जयप्रकाश विश्वविधालय के पीजी कोर्स से जयप्रकाश नारायण,राममोहर लोहिया, दयानंद सरस्वती, राजाराम मोहन राय, बाल गंगाधर तिलक और एमएन राय जैसे महापुरुषों के विचार से जुड़े कोर्स को हटाये जाने को लेकर बिहार की सियासत भूचाल आ गया है । एक और जहां राज्य सरकार सकते में है वही लालू प्रसाद ने ट्टीट करके नीतीश और सुशील मोदी से सीधा सवाल किया और कहां है कि मैंने जयप्रकाश जी के नाम पर अपनी कर्मभूमि छपरा में 30 वर्ष पूर्व जेपी विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। अब उसी यूनिवर्सिटी के सिलेबस से संघी बिहार सरकार तथा संघी मानसिकता के पदाधिकारी महान समाजवादी नेताओं जेपी-लोहिया के विचार हटा रहे है। जेपी-लोहिया हमारी धरोहर है, उनके विचारों को हटाना बर्दाश्त से बाहर है। सरकार अविलंब संज्ञान लेकर आवश्यक कारवाई करें।
वैसे विश्वविधालय का जो नया सिलेबस आया है उसमें पंडित दीनदयाल उपाध्याय, सुभाष चंद्र बोस और ज्योतिबा फुले के विचार को जोड़ा गया है यह बदलाव राजभवन के द्वारा किया है इस बदलाव से जुड़ी खबर के आने के बाद सरकार के सामने मुसिबत यह है कि बीजेपी में भी बहुत सारे नेता ऐसे हैं जो जेपी आंदोलन से जुड़े रहे हैं और बिहार में जेपी आंदोलन को लेकर छवि यह है कि कांग्रेस के खिलाफ वो आंदोलन था और इसका लाभ बीजेपी को भी बिहार में मिलता है ऐसे में जेपी और लोहिया को सिलेबस से हटाना एनडीए की सरकार के लिए मुसिबत खड़ी कर सकती है ।