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गुजरातियों को ठग कहने के मामले में तेजस्वी यादव को समन, 20 मई को अहमदाबाद कोर्ट में पेश होने का आदेश

अहमदाबाद/पटना। गुजरातियों को ठग कहने के मामले में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ अहमदाबाद में दाखिल किए मानहानि के केस पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद 202 के तहत जांच का आदेश दिया। अगली सुनवाई की तारीख 20 मई तय की है।

तेजस्वी यादव के खिलाफ सोमवार को अहमदाबाद की मेट्रो कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने मामले के परिवादी को सबूत पेश करने का आदेश दिया है। मामले में गवाहों को हाजिर करने का आदेश भी कोर्ट में दिया गया है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस सुनवाई के दौरान तेजस्वी यादवको सशरीर हाजिर होना होगा।

अहमदाबाद की मेट्रोपॉलिटन कोर्ट में एडीशिनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट डी जे परमार ने सुनवाई की और फिर इंक्वायरी का आदेश जारी किया। पिछले महीने की 26 तारीख को अहमदाबाद में रहने वाले पेशे से व्यापारी हरेश मेहता ने तेजस्वी यादव के खिलाफ मानहानि का केस दाखिल किया था।

इसमें मेहता ने आरोप लगाया है कि तेजस्वी यादव ने मार्च महीने के आखिर में विधानसभा परिसर में एक बयान दिया था। इसमें उन्होंने कहा था देश की वर्तमान परिस्थिति में सिर्फ गुजराती ठग हो सकते हैं और उन्हें माफ भी कर दिया जाएगा। मेहता की मांग है कि इससे गुजरात के लोगों की मानहानि हुई है। इसलिए तेजस्वी यादव पर मानहानि का केस चलाया जाए। कोर्ट ने सोमवार को इसमामले में सुनवाई करते हुए तेजस्वी यादव को धारा 202 के तहत समन जारी किया है।

सत्ता, संगठन और विचारधारा के बीच उलझते जा रहे हैं तेजस्वी यादव !

तेजस्वी सत्ता, संगठन और विचारधारा के बीच इस तरह उलझता जा रहा है कि वो तय नहीं कर पा रहा है कि करना क्या है और इस वजह से उनके पार्टी के अंदर भी और बाहर भी ऐसे लोग जिनको किसी से किसी विषय को लेकर व्यक्तिगत खुंदक रहा है वो साधना शुरु कर दिये हैं। और इसका असर यह हो रहा है कि सरकार अस्थिर होने वाली है ऐसा इमेज लगातार बढ़ता जा रहा है ऐसे में तेजस्वी को पार्टी के तमाम बड़े नेता और विधायक सांसद से मिल बैठ कर बात करनी चाहिए।

              यही स्थिति रही तो आने वाले समय में विवाद कम ने के बजाय बढ़ेगा और इसका असर पार्टी के जनाधार पर भी पड़ेगा,क्योंकि सरकार चलाने का जो नीतीश फार्मूला है उससे ना तो राजद के मंत्री संतुष्ट है और ना ही विधायक और ना ही गांव में मौजूद पार्टी का कार्यकर्ता। ऐसे में मिशन 2024 के सहारे लोकसभा चुनाव में बहुत बड़े बदलाव की जो बात महागठबंधन सोच रही है उसकी हवा निकल जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी क्योंकि गवर्नेंस को लेकर गांव स्तर पर नाराजगी बढ़ती जा रही है जिसमें शराबबंदी कानून एक बड़ी वजह है बिहार के लगभग हर गांव में आठ से दस परिवार इस कानून से किसी ना किसी रूप में प्रभावित है जो वोट में परिणत होगा ये साफ दिख रहा है । वही ब्लांक और थाना स्तर पर जो खेल चल रहा है उससे सबसे अधिक प्रभावित लालू और नीतीश का ही वोटर है।      

 गठबंधन बदलने के बाद भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है ऐसे में सरकार गठन के पांच माह ही हुए हैं राजद सहित महागठबंधन के तमाम विधायक ,मंत्री और कार्यकर्ताओं में आक्रोश बढ़ना शुरु हो गया है मंत्री को सचिव चलने नहीं देता है, विधायक का कोई सुनने वाला नहीं है, पार्टी कार्यकर्ताओं का हाल तो और भी बुरा है विपक्ष में था तो धरना प्रदर्शन भी कर लेता था अब तो कुछ कर भी नहीं पा रहा है।          

संकट इतना ही नहीं है तेजस्वी यह समझ नहीं पा रहे हैं कि जदयू राजद नहीं है और फिर योजनाओं के सहारे सत्ता में बने रहने का थ्योरी पूरे देश में एक समय बाद फेल हुआ है यह भी सत्य है ।                  

क्यों कि बीजेपी,वामपंथी और कांग्रेस के पास कार्यकर्ताओं को जोड़े रखने का एक अपना तरीका रहा है समय समय पर कार्यक्रमों के सहारे उसको मजबूती देता रहता है लेकिन क्षेत्रीय दलों के साथ यह बड़ी समस्या है ।        

  

आज जदयू का क्या हश्र है पोलिंग एजेंट नहीं मिल रहा है कई गांव ऐसा मिल जाएगा जहां जदयू का कार्यकर्ता बचा ही नहीं है। स्थिति तो यह है कि पार्टी चलाने के लिए प्रखंड अध्यक्ष नहीं मिल रहा है समता पार्टी के समय के जो लोग बचे हुए है काम चलाने के लिए उनको पार्टी की जिम्मेवारी दे दी जा रही है हाल यह है कि कई जिलों में तो जिला अध्यक्ष विधायक या पूर्व सांसद है। यू कहे तो जदयू का पार्टी संगठन पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है सरकार में रहने के कारण कही कही टिमटिमा रहा है। वजह नीतीश कुमार कि यह सोच योजनाओं और गवर्नेंस के सहारे पार्टी चला लेंगे । तेजस्वी राजद का जो टीम दिल्ली है उसके झांसे में आ गये हैं कि बस सरकार में बने रहना है और चुनाव के दौरान जो वादा किये थे उसको पूरा करते हुए दिखना है इसी के सहारे चुनाव निकाल लेगे।             

आज की राजनीति यही है इस टीम दिल्ली को यह भी देखना चाहिए कि 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान जो जीत हुई है उसमें चिराग की पार्टी का क्या योगदान रहा है क्यों कि लोकसभा चुनाव में शून्य पर आउट होने वाली पार्टी रातो रात कैसे बिहार का नम्बर वन पार्टी बन गया।              

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संगठन की बात करे तो राजद की स्थिति बिहार में इस वक्त कुल मतदान केन्द्रों में मात्र 40 प्रतिशत मतदान केन्द्र तक ही सीमित है यह सच्चाई है ऐसे मेंं बिना विचार के सहारे मोदी को परास्त करना दिन में सपने देखने जैसा है क्यों कि विचार ही एक ऐसी कड़ी है जो जाति धर्म,मजहब और पार्टी सबके दायरे को तोड़ कर लोग मतदान केन्द्रों पर पहुंचते ही नहीं है लोगों को प्रेरित भी करते हैं, और उसमें सरकार की योजना अंतिम व्यक्ति तक पहुंच गयी तो  जीत का राह और आसान हो जाता है।

ऐसे में सिर्फ सत्ता में बने रहने से मोदी को हराना संभव नहीं है राहुल की तरह विचार के साथ सड़क पर उतरना होगा लोगों के बीच जाना होगा तेजस्वी इस दुविधा में फँस गये हैं करे तो करे क्या संगठन का अलग मांग है ,विचारधारा एक अलग तरह का तनाव दे रहा है विधायक और पार्टी के नेता एक अलग समस्या है वैसे राजनीति में जो विवादों का बेहतर समन्वय करता है वही आगे बढ़ता है ।

नीतीश कुमार ने सत्ता में बने रहने के लिए शराबबंदी, क्राइम और करप्शन से समझौता कर लिया: सुशील कुमार मोदी

पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार ने सत्ता में बने रहने के लिए शराबबंदी, क्राइम और करप्शन से समझौता कर लिया। उन्हें अपने डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव से पूछना चाहिए कि वे मात्र 23 साल की उम्र में बिना किसी व्यवसाय या नौकरी के वे दिल्ली के 30 करोड़ रुपये वाले मकान के मालिक कैसे बन गए?

  • लालू परिवार के भ्रष्टचार को संरक्षण दे रहे नीतीश कुमार
  • तेजस्वी यादव से पूछें, दिल्ली में करोड़ों का बंगला मात्र 4 लाख में कैसे खरीदा ?
  • नौकरी के बदले जमीन मामले में सीबीआई को मिले नये सबूत
  • जांच एजेंसी ने पूर्व रेल मंत्री के खिलाफ केस कभी बंद नहीं किया था

उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव बतायें कि दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कालोनी का डी-1088 नबंर का तीन मंजिला करोड़ों का मकान उन्होंने एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के जरिये मात्र 4 लाख रुपये में कैसे हासिल कर लिया ?

श्री मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार न केवल तेजस्वी यादव को संरक्षण दे रहे हैं, बल्कि उन्हें नेतृत्व सौंपने की घोषणा कर चुके हैं। यह भ्रष्टचार से समझौता नहीं तो क्या है?

श्री मोदी ने कहा कि सीबीआई ने रेलवे के दिल्ली और मुम्बई (बांद्रा) प्रोजेक्ट के बदले फर्जी कंपनी के माध्यम से करोड़ों रुपये की प्रापर्टी लालू परिवार को देने के मामले में जांच कभी बंद नहीं की थी।

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उन्होंने कहा कि पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद के खिलाफ नौकरी के बदले जमीन लिखवाने के मामलों की जांच के दौरान सीबीआई को डीएलएफ रिश्वत मामले से जुड़े नये तथ्य मिले हैं।

श्री मोदी ने कहा कि जांच एजेंसी नए सबूतों के आधार पर आगे बढ़ रही है। इस पर राजद के छाती पीटने और राजनीतिक रंग देने से कोई असर नहीं पड़ेगा।

नीतीश बीजेपी मुक्त भारत की शुरुआत करेंगे बिहार से

बिहार की राजनीति बवंडर
कभी भी बिहार विधानसभा को किया जा सकता है भंग
जदयू और राजद का आपस में हो सकता है विलय।

विपक्षी एकता को लेकर नीतीश का मिशन 2024 की शुरुआत जिस तरीके से हुई है उससे नीतीश काफी उत्साहित है और कहा ये जा रहा है कि नीतीश हाल के दिनों में बेहद चौकाने वाले निर्णय ले सकते हैं और इसको लेकर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के बीच लगभग सहमति बन गयी है ।

जो खबर आ रही है उसके अनुसार नीतीश बिहार विधानसभा को भंग कर चुनाव में जाना चाह रहे हैं और उससे पहले नीतीश राजद और जदयू के विलय की घोषणा कर देश स्तर पर ये संदेश देना चाहते हैं कि देश को बचाने के लिए हमने अपनी पार्टी तक को दांव पर लगा दिये।

क्यों कि दिल्ली यात्रा के दौरान विपक्षी दल के नेताओं में नीतीश कुमार को लेकर जो उत्साह देखने को मिल रहा है उससे ये साफ हो गया है कि नीतीश कुमार देश के सारे विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर लाने में कामयाब हो सकते हैं। क्यों कि नीतीश कुमार दिल्ली से गया के रास्ते में ही थे कि ममता बनर्जी ने नीतीश के अभियान में साथ आने की घोषणा कर नीतीश के अभियान को और बल दिया है ।

1– राजद जदयू का विलय ऐसा कहा जा रहा है कि बिहार से बाहर निकलने से पहले नीतीश बिहार की राजनीति में ऐसी किलाबंदी चाह रहे हैं ताकि बीजेपी की सम्भावना बिहार की राजनीति में पूरी तरह से खत्म हो जाये और इसके लिए 2015 के परिणाम से सीख लेते हुए नीतीश और लालू इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के आपसी रिश्तों में जो खाई है उसको पाटने का वक्त नहीं है और इस बार बड़े भाई छोटे भाई के लिए भी कोई जगह ना रहे इसके लिए दोनों पार्टी के आपस में ही विलय कर दिया जाए।

फिलहाल जिस फॉर्मूला पर बातचीत चल रही है उसके अनुसार नीतीश कुमार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ साथ 2024 के लोकसभा चुनाव तक बिहार के मुख्यमंत्री बने रहेंगे और उसके बाद तेजस्वी को पार्टी और सरकार सौंप देंगे वैसे इस फॉर्मूला पर बीजेपी से गठबंधन तोड़ने से पहले नीतीश की तेजस्वी और लालू प्रसाद से कई दौर की बातचीत हो चुकी है। देश स्तर पर विपक्षी एकता का स्वरुप जैसे जैसे शक्ल लेता जाएगा नीतीश बिहार में इस अभियान को आगे बढ़ाते जाएंगे क्यों कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव की बात करे तो एनडीए में भाजपा 121 और जदयू 122 सीटों में चुनाव लड़ी थी और उसमें से सात सीट जदयू ने हम को दिए थे इसी तरह महागठबंधन में 144 सीटों पर RJD, 70 सीटों पर कांग्रेस और 29 पर लेफ्ट पार्टियां चुनाव लड़ी थी।2020 के चुनाव में भाजपा 19.46%, जदयू 15.39%,राजद 23.11% वोट मिला था वही कांग्रेस को 09.48% ,भाकपा माले को लगभग 4 प्रतिशत सीबीआई 0.83% 02,माकपा 0.65%रालोसपा 01.77% मतलब सबके सब साथ आ जाये तो लगभग 55 प्रतिशत वोट का शेयर हो जायेंगा वही 2020 के चुनाव में जो ओवैसी फैक्टर राजद गठबंधन को जो नुकसान पहुंचाया उसे कम किया जा सकता है।वहीं जदयू और राजद के बीच सीट बंटवारे को लेकर कोई समस्या नहीं रहेगा जब पार्टी का एक दूसरे में विलय कर दिया जाएगा ।

विलय को लेकर नीतीश गंभीर इसलिए हैं कि इसके सहारे दो संदेश देना चाह रहे हैं एक नीतीश पलटूराम के इमेज से बाहर निकल जाएंगे और बिहार की राजनीति जो अति पिछड़ा ,महादलित और पसमांदा में बट गया था वो एक बार फिर से साथ आ जाएंगे वही देश स्तर पर पार्टी के विलय के सहारे संदेश देने कि कोशिश होगी कि मोदी को लेकर बिहार किस स्तर पर सोच रहा है।

2— जल्द ही होगा बिहार में मध्यावधि चुनाव बिहार में मध्यावधि चुनाव होगा यह तय हो गया है बस इस बात को लेकर मंथन चल रहा है कि गुजरात के साथ दिसंबर में चुनाव में जाया जाये या फिर 2023 में होने वाले राजस्थान,मध्य प्रदेश के चुनाव के साथ जाया जाए, क्यों कि एक राय ये भी बन रही है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में विपक्षी एकता के सहारे मोदी को पहले गुजरात में ही घेरा जाए और इसके लिए नीतीश कुमार सहित विपक्ष के तमाम बड़े चेहरा गुजरात चुनाव में कैम्प करे ,वही दूसरा धरा का यह मानना है कि बिहार से ही बीजेपी मुक्त भारत की शुरुआत कि जाए और इसके लिए गुजरात के साथ बिहार का भी चुनाव करना बेहतर होगा।देखिए आगे आगे होता है क्या लेकिन इतना तो तय हो गया कि अब खेला होबे ।

कल तेजस्वी की होगी शादी

बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की शादी को लेकर चल रही तमाम अटकलों पर विराम लग गया है।

तेजस्वी यादव की बहन रोहिणी आचार्य ने अब यह कन्फर्म कर दिया है ।

तेजस्वी यादव की शादी होने वाली है।

रोहिणी ने अपने ट्विटर हैंडल पर इस शादी की पुष्टि की है।

तेजस्वी यादव की होने वाली दुल्हन का नाम भी सामने आ गया है। लड़की का नाम राजश्री है और हरियाणा के रेवाड़ी जिले के रहनेवाली है। 

कल दिल्ली के सैनिक फॉर्म हॉउस में शादी है।

लड़की ईसाई धर्म की है।

नीतीश कुमार चुनाव जीतने के लिए साड़ी और शराब बटवा रहे हैं –तेजस्वी

कुशेश्वर स्थान विभानसभा सीट पर कब्जा के लिए जदयू और राजद दोनों अपनी पूरी ताकत झौक को दिया है वही इस बार राजद प्रशासनिक हेराफेरी को लेकर कुछ ज्यादा ही संचेत है और यही वजह है कि कल से राजद लगातार चुनाव आयोग में अधिकारियों और मंत्री के खिलाफ शिकायत कर रहा है ।

आज एक बार फिर नेता प्रतिपंक्ष तेजस्वी यादव थोड़ी देर पहले बिहार विधानसभा उपचुनाव के संदर्भ में मीडिया के सहारे कई सवाल खड़े करते हुए तेजस्वी सीधे सीधे नीतीश कुमार पर हमला बोल दिया है ,तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर आरोप लगाया है कि वो शराब और साड़ी बटवा रहे हैं उनके कई मंत्री अभी भी चुनाव क्षेत्र में डटे हुए हैं और छठ पर्व के बहाने गाड़ियों से नोट और साड़ी बाट रहा है, मेरी पार्टी चुनाव आयोग से इसकी शिकायत करने जा रही है, डीएसपी दिलीप कुमार झा के हटाये जाने से हमारी बात सही साबित हुई है अगर 30 तारीख को गड़बड़ी की कोशिश की गई तो हम हेलीकॉप्टर से कुशेश्वर स्थान पहुंच जाएंगे इनकी बेईमानी किसी भी स्थिति में चलने नहीं देगे मतलब साफ है राजद खेमा मान रही है कि तारापुर सीट पर जीत पक्की है लेकिन कुशेश्वर स्थान को लेकर कुछ पेच अभी भी फंसा हुआ है खास करके राजद जिस मुसहर जाति के उम्मीदवार को उतरा है उसके वोट को लेकर राजद खेमा में अभी भी संशय बना हुआ है कि और यही वजह है कि तेजस्वी बार बार सरकार और नीतीश कुमार पर हमलावर हो रहे हैं ताकि वहां के यादव वोटर आक्रमक हो और मुसहर को लगे कि राजद उसके साथ पूरी तौर पर खड़ा है।

जिस सीट को लेकर दोनों पार्टी अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया है उस सीट के गणित को जरा आप भी समझ लीजिए ,तारापुर में स्थिति लगभग स्पष्ट हो गया है यहां विशेष कुछ करने की गुनजाइस नहीं बची है ,लेकिन कुशेश्वर स्थान में अभी भी बहुत कुछ बची हुई है इसलिए दोनों दलों के तरकश में जीतने भी तरह के तीर मौजूद है सबका प्रयोग कल शाम पांच तक होना तय है।

इस बार कुशेश्वर स्थान का चुनाव कई मायने में महत्वपूर्ण है लक्ष्मीनिया का साख दाव पर है हो भी क्यों नहीं किसी ने भरोसा जताया है यह कह कर कि मैं आपको राजनीतिक भागीदारी दे रहा हूं। अब देखना यह है कि इस भागीदारी वाली शब्दावली का कितना प्रभाव पड़ता है ।जी है हम बात कर रहे हैं कुशेश्वरस्थान विधानसभा उपचुनाव का जहां आजादी के बाद से ही यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है फिर भी बिहार के सबसे पिछड़े प्रखंड और इलाकों में एक कुशेश्वर स्थान है जहां दलितों में सबसे बड़ी आबादी मुसहरों की है ।

आजादी के 74 वर्ष बाद भी सबसे गरीब ,निरक्षर और भूमिहीन दलितों में इसकी आज भी गिनती होती है ,आज भी मुसहर जाति में दो चार गांव में एक दो मैट्रिक पास मिल जाये तो बड़ी बात होगी,किसी जमाने में कालाजार बीमारी का सबसे बड़ा केंद्र कुशेश्वर स्थान ही हुआ करता था और इस बीमारी के कारण हजारों मुसहर असमय दुनिया से चला गया ।

हालांकि अब वो स्थिति नहीं है लेकिन बाढ़ की वजह से देश का सबसे बड़ा मेहनतकश आबादीअभी भी भूखे सोने को मजबूर है हालांकि अब इस इलाके से भी बड़ी संख्या में मुसहर जाति के लोग बाहर कमाने जा रहे हैं लेकिन हुनर के मामले में अभी भी यह समाज खेती और मिट्टी कटाई के साथ साथ समान ढ़ोने जैसे काम से बाहर नहीं निकल पाया है ।

बात अगर राजनीतिक समझ कि करे तो पंचायत चुनाव के दौरान जो आरक्षण दिया गया है उसका लाभ दिख रहा है ,इस समाज से जुड़े कई लोग मुखिया ,पंचायत समिति सदस्य ,वार्ड सदस्य और सरपंच बना है नीतीश सरकार के महादलित योजना की वजह से कुछ लड़को को नौकरी भी मिली है ।फिर भी बहुत पिछड़ापन है इसकी वजह यह है कि आज भी यह पूरी तौर पर भूमिहीन जाति है कहां यह जाता है कि उस इलाके के जो जमींदार थे ये उनको बाहर से खेती का काम करने के लिए लाये थे क्यों कि उस इलाके की गिनती किसी जमाने में सिल्क रूट की तरह होती थी यहां से मछली ,मखाना और मकई पूरे देश में जाता था और इस काम में मुसहर जाति के लोग काफी निपुण माने जाते थे और यही वजह थी कि जिस इलाके में मुसहर रहते थे उस इलाके को लक्ष्मी का इलाका कह कर पुकारा जाता था ।

आज भी हर गांव में आपको लक्ष्मीनिया टोला मिल जायेंगा और जब आप उस टोलो में जायेंगे तो शत प्रतिशत आबादी मुसहर का मिलेगा हालांकि मध्य बिहार की तरह यहां का मुसहर शराब बनाने का धंधा नहीं करता है लेकिन नशा करने में कम नहीं है शाम होते होते पूरा परिवार मस्त हो जाता है ,दिन में भी लोग मिल जायेंगे नशे में । तेजस्वी जो चिंता जता रहे हैं कि वोटिंग धीमा कराया जा सकता है प्रशासन के द्वारा वजह वो नहीं है वजह यह है कि घर घर शराब पहुंच गया तो फिर वोट छोड़ कर दिन भर ये लोग पूरा परिवार शराब पीने में ही रह जाएगा।

हालांकि पहली बार राजद का चुनाव चिन्ह लालटेन इस इलाके से चुनाव लड़ रहा है इसलिए यादव काफी उत्साहित है और यह माना जा रहा है कि इस लक्षमिनिया वोटर को मतदान केन्द्रों तक पहुंचाने में यादव अपना सब कुछ दाव पर लगा देगा, लेकिन इसके विपरीत एक और तथ्य है इस इलाके में कुर्मी (धानुक)जाति के लोग भी बहुत है जिनके साथ मुसहर की बड़ी आबादी गांव में साथ साथ रह रहे हैं ।

पंचायत चुनाव की वजह से इन इलाकों के मुसहर में बड़ा डिवीजन देखा जा रहा है अगर ये डिवीजन वोटिंग तक नहीं रहा तो इन इलाकों में पिलाओ ,खिलाओ और सुलाओ वाले फॉर्मूले पर काम शुरु हो जायेंगा और इसकी जबरदस्त तैयारी भी है वैसे कल सुबह आठ बजे के बाद तस्वीर साफ हो जायेंगी कौन सा खेला चल रहा है ।

वैसे कांग्रेस के डटे रहने के कारण राजद को थोड़ी परेशानी जरुर हो रही है क्यों कि अशोक राम के परिवार के लिए यह चुनाव राजनीतिक भविष्य से जुड़ा है और इसका प्रभाव दिख भी रहा है लड़ाई में नहीं रहने के बावजूद अशोक राम की पूरी टीम मैदान में डटी हुई है और राजद के लिए एक खतरा यह भी है देखिए आगे आगे होता है क्या लेकिन इतना तय है चुनाव बड़ा दिलचस्प होगा और कल शाम पांच बजे के बाद ही कहां जा सकता है कि कुशेश्वर स्थान का ताज किसके सिर पर सजेगा ।