राजनीति के गब्बर सिंह हैं लालू, सभी वर्गों को डरा कर किया राज
- सुशील कुमार मोदी
- राबड़ी देवी ने मुखिया, प्रमुख के पदों पर बिना आरक्षण दिये कराये थे चुनाव
- एनडीए ने खत्म किया दहशत का राज, आरक्षण का अधिकार लौटाया
- लालू प्रसाद राजनीति के गब्बर सिंह हैं। इनके नाम से अतिपिछड़ा, दलित और व्यवसायी काँपते हैं, क्योंकि उन्हें फिरौती के लिए अपहरण-हत्या, रंगदारी वसूली और नरसंहार की घटनाएँ नहीं भूली हैं।
बिहार में सियासी गब्बर के डर से शाम होते दुकानों के शटर गिर जाते थे, सिनेमा के नाइट-शो बंद हो गए और रात की शादियों का चलन खत्म हो गया था।
- लालू प्रसाद ने “भूरा बाल साफ करो” का नारा देकर ऊँची जाति के लोगों को डराया और जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस वर्ग के गरीबों को 10 फीसद आरक्षण दिया, तब इसका विरोध किया।
उन्होंने जनता को बाँट कर और डरा कर राज किया। लाठी में तेल पिलावन रैली डर पैदा करने के लिए ही की गई थी। - लालू प्रसाद के लिए सारे दलित भकचोन्हर हैं, इसलिए उन्होंने इस वर्ग को सामाजिक न्याय से वंचित रखा।
2003 में लालू-राबड़ी राज के दौरान मुखिया, प्रमुख, जिप अध्यक्ष जैसे एकल पदों पर दलितों-अतिपिछड़ों को अारक्षण दिये बिना ही चुनाव कराये गए थे। - वर्ष 2008 में एनडीए सरकार ने पहली बार पंचायतों में एससी-एसटी को 17 फीसद और अतिपिछड़ों के 20 फीसद आरक्षण दिया।
लालू प्रसाद ने जिन वर्गों के आरक्षण का अधिकार छीन लिया था, उन्हें एनडीए सरकार ने वापस दिलाया।