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बिहार में खाद को लेकर किसानों का हंगामा जारी

बिहार में खाद को लेकर संग्राम जारी है दो सप्ताह पहले तक डीएपी खाद को लेकर किसान परेशान था अब यूरिया खाद को लेकर किसान परेशान है ।इस बीच अररिया के किसानों को खाद नहीं मिलने की वजह से शनिवार की सुबह सैकड़ों की संख्या में किसानों ने टाउन हॉल के समीप सड़क को जाम कर दिया और खाद उपलब्ध कराने की मांग करने लगे।

बिहार में खाद के लिए सड़क पर उतरे किसान

जीरोमाइल से चांदनी चौक जाने वाली मुख्य मार्ग जाम हो जाने से सैकड़ों वाहन का जाम मे फस गया और आवागमन बाधित हो गया है। जिससे जाम की समस्या उत्पन्न हो गई। मामले की जानकारी मिलते ही अररिया SDO पुष्कर कुमार नगर थाना अध्यक्ष कुमार अभिनव दल बल के साथ पहुंचे और प्रदर्शन कर रहे किसानों को समझा बुझाकर शांत कराया।

इस मौके पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आरोप लगाया कि यूरिया प्रति बोरा 266 का दाम है लेकिन खाल दुकानदार के द्वारा 300 से 400 में यूरिया बेचा जा रहा है। प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बताया कि जब वह लोग सरकारी दाम पर यूरिया देने की मांग करने लगे तो खाद दुकानदार दुकान बंद कर फरार हो गया। जिसके बाद आक्रोशित किसानों ने सड़क जाम कर दीया और सड़क पर टायर जलाकर प्रदर्शन करने लगे।

खाद को लेकर बिहार में गुस्से में है किसान


यह स्थिति पूरे बिहार का है पहले डीएपी को लेकर हंगामा था अब यूरिया को लेकर हंगामा है हालांकि खाद को लेकर इस तरह की परेशानी काफी दिनों बाद देखने को मिल रहा है ।

किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत अहिंसात्मक आंदोलन की जीत है

लगभग सालभर से चल रहे किसान -आंदोलन की मुख्य मांग सरकार ने मांन ली , तीनों कृषि कानूनों की वापसी घोषणा प्रधानमंत्री मोदी जी ने की है ।

मोदी जी को साधुवाद । देर से ही सही वे और उनकी सरकार यह समझ पायी कि जिन कानूनों को वे किसान के हित मे समझते थे ,किसान अपने हित मे नही समझती है और वे ,उनकी सरकार और उनकी पार्टी (दुनिया की कथित सबसे बड़ी सदस्यता वाली पार्टी ) भारतीय जनता पार्टी की पूरी फौज किसानों को यह समझाने में नाकाम रही कि ,तीनो कृषि कानून किसानों के हित में है । इसलिए तीनो कृषि विल वापस लेने की सरकार की मजबूरी ,भारतीय जनता पार्टी की असफलता मानी जानी चाहिए क्योंकि पार्टी के नीतियों के अनुरूप बने विधेयक के फायदे ,जनता को बताने की जिम्मेवारी पार्टी की होती है ।

इसलिए पार्टी को आत्ममंथन करना चाहिए कि चूक कहाँ हुई ?
यहां यह जोर देना आवश्यक है कि भारतीय जनता पार्टी के उन सारे भाषणवीरों /प्रवक्ताओं/सोसालमीडिया के रणबांकुरे जो इस किसान आंदोलन के लिए क्या -क्या नही उद्गार व्यक्त किये …..के लिए मोदी जी का यह निर्णय एक जवाब है और मैसेज भी कि “अंध भक्ति ” का जो टैग आप पर लगा है वह विल्कुल सही है । पार्टी कार्यकर्ता के रूप में गांवों में किसानों के बीच जाएंगे नहीं ,उन्हें कानून के पक्ष के तर्क (जो वे खुद से जानते नही) समझाएँगे नही तो अंधभक्ति से पार्टी और सरकार चलने वाला नही ,मोदी जी को भी आपकी ऐसी “अंधभक्ति” की जरूरत नहीं । पार्टी और साकार नीतियों से चलती है ,नीतियां जनता के लिए फायदेमंद है यह जनता को बताने की जिम्मेवारी पार्टी कार्यकर्ता की है ,अगर आप ऐसे कार्यकर्ता नही तो ऐसे अंधभक्ति से आपका पार्टी में कोई भविष्य नही ,यही संदेश मोदी जी ने पार्टी को भी दिया है । आप अपना भविष्य देख लें ।ऐसे छोटे -बड़े अंधभक्तों के पर कतरने की शुरुआत आनेवाले दिनों में होने वाला है ।

“अहिंसात्मक आंदोलन “की जीत
से मेरा तात्पर्य यह है कि

अपने खुद के ७४छात्र आंदोलन (जेपी आंदोलन) से हमने यही सिखा था कि हमारा आंदोलन जितना ही अहिंसात्मक होगा जनता की भागीदारी उतनीही बढ़ेगी ,आंदोलन के मांगों के प्रति जागरूकता उनकी उतनी ही बढ़ेगी ,आंदोलन के कामयाब होने संभावना उतनी ही बढ़ेगी । अहिंसात्मक आंदोलन में भी अनेक रूपों में कष्ट भोगने होते है ,पुलिश की लाठियां खानी होती है ,जेल जाने होते है और शहादत भी देने होते हैं ।सरकार /सत्ता-प्रतिष्ठान आंदोलन हिंसात्मक हो जाए इसकी भरपूर कोशिश करेगी और आंदोलनकारी अगर सरकार के झांसे में आ गयी और थोड़ी भी हिंसा की तो सरकार खुद बड़ी हिंसा करेगी बिभिन्न दंडात्मक करवाई कर आंदोलन को कुचल देगी। आज़ादी के पूर्व और आज़ादी के बाद भी हिंसक आंदोलनों के नतीजे हमारे सामने है।

किसान आंदोलन शुरू से गैर राजनैतिक रहा ,राजनैतिक दल के नेताओं से दुरियां बना कर रखा , किसी भी राजनैतिक दल के नेता को अपने मंच का इस्तेमाल नही करने दिया ।

किसान संगठनों के सामूहिक नेतृत्त्व से संचालित रहा , अहिंसात्मक रहा,ढेर सारे (लगभग चालीस)किसान संगठनों के नेताओं का सामूहिक नेतृत्त्व टिकाऊ रहा यह अपनेआप में महत्त्वपूर्ण था आपसी वर्चस्व की लड़ाई की कोई खबर नही ,सामूहिक निर्णय पर सब की एक ही भाषा रही वो भी तब जब इनके पास गांधी/जेपी/अन्ना हज़ारे और चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत (किसान नेता ) जैसा बड़ा नाम आंदोलन के नेतृत्त्व करने को नही था ।

फिर भी कोई बस नही जलाए गए , कोई सरकारी प्रतिष्ठान या संस्थान लुटे नहीं गए /जलाए नही गए ,किसी व्यापारिक प्रतिष्ठान को कोई क्षति नही पहुंचाई गई ।ठंढ में गर्मी में धरने पर बैठे रहे ,कुर्वानी देते रहे लगभग ७००किसानों ने शहादत दी ।
सभी तरह के उकसावे और भड़कावे के बावजूद अपना धैर्य बनाए रखा ,हिंसा पर उतारू नही हुए/हिंसा नही की । इसलिए किसानों की भागीदारी बढ़ती गयी ,पंजाब/हरियाणा से आगे बढ़कर किसान आन्दोलन पुरे देश के किसानों का आंदोलन बन गया । आंदोलन तोड़ने के सरकारी/गैर सरकारी प्रयास निष्फल हुए ।इन सभी अर्थों में यह आंदोलन और इसका नेतृत्त्व इतिहास बना गया जो भविष्य के जन आंदोलनों के लिए मील का पत्थर साबित होगा ।

अंततः किसानआ आंदोलन की जीत हुई ,शहादत देनेवाले किसान भाइयों को नमन पूर्वक श्रद्धांजलि और सभी किसान भाइयों को बधाई ।

हम अपने प्रधानमंत्री ” मोदी “जी से ही उम्मीद बांध रहे हैं कि एमएसपी( न्यूनतम समर्थन मूल्य ) पर खरीद की गारंटी वाला कानून भी बनाकर लागू कर दें । बिहार के संदर्भ में इसके व्यापक लाभ हमे समझना होगा ……..
हमें उचित मूल्य मिलेंगे ,हम खेतिहर मजदूर को उचित और सम्मानपूर्वक मजदूर दे पाएंगे ,उनका पलायन( माइग्रेसन) रुकेगा ,हमारी उपज बढ़ेगी ,हमारी आमदनी बढ़ेगी ,हम खेती दिल से करेंगे । हमारी पूंजी बनेगी तो खेती से जुड़ा उद्योग खड़ा कर पाएंगे । रोजगार के अवसर पैदा कर सकेंगे ।

खेती में बचत नही है या खेती में फायदा नही है यह बिहार के हर घर की कहानी है ,उन्हें खेती करने की दिशा में जाने नही देना है यह हमारी सोच बन गयी है। परिवार के जो बच्चे पढ़ने में अच्छा नही कर रहे हैं उनपर भी हम अपनी जमीन -जायदाद बेचकर ( अगर सरकारी नौकरी में हैं तो भ्रष्टाचार में शामिल होकर) लाखों खर्च कर ,बाहर कोचिंग करवा रहे हैं ,इंजिनीरिंग /मेडिकल में डोनेशन देकर नामांकन करवा रहे हैं या फिर घुस देकर किसी सरकारी नौकरी प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं और इन सब जगह लूट के शिकार हो रहे हैं । अंचल कार्यालय से लेकर सचिवालय तक भ्रस्टाचार का बोलबाला इसलिए भी है कि हमारा बच्चा खेती नही करेगा (इसलिए घुस लेना उनकी मजबूरी है) भले ही हमारे पास कितनी भी जमीन हो ।यह सिर्फ इसलिए कि खेती से गुजारा नही होगा । हमारे पूर्वजों का “उत्तम खेती “वाला सूत्र अब “निकृष्ट खेती “वाला सूत्र बनगया है । ऐसे ही बच्चे अपने लाइफ स्टाइल को बनाए रखने के लिए सभी तरह के क्राइम में संलिप्त हो रहे हैं । देश के लिए समस्या बन रहे हैं ।

हमे खेती को लाभकारी बनाकर इन सब समस्याओं से निदान पाने के दिशा में सोचना चाहिए । अभी एमएसपी देंगे तो ऐसे लोग खेती के तरफ आएंगे ,खुदका रोजगार पाएंगे ही अनेकों को रोजगार देंगे ।

लेखक –फूलेन्द्र कुमार सिंह पेशे से इंजीनियर रहे हैं