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कोरोना के कोहराम का असर कल से हाईकोर्ट में होगा आंनलाइन सुनवाई

पटना हाईकोर्ट में राज्य में कोरोना महामारी से उत्पन्न हुए हालात को गम्भीरता से लेते हुए कल 4 जनवरी,2022 से मुकदमों की ऑनलाइन सुनवाई होगी। इस सम्बन्ध शिवानी कौशिक व अन्य की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की।

सुनवाई के दौरान कोर्ट द्वारा मौखिक जानकारी दी गई कि चूंकि पटना हाई कोर्ट के कुछ जज व कर्मी भी कोरोना से संक्रमित हो गए, इसलिए कल 4 जनवरी, 2022 से पटना हाई कोर्ट में कामकाज ऑनलाइन तौर पर ही किया जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि वकीलों का जीवन भी बहुमूल्य है, इसलिए इन बातों को भी ध्यान में रखना होगा। कोर्ट ने पूर्व में भी सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा था कि कोरोना के नए वैरिएंट के मद्देनजर हमें सावधानी बरतने की जरूरत है। कोरोना अभी गया नहीं है।

इसके पूर्व में भी कोर्ट ने राज्य सरकार से कोरोना को लेकर राज्य भर में मुहैया कराई गई सुविधाओं के संबंध में ब्यौरा देने को कहा था।

अगली सुनवाई आगामी 5 जनवरी, 2022 को होगी।

प्रथम इंटर लेवल परीक्षा के परिणाम को लेकर फिर फंसा पेंच हाईकोर्ट ने आयोग को कहां हलफनामा दायर करने

पटना हाई कोर्ट ने प्रथम इंटर लेवल संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा 2014 के काउंसिलिंग पर याचिका के निष्पादन तक रोक लगाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए स्टाफ सेलेक्शन कमीशन से हलफनामा दायर करने को कहा है। जस्टिस आशुतोष कुमार ने विनोद कुमार व अन्य की याचिका पर सुनवाई की।

कोर्ट ने स्टाफ सेलेक्शन कमीशन से वर्ष 2014 या वर्ष 2016 में जारी जाति प्रमाण पत्र को ही मांगने से मना किया है। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि इस मामले में प्रतिवादियों द्वारा लिए जाने वाला कोई भी अंतिम निर्णय इस याचिका के परिणाम पर निर्भर करेगा।

याचिका के जरिये बिहार स्टाफ सेलेक्शन कमीशन द्वारा कॉउंसलिंग के लिए चयनित अनुसूचित जाति – जनजाति, पिछड़े व अत्यंत पिछड़े वर्गों के अभ्यर्थियों से 31 अक्टूबर, 2014 व 13 मार्च, 2016 तक जारी किए गए नॉन क्रीमी लेयर जाति प्रमाण पत्र की मांग को लेकर कमीशन के सचिव के हस्ताक्षर से जारी अधिसूचना को रद्द करने को लेकर आदेश देने का आग्रह भी कोर्ट से किया गया था।

याचिककर्ता के अधिवक्ता अलका वर्मा का कहना था कि इस तरह की जानकारी विज्ञापन में नहीं दी गई थी, इसलिए जारी किया गया आदेश पूरी तरह से मनमाना है। 1 सितंबर, 2014 को विभिन्न पदों पर नियुक्ति हेतु बिहार स्टाफ सेलेक्शन कमीशन द्वारा विज्ञापन निकाला गया था।

इस मामले पर अगली सुनवाई फिर 11 जनवरी को की जाएगी।

कोरोना के कहर पर सरकार के रवैये पर हाईकोर्ट ने जतया एतराज

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में कोरोना महामारी के नए वेरिएंट के बढ़ते प्रभाव के रोक थाम व नियंत्रित किये जाने के मामले पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने शिवानी कौशिक व अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को बताने को कहा है कि करोना महामारी के तीसरे लहर के रोकथाम और स्वास्थ्य सेवा की क्या कदम उठाए जा रहे है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार ने बताया कि अगली सुनवाई में राज्य के सभी जिलों के अस्पतालों के सम्बन्ध में पूरा ब्यौरा बुकलेट के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को नए सिरे से पूरे तथ्यों की जांच कर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।

लेकिन अभी जो ओम्रिकोन नामक नए वेरिएंट के तेजी से बढ़ने के कारण स्थिति में परिवर्तन हो रहा है।दिल्ली,मुंबई जैसे शहरों से ले कर देश के अन्य भागों में ओम्रिकोन बहुत तेजी से फैल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट व अन्य कई हाई कोर्ट में ऑनलाइन सुनवाई शुरू कर दी गई है।इस स्थिति को देखते हुए पटना हाईकोर्ट में शीघ्र ऑनलाइन सुनवाई होने की संभावना है।
इससे पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामा में राज्य के स्वास्थ्य सेवाओं में विरोधाभासी तथ्यों के मद्देनजर कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई थी।

पिछली ऑन लाइन सुनवाई में स्वास्थ्य विभाग के अपर प्रधान सचिव ने बताया कि राज्य के सभी जिलों के अस्पतालों से पूरी जानकारियां ले कर उन्हें बुकलेट के रूप में कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा।

प्रधान अपर स्वास्थ्य सचिव अमृत प्रत्यय ने कोर्ट को बताया था कि बिहार राज्य स्वास्थ्य सेवा समिति के कार्यपालक अधिकारी संजय कुमार के अध्यक्षता में चार सदस्यों की एक टीम गठित किया गया है, जो राज्य के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत अधिकारी, कर्मचारी और उपलब्ध सुविधाओं की जांच कर रहा है।
ज़िला के सभी जिलों के सिविल सर्जनों द्वारा ज़िला के सरकारी अस्पतालों के सम्बन्ध में पूरा ब्यौरा तथ्यों को जांच कर प्रस्तुत करेंगे।

पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा था कि कोरोना के नए वैरिएंट के मद्देनजर हमें सावधानी बरतने की जरूरत है।कोरोना का खतरा अभी भी बरकरार है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से कोरोना को लेकर राज्य भर में कराई गई सुविधाओं के संबंध में ब्योरा देने को कहा था। कोर्ट ने विशेष तौर साउथ अफ्रीका में फैले कोविड के नए वैरियंट ओमाइक्रोन के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार को राज्य में ऑक्सीजन के उत्पादन और भंडारण के संबंध में सूचित करने को कहा था।
पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता विनय कुमार पांडेय ने बताया था कि कोर्ट ने उसके पूर्व भी राज्य के राज्य भर में उपलब्ध मेडिकल स्टाफ, दवाइयां, ऑक्सीजन व एम्बुलेंस आदि के संबंध में ब्यौरा तलब किया था।

इस मामले पर 5 जनवरी, 2022 को सुनवाई होगी।

कोरोना से निपटने को लेकर राज्य सरकार की क्या तैयारी इस आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई

#Covid19 : पटना हाईकोर्ट ने राज्य में कोरोना महामारी के मामले पर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने शिवानी कौशिक व अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की।

राज्य सरकार ने कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया कि अगली सुनवाई में राज्य के सभी जिलों के अस्पतालों के सम्बन्ध में पूरा ब्यौरा बुकलेट ( Compendium) के रूप में पेश करेगी।पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को नए सिरे से पूरे तथ्यों की जांच कर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।

इससे पहले राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामा में विरोधाभासी तथ्यों के मद्देनजर कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई थी।आज इस मामलें की ऑन लाइन सुनवाई हुई,जिसमें स्वास्थ्य विभाग के अपर प्रधान सचिव ने बताया कि राज्य के सभी जिलों के अस्पतालों से पूरी जानकारियां ले कर उन्हें बुकलेट( Compendium) के रूप में कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा।

राज्य सरकार द्वारा दायर विरोधभासी हलफनामा पर पिछली सुनवाई में ऑन लाइन उपस्थित स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव अमृत प्रत्यय ने खेद जाहिर किया था।उन्होंने कहा था कि अगली सुनवाई में विस्तृत और पूरे तथ्यों के साथ हलफनामा दायर किया जाएगा।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि बिहार राज्य स्वास्थ्य सेवा समिति के कार्यपालक अधिकारी संजय कुमार के अध्यक्षता में चार सदस्यों की एक टीम गठित किया गया है।यह टीम राज्य के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत अधिकारी, कर्मचारी और उपलब्ध सुविधाओं की जांच कर रहा है।

ज़िला के सभी जिलों के सिविल सर्जनों द्वारा ज़िला के सरकारी अस्पतालों के सम्बन्ध में पूरा ब्यौरा तथ्यों को जांच कर प्रस्तुत करेंगे।

राज्य सरकार ने जो इससे पहले ज़िला के सरकारी अस्पतालों के सम्बन्ध में हलफनामा दायर किया था, उसमें काफी जानकारियां सही नहीं थी।कोर्ट ने इसे काफी गम्भीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पूरा और सही तथ्यों पर आधारित ब्यौरा प्रस्तुत करने को कहा था।

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस मामलें पर आज साढ़े ग्यारह बजे सुबह ऑनलाइन पर सुनवाई किया। कोर्ट में स्वास्थ्य विभाग के अपर प्रधान सचिव ने ऑन लाइन उपस्थित हो कर सारी स्थिति का ब्यौरा दिया।
कोर्ट ने पटना के सिविल सर्जन को अस्पतालों में सारी व्यवस्था,दवा,डॉक्टर व अन्य सुविधाओं की तैयारी बनाए रखने का निर्देश दिया था।

पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा था कि कोरोना के नए वैरिएंट के मद्देनजर हमें सावधानी बरतने की जरूरत है।कोरोना का खतरा अभी भी बना हुआ है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से कोरोना को लेकर राज्य भर में कराई गई सुविधाओं के संबंध में ब्योरा देने को कहा था। कोर्ट ने विशेष तौर साउथ अफ्रीका में फैले कोविड के नए वैरियंट ओमाइक्रोन के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार को राज्य में ऑक्सीजन के उत्पादन और भंडारण के संबंध में सूचित करने को कहा था।

अधिवक्ता विनय कुमार पांडेय ने बताया था कि कोर्ट ने उसके पूर्व भी राज्य के राज्य भर में उपलब्ध मेडिकल स्टाफ, दवाइयां, ऑक्सीजन व एम्बुलेंस आदि के संबंध में ब्यौरा तलब किया था।
इस मामले पर 7 जनवरी, 2022को सुनवाई होगी।

कोरोना को लेकर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई कहा सरकार तीसरी लहर को लेकर क्या है तैयारी

पटना हाईकोर्ट ने करोना महामारी पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार द्वारा दायर विरोधाभासी हलफनामा को काफी गम्भीरता से लिया। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने शिवानी कौशिक व अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य के सभी जिलों के सिविल सर्जनों को ज़िला के सरकारी अस्पतालों के हालात का विस्तृत ब्यौरा तलब किया है।
राज्य सरकार ने जो ज़िला के सरकारी अस्पतालों के सम्बन्ध में हलफनामा दायर किया था, उसमें काफी जानकारियां सही नहीं थी।कोर्ट ने इसे काफी गम्भीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पूरा और सही ब्यौरा प्रस्तुत करने को कहा।
चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच इस मामलें पर कल इस मामलें पर साढ़े ग्यारह बजे सुबह virtual mode पर सुनवाई करेगी।कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव समेत सभी ज़िला के सिविल सर्जनों को ऑन लाइन उपस्थित हो कर सारी स्थिति का ब्यौरा देने का निर्देश दिया।

पिछली सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा था कि कोरोना के नए वैरिएंट के मद्देनजर हमें सावधानी बरतने की जरूरत है।कोरोना का खतरा अभी भी बना हुआ है।

पिछली सुनवाई में डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को कोरोना को लेकर राज्य भर में कराई गई सुविधाओं के संबंध में ब्यौरा देने को कहा था।

कोर्ट ने विशेष तौर साउथ अफ्रीका में फैले कोविड के नए वैरियंट ओमाइक्रोन के खतरे को देखते हुए राज्य सरकार को राज्य में ऑक्सीजन के उत्पादन और भंडारण के संबंध में सूचित करने को कहा था।

लेकिन आज जो राज्य सरकार ने विभिन्न जिलों के सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं, कार्यरत डॉक्टर,नर्स व् अन्य कर्मचारियों का विस्तृत ब्यौरा दिया,उसमें विरोधाभास व जानकारियां सही नहीं थी।

एम्स, पटना के अधिवक्ता विनय कुमार पांडेय ने बताया कि कोर्ट ने उसके पूर्व भी राज्य के राज्य भर में उपलब्ध मेडिकल स्टाफ, दवाइयां, ऑक्सीजन व एम्बुलेंस आदि के संबंध में ब्यौरा तलब किया था। इस मामले पर 17 दिसम्बर, 2021को सुनवाई की जाएगी।

आज हाईकोर्ट में झंझारपुर जज के साथ मारपीट मामले की ह़ुई सुनवाई

पटना हाईकोर्ट में झंझारपुर के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एन्ड सेशंस जज अविनाश कुमार – I पर किये गए कथित आक्रमण और मारपीट की घटना के मामले पर सुनवाई की।

राज्य की सी आई डी को अगली सुनवाई में जांच कार्रवाई का विस्तृत ब्यौरा पेश करने का निर्देश जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए दिया।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस मामले की जांच का सी आई डी को सौंपा था। कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए बिहार पुलिस के रवैये पर कड़ी नाराजगी जाहिर की।

कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि मधुबनी के एस पी क्यों नहीं स्थानांतरित किया गया।कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या पुलिस अधिकारी मनमानी कार्रवाई करेंगे।

कोर्ट ने सी आई डी को जांच का जिम्मा सौपा था और कहा कि इस मामले की जांच एस पी स्तर के अधिकारी करेंगे।साथ ही इस मामले की निगरानी सी आई डी के ए डी जी खुद करेंगे।

कोर्ट ने इस मामले मे सुनवाई में मदद करने के लिए वरीय अधिवक्ता मृगांक मौली को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने के दौरान मौखिक रूप से कहा कि आखिर पुलिस अधिकारियों ने लोडेड हथियार के साथ एक जज के चैम्बर में कैसे प्रवेश किया ?

इस मामलें पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने पिछली सुनवाई में स्पष्ट किया था कि राज्य की पुलिस दोनों पक्षों के मामलों को निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से अनुसंधान करने में सक्षम है।

एड्वोकेट जनरल ने कहा कि यदि चाहे तो कोर्ट सी बी आई समेत किसी भी एजेंसी से मामले की जांच करवा सकता है। उल्लेखनीय है कि मधुबनी के डिस्ट्रिक्ट एन्ड सेशंस जज द्वारा 18 नवंबर, 2021 को भेजे गए पत्र पर हाई कोर्ट ने 18 नवंबर को ही स्वतः संज्ञान लिया है।

साथ ही साथ कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, राज्य के डी जी पी, राज्य के गृह विभाग के प्रधान सचिव और मधुबनी के पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी किया था।

मधुबनी के प्रभारी डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज द्वारा इस घटना के संबंध में भेजे गए रिपोर्ट के मद्देनजर राजन गुप्ता की खंडपीठ ने 18 नवंबर, 2021 को सुनवाई की।

ज़िला जज ,मधुबनी के द्वारा भेजे गए रिपोर्ट के मुताबिक घटना के दिन तकरीबन 2 बजे दिन में एस एच ओ गोपाल कृष्ण और घोघरडीहा के पुलिस सब इंस्पेक्टर अभिमन्यु कुमार शर्मा ने जज अविनाश के चैम्बर में जबरन घुसकर अभद्र व्यवहार किया था।

उनके द्वारा विरोध किये जाने पर दोनों पुलिस अधिकारियों ने दुर्व्यवहार करने और हाथापाई की।
दोनों पुलिस अधिकारियों ने उनपर हमला किया और मारपीट भी किया था। पुलिस अधिकारियों ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर निकालकर आक्रमण करना चाहा।

इस मामले पर अगली सुनवाई ,10 जनवरी,2022 को होगी।

शिवहर डीएम को बच्ची के साथ कोर्ट में दाखिल होने का आदेश

पटना हाई कोर्ट ने शिवहर के जिलाधिकारी की बच्ची की कस्टडी को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए 20 दिसंबर 2021को तीन वर्ष की बच्ची को पेश करने का आदेश शिवहर के डी एम को दिया है।

जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह की खंडपीठ ने शिवहर के जिलाधिकारी की पत्नी जी एस एस सितारा की हैबियस कॉरपस आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई की।

कोट ने डी एम की याचिकाकर्ता पत्नी और डी एम सज्जन राज शेखर को भी को उपस्थित रहने को कहा है। याचिका में जिलाधिकारी पर याचिकाकर्ता पर मारपीट का आरोप भी लगाया गया है।

याचिकाकर्ता की मां ने मारपीट की घटना को लेकर पुलिस में शिकायत भी की थी। कुछ आला अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद याचिकाकर्ता को मुजफ्फरपुर स्थित सर्किट हाउस में रखा गया।

इसके बाद शिवहर के जिलाधिकारी सर्किट हाउस आकर अपनी माँ के साथ रह रही दोनों नाबालिग बच्चों को ले गए। इसमें एक इनका डेढ़ – दो वर्ष का बेटा भी शामिल है।

याचिकाकर्ता को यह कहकर बच्ची को जिलाधिकारी ले गए थे कि बच्ची को कुछ दिनों के बाद वापस लौटा देंगे, लेकिन अभी तक वापस नहीं किये।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सरोज कुमार शर्मा का कहना था कि हिन्दू गार्जियनशिप एक्ट की धारा 6 के अनुसार 5 वर्ष तक के बच्चे को कस्टडी का अधिकार मां को होता है।

इसी एक्ट की धारा 13 के अनुसार बच्चे का हित ही सर्वश्रेष्ठ सोच होगा। बच्ची को अभी देखभाल और स्नेह की आवश्यकता है।
माँ का प्यार सबसे ऊपर माना जाता है।

एक लेखिका अगाथा क्रिस्टी को उद्धरित करते हुए याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि एक मां अपने बच्चे के रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं का डटकर सामना करती है और बाधाओं को दूर कर देती है।

जिलाधिकारी का पक्ष अदालत के समक्ष वरीय अधिवक्ता अशोक चौधरी ने रखा।
इस मामले पर अगली सुनवाई 20 दिसंबर,2021,को होगी।

हाईकोर्ट ने अमीन बहाली के विज्ञापण को किया रद्द

पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के राजस्व विभाग द्वारा राज्य में 1767 रिक्त अमीन पदों पर बहाली के लिए जनवरी,2020 में निकाले गए विज्ञापन को रद्द कर दिया।जस्टिस पी बी बजन्थरी ने याचिकाकर्ता राम बाबू आजाद व् अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई की।

कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि इस विज्ञापन को रद्द कर तीन महीने के भीतर अमीन के रिक्त पदों को भरने के लिए नए सिरे से विज्ञापन प्रकाशित करें।

याचिकाकर्ता के ओर से कोर्ट में पक्ष प्रस्तुत करते हुए कोर्ट को बताया कि अमीन पद पर बहाली के लिए शैक्षणिक योग्यता के लिए जो योग्यता राज्य सरकार ने विज्ञापन में प्रकाशित किया था, वह प्रावधानों के अनुरूप नहीं था।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि बिहार अमीन cadre रूल के अनुसार उम्मीदवार +2 उत्तीर्ण होने के साथ अमानत की डिग्री या आई टी आई द्वारा सर्वेयर की डिग्री प्राप्त होना चाहिए।

राज्य सरकार के राजस्व विभाग में जो विज्ञापन में शैक्षणिक योग्यता रखी थी,उसके अनुसार उम्मीदवार को मात्र +2 ही उत्तीर्ण होना ही पर्याप्त हैं।

उम्मीद्वारों ने राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित इस विज्ञापन को पटना हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर करने चैलेंज किया।कोर्ट ने आज सभी पक्षों को सुनने के बाद इस विज्ञापन को रद्द करते हुए राज्य सरकार को नए सिरे अमीनो के रिक्त 1767 पर बहाली के लिए तीन माह नए सिरे से विज्ञापन प्रकाशित करने का आदेश दिया।

पटना पुलिस की कार्यशैली पर हाईकोर्ट ने जतायी नराजगी

पटना हाई कोर्ट ने ग्यारह महीने पहले मांगी गई केस डायरी व विसरा रिपोर्ट अभी तक नहीं प्रस्तुत करने के मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए फतुहां के डी एस पी को अगली सुनवाई में तलब किया है। पिछले एक वर्ष से लंबित एक अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह जानकर आश्चर्य व्यक्त किया कि केस डायरी और विसरा रिपोर्ट इतने दिनों बाद भी अबतक नहीं पेश किया गया।

पुलिस की कार्यशैली पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए जस्टिस संदीप कुमार ने फतुहां के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी को आगामी 8 दिसम्बर को पेश होने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता गजेंद्र कुमार के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि विगत जनवरी माह में ही हाई कोर्ट ने केस डायरी पेश करने का आदेश दिया था।

इसके बाद विगत फरवरी माह में पुनः हाई कोर्ट ने पटना पुलिस को एक रिमाइंडर देते हुए केस डायरी और विसरा रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था, लेकिन 11 महीने बीत जाने के बावजूद हाई कोर्ट के आदेश का पुलिस ने अनुपालन नहीं किया।
इस मामले पर अगली सुनवाई अब 8 दिसम्बर को की जाएगी।

सरकार के कामकाज पर हाईकोर्ट ने जतायी नराजगी

पटना हाई कोर्ट ने विभागीय कार्रवाई में नियमों का उल्लंघन कर आदेश पारित करने के मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य के चीफ सेक्रेट्री को सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। जस्टिस पी बी बजन्थरी ने अनिल कुमार शर्मा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की।।

नवादा में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के पद पर पदस्थापित रहे याचिकाकर्ता अनिल कुमार शर्मा के ट्रैप केस में पकड़े जाने पर निगरानी विभाग द्वारा प्राथमिकी दर्ज की गई थी।उसी प्राथमिकी को आधार बनाते हुए विभागीय कार्रवाई की गई। लेकिन, चार्ज मेमो के साथ न ही गवाहों की सूची दी गई और न ही कागजातों की सूची आवेदक को दी गई थी।

याचिकाकर्ता के वकील अशोक कुमार ने बताया कि यह बिहार क्लासिफिकेशन कंट्रोल अपील रूल की धारा 17(3) और 17(4) का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है। बगैर नियम का पालन किए ही याचिकाकर्ता को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।

इतना ही नहीं, अपीलीय अधिकारी शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के द्वारा भी अनिल कुमार शर्मा की बर्खास्तगी के खिलाफ दायर अपीलवाद में उठाए गए बिंदुओं की समीक्षा किए बगैर ही निरस्त कर दिया।
यह बिहार क्लासिफिकेशन कंट्रोल अपील रूल 24 का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है।

इसलिए, कोर्ट ने बर्खास्तगी के आदेश और अपील के आदेश को अवैध करार देते हुए याचिकाकर्ता को तत्काल प्रभाव से सेवा में वापसी का आदेश पारित किया।

साथ ही अवैध आदेश पारित करने वाले पदाधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने का आदेश राज्य सरकार के मुख्य सचिव को दिया हैै। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका को निष्पादित कर दिया।

इंझारपुर जज मारपीट मामले की जॉच सीआईडी करेगी हाईकोर्ट का आदेश

पटना हाईकोर्ट ने झंझारपुर के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एन्ड सेशंस जज अविनाश कुमार – I पर किये गए कथित आक्रमण और मारपीट की घटना के मामले की जांच का जिम्मा सी आई डी को सौंप दिया हैं। जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए बिहार पुलिस के रवैये पर कड़ी नाराजगी जाहिर की।

कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि मधुबनी के एस पी क्यों नहीं स्थानांतरित किया गया।कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या पुलिस अधिकारी मनमानी कार्रवाई कर सकते हैं।

कोर्ट ने सी आई डी को जांच का जिम्मा सौपा और कहा कि इस मामले की जांच एस पी स्तर के अधिकारी करेंगे।साथ ही इस मामले की निगरानी सी आई चडी के ए डी जी खुद करेंगे।

कोर्ट ने अगली सुनवाई मे जांच का पूरा ब्यौरा सील लिफाफे में प्रस्तुत करने का निर्देश सी आई डी को दिया।

कोर्ट ने इस मामले मे सुनवाई में मदद करने के लिए वरीय अधिवक्ता मृगांक मौली को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है। साथ ही कोर्ट मास्टर को आज ही इस मामले से सम्बन्धित कागजात समेत कोर्ट मे राज्य सरकार द्वारा पेश रिपोर्ट उन्हें देने का आदेश दिया है।

इस मामलें पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने पिछली सुनवाई में स्पष्ट किया था कि राज्य की पुलिस दोनों पक्षों के मामलों को निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से अनुसंधान करने में सक्षम है। एड्वोकेट जनरल ने कहा कि यदि कोर्ट चाहे सी बी आई समेत किसी भी एजेंसी से मामले की जांच करवा सकता है।

उल्लेखनीय है कि मधुबनी के डिस्ट्रिक्ट एन्ड सेशंस जज द्वारा 18 नवंबर, 2021 को भेजे गए पत्र पर हाई कोर्ट ने 18 नवंबर को ही स्वतः संज्ञान लिया है। साथ ही साथ कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, राज्य के डी जी पी, राज्य के गृह विभाग के प्रधान सचिव और मधुबनी के पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी किया था।

मधुबनी के प्रभारी डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज द्वारा अभूतपूर्व और चौंका देने वाली इस घटना के संबंध में भेजे गए रिपोर्ट के मद्देनजर राजन गुप्ता की खंडपीठ ने 18 नवंबर, 2021 को सुनवाई की।

ज़िला जज ,मधुबनी के द्वारा भेजे गए रिपोर्ट के मुताबिक घटना के दिन तकरीबन 2 बजे दिन में एस एच ओ गोपाल कृष्ण और घोघरडीहा के पुलिस सब इंस्पेक्टर अभिमन्यु कुमार शर्मा ने जज अविनाश के चैम्बर में जबरन घुसकर गाली दिया था।

उनके द्वारा विरोध किये जाने पर दोनों पुलिस अधिकारियों ने दुर्व्यवहार करने और हाथापाई किया था। इतना ही नहीं, दोनों पुलिस अधिकारियों ने उनपर हमला किया और मारपीट भी किया था।

पुलिस अधिकारियों ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर निकालकर आक्रमण करना चाहा।
कोर्ट ने राज्य के डी जी पी को अगली सुनवाई में कोर्ट में उपस्थित रहने से छूट दी है।
इस मामले पर अगली सुनवाई ,8 दिसम्बर,2021 को होगी।

पैक्स चुनाव को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला रूल 7(4) को किया रद्द

पटना हाई कोर्ट ने पैक्स का सदस्य बनाये जाने के संबंध में बिहार कोआपरेटिव सोसाइटी रूल्स, 1959 के रूल 7(4) को भारत के संविधान और कोआपरेटिव एक्ट के अल्ट्रा वायरस घोषित करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करने फैसला सुनाया।

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने रूल 7(4) को रद्द कर दिया। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने लक्ष्मीकांत शर्मा व अन्य के मामलों पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया गया।

वर्ष 2008 में किये गए संशोधन के तहत रूल 7(4) के अनुसार किसी को पैक्स का सदस्य बनाने में बिलंब हो रहा है ,तो उस व्यक्ति के द्वारा पैसा जमा करने और शपथ पत्र दाखिल करने के बाद सदस्य बनाया जा सकता था।

याचिकाकर्ता ओं के अधिवक्ता तुहिन शंकर ने बताया कि कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक संवैधानिक आदेश को अनाधिकृत तौर से हटाया नहीं किया जा सकता है।

अधिक से अधिक दायरे में रहकर नियंत्रण या पर्यवेक्षण किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में तो किसी से भी शपथ पत्र लेकर बगैर मैनेजिंग कमेटी गए या सुने ही पैक्स का सदस्य बनाया जा सकता है।

कोर्ट का यह भी मानना था कि संशोधित नियम में अपील का भी प्रावधान नहीं किया गया है और पीड़ित पक्ष बगैर किसी निवारण के नहीं रह सकता है।

अधिवक्ता तुहिन शंकर ने बताया कि यह संशोधन भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(सी), 43(बी) और 243(जेड एल) तथा बिहार कोआपरेटिव सोसाइटी एक्ट, 1935 का संशोधन के जरिये सदस्य बनाने का अधिकार प्रखंड विकास पदाधिकारी, कोऑपरेटिव सोसाइटी के असिस्टेंट रजिस्ट्रार व डिस्ट्रिक्ट कोआपरेटिव ऑफिसर को दिया गया था।

जमीनी विवाद मामले में पुलिस की रवैये से हाईकोर्ट नराज

पटना हाईकोर्ट ने जमीनी विवाद में प्राथमिक दर्ज नही किये जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए स्पष्ट किया कि जमीनी विवाद में पुलिस को प्राथमिक दर्ज करना होगा।अमरजीत राय एवं अन्य की ओर से दायर अर्जी पर जस्टिस संदीप कुमार ने सुनवाई करने के बाद यह निर्देश दिया।

कोर्ट का मानना था कि जमीनी विवाद की बात कह राज्य की पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने से इंकार कर देती है,जबकि पुलिस का पहला दायित्व प्राथमिकी दर्ज करना है। प्राथमिकी दर्ज नहीं करना एक तरह से अपराधियों को सीधा संरक्षण देने के समान है।

कोर्ट का कहना था कि जब कोई भी व्यक्ति थाने में शिकायत लेकर आता है ,तो सबसे पहले पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करना चाहिए, न कि पहले शिकायत की जांच करने और शिकायत सही होने पर प्राथमिकी दर्ज करना।

पुलिस को चाहिए कि शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज कर अपनी जांच प्रारम्भ करे। जांच में सही पाए जाने पर अभियुक्तों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें।

कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने देश के पुलिस को कई महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी किया है।लेकिन प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है।

कोर्ट ने पूर्वी चंपारण के एसपी को सुप्रीम कोर्ट की ओर जारी दिशानिर्देश का पालन करने के बारे में जिला के सभी थानेदारों को निर्देश जारी करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन राज्य में पुलिस नहीं कर रही है। इस मामले पर अगली सुनवाई की 15 दिसंबर, 2021को होगी।

झंझारपुर जज़ पर हमला मामले में हाईकोर्ट ने एमिकस क्यूरी नियुक्त किया

पटना हाई कोर्ट में झंझारपुर के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एन्ड सेशंस जज अविनाश कुमार – I पर किये गए कथित आक्रमण और मारपीट की घटना के मामले पर सुनवाई हुई। जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान रिपोर्ट बंद लिफाफे में सौंपी गई।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा कि आखिर पुलिस अधिकारियों ने लोडेड हथियार के साथ एक जज के चैम्बर में कैसे प्रवेश किया ? कोर्ट ने इस मामले में सहयोग करने हेतु एमिकस क्यूरी नियुक्त करने का निर्णय लिया है।

इस मामलें पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने कहा कि राज्य की पुलिस दोनों पक्षों के मामलों को निष्पक्ष और पारदर्शी ढंग से अनुसंधान करने में सक्षम है। दोनों पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।

एड्वोकेट जनरल ने कहा कि यदि चाहे तो कोर्ट सी बी आई समेत किसी भी एजेंसी से मामले की जांच करवा सकता है।
उल्लेखनीय है कि मधुबनी के डिस्ट्रिक्ट एन्ड सेशंस जज द्वारा 18 नवंबर, 2021 को भेजे गए पत्र पर हाई कोर्ट ने 18 नवंबर को ही स्वतः संज्ञान लिया है।

साथ ही साथ कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, राज्य के डी जी पी, राज्य के गृह विभाग के प्रधान सचिव और मधुबनी के पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी किया था।

मधुबनी के प्रभारी डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज द्वारा अभूतपूर्व और चौंका देने वाली इस घटना के संबंध में भेजे गए रिपोर्ट के मद्देनजर राजन गुप्ता की खंडपीठ ने 18 नवंबर, 2021 को सुनवाई की।

ज़िला जज ,मधुबनी के द्वारा भेजे गए रिपोर्ट के मुताबिक घटना के दिन तकरीबन 2 बजे दिन में एस एच ओ गोपाल कृष्ण और घोघरडीहा के पुलिस सब इंस्पेक्टर अभिमन्यु कुमार शर्मा ने जज अविनाश कुमार के चैम्बर में जबरन घुसकर गाली दिया था।

उनके द्वारा विरोध किये जाने पर दोनों पुलिस अधिकारियों ने दुर्व्यवहार करने और हाथापाई करने का काम किया था।
इतना ही नहीं, दोनों पुलिस अधिकारियों ने उनपर हमला किया और मारपीट करने का काम किया था। पुलिस अधिकारियों ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर निकालकर आक्रमण करना चाहा।

पटना हाई कोर्ट ने 18 नवंबर को कहा था कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि यह प्रकरण न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरे में डालता है। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य के डी जी पी को अगली।सुनवाई में भी उपस्थित रहने को कहा गया ।
इस मामले पर आगे की सुनवाई अब 1दिसम्बर,2021 को की जाएगी।

कोरोना को लेकर हाईकोर्ट सख्त कहाँ बेड से लेकर आँक्सीजन तक का हिसाब दे सरकार

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में कोरोना महामारी से सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए करोना के नए वेरिएंट को काफी गम्भीरता से लिया। शिवानी कौशिक व अन्य की जनहित याचिकाओं पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए करोना के इस नए वेरिएंट से अधिकतम सतर्कता बरतने को सभी से अनुरोध किया।

हाईकोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को राज्य में उपलब्ध मेडिकल सुविधाओं के सम्बन्ध में पूरा ब्यौरा अगली सुनवाई में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को यह बताने को कहा है कि राज्य में अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति की क्या स्थिति है।

कोर्ट ने राज्य सरकार को बताने को कहा कि ऑक्सीजन उत्पादन व आपूर्ति की क्या स्थिति है।साथ ही ऑक्सीजन के भण्डार करने की क्या व्यवस्था हैं।

कोर्ट ने कहा कि ये करोना का नया वेरिएंट पिछले अन्य करोना वेरिएंट से ज्यादा।खतरनाक है।इसलिए सभी को पूरी सतर्कता और सावधानी बरतने की सख्त जरूरत हैं।

2020 के मार्च माह पूरे देश समेत बिहार में भी करोना महामारी ने दुष्प्रभाव दिखाया था।इसके कारण पूरे देश में बड़ी तादाद में लोगों को अपने जान से हाथ धोना पड़ा।

फिर मार्च अप्रैल 2021 में इस महामारी ने खतरनाक रूप धारण किया।इस दौरान बड़ी संख्या लोगों की जाने गई थी।
कोर्ट ने कहा कि इस परिस्थिति के लिए राज्य में चिकित्सा अधारभूत संरचना की कमी भी जिम्मेदार रही।
बेड,दवा,एम्बुलेंस,ऑक्सीजन सिलिंडर की कमी के कारण लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी।

इस परिस्थिति में राज्य सरकार को नए कोरोंना वेरिएंट से निपटने के अभी से युद्ध स्तर पर कार्रवाई आरम्भ कर देनी चाहिए।
इस मामले पर अब अगली सुनवाई छह दिसंबर 2021,को फिर की जाएगी।

हाईकोर्ट ने बेगूसराय एसपी पर लगाया अर्थदंङ

पटना हाई कोर्ट ने बेगूसराय के एस पी पर 25 हज़ार रुपये का अर्थदंड लगाया है। जस्टिस पी बी बजन्थरी ने याचिकाकर्ता मोहम्मद एहतेशाम खान की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश को पारित किया।

दरअसल, सिपाही बहाली करने वाली केंद्रीय चयन परिषद को गुप्त सूचना मिली थी कि याचिकाकर्ता ने दूसरे व्यक्ति को परीक्षा में बिठाकर सिपाही की परीक्षा पास की है। इसके बाद मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई। आरोप गठित हुआ।

कार्यवाही चली, लेकिन कार्यवाह की इन्क्वायरी रिपोर्ट की प्रति याचिकाकर्ता को नहीं दी गई थी। 18 अक्टूबर, 2021 को उक्त मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने बेगूसराय के पुलिस अधीक्षक को इन्क्वायरी रिपोर्ट और सेकंड शो – कॉज की प्रति विभागीय कार्यवाही में याचिकाकर्ता को मुहैया कराइ गई थी कि नही ,ये शपथ पर बताने को कहा था।

इसके बावजूद ये शपथ पर नही आ सकी। इसी को लेकर कोर्ट ने 25 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया।

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बिहार नगरपालिका एक्ट 2007 की वैधता को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर

पटना हाईकोर्ट में बिहार नगरपालिका एक्ट,2007 के Chapter 5 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए टली।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ के समक्ष डा. आशीष कुमार सिन्हा व अन्य द्वारा दायर याचिका पर एडवोकेट जनरल ने हलफनामा दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय लिया।

याचिकाकर्ता की अधिवक्ता मयूरी ने बताया कि यह नगरपालिका संगठनात्मक संरचना से सम्बंधित कानून हैं।नगरपालिका के इस कानून में श्रेणी ए और बी पदों पर नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार करती हैं।जबकि श्रेणी सी और डी के पदों पर नियुक्ति पर नगरपालिका का बहुत सीमित अधिकार था।

लेकिन 31 मार्च,2021 को कानून में संशोधन कर श्रेणी सी और डी के पदों पर नियुक्ति के सीमित अधिकार को राज्य सरकार ने नगरपालिका से ले लिया है।


ये याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार द्वारा इस कानून में किये गए संशोधन को पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर किया।
चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने 31 मार्च,2021 को कानून में संशोधन कर राज्य सरकार द्वारा मनमाने ढंग से नगरपालिका के शक्ति प्राप्त कमिटी के नियुक्ति सम्बन्धी अधिकार को लिए जाने को गम्भीरता से लिया।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया कि कानून के तहत अन्य राज्यों में नगरपालिका के कर्माचारियों की नियुक्ति नगर निगम करती हैं।

उन्होंने कहा कि नगर निगम स्वायत्तशासी संस्था है।इसके लिए जरूरी है कि नित प्रति दिन के कार्य में सरकारी हस्तक्षेप नहीं हो और ये इकाई स्वायत्तशासी संस्था के रूप में कार्य कर सके।

कोर्ट को बताया गया कि नगर निगम के कर्मचारियों के वेतन और अन्य लाभों पर राज्य सरकार का नियंत्रण है,जबकि ये पैसा निगम के फंड से दिया जाता है ।

निगम के कर्मचारियों के cadre का केंद्रीयकृत होना नगरपालिका संस्थाओ के स्वायतता के मूल भावना के विरूद्ध है।इस मामले पर अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद होगी।

ऐतिसाहिक धरोहर को लेकर सरकार गंभीर नहीं

पटना हाईकोर्ट ने विनय कुमार सिंह की जनहित याचिका को सुनते हुए केंद्र सरकार व राज्य सरकार को लोमस और यज्ञबल्कय ऋषि के गुफाओं व पहाड़ियों का फोटो दो सप्ताह में कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। इस जनहित याचिका पर जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने सुनवाई की।

हाईकोर्ट में केंद्र सरकार ने माना कि इन पहाड़ियों का धार्मिक महत्त्व है और वहां पूजा अर्चना होती हैं।लेकिन ये पुरातत्व महत्व का स्थल नहीं है।

याचिका में ये कहा गया कि लोमस और याज्ञवल्कय ऋषि की गुफाएं केवल ऐतिहासिक दृष्टि से ही नही, बल्कि जैव विविधता के दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है । ऐसे स्थानों को संरक्षित करने की बजाए समाप्त किया जा रहा है।इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने संवेदनशीलता नहीं दिखाई हैं।

राज्य सरकार के खनन व पर्यावरण विभाग के अधिवक्ता नरेश दीक्षित ने कोर्ट को बताया कि ये गुफाएं व पहाड़ी पर्यटन स्थल या ऐतिहासिक महत्व की नहीं हैं।लेकिन राज्य सरकार इसे संरक्षित रखेंगी और इसे नष्ट नहीं होने देगी।

इन पहाड़ के जंगल व आस पास होने वाले खनन कार्य पर पटना हाईकोर्ट ने 20 जुलाई, 2021 को रोक लगा दी थी। यह रोक को अगली सुनवाई तक जारी रखने का कोर्ट ने निर्देश दिया था।

सुनवाई के दौरान कुछ लोगों ने हस्तक्षेप अर्जी के जरिये खनन कार्य पर से रोक हटाने का अनुरोध किया, जिसे हाई कोर्ट ने नामंजूर कर दिया ।

याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि 1906 में प्रकाशित तत्कालीन गया जिले के गज़ट में दोनों पहाड़ियों का सिर्फ पुरातात्विक महत्त्व ही नही बताया गया हैं, बल्कि वहां की जैव विविधता के बारे में भी अंग्रजों ने लिखा है।

उन पहाड़ियों के 500 मीटर के दायरे में झरना , बरसाती नदी और एक फैला हुआ वन क्षेत्र है। उस जंगल को अवैध खनन कर बर्बाद किया जा रहा है।

लोमस और याज्ञवल्कय पहाड़ियों को आर्कियोलॉजिकल एवं हेरिटेज साइट बनाने का कोर्ट से आग्रह किया गया। कोर्ट ने दोनों पहाड़ियों के वन क्षेत्र विस्तार और रिहाइशी बस्तियों के बिंदु पर राज्य व केंद्र सरकार से जवाब मांगा था । इस मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।

दरोगा बहाली की प्रक्रिया पर उठा सवाल हाईकोर्ट ने बोर्ड से माँगी रिपोर्ट

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में हो रहे दारोगा भर्ती परीक्षाओं में शारीरिक दक्षता जांच में हुई गड़बड़ी के आरोपों के मामलें पर बिहार पुलिस अधीनस्थ सेवा भर्ती आयोग को दारोगा भर्ती से जुड़े मूल कागजात व रिकॉर्ड कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है । अखिलेश कुमार व अन्य की ओर से दायर रिट याचिका जस्टिस पी बी बजनथ्री ने सुनवाई की।

याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट को बताया कि दारोगा भर्ती हेतु पीटी व मेंस परीक्षाओं में ये सभी याचिकाकर्ता सफल हुए । उन्हें बोर्ड ने शारीरिक दक्षता जांच के लिए बुलाया था , जो विगत 22 मार्च से 12 अप्रैल 2021 के बीच अलग जगह अलग समय पर होनी थी ।

चूंकि उस वक्त कोरोना की दूसरी लहर फैलने का खतरा मंडरा रहा था , इसलिए कई अभ्यर्थियों ने (जिनमे याचिकाकर्ता भी थे ) शारीरिक दक्षता जांच की तारीख आगे बढ़ाने के लिए अनुरोध किया।इसे आयोग ने स्वीकार करते हुए नया एडमिट कार्ड भी जारी किया।

शारीरिक दक्षता जांच की नई तारीख और नए एडमिट कार्ड जारी होने के बाद अचानक आयोग ने नया जारी हुआ एडमिट कार्ड को रद्द कर दिया । परिणामस्वरुप सभी याचिकाकर्ता शारीरिक दक्षता जांच के मौके से वंचित कर दिए गए । हाई कोर्ट ने इसे मनमानापन मानते हुए आयोग से भर्ती प्रक्रिया के मूल अभिलेखों को प्रस्तुत करने का आदेश आयोग को दिया।इस मामले की अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद होनी है।

वकील और उनकी नौकरानी की हत्या मामले में हाईकोर्ट में आज हुई सुनवाई

पटना हाई कोर्ट ने बिहार स्टेट बार काउंसिल के उपाध्यक्ष व अधिवक्ता कामेश्वर पांडेय और उनकी नौकरानी की हत्या मामलें में अभियुक्त गोपाल भारती की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए केस डायरी तलब किया। जस्टिस प्रभात कुमार सिंह ने मुख्य अभियुक्त गोपाल भारती द्वारा दायर नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई की।

अधिवक्ता कामेश्वर पांडेय के भतीजे अभिजीत कुमार द्वारा 6 मार्च, 2020 को स्थानीय पुलिस को दी गई लिखित सूचना के आधार पर आई पी सी की धारा 302, 380, 120(बी) व 34 के तहत भागलपुर जिले मेंं कोतवाली (तिलकामांझी) प्राथमिकी संख्या 72/ 2020 दर्ज की गई थी।

इस तिथि को अधिवक्ता पाण्डेय के ड्राइवर द्वारा कांड के सूचक को फोन पर सूचना दी गई थी कि वे तुरंत घर आ जाइये। वकील साहब की हत्या हो गई है।हत्या के बाद कामेश्वर पांडेय के घर के मुख्य द्वार के पास कुछ खून के धब्बे पाए गए थे और वे अपने बेडरूम में अस्त व्यस्त हालात में अचेत पड़े हुए थे।

उनके चेहरे पर खून लगा हुआ तकिया रखा हुआ पाया गया था। कमरे में रखा हुआ आलमारी टूटा हुआ था और उसमें रखा हुआ सामान गायब था।

मुख्य द्वार के निकट पोर्टिको में जेनेरेटर के बगल में रखा हुआ ड्राम में नौकरानी का शव पाया गया था। घर से सारे नकदी, कागजात, एक स्मार्ट फोन और कामेश्वर पांडेय के कार को लेकर आरोपी अपने साथियों के साथ भाग गया था।

कोर्ट को बताया गया कि दर्ज प्राथमिकी के अनुसार मृत कामेश्वर पांडेय का किराएदार गोपाल भारती से आये दिन मकान खाली करने को लेकर विवाद होता रहता था।नौकरानी से भी वह उलझा करता था और धमकी भी देता था कि तुमलोगों को देख लेंगे।

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि याचिकाकर्ता अन्य लोगों के साथ मिलकर हत्याकांड को अंजाम दिया था। इस बात की जानकारी मोहल्ले वालों परिवार वाले और कचहरी के कुछ लोगों की भी थी की गोपाल भारती का विचार और व्यवहार अच्छा नहीं था।

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