पटना हाईकोर्ट में राज्य के विभिन्न जेलों में कार्यरत अपर डिवीजन क्लर्क, लोअर डिवीजन क्लर्क व हेड क्लर्क से उनके कार्यों, ड्यूटी व जिम्मेदारियों जैसी सेवा के मामलों में अधिकारियों के कथित मनमाना रवैया पर एक याचिका दायर की गई है। यह याचिका बिहार स्टेट प्रिजनस नॉन ग़ज़िटेड एम्प्लाइज एसोसिएशन व अन्य द्वारा दायर की गई है।
इस याचिका में उक्त कर्मियों के भविष्य के प्रोन्नति के रास्ते का भी जिक्र किया गया है। इस याचिका में इन कर्मियों के ड्यूटी, जिम्मेदारियों और कार्यों को विशेष रूप से पारदर्शी करते हुए उनसे काम लेने हेतु निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
इस याचिका में कहा गया कि क्लर्क का काम वास्तव में कार्यालय में होता है, लेकिन जेल अधीक्षक द्वारा क्लर्क से अन्य कार्य ,जैसे बंदी का रिलीज करना, सिक्योरिटी का काम करवाना व नाईट पेट्रोलिंग आदि करवाया जाता है।
इस याचिका में यह भी कहा गया है कि इन कर्मियों से वैसे ही काम लिये जाए, जो राज्य सरकार व विभाग द्वारा नियमानुसार कराए जाने का प्रावधान है।याचिका के जरिये बिहार के जेलों में ऑफिस सुपरिंटेंडेंट या असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव ऑफिसर के पद का सृजन करने की मांग भी की गई है, ताकि राज्य के जेलों में कार्यरत क्लर्क समेत लोअर डिवीजन क्लर्क, अप्पर डिवीजन क्लर्क व हेड क्लर्क को प्रोन्नति का एक और मौका मिल सके।
याचिका में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2008 के पहले राज्य के जेलों में कार्य कर रहे क्लर्क के लिए कोई सर्विस रूल्स नहीं था। पुनः 2008 के नियम को 2016 में तब्दील किया गया और अभी 2016 लागू है।
इस याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई किये जाने की उम्मीद है।