPER 2022

473 का चयन केंद्रीय सेवा समूह ‘ए’ और 131 का चयन समूह ‘बी’ सेवाओं के लिए किया गया है। अनुशंसित 101 उम्मीदवारों की उम्मीदवारी अनंतिम है। ऐसे उम्मीदवारों के रोल नंबरों की सूची मेरिट सूची में उल्लिखित है।।

यूपीएससी आईएएस टॉपर लिस्ट 2022

RankNameRoll Number
1Ishita Kishore5809986
2Garima Lohia1506175
3Uma Harathin N1019872
4Smriti Mishra0858695
5Mayur Hazarika0906457
6Gahana Navya James2409491
7Waseem Ahmad Bhat1802522

UPSC RESULT 2022 यहां देखें टॉपर्स की लिस्ट

उम्मीदवार यूपीएससी की मेरिट लिस्ट ऑनलाइन चेक कर सकते हैं। यूपीएससी मेरिट लिस्ट 2022 की जांच के लिए सीधा लिंक-

  • यूपीएससी सीएसई फाइनल मेरिट लिस्ट 2022 कैसे चेक करें
  • आधिकारिक वेबसाइट upsc.gov.in पर जाएं
  • होमपेज पर उस लिंक पर क्लिक करें जिसमें UPSC CSE मुख्य परिणाम 2022 (अंतिम) लिखा हो
  • स्क्रीन पर एक पीडीएफ फाइल खुलेगी
  • पीडीएफ फाइल में यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य अंतिम परिणाम 2022 होगा।
  • मेरिट लिस्ट चेक करें और उसे डाउनलोड करें

पटना हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानियो के पौत्र पौत्रियों को हाई कोर्ट नियुक्तियों में आरक्षण देने से साफ इंकार करते हुए दायर याचिका को रद्द को कर दिया

पटना हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानियो के पौत्र पौत्रियों को हाई कोर्ट नियुक्तियों में आरक्षण देने से साफ इंकार करते हुए दायर याचिका को रद्द को कर दिया।जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने विकाश कुमार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।

कोर्ट को बताया गया कि हाई कोर्ट ने 550 सहायको की बहाली के लिए गत 3 फरवरी,2023को एक विज्ञापन जारी किया था।इस विज्ञापन में सभी को आरक्षण दिया गया, लेकिन स्वतंत्रता सेनानियो के पोता पोती को दिये जाने वाले दो प्रतिशत आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया।

उनका कहना था कि राज्य सरकार ने 10 फरवरी 2016 को पत्रांक 2526 जारी कर स्वतंत्रता सेनानी के पौत्र पौत्रिओं को दो प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया था।जिसका लाभ हाई कोर्ट अपने यहां के बहाली में नहीं दे रहा है।

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जबकि हाई कोर्ट के नियमावली के नियम 10 के तहत आरक्षण देने का प्रावधान है।वही हाई कोर्ट की ओर से इस याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट को बताया गया कि इस बहाली में एससी /एसटी सहित ईबीसी /बीसी /ईडब्ल्यूएस को निर्धारित प्रतिशत के अनुसार आरक्षण दिया जा रहा है।

उनका कहना था कि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के आदेश के बाद नियमावली के नियम 10 के तहत आरक्षण दिया जाता हैं।कोर्ट ने दोनों पक्षों का दलील सुनने के बाद अर्जी को कोर्ट ने खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट में जातीय जनगणना से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई अगले बेंच के गठन होने तक टली

सुप्रीम कोर्ट में जातीय जनगणना से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई अगले बेंच के गठन होने तक टली। सुप्रीम कोर्ट मे जज जस्टिस संजय करोल ने इस मामलें पर सुनवाई से अपने को अलग किया।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय क़रोल ने पटना हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में इस मामलें पर सुनवाई की थी।

सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने पटना हाइकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी,जिसमें कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा राज्य में जातियों की गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई करने सम्बन्धी याचिका को रद्द कर दिया था।

साथ ही राज्य सरकार ने पटना हाइकोर्ट द्वारा 4 मई, 2023को पारित अंतरिम आदेश को भी चुनौती दी गई है। चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने राज्य सरकार के 3 जुलाई,2023 के पूर्व सुनवाई करने की याचिका को कोर्ट ने 9मई,2023 को सुनवाई करने के बाद खारिज कर दिया था।

इस आदेश विरुद्ध को राज्य सरकार ने एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर कर की है।पटना हाइकोर्ट ने इन मामलों पर सुनवाई की तिथि 3 जुलाई,2023 ही रखा। 9 मई, 2023 को सुनवाई करने के बाद हाईकोर्ट ने इन मामलों पर सुनवाई की तिथि 3 जुलाई,2023 ही निश्चित किया था।

गौरतलब कि पहले 4मई,2023 को कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए जातीय जनगणना पर रोक लगा दी थी।चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि राज्य सरकार इस दौरान इक्कठी की गई आंकड़ों को शेयर व उपयोग फिलहाल नहीं करेगी।

Supreme-court-on-Bihar-caste-based-survey
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पटना हाइकोर्ट में राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका में ये कहा गया था कि क्योंकि पटना हाइकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार के पास जातीय जनगणना कराने का वैधानिक अधिकार नहीं है,इसीलिए इन याचिकाओं पर 3 जुलाई,2023 को सुनवाई करने का कोई कारण नहीं है।

साथ ही कार्यपालिका के पास जातीय जनगणना कराने का क्षेत्राधिकार नहीं है।इसे कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में स्पष्ट कर दिया था।

कोर्ट ने ये भी कहा था कि जातीय जनगणना से जनता की निजता का उल्लंघन होता है।इस सम्बन्ध में विधायिका द्वारा कोई कानून भी नहीं बनाया गया है।

कोर्ट ने अपने 4 मई, 2023 के अंतरिम आदेश में जो निर्णय दिया है,उसमें सभी मुद्दों पर अंतिम निर्णय दिया गया।कोर्ट ने इन याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों पर अंतिम रूप से निर्णय दे दिया है।

राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य
लोगों के लिए कल्याणकारी और विकास की योजना तैयार है।इसका किसी अन्य कार्य के लिए कोई उद्देश्य नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की इस याचिका पर सुनवाई के लिए जस्टिस बी आर गवाई और जस्टिस संजय करोल के बेंच का गठन किया गया था।लेकिन चूंकि जस्टिस संजय करोल ने इस मामलें की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।

अतः इस मामलें की सुनवाई के लिए फिर बेंच गठित होने के बाद सुनवाई की जाएगी।

बिहार सरकार के मंत्री शमीम अहमद के विरुद्घ पटना हाई कोर्ट में श्याम बिहारी प्रसाद द्वारा दायर चुनाव अर्जी पर सुनवाई जारी रहेगी

राज्य सरकार के मंत्री शमीम अहमद के विरुद्घ पटना हाई कोर्ट में श्याम बिहारी प्रसाद द्वारा दायर चुनाव अर्जी पर सुनवाई जारी रहेगी। जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय श्याम बिहारी प्रसाद की चुनाव याचिका पर सुनवाई कर रहे है।

हाई कोर्ट ने शमीम अहमद द्वारा दायर अर्जी को खारिज कर दिया। इस याचिका को रद्द करने के लिए अंतरिम याचिका दायर किया गया था।अंतरिम याचिका में कहा गया था कि इस याचिका में याचिका दायर करने को लेकर कारण नहीं बताया गया।

चुनाव याचिका के जरिये चुनाव को मोहम्मद शमीम अहमद के निर्वाचन को रद्द करने का कोर्ट से माँग किया गया है।आवेदक की ओर से वरीय अधिवक्ता एस डी संजय ने कोर्ट को बताया कि नामांकन पत्र दाखिल करने के वक्त मंत्री शमीम अहमद के विरुद्ध दो आपराधिक मुकदमें लंबित थे, जिसकी जानकारी उन्होंने अपनी राजनैतिक दल यानी आरजेडी को दी है।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

इसमें रकसौल थाना कांड से जुड़े हुए मुकदमें में फाइनल फॉर्म दाखिल किया गया है, जिसे कोर्ट ने भी स्वीकार कर लिया। इस मामले में मुद्दों को तय करने पर सुनवाई आगामी 18 मई,2023 को की जाएगी।

कर्नाटक के परिणाम का बिहार पर कोई असर नहीं होगा: सुशील कुमार मोदी

पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि कर्नाटक विधानसभा के चुनाव परिणाम का बिहार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

राजद-जदयू के लोग भी नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने के लिए वोट देंगे

श्री मोदी ने कहा कि देश की जागरूक जनता विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में अलग-अलग तरह से मतदान करती है, इसलिए 2018 में राजस्थान-छत्तीसगढ में कांग्रेस को वोट देने वालों ने भी 2019 के संसदीय चुनाव में भाजपा का समर्थन किया था।

उन्होंने कहा कि 2024 में राजद-जदयू के मतदाता भी नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए बिहार में एकजुच होकर वोट देंगे।

sushilModi
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श्री मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार का जनाधार खिसक चुका है। पिछले साल विधानसभा के तीन उपचुनावों ने जदयू को उसकी हैसियत बता दी।

उन्होंने कहा कि सात दल मिल कर भी कुढनी और गोपालगंज में भाजपा को नहीं हरा पाए थे। इनमें से जो एक दल कर्नाटक में सरकार बनाने जा रहा है, उसकी बिहार में कोई बिसात नहीं।

पटना हाईकोर्ट ने अंतिम मोहलत देते हुए कहा कि यदि 18 मई,2023 तक हलफनामा दायर नहीं किया गया, तो उन्हें स्वयं कोर्ट में उपस्थित होना होगा

पटना हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बावजूद जवाबी हलफ़नामा दायर नहीं करने के मामले को काफी गंभीरता से लिया।जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए परिवहन विभाग के सचिव को अंतिम मोहलत देते हुए कहा कि यदि 18 मई,2023 तक हलफनामा दायर नहीं किया गया, तो उन्हें स्वयं कोर्ट में उपस्थित होना होगा ।

कोर्ट ने सुनीता देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया।याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार के उस अधिसूचना को चुनौती दी थी, जिसके अंतर्गत राज्य के परिवहन विभाग ने मोटर वाहन अधिनियम-1988 के प्रावधान के आलोक में सार्वजनिक सुरक्षा और सुविधा हेतु 15 वर्ष से अधिक पुराने सभी कॉमर्शियल वाहनों की आवाजाही पर पटना नगर निगम, दानपुर, खगौल ऐवं फुलवारी नगर परिषद में तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी ।

कोर्ट ने 20 सितंबर 2022 को अपने आदेश से इस मामले में जवाबी हलफनामा परिवहन सचिव के मांगा था।

PatnaHighCourt
#PatnaHighCourt

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वरीय अधिवक्ता सियाराम शाही ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट ने पिछले आदेश के अनुपालन में परिवहन सचिव द्वारा अभी तक जवाबी हलफनामा दायर नहीं किया है ।

कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता प्रशांत प्रताप के अनुरोध पर अंतिम मोहलत देते हुए परिवहन सचिव को जवाबी हलफ़नामा दायर करने का निर्देश दिया।साथ ही कोर्ट ने कहा कि यदि अगली सुनवाई तक आदेश का अनुपालन नहीं किया गया,तो परिवहन सचिव को स्वयं कोर्ट में उपस्थित होकर स्थिति स्पष्ट करना होगा।

इस मामले पर अगली सुनवाई 18 मई,2023 को होगी ।

पटना हाइकोर्ट ने चंदन कुमार यादव द्वारा औषधि निरीक्षक के पद पर नियुक्ति हेतु BPSC द्वारा जारी विज्ञापन मे अनुभव संबंधी प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की

पटना हाइकोर्ट ने चंदन कुमार यादव द्वारा औषधि निरीक्षक के पद पर नियुक्ति हेतु बी पी एस सी द्वारा जारी विज्ञापन मे अनुभव संबंधी प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की।जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने इस याचिका पर सुनवाई की।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि विज्ञापन में अनुभव से जुडा प्रावधान अनिवार्य योग्यता नही है। इसके लिए सरकार द्वारा वर्ष 2014 मे नियमावली बनाई गई थी,जिसमे औषधि एवं प्रसाधन नियमावली 1945 के नियम 49 मे प्रावधानित शैक्षणिक अर्हता को लागू करने की बात कही गई थी, न कि अनुभव को।

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वही दूसरी इलाहाबाद हाईकोर्ट के फुल बेंच ने कुलदीप सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले में यह तय किया है कि औषधि एवं प्रसाधन नियमावली 1945 की पारा 49 के अनुसार ये अनुभव औषधि निरीक्षक के पद हेतु अनिवार्य योग्यता नही है।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता की याचिका स्वीकार किए जाने का निर्देश दिया गया। परीक्षा 20 जून,2023 से होनी है।कोर्ट ने बी पी एस सी को जवाब देने का निर्देश दिया गया। मामले की अगली सुनवाई 19 जून,2023 को होगी।

पटना हाइकोर्ट में बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई 23 जून,2023 को होगी

पटना हाइकोर्ट में बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई 23 जून,2023 को होगी। चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।

राज्य सरकार ने रूल्स बनाने के कोर्ट से समय की याचना की, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए 23 जून,2023 की तिथि सुनवाई के लिए निर्धारित की।

पूर्व में हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को अबतक की गई कार्रवाई का ब्यौरा देने के लिए दिसंबर,2022 तक का मोहलत दिया था।

याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया था कि कोर्ट ने जो भी आदेश दिया,उस पर राज्य सरकार के द्वारा कोई प्रभावी और ठोस कार्रवाई अब तक नहीं किया गया है।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को भी पूरी जानकारी देने को कहा था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राज्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवा में क्या क्या कमियों के सम्बन्ध में ब्यौरा देने को कहा था।

साथ ही कोर्ट ने इसमें सुधारने के उपाय पर सलाह देने को कहा था।याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने बताया था कि नेशनल मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम ही के अंतर्गत राज्य के 38 जिलों में डिस्ट्रिक्ट मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम चल रहा हैं।लेकिन इसमें स्टाफ की संख्या नाकाफी ही है। हर जिले में सात सात स्टाफ होने चाहिए, जबकि इनकी संख्या नाकाफी है।

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पूर्व की सुनवाई में उन्होंने बताया था कि राज्य सरकार का दायित्व है कि वह मेन्टल हेल्थ केयर एक्ट के तहत कानून बनाए।साथ ही इसके लिए मूलभूत सुविधाएं और फंड उपलब्ध कराए।लेकिन अबतक कोई ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है।

कोर्ट को ये भी बताया गया था कि सेन्टर ऑफ एक्सलेंस के तहत हर राज्य में मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कॉलेज है।लेकिन बिहार ही एक ऐसा राज्य हैं,जहां मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कोई कालेज नहीं है।जबकि प्रावधानों के तहत राज्य सरकार का ये दायित्व हैं।

पिछली सुनवाईयों में कोर्ट को बताया गया था कि केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाले फंड में कमी आयी है,क्योंकि फंड का राज्य द्वारा पूरा उपयोग नहीं हो रहा था।पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि बिहार की आबादी लगभग बारह करोड़ हैं।उसकी तुलना में राज्य में मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुनियादी सुविधाएँ नहीं के बराबर है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 23 जून,2023 को होगी।

पटना हाइकोर्ट ने बिहार में बगैर निबंधन कराए कोचिंग संस्थान खोलने, मनमाने ढंग से छात्रों से फीस बसूलने और बुनियादी सुविधाओं के नहीं होने के मामलें पर सुनवाई की

पटना हाइकोर्ट ने राज्य में बगैर निबंधन कराए कोचिंग संस्थान खोलने,मनमाने ढंग से छात्रों से फीस बसूलने और बुनियादी सुविधाओं के नहीं होने के मामलें पर सुनवाई की। वेटरन फोरम की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है।इस मामलें पर अगली सुनवाई 4 जुलाई,2023 को होगी।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने बिहार कोचिंग इंस्टिट्यूट(कन्ट्रोल एंड रेगुलेशन)एक्ट,2010 के section 9 के अंतर्गत नियम नहीं बने है।नियमों के बिना ही मनमाने तरीके से कुकुरमुत्ते की तरह पटना समेत राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में कोचिंग इंस्टिट्यूट खुल गए है।

कोर्ट ने इस तरह के जनहित याचिका की सराहना करते हुए आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि एक्ट 2010 में बनने के वाबजूद अबतक राज्य सरकार ने इस मामलें नियम क्यो नहीं बनायें।

उन्होंने कोर्ट को बताया बिना निबंधन के इस तरह के कोचिंग इंस्टिट्यूट खुल गए हैं।इनमें तो दावे बड़े बड़े किये जाते है,लेकिन इंस्टिट्यूट्स में न तो स्तरीय अध्यापन होता है और न ही योग्य शिक्षक होते है।

इन कोचिंग इंस्टिट्यूट में पढ़ाई का स्तर भी सही नहीं है।कोचिंग के नाम पर ये कोचिंग इंस्टिट्यूट अभिभावकओ व छात्रों से मनमाना फीस बसूलते है।

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अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि इन कोचिंग इंस्टिट्यूट में न तो कोई पाठ्यक्रम होता है और न ही ये पाठ्यक्रम पूरा करने की जिम्मेदारी लेते है।इन्होने कोर्ट को बताया कि अधिकांश कोचिंग इंस्टिट्यूट एक या दो रूम के कमरे में संचालित किये जाते है।छात्र व छात्राओं के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती।

उन्होंने बताया कि इन कोचिंग इंस्टिट्यूट में न तो शुद्ध पेय जल की व्यवस्था है और न शौचालयों की।विशेषकर छात्राओं के लिए इन सुविधाओं का अभाव होता है।

उन्होंने कहा कि इन कोचिंग इंस्टिट्यूट को नियमानुसार और निबंधन होने के बाद ही इन्हें खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए।साथ ही इन पर राज्य सरकार को अपनी निगरानी रखनी होगी।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार और रितिका रानी और राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता पी के वर्मा ने कोर्ट के समक्ष तथ्यों को प्रस्तुत किया।इस मामलें पर अगली सुनवाई 4जुलाई,2023 को होगी।

पटना हाइकोर्ट ने जबरन घर खाली कराने के मामले पर एसएसपी,पटना सहित बुद्धा कॉलोनी के थानेदार को लगाई कड़ी फटकार लगायी

पटना हाइकोर्ट ने जबरन घर खाली कराने के मामले पर एसएसपी,पटना सहित बुद्धा कॉलोनी के थानेदार को लगाई कड़ी फटकार लगायी। कोर्ट ने कहा कि आखिर किस कानून के तहत पुलिस घर खाली कराई।यही नहीं ,उस घर में रह रही 25 लड़कियों को बाहर कर दिया गया।

जस्टिस मोहित शाह ने पटना डीएम और सदर एसडीएम को इस मामले में कानूनी कार्रवाई करने का आदेश दिया।साथ ही किरायेदार को घर पर कब्जा दिलाने के मामले पर कार्रवाई करने का आदेश दिया। कोर्ट ने रेणु कुमारी सिंह की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की।

आवेदिका के वकील शिव प्रताप ने कोर्ट को बताया कि गत सोमवार को सुंबह सुबह मकान मालिक पुलिस एव स्थानीय असामाजिक तत्वों के मिल कर जबरन किराये के घर से बेदखल कर दिया गया।

उनका कहना था कि इस घर में लड़कियों का छात्रावास था।कोर्ट ने पटना के एसएसपी सहित बुद्धा कॉलोनी के थानेदार को तलब किया।

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कोर्ट आदेश के बाद पटना के एसएसपी और बुद्धा कॉलोनी के थानेदार कोर्ट में हाजिर हो कर बताया कि आवेदिका के शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।उनका कहना था कि जांच में जबरन बेदखल करने की बात सामने आई हैं।

जांच रिपोर्ट पटना सदर एसडीएम को भेज दी गई हैं।अब डीएम और एसडीएम ही घर का कब्जा दिलाने की कार्रवाई कर सकते हैं।कोर्ट ने पटना डीएम और एसडीएम को तलब किया।आला अधिकारी कोर्ट में उपस्थित हुये।

कोर्ट ने सोमवार तक कब्जा दिलाने के बारे में कानून के तहत कार्रवाई करने का आदेश दिया।साथ ही मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 18 मई,2023 को तय किया गया है।

पटना हाईकोर्ट ने बिहार के सभी डीएम समेत केंद्र सरकार की एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को निर्देश दिया है कि बिहार में जितने भी हवाई पट्टियां, पुराने हवाई अड्डे और सिविल एनक्लेव हैं, उन सबों के भूमि को अतिक्रमण मुक्त किया जाए

पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय से राज्य के सभी डीएम समेत केंद्र सरकार की एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को निर्देश दिया है कि बिहार में जितने भी हवाई पट्टियां, पुराने हवाई अड्डे और सिविल एनक्लेव हैं, उन सबों के भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने का निर्देश दिया।साथ ही यह सुनिश्चित करें कि वे भविष्य में भी उपयोग आने हेतु सुरक्षित और संरक्षित रहें।

चीफ जस्टिस के.वी विनोद चंद्रन एवं जस्टिस मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने निखिल सिंह सहित अन्य 30 जनहित याचिकाकर्ताओं की अर्जियों को निष्पादित करते हुए यह निर्णय सुनाया।

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कोर्ट ने इस फैसले में यह भी स्पष्ट किया की राज्य में हवाई अड्डों का निर्माण या विकास हो या नही,यह एक नीतिगत मामला है।इसमें केंद्र और राज्य सरकार को निर्णय लेना है, न कि हाई कोर्ट को।

बिहार सरकार ने पटना हाइकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसमें कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा राज्य में जातियों की गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई करने सम्बन्धी याचिका को रद्द कर दिया था

राज्य सरकार ने पटना हाइकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी,जिसमें कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा राज्य में जातियों की गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई करने सम्बन्धी याचिका को रद्द कर दिया था।साथ ही राज्य सरकार ने पटना हाइकोर्ट द्वारा 4 मई, 2023को पारित अंतरिम आदेश को भी चुनौती दी गई है।

चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने राज्य सरकार के 3 जुलाई,2023 के पूर्व सुनवाई करने की याचिका को कोर्ट ने 9मई,2023 को सुनवाई करने के बाद खारिज कर दिया था।

इस आदेश विरुद्ध को राज्य सरकार ने एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर कर की है।पटना हाइकोर्ट ने इन मामलों पर सुनवाई की तिथि 3 जुलाई,2023 ही रखा। 9 मई, 2023 को सुनवाई करने के बाद हाईकोर्ट ने इन मामलों पर सुनवाई की तिथि 3 जुलाई,2023 ही निश्चित किया था।

गौरतलब कि पहले 4मई,2023 को कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए जातीय जनगणना पर रोक लगा दी थी।चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि राज्य सरकार इस दौरान इक्कठी की गई आंकड़ों को शेयर व उपयोग फिलहाल नहीं करेगी।

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पटना हाइकोर्ट में राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका में ये कहा गया था कि क्योंकि पटना हाइकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार के पास जातीय जनगणना कराने का वैधानिक अधिकार नहीं है,इसीलिए इन याचिकाओं पर 3 जुलाई,2023 को सुनवाई करने का कोई कारण नहीं है।

साथ ही कार्यपालिका के पास जातीय जनगणना कराने का क्षेत्राधिकार नहीं है।इसे कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में स्पष्ट कर दिया था।

कोर्ट ने ये भी कहा था कि जातीय जनगणना से जनता की निजता का उल्लंघन होता है।इस सम्बन्ध में विधायिका द्वारा कोई कानून भी नहीं बनाया गया है।

कोर्ट ने अपने 4 मई, 2023 के अंतरिम आदेश में जो निर्णय दिया है,उसमें सभी मुद्दों पर अंतिम निर्णय दिया गया।कोर्ट ने इन याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों पर अंतिम रूप से निर्णय दे दिया है।

राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य आम लोगों के लिए कल्याणकारी और विकास की योजना तैयार है।इसका किसी अन्य कार्य के लिए कोई उद्देश्य नहीं है।