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Bihar News in Hindi: The BiharNews Post - Bihar No.1 News Portal

बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में चार हज़ार से अधिक सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण नियमों अवहेलना को देखते हुए पटना हाईकोर्ट ने इन नियुक्तियों पर अगले आदेश तक के लिये रोक लगा दिया है

जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने डॉ आमोद प्रबोधी व सहित अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बिहार राज्य यूनिवर्सिटी सर्विसेज कमिशन को आदेश दिया है कि अगले आदेश तक कोई भी नियुक्ति पत्र नहीं जारी की जाए।

गौरतलब है कि कोर्ट ने इस नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाते हुए, सिर्फ नियुक्तियों की सूची या नियुक्ति पत्र जारी करने पर ही रोक लगाया है।

रिट याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष प्रस्तुत करते हुए वरीय अधिवक्ता पीके शाही कोर्ट को बताया कि इन विश्वविद्यालयों के अंगीभूत कॉलेजों में 4638 सहायक प्रोफेसर की रिक्तियां जो विज्ञापन में प्रकाशित हुई थी, उस विज्ञापन में मात्र 1223 रिक्तियां ही सामान्य श्रेणी के अभ्यार्थियों के लिए है।आरक्षण नियम के अनुसार किसी भी परिस्थिति में 50 फ़ीसदी से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता ।

इस विज्ञापन में आरक्षित श्रेणी के लिए करीब तीन चौथाई से अधिक रिक्तियों को आरक्षित कर लिया गया है। कोर्ट को जब राज्य सरकार की ओर से बताया कि इस विज्ञापन में प्रकाशित रिक्तियों की संख्या में वर्तमान वैकेंसी के साथ-साथ पिछली रिक्तियों पर नियुक्तियां नहीं हो सकी थी, उन्हें भी जोड़ कर विज्ञापित किया गया है ।

एडवोकेट शाही ने कोर्ट को बताया कि बैकलॉग रिक्तियों को वर्तमान रिक्तियों से जोड़ करने पर भी रिजर्वेशन नियम 50 फ़ीसदी से अधिक नहीं हो सकता है।

इस सम्बन्ध में पटना हाई कोर्ट के पूर्व निर्णयों का हवाला देते हुए उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया गया कि जब तक सरकार आरक्षण देने की व्यवस्था और तरीकों को कोर्ट के सामने स्पष्ट नहीं करती ,तब तक के लिए कम से कम नियुक्ति नियुक्तियों पर रोक लगाई जाए।

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हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के अधिकारियों को तलब किया था। सामान्य प्रशासन विभाग के अपर सचिव और शिक्षा विभाग के उच्च शिक्षा निदेशक कोर्ट में हाजिर थे।

कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को इस पूरे मामले और पिछली राज्य के इन विश्वविद्यालयों हेतु सहायक प्रोफेसर की पिछली तीन नियुक्ति प्रक्रियाओं की पूरी फाइल को पेश करने का आदेश दिया है।इस मामले पर अगली सुनवाई 10 जनवरी, 2023 को होगी ।

पटना हाइकोर्ट में पटना-गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण पर में हो रहे विलम्ब के मामलें पर सुनवाई की गई

पटना हाइकोर्ट में पटना-गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण पर में हो रहे विलम्ब के मामलें पर सुनवाई की गई। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ के समक्ष निर्माण कंपनी के अधिकारियों ने आश्वास्त किया कि पटना गया डोभी के फेज एक का निर्माण 31 मार्च,2023 तक पूरा हो जाएगा।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में हो रहे विलम्ब पर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी।प्रतिज्ञा नामक संस्था द्वारा ये जनहित याचिका पर दायर किया है।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में मामलें को गम्भीरता से लेते हुए निर्माण कार्य का जायजा लेने के लिए अधिवक्ता मनीष कुमार समेत एक दर्जन वकीलों की एक टीम गठित किया था।इनकी तीन टीमें तीनो फेज के निर्माण कार्य का जायजा ले कर कोर्ट को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया था।

आज कोर्ट में इन्होने रिपोर्ट दिया।इन्होने अपने रिपोर्ट में कहा कि सड़क निर्माण का कार्य अपेक्षित गति से नहीं हो रहा है।जितनी मजदूर और मशीनें लगायी जानी चाहिए, उतना नहीं लगाया गया है।

PatnaHighCourt
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कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया था कि निरीक्षण के दौरान वकीलों की सहायता के लिए सम्बंधित जिले के अधिकारीगण मौजूद रहेंगे।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कार्य की धीमी गति पर कॉन्ट्रेक्टर को फटकार लगायी।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह से तय समय सीमा के तहत सड़क निर्माण का कैसे कार्य पूरा हो पायेगा।

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आज निर्माण कंपनी की ओर से बताया गया कि इस फेज में तीन आरओबी की समस्या के कारण सड़क निर्माण में बाधा है,लेकिन इस फेज के निर्माण का कार्य निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा कर लिया जाएगा।

गौरतलब है कि इस सड़क निर्माण के तय समय सीमा 31मार्च ,2023 है।कोर्ट ने कहा कि जितने भी आदमी और मशीनों की जरूरत हो,उन्हें इस सड़क निर्माण के कार्य में लगा कर समय पर कार्य पूरा किया जाए।इस मामलें पर अगली सुनवाई 21दिसम्बर,2022 को की जाएगी।

एम्स दरभंगा हेतु बिहार सरकार ने 200 एकड़ जमीन उपलब्ध नहीं कराई: डॉ भारती प्रवीण पवार

पटना । The BiharNews Post : December 20, 2022
राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सम्प्रति राज्यसभा सांसद श्री सुशील कुमार मोदी के एक प्रश्न के उत्तर में राज्यसभा में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार ने बताया कि एम्स दरभंगा के निर्माण हेतु बिहार सरकार को 200 एकड़ भूमि सभी तरह की बाधा से मुक्त उपलब्ध कराना था, परंतु अभी तक बिहार सरकार ने भूमि उपलब्ध नहीं कराई।

• एम्स दरभंगा हेतु बिहार सरकार ने 200 एकड़ जमीन उपलब्ध नहीं कराई
• 2020 सितंबर में एम्स दरभंगा का शिलान्यास हुआ था
• 1264 करोड़ की लागत से 750 बिस्तर वाला अस्पताल का प्रस्ताव है

Dr. Bharti

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1264 करोड़ रुपया की अनुमानित लागत से एम्स दरभंगा की स्थापना को सितंबर 2020 की मंजूरी दी थी। एम्स दरभंगा को 750 बिस्तर वाला अस्पताल बनाए जाने का प्रस्ताव है। इस प्रस्तावित अस्पताल में ओपीडी, आईपीडी के साथ-साथ शैक्षणिक ब्लॉक, मेडिकल कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, आवासीय ब्लॉक, छात्रावास, अतिथि गृह और रात्रि विश्राम गृह शामिल है।

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मंत्री ने यह भी बताया कि एम्स दरभंगा का कार्यकारी निदेशक नियुक्त कर दिया गया है।

पटना हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस संजय कुमार को राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बिहार में अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त किया गया

पटना हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस संजय कुमार को राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बिहार, पटना में योगदान की तिथि चार वर्षों अथवा 67 वर्षों की उम्र सीमा ( जो भी पहले हो) के लिए अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त किया गया है।

Justice Sanjay Kumar

इस आशय की एक अधिसूचना बिहार सरकार के खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा सोमवार को जारी किया गया है।

चयनित अध्यक्ष को योगदान के पूर्व संलग्न अनुलग्नक -I में राज्य आयोग के अध्यक्ष के लिए शपथ – पत्र व अनुलग्नक- II में राज्य आयोग के अध्यक्ष के लिए गोपनीयता का शपथ- पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।

बिहार नगर निकाय चुनाव 2022 के पहले चरण की मतगणना 20 दिसंबर को होगी

पटना । बिहार नगर निकाय चुनाव 2022 के पहले चरण की मतगणना कल (मंगलवार) सुबह आठ बजे से शुरु हो जाएगी। मतगणना केंद्र के बाहर सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है। पहले फेज के मतदान खत्म होने के बाद ईवीएम को सील कर कड़ी सुरक्षा के बीच स्ट्रांग रूम में रखा गया है।

सिर्फ अनुमति पाए लोग ही कल मतगणना केंद्र के अंदर जा सकेंगे। रूझान कल सुबह 9 बजे के आसपास से आना शुरू हो जाएगा।

नगर निकाय चुनाव 2022 के पहले चरण के लिए 18 दिसंबर को वोटिंग हुई थी। नगर निकाय चुनाव के पहले चरण में 59.62 फीसदी मतदान हुआ है। पहले चरण में 68 नगर परिषदों और 88 नगर पंचायतों के प्रतिनिधियों के लिए मतदान हुआ है।

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पहले फेज में 156 नगर पालिका के 52 लाख 60 हजार वोटरों ने 21287 उम्मीदवार के भाग्य का फैसला EVM में कैद कर दिया है।

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पहले चरण में 52 लाख 60 हजार 530 मतदाता हैं जिसमें 27 लाख 59 हजार पुरुष मतदाता तथा 25 लाख एक हजार 369 महिला मतदाता और 161 अन्य मतदाता शामिल हैं।

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शराबकांड के पीड़ितों को पहले मुआवजा दें, प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनायें नीतीश: सुशील मोदी

पटना । The BiharNews Post : December 19, 2022
पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने कहा कि जहरीली शराब से मरने वालों के गरीब आश्रितों को मुआवजा देने से बचने के लिए सरकार ने पहले नियम को लेकर झूठ बोला और अब बिहार में जहरीली शराब से मरने वालों के बारे में भी झूठे आंकड़े पेश कर चेहरा चमका रही है।

  • जहरीली शराब से मरने वालों के आंकड़े और मुआवजा देने के नियम, दोनों मुद्दे पर पकड़ा गया सरकार का झूठ

श्री मोदी ने कहा कि जब सरकार ने कुबूल कर लिया कि जहरीली शराब से मौत के मामले में मुआवजा देने का प्रावधान है, तब अब पीड़ित परिवारों को पहले मुआवजा मिलना चाहिए। नियमानुसार मुआवजा राशि की वसूली जहरीली शराब बनाने-बेचने वालों से बाद में भी हो सकती है।

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उन्होंने कहा कि गरीबों मुआवजा देने को नीतीश कुमार अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनायें।

श्री मोदी ने कहा कि एक तरफ बिहार सरकार अपनी रिपोर्ट में सिर्फ 2016 में शराब सेवन से सात लोगों की मौत की बात कह रही है, वहीं दूसरी तरफ उसी साल जहरीली शराब सेवन से मरने वाले 19 लोगों के परिवार को चार-चार लाख मुआवजा भी देती है।

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श्री सुशील मोदी ने राज्य सरकार की ओर से राष्ट्रीय अपराध अनुसंधान ब्यूरो ( NCRB) को भेजी गई उस रिपोर्ट को आधार बनाया कर सरकार के झूठ को आईना दिखाया, जिसके अनुसार 2016-2021 के बीच बिहार में शराब सेवन से सिर्फ 23 लोगों की मौत हुई।

उन्होंने कहा कि झूठे आंकड़े पेश कर नीतीश सरकार वाह-वाही लूटने में लगी है और दूसरे राज्यों से बिहार की स्थिति को बेहतर बता रही है।

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बिहार में नगर निकाय चुनाव का पहला चरण संपन्न; 59.62 % हुआ वोटिंग

पटना । The BiharNews Post : December 18, 2022
बिहार में शहरी नगर निकाय चुनाव के लिए पहले चरण का चुनाव सम्पन्न हो गया। शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ प्रथम चरण का मतदान, 20 दिसंबर को आएंगे । नतीजे पहले फेज में 156 नगर पालिका के 52 लाख 60 हजार वोटरों ने 21287 उम्मीदवार के भाग्य का फैसला EVM में कैद कर दिया है।

नगर निकाय चुनाव के पहले चरण में 59.62 फीसदी मतदान हुआ। सर्वाधिक मतदान अरवल में 67.71 फीसदी और सबसे कम बांका में 45.78 फीसदी मतदान हुआ।

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एक दो स्थानों को छोड़कर बिहार नगर निकाय के पहले चरण का मतदान शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया। बिहार के बोधगया में नगर निकाय चुनाव का बहिष्कार का मामला सामने आया. पार्षद पद का चुनाव स्थगित होने से ये लोग नाराज थे।

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पहले चरण में 52 लाख 60 हजार 530 मतदाता हैं जिसमें 27 लाख 59 हजार पुरुष मतदाता तथा 25 लाख एक हजार 369 महिला मतदाता और 161 अन्य मतदाता शामिल हैं।

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बिहार के नए पुलिस महानिदेशक (DGP) बने राजविंदर सिंह भट्टी

पटना/दिल्ली । The BiharNews Post : December 18, 2022
रविवार को गृह विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार बिहार कैडर के 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी राजविंदर सिंह भट्टी को अगले आदेश तक बिहार का डीजीपी का नियुक्त किया गया है।

भट्टी मूल रूप से पंजाब के हैं लेकिन बिहार कैडर होने की वजह से उन्होंने राज्य में क्राइम को कम करने के लिए काफी काम किया है। RS Bhatti अभी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) पूर्वी कमांड में अपर महानिदेशक (एडीजी) के पद पर कार्यरत थे।

DGP RS Bhatti

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बिहार के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन को गिरफ्तार करने की जो विशेष गुप्त योजना बनी थी, उसे आरएस भट्टी ने ही अंजाम दिया था।

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बिहार में वर्तमान में DG रैंक के 11 अफसर हैं। इनमें से 6 केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर राज्य में आए हुए हैं। केंद्र सरकार की ओर से 3 नामों का चयन कर सूची बिहार सरकार के गृह विभाग को भेजी गई थी। राज्य सरकार की ओर नए डीजीपी के रूप में आईपीएस राजविंदर सिंह भट्टी को चुना गया।

वर्तमान डीजीपी एसके सिंघल का कार्यकाल कल सोमवार (19 दिसंबर) को खत्म हो रहा है। ऐसे में रविवार को ही गृह विभाग की ओर से नए डीजीपी के नाम की औपचारिक घोषणा कर दी गई।

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पटना हाइकोर्ट में जल्द ही कुछ पाबन्दियों में छूट के साथ पूर्व की तरह काम प्रारम्भ हो जाएगा

पटना हाइकोर्ट में जल्द ही कुछ पाबन्दियों में छूट के साथ पूर्व की तरह काम प्रारम्भ हो जाएगा। कोर्ट सोमवार से गुरुवार तक फिजिकल तथा शुक्रवार को वर्चुअल चलता रहेगा।

मिली जानकारी के तहत हाई कोर्ट परिसर अवस्थित तीन कैंटीन को शर्तो के साथ खोलने की अनुमति दी गई है। वही रेलवे आरक्षण केंद्र पूर्व की तरह सुबह आठ बजे से दोपहर बाद दो बजे तक काम करेगा।

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मौजूदा समय में आरक्षण केंद्र सुबह आठ बजे से पौने दस बजे तक काम कर रहा था ।कोरोना संक्रमण को लेकर जारी एसओपी में थोड़ा बदलाव किया गया है। लेकिन बदलाव के बाद जारी हर दिशा निर्देशों को कड़ाई से पालन करने की जिम्मेवारी हाई कोर्ट के सुरक्षा में लगे पुलिस को दी गई है।

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वकील और उनके मुंशी को गेट संख्या दो एंव तीन से प्रवेश करने की अनुमति होंगी ।वही वकील हाई कोर्ट कर्मी एंव अन्य को गेट संख्या तीन से प्रवेश कर सकेंगे।जबकि मुवक्किल पास के द्वारा ही हाई कोर्ट में प्रवेश कर सकेंगे।सभी को हर दिशा निर्देश का पालन करना होगा।

पटना हाईकोर्ट ने पुलिस रिपोर्ट के आधार पर बाढ़ के एसडीएम द्वारा कई लोगों पर समन जारी किये जाने के मामले पर कड़ी टिप्पणी की

पटना हाईकोर्ट ने पुलिस रिपोर्ट के आधार पर बाढ़ के एसडीएम द्वारा कई लोगों पर समन जारी किये जाने के मामले पर कड़ी टिप्पणी की। जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने संतोष ऊर्फ संतोष सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इलेक्शन के समय में आप क्रिमिनल बना देंगे लोगों को…, अगर आपको कोर्ट का समन मिले, तो आप घर जाकर खाना भूल जाइएगा” ।

कोर्ट ने इस मामलें के जांच का जिम्मा सीआईडी को दे दिया है।अगली सुनवाई में कोर्ट ने सीआईडी कार्रवाई रिपोर्ट देने को कहा।

याचिकाकर्ता द्वारा आरोप लगाया गया है कि मोकामा स्थित समयागढ़ ओपी के एएसआई प्रमोद बिहारी सिंह ने अपने बल का दुरूपयोग कर उन्हें सीआरपीसी की धारा 107 के तहत जारी नोटिस को वारंट का दर्जा देते हुए उस पर गिरफ्तारी का दबाब बनाने लगे ।

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जब याचिकाकर्ता के भाई ने इस पर आपत्ति जताई ,तो पुलिस वाले उनसे गाली गलौज करने लगे। फिर देर रात सैकड़ो की संख्या में पुलिसकर्मियों ने पूरे गाँव पर रेड कर दिया और याचिकाकर्ता के भाई को घसीट कर ले गए और उसे छत की रेलिंग से धक्का दे दिया ।

जब कोर्ट ने जानना चाहा कि आखिर किस आधार पर बाढ़ के एसडीएम द्वारा याचिकाकर्ता एवं अन्य लोगों पर समन जारी किया गया,तो कोर्ट में हाजिर एसडीएम संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए ।

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हाईकोर्ट ने एसडीएम के कार्यकलाप पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि “क्या आपने सीआरपीसी की धारा 107 को पढ़ा है ? आप क्या पुलिस के कहने से कुछ भी कर देंगे।अगर ऐसा रहा तो समाज में अराजकता फैलेगी। इस मामले पर अगली सुनवाई 4जनवरी,2023 को होगी।

पटना हाईकोर्ट ने व्यवसायिक जमीन को कथित रूप से अवैध तरीके से बंदोबस्त कर दिये जाने के मामले में कटिहार निगम के पूर्व चीफ कॉउंसलर समेत अन्य को नोटिस जारी किया

पटना हाईकोर्ट ने व्यवसायिक जमीन को कथित रूप से अवैध तरीके से बंदोबस्त कर दिये जाने के मामले में कटिहार निगम के पूर्व चीफ कॉउंसलर समेत अन्य को नोटिस जारी किया है।

चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने विभाष चंद्र चौधरी की जनहित याचिका पर वर्चुअल रूप से सुनवाई करते हुए ये आदेश को पारित किया।

याचिकाकर्ता का कहना है कि ये जमीन वर्ष 2007 से 2016 तक कटिहार नगर निगम क्षेत्र में पड़ता था, जिसकी जांच सीबीआई या भारत सरकार के ईडी से कार्रवाई जानी चाहिए।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार सिंह व प्रणव झा का कहना है कि ऐसे सभी जमीनों को निगम और जिला प्रशासन को अपने कब्जे में लेना चाहिए। कोर्ट ने पूर्व डिप्टी चीफ काउंसलर मंजूर खान, कटिहार नगर निगम के पूर्व मेयर बिजय सिंह व पूर्व डिप्टी मेयर श्रीमती पुष्पा देवी को भी नोटिस जारी किया है।

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याचिककर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि ये घोटाला लगभग 500 करोड़ का है।इस मामलें पर आगे भी सुनवाई की जाएगी।

35 हजार करोड़ के नुकसान, 1000 मौतों के बाद भी शराबबंदी की समीक्षा क्यों नहीं ? :सुशील मोदी

पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार को 35 हजार करोड़ की राजस्व क्षति, जहरीली शराब पीने वाले 1000 से ज्यादा लोगों की मौत और 6 साल में 4 लाख गरीबों के जेल जाने के बाद भी क्या शराबबंदी की समीक्षा नहीं होनी चाहिए?

  • सारण में जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या 100 पार, आंकड़े छिपा रही सरकार
  • गरीब आश्रितों को मिले मुआवजा, इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनायें मुख्यमंत्री

उन्होंने कहा कि भाजपा शुरू से पूर्ण मद्यनिषेध नीति का समर्थन करती रही हैै, लेकिन नीतीश सरकार इसे लागू करने में पूरी तरह विफल है।

श्री मोदी ने कहा कि सरकार की नाकामी के कारण शराबबंदी ने पुलिस-प्रशासन के लोगों को 10 हजार करोड़ की अवैध कमाई करने और गरीबों को प्रताड़ित करने की खुली छूट दी। क्या इन बातों की समीक्षा नहीं होनी चाहिए?

उन्होंने कहा कि सारण में जहरीली शराब से मरने वालों की संख्या 100 से ज्यादा हो चुकी है। राज्य सरकार वास्तविक आंकड़े छिपा रही है।

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श्री मोदी ने कहा कि मृतकों के परिवारों को पुलिस धमका रही है, इसलिए लोग दूसरी जगह जाकर अन्त्येष्टियां कर रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि शराब पीने वालों पर परिवार का कोई जोर नहीं चलता। जहरीली शराब से मौत होने पर मुसीबतें परिवार पर टूटती हैं, इसलिए उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए।

श्री मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार गरीब, पिछड़ा, अतिपिछड़ा और दलित समाज के विरोधी हो गए हैं। उन्हें मुआवजे को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाना चाहिए।

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पटना हाइकोर्ट में लोक अभियोजक के उपस्थित नहीं रहने के कारण 100 जमानत याचिकाओं पर सुनवाई नहीं हो सकी

आज पटना हाइकोर्ट में जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा के समक्ष ऑनलाइन सुनवाई के लिए सौ जमानत याचिकाएं लिस्ट किया गया था। लेकिन वीडिओ कॉन्फ्रेन्सिंग सुनवाई के दौरान इनचार्ज लोक अभियोजक के उपस्थित नहीं रहने के कारण इन जमानत याचिकाओं पर सुनवाई नहीं हो सकी।

इन सौ जमानत याचिकाओं में मात्र दो जमानत याचिकाओं पर ही सुनवाई हो सकी, जिनमें लोक अभियोजक उपस्थित रहे। कोर्ट का मानना था कि बिना सरकारी पक्ष को सुने इन जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करना उपयुक्त नहीं होता।

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कोर्ट ने इसे काफी गम्भीरता से लेते हुए इन सभी जमानत याचिकाओं को 20दिसंबर,2022 को नियमित बेंच के समक्ष रखने का निर्देश दिया।

साथ कोर्ट ने इस आदेश की प्रति महाधिवक्ता को प्रेषित करने का निर्देश दिया, ताकि वे अपने स्तर पर कार्रवाई करें।

पीएम किसान निधि के अंतर्गत बिहार के 85 लाख 60 हजार किसानों को 15 हजार 964 करोड़ रुपया सीधे उनके खाते में जमा किए गए

पटना/दिल्ली । The BiharNews Post : December 16, 2022
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सम्प्रति राज्यसभा सांसद श्री सुशील कुमार मोदी के एक प्रश्न के उत्तर में राज्यसभा में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि पीएम किसान निधि के अंतर्गत बिहार के 85 लाख 60 हजार किसानों को 15 हजार 964 करोड़ रुपया सीधे उनके खाते में जमा किए गए हैं। सर्वाधिक सारण जिले के 6.01 लाख किसानों को 1,090 करोड़, पूर्वी चंपारण के 5.02 लाख किसानों को 916 करोड़ तथा सिवान, मुजफ्फरपुर के 4 लाख से ज्यादा किसानों को योजना का लाभ मिल रहा है।

• बिहार के 85 लाख 60 हजार किसानों के खाते में 15,964 करोड़ प्रधानमंत्री किसान निधि के अंतर्गत भेजे गए।
• 1 लाख 95 हजार अपात्र किसानों ने इसका लाभ ले लिया
• अपात्र किसानों से 241.2 करोड़ के विरुद्ध 5.1 करोड़ की वसूले जा सके हैं

Sushil Modi and Narender singh Tomar

बिहार के 10 लाख 10 हजार किसानों का बैंक खाता आधार से जुड़े नहीं होने के बावजूद अभी तक उनके खाते में पैसा भेजा जा रहा है।

इनकम टैक्स देने वाले किसानों को इस निधि का लाभ नहीं दिए जाने का प्रावधान है। इसके बावजूद 80,300 किसानों ने इसका लाभ ले लिया। इसके अतिरिक्त 1 लाख 14 हजार किसान अपात्र थे, परंतु उन्हें भी इसका लाभ मिल गया।

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ऐसे किसानों से 241.2 करोड़ रुपए वसूले जाने वाले हैं, परंतु अभी तक मात्र 5.1 करोड़ रुपये ही वसूले जा सके हैं।

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पटना हाईकोर्ट ने राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें में ए राज्य सरकार को विभिन्न जिलों में भूमि उपलब्धता के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया

पटना हाईकोर्ट ने राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को विभिन्न जिलों में भूमि उपलब्धता के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के विधि सचिव को सभी जिलों के ज़िला जज,डी एम और अधिवक्ता एसोसिएशनों के साथ बैठक कर अगली सुनवाई में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।कोर्ट ने उन्हें इस बैठक के सम्बन्ध में भूमि उपलब्धता के सम्बन्ध में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता बिहार राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा ने कोर्ट को बताया कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है।उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य में लगभग एक लाख से भी अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते है।

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लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न ही कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। उनके लिए पर्याप्त भवन नही है। बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है।

उन्होंने कोर्ट को बताया गया कि वकीलों को बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है। शुद्ध पेय जल,शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती हैं।

उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है,वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है। जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य नहीं प्रारम्भ नहीं हो पाया हैं।

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पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा धनराशि उपलब्ध कराई गई है, किंतु अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।कोर्ट ने भूमि उपलब्धता के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है।इस मामलें पर अगली सुनवाई 21दिसंबर,2022 को होगी।

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मुजफ्फरपुर कैंसर अस्पताल का निर्माण 2023 में प्रारंभ होगा: सुशील मोदी

पटना । The BiharNews Post : December 15, 2022
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सम्प्रति राज्यसभा सांसद श्री सुशील कुमार मोदी के एक प्रश्न के उत्तर में राज्यसभा में राज्यमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि मुजफ्फरपुर में टाटा कैंसर अस्पताल के सहयोग से बनने वाले कैंसर अस्पताल हेतु भारत सरकार द्वारा 198.15 करोड़ की योजना स्वीकृत की गई है।

अस्पताल निर्माण हेतु निविदा निकालकर सफल बोलीकर्ता का चयन कर लिया गया है। जनवरी, 2023 में कार्य प्रारंभ हो जाएगा। अभी तक निर्माण कार्य, उपकरण आदि पर 6.25 करोड़ रुपया व्यय हो चुके हैं।

• मुजफ्फरपुर कैंसर अस्पताल का निर्माण 2023 में प्रारंभ होगा
• 183 करोड़ स्वीकृत कैंसर अस्पताल हेतु

Sushil Modi in sansad

मंत्री ने बताया कि वर्तमान में सी.एस.आर एवं समाज-सेवियों के सहयोग से मॉड्यूलर अस्पताल चल रहा है जहां प्रतिदिन 200 मरीज आ रहे हैं।

मंत्री ने बताया कि पिछले 2 वर्षों से शल्य, चिकित्सा, निवारक, प्रशामक कैंसर और प्रयोगशाला सेवाएं दी जा रही है।

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मंत्री ने बताया कि प्रस्तावित अस्पताल में सर्जिकल, मेडिकल, रेडिएशन, प्रीवेंटिव एवं पेलिएटिव एवं अन्य सब प्रकार की कैंसर चिकित्सा की व्यवस्था रहेगी।

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पटना हाईकोर्ट ने बिहार राजकीकृत प्रारम्भिक स्कूल हेड मास्टर की ( नियुक्ति , स्थानांतरण अनुशासनात्मक कार्यवाही व अन्य सेवा शर्तें) नियमावली को निष्प्रभावी करार देते हुए उसे नियमावली प्रारूप माना

पटना हाईकोर्ट ने एक फैसले में राज्य के प्रारंभिक राजकीयकृत स्कूलों के हेड मास्टरों की नियुक्ति एवं अन्य सेवा शर्तों को निर्धारित करने वाली नई नियमावली को निष्प्रभावी करार देते हुए उसे नियमावली प्रारूप माना है।

जस्टिस पी वी वैजंत्री की खंडपीठ ने अब्दुल बाकी अंसारी की रिट याचिका को निष्पादित कर दिया।

साथ ही शिक्षा विभाग को निर्देश दिया कि 18 अगस्त, 2021 को जारी की गयी बिहार राजकीकृत प्रारम्भिक स्कूल हेड मास्टर उसकी ( नियुक्ति , स्थानांतरण अनुशासनात्मक कार्यवाही व अन्य सेवा शर्तें) नियमावली को प्रारूप के तौर परकमी उस प्रकाशित करें।

साथ ही उस पर अगले दो महीने में सार्वजनिक टिप्पणी और सलाह आमन्त्रित कर उस पर पूरे विचार विमर्श कर उस कानून या अंतिम नियमावली तैयार कर अधिसूचित करें।

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याचिकाकर्तागण उर्दू टीईटी परीक्षा में उत्तीर्ण हुए थे और 2021 में जारी की गई इस नियमावली में अनुभव की न्यूनतम 8 वर्ष की अवधि को मनमाना पूर्ण कहते हुए इस हेड मास्टर नियुक्ति नियमावली की संवैधानिकता को चुनौती दिया था।

कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव से पूछा था कि 18 अगस्त 2021 को जारी की गई उक्त नियमावली को कानून का दर्जा देने से पहले क्या इसके प्रारूप को प्रकाशित कर सार्वजनिक सलाह आमंत्रित किया गया था या नहीं?

राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा कि ऐसी कोई प्रक्रिया नही पूरी की गयी थी।

कोर्ट ने कहा कि ऐसी नियमावली एक बड़े और व्यापक पैमाने के शिक्षक और उनके वर्ग को प्रभावित करेगी। इस तरह के नियम को जारी करने से पहले या उसे कानूनी जामा पहनाने से पहले सरकार को खुले आम लोगों के बीच में उनसे सलाह मशविरा करना चाहिए था ।

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इसीलिए हाई कोर्ट ने 18 अगस्त, 2021 को जारी इस नियमावली को बेअसर करार देते हुए इसे ड्राफ्ट रूल का दर्जा दिया है। कानून बनने से पहले कानून का मसविदा जो तैयार होता है, वही दर्जा अब इस नियमावली को तत्काल 2 महीने तक रहेगा।

इस दौरान राज्य के 10 हज़ार से भी अधिक प्रारंभिक स्कूलों जो राजकीयकृत होने के बाद पंचायत एवं प्रखंड स्तर पर चल रहे हैं ,वहां के हेड मास्टर नियुक्ति प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ेगा।

भाजपा को धमकी देने वाले खुद बर्बाद हो गए, कोई नामलेवा न रहा: सुशील कुमार मोदी

पटना/दिल्ली। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जहरीली शराब से मौत का मामला उठाने से तिलमिलाए नीतीश कुमार भाजपा को बर्बाद करने की धमकी दे रहे हैं, जबकि ऐसी सोच रखने वाले कई लोग खुद ही बर्बाद हो गए और उन्हें कोई पूछने वाला नहीं रहा।

  • जहरीली शराब से मरने वालों और उनके आश्रितों को ‘ महापापी ‘ कहना संवेदनहीनता की हद
  • लालू प्रसाद की संगत का असर है नीतीश कुमार की बदजुबानी
Sushil_Modi

श्री मोदी ने कहा कि जहरीली शराब पीने से मरने वालों और उनके गरीब आश्रितों को ” महापापी” कहना मुख्यमंत्री की संवेदनहीनता, राजहठ और सत्ता के अहंकार का सूचक है।

उन्होंने कहा कि यह लालू प्रसाद की संगत का असर है कि वे माननीय विधायकों के लिए “तुम- तुमको” जैसे संबोधन और “बर्बाद कर देंगे” जैसी सड़क-छाप धमकी पर उतर आये हैं।

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श्री मोदी ने कहा कि भाजपा शराबबंदी के पक्ष में है, लेकिन इस नीति के कठोर क्रियान्वयन की समीक्षा भी चाहती है।

उन्होंने बिहार में जहरीली शराब से 40 लोगों की मौत का मामला राज्यसभा में भी उठाया। अनेक सदस्यों ने इस मुद्दे पर एकजुटता दिखायी।

पटना हाइकोर्ट ने पटना-गया-डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में हो रहे विलम्ब पर गहरी नाराजगी जाहिर की

पटना हाइकोर्ट ने पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में हो रहे विलम्ब पर गहरी नाराजगी जाहिर की है।प्रतिज्ञा नामक संस्था द्वारा दायर जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की।

कोर्ट ने मामलें को गम्भीरता से लेते हुए निर्माण कार्य का जायजा लेने के लिए वकीलों की तीन टीम गठित की हैं।अधिवक्ता मनीष कुमार इन टीमों के साथ पटना गया डोभी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण कार्य का निरीक्षण करेंगे।

इस टीम सदस्य अलग अलग निर्माण कार्यों का निरीक्षण करेंगे।कोर्ट ने निरीक्षण के दौरान वकीलों की सहायता के लिए सम्बंधित जिले के अधिकारीगण मौजूद रहेंगे। ये टीम निरीक्षण करने के बाद अगली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट पेश करेगी।

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कोर्ट ने कार्य की धीमी गति पर कॉन्ट्रेक्टर को फटकार लगायी।कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह से तय समय सीमा के तहत सड़क निर्माण का कार्य पूरा नहीं हो पायेगा।

गौरतलब है कि इस सड़क निर्माण के तय समय सीमा 31मार्च ,2023 हैं।एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी भी कोर्ट में उपस्थित थे।उन्होंने आश्वास्त किया कि सड़क निर्माण का कार्य में दो तीन माह का विलम्ब हो सकेगा,लेकिन जल्दी पूरा करने का पूरा कोशिश किया जाएगा।

कोर्ट ने कहा कि जितने भी आदमी और मशीनों की जरूरत हो,उन्हें इस सड़क निर्माण के कार्य में लगा कर समय पर कार्य पूरा किया जाए।इस मामलें पर अगली सुनवाई 19 दिसम्बर,2022 को की जाएगी।

छह साल में जहरीली शराब पीने से 1000 लोग मरे; पूर्ण शराबबंदी विफल और जानलेवा हुई, समीक्षा करे सरकार – सुशील मोदी

  • पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार विधानसभा में भाजपा सदस्यों के प्रति अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने के कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को माफी मांगनी चाहिए। जहरीली शराब से फिर 20 लोगों की मौत पर दुखी होने और शराबबंदी की समीक्षा करने के बजाय इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री का आवेश में आना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। वे बात-बात पर आपा खो रहे हैं।
  • – छह साल में जहरीली शराब पीने से 1000 लोग मरे
  • – पूर्ण शराबबंदी विफल और जानलेवा हुई, समीक्षा करे सरकार

श्री मोदी ने कहा कि भाजपा पूर्ण मद्यनिषेध के पक्ष में है। इसकी समीक्षा होनी चाहिए और समीक्षा का मतलब शराबबंदी समाप्त करना नहीं है।

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार शराबबंदी लागू करने में पूरी तरह विफल हैं, जबकि यह गुजरात में बेहतर तरीके से लागू है।

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श्री मोदी ने कहा कि बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद 6 साल में 1000 से ज्यादा लोग जहरीली शराब पीने से मरे, 6 लाख लोग जेल भेजे गए और केवल शराब से जुड़े मामलों में हर माह 45 हजार से ज्यादा लोग गिरफ्तार किये जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि बिहार में रोजाना 10 हजार लीटर और महीने में 3 लाख लीटर शराब जब्त की गई। जब इतनी बड़ी मात्रा में शराब आ रही है, तब सरकार शराबबंदी लागू करने में अपनी विफलता स्वीकार करे।