बेखौफ अपराधियों ने गोली मारकर अमेज़न कंपनी की 12 लाख रुपये की लूट, पुलिस मौके पर पहुंचकर मामले की जांच में जुटी
बिहार में अपराधियों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि दिनदहाड़े किसी घटना को अंजाम देते हैं और पुलिस मूकदर्शक बनकर देखते रह जाती है। शायद यही कारण है कि एक के बाद एक क्राइम की घटनाओं को अपराधी अंजाम दे रहे हैं। ताजा मामला दरभंगा जिले के लहेरियासराय थाना क्षेत्र का है। जहां अपराधियों ने दिनदहाड़े फ्रेंड्स कॉलोनी के पास अमेज़न कंपनी से रुपया कलेक्ट कर बैंक जा रहे रेडिएंट कंपनी के कैशियर जटाशंकर को गोली मारकर 12 लाख रुपये की लूटकर मौके से फरार हो गया। इस घटना के बाद इलाके में हड़कंप मचा हुआ है।
घटना के संबंध में बताया जा रहा है कि बहादुरपुर थाना क्षेत्र के बलभद्रपुर नवटोलिया निवासी जटाशंकर चौधरी रेडिएंट कंपनी में कार्यरत थे और अमेज़न कंपनी के कार्यालय से कैश कलेक्ट कर बैंक में जमा करने जा रहे थे। उसी क्रम में पहले से घात लगाये अपराधी ने फ्रेंड्स कॉलोनी के पास जटाशंकर चौधरी को रोककर तबातोड़ फारिंग कर घायल कर दिया और रुपये से भरा बैग लेकर समस्तीपुर की ओर फरार हो गया। जिसके बाद पुलिस ने स्थानीय लोगो की मदद घायल जटाशंकर को इलाज के लिए अस्पताल भेजा। जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।
वही मौके पर पहुंचे सदर एसडीपीओ कृष्ण नंदन कुमार ने कहा की फ्रेंड्स कॉलोनी के पास जटाशंकर चौधरी नाम के व्यक्ति को अपराधी ने गोली मार दी है। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंचकर मामले कि जांच में जुट गई है। वही उन्होंने कहा कि लूट की राशि कितनी है वह अभी कन्फर्म नहीं है। वहीं उन्होंने कहा कि इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरे को भी खंगाला जा रहा है। ताकि अपराधी की गिरफ्तार कर मामले का सफल उद्भेदन किया जा सके।
पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने पटना में लगातार हो रही हत्या पर बताया कि सरकार पूरी तरह फेल कर चुकी है, कानून व्यवस्था की स्थिति बिल्कुल खराब है । सरकार से कानून व्यवस्था नहीं संभल पा रहा है और हालात बिहार के काफी खराब है। कोई सुरक्षित नहीं रहा है और हालात बिहार के काफी खराब है।
राबड़ी देवी ने भारतीय जनता पार्टी के द्वारा राज्य में योगी मॉडल लागू किए जाने पर कहा कि कौन रोक रखा है योगी को बिहार का मुख्यमंत्री बना दीजिए और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दीजिए कौन रोक कर रखा है।
शराब बंदी कानून में संशोधन पर उन्होंने कहा कि सरकार यही कर सकती है सरकार से कुछ नहीं संभल रहा है और लगातार शराब मिल रहा है, सरकार शराब बंदी कानून को पालन करने में लोगों को प्रताड़ित कर रही है। ।
पटना हाई कोर्ट ने राज्य स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी, आयुष के डायरेक्टर व पटना स्थित सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रिंसिपल को नोटिस जारी किया।जस्टिस पी बी बजनथ्री ने सत्येंद्र कुमार तिवारी की अवमानना वाद पर सुनवाई की।
कोर्ट के आदेश के बावजूद पटना स्थित आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज में प्रोफ़ेसर की नियुक्ति नहीं किए जाने से संबंधित अवमानना याचिका की सुनवाई की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अशोक कुमार गर्ग ने कोर्ट को बताया कि विगत 20 दिसंबर, 2021 को पटना हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें पटना आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज में प्रोफ़ेसर के पद पर बहाल करने का निर्देश दिया था।
लेकिन कोर्ट के आदेश के बावजूद भी उन्हें अपने पद पर नियुक्त नहीं किया गया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पंचकर्म के प्रोफेसर के पद पर नियुक्त करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने इनकी नियुक्ति तत्काल करने को कहा था।
पटना हाईकोर्ट ने पश्चिमी चम्पारण,बेतिया के 53 चतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों नियुक्ति व ज़िला जज,बेतिया द्वारा इन नियुक्तियों को सहमति का विरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई की।जस्टिस पी बी बजनथ्री ने सतीश कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी नियुक्त 53 चतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों को नोटिस जारी किया है।
याचिककर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि इन 53 चतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों को साक्षात्कार के आधार पर नियुक्त किया गया।उन्होंने कहा कि सुप्रीमकोर्ट ने 14 फरवरी,2014 को रेणु व अन्य बनाम तीस हजारी,दिल्ली में नियम तय किया था।साथ ही पटना हाईकोर्ट ने 13 मई,2018 इस सम्बन्ध में कानून निश्चित कर दिया था।
इन नियुक्तियों में पारदर्शिता और भारतीय संविधान के आर्टिकल 14 को देखते हुए नियुक्ति की जानी चाहिए।कोर्ट ने मामलें की गम्भीरता को देखते हुए सभी नवनियुक्त चतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों को नोटिस जारी कर दिया हैं।इस मामलें में पटना हाईकोर्ट की ओर से अधिवक्ता सत्यवीर भारती ने पक्ष प्रस्तुत किया।इस मामलें पर आगे भी सुनवाई की जाएगी।
भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था हमारे आपकी जरूरतों और मूल्यों पर कहां तक खड़ी उतर रही है यह सवाल अब उठने लगा है। आज कल हमारी मुलाकात पंचायती राज व्यवस्था में चुनकर आये प्रतिनिधियों से रोजाना हो रहा है और इस दौरान पंचायत चुनाव का मतलब क्या रह गया है इसको बेहतर तरीके से समझने का मौका भी मिल रहा है।
सुकून देने वाली बात यह है कि अब इसको लेकर चर्चा होनी शुरु हो गयी है कि इस तरीके से चुन कर आये जन प्रतिनिधियों से आप बदलाव की बात कहां तक सोच सकते हैं, संयोग से जिस इलाके में मैं घूम रहा हूं उसी इलाके का मुकेश सहनी भी रहने वाला है। मुकेश सहनी भारतीय लोकतंत्र का वो चेहरा है जो अब हर गांव में मौजूद है और ऐसे लोगों का लोकतांत्रिक व्यवस्था में महत्व काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है।
1970के दशक में जब लोकतंत्र लोगों की जरूरतों को पूरा करने में फेल होने लगा था तो राजनीति का अपराधीकरण की शुरुआत हुई थी और बिहार में एक दौर ऐसा आया जब जनप्रतिनिधि अपराधियों के सहयोग से मुखिया से लेकर सांसद तक बनने लगे बाद में वही अपराधी जो नेता के लिए बूथ कैप्चर करता था वो खुद बूथ कब्जा कर मुखिया से लेकर सांसद तक बनने लगा।
दो दशक तक बिहार में राजनीति के अपराधीकरण का दौर काफी तेजी से आगे बढ़ा लेकिन 2005 में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद धीरे धीरे यह दौर समाप्त होने लगा एक तो अपराधी भी जनता की जरूरतों पर खड़ा नहीं उतर पा रहा था वही कानून व्यवस्था बेहतर होने पर जनता को भी अपराधी से न्याय मांगने की जरुरत कम पड़ने लगी ।
लेकिन इसी दौर बिहार में चुनाव के दौरान पैसे का खेल भी शुरु हुआ और आज स्थिति यह है कि कल तक जो नेता को चुनाव लड़ने के लिए पैसा देता था वो आज खुद चुनावी मैदान में उतर गया है।और यह प्रवृति गांव से लेकर राजधानी तक लगातार बढ़ता जा रहा है इस बार के पंचायत चुनाव में हर गांव में मुकेश सहनी जैसा व्यक्ति जो मुंबई दिल्ली में अकूत संपत्ति अर्जित कर लिया है वो गांव आकर चुनाव लड़ा है और आने वाले समय में विधायक और सांसद का चुनाव लड़ना है इसकी फील्डिंग अभी से ही शुरु कर दिया है ।
ऐसे लोग करता क्या है यह जब आप समझ जाएंगे तो फिर आपको समझ में आ जायेगा कि लोकतंत्र का मतलब क्या है हालांकि इस तरह के पैसे वालो का काम करने का तरीका अलग अलग है लेकिन सभी तरीकों के पीछे जनता की जरूरतों को कैसे पूरा किया जाये और फिर उसका इस्तेमाल चुनाव के दौरान कैसे किया जाये यही रहता है ।
कई ऐसे पैसे वाले है जो घोषित कर चुके हैं कि हमारे विधानसभा क्षेत्र का जो वोटर है अगर बीमार पड़ता है तो उसके दवा में जितना खर्च होगा वो मुहैया कराएगा ,महिलाओं से जुड़ी जितना भी पर्व त्यौहार आयेगा उसमें उस पर्व से जुड़ी सामग्री संभावित विधायक प्रत्याशी द्वारा मुहैया कराया जाता है ,बेटी की शादी है तो विधायक के जो संभावित उम्मीदवार है उनकी ओर से टीवी फ्रिज जैसी सामग्री मुहैया करायी जाती है।
कल संयोग से ऐसे ही एक संभावित विधायक प्रत्याशी के घर पर जाने का मौका मिला गांव में पांच करोड़ का घर जरूर होगा और उसके घर पर पांच छह बड़ी गाड़ी वैसे ही खड़ी थी। गये थे एक वार्ड पार्षद से मिलने लेकिन उसके घर ठीक से बैठने का जगह तक नहीं था ,जैसे ही पहुंचे वो सीधे उसी संभावित विधायक उम्मीदवार के दरवाजे पर लेकर आ गया बाहर कुर्सी सजी हुई थी।
बैठे ही थे कि गांव में आरो का पानी लेकर एक लड़का आ गया उसके ठीक पांच मिनट बाद बढ़िया नास्ता फिर शुद्ध दुध का चाय, चाय खत्म हुआ नही तब तक लौंग इलाइची लेकर खड़ा है पता चला राजनाथ सिंह राधा मोहन सिंह जैसे नेता इनके घर पिछले चुनाव में आये हुए थे। हर दूसरे तीसरे गांव में इस तरह के संभावित प्रत्याशी आपको मिल जायेगा जो पैसा के सहारे वोट की खेती शुरु किये हुए हैंं और यही वजह है कि इस बार पंचायत चुनाव में उम्मीदवार को विधायक और सांसद के चुनाव से भी ज्यादा खर्च पड़ा है और इसका असर बिहार के आने वाले चुनाव में भी देखने को मिलेगा ।
वैसे बातचीत में लोग अब कहने लगे हैंं कि सरकार भी मुफ्त राशन,गैस,घर और शौचालय बना कर वोट खरीदता है तो फिर ऐसे लोगों से मदद लेकर वोट करना कहां से गुनाह है भारतीय लोकतंत्र में यह एक नया बदलाव आया है इसके सहारे लोकतंत्र कहां तक खीचता है ये देखने वाली बात होगी ।
67 वीं बिहार लोक सेवा आयोग की संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा जो पूर्व से 7 मई को निर्धारित की सीबीएससी स्कूल के परीक्षा होने के कारण यह परीक्षा 8 मई को आयोजित की जाएगी बिहार लोक सेवा आयोग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है
पटना हाईकोर्ट के दो नवनियुक्त जज राजीव राय और हरीश कुमार 29,मार्च 2022 को पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे। उन्हें नए शताब्दी भवन लॉबी में पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल शपथ दिलाएंगे। यह समारोह सुबह दस बजे होगा।
इसके साथ ही पटना हाईकोर्ट में जजों की दो जजों की बढोतरी होगी। चीफ जस्टिस संजय करोल समेत कार्यरत जजों की कुल संख्या 25 हैं,जबकि इन दो जजों के योगदान देने के बाद ये संख्या 27 हो जाएगी।
जबकि पटना हाईकोर्ट में जजों के स्वीकृत पद 53 हैं।इस तरह अभी भी पटना हाईकोर्ट में जजों के 26 पद रिक्त रह जाएँगे।
जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते इस मामलें पर की जा रही कारवाइयों का ब्यौरा राज्य सरकार को अगली सुनवाई में देने का निर्देश दिया।
पिछली सुनवाई में भी कोर्ट ने राज्य सरकार को उत्पाद कोर्ट के लिए बुनियादी सुविधाओं के संबंध में विस्तृत हलफनामा दायर देने का निर्देश दिया था । कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए जानना चाहा था कि इन कोर्ट के गठन में विलम्ब क्यों हो रहा हैं।कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा था कि सीबीआई, श्रम न्यायलयों व अन्य कोर्ट के लिए अलग अलग भवन की व्यवस्था है,तो उत्पाद कोर्ट के लिए अलग भवन की व्यवस्था क्यों नहीं की जा रही है।
महाधिकवक्ता ललित किशोर ने राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया था कि सभी 74 उत्पाद कोर्ट के लिए जजों की बहाली हो चुकी हैं।साथ ही 666 सहायक कर्मचारियों की बहाली के लिए स्वीकृति दे दी गई हैं। उन्होंने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार इन उत्पाद कोर्ट के सही ढंग से के लिए बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए लगातार कार्रवाई कर रही है ।उन्होंने सभी मुद्दों पर जवाब देने के लिए कोर्ट से अतिरिक्त समय की माँग की।
इस मामले पर कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 3 सप्ताह बाद की जाएगी।
मुख्यमंत्री के जनसंवाद कार्यक्रम के दौरान बख्तियारपुर में सुरक्षा घेरा तोड़ मुख्यमंत्री के नजदीक पहुंचने की कोशिश करता युवक को पुलिस ने लिया हिरासत में युवक से हो रही हैं पूछताछ युवक के बैकग्राउंड की जानकारी पुलिस ले रही है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का विस्तार कर दिया गया है अब देश की अस्सी करोड़ जनता को सितंबर 2022 तक योजना का लाभ मिलेगा योजना के तहत 5 किलो राशन प्रति व्यक्ति निशुल्क दिया जाता है
CM योगी के शपथ समारोह की एक तस्वीर वायरल है। मोदी के आगे 145 डिग्री तक झुक आए शख़्स का नाम है नीतीश कुमार। ये वही नीतीश हैं जिन्होंने साल 2013 में मोदी को लेकर NDA(भाजपा) से गठबंधन तोड़ लिया था। अब आगे की कहानी पढ़िए।
जून 2013 में मोदी को BJP की चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाया गया तो इन्हीं नीतीश ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया। इसके बाद नीतीश ने खुद को धार्मिक तटस्थता के पैरोकार के रूप में पेश किया।
बिहार भाजपा टीम ने महीनों तैयारी कर बिहार में मोदी की पहली रैली करवाई। नाम था- हुंकार रैली। बड़े बड़े पत्रकार दिल्ली से बिहार निर्यात किए गए। पूरे पटना को मोदी के पोस्टरों से आट दिया गया। इस रैली में मोदी ने नीतीश को ‘मौकापरस्त’ और ‘बगुलाभगत’ तक कहा।
अपनी एक किताब में राजदीप सरदेसाई बताते हैं- कुछ साल पहले एक रात्रि भोज पर मैंने नीतीश से पूछा था कि मोदी के बारे में ऐसा क्या था कि वह इतना आहत हो गए। इस पर नीतीश का जवाब था, ‘यह विचारधारा की लड़ाई है…यह देश सेक्यूलर है और सेक्यूलर रहेगा…कुछ लोगों को यह पता होना चाहिए।
हालाँकि नीतीश Secularism का फ़र्ज़ी यूज करते रहे हैं, गुजरात दंगों के बाद पासवान ने अपना इस्तीफ़ा दे दिया था। लेकिन तब रेलवे मंत्री नीतीश ने कुछ नहीं किया। बल्कि उन्होंने गुजरात जाकर एक कार्यक्रम में मंच भी साझा किया। उन्होंने मुसलमानों को सिर्फ़ छला है।
2010 में बिहार चुनाव हुए। कुछ पर्सेंट मुस्लिम वोट राजद से शिफ़्ट होकर नीतीश की तरफ़ चले गए। इससे नीतीश की फ़ुल Majority के साथ सरकार आई। वे समझ गए लंबी राजनीति के लिए सबका वोट चाहिए। इसलिए उन्होंने भाजपा गठबंधन में रहते हुए भी मोदी से दूरी बनाना शुरू कर दिया।
नीतीश BJP में जेटली और सुशील मोदी से काम चलाते रहे। साल 2009 का समय था। भाजपा के PM पद के उम्मीदवार थे आडवाणी। भाजपा ने शक्तिप्रदर्शन के लिए लुधियाना में संयुक्त रैली रखी और नीतीश को बुलाया। नीतीश ने आने में अनिच्छा ज़ाहिर की क्योंकि उन्हें मालूम था वहाँ मोदी आएँगे।
जेटली ने उन्हें कहा कि ये आडवाणी का कार्यक्रम है इसलिए उनका होना ज़रूरी है। नीतीश के आडवाणी से अच्छे सम्बन्ध थे। इसलिए वहां जाने के लिए राज़ी हो गए। लेकिन मोदी बड़े राजनीतिक खिलाड़ी हैं। नीतीश के मंच पर पहुंचते ही वे अभिवादन करने के लिए पहुँच गए और नीतीश का हाथ पकड़ लिया।
ये ऐसा सीन था जिसे TV और अख़बारों की हेडलाइनों ने लपक लिया। नीतीश इसपर लाल-पीले हो गए। उन्होंने मोदी के हाथ पकड़ने की घटना को खुद के साथ विश्वासघात कहा। राजदीप की किताब के अनुसार नीतीश ने बाद में जेटली से कहा, ‘आपने अपना वायदा नहीं निभाया। साल 2010 में पटना में, BJP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक थी। पूरे पटना में मोदी के बड़े-बडे़ पोस्टर लगाए गए। जिसमें कोसी के बाढ़ पीड़ितों के लिए मोदी के योगदान का आभार व्यक्त किया गया था। दरअसल गुजरात सरकार ने बाढ़ पीडितों के लिए 5 करोड़ रुपए दिए थे।
नीतीश ने पटना में आए भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को अपने यहां डिनर पर बुलाया हुआ था। नीतीश ने जब समाचार पत्रों में मोदी के दान वाले विज्ञापन देखे तो ग़ुस्सा हो गए। उन्होंने डिनर कार्यक्रम तक रद्द कर दिया। और बाद में दान के पैसे लेने से भी इंकार कर दिया।
इस बात पर मोदी भी गुस्सा हो गए। राजदीप की किताब के अनुसार मोदी ने BJP अध्यक्ष गडकरी से कहा, ‘आप नीतीश को मेरे साथ ऐसा आचरण की अनुमति कैसे दे रहे हैं?’ नीतीश की आत्मकथा लिखने वाले संकर्षण के अनुसार, ‘यह वह दिन था जब नीतीश-मोदी की लड़ाई ने व्यक्तिगत स्तर पर एक भद्दी शक्ल ले ली“।
राजदीप सरदेसाई की किताब के अनुसार- 2010 की घटना पर नीतीश ने अपने एक सहयोगी से कहा ‘हम उनके (मोदी-भाजपा) बगैर भी चल सकते हैं।’
2010 के बाद भाजपा में मोदी का क़द बढ़ने लगा। 2013 तक वे भाजपा के निर्विवादित शीर्ष नेता बन गए। 2013 में नीतीश ने भी BJP गठबंधन से रिश्ता तोड़ लिया।
एक वक्त था, जब सार्वजनिक मंच पर मोदी के गले मिलने पर नीतीश लाल-पीले हो गए और एक वक्त अब है, जब वो ही नीतीश तीर-कमान की तरह मोदी के पैरों में लटक रहे हैं। वे एक राज्य के मुख्यमंत्री हैं लेकिन आचरण उस राज्यपाल की तरह कर रहे हैं जिसका कार्यकाल PM की दया पर आश्रित होता है।
आज पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री और सांसद राम कृपाल यादव ने लोकसभा में शून्यकाल में पटना गया रेल खंड के नदवां स्टेशन सहित अन्य जगहों पर रेलवे द्वारा आवागमन के रास्ते को बंद कर देने आमलोगों हो रही परेशानियों का मामला उठाया।
महोदय
मैं अपने संसदीय क्षेत्र पाटलीपुत्र की एक महत्वपूर्ण समस्या को सदन के माध्यम से माननीय रेल मंत्री के समक्ष रखना चाहता हूं।
पटना गया रेल खंड पर सरमा रेलवे गुमटी से लेकर सिपारा गुमटी के पश्चिम तरफ सड़क नहीं है। सिर्फ रेलवे लाइन के पूर्वी तरफ हीं सड़क है। रेलवे लाइन के पश्चिमी तरफ लाखों की आबादी बस गयी है। उनलोगों को आवागमन के लिए रेलवे लाइन क्रॉस कर रेलवे लाइन के पूर्वी तरफ वाली सड़क पर आना पड़ता है।
जट डुमरी रेलवे स्टेशन, सिपारा गुमटी पर ROB बन रहे हैं। लेकिन भलुआं, नदवां, क़ुरथौल जहाँ पर लाखों की घनी आबादी है, उनलोगों के पास अवैध रूप से रेलवे लाइन क्रॉस करने के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं है। यहां तक कि गर्भवती महिलाओं और बीमार व्यक्तियों को इलाज के लिए एम्बुलेंस की सुविधा नहीं मिलती है। जिसके कारण इन इलाकों में रेलवे लाइन क्रॉस करने में लगातार हो रही दुर्घटना को देखते हुए रेलवे ने सभी अवैध क्रासिंग को बंद कर दिया है। जिसके कारण लोग परेशान हैं। नदवां स्टेशन पर विगत दिनों हजारों की संख्या में स्थानीय लोगों ने धरना और अनशन किया था। स्थानीय जनप्रतिनिधि होने के नाते उस धरना में मुझे भी जाना पड़ा था। मैंने पहल करके धरनार्थियों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ महाप्रबंधक पूर्व मध्य रेलवे की बैठक भी करवाई थी। लेकिन अभी तक कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला है।
अतः आपके माध्यम से माननीय रेल मंत्री जी से आग्रह है कि इस मामले का संज्ञान लेकर जल्द से जल्द कोई वैकल्पिक रास्ता निकालने की कृपा करें।
चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने ऑनलाइन सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को पटना नगर निगम के आयुक्त के समक्ष अभ्यावेदन दायर करने को कहा है। कोर्ट ने इस मामलें में शीघ्र कार्रवाई करने का निर्देश दिया। यह जनहित याचिका संजय कुमार ने दायर किया था।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजू गिरि ने कोर्ट को बताया कि पिछले कई वर्षों से सड़कों की स्थिति बहुत ही खराब हो गई है। इस कॉलनी को वर्ष 1954 में डॉ राजेन्द्र प्रसाद के गाइडेंस में एक आवासीय कॉलनी के रूप में विकसित किया गया था। उन्होंने बताया कि इस कॉलोनी को पटना नगर निगम की सेवा देने के सरकार से अनुरोध किया गया।
#PatnaHighCourt
अधिवक्ता राजू गिरि ने बताया कि 1960 में पटना नगर निगम ने एक अधिसूचना जारी कर इस कालोनी को अपनी सेवा देना स्वीकार किया, लेकिन पाटलिपुत्र को आपरेटिव सोसाईटी ने इसका विरोध किया।
इसके बाद मुकद्दमेबाजी का कई दौर चला,जिसमें फैसला पटना नगर निगम के पक्ष में निर्णय दिया था।इसे देखते हुए पटना हाईकोर्ट ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई कर पटना नगर निगम के आयुक्त के समक्ष अभ्यावेदन देने को कहा।
इससे पूर्व पाटलिपुत्र कॉपरेटिव सोसाइटी द्वारा 1957 में म्यूनिसिपल सेवाओं को देने का आग्रह राज्य सरकार से किया गया था, लेकिन राज्य सरकार द्वारा आर्थिक कारणों का हवाला देते हुए अस्वीकार दिया था।
लेकिन जो फैसले दिए गए,उससे इस कॉलोनी को समस्यायों से निजात और लाभ नहीं मिला।आज भी स्थिति वैसी ही बनी हुई है।
चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार ने हलफनामा दायर कर कार्रवाई रिपोर्ट दायर किया। मुकेश कुमार ने ये जनहित याचिका दायर की है। इसमें कोर्ट को बताया गया कि आँखों की रोशनी गवांने वाले पीडितों को बतौर क्षतिपूर्ति एक एक लाख रुपए दिए गए हैं। साथ ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को बंद करके एफ आई आर दर्ज कराया गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह को कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामा का जवाब दायर करने के 31 मार्च,2022 तक का समय दिया है।उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस मामलें प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है,लेकिन अनुसंधान का कार्य नहीं हो रहा हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वी के सिंह को इस अस्पताल को पार्टी बनाने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने मुकेश कुमार की जनहित याचिका पर पिछली सुनवाई में स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को विस्तृत हलफनामा दायर करने का आदेश दिया था।
#PatnaHighCourt
इस याचिका में हाई लेवल कमेटी से जांच करवाने को लेकर आदेश देने अनुरोध किया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि कथित तौर पर आई हॉस्पिटल के प्रबंधन व राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बरती गई अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपने आँखों को खोना पड़ा।
याचिका में यह कहा गया है कि राज्य सरकार के अधिकारियों को भी एक नियमित अंतराल पर अस्पताल का निरीक्षण करना चाहिए था। याचिका में आगे यह भी कहा गया है कि जिम्मेदार अधिकारियों व अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी आंख गंवानी पड़ी।
मुजफ्फरपुर आई अस्पताल प्रबंधन व जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आंख खोए व्यक्तियों को मुआवजा देने का भी आग्रह किया गया है। पीड़ितों को सरकारी अस्पताल में उचित इलाज करवाने को लेकर आदेश देने का भी अनुरोध किया गया है।
इस मामले पर अगली सुनवाई आगामी 31मार्च,2022 को की जाएगी।
मोतिहारी -चर्चित RTI कार्यकर्ता के पुत्र ने की आत्महत्या, न्याय और एसपी के नही मिलने से क्षुब्ध होकर किरोसिन तेल छिड़क लगाई आग, हाई टेंशन तार पर कूद झुलसा
मोतिहारी में अपने पिता आरटीआई कार्यकर्ता बिपिन अग्रवाल की हत्या से सदमे में चल रहे पुत्र रोहित कुमार (14 वर्ष) ने आत्महत्या कर जीवनलीला समाप्त कर ली। मोतिहारी के ही एक अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी। रोहित पुलिस की कार्रवाई से नाखुश चल थाम। उसके दादा विजय अग्रवाल ने बताया कि गुरुवार की सुबह वह एसपी से मिलकर न्याय की गुहार लगाने गया था। उसने बकायदा फोन कर उनसे अनुमति भी ली थी।
लेकिन उससे एसपी नहीं मिलकर अधीनस्थ कर्मी को भेजे। जबकि वह एसपी से ही मिलने की गुहार लगाता रहा। लेकिन काफी जद्दोजहद के बाद भी संतोषजनक जवाब नही मिला। इस कारण सदमे में आकर रोहित ने घर लौटकर आत्महत्या का प्रयास किया। घर के सामने एक तीन मंजिले निजी नर्सिंग होम के छत पर पहले उसने प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए फिर केरोसिन छिड़ककर शरीर मे आग लगाई। और छत से कूदकर बिजली प्रवाहित हाई टेंशन तार पर गिरकर आत्महत्या का प्रयास किया। इसमें वह बुरी तरह झुलस गया।
घटना के तत्काल बाद परिजनों ने आरटीआई कार्यकर्ता बिपिन अग्रवाल के सबसे बड़े पुत्र रोहित को मोतिहारी नगर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां देर रात रोहित की इलाज के दौरान मौत हो गयी। पहले पति को खोने व अब न्याय के लिए पुत्र को खोने के कारण आरटीआई कार्यकर्ता की पत्नी का रो रो कर बुरा हाल है। बता दें कि हरसिद्धि बाजार निवासी आरटीआई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल की हत्या दबंगों ने इसलिए करवा दी थी कि वे सरकारी जमीन से कब्जा हटाने को लेकर पटना उच्च न्यायालय में आधे दर्जन अतिक्रमणवाद के जनहित मुकदमे लड़ रहे थे।
बीते वर्ष 24 सितंबर को प्रखंड कार्यालय से बाहर निकलने के दौरान विपिन की हत्या गोलियों से भूनकर कर दी गई थी। पुलिस ने घटना में शामिल सुपारी किलर सहित कई को गिरफ्तार कर न्याययिक हिरासत में भेज दिया। वही हत्या में दबंगों व एक राजनेता का नाम सुर्खियों में आया था। जिसपर करवाई नही होने को लेकर दो बार आरटीआई कार्यकर्ता के परिजन सड़क जाम कर व आत्महत्या का प्रयास कर चुके थे। वहीं लोगों में चर्चा है कि जिस सरकारी जमीन पर कब्जा हटाने को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या की गई। उस पर से प्रशासन आजतक अतिक्रमण नहीं हटा सका।
आरटीआई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल के पिता विजय अग्रवाल ने वीडियो जारी कर बताया कि रोहित गुरुवार को एसपी से मिलने के लिये सुबह में ही एसपी कार्यालय पहुंचा था,जहां एसपी के नही मिलने पर कार्यालय कर्मियों के साथ अभद्र व्यवहार किया। जिसके बाद एसपी रोहित से मिले,लेकिन एसपी की ओर से रोहित को संतोषजनक जबाब नही मिला।
आरटीआई कार्यकर्ता दिवंगत बिपिन अग्रवाल के पिता और आत्महत्या का प्रयास करने वाले रोहित के दादा विजय अग्रवाल ने बताया कि एसपी ने अरोपियों को गिरफ्तार करने का प्रयास करने का आश्वासन दिया जबकि हत्या के पांच महीने गुजरने पर हत्या की साजिश करने वालो को गिरफ्तार करने की मांग पर रोहित अड़ा रहा।
इसी कारण नाराज और सदमे में चल रहे रोहित ने फोन कर 15 मिनट में पुलिस कार्रवाई करने नही करने या अस्वाशन नही देने पर आत्महत्या की धमकी दिया था,लेकिन पुलिस की कार्रवाई 15 मिनट में पूरा नही होने पर रोहित ने शरीर मे आग लगा कर नर्सिंग होम के तीन मंजिले छत से कूद पड़ा है। छत से कूदने के पहले रोहित ने प्रशासन के खिलाफ नारे भी लगाया। दादा विजय अग्रवाल ने बताया कि हत्यारोपियों की गिरफ्तारी नही होने और एसपी के नही मिलनेसे क्षुब्ध रोहित ने यह आत्मघाती कदम उठाया है।
मालूम हो कि 24 सितंबर 2022 को हरसिद्धि प्रखंड कार्यालय से निकलते समय दिनदहाड़े दिन के करीब 12 बजे मिटरसायकिल पर सवार अपराधियो ने गोलियों से भूनकर आरटीआई कार्यकर्ता बिपिन अग्रवाल की हत्या कर दिया था। बताया जाता है कि हत्या के पीछे हरसिद्धि बाजार के करोड़ो रूपये की व्यवसायी जमीन पर दबंगों ने कब्जा कर लिया है। जिसपर कई बहुमंजिले इमारत और व्यवसायिक प्रतिष्ठान स्थापित है।
सूचना के अधिकार कानून के सहारे इसी कुकृत्य का खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता बिपिन अग्रवाल ने किया था,जिसके बाद से ही वह सफेदपोश,माफिया और व्यवसायियों के आखो का किरकिरी बना था। इन्ही कारणों से बिपिन अग्रवाल की हत्या कर दिया गया। हत्या के बाद परिजन न्याय की मांग को लेकर कई बार हरसिद्धि में अरेराज बेतिया सड़क को जाम कर धरना दिया था। पुलिस ने हत्या में शामिल कई अपराधियो को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।
लेकिन परिजन हत्या के पीछे के सफेदपोश,माफिया और व्यवसायियों के गठजोड़ का खुलासा करने और इनकी गिरफ्तारी की मांग पर अड़े है। इन्ही मांगो को लेकर आज रोहित एसपी से मिलने आया था। लेकिन मांगी को पूरा नही होने से सदमे में रोहित ने आत्मघाती कदम उठाया है। और आज उसकी मौत हो गयी ।
भारत के राष्ट्रपति ने पटना हाई कोर्ट के दो अधिवक्ताओं, राजीव राय और हरीश कुमार को पटना हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया है। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 217 के क्लॉज़ (1) में दी गई शक्ति का उपयोग करते हुए की गई है। कार्यभार संभालने की तिथि से इनकी वरीयता निर्धारित की जाएगी।
इस आशय की अधिसूचना भारत सरकार के विधि व न्याय मंत्रालय द्वारा 24 मार्च 2022 को जारी की गई है। अधिसूचना की प्रति अधिवक्ता राजीव राय और अधिवक्ता हरीश कुमार को भी पटना हाई कोर्ट के महानिबंधक के जरिये भेजी गई है।
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इसके अलावे अधिसूचना की प्रति बिहार के राज्यपाल के सचिव, राज्य के मुख्यमंत्री के सचिव, पटना हाई कोर्ट चीफ जस्टिस के सचिव, बिहार सरकार के चीफ सेक्रेटरी के सचिव, पटना हाई कोर्ट के महानिबंधक व राज्य के अकाउंटेंट जनरल, प्रेसिडेंटस सेक्रेटेरिएट ( नई दिल्ली), प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के पी एस, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के कार्यालय के रजिस्ट्रार, सेक्रेटरी (जस्टिस) के एम एल एंड जे/ पी पी एस के पी एस व डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के टेक्निकल डायरेक्टर को भी भेज दी गयी है।
पटना हाईकोर्ट ने बिहार उद्योग सेवा संवर्ग संशोधन नियम,2013 के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुमंत कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता की अधिवक्ता वर्धन मंगलम ने कोर्ट को बताया कि बिहार उद्योग सेवा संवर्ग के तहत 60 प्रोजेक्ट मैनेजरों के पद पर बहाली के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। इसमें कामर्स को शामिल नहीं किया गया था।
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कोर्ट ने इस पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि उद्योग विभाग में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर बहाली के लिए कामर्स को क्यों शामिल नहीं किया गया। याचिकाकर्ता की अधिवक्ता वर्धन मंगलम ने कहा कि इस तरह की बहाली गलत,गैर कानूनी और भारतीय संविधान की धारा 14 का उल्लंघन होगा।
कोर्ट ने ये स्पष्ट कर दिया कि इन पदों पर नियुक्ति इस रिट के परिणाम पर निर्भर करेगा। इस मामलें पर अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी।
जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने लक्ष्मण रॉय की याचिका पर सुनवाई की। पटना हाईकोर्ट ने पीडीएस डीलर को बिना नोटिस दिए उससे सम्पूर्ण रोजगार योजना के अनाज का पैसा वसूलने के मामलें में राज्य सरकार से जवाबतलब किया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आनंद कुमार ओझा ने कोर्ट को बताया सम्पूर्ण रोजगार योजना के तहत अनाज का।वितरण नहीं किये जाने को लेकर जांच और कार्रवाई करने के लिए रिटायर्ड जज उदय सिन्हा कमेटी गठित किया गया।
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कमेटी ने पी डी एस डीलरो को व्यक्तिगत और सार्वजनिक नोटिस दिए।उन्हें दोषी मानते हुए बचे अनाज की वसूली का जिम्मेदार बताते हुए पैसे वसूली का आदेश दिया।
उनका मानना था कि आवेदक पी डी एस डीलर के पास 9 quintal अनाज दुकान में बचा था।अनाज उठाने के लिए सरकारी अधिकारियों से प्रार्थना करने के बाद कूपन जारी नहीं किया गया और अनाज खराब हो गया।इस मामलें पर आगे सुनवाई होगी।
चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने गौरव सिंह समेत अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई में पटना के जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट के निर्देशक को तलब किया है।
राज्य में पटना के जयप्रकाश नारायण अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के गया, मुजफ्फरपुर,दरभंगा,भागलपुर,फारबिसगंज , मुंगेर और रक्सौल एयरपोर्ट हैं।लेकिन इन एयरपोर्ट पर बहुत सारी आधुनिक सुविधाओं के अभाव व सुरक्षा की भी समस्या हैं।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पूर्णिया एयरपोर्ट से संबंधित सभी जमीन अधिग्रहण के मुकदमों को डी एम को सुनवाई कर इन मामलों को 45 दिनों में निपटाने का निर्देश दिया था।
पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुमीत कुमार ने जानकारी दी थी कि कोर्ट ने दो दिनों के भीतर गया एयरपोर्ट के संबंध में जमीन अधिग्रहण को लेकर लंबित मुकदमों का चार्ट देने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने पूर्णिया एयरपोर्ट के संबंध में पटना हाई कोर्ट के समक्ष लंबित मुकदमों को सूची प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
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याचिकाकर्ता की अधिवक्ता अर्चना शाही ने बताया कि राज्य के कई एयरपोर्ट कार्यरत नहीं है,जबकि, पटना एयरपोर्ट के विस्तार के लिए बिहार सरकार से एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया भूमि की मांग कर रहा है ,लेकिन जगह नहीं मिल रहा है।
उन्होंने बताया कि गया एयरपोर्ट के लिए भी 26 एकड़ जमीन ही दिया गया। बाकी जमीन अबतक नहीं दिया गया। जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया के तहत बिहार सरकार ने लगभग 260 करोड़ रुपये के लिए अपील दायर कर रखा है।
इस कारण न तो मुआवजा मिला है और न जमीन अधिग्रहण पूरा हुआ है।बिहार में बिहटा का एयरपोर्ट स्टेशन, पूर्णिया एयरपोर्ट और सबेया एयरपोर्ट सिर्फ सेना के इस्तेमाल के लिए होता हैं।
भागलपुर एयरपोर्ट, जोगबनी स्थित फोरबेसगंज एयरपोर्ट, मुंगेर एयरपोर्ट और रक्सौल एयरपोर्ट बंद पड़े हुए हैं।बिहार में सिर्फ दो ही अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट गया और पटना में हैं।
अगली सुनवाई में गया और बोध गया के विकास से सम्बंधित मामलें भी शामिल रहेंगे।साथ ही गया के विष्णुपद मंदिर से भी सम्बंधित मुद्दों पर सुनवाई होगी।
गया एयरपोर्ट राज्य का पहला अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट है, जहां से मुख्यतः बौद्ध देशों जैसे श्रीलंका व कंबोडिया आदि के लिए फ्लाइट चलाई जाती है।
बिहार की राजनीतिक गलियारों में चर्चा सरेआम है कि बिहार विधानसभा सत्र के समापन के साथ ही बिहार की राजनीति में बवंडर आना तय है हाल ही में केन्द्रीयमंत्री नित्यानंद राय और नीतीश कुमार की मुलाकात उसी बवंडर को थोड़े समय तक टालने की कवायत मानी जा रही है। हालांकि यूपी में मिली जीत से बीजेपी काफी उत्साहित है लेकिन बीजेपी इस बात को लेकर चिंतित है कि बिहार सरकार के एक वर्ष पूरे होने के बावजूद बीजेपी का कोई भी मंत्री उस तरह का प्रभाव नहीं छोड़ पाया है जिसके सहारे बिहार की राजनीति को साधा जा सके।
ऐसे में सत्र के बाद बिहार मंत्रीमंडल में बीजेपी कोटे के मंत्री में बड़ा बदलाव हो सकता है जिसमें उप मुख्यमंत्री सहित कई मंत्रियों का हटना तय माना जा रहा है ।वही नीतीश कुमार ने मंत्रीमंडल में बदलाव का प्रस्ताव लेकर आये केन्द्रीयमंत्री नित्यानंद राय को दो टूक कह दिया है कि साथ सरकार चलानी है तो बिहार विधानसभा के अध्यक्ष को भी हटाये ,ऐसी खबरें आ रही है कि अध्यक्ष को मंत्रीमंडल में शामिल करने पर विचार चल रही है।
आज दिल्ली में बिहार बीजेपी के सांसदों से पीएम की मुलाकात इसी की एक कड़ी मानी जा रही है क्यों कि बिहार को लेकर ऐसी खबरे आनी शुरु हो गयी है कि नीतीश कुमार बीजेपी और खास करके अमित शाह के कार्यशैली से नराज चल रहे हैं और वो साथ छोड़ने को लेकर सही समय का इन्तजार कर रहे हैं ऐसे में नीतीश कुमार का विकल्प क्या हो सकता है इस पर भी राय-मशविरा हुआ है वैसे बोचहा विधानसभा उप चुनाव में भाजपा सांसद का चिराग पासवान से मिलना इसी कड़ी का एक हिस्सा माना जा रहा है ।
इस बीच यूपी में मुलायम के परिवार की वापसी नहीं होने पर तेजस्वी नीतीश कुमार को लेकर पहले से मुलायम हुए हैं और शरद पवार और के0 चंद्रशेखर राव द्वारा विपक्षी एकता को लेकर जो कवायत शुरु की गयी है उसमें ममता बनर्जी के शामिल होने की खबर आ रही है।
इसी को देखते हुए राजद राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन की सियासी खेल को संभालने के लिए शरद यादव की पार्टी का राजद में विलय करया है ताकि दिल्ली की राजनीति को साधा जा सके और इसके लिए राजद अपने कोटे से शरद यादव को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया है।
इस बीच खबर ये भी आ रही है कि विपक्षी एकता अगर शक्ल लेती है तो नीतीश कुमार चाहेंगे की बिहार में मध्यावधि चुनाव हो और वो भी गुजरात के साथ हो। जदयू जिस तरीके से पंचायत स्तर तक पार्टी संगठन को मजबूत करने की कोशिश में लगी है उसको मध्यावधि चुनाव से ही जोड़ कर देखा जा रहा है ।वैसे राष्ट्रपति चुनाव आते आते बहुत कुछ स्पष्ट हो जायेगा ये साफ दिखने लगा है ।
क्यों कि नीतीश कुमार पर जिस तरीके से बीजेपी लगातार दबाव बना रही है ऐसे में बहुत मुश्किल हो रहा है नीतीश कुमार को सरकार चलाना जानकारी यह भी है कि फिल्म कश्मीर फाइल्स को बिहार में टैक्स फ्री होने कि जानकारी उन्हें मीडिया से मिली थी ।
इसी तरह विधानसभा में वंदे मातरम को शामिल करना, फिर जुम्मा की नमाज को लेकर विधानसभा में बेवजह तूल देना ,वही बिहार विधानसभा में बन रहे शताब्दी स्तंभ से अशोक स्तंभ का हटाया जाना जैसे कई मुद्दे हैं जिसको लेकर नीतीश असहज महसूस कर रहे हैं ऐसे में बिहार विधानसभा अध्यक्ष के कार्यशैली को लेकर नीतीश कुमार को सदन में आकर प्रतिकार करना पड़ा उससे नीतीश काफी आहत है ऐसे कई मुद्दे हैं जिसको लेकर नीतीश सहज नहीं है ।