आज से विश्व प्रसिद्ध गया पितृपक्ष मेला फल्गु नदीं में स्नान के साथ ही शुरु हो गया है हलाकि इस बार भी कोरोना का असर मेले पर साफ दिख रहा है। बाहर के प्रदेशों से लोगों का इस बार भी आना कम ही हुआ है ।पिंडदान कर्मकांड अगले 17 दिनों तक यानि 6 अक्टूबर को अंतिम स्नान के साथ समाप्त हो जायेंगा हलाकि कर्मकांड से जुड़े पंडितों का कहना है कि दो तीन दिनों में पहले जैसा रोनक देखने को मिलेगा।
प्रशासन के सख्त निर्देश को देखते हुए इस बार कोविड-19 गाइडलाइन का अनुपालन करते हुए पिंडदान की प्रक्रिया संपन्न कराई जा रही है। मास्क, सैनिटाइजर व आपस में दूरी रखने की सलाह तीर्थयात्रियों को दिया जा रहा है। एक जगह पर तीर्थयात्रियों की भीड़ ज्यादा ना हो इस बात का भी ख्याल रखा जा रहा है।
विगत 2 सालों से कोरोना के कारण पिंडदान कर्मकांड बंद था, जिस कारण इस कार्य में लगे पंडित की आर्थिक स्थिति काफी खराब है। इस बार पितृपक्ष मेला की स्वीकृति नहीं दी गई, लेकिन पिंडदान कर्मकांड की स्वीकृति सरकार ने दी है, इससे लोगों को थोड़ी आस जगी है।
जिला पदाधिकारी अभिषेक सिंह ने कहा कि पितृपक्ष मेला नहीं लगेगा, लेकिन गया आने वाले पिंडदानियों को कर्मकांड करने से नहीं रोका जाएगा। उन पिंडदानियों को कोरोना गाइडलाइन के तहत कर्मकांड करना है और इसकी निगरानी भी की जाएगी। नगर आयुक्त सावन कुमार ने बताया कि मेला नहीं लगेगा, लेकिन पिंडदानियों के आगमन की संभावना को देखते हुए मेला क्षेत्र में सफाई की विशेष व्यवस्था की गई है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई स्थानों पर शिविर लगाकर कोरोना जांच व टीकाकरण किया जाएगा।