उदारीकरण के दौर में सबसे ज्यादा भरोसा किसी एक संस्थान ने तोड़ा है तो वह है बैंक।
बैंक से जुड़े आम खाताधारी लूट रहे हैं और बड़े कारोबारी मालामाल हो रहा है नोटबंदी के समय आम खाताधारी अपनी गाढ़ी कमाई जमा करने के लिए किस तरह परेशान रहा उम्मीद है आप सबों को याद होगा शहर के किसी बड़े लोगों को लाइन में लगे देखा क्या नहीं ना उनके सारे नजायज पैसे बैंक में जमा हो गया ।
इसकी वजह क्या है आज भी बैंक भ्रष्ट कमाई करने वाले और साइबर क्राइम करने वाले अपराधियों के साथ खड़ा है जी है 2020 में जब मेरे साथ साइबर क्राइम हुआ तो मुझे ज्ञात हुआ कि मेरे खाते से कोलकाता ,बेंगलुरु, मुबंई ,चैन्नई और फिर दिल्ली स्थिति विभिन्न बैंक के खाते में पैसा ट्रांसफर दिल्ली के एक खाते को छोड़ दे तो जिन 20 से अधिक खाते में मेरा पैसा गया था उसमें से एक भी खाता आधार से लिंक नहीं था जिस व्यक्ति के नाम पर खाता था उसे पता भी नहीं था कि उसके नाम पर कोलकाता में खाता है मजे की बात यह है कि जिस व्यक्ति के खाते में मेरा पैसा गया वो खाताधारी बंगाल का भी नहीं था फिर उसका बैंक में खाता कैसे खुल गया सारा खाता आंन लाइन खुला था लेकिन उसमें भी नियम है कि शाखा एक बार आपको आना है। किसी भी खाते का केवाईसी नहीं कराया गया था फिर भी बैंक इसके लिए जिम्मेवार नहीं है ।
अभी हाल में हाजीपुर और शेरघाटी गया से खबर आयी कि ग्रामीण बैंक से जुड़े जो सैकड़ों खाताधारी के खाते से पैसा गायब है ,मुजफ्फरपुर में एक प्रोफेसर और एक डां के खाते से करोड़ से अधिक राशी निकल गया आज कटिहार से खबर आयी है कि वहां एक स्कूली बच्चे के खाते में 60 करोड़ और दूसरे बच्चे के खाते में 900करोड़ रुपया जमा हुआ है ।बिहार में स्कूली छात्र-छात्राओं को पोशाक योजना का लाभ लेने के लिए छात्र गुरुचंद्र विश्वास और असित कुमार का बैंक खाता उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक भेलागंज शाखा है पैसा आया कि नहीं यह जानने जब ये दोनों छात्र सीएसपी सेंटर पहुंचे। तो पता चला कि उसके खातों में तो करोड़ों रुपए जमा हैं। छात्र गुरुचन्द्र विश्वास के खाता – 1008151030208081 में 60 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा है। जबकि असित कुमार के खाता- 1008151030208001 में 900 करोड़ से ज्यादा की राशि जमा है। दोनों खाता उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक भेलागंज शाखा का है।इस संबंध में शाखा प्रबंधक मनोज गुप्ता ने कहा कि दोनों बच्चों के खाते से भुगतान पर रोक लगा दी गई है। ठीक रोक लगा दिए लेकिन इन दोनों के खाते में कई माह पहले ये राशी आयी है लेकिन ना तो आईटी विभाग ना ही बैंक इस पर संज्ञान लिया ।
इसका क्या मतलब है या तो पूरी बैंकिंग व्यवस्था चौपट हो गयी है या फिर यह सब कुछ बैंक के संज्ञान में चल रहा है क्यों कि इस तरह के मामले में आप आरबीआई या फिर बैंक लोकपाल को शिकायत करेंगे तो हाल ये है कि यह संस्था भी उपभोगता के साथ नहीं बैंककर्मी के साथ ही खड़ा रहता है ।