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लोकतंत्र में सवाल पुछना देशद्रोह नहीं हो सकता

राम राज्य पर जब सवाल उठ सकता है फिर जनता द्वारा चुनी गयी सरकार के कामकाज पर सवाल ना करे यह कौन सा तर्क है और सवाल करने वाला देशद्रोही है ये कैसे हो सकता है,इतिहासकार जब मुहम्‍मद बिन तुगलक से राजधानी दिल्ली से दौलताबाद ले जाने पर सवाल कर सकता है तो मोदी से सवाल क्यों नहीं ।   आज जो मोदी कर रहे हैं बिहार पिछले 15 वर्षो से देख रहा है जो तर्क आज मोदी दे रहे हैं वही तर्क नीतीश भी देते थे , हर सवाल करने वाले को इसी तरह हंसी में उड़ा देते थे। 

 देश कांग्रेस के कार्यकाल को भी देखा है ,समाजवादियों के कार्यकाल को भी देखा है और इन लोगों को भी देख रहा है। संसद भवन किसने बनवाया किसी को याद भी है ,इंडिया गेट कौन बनाया किसी को याद भी है लेकिन मायावती हाथी का पार्क बनाई है जब तक वो पार्क रहेगा लोगों को याद आता रहेगा कि लोकतंत्र में एक कोई  शासक हुआ था जिसे देख कर तुगलक भी शरमा जाये ।                   

नीतीश कुमार जब बिहार के मुख्यमंत्री बने तो जो काम आज मोदी कर रहे हैं ठीक उसी तरह से नीतीश कुमार ने भी बिहार में निर्माण का काम शुरु किये थे , पटना जंक्शन के सामने बुद्धा स्मृति पार्क बनाने का निर्णय लिया, उस समय बड़ी आलोचना हुई थी इतना बड़ा व्यावसायिक जगह पर पार्क बनाने का क्या औचित्य है वो भी बुद्धा से जुड़ा हुआ । किसी दिन मौका मिले तो दिन भर बुद्धा स्मृति पार्क के पास बैठिए देखिए वहां कौन कौन से लोग आते जाते हैं हाल यह है कि पार्क के रखरखाव में जो खर्च हो रहा है वो भी नहीं निकल पा रहा है ।               

इसी तरह पटना हाईकोर्ट के बाजू में जो पटना संग्रहालय बना है क्या कहेंगे आप ,दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय के सामने इसकी क्या औकात है कुछ भी नहीं है अब कह रहे हैं पुराने संग्रहालय से नये वाले संग्रहालय में आने के लिए अंदर अंदर रास्ता बनेगा ताकी संग्रहालय देखने वालो को कोई परेशानी ना हो कितना करोड़ खर्च होगा अंडरग्राउंड रास्ता बनाने में सोच लीजिए और इस संग्रहालय में है क्या जो देखने के लिए लोग आयेंगे।              

इससे बात आगे बढ़ी तो  विधानसभा बनवाये तर्क कुछ नहीं दिल्ली की संसद भवन के साथ साथ सारा कार्यालय रहेंगा। विधानसभा भवन में हो क्या रहा है चार वर्ष से मैं यही देख रहा हूं कि सत्र की शुरुआत इस नये वाले विधानसभा भवन से होता है शेष सभी कार्य पुराने वाले विधानसभा भवन में ही चल रहा है ।                             

 इस दौर के नेता का एक और पागलपन है मेरे ही कार्यकाल में काम पूरा हो जाये इस जिंद की वजह से इस तरह के हेरिटेज वाली भवन बनाने को लेकर जो तैयारी होनी चाहिए वो नहीं हो पा रहा है ,एक इंडिया गेट बनाने में दस वर्ष लगा था लेकिन बिहार विधानसभा का नया भवन छह वर्ष में बन कर तैयार हो गया नतीजा क्या हुआ भवन के ग्राउंड फ्लोर पर हमेशा जमीन के अंदर से पानी निकलता रहता है जब यह समस्या सामने आयी तो रुड़की की टीम इसके समाधान के लिए बुलाया गया तो पता चला जहां यह भवन बना है वहां कभी सोन नदी बहती थी इसका कोई समाधान नहीं निकल पाया, निर्माण इतना घटिया है कि आप बाथरूम नहीं जा सकते हैं हर जगह पानी का सिपेज आपको मिल जायेगा ।                                   

यही हाल बेली रोड में जो पुलिस मुख्यालय बना है 309 करोड़ खर्च आया है 2018 में उद्घाटन हुआ मौका मिले तो जा कर देख लीजिए तीन वर्ष में ही भवन का हाल बिगड़ने लगा है कही बाथरूम का पानी रिस रहा है तो कहीं बारिश का पानी टपक रहा है पचास से अधिक सफाई कर्मी रोजाना साफ सफाई में लगा रहता है ।कहा यह गया था कि पुलिस मुख्यालय भवन ऐसा बनाया जा रहा है कि भूकंप में पटना का रहा भवन भी गिर क्यों ना जाये पुलिस मुख्यालय को कुछ नहीं होगा और वही से राहत और बचाव कार्य का संचालन होगा क्यों कि पटना भूकंप के मामले में बहुत ही संवेदनशील इलाका है । इसके लिए पुलिस मुख्यालय के छत पर हेलीपैड बनाया गया है किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए लेकिन आज तक उसकी टेस्टिंग नहीं हुई है पक्का मानिए जिस दिन हेलीकॉप्टर लैंड किया क्या होगा आप सोच नहीं सकते हैं ।             

गांधी मैदान के सामने जो बापू सभागार बना है सरकारी कार्यक्रम के अलावे बहुत कम बुकिंग होता है हाल यह है कि उसके  मेंटेनेंस  का पैसा भी नहीं निकल पा रहा है ।इसी तरह सत्ता संभालते ही विधायक और विधान पार्षद के लिए नये आवास के निर्माण का फैसला लिया गया बाद में मोदी भी दिल्ली में सांसद के लिए नया भवन बनाने का निर्णय लिये ।मतलब आज जो शासक वर्ग है वो इस तरह निर्माण में काफी रुचि ले रहे हैं ऐसे में सवाल उठना लाजमी है राष्ट्रपति भवन से लेकर संसद भवन और इंडिया गेट के बीच जिस तरीके से मोदी निर्माण का काम करवा रहे हैं इसकी जरूरत क्या है पीएम के लिए नया आवास बन रहा है ,वार मेमोरियल जा कर देख लीजिए जो खूबसूरती इंडिया गेट और राजपथ के बीच है उसके सामने इस मेमोरियल का कोई वजूद समझ में नहीं आ रहा है नया संसद भवन का क्या औचित्य है ऐसे कई सवाल है जिसका जवाब मोदी,बीजेपी और संघ को देना ही पड़ेगा क्योंकि इस देश में जब गांधी की मूर्ति तोड़ी जा सकती है तो बाकी क्या बिसात है ।

जहरीली शराब पीने से छपरा में 14 लोगों की हुई मौत जॉच में जुटी पुलिस

सारण जिला में संदिग्ध परिस्थितियों में 14 लोगो की मौत की खबर मीडिया में आने के बाद छपरा परिसदन में बिहार के गृह सचिव के सेंथिल कुमार और एडीजी लॉ एंड ऑर्डर संजय सिंह के नेतृत्व में एक हाई लेबल मीटिंग हुई जिसमें सारण प्रक्षेत्र के कमिश्नर पूनम और डीआईजी सारण रविन्द्र कुमार के साथ एसपी सारण संतोष कुमार सहित जिला का सभी आलाधिकारी शामिल थे।

छपरा में जहरीली शराब से मौत मामले में जाँच शुरु

एडीजी लॉ एंड ऑर्डर संजय सिंह ने बताया कि शराब से हुई संभावित मौत को लेकर यह बैठक थी जिसमें यह बात सामने आई है कि कुछ लोगो ने शराब का सेवन किया था लेकिन शवो का दाह संस्कार हो जाने के कारण सिर्फ चार लोगों का पोस्टमॉर्टम हो पाया है जिसकी रिपोर्ट का इंतज़ार किया जा रहा है।

सारण एसपी का बयान जॉच चल रही है दोषी बक्से नहीं जायेगें

वहीं एसपी सारण संतोष कुमार ने बताया कि 14 में से पाँच लोगो के शराब पीने से मौत की संभावना की बात सामने आई है वही अन्य लोगो की मौत बुढ़ापे बीमारी और बीमारी से होने की बात परिजनों ने बताया है। एसपी सारण ने कहा कि जागरूकता भी जरूरी है ताकि किसी के पास वैसा शराब हो तो उसे नष्ट कर दें या फेंक दें उसका सेवन ना करें।

बिहार विधनापरिषद के 24 सीटों को लेकर बीजेपी की दिल्ली में हुई बैठक बेनतीजा रहा

बिहार विधानपरिषद के 24 सीटों को लेकर आज दिल्ली में अमित शाह के घर बैठक हुए जहाँ एनडीए घटक दल के बीच सीट बटवारे को लेकर चर्चा हुई।

बिहार विधानपरिषद चुनाव में सीट बटवारे को लेकर एनडीए में नहीं बनी है सहमति

इस समय बिहार विधान पार्षद में बीजेपी का 13 और जदयू का 11 सदस्य है हालांकि बीजेपी 13 सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रही वैसे गठबंधन के साथी हम ,लोजपा और भीआईपी भी विधान पार्षद का सीट चाह रहा है ऐसी स्थति में बीजेपी अपने कोटे से दो सीट गठबंधन के साथी लिए छोड़ सकती है

लोजपा सांसद चिराग पासवान का बड़ा बयान बिहार मध्यावधि चुनाव की तरफ बढ़ रहा है

पटना — जमुई सांसद चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने शुक्रवार को बड़ा बयान दिया. दिल्ली से पटना पहुंचने के बाद एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि बिहार में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की मौजूदा सरकार कभी भी गिर सकती है. राज्य में मध्यावधि चुनाव होने के पूरे आसार हैं. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी समाज सुधार यात्रा के बहाने चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. बिहार एनडीए में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है।

बिहार मध्यावधि चुनाव की तरफ बढ़ रहा है

चिराग पासवान ने कहा, ” मुझे लगता है राज्य में एनडीए सरकार का जल्द ही पतन होने वाला है. बिहार में मध्यावधि होंगे ही. मेरा ऐसा मानना है. तथाकथित समाज सुधार यात्रा पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार निकले थे. इसकी कोई जरूरत नहीं थी. सभी जानते हैं कि मुख्यमंत्री ऐसी यात्रा पर तभी निकलते हैं, जब वो खुद चुनाव की तैयारियों में लगते हैं. हमने देखा है कि बड़ी-बड़ी घटना हो जाने पर भी मुख्यमंत्री बाहर नहीं जाते या किसी पीड़ित परिवार से मिलते हैं. तो उनकी इस यात्रा से स्पष्ट है कि वो चुनाव की तैयारी में लगे हुए हैं।

हालांकि इससे पहले नालंदा में जहरीली शराब पीने से मौत मामले में पीड़ित परिवारों से मिलने के बाद राज्यपाल से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कि थी ।

बिहार सरकार शराबबंदी कानून में संशोधन का लिया फैसला जल्द ही प्रारुप को दिया जायेंगा अंंतिम रुप

बिहार सरकार ने शराबबंदी कानून में संशोधन को तैयार हो गयी है इसके लिए महाधिवक्ता की अध्यक्षता में कानूनविदों की एक टीम को खास तौर पर जिम्मेवारी दी गयी है हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश की टिप्पणी के बाद आये दिन हाईकोर्ट द्वारा शराबबंदी कानून को लेकर प्रतिकुल टिप्पणी के साथ साथ सरकार के सहयोगी दल बीजेपी और विपंक्ष के हमले को देखते हुए सरकार ने शराबबंदी कानून 2018 में संशोधन का फैसला लिया है ।

1—2016 शराबबंदी कानून
2016 में जो शराबबंदी को सफल बनाने को लेकर कानून बनाया गया था उसमें शराबबंदी कानून का उल्लंघन करने पर दस वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा व एक लाख से दस लाख तक जुर्माना। शराब के नशे में पाए जाने पर सात साल तक की सजा और एक से 10 लाख तक का जुर्माना। शराब के नशे में अपराध, उपद्रव या हिंसा की तो कम से कम दस वर्ष से लेकर आजीवन कारावास की सजा और एक लाख से दस लाख तक का जुर्माना।किसी परिसर या मकान में मादक द्रव्य या शराब बनाने, बरामद, उपभोग, बनाया, बिक्री या वितरण पर 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले परिवार के सभी सदस्य जिम्मेवार माने जाएंगे जब तक वे अपने आप को निर्दोष होने का प्रमाणत न दे दें।

जहरीली शराब से मौत होने पर शराब बनाने वाले को मृत्यु दंड या आजीवन कारावास और दस लाख तक का जुर्माना। विकलांग होने पर ऐसे शराब बनाने वाले को दस वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा और दो से 10 लाख तक जुर्माना।आंशिक चोट आने पर आठ वर्षों से आजीवन कारावास तक की सजा और एक से दस लाख तक का जुर्माना।कोई हानि नहीं होने पर भी बनाने वाले को आठ से दस वर्ष तक की सजा और एक से पांच लाख तक का जुर्माना।कपट व छद्म तरीके से शराब का कारोबार करने पर दस वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा और एक से दस लाख तक का जुर्माना।अवैध तरीके से शराब का भंडारण करने पर आठ से दस वर्ष तक की सजा और दस लाख तक का जुर्माना। अवैध शराब व्यापार में महिला या नाबालिग को लगाया तो दस वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा और एक लाख से दस लाख तक का जुर्माना। कोई व्यक्ति, वाहन या परिवहन के अन्य साधनों के माध्यम से इस कानून का उल्लंघन किया तो बिना वारंट के दिन-रात कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। लेकिन गिरफ्तारी की सूचना डीएम को देनी होगी। इस अधिनियम के अधीन सभी अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होंगे।

2–2018 शराबबंदी कानून
2018 में नीतीश सरकार 2016 के शराबबंदी कानून में संशोधन करते हुए शराब पीते हुए गिरफ्तार होने पर जेल भेजने कि छूट दे दी थी संशोधित कानून के अनुसार शराब पीते पहली बार पकड़े जाने पर 50,000 रुपये जुर्माना देना होगा या तीन महीने की जेल होगी। दूसरी बार पकड़े जाने पर एक लाख का जुर्माना अथवा छह महीने की सजा होगी। दो से अधिक बार पकड़े जाने पर जुर्माना और सजा की अवधि दोगुनी होती जाएगी।

वही मकान-वाहन की जब्ती के कानून में भी संशोधन कर दिया था उसके अनुसार जिस कमरे से शराब बरामद होगा अब उसी कमरे को सील किया जायेंगा है, पूरे परिसर को सील नहीं करना है ।लेकिन जब बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय बने तो शराबबंदी को लेकर जिले जिले में जागरुकता अभियान चलाना शुरु किये थे उसी दौरान उन्होंने पुलिस मुख्यालय की और से एक मौखिक आदेश जारी किया जिसमें 2018 में शराबबंदी कानून में जो संशोधन किया गया था जिसमें धारा 37 बी के तहत पहली बार पकड़े जाने पर 50,000 रुपये जुर्माना देना होगा या तीन महीने की जेल होगी। दूसरी बार पकड़े जाने पर एक लाख का जुर्माना अथवा छह महीने की सजा होगी। दो से अधिक बार पकड़े जाने पर जुर्माना और सजा की अवधि दोगुनी होती जाएगी।

डीजीपी ने इस धारा के तहत गिरफ्तारी करने पर रोक लगा दिया और सभी एसपी को कहां कि जो भी थानेदार ये धारा लगायेगा उसको संस्पेड करना है और इस निर्देश के बाद बिहार में फिर जितनी भी गिरफ्तारी हुई उसमें धारा 37 सी लगाया जाने लगा जिसमें शराब पीकर उपद्रव फैलाने का आरोप पुलिस द्वारा निर्धारित किया जाना है हालांकि इस धारा के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को भी कोर्ट दो से तीन दिन में जमानत दे देता है।

ये हैं संशोधन के प्रमुख प्रस्ताव:
शराब पीते अब कोई भी गिरफ्तार होगा तो सभी को धारा 37 के तहत समरी ट्रायल का प्रावधान होगा जिसके तहत गिरफ्तार व्यक्ति को दंडाधिकारी सरकार द्वारा निर्धारित जुर्माना के तहत जुर्माना करेगे और गिरफ्तार व्यक्ति जुर्माना देकर छुट जायेंगा जैसे परीक्षा के दौरान छात्र और अभिभावक के गिरफ्तारी पर दंडाधिकारी जुर्माना निर्धारित करते हैं और छात्र और अभिभावक जुर्माना जमा कर छुट जाता है ।इस प्रक्रिया में ट्रायल का कोई भी प्रावाधान नहीं होता है इसी तरह शराब पीते गिरफ्तार होने पर पहली बार कितना जर्माना लगेगा और कितने बार पकड़े जाने पर जमानता का प्रावधान नहीं रहेगा इस पर मंथन चल रहा है इसी समय शराब पीते गिरफ्तार होने पर 50 हजार रुपया जुर्माना है इसे कम करके पहली बार गिरफ्तार होने पर हजार रुपया करने पर विचार चल रहा है ।

धारा 55 को हटाया जाएगा। इसे हटाने पर सरकार कोर्ट में चल रहे लाखों मामलों को वापस ले सकती है अदालतों के अंदर या बाहर दो पक्षों के बीच समझौता हो सकता है।साथ ही धारा 57 को शामिल किया जाएगा ताकि शराब ले जाने के लिए जब्त किए गए वाहनों को जुर्माने के भुगतान पर छोड़ने की अनुमति दी जा सके।

प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई और वहां उनके स्मारक की दुर्दशा के मामलें पर सुनवाई कल तक टली

पटना हाईकोर्ट में देश के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई और वहां उनके स्मारक की दुर्दशा के मामलें पर सुनवाई कल तक टली।चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच विकास कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।

पिछली सुनवाई में डिवीजन बेंच ने केंद्र सरकार ( आर्केलोजिकल् सर्वे ऑफ इंडिया) को 21 जनवरी,2022 तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।

पिछली सुनवाई में कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से जवाब दायर किया गया था।कोर्ट को इसमें जानकारी दी गई कि राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 10 जनवरी,2022 को एक उच्च स्तरीय बैठक हुई।इसमें सम्बंधित विभाग के अपर प्रधान सचिव सहित अन्य वरीय अधिकारी बैठक में उपस्थित थे, जिनमें पटना और सीवान के डी एम भी शामिल थे।

इसमें कई तरह के जीरादेई में विकास कार्य के साथ पटना में स्थित बांसघाट स्थित डा राजेंद्र प्रसाद की समाधि स्थल और सदाकत आश्रम की स्थिति सुधारें जाने पर विचार तथा निर्णय लिया गया।

इस बैठक में जीरादेई गांव से दो किलोमीटर दूर रेलवे क्रासिंग के ऊपर फ्लाईओवर निर्माण पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया।
साथ ही राजेंद्र बाबू के पैतृक घर और उसके आस पास के क्षेत्र के विकास और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध
के लिए कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया।

हाईकोर्ट ने इससे पहले अधिवक्ता निर्विकार की अध्यक्षता में वकीलों की तीन सदस्यीय कमिटी गठित की थी।कोर्ट ने इस समिति को इन स्मारकों के हालात का जायजा ले कर कोर्ट को रिपोर्ट करने का आदेश दिया था।

इस वकीलों की कमिटी ने जीरादेई के डा राजेंद्र प्रसाद की पुश्तैनी घर का जर्जर हालत, वहां बुनियादी सुविधाओं की कमी और विकास में पीछे रह जाने की बात अपनी रिपोर्ट में बताई।साथ ही पटना के बांसघाट स्थित उनके समाधि स्थल पर गन्दगी और रखरखाव की स्थिति भी असंतोषजनक पाया।वहां काफी गन्दगी पायी गई और सफाई व्यवस्था, रोशनी आदि की खासी कमी थी।

इस मामलें पर अब अगली सुनवाई 22 जनवरी,2022 को होगी।

मैं बिहार पुलिस हूं मुझे आपको अपमानित करने का अधिकार है

ये बिहार है भाई यहां सब कुछ हो सकता है आप क्या है, आपकी पहचान क्या ,आपका देश और समाज में योगदान क्या है । उससे कोई मतलब नहीं रखता है मैं बिहार पुलिस हू मुझे आपको अपमानित करने का लाइसेन्स मिला हुआ है । जी हां इस बार यह मौका मुजफ्फरपुर पुलिस पुलिस को मिला है जहां टाउन थाना पर पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के फैन सुधीर कुमार की एक पुलिसकर्मी ने पिटाई कर दी। सुधीर ने जिस टाउन थाना का उद्घाटन चीफ गेस्ट बनकर किया था, उसकी थाने के एक मुंशी ने उन्हें गाली दी और फिर मारने के लिए हाथ उठाया। यह था पूरा मामला क्या है ।

मुजफ्फरपुर टाउन थाना की पुलिस ने उनके चचेरे भाई किशन कुमार को हिरासत में लिया था। जब शाम को सुधीर दामोदरपुर अपने आवास पर पहुंचे तो उन्हें घरवालों ने इसकी जानकारी दी। बताया कि पुलिस ने किशन को उठा लिया है, लेकिन, क्या मामला है इस बारे में नहीं बता रहे हैं।

भाई को हवालात में कर रखा था बन्द
सुधीर भागते हुए टाउन थाना पहुंचे। देखा कि उनका भाई हवालात में बंद है। वे उससे पूछने लगे कि किस मामले में उठाया है। उसने बताया कि उसके एक दोस्त में जमीन खरीदा था। जमीन खरीदने में उसका नाम गवाह के रूप में दिया हुआ था। शायद उस जमीन को लेकर कुछ लफड़ा हुआ था। उसी में एक पक्ष ने FIR दर्ज कराया था। जबकि इसके बारे में उसे कुछ जानकारी भी नहीं है। फिर भी पुलिस उसे पकड़ कर ले आयी है।

…और मुंशी ने गाली देना शुरू कर दिया
सुधीर अपने भाई से बात कर रहे थे। तभी एक मुंशी गुस्से में सरिस्ता से बाहर निकले और विवाद करने लगे, फिर उन्होंने गाली देना शुरू कर दिया। जब सुधीर ने इसका विरोध किया तो उनके साथ थाना पर मारपीट की। इसके बाद सुधीर वहां से चुपचाप बाहर निकल गए। फिर DSP से शिकायत की।

सेलिब्रिटी बनकर किया था उद्घाटन
सुधीर ने कहा कि यह मेरा दुर्भाग्य है कि आज से कुछ साल पहले जब यह थाना भवन नया बना था। उस समय उन्हें सेलिब्रिटी के तौर पर उद्घाटन करने के लिए बुलाया गया था। उन्होंने फीता काटकर इसका उद्घाटन भी किया था। लेकिन, आज उसी थाना पर उनके साथ मारपीट की गई है। जब मेरे साथ इस तरह की घटना हो सकती है, तो आम जनता के साथ पुलिस कैसे पेश आती होगी। ये समझा जा सकता है।

बिहार विधान परिषद के बने रहने का औचित्य क्या है

बिहार विधान परिषद के बने रहने का औचित्य क्या है
सवाल लोकतंत्र का है ,सवाल जनता के मेहनत के पैसे का है ,ऐसे में सवाल तो बनता है कि बिहार में बिहार विधान परिषद के गठन का मतलब क्या है, जी है बिहार विधान परिषद में कुल सदस्यों की संख्या 75 है जिसमें 27 सदस्यों को बिहार विधान सभा के सदस्य चुनते हैं। 24 सदस्य स्थानीय निकायों(पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा चूने जाते हैं,शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों से 6 और स्नातक क्षेत्र से 6 चुनाव जीत करके आते हैं और राज्यपाल कोटा से 12 लोगों का मनोनयन होता है।

काम क्या है विधानसभा में जो बिल पास होगा उस पर चर्चा करना और उस पर मोहर लगाना,विधानसभा में जिसका बहुमत होगा स्वाभाविक है विधानसभा सदस्यों द्वारा चुने गये 27 सदस्यों में से अधिक संख्या उन्हीं का होगा फिर राज्यपाल द्वारा जिन 12 विशिष्ठ व्यक्तियों का मनोनयन होता है वह भी सरकार जिसका नाम राज्यपाल को भेजता है उसी पर राज्यपाल को मोहर लगाना है ।मतलब सरकार का हमेशा बहुमत बना रहता है ।

संविधान कहता है कि राज्य के साहित्य, कला, सहकारिता, विज्ञान और समाज सेवा का विशेष ज्ञान अथवा व्यावहारिक अनुभव रखते हैं उनको विधान परिषद में भेजना है, हो क्या रहा है इस बार राज्यपाल जिन 12 लोगों को मनोनीत क्या है उसमें कौन से ऐसे लोग हैं जिसकी योग्यता संविधान द्वारा निर्धारित मानदंडों पर खड़े उतर रहा है। इस बार बिहार में राज्यपाल कोटे से जिन्हें मनोनीत किया है उनमें दो राज्य सरकार के कैबिनेट में मंत्री हैं. बीजेपी ने जिन छह चेहरों को विधान परिषद सदस्य बनाया है उनमें प्रमोद कुमार, घनश्याम ठाकुर, जनक राम, राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता, देवेश कुमार और निवेदिता सिंह बीजेपी पार्टी से सक्रिय तोड़ पर जुड़ी हुई हैं।

वहीं जेडीयू ने उपेंद्र कुशवाहा, संजय गांधी, ललन सर्राफ, रामबचन राय, अशोक चौधरी और संजय सिंह को विधान परिषद सदस्य बनाया है ये सारे के सारे चुनावी राजनीति में सक्रिय रहे हैं मतलब संविधान में राज्यपाल कोटा से मनोनयन का लेकर जो विचार रखा गया उस विचार पर कहीं से कोई खड़ा नहीं उतर रहा है।

बात स्थानीय निकायों(पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा),चुने गये 24 सदस्यों का कर लेते हैं इनका क्या काम है ये पंचायत चुनाव जीत कर आये प्रतिनिधियों का विधान परिषद में प्रतिनिधित्व करते हैं इन महाशय के कार्यकाल पर गौर करेंगे तो ब-मुश्किल पूरे कार्यकाल के दौरान एक दो सवाल पंचायत सरकार से जुड़ा हुआ है और फिर कैसे लोग चुन कर आ रहे हैं देख ही रहे हैं किस तरह से पैसे का खेल चलता है ,ऐसे में इन 24 सदस्यों के चुने जाने के मतलब क्या है जबकि पंचायत अपने आप में स्वतंत्र इकाई है ।

बिहार में स्नातक पास वोटर द्वारा चुने गये 6 प्रतिनिधियों की बात कर तो ये किसके प्रति जिम्मेवार है कभी तो नहीं देखा की बेरोजगारी ,नौकरी और पढ़ाई व्यवस्था पर ये लोग अलग से अपनी बात सदन में रखते हो इसके लिए सरकार पर दबाव बनाते हो ।

इसी तरह 6 प्रतिनिधि शिक्षक द्वारा चुन कर आते हैं इनका क्या काम है पिछले 30 वर्षो का सदन का इतिहास देख लीजिए ये जो प्रतिनिधि हैं अपने वोटर के साथ कभी खड़े दिखे हैं इनकी हैसियत यही है कि सरकार के साथ हां में हां मिलाये नहीं तो कोई पुछने वाला नहीं है जब सब कुछ सरकार के अनुसार ही चलनी है तो फिर विधान परिषद और विधान परिषद के कमिटी का मतलब क्या है ।

हर वर्ष विधानपरिषद सदस्यों के वेतन ,भत्ता ,इलाज ,यात्रा और अन्य सुख सुविधा के अलावे इस्टेब्लिश्मन्ट और विधान पार्षद विकास निधि की बात करे तो हर वर्ष तीन करौड़ के करीब खर्च होता है, इस खर्च का मतलब क्या है ।

वही विधान परिषद सदस्य बनने को लेकर जो खेल चलता है ऐसे में आप अपर हाउस से क्या उम्मीद कर सकते हैं अपर हाउस का गठन लोकतंत्र में जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों के मनमानी को रोकने के लिए किया गया था वहां पढ़े लिखे लोग चुन कर जायेंगे तो विधानसभा के कामकाज का समीक्षा करेंगे लेकिन हो क्या रहा है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि इस संस्थान के रहने का मतलब क्या है जनता के पैसे पर मौज मस्ती और जनप्रतिनिधि के रुप जो विशेषाधिकार मिला हुआ है उसका दुरउपयोग करना ।

विधुत उपभोगता को लूट रही है कंपनी -होईकोर्ट

पटना हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में बिहार सरकार की ऊर्जा विभाग और उत्तर व दक्षिण बिहार विद्युत वितरण कम्पनियों को निर्देश दिया है कि तीन हफ्ते के अंदर पूरे राज्य में विद्युत उपभोक्ताओं के शिकायतों के निवारण के लिए फोरम की स्थापना करें।

चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस एस कुमार की खण्डपीठ ने राज्य में इलेक्ट्रोनिक बिजली मीटर की जांच कराने हेतु दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है।

खण्डपीठ ने यह आदेश बिहार विद्युत (संशोधन ) नियमावली 2020 के अंतर्गत विद्युत उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम को अनिवार्यतः स्थापित करने के प्रावधान के अंतर्गत दिया है।साथ ही कोर्ट ने तीन हफ्ते बाद इस मामले में प्रगति रिपोर्ट भी तलब किया है ।

इस मामले पर अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी ।

सुप्रीमकोर्ट ने निकाय चुनाव के लिए विशेष आयोग के शीघ्र गठन का दिया निर्देश

निकाय चुनाव के लिए विशेष आयोग शीघ्र गठित करे बिहार सरकार

ट्रिपल टेस्ट के बाद ही पिछड़ा आरक्षण – सुशील कुमार मोदी

  1. नगर निकाय चुनाव में आरक्षण देने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले को देखते हुए बिहार सरकार को तुरंत एक विशेष आयोग का गठन करना चाहिए।
    यदि इसमें देर हुई तो अप्रैल-मई में सम्भावित निकाय चुनाव नहीं कराये जा सकेंगे।

  1. सुप्रीम ने कहा है कि राज्य सरकार की ओर से गठित विशेष आयोग ट्रिपल टेस्ट के आधार पर यह तय करेगा कि किस नगर निकाय में किस जाति को कितना आरक्षण दिया जाना है।
    कोर्ट के इस आदेश का पालन नहीं होने के कारण मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में नगर निकाय चुनाव में पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने पर रोक लग चुकी है।

राज्य निर्वाचन आयोग ने बिहार सरकार के नगर विकास विभाग को पत्र लिखकर अविलंब कदम उठाने का सुझाव दिया है।

मेरा गांव ही मेरी पहचाान है -पूर्व मुख्यसचिव अंजनी सिंह

बिहार के पूर्व मुख्यसचिव अंजनी सिंह की जुबानी गांव से जेएनयू तक का सफर

वैसे तो मेरा जन्म 1958 में सीवान जिला के रघुनाथपुर के पुलिस क्वार्टर में हुआ लेकिन पूरा बचपन पैतृक गॉंव चमथा में बीता। पिताजी स्व. रामराज सिंह पुलिस अफसर थे और मेरे जन्म के समय रघुनाथ पुर में पोस्टेड थे। माँ शिवदुलारी देवी गृहिणी महिला थीं। मैं चार भाई और एक बहन में दूसरे नंबर पर था। बड़े भाई अश्विनी कुमार सिंह गाँव में खेती करते थे, जो अब नहीं रहे। हमलोगों का संयुक्त परिवार था। पिताजी तीन भाई थे। दो भाई गाँव में रहते थे। हमारे घर में आज के हिसाब से एक अजीब नियम था। बच्चे अपने चाचा के साथ रहते और पढ़ते थे, माता-पिता के साथ नहीं। इस कारण परिवार में बहुत प्रेम था, इसी नियम के कारण मेरे माता-पिता के शहरों में रहने के बावजूद हम अपने गाँव में चाचाओं के साथ रहते थे। अपने बच्चों के लिए अधिक प्यार दिखाना या प्यार करना सही नहीं माना जाता था।

सबसे बड़े चाचा, जिन्हें सबलोग बाबूजी कहते थे, घर के मालिक थे। पैसे का हिसाब-किताब दूसरे वाले चाचा, जिन्हें सब लोग दादा कहते थे, रखते थे। दूसरे वाले चाचा के लड़के मेरे पिता जी, जिन्हें सब लोग लाला कहते थे, के यहाँ रहते और पढ़ते थे। संयुक्त परिवार होने के कारण बच्चों की अच्छी संख्या थी।

हमलोगों के घर में अस्त्र-शस्त्र चलाने की और सही उम्र में सीखने की परंपरा थी। उस समय प्राय: चिड़ियों का शिकार होता था और उसी से हमलोग निशानेबाजी सीखते। बड़े लोगों की पहचान जमीन की मात्रा और अस्त्र-शस्त्र की संख्या से होती थी। हमलोग का परिवार गाँव के दस बड़े और धनी परिवारों में से एक था। मेरे दो चचेरे भाई मुझसे पहले नौकरी में आये। उनमें से एक ने मेरे पिता की मृत्यु के बाद मेरे कॉलेज के दिनों में मेरी आर्थिक सहायता भी की।

हमारे स्कूल के अधिकांश बच्चों ने बड़े शहर नहीं देखे थे और न ही ट्रेन आदि की यात्रा की थी। पिताजी पुलिस महकमे में थे और उनकी पोस्टिंग शहरों में हुआ करती थी। मैं छुट्टियों में अपने पिता के यहाँ चला जाता, इसलिए हम रेलगाड़ी, कार आदि से घूम चुके थे। छुट्टी में जब पिताजी के पास जाता तो माँ बड़े मन से हमारे लिए खस्सी बनाती। शहर जाने पर बहुत सारे फिल्में देखता। छुट्टी के बाद लौटकर उन फिल्मों की कहानियाँ और गीत सहपाठियों को बहुत इतराते हुए सुनाता।

पिताजी से जुड़ी कई यादें हैं। हमलोग अपने पिताजी से सीधे बात नहीं करते थे, या यों कहें, आँख मिलाकर बातें नहीं करते थे। जो भी कहना होता था, माँ के माध्यम से होता था या किसी दोस्त के मार्फत। जबतक वे बुलाते नहीं थे, हम उनके पास नहीं जाते थे। वे खाने के बाद सिगरेट पीते, लेकिन मुझे सिगरेट की गंध बिल्कुल पसंद नहीं थी। अभी भी नहीं है। वे शाकाहारी हो गये थे, लेकिन कोई भी उनके साथ मेज पर मांस खा सकता था। वे वॉलीबॉल के अच्छे खिलाड़ी थे। डीलडौल भी लंबा चौड़ा। मुझे उनके साथ भी खेलने का मौका मिलता था। एक बार की बात है। हमलोग वॉलीबॉल खेल रहे थे। अभी दस-पंद्रह मिनट का खेल बाकी था। थाने पर एसपी साहब आ गये। पिताजी खेलते रहे। गेम पूरा होने के बाद ही वे एसपी साहब से रू-ब-रू हुए।
जब पिताजी रेलवे में इंस्पेक्टर थे, तब पहली बार मुझे दानापुर-हावड़ा ट्रेन में एसी फर्स्ट क्लास में यात्रा का अवसर मिला। वे शंकर भगवान के भक्त थे। जहाँ भी गये, मंदिर बनवाया। बाँका और कहलगाँव में भी मंदिर बनवाया। मुजफ्फरपुर में पोस्टेड थे, तब गरीब स्थान जाते थे। वहाँ पास में मजार पर भी जाते थे। वे धार्मिक तो थे लेकिन कर्मकांडी नहीं थे। प्राय: शाम में मंदिर जाकर ध्यान किया करते थे।

एक बार की बात है। मेरे बड़े भाई साहब कक्षा में फेल हो गये। उन्हें पढ़ने में मन नहीं लगता था। कोई और अभिभावक होते तो उस दिन उनकी कुटाई-पिटाई हो सकती थी। लेकिन पिताजी ने हौसला बढ़ाने के लिए एक मशहूर शेर कहा—
‘गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में. वो तिफ्ल क्या गिरेगा जो घुटने के बल चले।’

पिताजी बहुत उदार स्वभाव के थे। गरीबों की मदद के लिए सदैव तत्पर रहते थे। मुझे याद है, हमारे आवास पर एक लड़का रहता था। वह पढ़ने में अच्छा था, लेकिन अत्यंत गरीब परिवार से था। उसके पिता दूध बेचकर किसी तरह गुजर-बसर करते थे। मेरे पिताजी ने उसकी पढ़ाई पूरी करने में मदद की। बाद में वह लड़का ऑडिट ऑफिसर बना।
यादें पटना कॉलेज की और जेपी मूवमेंट की

गाँव से मैट्रिक करने के बाद पटना कॉलेज में दाखिले के लिए आवेदन किया। पटना कॉलेज में इंटरमीडियट कोर्स में नामांकन लिया। मुझे वह दिन याद है, जब मैं पहले दिन कॉलेज में प्रवेश किया। एडमिशन लिस्ट और क्लास रूटिन एक साथ टंगे थे। पहले दिन ही पाँच-छह दोस्त बन गये, जो आखिर तक बने रहे। पटना कॉलेज कला संकाय का एक प्रतिष्ठित कॉलेज था। बिहार के बेस्ट स्टूडेंट यहाँ दाखिला पाते थे। दीवारों पर लिखा था, ”बिहार में जो भी श्रेष्ठ है, वह पटना कॉलेज का है।” हम इसे पढ़ते और गर्व से भर जाते। हम उस पटना विश्वविद्यालय में थे, जो कभी ईस्ट का ऑक्सफोर्ड कहा जाता था। मेरे लिए जैक्सन हॉस्टल में कमरा एलॉट हुआ।

जैक्सन छात्रावास में अभियान को गति देने के लिए बैठकें होतीं और समाज के अन्य वर्ग से संपर्क कर उन्हें इस अभियान का हिस्सा बनाने के लिए प्रेरित किया जाता। एक दिन तय हुआ कि छात्रावास के सभी लोग अपने-अपने गाँव जायेंगे और गाँव के आसपास के क्षेत्रों के लोगों को संपूर्ण क्रांति से जोड़ेंगे। आगे की पढ़ाई जारी रही और 1980 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में चयन हुआ और बिहार कैडर भी मिला। नौकरी के दौरान गाँव आना-जाना तो कम ही हुआ, लेकिन गाँव हमेशा जेहन में बना रहा है। जहाँ भी रहा वहाँ गाँव के साथ अपने रिश्तों को जीता रहा और गाँव की तरक्की में अपने हिस्से की जवाबदारी निभाने की कोशिश रही।

ये कैसा लोकतंत्र जहां वोटर की खुल्लम खुल्ला लग रही है बोली

बिहार विधान परिषद के 24 सीटों के मतदान की तिथि इस माह के अंत तक घोषित हो जायेगी मतदाता सूची को  अंतिम रूप दिया जा रहा है और इस बार चुनाव आयोग मतदान के दौरान बाहुबल और धनबल को रोकने के लिए मतदाता सूची  बनाने के दौरान ही वोटर साक्षर है या निरक्षर है यह अंकित करने का आदेश जिला निर्वाचन पदाधिकारी को दिया है।            

पिछले चुनाव तक हो यह रहा था कि वोटर जिस उम्मीदवार से पैसा लेता था उसके आदमी के साथ वोट गिराने जाता था यह कह कर के की मैं साक्षर नहीं हूं और मुझे वोटिंग करने के लिए एक सहयोगी की जरूरत है इस आड़ में बड़ा खेल होता था जो प्रत्याशी जिस वोटर का वोट खरीदता था उसके साथ अपने एक सहयोगी को लगा देता था और वो सहयोगी वोट पर  वरीयता  के अनुसार चिन्ह लगाकर  डाल देता था लेकिन इस बार आयोग पहले ही सतर्क है। 

1—बिहार विधान परिषद के स्थानीय निकाय प्राधिकार निर्वाचन चुनाव में कौन कौन होते हैं वोटर हालांकि इस बार स्थानीय निकाय प्राधिकार निर्वाचन चुनाव के वोटर के रूप में पंच और सरपंच को भी जोड़ने की वकालत राजनीतिक दलों द्वारा किया गया लेकिन अब लगता नहीं है कि उनका नाम शामिल किया जाएगा क्योंकि आयोग मतदाता सूची को अंतिम रूप देने जा रही है।इस तरह इस बार भी मुखिया, वार्ड सदस्य, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य सदस्य ही स्थानीय निकाय प्राधिकरण के उम्मीदवार को वोट करेंगे राज्य में मुखिया 8387, वार्ड सदस्य के 1,14,667और पंचायत समिति सदस्य 11,491 और जिला परिषद सदस्य के 1161 है सदस्य है जो 24 स्थानीय निकाय प्राधिकरण के द्वारा विधान परिषद सदस्य का चुनाव करेंगे।

2—दस हजार दे एक वोट ले
इस बार के चुनाव में जो भी पंचायत प्रतिनिधि चुनाव जीत कर आये हैं उनमें से अधिकांश लाखों में खर्च किये हैं पिछले चुनाव तक वार्ड सदस्य के पद पर चुनाव लड़ने वाला दूर दूर तक दिखायी नहीं दे रहे थे, मुखिया ढूंढ ढूंढ कर प्रत्याशी लाते थे फिर भी वार्ड सदस्यों का हजारों पद रिक्त रह जाता था ।

लेकिन हर घर जल योजना को वार्ड सदस्य के साथ जोड़ने के कारण इस बार मुखिया से ज्यादा वार्ड सदस्य के लिए मारामारी रहा है  एक एक वार्ड सदस्य चुनाव जीतने के लिए लाखों में खर्च किये हैं और यही वजह है कि विधान परिषद  चुनाव की घोषणा से पहले ही वार्ड सदस्य अपनी कीमत घोषित कर दिया है दूसरी वजह यह है कि इस बार हर जिले में शराब माफिया ,जमीन का अवैध कारोबारी और ठेकेदार जैसे मिडिल ऑर्डर के उम्मीदवार पहले से मैदान में मौजूद हैं जो शुरुआत में ही एक वोट की कीमत पांच हजार से सात हजार रुपया तक  तय कर दिया है उत्तर बिहार के एक जिले में तो एक वोट की कीमत पचास हजार रुपया तक चला गया है वही समस्तीपुर में एक उम्मीदवार ऐसा है  पत्नी मुखिया है बहन प्रखंड प्रमुख भाभी जिला परिषद अध्यक्ष और खुद विधान परिषद का चुनाव लड़ने जा रहा है ये स्थिति है ।                            

 पंचायत चुनाव लिमिटेड कंपनी की तरह काम कर रहा है कितना निवेश करना है और कितना आ सकता है इसको लेकर जिला की योजनाओं पर काम करने वाला ठेकेदार सलाहकार बना हुआ है ।             

 बिहार के राजनीतिक दल भी इस चुनाव को एक तरह का लॉटरी ही मान रहा है और वो भी तय नहीं कर पा रहा है कि एक टिकट के बदले उम्मीदवारों से कितना पैसा लिया जाये अभी तक तीन करोड़ रुपया अधिकतम बोली सूबे के एक बाहुबली द्वारा लगाया गया है हालांकि पहली बार ऐसा देखा जा रहा है कि बाहुबली और धनबली के मैदान में आने से राजनीतिक दल पेशोपेश में है वही कई पूर्व विधान पार्षद चुनाव लड़ने से हाथ खड़ा कर दिया है  2015 के चुनाव में औरंगाबाद स्थानीय प्राधिकार से विधान परिषद के लिए चुने गए राजन कुमार सिंह इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे बातचीत में स्वीकार किया कि जिस तरीके से वोटिंग ट्रेंड दिख रहा है ऐसे में चुनाव लड़ना मुश्किल है,वही बातचीत में कई पूर्व विधान पार्षद भी चुनाव लड़ने के मूड में नहीं दिख रहा है ।

बिहार में शराब, शराब माफिया और पुलिस की मिलीभगत से बिक रहा है -हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में शराबबंदी के बाद भी हर दिन बड़ी मात्रा में विभिन्न श्रोतों से लगातार शराब की बरामदगी पर कड़ी टिप्पणी की। जस्टिस संदीप कुमार ने गंगाराम की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी किया कि ये स्थिति क्यों नहीं पुलिस और शराब कारोबारियों के बीच मिलीभगत माना जाए।

कोर्ट ने सरकार की कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुते कहा कि कोर्ट यह क्यों नही माने को शराब के अवैध व्यापार का नेटवर्क चलाने वाले माफिया का पुलिस के साथ साठगांठ है ?

कोर्ट ने उत्पाद आयुक्त सह आई जी,उत्पाद अधिकारियों और पुलिस के अधिकारियों से जवाब तलब किया हैं।कोर्ट ने ये भी बताने को कहा कि अब तक राज्य में शराबबंदी में कितने आपूर्तिकर्ता या माफिया को पकड़ा गया और क्या कार्रवाई की गई है ।

हाई कोर्ट ने कहा कि करीब एक साल पुराने मामले में आरोपी अग्रिम जमानत मांग रहा है। पुलिस इसे नही पकड़ पाई है ,तो उन माफियाओं न जाने कितने साल से नही पकड़ पा रही होगी ,जिनके व्यापारिक नेटवर्क के जरिये शराब का अवैध व्यापार होता है।

इस अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए एपीपी झारखंडी उपाध्याय ने कोर्ट को बताया कि पुलिस सेशल टास्क फोर्स गठित कर शराबबंदी को तोड़ने वालों पर लगाम लगा रही है ।

मामले की अगली सुनवाई एक हफ्ते बाद होगी ।

हाईकोर्ट से लॉ कॉलेज के छात्रों को मिलीं राहत

पटना हाईकोर्ट ने बीसीआई के अनुमति /अनापत्ति प्रमाण पत्र के आलोक में सिर्फ 2021-22 की सत्र के लिए 17 लॉ कॉलेजों में दाखिले के लिए मंजूरी दी है। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने कुणाल कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई की।इन कालेजों में पटना स्थित चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी , पटना लॉ कॉलेज , कॉलेज ऑफ कॉमर्स , सहित
आरपीएस लॉ कॉलेज , के के लॉ कॉलेज बिहारशरीफ नालन्दा , जुबली लॉ कॉलेज और रघुनाथ पांडे लॉ कॉलेज मुजफ्फरफुर सहित अन्य लॉ कॉलेज हैं, जिनका नाम 17 कॉलेजों / विश्वविद्यालय के इस सूची में शामिल है ।

हाई कोर्ट ने , 23 मार्च 2021 के उस आदेश , जिसके अंतर्गत बिहार के सभी 27 सरकारी व निजी लॉ कॉलेजों में नए दाखिले पर रोक लगा दी गयी थी। इस आदेश में कोर्ट ने आंशिक संशोधन करते हुए इन 17 कॉलेजों में सशर्त दाखिले की मंजूरी दे दी । हाई कोर्ट ने साफ किया कि नया दाखिला सिर्फ 2021-22 के लिए ही होगा। अगले साल के सत्र के लिए बार काउंसिल से फिर मंजूरी लेनी होगी ।

पिछली सुनवाइयों में कोर्ट ने इन कालेजों का निरीक्षण कर बार काउंसिल ऑफ इंडिया को तीन सप्ताह में रिपोर्ट देने का आदेश दिया था।कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि जिन लॉ कालेजों को पढ़ाई जारी करने की अनुमति दी गई थी, वहां की व्यवस्था और उपलब्ध सुविधाओं को भी देखा जाए।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया को यह भी देखना था कि विधि शिक्षा,2008 के नियमों का इन शिक्षण संस्थानों में पालन किया जा रहा है या नहीं।साथ ही इन लॉ कालेजों में पुनः पढ़ाई जारी करने की अनुमति देते हुए नियमों में बार काउंसिल ऑफ इंडिया किसी तरह की ढील नहीं देगी।

कोर्ट के आज के इस आदेश से लॉ कॉलेज में नामांकन के लिए इंतजार कर रहे छात्रों को काफी राहत मिलेगी।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार, राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से अधिवक्ता विश्वजीत कुमार मिश्रा ने सुनवाई के दौरान पक्षों को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया।

पटना मुजफ्फरपुर फोरलेन अतिक्रमण मुक्त करे प्रशासन

पटना हाई कोर्ट ने राज्य के विभिन्न नेशनल हाईवे के निर्माण व रखरखाव के मामले पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ के समक्ष इन मामलों पर सुनवाई के दौरान हाजीपुर – मुजफ्फरपुर एन एच – 77 के मामले में डी एम, वैशाली ने हलफनामा दायर किया।

कोर्ट को इसमें बताया गया है कि रामाशीष चौक से अतिक्रमण पूरी तरह से हटा दिया गया है। साथ ही बस स्टैंड को शिफ्ट करने के लिए नगर परिषद को लिखा गया था, किन्तु दो बार टेंडर निकालने के बावजूद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ। इसलिए राज्य सरकार के नगर विकास विभाग को जमीन अधिग्रहण करने हेतु लिखा गया है।

यह भी बताया गया कि है पहले भी अतिक्रमण हटा दिया गया था, लेकिन एन एच ए आई द्वारा निर्माण नहीं किये जाने की वजह से दोबारा अतिक्रमण हो गया था।

पुलिस अधीक्षक ने यह भी आदेश देकर पुलिस बल को तैनात कर दिया है कि रामाशीष चौक से बी एस एन एल गोलंबर तक किसी तरह की पार्किंग नहीं की जाएगी। इस मामले पर एक सप्ताह बाद फिर सुनवाई होगी।

साथ ही मुंगेर से मिर्जा चौकी एन एच मामले पर भी सुनवाई हुई। यह दो जिलों मुंगेर और भागलपुर से होकर गुजरता है।लेकिन गंगा के किनारे स्थित होने की वजह से हर साल बाढ़ के पानी में बह जाता है।

इसलिए, बिहार सरकार के आग्रह पर भारत सरकार के सड़क व परिवहन मंत्रालय ने कंक्रीट रोड के निर्माण के लिए टेंडर निकाला है, जो कि महीने के अंत तक फाइनल हो जाएगा।

तब तक राज्य सरकार के सड़क निर्माण विभाग को इसे चलने लायक बनाने के लिए 10 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है।वहीं एन एच – 80 मुंगेर से मिर्जा चौकी तक वर्तमान सड़क के समानांतर ही ग्रीन फील्ड कॉरिडोर बनाया जाना है।

इसको लेकर एन एच ए आई द्वारा पैसा जमा करने, जमीन अधिग्रहण की स्थिति, क्षतिपूर्ति की राशि के बटवारे व कब्जा सौपने के संबंध में हलफनामा दायर करने को कहा गया है।
राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने बताया कि इसके अलावा महेश खुट- सहरसा- पूर्णिया सेक्शन पॉकेट – 1, एन एच – 107 जल्द से जल्द पूरा करने में आने वाले अड़चनों को हटाने का आदेश जिला प्रशासन को दिया गया है।

इस मामलें आगे भी सुनवाई होगी।

पटना हाईकोर्ट ने फर्जी बीएड कॉलेज को बंद कराने का दिया आदेश

पटना हाईकोर्ट ने पूर्वी चंपारण के ढाका अंतर्गत तेलहारा खुर्द गांव के एक मिडिल स्कूल भवन में एक फर्जी बीएड संस्थान चलाने के मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को 48 घण्टे में कार्रवाई कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। विद्या देवी की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की।

इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बी आर अम्बेडकर विश्वविद्यालय से जवाबतलब करते हुए बताने को कहा कि ऐसे मामले में इस बीएड कॉलेज को कैसे मान्यता दे दी गयी।

इस मामले की पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने एडवोकेट इति सुमन को अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त करते हुए स्थल का निरीक्षण कर कोर्ट को वस्तुस्थिति की जानकारी देने का अनुरोध किया था ।

आज एडवोकेट इति सुमन ने कोर्ट को रिपोर्ट पेश करते हुए बतलाया कि उक्त गांव में कोई इंजीनियर उपेंद्र शर्मा टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज का कोई भवन नही है । स्थानीय ग्रामीणों ने इस नाम के किसी संस्था होने के बारे में अनभिज्ञता जताई । इस गांव में केवल एक मिडिल स्कूल ही चलता है ।

कोर्ट को याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि ऐसे कागज़ी संस्थान को बी आर अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के कुलसचिव ने , 8 अप्रैल 2021 को कार्यालय आदेश के जरिये मांउट तक दे डाला है । इस फर्जी संस्थान खोलने के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है ।

कोर्ट ने सरकार से इस प्राथमिकी के आलोक में कार्यवाही रिपोर्ट अगली सुनवाई 20 जनवरी तक कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया ।इस मामलें पर अगली सुनवाई 20 जनवरी,2022 को होगी।

कोरोना की लड़ाई में सहायक साबित हो रहा प्रचार माध्यमः मंगल पांडेय

#Covid19 कोरोना की लड़ाई में सहायक साबित हो रहा प्रचार माध्यमः मंगल पांडेय
हैंडबुक, होर्डिंग व 104 हेल्पलाइन के जरिये लोगों को किया जा रहा जागरूक
पटना। स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने कहा कि राज्य में कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए विभाग द्वारा निरंतर आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। इस क्रम में स्वास्थ्य महकमा विभिन्न स्तरों पर लोगों को जागरूक कर इस महामारी से लड़ने की सीख दे रहा है। कोरोना से बचाव में जागरुकता सबसे बड़ा हथियार है। लोग जागरूक होंगे, तो महामारी के असर को कम किया जा सकता है। इसलिए विभाग विभिन्न प्रचार माध्यमों के जरिये कोरोना से बचाव को लेकर जागरूक कर रहा है।

श्री पांडेय ने कहा कि राजधानी में विभिन्न अखबारों के हॉकरां के जरिये कोरोना की जानकारी व बचाव संबंधी 8 पन्ने का एक हैंडबुक बांटा गया है। इस हैंडबुक में कोरोना के नए वेरिएंट की तमाम जानकारियां व उसके माइल्ड लक्षण से लड़ने की पूरी जानकारी दी गयी है। वहीं विभिन्न अखबारों के जरिये प्रदेशभर में अखबार में दिए जा रहे विज्ञापनों के जरिये लोगों को कोरोना संबंधी अहम जानकारियां मुहैया करवायी जा रही है। अखबारों में मास्क पहनने से लेकर कोविड टीकाकरण लेने तक के लिए अपील की गयी है। साथ ही प्रदेश कि विभिन्न जिलों के लिए हेल्पलाइन नंबर के भी विज्ञापन जारी किए गये हैं, ताकि लोगों को जानकारियां हासिल करने में सहुलियत हो। अखबारों के माध्यम से 15 से 18 वर्ष के किशोर, किशोरी को कोविड लगवाने की अपील की गयी है। विज्ञापनों के जरिये अस्पतालों की सुविधाएं व निजी अस्पतालों में तय दर की जानकारियां भी दी गयी।

श्री पांडेय ने कहा कि राज्य सरकार ने राजधानी समेत अन्य जिलों में होर्डिंग के माध्यमों से लोगों को जागरूक और सतर्क किया जा रहा है। कोरोना से बचाव और उपचार से संबंधित राज्यस्तरीय हेल्पलाइन नंबर 104 भी कोरोना की लड़ाई में कारगर साबित हो रहा है। होर्डिंग के जरिये सराकरी हेल्पलाइन 104 की जानकारी भी दी गयी, जिसमें प्रतिदिन लोग फोन कर कोरोना संबंधी सलाह ले रहे हैं। इस नंबर पर कोविड के गाईडलाइन की जानकारी दी जा रही है।

साथ ही कोविड के नए वेरिएंट के बारे में भी बताया जा रहा है। एक सप्ताह के आंकड़ों पर गौर करें तो 6 जनवरी को 1240, 7 जनवरी को 1290, 8 को 1367, 9 को 1455, 10 को 1570, 11 को 1684, 12 को 1710, 13 को 1216, 14 को 1150, 15 को 1265, 16 को 1354 और 17 जनवरी को 1270 काल आए हैं। हेल्पलाइन नंबर के जरिये कोविड के लिए मेडिकल किट बांटने की प्रक्रिया में भी मदद मिल रही है। हेल्थ एडवाइजर अफसर लोगों की समस्या सुनते हैं। यदि किसी को चिकित्सीय परामर्श चाहिए तो उन्हें चिकित्सक से भी कॉल के जरिये बात करवाया जा रहा है।

हर घर नल का जल योजना में हुई गडबड़ी की जांच कर कार्रवाई करने को लेकर पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर

राज्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा प्रारम्भ किये गए हर घर नल का जल योजना में हुई गडबड़ी और बरती गई अनियमितताओं की जांच कर कार्रवाई करने के लिए पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर किया गया है।ये जनहित याचिका पूर्णियां के संजय मेहता ने दायर किया हैं।इस जनहित याचिका को अधिवक्ता अलका वर्मा और मीरा कुमारी ने संजय मेहता की ओर कोर्ट में दायर किया हैं।

इस जनहित में राज्य के मुख्य सचिव समेत अन्य सम्बंधित अधिकारियों को पार्टी बनाया गया हैं।इस जनहित याचिका में ये कहा गया है कि इस योजना में अनियमितताएं बरतने वाले के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।
साथ ही इस हर घर नल का जल योजना का कार्यान्वयन सही ढंग से किया जाए।यह आम जनता के हितों के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की काफी महत्वपूर्ण योजना हैं।

शुद्ध पेय जल आम लोगों की बुनियादी आवश्यकता हैं।इसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुई हैं और अनियमितताएं बरती गई हैं।
पूर्णियां,सहरसा,अररिया,सुपौल,किशनगंज,मधेपुरा व राज्य के अन्य जिलों में शुद्ध पेय जल, विशेषकर गर्मी के दिनों में, आम जनता को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं।

इस महत्वपूर्ण जनहित योजना में भ्रष्ट्राचार और अनियमितता बरता जाना गंभीर अपराध हैं।इसकी पूरी जांच स्वतन्त्र एजेंसी से करा कर दोषियों को दंड देने की कार्रवाई की जाए।

सात निश्चय योजना के अंतर्गत हर घर नल का जल योजना में सिकटी विधानसभा क्षेत्र में काफी गड़बड़ियां हुई।विधायक विजय कुमार मंडल ने डी एम, अररिया को आवेदन दे कर बताया गया कि जलापूर्ति के लिए घटिया पाइप लगाया गया।
साथ ही सही गहराई में पाइप नहीं लगाया गया।इस कारण जहां आए दिन पाइप फटता रहता है, वहीं सड़क भी क्षतिग्रस्त होता रहा हैं।

इस सम्बन्ध में सम्बंधित मंत्री और अधिकारियों को भी पत्र के जरिये सूचना दी गई थी।

बीजेपी और जदयू में रार जारी सम्राट अशोक के बहाने जदयू ने फिर बीजेपी को लिया निशाने पर

बीजेपी और जदयू में रार थमने का नाम नहीं ले रहा है कल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने फेसबुक पोस्ट कर जदयू नेता उपेन्द्र कुशवाहा पर सीधा हमला बोला था आज उसका जबाव देते हुए उपेन्द्र कुशवाहा ने प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल को पत्र लिखा है

डॉ. जायसवाल ने सोमवार को अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए कहा कि चलिए, माननीय जी को समझ आया कि राजग गठबंधन का निर्णय केंद्र द्वारा है और बिल्कुल मजबूत है इसलिए हम सभी को साथ चलना है। फिर मुझे और केंद्रीय नेतृत्व को टैग कर प्रश्न क्यों किया जाता है। मर्यादा की पहली शर्त है कि देश के प्रधानमंत्री से ट्विटर-ट्विटर ना खेलें। मुझे पूरा विश्वास है कि भविष्य में हम सब इसका ध्यान रखेंगे। उन्होंने जदयू राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह व संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा को इंगित करते हुए कहा कि आप सब बड़े नेता हैं। एक बिहार में एवं दूसरे केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। फिर इस तरह की बात कहना कि राष्ट्रपति जी द्वारा दिए गए पुरस्कार को प्रधानमंत्री वापस लें, से ज्यादा बकवास हो ही नहीं सकता।
उपेन्‍द्र कुशवाहा ने लिखा खुला पत्र

जदयू संसदीय दल के अध्यक्ष सह विधान पार्षद उपेन्द्र कुशवाहा ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल को खुला पत्र लिखकर जवाब दिया है। कहा कि गठबंधन के सन्दर्भ में और सम्राट अशोक वाले मुद्दे पर आपका बयान देखा। गठबंधन के सन्दर्भ में दिए गए आपके वक्तव्य से मैं पूरी तरह सहमत हूं।

कहा कि गठबंधन ठीक तरह से चले, यह राज्यहित में आवश्यक है और इसे जारी रखना हमारा- आपका कर्तव्य है। लेकिन, सम्राट अशोक वाले मुद्दे पर हम आपकी राय से सहमत नहीं हो सकते, क्योंकि इस सन्दर्भ में आपका वक्तव्य पूर्णत: गोल-मटोल और भटकाव पैदा करने वाला है।

जदयू नेता ने कहा कि आपने लिखा है कि आपकी पार्टी भारतीय राजाओं के स्वर्णिम इतिहास में कोई छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकती। मेरा सवाल है कि आप दया प्रसाद सिन्हा द्वारा घोर व अमर्यादित भाषा में सम्राट अशोक की औरंगजेब से की गई तुलना को इतिहास में छेड़छाड़ मानते हैं या नहीं। राष्ट्रपति द्वारा दिए गए पुरस्कार की वापसी की मांग प्रधानमंत्री से करना बकवास है।

नीतीश प्लान बी पर बढ़े आगे

नीतीश प्लान बी पर आगे बढ़े

बिहार में भाजपा और जदयू का रिश्ता बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है कभी कभी भी तलाक की घोषणा हो सकती है तैयारी दोनों ओर से चल रही है कहां ये जा रहा है कि लालू प्रसाद नीतीश कुमार से गठबंधन को तैयार है लेकिन तेजस्वी तैयार नहीं है ।तेलंगाना सीएम के॰ चंद्रशेखर राव से तेजस्वी की मुलाकात लालू के पहल पर हुई है क्यों कि 2005 में जब चंद्रशेखर राव दिल्ली में मंत्री थे उस वक्त लालू प्रसाद और चन्द्रशेखर का बंगला अगल बगल था और दोनों के बीच परिवारिक रिश्ता था उसी रिश्ते के सहारे लालू प्रसाद चंद्रशेखर राव से तेजस्वी से बात करने का आग्रह किया था । चंद्रशेखर राव की तेजस्वी से मुलाकात उसी की एक कड़ी है कहा ये जा रहा है कि राष्ट्रीय राजनीति के परिप्रेक्ष्य में नीतीश से गठबंधन क्यों जरुर है इस पर लम्बी बातचीत हुई है हालांकि बात अभी बनी नहीं है लेकिन चर्चा बड़ी गम्भीरता से चल रही है ।

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग का जदयू के खिलाफ चुनाव लड़ना फिर मंत्रिमंडल में सुशील मोदी का शामिल नहीं होना और बाद में बिहार बीजेपी के संगठन महामंत्री नागेन्द्र जी को दरकिनार करना यह समझने के लिए काफी था कि नीतीश कुमार को इस बार बीजेपी फ्री हैंड देने को तैयार नहीं है इसी को ध्यान में रखते हुए नीतीश कुमार भी सरकार के गठन के दिन से ही पार्टी को मजबूत करने के साथ साथ नये गठबंधन की तलाश शुरु कर दिये थे उसी कड़ी में जातीय जनगणना को लेकर बीजेपी की घेराबंदी शुरु किये हैं। वैसे लालू प्रसाद से उपेन्द्र कुशवाहा और हाल के दिनों में ललन सिंह की भी मुलाकात हुई है अंदर खाने में बातचीत चल रही है लेकिन जदयू को उम्मीद थी कि यूपी चुनाव के परिणाम आने तक सब कुछ शांत रहेगा लेकिन चुनाव से पहले ही जिस अंदाज में बीजेपी हमलावर हुआ है उससे जदयू थोड़ा असहज जरूर महसूस कर रहा है क्यों कि जदयू वामपंथी और कांग्रेस को इस गठबंधन में मजबूती के साथ साथ रखना चाह रही है और अभी ये सम्भव नहीं दिख रहा है इसलिए नीतीश जल्दबाजी करना नहीं चाह रहे हैं।

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि एक और जहां यूपी में बीजेपी पर पिछड़ा विरोधी होने का आरोप लग रहा है ऐसे में नीतीश की सरकार को अस्थिर करना राजनीति की समझ रखने वाले भी हैरान है क्यों कि अगर नीतीश अस्थिर होते हैं तो उसका असर यूपी के चुनाव पड़ भी पड़ेगा यह तय है ऐसे में एक जनवरी को पीएम मोदी बीजेपी नेता राजेंद्र सिंह के ट्विटर को फॉलो करना शुरू करते हैं और 10 दिनों बाद ही जदयू के एक साधारण प्रवक्ता के बयान पर जिस तरीके से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बिफरे वो भी हैरान करने वाली बात है , इसका मतलब है कि मोदी और शाह भी बिहार को लेकर शीघ्र निर्णय लेने के मूड में है। वैसे विवाद का तात्कालिक कारण डीएम और एसपी की पोस्टिंग में संघ और पार्टी की सूची को नजरअंदाज करना है जहां तक मुझे जानकारी मिली है विजय निकेतन,संजय जायसवाल और नित्यानंद राय की और से अधिकारियों की एक सूची चंचल कुमार को दिया गया था लेकिन उनमें से अधिकांश अधिकारियों की पोस्टिंग नहीं हुई इतना ही नहीं नित्यानंद राय और संजय जायसवाल ने समस्तीपुर,मोतिहारी और बेतिया में जिन अधिकारियों की पोस्टिंग करने कि इच्छा व्यक्त कि थी उसको भी सीएम हाउस ने नजरअंदाज कर दिया ।

संजय जायसवाल के गुस्सा की एक वजह ये भी मानी जा रही है वैसे संघ की एक महत्वपूर्ण बैठक संघ कार्यालय में 19 से 21 जनवरी के बीच होनी है जिसमें इन मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हो सकती है क्यों कि संघ इस बात को लेकर नाराज है कि सरकार में रहने के बावजूद पार्टी का कार्यकर्ता उपेक्षित है सही काम भी नहीं हो रहा है इस वजह से बीजेपी का कोर वोटर बीजेपी से दूर होता जा रहा है । पिछली बैठक में नीतीश के शासन काल में कितने व्यवसायी की हत्या हुई है इसकी सूची संघ ने उप मुख्यमंत्री तारकिशोर और संजय जायसवाल को सौंपा था और कहां था कि ये क्या हो रहा है जब आपके राज्य में भी व्यापारी सुरक्षित नहीं है तो फिर सरकार का क्या मतलब है। देखिए आगे आगे होता है क्या लेकिन गठबंधन में गांठ पड़ गयी है यह तो साफ दिखने लगा है ।