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पटना हाइकोर्ट ने लोहार जाति को जाति आधारित गणना में अलग से जाति कोड जारी करने के मामले में बिहार सरकार से जबाब तलब करते हुए 20 जून,2023 तक जवाब देने की मोहलत दी है

पटना हाइकोर्ट ने लोहार जाति को जाति आधारित गणना में अलग से जाति कोड जारी करने के मामले में राज्य सरकार से जबाब तलब किया है। चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने राधेश्याम ठाकुर की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य सरकार को 20 जून,2023 तक जवाब देने का मोहलत दी है।

याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया कि लोहार जाति को कमार जाति के साथ रखा गया है, जबकि राज्य में कमार जाति नहीं के बराबर है।

उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने भी बिहार में लोहार जाति होने की बात मानी है। उनका कहना था कि बिहार सरकार ने जाति सर्वेक्षण के दूसरे चरण के लिए गत पहली मार्च को अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत जाति सर्वेक्षण का दूसरा चरण का काम 15 अप्रैल से शुरू कर 15 मई तक पूरा करना है।

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लेकिन राज्य सरकार की ओर से जारी जाति कोड में लोहार जाति के लिए कोई कोड निर्धारित नहीं किया गया है। लोहार जाति को कमार जाति के साथ रखा गया है।

उनका कहना था कि 1941 की जनगणना में लोहार जाति को अलग जाति के रूप में मान्यता दी गई थी। लेकिन इस जातिय जनगणना में इस जाति को अपना जाति कोड नहीं दिया गया,जबकि राज्य में लोहार जाति सबसे कमजोर जातियों में से एक है।

इसी कारण राज्य सरकार ने 2016 में लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति के रूप में शामिल करने की सिफारिश केंद्र से की थी।लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 342 का हवाला देते हुए लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति में रखने के सरकारी अधिसूचना को निरस्त कर दिया था।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 20 जून, 2023 को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने HIV मरीजों के लिये “ओआई“(ऑपोर्ट्यूनिस्टिक इन्फेक्शन) मेडिसिन की उपलब्धता के मामले पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार एवं बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी को 3 सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है

पटना हाई कोर्ट ने एचआईवी मरीजों के लिये “ओआई“(ऑपोर्ट्यूनिस्टिक इन्फेक्शन) मेडिसिन की उपलब्धता के मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार एवं बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी को तीन सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है । चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने वीरांगना सिंह की लोकहित याचिका पर सुनवाई की ।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विकास कुमार पंकज ने कोर्ट को बताया कि एचआईवी मरीजों के लिये राज्य के एआरटी सेंटरों में दवा उपलब्ध नहीं रहती है । इन दवाओं के अभाव में मरीज़ों का उपचार नहीं हो पा रहा है , जबकि इन दवाओं को उपलब्ध कराना राज्य सरकार का कर्तव्य है।

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एचआईवी मरीजों के लिए दवा उपलब्ध नहीं होने से मरीजों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है ।इस पर खंडपीठ ने एआरटी सेंटर पर दवाओं की उपलब्धता, एचआईवी रोगियों के निबंधन एवं उनके इलाज से संबंध में जानकारी माँगी है ।

इस मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी ।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी मेडिकल कालेजों समेत ज़िला अस्पतालों में वेंटीलेटर,एमआरआई मशीन,सिटी स्कैन जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को 4 सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी मेडिकल कालेजों समेत ज़िला अस्पतालों में वेंटीलेटर,एमआरआई मशीन,सिटी स्कैन जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर सुनवाई की।चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने रणजीत पंडित की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया राज्य के बहुत सारे प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रो के अपने भवन नहीं है।इसके लिए राज्य सरकार को भूमि उपलब्ध करा कर अपने भवन प्राथमिक चिकित्सा केंद्र हेतु बनाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य के सभी नौ सरकारी मेडिकल कालेजों में जो सिटी स्कैन मशीन लगाए गए हैं, वे पीपीपी मोड पर लगाए गए है।इन्हें मेडिकल कॉउन्सिल ऑफ इंडिया मान्यता नहीं देता है।

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इसी तरह से राज्य के पाँच मेडिकल कालेजों में एमआरआई मशीन लगाया है, जो कि पीपीपी मोड पर लगाया गया कि।उन्होंने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के बार बार आदेश देने बाद भी सिटी स्कैन और एमआरआई मशीन नहीं लगाया गया।

कोर्ट के 3 अगस्त,2022 के आदेश के छह महीने पूरा होने के बाद भी इन्हें अस्पतालों में अबतक नहीं लगाया गया है।इस जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता दीनू कुमार और अधिवक्ता रितिका रानी ने याचिकाकर्ता की ओर से और एडवोकेट जनरल ने राज्य सरकार की ओर से पक्षों को प्रस्तुत किया।

इस मामलें पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट में पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार द्वारा हलफनामा पर गहरा असंतोष जाहिर किया

पटना हाईकोर्ट में पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार द्वारा हलफनामा पर गहरा असंतोष जाहिर किया।जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ द्वारा इस मामलें पर सुनवाई की जा रही है। कोर्ट ने अगली सुनवाई में एडवोकेट जनरल को स्वयम कोर्ट में पक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

आज जो राज्य सरकार की ओर से जो हलफनामा दायर किया गया, उस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए जानना चाहा कि अबतक जांच में क्या हुआ।राज्य सरकार के हलफनामा में ये कहा गया कि कोर्ट द्वारा इस सम्बन्ध में पुनः जांच का कोई आदेश नहीं दिया गया है।जैसे ही कुछ नए सबूत या तथ्य प्राप्त होंगे ,तो कार्रवाई की जाएगी।

कोर्ट ने कहा कि ये सही ढंग से कार्रवाई नहीं हो रही है।इसके लिए एडवोकेट जनरल खुद स्थितियों से अगली सुनवाई में कोर्ट को अवगत कराए।

अधिवक्ता अलका वर्मा ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि राज्य में आफ्टर केअर होम और उनमें रहने वाली लड़कियों की दयनीय अवस्था है।उनका हर तरह से शोषण किया जाता है।लेकिन राज्य सरकार द्वारा न तो मामलें की ढंग से जांच की जा रही है और न प्रभावी कार्रवाई की जा रही है।

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उन्होंने कोर्ट को बताया कि मामलें की जांच तो जरूरी है,लेकिन जो इन आफ्टर केअर होम की व्यवस्था भी अपंग हो चुकी।इसमें वहां रहने वाली महिलाओं की सुविधाओं का कोई ख्याल नहीं रखा जाता है।इससे उनकी स्थिति लगातार खराब हो रही है।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट में एस एस पी, पटना और एस आई टी जांच टीम का नेतृत्व करने वाली सचिवालय एएसपी काम्या मिश्रा भी कोर्ट में उपस्थित हो कर तथ्यों की जानकारी दी थी।

इससे पहले अधिवक्ता मीनू कुमारी ने बताया था कि कोर्ट अब तक एस आई टी द्वारा किये गए जांच और कार्रवाई के सम्बन्ध में सम्बंधित अधिकारी से जानकारी प्राप्त करना चाहता था।उन्होंने जानकारी दी थी कि आफ्टर केअर होम में रहने वाली महिलाओं की स्थिति काफी खराब है।

पटना हाई कोर्ट ने इस याचिका को पटना हाई कोर्ट जुवेनाइल जस्टिस मोनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया था। कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार चेयरमैन थे, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य के रूप में थे।

इस मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी।

नीतीश कुमार की यात्राएँ सिर्फ फोटो सेशन और राजनीतिक पर्यटन: सुशील कुमार मोदी

पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि केवल चर्चा में बने रहने के लिए नीतीश कुमार एक ऐसे समय में विपक्षी एकता का प्रयास करते दिखते रहने चाहते हैं, जब शरद पवार अडाणी मुद्दे की हवा निकाल चुके हैं और यहाँ तक कह चुके कि महाराष्ट्र में महाअघाड़ी गठबंधन के कल का कोई ठिकाना नहीं है।

  • शरद पवार पहले ही निकाल चुके अडाणी मुद्दे की हवा
  • पश्चिम बंगाल में भाजपा शून्य से 64 विधायकों, 18 सांसदों की पार्टी बनी
  • क्या बंगाल में कांग्रेस, माकपा और टीएमसी एक मंच पर आ सकते हैं?
  • यूपी में सपा-कांग्रेस, बुआ-बबुआ मिल कर भी नहीं जीत पाए

श्री मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार की दिल्ली, कोलकाता या लखनऊ की यात्रा राजनीतिक पर्यटन और फोटो सेशन के सिवा कुछ नहीं है।

उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में भाजपा शून्य से 64 विधायकों और 18 सांसदों की पार्टी बन गई। अब नीतीश कुमार क्या बंगाल में कांग्रेस, माकपा और टीएमसी को एक मंच पर ला सकते हैं?

sushil modi vs nitish kumar

श्री मोदी ने कहा कि बिहार में टीएमसी नहीं और बंगाल में जब जदयू- राजद का कोई जनाधार नहीं है, तब नीतीश-ममता एक-दूसरे की क्या मदद कर सकते हैं? वे सिर्फ साथ में चाय पी सकते हैं और बयान दे सकते हैं।

उन्होंने कहा कि यूपी में एक बार दो लड़के ( राहुल-अखिलेश) मिलकर भाजपा को हराने में विफल रहे तो दूसरी बार बुआ-बबुआ ( बसपा-सपा) मिल कर लड़े। दोनों बार एकजुट विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के सामने टिक नहीं पाया।

श्री मोदी ने कहा कि 2019 के संसदीय चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश की 80 में से 62 सीटें मिलीं, जबकि सपा मात्र 03 सीट पा सकी। बसपा को 10 सीट मिली, लेकिन चुनाव बाद बुआ ने बबुआ का साथ छोड़ दिया। क्या नीतीश कुमार काठ की यही जली हुई हांडी फिर से आग पर चढा पाएँगे?

उन्होंने कि आज के हालात न 1977 जैसे हैं, न भाजपा-विरोध के अलावा कोई राष्ट्रीय मुद्दा है और न विपक्ष के पास कोई सर्वमान्य नेता है।

श्री मोदी ने कहा कि यदि समय काटने के लिए कोई मेढक तौलने का मजा लेना चाहता है, तो उसे कोई नहीं रोक सकता।

लोकसभा 2024 में BJP का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों को मिलकर रणनीति बनाने की जरूरत : CM नीतीश-ममता मुलाकात

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की। विपक्षी दल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए BJP के खिलाफ एकजुट हो, दलों को एक करने में नीतीश कुमार अहम भूमिका निभा रहे हैं । बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी इस बैठक में मौजूद रहे।

राज्य सचिवालय नबन्ना में बैठक के बाद नीतीश कुमार ने कहा, ‘यह एक बहुत ही सकारात्मक चर्चा थी, विपक्षी दलों को एक साथ बैठने और रणनीति बनाने की जरूरत है’। ममता बनर्जी यह कहते हुए बैठक से बाहर निकलीं, ”हमें यह संदेश देना है कि हम सब एक साथ हैं।”

इस बैठक के बाद ममता बनर्जी ने कहा कि मैंने नीतीश जी से यही अनुरोध किया है कि जयप्रकाश जी का आंदोलन बिहार से हुआ था तो हम भी बिहार में ऑल पार्टी मीटिंग करें। हमें एक संदेश देना है कि हम सभी एक साथ हैं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बिहार के CM नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ आज संक्षिप्त मुलाकात के बाद कहा कि विरोधी दलों के महागठबंधन को लेकर ‘अहंकार’ का कोई टकराव नहीं है । अगले साल होने वाले आम चुनाव जनता बनाम बीजेपी का होगा।

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नीतीश कुमार ने दावा किया, “भारत के विकास के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है, जो सत्ताधारी हैं, वे केवल अपने विज्ञापन में रुचि रखते हैं।” विपक्षी नेता बढ़ती बेरोजगारी, रुपये के गिरते मूल्य और बढ़ती कीमतों के साथ-साथ सरकारी विज्ञापनों पर खर्च की आलोचना करते रहे हैं।

CM नीतीश कुमार ने कहा कि जो सत्ता में हैं वे सिर्फ अपनी चर्चा करते हैं और कुछ नहीं, ये आजादी की लड़ाई है, हमे अलर्ट रहना है. ये लोग इतिहास बदल रहे हैं। अब पता नहीं, ये इतिहास बदल देंगे या क्या कर देंगे? सभी को सतर्क होना है इसलिए हम सभी के साथ बातचीत कर रहे हैं। हमारे बीच बहुत अच्छी बात हुई है, आवश्यकता अनुसार हम भविष्य में अन्य पार्टियों को साथ में लाकर बातचीत करेंगे। ममता जी के साथ बेहद सकारात्मक बातचीत हुई।

Patna High Court News : बिहार में निबंधित और योग्य फार्मासिस्ट के पर्याप्त संख्या नहीं होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले असर के मामले पर सुनवाई 3 जुलाई,2023 को की जाएगी

बिहार में निबंधित और योग्य फार्मासिस्ट के पर्याप्त संख्या नहीं होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले असर के मामले पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई 3 जुलाई,2023 को की जाएगी। चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ इस जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है।

पूर्व की सुनवाई में Patna High Court ने राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आलोक में राज्य सरकार को पुनः जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था।ये जनहित याचिका मुकेश कुमार ने दायर किया है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रशान्त सिन्हा ने Patna High Court को बताया था कि डॉक्टरों द्वारा लिखें गए पर्ची पर निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा दवा नहीं दी जाती है।उन्होंने कोर्ट को बताया था कि बहुत सारे सरकारी अस्पतालों में अनिबंधित नर्स,एएनएम,क्लर्क ही फार्मासिस्ट का कार्य करते है।

वे बिना जानकारी और योग्यता के ही मरीजों को दवा बांटते है।जबकि ये कार्य निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा किया जाना है।उन्होंने कहा कि इस तरह से अधिकारियों द्वारा अनिबंधित नर्स,एएनएम,क्लर्क से काम लेना न केवल सम्बंधित कानून का उल्लंघन है,बल्कि आम आदमी के स्वास्थ्य के साथ खिलबाड़ है।

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#PatnaHighCourt

उन्होंने Patna High Court को बताया कि फार्मेसी एक्ट,1948 के तहत फार्मेसी से सम्बंधित विभिन्न प्रकार के कार्यों के अलग अलग पदों का सृजन किया जाना चाहिए।लेकिन बिहार सरकार ने इस सम्बन्ध में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।इस आम लोगों का स्वास्थ्य और जीवन पर खतरा उत्पन्न हो रहा है।

उन्होंने Patna High Court से अनुरोध किया था कि फार्मेसी एक्ट,1948 के अंतर्गत बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल के क्रियाकलापों और भूमिका की जांच के लिए एक कमिटी गठित की जाए। ये कमिटी कॉउन्सिल की क्रियाकलापों की जांच करें,क्योंकि ये गलत तरीके से जाली डिग्री देती है।

उन्होंने Patna High Court को बताया था कि बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल द्वारा बड़े पैमाने पर फर्जी पंजीकरण किया गया है।राज्य में बड़ी संख्या मे फर्जी फार्मासिस्ट कार्य कर रहे है।इस मामलें पर अगली सुनवाई 3 जुलाई,2023 को की जाएगी।

‘मोदी सरनेम’ मामले में राहुल गाँधी को पटना हाईकोर्ट से बड़ी राहत, निचली अदालत के आदेश पर लगाई रोक

मोदी सरनेम मामलें पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका पर पटना हाइकोर्ट ने सुनवाई की।
कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश पर 15 मई, 2023 तक का रोक लगाते हुए राहुल गांधी को फिलहाल राहत दी।

जस्टिस संदीप कुमार की बेंच ने राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई की।

पटना की निचली अदालत ने उन्हें 12 अप्रैल,2023 को कोर्ट में उपस्थित हो कर अपना पक्ष प्रस्तुत करने को कहा था।

निचली अदालत के उस आदेश के विरुद्ध राहुल गांधी ने आदेश को रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी।

Rahul Gandhi HighCourt

कोर्ट ने उनकी याचिका स्वीकार करते हुए उन्हें राहत दी।अब उन्हें पटना की निचली अदालत में उपस्थित नहीं होना पड़ेगा।

गौरतलब है कि 2019 उन्होंने कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मोदी सरनेम को ले कर टिप्पणी की थी।

इसी मामलें में बिहार के वरिष्ठ बीजेपी नेता और राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने पटना के सिविल कोर्ट में परिवाद पत्र दायर किया था।

इस मामलें में सूरत की कोर्ट ने उन्हें दो वर्षों की सजा सुनाई थी,जिस कारण उन्हें अपनी संसद सदस्यता खोनी पड़ी थी।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 15 मई, 2023 की जाएगी।

बिहार में बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियों के आधार पर नियुक्त शिक्षकों की बहाली मामलें पर सुनवाई करते हुए पटना हाइकोर्ट ने निगरानी विभाग को जांच करने के लिए तीन माह की और मोहलत दी

पटना हाइकोर्ट ने राज्य में बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियों के आधार पर नियुक्त शिक्षकों की बहाली मामलें पर सुनवाई की। रंजीत पंडित की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए निगरानी विभाग को जांच करने के लिए तीन माह की और मोहलत दी।

राज्य सरकार व निगरानी विभाग हलफनामा दायर किया था।उन्होंने कोर्ट को बताया कि 75 हज़ार ऐसे शिक्षक हैं,जिनका फोल्डर नहीं मिल रहा है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह एक समय सीमा निर्धारित करें,जिसके तहत सभी सम्बंधित शिक्षक अपना डिग्री व अन्य कागजात प्रस्तुत करें।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि निर्धारित समय के भीतर कागजात व रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं करने वाले शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट तलब किया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि बड़ी संख्या में जाली डिग्रियों के आधार पर शिक्षक राज्य में काम कर रहे हैं।साथ ही वे वेतन उठा रहे है।

इससे पूर्व कोर्ट ने 2014 के एक आदेश में कहा था कि जो इस तरह की जाली डिग्री के आधार पर राज्य सरकार के तहत शिक्षक है,उन्हें ये अवसर दिया जाता है कि वे खुद अपना इस्तीफा दे दें, तो उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जाएगी।

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26अगस्त,2019 को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि इस आदेश के बाद भी बड़ी संख्या में इस तरह के शिक्षक कार्यरत है और वेतन ले रहे है।

कोर्ट ने मामलें को निगरानी विभाग को जांच के लिए सौंपा था।उन्हें इस तरह के शिक्षकों को ढूंढ निकालने का निर्देश दिया।31जनवरी,2020 के सुनवाई दौरान निगरानी विभाग ने कोर्ट को जानकारी दी कि राज्य सरकार द्वारा इनके सम्बंधित रिकॉर्ड की जांच कर रही है,लेकिन अभी भी एक लाख दस हजार से अधिक शिक्षकों के रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।

साथ ही ये भी पाया गया कि 1316 शिक्षक बिना वैध डिग्री के नियुक्त किये गए।कोर्ट ने इस मामलें को काफी गम्भीरता से लिया।कोर्ट ने सम्बंधित विभागीय सचिव से हलफनामा दायर कर स्थिति का ब्यौरा देने का निर्देश दिया था।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 7 अगस्त,2023 को की जाएगी।

‘दलित विरोधी है बिहार सरकार’ आनंद मोहन की रिहाई के पहले नीतीश सरकार के फैसले पर भड़कीं मायावती

पटना । बिहार में पिछले कुछ दिनों से लगातार सुर्खियों में चर्चित पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ अब आवाज उठने लगे हैं। देशभर के दलित नेताओं के साथ अब मायावती ने भी ट्वीट कर नीतीश कुमार को दलित विरोधी करार दे दिया है।

पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन गोपालगंज के तत्कालीन आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे। अभी आनंद मोहन बेटे चेतन आनंद की शादी को लेकर पैरोल पर बाहर हैं।

आनंद मोहन के समर्थकों की मांग को देखते हुए नीतीश सरकार ने आनंद मोहन की रिहाई के लिए नियम में फेरबदल किया है। सरकार ने बीते 10 अप्रैल को जेल मैनुअल में जरूरी बदलाव किया है। जिसके बाद आनंद मोहन की जेल से रिहाई का रास्ता साफ हो सकता है।

BSP चीफ मायावती ने रविवार को आनंद मोहन मामले में दो ट्वीट किए। इसमें उन्होंने कहा, ‘बिहार की नीतीश सरकार द्वारा, आंध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) महबूबनगर के रहने वाले गरीब दलित समाज से आईएएस बने बेहद ईमानदार जी. कृष्णैया की निर्दयता से की गई हत्या मामले में आनंद मोहन को नियम बदल कर रिहा करने की तैयारी देशभर में दलित विरोधी निगेटिव कारणों से काफी चर्चाओं में है।’

मायावती ने दूसरे ट्वीट में लिखा ‘आनंद मोहन बिहार में कई सरकारों की मजबूरी रहे हैं, लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम श्री कृष्णैया की हत्या मामले को लेकर नीतीश सरकार का यह दलित विरोधी और अपराध समर्थक कार्य से देश भर के दलित समाज में काफी रोष है। चाहे कुछ मजबूरी हो किंतु बिहार सरकार इस पर जरूर पुनर्विचार करे।’

बिहार में लोकसभा चुनाव 2024 और विधानसभा चुनाव 2025 के पहले बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन को जेल से रिहा किए जाने के लिए बिहार सरकार के निर्णय पर सवाल उठ रहे हैं । लोगों का कहना है कि आनंद मोहन पर एक दलित आईएएस की हत्या के आरोप में वो जेल में हैं और सरकार यदि उन्हें रिहा करती है तो इससे साफ है बिहार सरकार दलित विरोधी है।

बिहार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी द्वार ‘मिट्टी में मिला देंगे’ वाले बयान पर CM नीतीश ने दी अपनी प्रतिक्रिया

बिहार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी द्वार ‘मिट्टी में मिला देंगे’ वाले बयान पर CM नीतीश ने दी अपनी प्रतिक्रिया

जो इस तरह के शब्दों का प्रयोग करता है तो ‘समझ लीजिए बुद्धि नहीं है, जो इच्छा है करें”

पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शराबबंदी से जुड़े पूछे 10 सवाल, आम माफी की अपील

पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने शराबबंदी कानून के तहत अभी तक गिरफ्तार सभी 8.35 लाख लोगों पर से मुकदमें वापस लेने पर जोर देते हुए सरकार से कई सवाल पूछे।

श्री मोदी ने कहा कि ये लाखों लोग हत्या, अपहरण, बलात्कार, बैंक लूट या ट्रेन डकैती जैसे किसी गंभीर अपराध में नहीं पकड़े गए हैं कि इन्हें माफ कर सुधरने का कोई मौका नहीं दिया जाए।

उन्होंने कहा कि केवल शराब पीने के कारण इतनी बड़ी संख्या में जो लोग बिहार में ‘गुनहगार’ हैं, वे दूसरे राज्यों में होते, तो अपराधी के श्रेणी में नहीं आते।

SushilKumarModi

श्री मोदी ने कहा कि शराबबंदी कानून के तहत केवल ऐसे गरीबों को जेल में डाला जा रहा है, जो 2000 हजार रुपये जुर्माना नहीं दे सकते। अमीर लोग आसानी से छूट जाते हैं।

श्री मोदी ने सरकार से पूछा

1- कि जब 6 साल के दौरान शराबबंदी कानून में तीन बार संशोधन किया जा सकता है, तो एक बार आम माफी क्यों नहीं दी जा सकती ?

2- शराबबंदी से जुड़े 4.58 लाख मुकदमों का अभी तक निष्पादन क्यों नहीं हुआ?

3- शराब पीने के कारण जो 6.06 लाख लोग गिरफ्तार हुए, उन्हें सजा क्यों नहीं हो पायी?

4 – शराब पीते पकड़े गए लोगों को गंभीर अपराधियों से अलग रखने के लिए डिटेंशन सेंटर क्यों नहीं बनाये गए?

5- शराब से जुडे मामलों के त्वरित निष्पादन के लिए विशेष अदालतों के भवन आज तक क्यों नहीं बनें?

6- ज़हरीली शराब पीने से मौत की 30 से ज्यादा घटनाएँ हुईं, लेकिन एक भी शराब माफिया को सजा क्यों नहीं हुई?

7- शराबबंदी कानून के तहत अभी तक गिरफ्तार 8.35 लोगों में दलित, आदिवासी और पिछड़ा समुदाय के लोगों की संख्या कितनी है?

8- पासी समाज के लाखों लोगों के पुनर्वास की योजना क्यों विफल हुई?

9- नीरा उद्योग के प्रोत्साहन का वादा पूरा क्यों नहीं हुआ?

10-शराबबंदी के बाद राज्य में भांग, अफीम, गांजा जैसे मादक पदार्थों का सेवन क्यों बढ़ा?

एक यूट्यूबर पर NSA क्यों? सुप्रीम कोर्ट ने NSA लगाने पर तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी कर मांगा जवाब

नई दिल्ली । यूट्यूबर मनीष कश्यप उर्फ त्रिपुरारी कुमार तिवारी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लगाने पर सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से सवाल किया। तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने प्रदेश में आप्रवासी बिहारी मजदूरों के खिलाफ हिंसा की खबरों को फर्जी बताते हुए यूट्यूबर मनीष कश्यप पर कई केस दर्ज किए थे।

SC ने यूट्यूबर मनीष कश्यप के खिलाफ कई एफआईआर को क्लब करने और उन सभी को बिहार स्थानांतरित करने के प्रस्ताव के खिलाफ बिहार और तमिलनाडु सरकारों को एक ही पृष्ठ पर पाया।

इस मामले में तमिलनाडु सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पेश हुए। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने उनसे सवाल पूछा, “मिस्टर सिब्बल, इसके लिए NSA क्यों? इस आदमी से इतना प्रतिशोध क्यों?

बिहार सरकार के वकील ने यहां तक ​​कहा कि यूट्यूबर मनीष कश्यप एक “आदतन अपराधी” थे और उनके खिलाफ राज्य में आठ मामले दर्ज थे।

SC on ManishKashyap

वरिष्ठ वकील ने कहा कि यूट्यूबर मनीष कश्यप के सोशल मीडिया पर काफी संख्या में फॉलोअर्स हैं। उन्होंने तर्क दिया कि कथित तौर पर उनके द्वारा फैलाई गई गलत सूचना के कारण तमिलनाडु में हिंसा हुई थी। सिब्बल ने कहा, ”लोग मारे गए हैं.”

SC ने तमिलनाडु को यूट्यूबर मनीष कश्यप को मदुरै सेंट्रल जेल से स्थानांतरित नहीं करने का निर्देश दिया, और मामले को 28 अप्रैल के लिए स्थगित कर दिया।

दरअसल, मनीष कश्यप पर लगाए गए NSA को हटाने की माँग करते हुए उनके वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी। यूट्यूबर मनीष कश्यप पर गलत सूचना फैलाने का आरोप है कि तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी श्रमिकों पर हमला किया गया था। उन्होंने शीर्ष अदालत से उनके खिलाफ तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों में दर्ज प्राथमिकियों को बिहार के पटना में स्थानांतरित करने का आग्रह किया है।

पटना हाईकोर्ट ने पटना के कदमकुआं वेंडिंग जोन के निर्माण में हो रहे विलम्ब पर सुनवाई करते हुए पटना नगर निगम को 5 मई, 2023 तक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया

पटना हाईकोर्ट ने पटना के कदमकुआं वेंडिंग जोन के निर्माण में हो रहे विलम्ब पर सुनवाई करते हुए पटना नगर निगम को 5 मई, 2023 तक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।डा. आशीष कुमार सिन्हा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने सुनवाई की।

कोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में इस मामलें पर सुनवाई करते हुए पटना नगर निगम क्षेत्र में बनने वाले वेडिंग जोन के निर्माण में हो रहे विलम्ब पर सम्बन्ध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।

याचिकाकर्ता की अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया कि पिछली सुनवाई में राज्य सरकार और पटना नगर निगम ने इस वेडिंग जोन नौ महीने निर्माण कार्य पूरा करने का अश्वासन दिया था। लेकिन अभी पंद्रह महीने के बाद भी अब तक कदमकुआं वेडिंग जोन का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है।

इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार व पटना नगर निगम को अगली सुनवाई में स्थिति स्पष्ट करने को कहा।पिछली सुनवाई में पटना नगर निगम की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पटना नगर निगम क्षेत्र में 98 वेंडिग जोन बनाने की कार्रवाई चल रही है।

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कोर्ट को ये भी बताया गया था कि लगभग 50 वेंडिग जोन के निर्माण के लिए राज्य सरकार से अनापत्ति प्रमाण पत्र की प्रतीक्षा हैं।ये पटना नगर निगम क्षेत्र के कदमकुआं,शेखपुरा और बोरिंग रोड के अलावे ये 98 वेंडिग जोन बनाए जाने की योजना थी।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने पटना नगर निगम के आयुक्त से स्पष्ट कहा कि वे सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं,बल्कि वे स्वायत्त संस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं।

कोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में जानना चाहा था कि राज्य के नगर विकास और आवास विभाग ने इस योजना को कैसे रोक दिया।साथ ही यह भी बताने को कहा था कि वेंडिग जोन का निर्माण कब तक पूरा होगा।

कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि नगर निगम स्वायत्त संस्था हैं,जिसे संवैधानिक दर्जा प्राप्त है।

इस मामले पर 5 मई , 2023 को सुनवाई की जाएगी।

माफिया को ‘शहीद’ बताकर माहौल बिगाड़ने वालों पर सख्ती करे सरकार: सुशील मोदी

पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने मुस्लिम समुदाय के लोगों को ईद की बधाई दी और अपील की कि समाज उन तत्वों से सावधान रहें, जो वोट बैंक की राजनीति के चलते किसी अपराधी-माफिया को ‘शहीद’ बताकर अमन-चैन की तहजीब को खतरे में डालते हैं।

  • महागठबंधन सरकार की नरमी के कारण उन्मादी तत्वों का दुस्साहस बढ़ा
  • मुस्लिम समुदाय को ईद मुबारक़, शरारती तत्वों से सावधान रहें लोग

श्री मोदी ने कहा कि यूपी के माफिया अतीक अहमद की हत्या बिहार में सामाजिक सौहार्द मिटाने का बहाना न बने , इसके लिए समाज और सरकार को पूरी तरह सतर्क रहना चाहिए। हम नहीं चाहते कि रामनवमी के बाद ईद पर भी किसी प्रकार की गड़बड़ी हो।

उन्होंने कहा कि जिस शख्स पर हत्या-अपहरण जैसे संगीन मामले में पिछली गैर-भाजपा सरकारों के समय ही 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए थे, उसे किसी मजहब से जोड़ कर नारेबाजी करने वालों की पहचान कर सरकार को तुरंत कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

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श्री मोदी ने कहा कि महागठबंधन सरकार ने शोभायात्रा और सामूहिक नमाज जैसे मौके पर गड़बड़ी करने वालों के प्रति यदि नरमी नहीं बरती होती, तो उपद्रवी तत्वों का दुस्साहस नहीं बढता।

उन्होंने कहा कि अतीक अहमद उत्तर प्रदेश में जुल्म का पर्याय बन चुका था। फिर भी उसकी हत्या को जायज नहीं ठहराया जा सकता। योगी सरकार ने तुरंत पूरे मामले की न्यायिक जांच के आदेश देकर कानून के प्रति भरोसा जताया है।

श्री मोदी मे कहा कि बिहार में मंत्री वृजबिहारी प्रसाद की हत्या पुलिस सुरक्षा और अस्पताल परिसर में हुई थी।
अजीत सरकार और अशोक सिंह (दोनों पूर्व विधायक) की हत्या भी उनके सुरक्षा में रहते की गई थी। ऐसी चुनिंदा घटनाओं पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।

पटना हाइकोर्ट ने राज्य की प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित मधुबनी पेंटिंग की सरकारी उपेक्षा और कलाकारों की दयनीय अवस्था पर सुनवाई करते हुए कहा कि यदि इस सम्बन्ध में ब्लू प्रिंट एक सप्ताह में नहीं पेश किया गया, तो कोर्ट इस पर गंभीर रुख अपनाएगा

पटना हाइकोर्ट ने राज्य की प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित मधुबनी पेंटिंग की सरकारी उपेक्षा और कलाकारों की दयनीय अवस्था पर सुनवाई की। आत्मबोध की जनहित याचिका पर एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार दिए गए कार्रवाई रिपोर्ट पर गहरा असंतोष जाहिर किया।

कोर्ट ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यदि इस सम्बन्ध में ब्लू प्रिंट एक सप्ताह में नहीं पेश किया गया, तो कोर्ट इस पर गंभीर रुख अपनाएगा।

पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील डा. मौर्य विजय चन्द्र ने कोर्ट को बताया था कि मधुबनी पेंटिंग के विकास,विस्तार और कलाकारों के कल्याण के लिए राज्य सरकार ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कला व संस्कृति सचिव व उद्योग विभाग के निर्देशक को पटना एयरपोर्ट परिसर में बने मधुबनी पेंटिंग का निरीक्षण कर कल कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत का निर्देश दिया था।

उन्होंने जो रिपोर्ट दिया ,उससे स्पष्ट हुआ कि पटना एयरपोर्ट के परिसर में जो मधुबनी पेंटिंग लगी है,वहां न तो कलाकारों को क्रेडिट दिया गया है।साथ ही जी आई टैग भी नहीं लगा है।इससे मधुबनी पेंटिंग व उसके कलाकारों की उपेक्षा स्पष्ट होती है।

कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा था कि मधुबनी पेंटिंग के विकास और विस्तार के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जाना चाहिए।याचिकाकर्ता के वकील डा. मौर्य विजय चन्द्र ने कोर्ट को बताया कि मधुबनी पेंटिंग सरकारी उपेक्षा का शिकार तो है ही, साथ ही मधुबनी पेंटिंग करने वाले कलाकारों का शोषण भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

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उन्होंने बताया कि मधुबनी पेंटिंग की ख्याति देश विदेश में है,लेकिन मधुबनी पेंटिंग के कलाकार गरीबी में जीवन बिता रहे है।उन्होंने बताया कि मधुबनी पेंटिंग के कलाकारों को अपने कानूनी अधिकारों का ज्ञान नहीं है।

इसी का लाभ बिचौलिए उठाते है।उनकी पेंटिंग का बाहर ले जा कर महंगे दामों में बेचते है, जबकि उन कलाकारों को बहुत थोड़ी सी रकम दे देते है।

उन्होंनेे कोर्ट को बताया कि उन्हें 2005 में ही जीआई टैग भारत सरकार से लगाने की अनुमति प्राप्त हुई।ये भौगोलिक क्षेत्र के तहत रजिस्टर होता है ,लेकिन इसका आजतक रेजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है।

इसके सम्बन्ध में इन कलाकारों को जानकारी नहीं है।इसका लाभ बिचौलिए उठाते है। इस मामलें पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी।

पटना हाइकोर्ट ने बिहार के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में हुए अवैध अतिक्रमण के मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया

पटना हाइकोर्ट ने राज्य के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में हुए अवैध अतिक्रमण के मामलें पर सुनवाई की।चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन ने विकास चंद्र ऊर्फ गुड्डू बाबा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया।

इस जनहित याचिका में कोर्ट को बताया गया कि राज्य के विभिन्न अस्पतालों में अवैध भूमि अतिक्रमण हुआ है।इन्हें हटाने के राज्य सरकार द्वारा ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार के सम्बंधित अधिकारी को इस सम्बन्ध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।एमिकस क्यूरी ने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार अपनी संपत्ति की रक्षा करने में असफल रही।

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पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि बिना सरकारी भूमि को चिन्हित किये और चारदिवारी बनाए भूमि का अवैध अतिक्रमण नहीं हटाया जा सकता है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।

जब कुछ सजायाफ्ता लोगों के लिए जेल मैन्युअल बदला जा सकता है, तब आम माफी क्यों नहीं? – सुशील मोदी

पटना । राज्यसभा सांसद सह पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार ने कहा कि जब कुछ प्रभावशाली लोगों के गंभीर मामलों में सजायाफ्ता होने के बावजूद उनकी रिहाई के लिए जेल मैन्युअल को शिथिल किया जा सकता है, तब शराबबंदी कानून तोड़ने के सामान्य अपराध से जुड़े 3 लाख 61 हजार मुकदमे भी वापस लिये जा सकते हैं।

• जब कुछ सजायाफ्ता लोगों के लिए जेल मैन्युअल बदला जा सकता है, तब आम माफी क्यों नहीं?
• शराब से जुड़े मामलों के लिए न स्पेशल कोर्ट, न स्पीडी ट्रायल

श्री मोदी ने कहा कि शराबबंदी कानून के तहत गिरफ्तार लोगों के लिए आम माफी का एलान कर सरकार को 25 हजार लोगों की तुरंत रिहाई का रास्ता साफ करना चाहिए। इसे मुख्यमंत्री अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनायें।

उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून के तहत जिन 5 लाख 17 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया, वे कोई शातिर अपराधी नहीं हैं, उनमें 90 फीसद लोग दलित-पिछड़े-आदिवासी समुदाय के हैं। ऐसे लगभग 25 हजार लोग अभी भी जेल में हैं।

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श्री मोदी ने कहा कि जेलों में जगह नहीं है और अदालतें पहले ही मुकदमों के बोझ से दबी हैं। गरीब मुकदमे के चक्कर में और गरीब हो रहे हैं। ऐसे में शराबबंदी कानून तोड़ने वालों को आम माफी देने से सबको बड़ी राहत मिलेगी।

उन्होंने कहा कि 6 वर्षों में जहरीली शराब पीने से मरने की 30 घटनाओं में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 196 लोगों की मौत हुई, लेकिन इस के लिए दोषी एक भी माफिया या शराब तस्कर को सजा नहीं हुई।

श्री मोदी ने कहा कि राज्य सरकार ने शराब से जुड़े मामले तेजी से निपटाने के लिए स्पेशल कोर्ट का गठन क्यों नहीं किया ? किसी मामले में स्पीडी ट्रायल क्यों नहीं हुआ? गरीबों को उनके हाल पर क्यों छोड़ दिया गया?

Patna High Court News: बिहार के सहरसा में स्थापित किये जाने वाले एम्स अस्पताल स्थापित किये जाने के मामलें पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई 9 मई,2023 तक टली

पटना हाईकोर्ट में बिहार के सहरसा में स्थापित किये जाने वाले एम्स अस्पताल स्थापित किये जाने के मामलें पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई 9मई,2023 तक टली। चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने कोशी विकास संघर्ष मोर्चा की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।

पिछली सुनवाई में Patna High Court News ने केंद्र व राज्य सरकार को जवाब देने के लिए 17अप्रैल,2023 तक मोहलत दी थी।याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से भूमि सम्बन्धी ब्यौरा आज भी नहीं पेश किया गया।

उन्होंने Patna High Court News को बताया था कि विभिन्न राज्यों में एम्स के स्तर के अस्पताल स्थापित करने की योजना तैयार की गई।बिहार के सहरसा में एम्स के तर्ज पर अस्पताल बनाए जाने का प्रस्ताव था।कोर्ट को बताया गया था कि इस अस्पताल के निर्माण के लिए पर्याप्त भूमि सहरसा में उपलब्ध है।

Patna High Court News को बताया गया कि 2017 में ही सहरसा के जिलाधिकारी ने इस अस्पताल के लिए आवश्यक 217.74 एकड़ भूमि की उपलब्धता की जानकारी विभाग को दी थी।कोर्ट को ये बताया था कि इस क्षेत्र में एम्स स्तर का अस्पताल नहीं है।गंभीर बीमारियों के ईलाज के लिए इस क्षेत्र के लोगों को या तो पटना जाना पड़ता है या सिलिगुडी जाना पड़ता है।

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इसमें न सिर्फ लोगों को आने जाने में कठिनाई होती है,बल्कि आर्थिक बोझ भी पड़ता है। Patna High Court News को एम्स अस्पताल के निर्माण के मानकों पर सहरसा ज्यादा खरा था,लेकिन राज्य सरकार ने 2020 में दरभंगा में एम्स अस्पताल स्थापित किये जाने की अनुशंसा कर दी थी।

यह इस क्षेत्र लोगों के साथ अन्याय किया गया।कोर्ट को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि सहरसा,पूर्णियां,कटिहार, किशनगंज और अररिया जिले इस क्षेत्र में आते है।

Patna High Court News को बताया गया कि इस क्षेत्र के बहुत सारे लोग कैंसर समेत कई अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं।आमलोग को बेहतर ईलाज के लिए इस क्षेत्र में एम्स स्तर के अस्पताल की सख्त आवश्यकता है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 9मई,2023 के बाद की जाएगी।

बिहार में तबादलों का दौर जारी; 2 IAS, 2 IPS अधिकारियों समेत 19 SDPO के तलाबदले किये गए, जाने पूरी लिस्ट…

पटना। बिहार में तबादलों का दौर जारी है । इसी क्रम में, बिहार सरकार ने बुधवार की देर रात दो आइएएस अधिकारियों का और दो आइपीएस समेत 19 एसडीपीओ के तलाबदले कर दिए। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंधित में आदेश भी जारी कर दिया है।

बिहार की नीतीश सरकार ने 19 एसडीपीओ और 2 आइपीएस का ट्रांसफर किया है। बुधवार को गृह विभाग ने इसके लिए भी अधिसूचना जारी कर दी है।

सरकार ने 2 IAS और 2 IPS को नई जिम्मेदारी दी है। 2 आईएएस को अतिरिक्त प्रभार भी मिला है।

Police transfer

CID में पोस्टेड नुरुल हक को पटना का डीएसपी लॉ एंडऑर्डर बनाया गया हैहै। तो वहीं, नालंदा में डीएसपी विधि व्यवस्था सुशील कुमार को पटनासचिवालय में डीएसपी नियुक्त किया गया है।

जाने पूरी लिस्ट…

  • सीआइडी में डीएसपी अफाक अख्तर अंसारी कोडुमराव में एसडीपीओ
  • निगरानी में डीएसपी मो. खुर्शीद आलम को गया में डीएसपी विधिव्यवस्था
  • थ नगर में डीएसपी संतोष कुमार को छपरा सदर का एसडीपीओ
  • सीआइडी मेंडीएसपी खुशरु सिराज को फारबिसगंज में एसडीपीओ
  • भीम नगर में डीएसपी धीरेंद्र कुमारको रक्सौल का एसडीपीओ
  • जमुई के डीएसपी सुशील कुमार को नालंदा में डीएएपी विधिव्यवस्था
  • अररिया के एसडीपीओ पुष्कर कुमार को पूर्णिया सदर का एसडीपीओ
  • पुलिसमुख्यालय में डीएसपी रामपुकार सिंह को अररिया में एसडीपीओ
  • स्पेशल ब्रांच पटना मेंडीएसपी रविशंकर प्रसाद को समस्तीपुर के पटाेरी में एसडीपीओ
  • डेहरी में डीएसपीशिवशंकर कुमार को कैमूर में एसडीपीओ
  • डुमरांव में डीएसपी कुमार वैभव को वजीरगंज में एसडीपीओ
  • स्पेशल ब्रांच पटना में डीएसपी अरविंद कुमार सिन्हा को शेखपुरा मेंएसडीपीओ
  • डीएसपी रेल पटना फिराेज आलम को सीवान सदर में एसडीपीओ
  • बगहा के डीएसपीअशोक कुमार को सिकरहना का एसडीपीओ
  • रोहतास में डीएसपी राजेश कुमार को झाझा में एसडीपीओ
  • सीआइडी में डीएसपी हुलास कुमार को बनमनखी में एसडीपीओ
  • डुमरांव में डीएसपी राजू रंजन कुमार को सुपौल के निर्मली में एसडीपीओ नियुक्त किया गया है

इससे पहले भी बीते दिनों बिहार में बिहार प्रशासनिक सेवा (बीएएस) के 64अधिकारियों का तबादला किया गया था. जिसमें 32 एसडीओ और 32 अन्य अधिकारी शामिल थे।