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पंचायत चुनाव को लेकर आयोग ने उठाये कठोर कदम आचार संहिता के उल्लंधन मामले में जा सकते हैं जेल

निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सम्पन्न कराने को लेकर आयोग नित नये आदेश जारी कर रहे हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की स्थिति में संबंधित व्यक्तियों पर कार्रवाई करने का कानूनी प्रावधान तय किया है, जिसमें भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में सजा का प्रावधान किया गया है. अगर कोई प्रत्याशी धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर विभिन्न वर्गों के बीच शत्रुता या घृणा फैलाता है, तो उसको तीन से पांच वर्ष की सजा मिलेगी. यह गैर जमानतीय व संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है.

इसी प्रकार से कोई भी प्रत्याशी किसी अन्य प्रत्याशी किसी के जीवन के ऐसे पहलुओं की आलोचना करता है, जिसकी सत्यता साबित नहीं हो, तो उसको भी आइपीसी की धारा 171(जी) के तहत सजा होगी. यह जमानतीय अपराध है, जिसकी सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष होगी.

इसी प्रकार से निर्वाचन प्रचार के लिए मस्जिदों, गिरजाघरों, मंदिरों या अन्य पूजा स्थलों का प्रचार मंच के रूप में करना और जातीय या सांप्रदायिक भावनाओं की दुहाई देना भी गैर जमानतीय अपराध की श्रेणी में शामिल है.
अगर कोई प्रत्याशी भ्रष्ट आचरण करते हुए मतदाताओं को रिश्वत देता है , तो उसके लिए पंचायती राज अधिनियम के साथ आइपीसी की धारा में सजा का प्रावधान हैं. मतदाताओं को भयभीत करना, बूथ के 100 मीटर के भीतर वोट मांगना भी अपराध की श्रेणी में शामिल हैं. कोई प्रत्याशी अगर किसी व्यक्ति के शांतिपूर्ण जीवन में उनके घर के सामने प्रदर्शन आयोजित करता है, तो उसको सजा मिलेगी.

किसी भी व्यक्ति के बिना अनुमति के उसके मकान पर झंडा टांगने, उसकी भूमि का उपयोग करना भी अपराध की श्रेणी में आता है. कोई भी प्रत्याशी या उसके समर्थक अन्य प्रत्याशी के द्वारा आयोजित जुलूस या सभा में बाधा उत्पन्न करता है, तो उसके सजा का प्रावधान किया गया है.

बिना लाइसेंस प्राप्त किये किसी भी प्रत्याशी द्वारा प्रस्तावित सभा व जुलूस में लाउडस्पीकर का प्रयोग नहीं किया जायेगा. ऐसा करने पर उसके लाउडस्पीकर एक्ट के तहत कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. वोटिंग के दिन भी शांतिपूर्ण मतदान में बाधा करने पर कार्रवाई का प्रावधान है.

अपराधियों की अब खैर नहीं जनामत तभी मिलेगी जब आपके ऊपर अपराधिक मामला नहीं होगा दर्ज

पटना हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में यह तय किया है कि प्रत्येक निचली अदालत को किसी आरोपी की जमानत अर्जी को निष्पादित करने से पूर्व लोक अभियोजक या अनुसंधान पदाधिकारी से यह जानकारी लेनी होगी कि उस आरोपी के विरुद्ध पूर्व में कितने आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि संबंधित अनुसंधानकर्ता या लोक अभियोजक के लिए यह ज़रूरी है कि वह ज़मानत की अर्ज़ीदार के पिछले सभी आपराधिक मामलों का इतिहास अदालत के समक्ष पेश करे।

आरोपी के आपराधिक इतिहास पर पुलिस और अभियोजक से मिली जानकारी को हर निचली अदालत को आदेश में उल्लेख करना होगा, जिससे वो किसी ज़मानत अर्ज़ी को मंज़ूर या खारिज करेंगे। न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने अनिल बैठा की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश को पारित किया।

अदालतों से पूर्व के आपराधिक मामलों को छुपा कर ज़मानत लेने की गलत तरीको पर रोकथाम लगाने के लिए हाई कोर्ट ने ऐसा आदेश जारी किया है। इस आदेश की प्रति सभी जिला न्यायाधीश को देने का भी निर्देश हाई कोर्ट ने दिया है। विदित हो कि अनिल बैठा के मामले में जमानत अर्ज़ीदर पर 10 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे, लेकिन उसने अपनी किसी भी ज़मानत अर्ज़ी में स्पष्ट तौर पर पूर्व के सभी आपराधिक मामलों के बारे में जानकारी नहीं दी थी। पिछला आपराधिक इतिहास को छुपा कर ज़मानत लेने के इस प्रयास को कोर्ट के साथ धोखाधड़ी करार देते हुए हाई कोर्ट ने इस पूरे प्रकरण की स्वतंत्र जांच कराने के लिए भी राज्य सरकार को आदेश दिया है और हाई कोर्ट के महानिबंधक कार्यालय को निर्देश दिया है कि हाई कोर्ट के साथ इस तरह की धोखाधड़ी करने वालों के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज की जाए।

पंचायत चुनाव में कौन कहां से चुनाव लड़ सकता है चुनाव आयोग ने जारी किया निर्देश मुखिया पद के प्रखंड का वोटर होना अनिवार्य

बिहार में होने वाले पंचायत आम चुनाव के दौरान कोई भी मतदाता अपने प्रखंड के किसी भी पंचायत से मुखिया पद का प्रत्याशी बन सकेगा।राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रत्याशियों के निर्वाचन क्षेत्रों के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किया है। इसके अनुसार किस पद के प्रत्याशी के निर्वाचन क्षेत्र की सीमा कौन-कौन सी होगी, इसकी जानकारी दी गयी है। आयोग के दिशा-निर्देश के अनुसार कोई भी व्यक्ति अगर मुखिया पद का प्रत्याशी बनना चाहता है तो वह अपने प्रखंड के अंदर किसी भी पंचायत से मुखिया का चुनाव लड़ सकता है। इसी प्रकार, आयोग ने अन्य पदों के लिए भी निर्वाचन क्षेत्रों की स्थिति स्पष्ट कर दी है।

आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार किसी भी प्रत्याशी को चुनाव लड़ने के लिए उस निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में नाम दर्ज होना आवश्यक है। मतदाता सूची में नाम दर्ज होने के बाद कोई व्यक्ति ग्राम पंचायत सदस्य या ग्राम कचहरी के पंच का चुनाव लड़ना चाहता है तो वह उस ग्राम पंचायत के किसी भी वार्ड से प्रत्याशी हो सकता है।

इसी प्रकार कोई भी व्यक्ति मुखिया, सरपंच या पंचायत समिति सदस्य का प्रत्याशी बनना चाहता है तो वह उस प्रखंड के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव का प्रत्याशी हो सकता है। शर्त यह है कि उसका नाम उस प्रखंड के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल होना चाहिए।

इसी प्रकार, आयोग ने जिला परिषद प्रत्याशी को लेकर भी निर्देश दिया है। जिला परिषद प्रत्याशी अपने जिले के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार हो सकता है। बर्शेते कि उसका नाम उस जिले के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल हो।