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कई जज का हुआ प्रमोशन !

सिविल जज (जूनियर डिवीज़न) कैडर के 19 न्यायिक पदाधिकारियों को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के कैडर में प्रोन्नति दी गई है। एक अधिसूचना पटना हाईकोर्ट के प्रभारी रजिस्ट्रार जनरल जारी की है।

इस अधिसूचना के अनुसार शेखपुरा के मुंसिफ सह न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम , जिगर शाह को प्रोन्नत्ति देते हुए इन्हें सब जज- सह- ए सी जे एम, शेखपुरा नियुक्त किया गया है। अगले आदेश तक अस्थाई रूप से पदस्थापित किया गया है।

एस डी जे एम (हिलसा) नालंदा देवेश कुमार को प्रोन्नत्ति देते हुए सब जज- सह- ए सी जे एम, हिलसा(बिहारशरीफ) नालंदा नियुक्त किया गया है तथा मुंसिफ- सह- न्यायिक दण्डाधिकारी, प्रथम श्रेणी लखीसराय, महेश शुक्ला को लखीसराय का सब जज सह ए सी जे एम नियुक्त किया गया है ।

इसी प्रकार से पूर्णिया के मुंसिफ कुलदीप को सब जज सह ए सी जे एम पूर्णिया, जहानाबाद के मुंसिफ मनीष कुमार उपाध्याय को सब जज सह ए सी जे एम, जहानाबाद, न्यायिक दण्डाधिकारी, प्रथम श्रेणी, पटना, अदित्य कुमार सिंह को सब जज सह ए सी जे एम, पटना, औरंगाबाद के मुंसिफ राहुल किशोरे को सब जज सह ए सी जे एम, औरंगाबाद, न्यायिक दण्डाधिकारी,प्रथम श्रेणी, माधवी सिंह को सब जज सह ए सी जे एम औरंगाबाद, (दरभंगा) बेनीपुर के मुंसिफ सह न्यायिक दण्डाधिकारी, प्रथम श्रेणी, संजय कुमार पांडेय को (दरभंगा) बेनीपुर का सब जज सह ए सी जे एम, (पूर्वी चंपारण) रक्सौल, मोतिहारी के मुंसिफ सह न्यायिक दण्डाधिकारी ,प्रथम श्रेणी, कौशलेंद्र कुमार शुक्ला को ( पूर्वी चंपारण) मोतिहारी का सब जज सह ए सी जे एम, पटना के प्रथम श्रेणी न्यायिक दण्डाधिकारी अरविंद कुमार सिंह को पटना का सब जज सह ए सी जे एम, नियुक्त किया गया है।

डेहरी(रोहतास) के मुंसिफ सह प्रथम श्रेणी न्यायिक दण्डाधिकारी, अदिति गुप्ता को रोहतास, सासाराम का सब जज सह ए सी जे एम, गया के मुंसिफ सह प्रथम श्रेणी, न्यायिक दण्डाधिकारी प्रकाश कुमार रॉय को गया का सब जज सह ए सी जे एम, शाहपुर पटोरी(समस्तीपुर) के मुंसिफ सह न्यायिक दण्डाधिकारी, प्रथम श्रेणी अमरेन्द्र प्रसाद को शाहपुर, पटोरी, समस्तीपुर का सब जज सह ए सी जे एम, सासाराम(रोहतास) के मुंसिफ दिलीप कुमार रॉय को सासाराम, रोहतास का सब जज सह ए सी जे एम बनाया गया है। गोगरी(खगरिया) के मुंसिफ सह फर्स्ट क्लास जुडिशियल मजिस्ट्रेट राजीव कुमार को गोगरी खगरिया का सब जज सह ए सी जे एम, बखरी( बेगूसराय) के मुंसिफ सह फर्स्ट क्लास ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट राम चन्द्र प्रसाद को बखरी, बेगूसराय का सब जज सह ए सी जे एम, बनमंखी(पूर्णिया) के मुंसिफ वीरेन्द्र प्रसाद को बनमंखी, पूर्णिया का सब जज सह ए सी जे एम, खगरिया के मुंसिफ नंद किशोर को खगरिया का सब जज सह ए सी जे एम नियुक्त किया गया है।

हाईकोर्ट से सरकार को फिर लगा झटका सृजन मामले में बैक से वसूली पर लगाया रोक

पटना हाई कोर्ट ने सृजन घोटाला से जुड़े मामले में सर्टिफिकेट केस के जरिये पैसे की वसूली की कार्यवाही पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया है। जस्टिस मोहित कुमार शाह ने बैंक ऑफ बरोडा की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया।

सृजन घोटाला में कथित तौर पर संलिप्त भागलपुर शाखा के बैंक ऑफ बड़ौदा के तत्कालीन शाखा प्रबंधक से राज्य सरकार की 189 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि को सर्टिफिकेट केस चला कर वसूली करने की कार्यवाही शुरू की थी। पर फिलहाल यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश देते हुए जिला प्रशासन को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।

याचिकाकर्ता बैंक के वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने बताया कि सृजन घोटाले में जो पैसा है, जिला प्रशासन ने पैसा बसूली के लिए सर्टिफिकेट केस किया है। इसमें बैंक का कहना है कि ये सर्टिफिकेट केस नहीं हो सकता है, क्योंकि कानून में लोक मांग नहीं है। अभी सृजन घोटाले का मुकदमा चल रहा है, कोई फैसला नहीं हुआ है, इसलिए बैंक से पैसा वसूला नहीं किया जा सकता है।श्री शाही ने सुनवाई के दौरान सर्टिफिकेट ऑफिसर के क्षेत्राधिकार पर भी सवाल उठाया।

राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए सरकारी अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने नीलाम वाद के आदेश के विरुद्ध अपील दायर किये बगैर ही सीधे हाई कोर्ट में मामला दायर करने पर आपत्ति जताई।

सरकारी गांड़ी पर हाईकोर्ट का चला डंडा बगैर निबंधन के सड़क पर उतरा तो होगा जप्त

पटना हाई कोर्ट ने बगैर निबंधन के ही सड़कों पर घूम रही पटना नगर निगम की गाड़ियों के मामले को निष्पादित कर दिया।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने आदेश जारी किया है कि कोई भी सरकारी या अन्य सरकारी निकाय की गाड़ी बगैर निबंधन के सड़क पर खड़ी नहीं रह सकती।

पटना नगर निगम के मामले में कोर्ट ने इस लापरवाही पर अपनी नाराज़गी जताते हुए नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को चार महीने के भीतर जिम्मेदार अफसरों पर कार्यवाही पूरी करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने निर्भय प्रशांत की जनहित याचिका को निष्पादित करते हुए ये आदेश दिया।

कोर्ट ने कड़ी टिपण्णी करते हुए कहा कि देश मे कानून से ऊपर कोई नही है।
जब मोटर वाहन कानून में कोई गाड़ी को निबंधन से छूट नही है, तो नगर निगम की गाड़ियां एक दिन भी आखिर बगैर निबंधन के कैसे सड़कों पर खड़ी रहती थी ? खण्डपीठ ने यह स्पष्ट आदेश जारी किया कि बगैर निबंधन के कोई भी सरकारी व निगम की गाड़ी एक दिन भी सड़कों पर खड़ी नही रहेगी।

कोर्ट में दायर हलफनामे को माने, तो पटना नगर निगम ने 925 गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन के लिए तकरीबन 2 करोड़ रुपये जमा किया।

वर्ष 2019 में राजधानी की सड़कों पर नगर निगम की करीब 925 गाड़ियां बगैर निबंधन व् बीमा के ही घूम रही थी।।

अपराधियों की अब खैर नहीं जनामत तभी मिलेगी जब आपके ऊपर अपराधिक मामला नहीं होगा दर्ज

पटना हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में यह तय किया है कि प्रत्येक निचली अदालत को किसी आरोपी की जमानत अर्जी को निष्पादित करने से पूर्व लोक अभियोजक या अनुसंधान पदाधिकारी से यह जानकारी लेनी होगी कि उस आरोपी के विरुद्ध पूर्व में कितने आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि संबंधित अनुसंधानकर्ता या लोक अभियोजक के लिए यह ज़रूरी है कि वह ज़मानत की अर्ज़ीदार के पिछले सभी आपराधिक मामलों का इतिहास अदालत के समक्ष पेश करे।

आरोपी के आपराधिक इतिहास पर पुलिस और अभियोजक से मिली जानकारी को हर निचली अदालत को आदेश में उल्लेख करना होगा, जिससे वो किसी ज़मानत अर्ज़ी को मंज़ूर या खारिज करेंगे। न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने अनिल बैठा की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश को पारित किया।

अदालतों से पूर्व के आपराधिक मामलों को छुपा कर ज़मानत लेने की गलत तरीको पर रोकथाम लगाने के लिए हाई कोर्ट ने ऐसा आदेश जारी किया है। इस आदेश की प्रति सभी जिला न्यायाधीश को देने का भी निर्देश हाई कोर्ट ने दिया है। विदित हो कि अनिल बैठा के मामले में जमानत अर्ज़ीदर पर 10 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे, लेकिन उसने अपनी किसी भी ज़मानत अर्ज़ी में स्पष्ट तौर पर पूर्व के सभी आपराधिक मामलों के बारे में जानकारी नहीं दी थी। पिछला आपराधिक इतिहास को छुपा कर ज़मानत लेने के इस प्रयास को कोर्ट के साथ धोखाधड़ी करार देते हुए हाई कोर्ट ने इस पूरे प्रकरण की स्वतंत्र जांच कराने के लिए भी राज्य सरकार को आदेश दिया है और हाई कोर्ट के महानिबंधक कार्यालय को निर्देश दिया है कि हाई कोर्ट के साथ इस तरह की धोखाधड़ी करने वालों के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज की जाए।