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पटना हाईकोर्ट में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा NDA गठबंधन को छोड़ कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई 7 सितम्बर,2022 को की जाएगी

ये जनहित याचिका धर्मशीला देवी ने दायर की है। इस जनहित याचिका की चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के एडवोकेटजनरल और याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वरुण सिन्हा को इस मुद्दे को स्पष्ट करने को कहा कि चुनाव पूर्व गठबंधन को खत्म करने के सम्बन्ध में संवैधानिक और कानूनी प्रावधान क्या है।

कोर्ट ने सुनवाई के शुरुआत में याचिकाकर्ता वरुण सिन्हा से जानना चाहा कि क्या कोई ऐसा कानून है,जिसके तहत चुनाव पूर्व गठबंधन तोड़ा जा सकता है या नहीं।

इस जनहित याचिका में ये कहा गया है कि 2020 में नीतीश कुमार ने एन डी ए के साथ चुनाव लड़ा और उनके साथ सरकार बनायीं।लेकिन फिर उन्होंने यह गठबंधन छोड़ कर राजद व अन्य दलों के महागठबंधन की सरकार बना कर फिर मुख्यमंत्री बन गए।

ये संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन और जनादेश का अपमान हैं।याचिका में यह कहा गया है कि संविधान के प्रावधानों के 163 और 164 के तहत राज्यपाल को नीतीश कुमार को पुनः मुख्यमंत्री नहीं नियुक्त करना चाहिए था, क्योंकि उन्होंने बहुमत वाले गठबंधन को छोड़ कर अल्पसंख्यक वाले गठबंधन के साथ सरकार बना ली।

इससे पहले भी 2017 में भी नीतीश कुमार ने राजद के साथ गठबंधन कर सरकार बनाने बाद राजद छोड़ कर बीजेपी के साथ सरकार बना का मुख्यमंत्री बने।जिस गठबंधन के आधार मत ले कर सरकार बनाते है,बाद में उसी जनादेश नजरअंदाज और अपमान कर दूसरे गठबंधन के साथ मिल कर सरकार बना ली हैं।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 7 सितम्बर,2022 को की जाएगी।

गोपाल के सामने क्यों बेबस हैं नीतीश

JDU विधायक गोपाल मंडल पर तेजस राजधानी एक्सप्रेस में यात्रियों के साथ हंगामा गाली गलौज धमकी दिए मामले में रेल एसपी पटना के निर्देश पर जीआरपी थाना आरा में JDU विधायक गोपाल मंडल सहित 4 लोगों पर आरा GRP में प्राथमिकी दर्ज….आरा GRP कांड संख्या –76/21 धारा:–504/290/379/34 भा०दी०वी एवं 3 (r)(s) अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज की गई है। यह पहला मामला है जब बिहार के किसी विधायक की वजह से जहां पूरे देश में राज्य की आलोचना हो रही है वही सरकार और JDU अपने विधायकों को लेकर पूरी तरह से डिफेंसिव है।

सीएम नीतीश कुमार से जब आज मीडिया ने गोपाल मंडल के हरकत के बारे में सवाल किया तो उन्होंने “जांच चल रही है’ कहते हुए मीडिया से दूरी बना लिए ।गोपाल मंडल को लेकर यह कोई पहला मौका नहीं है जब सरकार को असहज होना पड़ा है।

कुछ दिन पहले राज्य के उप मुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद के बारे में बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी किये थे जिसको लेकर बीजेपी को असहज होना पड़ा था।शराबबंदी को लेकर गोपाल मंडल नीतीश कुमार पर सीधे निशाना साधते हुए कहा था कि ‘मुख्यमंत्री का कान बंद है। इसलिए मुख्यमंत्री का कान खोलना चाहते हैं। बिहार में ऐसा कोई पुलिस या पुलिस अधिकारी नहीं है, जो शराब नहीं पीता।

कुछ दिन पहले बांका में 20 एकड़ जमीन पर JDU के विधायक कब्जा जमाने गए थे, लेकिन लोगों ने उन्हें बंधक बना लिया था। लौटने के बाद भागलपुर में उन्होंने एक समुदाय के खिलाफ जातिसूचक टिप्पणी करते हुए कहा- ‘उन लोगों की हिम्मत है..ठोक देंगे इस घटना को लेकर भी सोशल मीडिया में एक वीडियो खुब वायरल हुआ था इतना ही नहीं समय समय पर सीएम नीतीश कुमार के फैसले पर भी सवाल उठाते रहते हैं विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद उन्होंने कहा टिकट वितरण को लेकर सवाल खड़े हुए कहा था कि जदयू की हार के लिए सीएम नीतीश खुद जिम्मेवार हैं । ‘नाथनगर की सीट नीतीश कुमार की गलती की वजह से पार्टी हार गई।

Jdu और नीतीश गोपाल मंडल को लेकर खामोश क्यों है

इस तरह से व्यवहार के बावजूद नीतीश कुमार की चुप्पी रहस्य की बात है कहा यह जा रहा है कि बिहार विधानसभा में एक तो इस बार जदयू के विधायक की संख्या काफी कम है ऐसे में कारवाई करने के बाद विधायक खुल्ला साँड़ हो जायेंगा और उसके बाद सरकार को और परेशानी बढ़ सकती है

गरीबों के बीच राँबीन हुड, की छवि है गोपाल मंडल का
भागलपुर के गोपालपुर से गोपाल मंडल लगातार चौथी बार विधायक बने हैं इसकी वजह है यह है कि वो जिस गंगोता जाति से आते हैं उसकी पहचार उस इलाके में लड़ाकू जाति के रुप में है ,भागलपुर दंगा के दौरान जब शहर के लोग असुरक्षित महसूस करने लगे थे उस समय गंगोता ही पूरे शहर की सुरक्षा अपने कंधों पर लिया था और फिर भागलपुर में जो कुछ भी हुआ उसके पीछे गंगोता ही खड़ा था।

वो छवि आज भी भागलपुर जिले के लोगों के जेहन से बाहर नहीं निकला है इसका लाभ गोपाल मंडल को मिलता है फिर उस इलाके में भूमिहार और गंगोता के बीच वर्चस्व को लेकर ताना तानी चलता रहता है जिसके खिलाफ गोपाल मंडल हमेशा खड़ा रहता है फिर पुलिस और पदाधिकारी के बारे में सार्वजनिक रुप से बोलने की छवि है इस वजह से गरीबों के बीच गोपाल मंडल काफी लोकप्रिय है इतना ही नहीं भागलपुर लोकसभा में गंगोता जाति के वोट सबसे अधिक वोट 9.26 फीसदी हैं। भागलपुर जिले की राजनीति गंगोता जाति के वोटर तय करते हैं और गोपाल मंडल अपने जाति में भी काफी लोकप्रिय है।

भागलपुर से जदयू सांसद अजय कुमार मंडल भी गंगौता जाति से ही आते हैं और चाह करके गोपालमंडल का प्रभाव वो कम नहीं कर पाये लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार को गोपालमंडल को मनाने में पसीना छुट गया था कहां ये जा रहा है कि गोपालमंडल के मामने के बाद ही अजय मंडल सरल जीत हासिल कर पाये ऐसे में भागलपुर जिले में गोपाल मंडल का राजनैतिक पकड़ इतनी मजबूत है कि नीतीश कुमार चाह करके भी कुछ खास नहीं कर पायेंगे ।

वही गोपाल मंडल नीतीश कुमार से इसलिए भी नराज हैं कि चार बार से लगातार विधायक बनने के बावजूद नीतीश कुमार इन्हें मंत्री नहीं बनाये हैं और उसी नराजगी का यह असर है कि गोपाल मंडल नीतीश कुमार कैसे असहज महसूस करे इसके लिए सीमाएं लांघते रहता है ।

मंत्री जी के क्षेत्र भ्रमण पर लगी रोक चुनाव प्रचार करते दिखे तो होगी कारवाई

राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव को देखते हुए मंत्री ,विधायक और सांसद के क्षेत्र भ्रमण पर रोक लगा दिया है इस आदेश का ाअनुपालन नहीं करने वाले मंत्री ,विधायक और सांसद के खिलाफ आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के तहत मामला दर्ज में ।आयोग के निर्देश के अनुसार केन्द्र या राज्य सरकार के मंत्री ही नहीं विधायक, विधान पार्षद और सांसद भी अपने सरकारी यात्रा को चुनावी यात्रा से बिल्कुल अलग रखेंगे। दोनों यात्राओं को एक साथ नहीं किया जाएगा।

मंत्री यदि जिला मुख्यालय या क्षेत्रीय स्तर के कार्यालयों तक सरकारी कार्यों के सिलसिले में जाते हैं और उसके बाद निजी वाहन के माध्यम से चुनावी यात्रा करते हैं तब भी पूरे दौरे को चुनावी दौरा माना जाएगा।

साथ ही वो उम्मीदवार जिनके साथ मंत्री देखे जाएंगे उसके चुनावी खर्चे में मंत्री के पूरे दौरे का खर्च जोड़ दिया जाएगा। सरकारी वाहन से लेकर सरकारी भवन के चुनाव कार्यों के लिए उपयोग पर भारतीय दंड संहिता की धारा 171 (c) के तहत कार्रवाई होगी। इसके तहत दोष सिद्ध होने पर तीन महीने कारावास की सजा या दो सौ रुपए आर्थिक दंड हो सकता है या दोनों ही हो सकता है। यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है। इसकी सुनवाई मजिस्ट्रेट करेंगे।

हाईकोर्ट ने तेज प्रताप से चुनाव के दौरान साक्ष्य छुपाने को लेकर मांगा जबाव

पटना हाईकोर्ट में राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सह विधायक तेज प्रताप यादव के निर्वाचन को चुनौती देने वाली चुनाव याचिका पर सुनवाई शुरु कर दिया है। तेज प्रताप यादव के हसनपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचन कोलेकर विजय कुमार यादव ने चुनाव याचिका दायर कर चुनौती दिया है।

कोर्ट में दोनों पक्षों की ओर से विवादित बिंदुओं को दाखिल किया गया। जस्टिस विरेन्द्र कुमार ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए इसे रिकॉर्ड पर रखने का आदेश दिया।
अब इस मामलें पर 30 सितंबर को सेटलमेंट ऑफ इशू और गवाही पर सुनवाई की जाएगी। गवाही में संबंधित पक्षकारों द्वारा उन दस्तावेजों और गवाहों की सूची भी दी जाएगी ,जो इस मुकदमें से जुड़े हुए होंगे।

पूर्व स्वास्थ्य मंत्री व् विधायक तेज प्रताप यादव के अधिवक्ता जगन्नाथ सिंह ने बताया कि याचिकाकर्ता ने जनप्रतिनिधि एक्ट, 1951 की धारा 100 का हवाला देते हुए तेज प्रताप यादव के निर्वाचन को अमान्य घोषित करने के लिए यह चुनाव याचिका दायर की गई हैं।

अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने यादव के निर्वाचन को अमान्य करार देकर हारे हुए जद यू के उम्मीदवार राज कुमार राय को घोषित करने करने के लिए चुनाव याचिका दायर की है।
यह मामला वर्ष 2020 में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव से जुड़ा हुआ है। याचिका दायर करने का आधार यादव द्वारा जानबूझकर अपनी संपत्ति के संबंध में पूरा ब्यौरा नहीं देने का आरोप लगाया गया है

याचिकाकर्ता ने जनप्रतिनिधि क़ानून की धारा 123(2) के अनुसार इसे भ्रष्ट आचरण बताया है।

3 नवंबर, 2020 को विधानसभा चुनाव संपन्न हुआ था। 10 नवंबर, 2020 को चुनाव परिणाम घोषित किया गया था, जिसमें तेज प्रताप यादव हसनपुर विधानसभा चुनाव क्षेत्र से विजयी हुए थे। अब इस मामले में आगे की सुनवाई आगामी 30 सितंबर को की जाएगी।

बालू माफिया से सांठगांठ मामले में डीएसपी के घर छापेमारी

बालू माफिया से सांठगांठ मामले में आर्थिक अपराध इकाई ने कारवाई तेज कर दिया है आज पटना पालीगंज के तत्कालीन एसडीपीओ तनवीर अहमद के ठिकानों पर आर्थिक अपराध शाखा (ईओयू) ने छापेमारी की है। वे बालू के अवैध खनन में संलिप्तता के आरोप में निलंबित हैं। उनके पटना स्थित फ्लैट के अलावा बेतिया जिला के पैतृक घर की भी तलाशी ली जा रही है। इसके अलावा उनके नरकटियागंज अनुमंडल के मैनाताड़ थाना क्षेत्र के पीडारी गाँव में भी छापामारी चल रही है अहमद के पास आय से 60 प्रतिशत अधिक संपति पाई गई है।

डीएसपी का घर भारत-नेपाल सीमा पर है। ईओयू की इस कार्रवाई से पहले उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया था। निलंबित किए गए डीएसपी के खिलाफ बालू माफियाओं संग सांठगांठ के सबूत मिले हैं।इससे पहले आर्थिक अपराध इकाई ने बालू माफिया से सांठगांठ मामले में निलंबित डेहरी के तत्कालीन एसडीओ सुनील कुमार सिंह के तीन ठिकानों पर एक साथ छापानारी किया था । ईओयू ने पटना और उत्तर प्रदेश के गाजीपुर स्थित उनके पैतृक आवास पर भी छापेमारी किय था। वहां कमरे की तलाशी लेने के साथ ही घर पर मौजूद निलंबित एसडीओ से घंटों पूछताछ कि गयी थी ।

बिहार की शिक्षा व्यवस्था का हुआ भगवाकरण लालू प्रसाद ने सरकार पर लगाया आरोप

जयप्रकाश विश्वविधालय के पीजी कोर्स से जयप्रकाश नारायण,राममोहर लोहिया, दयानंद सरस्वती, राजाराम मोहन राय, बाल गंगाधर तिलक और एमएन राय जैसे महापुरुषों के विचार से जुड़े कोर्स को हटाये जाने को लेकर बिहार की सियासत भूचाल आ गया है । एक और जहां राज्य सरकार सकते में है वही लालू प्रसाद ने ट्टीट करके नीतीश और सुशील मोदी से सीधा सवाल किया और कहां है कि मैंने जयप्रकाश जी के नाम पर अपनी कर्मभूमि छपरा में 30 वर्ष पूर्व जेपी विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। अब उसी यूनिवर्सिटी के सिलेबस से संघी बिहार सरकार तथा संघी मानसिकता के पदाधिकारी महान समाजवादी नेताओं जेपी-लोहिया के विचार हटा रहे है। जेपी-लोहिया हमारी धरोहर है, उनके विचारों को हटाना बर्दाश्त से बाहर है। सरकार अविलंब संज्ञान लेकर आवश्यक कारवाई करें।

वैसे विश्वविधालय का जो नया सिलेबस आया है उसमें पंडित दीनदयाल उपाध्याय, सुभाष चंद्र बोस और ज्योतिबा फुले के विचार को जोड़ा गया है यह बदलाव राजभवन के द्वारा किया है इस बदलाव से जुड़ी खबर के आने के बाद सरकार के सामने मुसिबत यह है कि बीजेपी में भी बहुत सारे नेता ऐसे हैं जो जेपी आंदोलन से जुड़े रहे हैं और बिहार में जेपी आंदोलन को लेकर छवि यह है कि कांग्रेस के खिलाफ वो आंदोलन था और इसका लाभ बीजेपी को भी बिहार में मिलता है ऐसे में जेपी और लोहिया को सिलेबस से हटाना एनडीए की सरकार के लिए मुसिबत खड़ी कर सकती है ।

नीतीश कुमार पीएम पद के नहीं है उम्मीदवार मोदी हैं सर्वमान्य नेता

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में भारत के प्रधानमंत्री बनने की तमाम योग्यता रखते हैं, हालांकि वह पीएम पद के दावेदार नहीं हैं। रविवार को जदयू की राष्टीय परिषद की बैठक में यह प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से पास किया गया। साढ़े तीन घंटे से अधिक चली इस बैठक के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केन्द्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह, संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा, सांसद बशिष्ठ नारायण सिंह समेत जदयू राष्ट्रीय परिषद के करीब ढाई सौ सदस्यों की उपस्थित के बीच पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखा। कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं और वही एनडीए में पीएम पद के प्रत्याशी भी हैं। लिहाजा, नीतीश कुमार इस पद के दावेदार नहीं हैं। लेकिन, हमारा मानना है कि पीएम पद के लिए जिन योग्यताओं और जिस आला दर्जे के समर्पण तथा दक्षताओं की जरूरत होती है, वे सभी नीतीश कुमार में हैं। ललन सिंह के इस प्रस्ताव को जदयू राष्ट्रीय परिषद ने सर्वसम्मति से पारित किया।

नीतीश कुमार पीएम मटेरियल जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में हुआ पारित

JDU के राष्ट्रीय परिषद की बैठक में कुल 8 एजेंडों पर चर्चा की गई। इस बैठक में ललन सिंह को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत किया गया और उन्हें अध्यक्ष पद के सभी अधिकारों को दिया गया। इस बैठक के एजेंडे में संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के लिए भी JDU के संविधान में संशोधन किया गया है। पहले से राष्ट्रीय अध्यक्ष ही संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष होते थे। लेकिन संशोधन में ये साफ किया गया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष किसी को मनोनीत कर सकते है। अभी, उपेंद्र कुशवाहा JDU संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष है। वही, जातीय जनगणना और जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर भी प्रस्ताव पास किए गए। इसमें JDU ने अपने पुरानी बातों को फिर से दोहराया है।

1 प्रस्ताव – राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित किए जाने पर राष्ट्रीय परिषद ने मुहर लगा दी। वहीं, रामचंद्र प्रसाद सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण योगदान के प्रति आभार व्यक्त और उनके कार्यकाल की प्रशंसा पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी के फैसले का अनुमोदन किया गया।

2 प्रस्ताव – पार्टी संविधान में संशोधन किया गया। राष्ट्रीय परिषद में यह प्रस्ताव किया गया कि संविधान की धारा 28 में आवश्यक संशोधन करते हुए यह प्रावधान किया जाए जिसमें JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष होंगे या किसी को अध्यक्ष मनोनीत करने के साथ सदस्यों का मनोनयन करेंगे।

3 प्रस्ताव- राष्ट्रीय परिषद ने आगामी विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में NDA के साथ समुचित हिस्सेदारी के आधार पर चुनाव लड़ने की पहल करने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष को अधिकृत किया गया है।

4 प्रस्ताव -इस प्रस्ताव में जातीय आधार पर जनगणना को रखा गया है। पार्टी के प्रस्ताव में कहा गया कि आवश्यक है कि केंद्र सरकार जाति आधारित जनगणना कराकर सभी जातियों का वास्तविक आंकड़ा सार्वजनिक करें। जिससे सुविधा विहीन और विकास से वंचित जातियों को उनकी आबादी के अनुरूप साधन एवं सुविधा मुहैया हो सके। जनगणना समाज और सरकार सबके हित में होगी और इससे हमारी संसदीय लोकतंत्र मजबूत होगा।

5 प्रस्ताव – राष्ट्रीय परिषद की मांग है कि जस्टिस रोहिणी आयोग की सिफारिशों को सार्वजनिक किया जाए ताकि बिहार की तर्ज पर अत्यंत पिछड़े वर्गों को सामाजिक शैक्षणिक और आर्थिक सशक्तिकरण के प्रयासों को अधिक बल मिल सके।

6 प्रस्ताव – जनसंख्या नियंत्रण के लिए शिक्षित कन्या-सुखी परिवार के बिहार मॉडल को जनसंख्या कम करने का लक्ष्य बनाने का प्रस्ताव रखा गया। JDU किसी कठोर नियंत्रण अथवा किसी नकारात्मक नतीजों वाले प्रयास के बजाय जागरूकता अभियान एवं बालिका शिक्षा के विस्तार के माध्यम से जनसंख्या वृद्धि को कम करने का समर्थन करता है।

7 प्रस्ताव – मेडिकल परीक्षाओं में की गई आरक्षण व्यवस्था का स्वागत किया गया । पार्टी का मानना है कि इसमें पिछड़े वर्गों के छात्रों के लिए 27% और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए 10% सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। इससे वंचित समूह को सामाजिक न्याय एवं विशेष अवसर मिलेंगे। इस प्रोत्साहन से चिकित्सा सेवा क्षेत्र में समानता उपलब्ध कराने के प्रयास में सफलता मिलेगी।

8 प्रस्ताव -इस में शोक प्रकाश लाया गया। जिसमें नेताओं के निधन पर शोक व्यक्त किया गया।

इस प्रस्तावों पर भी लगा मोहर

1— यूपी और मणिपुर विधान सभा चुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी जदयू।

2–नीतीश कुमार पीएम पद के हैं योग्य उम्मीदवार

3– हम बीजेपी के सबसे विश्वसनीय पार्टनर।

नीतीश के सामने है दोहरी चुनौती पार्टी और सरकार दोनों कैसे बचे

आज जदयू के केंद्रीय संगठन में हाल में हुए बदलाव के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) कई महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपनी राय देंगे। पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच फैले भ्रम को दूर करेंगेे और उन सवालों के जवाब भी देंगे जो पार्टी संगठन में अक्सर पूछे जा रहे हैं। रविवार को पटना में आयोजित राष्ट्रीय परिषद (JDU National Council) की बैठक में मुख्यमंत्री के भाषण का इंतजार पार्टी के कार्यकर्ता शिद्दत से कर रहे हैं। हाल के दिनों में उनके बीच संशय पैदा करने वाली कई घटनाएं हुईं। इस या उस नेता के बदले पार्टी के प्रति प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं के बीच अधिक दुविधा है।

स्वागत समारोह या शक्ति प्रदर्शन
जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर सांसद राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह (JDU National President Lalan Singh) छह अगस्त को पटना आए। उनके स्वागत में भारी भीड़ जुटी। केंद्र में मंत्री बनने के बाद आरसीपी सिंह (Union Minister of Steel RCP Singh) पहली बार बिहार आए। उसमें भी अच्छी भीड़ जुटी। लेकिन, तैयारी के बैनर से विवाद हो गया। उस बैनर पर नए बने राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का फोटो नहीं था। वह बैनर हटा। नया बैनर लगा। लेकिन, आरसीपी की पूरी यात्रा में बैनर का फोटो विवाद बन कर झूलता रहा। संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) फोटो चुनिन्दा जवाब में उपेंद्र कुशवाहा की यात्रा के बैनरों से आरसीपी गायब कर दिए गए।

संगठन का काम करते रहेंगे
आरसीपी ने सम्मान समारोह में कहा कि वह केंद्र में मंत्री रहेंगे और संगठन का काम पहले की तरह करते रहेंगे। उन्होंने बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं के घर पर भोजन करने की घोषणा की। कार्यकर्ताओं को यह भरोसा दिया कि इस्पात मंत्रालय और बिहार सरकार में मनोनयन से भरे जाने वाले पदों की वैकेंसी खत्म करेंगे। कार्यकर्ताओं को मनोनीत करेंगे। उन्होंने इशारे में कहा कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष की उनकी भूमिका कायम रहेगी।

कार्यकर्ताओं-नेतृत्व दोनों में असमंजस
आरसीपी की घोषणा के बाद कार्यकर्ताओं और छोटे-मध्यम दर्जे के नेतृत्व में भी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है कि वह किसे संगठन का नेता माने। बेशक नीतीश कुमार सर्वोच्च हैं। लेकिन, संगठन के मामले में वह रोज-रोज अपनी राय नहीं दे सकते हैं। लिहाजा उनके बाद वाले कमांड की जरूरत है। संभव है कि नीतीश कुमार अपने संबोधन में जिक्र करें कि पार्टी संगठन का व्यवहारिक नेतृत्व कौन करेगा। पार्टी के प्रति संगठन और सरकार-दोनों की जिम्मेवारी है। यह तय होगा प्राथमिक जिम्मेवारी किसकी है।

बैक ड्राप पर सिर्फ नीतीश का चेहरा
अध्यक्ष बनने के बाद भी ललन सिंह संगठन के मामले में अधिक सक्रिय नहीं हैं। स्वागत कराने के बाद लोकसभा की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली चले गए। संसद की कमेटी के साथ जम्मू-कश्मीर के दौरे पर गए थे। वहां जदयू कार्यालय में गए। लेकिन, बिहार संगठन में उन्होंने कोई महत्वपूर्ण हस्तक्षेप नहीं किया। शायद इसलिए भी कि वे मुख्यमंत्री के मुंह से अपनी भूमिका के बारे में सुन लेना चाहते हैं। राष्ट्रीय परिषद की बैठक में ललन सिंह के अध्यक्ष बनने के फैसले की भी पुष्टि होगी। इसके बाद ललन सिंह की प्रभावी भूमिका शुरू होगी। फिलहाल, जदयू के प्रदेश कार्यालय के बैनर से राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से लगाया गया आरसीपी का फोटो हटा दिया गया है। ललन सिंह का फोटो रविवार के बाद लगेगा।

सरकार में शामिल होने का फैसला
अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने का फैसला किसका था। ललन सिंह कह रहे हैं कि यह राष्ट्रीय अध्यक्ष का फैसला था। उस समय राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी ही थे। मुख्यमंत्री अबतक कुछ स्पष्ट नहीं बोले हैं। दूसरी तरफ आरसीपी कह रहे हैं कि उन्होंने आज तक बिना मुख्यमंत्री की सहमति से कुछ नहीं किया। मुख्यमंत्री राष्ट्रीय परिषद की बैठक में कुछ ऐसा जरूर कहेंगे, जिससे कार्यकर्ता समझ जाएं कि किसी की सहमति या राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से आरसीपी ने केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होने का फैसला किया।

– अरुण अशेष(लेखक दैनिक जागरण के वरिष्ट पत्रकार हैं)

जदयू राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक से बिहार की राजनीति की दिशा तय होगी

जदयू के राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक आज और कल पार्टी के प्रदेश कार्यालय स्थित कर्पूरी सभागार में होनी है। इस बैंठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ,मंत्री आरसीपी सिंह ,संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, प्रधान महासचिव केसी त्यागी, राष्ट्रीय महासचिव संजय झा, आफाक अहमद,रामसेवक सिंह, रामनाथ ठाकुर, गुलाम रसूल बलियावी, कमर आलम, राष्ट्रीय सचिव आरपी मंडल, विद्यासागर निषाद, रवीन्द्र प्रसाद सिंह, संजय वर्मा, राजसिंह मान, कोषाध्यक्ष डॉ. आलोक सुमन समेत कुल 18 नेता शामिल होंगे।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रविवार को बैठक में शामिल होंगे और पार्टी नेता को सम्बोधित करेंगे ।

हलाकि बैठक के एजेंडे की बात करे तो बैठक में मुख्य रूप से उन प्रस्तावों पर मुहर लगनी है, जिन्हें दिल्ली में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में लिया गया था।

1—पहला प्रस्ताव था जातिगत जनगणना
2–दूसरा प्रस्ताव था जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने से सम्भव नहीं है पार्टी इसके लिए लोगों को जागरूक के लिए अभियान चलायेंगी
3–तीसरा प्रस्ताव था जदयू अपने संविधान में संशोधन पर भी मुहर लगाएगा। इसके तहत यह व्यवस्था की गई है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष को यह अधिकार होगा कि वे पार्टी के राष्ट्रीय संंसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में किसी को जिम्मेदारी दे सकें।
4—जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यह भी तय हुआ था पार्टी उन राज्यों में विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारेगी, जहां चुनाव बहुत जल्द होने वाले है। इस क्रम में उत्तर प्रदेश और मणिपुर का जिक्र आया था। इससे जुड़े प्रस्ताव पर भी राष्ट्रीय परिषद की बैठक में मुहर लगेगी।

हलाकि ये सारे एजेंडे दिखावे के लिए इस बैठक के पीछे मूल रुप से दो एजेंडा प्रमुख है जिसमें एक जातीय जनगणना को लेकर बीजेपी कैसे बैकफुट पर आती है और दूसरा संगठन से आरसीपी सिंह और उनके चाहने वाले लोगों का सफाया कैसे हो।
पहले एजेंडे को प्रभावी बनाने की जिम्मेवारी के0सी त्यागी को दी गयी है और आरसीपी सिंह के ऑपरेशन की जिम्मेवारी ललन सिंह और उपेन्द्र कुशवाहा दो गयी है।

क– नीतीश कुमार जातीय जनगणना को लेकर दूसरे राज्यों के दौरे पर निकलेंगे
रणनीति के तहत राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में एक प्रस्ताव पार्टी की और से लाया जा रहा है जिसमें जातीय जनगणना को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर एक नैरेटिव बने इसके लिए नीतीश कुमार देश स्तर उन्हें कैंपेन की जिम्मेवारी दी जाये ।
इसकी पीछे नीतीश कुमार की मंशा यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दू मुस्लिम और राष्ट्रवाद का जो नैरेटिव चरम पर है उसको कमजोर किया जा सके ।क्यों कि जब तक राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दू मुस्लिम और राष्ट्रवाद का नैरेटिव चलता रहेंगा जातिवादी राजनीति कमजोर होती चली जायेंगी और ऐसे में पार्टी को बचाये रखना मुश्किल हो जायेंगा। इसलिए राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक पूरी तौर पर जातीय जनगणना को लेकर फोकस रहेंगा ।
साथ ही जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बीजेपी जो कानून लाना चाह रही है उसका अपने तरीके से विरोध जारी रखने की रणनीति पर भी गम्भीर चर्चा होगी क्यों कि जातीय जनगणना को तोड़ जनसंख्या नियंत्रण कानून ही है ।
जो जातिवादी राजनीति को हाशिए पर पहुंचा सकता है क्यों कि बीजेपी इस कानून को पूरी तौर पर मुस्लिम नैरेटिव को सामने रख कर आगे बढ़ रही है।

ख–आरसीपी सिंह को पर कतरने की भी तैयारी है
राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के अध्यक्ष बनने पर जैसे ही मोहर लगेंगा ललन सिंह को संगठन के विस्तार का अधिकार मिल जायेंगा ।आरसीपी सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाने के लिए भले ही पार्टी एक व्यक्ति एक पद की बात कह रहा है जबकि आरसीपी सिंह से पहले शरद यादव और नीतीश कुमार राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं और मंत्री और सीएम भी इसलिए एक व्यक्ति एक पद का फॉर्मूला के पीछे आरसीपी को संगठन और पार्टी से दूर करना ही था इसलिए सबकी नजर राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक पर है क्यों कि अभी तक जदयू के नेताओं को बयान है उस गौर करेंगे तो एक बात समान्य है जदयू के हमारे सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार हैं और जदयू में एक ही नेता है, वह नीतीश कुमार हैं. जनता दल यूनाइटेड का मतलब आप लोग अच्छे तरीका से जान लीजिए, जनता दल यूनाइटेड है और इसका मतलब भी साफ है. पार्टी पूरी तरह से एकजुट है. कहीं भी पार्टी में किसी भी तरह का मतभेद नहीं है।बयान जरुर इस तरह के आ रहे हैं लेकिन पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक ठाक नहीं है यह दिख रहा है भले ही नीतीश कुमार क्यों ना मतभेद की बात सिरे से खारिज कर दे।
हलाकि आरसीपी विरोधी जो भी नेता है उसके निशाने पर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा है माना यही जा रहा है कि राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक के बाद उमेश कुशवाहा को प्रदेश अध्यक्ष से हटाया जा सकता है हलाकि यह निर्णय इतना आसाना नहीं है क्यों कि भले ही आरसीपी सिंह नीतीश में पूरी आस्था दिखा रहे हैं लेकिन आज वो इतने कमजोर भी नहीं है कि नीतीश उन्हें सिरे से खारिज कर दे ।

वैसे नीतीश और आरसीपी के बीच के रिश्ते को समझना आज की परिस्थिति में भी बहुत मुश्किल है भले ही 2020 के विधानसभा चुनाव में 10 से 15 ऐसे सीटों पर जहां जदयू चुनाव हारी है, उस हार के लिए आरसीपी जिम्मेवार है ये नीतीश भी स्वीकार करते हैं लेकिन इसके इतर भी बहुत सारी बाते ऐसी है जो आरसीपी को सिरे से खारिज करना नीतीश के लिए मुश्किल होगा ।

ऐसे में दो दिनों के इस राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक से बिहार की राजनीति किस और करवट लेगी इसका निर्घारण होना तय माना जा रहा है ।