पटना हाईकोर्ट ने राज्य के नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को 1 दिसंबर 2022 को कोर्ट में तलब करते हुए उनसे यह जानना चाहा है कि जब राज्य में नगर निकाय के विघटन की अवधि 6 माह से ज्यादा हो गई है ,तो किस कानून के तहत एडमिनिस्ट्रेटर निकायों में कार्य कर रहे हैं।जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने अंजू कुमारी व अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई की।
कोर्ट ने उनसे जानना चाहा है कि क्यों नहीं प्रावधानों और कानूनों के उल्लंघन को मानते हुए एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा किए जा रहे कार्यों पर कोर्ट द्वारा रोक लगा दिया जाए।
कोर्ट को राज्य सरकार के अधिवक्ता किंकर कुमार ने बताया कि डेडीकेटेड कमीशन का गठन हाई कोर्ट के निर्देशानुसार कर दिया गया है।उसका रिपोर्ट आते ही राज्य में नगर निकाय का चुनाव करा लिया जाएगा।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एसबीके मंगलम ने कोर्ट को बताया कि संविधान के प्रावधानों के अनुसार 5 वर्ष की अवधि समाप्त होने के पहले नगर निकाय का चुनाव हर हाल में करा लेना है। लेकिन बिहार में बहुत ऐसे नगर निकाय हैं, जिनको विघटित हुए एक बरस से ज्यादा की अवधि हो गई है ।इसके बावजूद इसके अभी भी उन नगर निकायों में एडमिनिस्ट्रेटर के द्वारा कार्य कराया जा रहा है, जो कानूनी रूप से सही नहीं है।
कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस तरह के कार्यों को गैरकानूनी माना है।याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि जिस प्रकार पंचायत में परामर्श दात्री समिति का गठन किया गया है ,उसी प्रकार नगर निकाय में भी परामर्श दात्री समिति का गठन किया जाए। इससे नगर निकाय का कार्य सुचारू रूप से चुनाव संपन्न होने तक हो सकेगा।
चुनाव आयोग की ओर से अधिवक्ता संजीव निकेश ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के निर्देशानुसार डेडिकेटेड कमीशन की रिपोर्ट आ जाने के बाद नगर निकाय का चुनाव सम्पन्न करा लिया जाएगा।
गौरतलब है कि राज्य में नगर निकाय की अवधि 3 सितंबर 2021 और 9 जून 2022 को पूरी हो जाने के बाद संबंधित नगर निकाय का कार्य एडमिनिस्ट्रेटर की देख रेख में हो रहा है।ये 9 दिसंबर 2022 को समाप्त हो रही है।अभी तक डेडीकेटेड कमीशन का रिपोर्ट अति पिछड़ों को आरक्षण देने के मामले में अभी सरकार को नहीं मिला है ।उम्मीद की जा रही है कि दिसंबर के प्रथम सप्ताह तक आयोग का रिपोर्ट सरकार को उपलब्ध हो जाएगा।
इस मामले पर 1 दिसंबर 2022 को फिर सुनवाई की जाएगी।