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पटना हाईकोर्ट ने वैशाली और नालंदा जिला के 49 ईट भट्टों को बंद करने का आदेश दिया

पटना हाई कोर्ट ने वैशाली और नालंदा जिला के 49 ईट भट्टों को बंद करने के लिए तत्काल कदम उठाने का आदेश दोनों जिला के डीएम को दिया है। चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने अपने 23 पन्ने का आदेश दिया।

कोर्ट ने ईट भट्टों को फ्लाई ऐस ब्रिक्स में परिवर्तन के बारे में तेजी से कार्रवाई करने का आदेश दिया।वही प्रदूषण एवं वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिये हर जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया। लोगों को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने का भी आदेश दिया।

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कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर पर्यावरण कानून का पालन करने का आदेश दिया है।कोर्ट ने आदेश की प्रति वैशाली एवं नालंदा जिला के डीएम को भेजने का आदेश दिया।

इसके पूर्व कोर्ट को बताया गया कि पर्यावरण वन एवं वातवरण बदलाव विभाग की ओर से थर्मल पावर प्लांट के तीन सौ किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी सरकारी कामों फ्लाई ऐस ब्रिक्स का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है।

पटना हाई कोर्ट के सीनियर जज जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह को हाईकोर्ट का कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बनाया गया

पटना हाई कोर्ट के सीनियर जज जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह को हाई कोर्ट का कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है।आज केंद्रीय कानून मंत्रालय ने इस आशय का अधिसूचना जारी किया है।

गौरतलब है कि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला को सुप्रीम कोर्ट के जज बनाये जाने के बाद पटना हाई कोर्ट में कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है।

पटना हाइकोर्ट ने राज्य में एयरपोर्ट के मामलें पर एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए केंद्र और राज्य सरकार को पटना और बिहटा में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार करने को कहा

पटना हाइकोर्ट ने राज्य में एयरपोर्ट के मामलें पर एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए केंद्र और राज्य सरकार को पटना और बिहटा में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार करने को कहा। चीफ संजय करोल की खंडपीठ ने इस सम्बन्ध में अभिजीत कुमार पाण्डेय की जनहित याचिका पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे कोर्ट ने आज सुनाया।

ये राज्य में पहला मामला है, जिसमें कोर्ट ने राज्य में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार करने का निर्देश दिया।इस मामलें पर कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा था कि राज्य में एक भी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नहीं है।

उन्होंने कहा था कि कई अन्य राज्यों में कई ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट है, लेकिन बिहार में एक भी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नहीं है।जबकि ये बहुत ही आवश्यक और उपयोगी है।

कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस दलील को अस्वीकार दिया कि राज्य में एयरपोर्ट के निर्माण का मामला जनहित के अंतर्गत नहीं है।कोर्ट ने कहा कि छोटे एयरपोर्ट पर बड़े हवाई जहाज कैसे आ सकते है।

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साथ ही राज्य सरकार की इस दलील को भी रद्द कर दिया कि राज्य के आस पास दूसरे राज्यों में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट है,इसीलिए बिहार में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाए जाने की जरूरत नहीं है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य की जनता को विकसित और सुरक्षित हवाई यात्रा की सुविधा दिया जाना मौलिक अधिकारों के अंतर्गत आता है।केंद्र और राज्य सरकार इन्हें विकसित और सुरक्षित हवाई यात्रा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

कोर्ट ने ये भी कहा कि जहां कृषि योग्य भूमि नहीं है,उन्हें चिन्हित कर वहां ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने पर विचार हो,ताकि राज्य की जनता को सुरक्षित,विकसित और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की हवाई यात्रा उपलब्ध हो सके।

पटना हाइकोर्ट में चीफ जस्टिस संजय क़रोल और जज जस्टिस ए अमानुल्ला का विदाई समारोह आयोजित किया गया

पटना हाइकोर्ट में चीफ जस्टिस संजय क़रोल और जज जस्टिस ए अमानुल्ला का विदाई समारोह आयोजित किया गया।vइस अवसर पर पटना हाईकोर्ट के सभी जज,बिहार सरकार एडवोकेट जनरल पी के शाही, वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा, वरीय विधि पत्रकार अरविन्द उज्ज्वल, मुकेश कुमार, सरकारीवकील प्रशांत प्रताप व बड़ी तादाद में अधिवक्तागण उपस्थित रहे।वहाँ उन्होंने उन्हें बधाइयाँ और शुभकामनाएं दी।

पटना हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय क़रोल एवं जस्टिस अहसानुद्दिन अमानुल्लाह सुप्रीम कोर्ट के जज बने।इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने 13दिसम्बर,2022 को सुप्रीम कोर्ट मे पाँच जजों की बहाली की अनुशंसा की थी।

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राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मित्तल,पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय क़रोल, मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पी बी संजय कुमार,पटना हाईकोर्ट के जज जस्टिस अहसानुउद्दीन अमानुल्ला और इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस मनोज मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए जाने की अनुशंसा सुप्रीम कोर्ट ने की थी।

इनके द्वारा सोमवार 6 फरवरी,2023 को शपथ ग्रहण करने की संभावना है।

केके पाठक को निलम्बित करें नीतीश, बचायें नहीं: सुशील कुमार मोदी

पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने के आदती और पूरी औपनिवेशिक अकड़ से काम करने वाले आइएएस केके पाठक ने अब तक दर्जनों मंत्रियों, विधायकों और अफसरों का अपमान किया, फिर भी मुख्यमंत्री उन्हें संरक्षण देकर कार्यपालिका का मनोबल गिरा रहे हैं।

  • पत्रकार को पीटा, दर्जनों मंत्रियों को अपमानित किया, फिर भी सीएम के कृपापात्र रहे पाठक
  • बिना निलम्बित किये प्रशासनिक जांच सिर्फ दिखावा

श्री मोदी ने कहा कि केके पाठक के डिप्टी कलक्टर स्तर के अधिकारी से गाली-गलौज की भाषा में बात करने का वीडियो वायरल होने के बाद उन्हें तुरंत निलम्बित किया जाना चाहिए। केवल खेद व्यक्त करना काफी नहीं है।

उन्होंने कहा कि पाठक ऐसे अफसर हैं, जिन्हें नियम-कानून से कोई मतलब नहीं। उनके शब्द ही कानून हैं । वे दर्जनों लोगों पर मानहानि का मुकदमा ठोक चुके हैं।

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श्री मोदी ने कहा कि पाठक खुद को जनता का सेवक नहीं, बल्कि अंग्रेज़ों के जमाने का कठोर शासक समझते हुए काम करते हैं।

उन्होंने कहा कि जो अफसर एक पत्रकार को अपने चैम्बर में बुलाकर पीट चुका हो और जिसके उद्योग विभाग का वरिष्ठ अधिकारी रहते उद्योग संगठनों को सड़क पर उतर कर प्रदर्शन करना पड़ा हो, उसके मानसिक स्वास्थ्य की जांच करायी जानी चाहिए।

श्री मोदी ने कहा कि केके पाठक को निलम्बित किये बिना उनके विरुद्ध कोई भी प्रशासनिक जांच निष्पक्ष नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति मुख्यमंत्री को प्रिय है और जो मुख्यसचिव की भी नहीं सुनता हो, उसके खिलाफ जांच कौन कर सकता है?

पटना हाईकोर्ट को बिहार लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि बीपीएससी 67 वीं के मुख्य परीक्षा का परिणाम इस एलपीए के अगली सुनवाई के पहले तक प्रकाशित होने की संभावना कम है

पटना हाईकोर्ट को बिहार लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि बीपीएससी 67 वीं के मुख्य परीक्षा का परिणाम इस एलपीए के अगली सुनवाई के पहले तक प्रकाशित होने की संभावना कम है। हर्षित शरण द्वारा दायर अपील पर जस्टिस पी वी बजंत्री की खंडपीठ को ये जानकारी बीपीएससी के अधिवक्ता दिया।

याचिकाकर्ता ने जस्टिस मधुरेश प्रसाद के सिंगल बेंच के उस आदेश को एलपीए दायर कर चुनौती दिया है, जिसमें याचिकाकर्ता ने आयोग द्वारा लिए गए परीक्षा में गलत दिए गए 10 प्रश्नों को चुनौती दिया था। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता के रिट याचिका को खारिज कर दिया था।

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याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया बीपीएससी द्वारा द्वारा ली गई 67वीं के मुख्य परीक्षा में 10 प्रश्न गलत थे।इस बात की जानकारी कोर्ट को देने के बाद भी सिंगल बेंच ने रिट याचिका को खारिज कर दिया।

खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को सुनने के बाद बिहार लोक सेवा आयोग के अधिवक्ता से पूछा इस परीक्षा का परिणाम कब तक प्रकाशित होगा।उन्होंने कोर्ट को बताया कि अगली सुनवाई तक इस परीक्षा का परिणाम प्रकाशित होने की संभावना कम है।

कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 21 फरवरी,2023 निर्धारित किया है।

बिहार के IAS अधिकारी ने बैठक के दौरान किया अभद्र भाषा का प्रयोग; अपनी बातों पर खेद जताया, लेकिन बिहार प्रशासनिक सेवा संघ BASA के सामने नहीं झुकने का भी एलान कर दिया

बिहार प्रशासनिक सेवा संघ (बासा) के सदस्यों ने मांग की है कि राज्य के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी केके पाठक को एक बैठक के दौरान उनके और बिहार के लोगों के खिलाफ कथित रूप से अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के लिए बर्खास्त किया जाए, जिसका एक वीडियो क्लिपिंग वायरल हो गया है।

एसोसिएशन के एक पदाधिकारी ने कहा कि उन्होंने अतिरिक्त मुख्य सचिव रैंक के अधिकारी पाठक के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई है।

बासा के सदस्य शुक्रवार को अपने संघ का पंजीकरण रद्द किए जाने के विरोध में काला बिल्ला लगाएंगे।

“पाठक का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है जिसमें उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित बैठक में उपस्थित अधिकारियों के खिलाफ अभद्र भाषा का उपयोग करते हुए देखा जा सकता है। बासा के महासचिव सुनील कुमार तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, पाठक सरकारी अधिकारियों और राज्य के लोगों के खिलाफ उग्र लग रहे थे।

हालांकि, बीपार्ड ने एक बयान में कहा, “डीजी ने बासा अधिकारियों के खिलाफ कुछ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए खेद व्यक्त किया है जैसा कि वीडियो में दिखाया गया है।” वायरल वीडियो में पाठक बिहार की राजधानी पटना की ट्रैफिक समस्या के बारे में बात करते नजर आ रहे हैं.

“क्या तुमने कभी किसी को सड़क पर सिग्नल लाल होने पर हॉर्न बजाते देखा है? लेकिन पटना के बेली रोड पर रेड लाइट पर लोग हॉर्न बजाते रहते हैं. चेन्नई में लोग नियमों का पालन करते हैं। मैं डिप्टी कलेक्टरों को फटकार लगाऊंगा, “केके पाठक क्लिपिंग में बोलते हुए दिखाई दे रहे हैं।

पटना हाइकोर्ट ने सीतामढी ज़िला के आर्थिक रूप से कमज़ोर और शारीरिक रूप से अपंग लड़कियों के ईलाज किए जाने के मामलें पर सुनवाई की

पटना हाइकोर्ट ने सीतामढी ज़िला के आर्थिक रूप से कमज़ोर और शारीरिक रूप से अपंग लड़कियों के ईलाज किए जाने के मामलें पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने बताया कि एम्स,पटना में इनके ईलाज के लिए आवश्यक धनराशि निर्गत करने की कार्रवाई हो रही है।

एम्स,पटना के अधिवक्ता विनय कुमार पाण्डेय ने बताया कि अस्थि रोग से ग्रस्त लड़कियों का ईलाज पटना के एम्स अस्पताल में हो जाएगा।ईलाज हेतु राज्य सरकार द्वारा आवश्यक धनराशि निर्गत होने के बाद अगले सप्ताह से इन अस्थि रोग से ग्रस्त लड़कियों का अगले सप्ताह शुरू हो जाएगा।

उन्होंने बताया कि एक दृष्टिहीन लड़की के ईलाज की व्यवस्था एम्स,दिल्ली में करनी होगी।कोर्ट ने उनसे उस लड़की के आँखों के ईलाज की व्यवस्था दिल्ली के एम्स में किये जाने का निर्देश दिया।

साथ ही आर्थिक रूप से कमज़ोर,पर अच्छी छात्रा को सीतामढी के कस्तुरबा गांधी आवासीय विद्यालय में प्रवेश दिया गया है।उस लड़की के शिक्षा पर आने वाला खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।

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इस मामलें की सुनवाई चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने स्वयं संज्ञान लेते हुए इन दिव्यांग लड़कियों की अपंगता की जांच के लिए एम्स,पटना को भेजा था।

गौरतलब है कि सीतामढी के ज़िला व सत्र न्यायाधीश ने इनके सम्बन्ध में पटना हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखा था।इसमें ये बताया गया कि दो लड़कियों को हड्डी रोग की समस्या है,जबकि एक लड़की नेत्र की समस्या से ग्रस्त है।इनके आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण इनके माता पिता इनका ईलाज नही करवा पा रहे थे।

इनके ईलाज में अस्पताल और ईलाज का खर्च काफी होता है, जो कि इनके वश में नहीं था।कोर्ट ने इनके ईलाज के क्रम में जांच के लिए पटना के एम्स अस्पताल भेजा।एम्स के अधिवक्ता विनय कुमार पाण्डेय ने कोर्ट को बताया था कि एम्स अस्पताल में जांच का कार्य हो गया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने एम्स अस्पताल, पटना व राज्य सरकार समाज कल्याण विभाग को पार्टी बनाने का आदेश दिया था।

इस मामलें पर 16 फरवरी,2023 को फिर सुनवाई होगी।

पटना हाइकोर्ट ने सासाराम के ऐतिहासिक महत्व के धरोहर शेरशाह के मकबरे के आसपास बड़े तालाब में स्वच्छ और ताज़ा पानी आने के लिए बनाया गए नाले बंद होने के मामलें पर सुनवाई की

पटना हाइकोर्ट ने सासाराम के ऐतिहासिक महत्व के धरोहर शेरशाह के मकबरे के आसपास बड़े तालाब में स्वच्छ और ताज़ा पानी आने के लिए बनाया गए नाले बंद होने के मामलें पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने अधिवक्ता कन्हैया लाल भास्कर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते केंद्र सरकार के अधिवक्ता को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारियों से विचार विमर्श करने का निर्देश दिया।

इससे पूर्व कोर्ट ने रोहतास के डी एम, डीसीएलआर,सासाराम नगर निकाय के अधिकारियो समेत केंद्र सरकार के अधिकारी और एएसआई की बैठक कर विस्तृत कार्य योजना बनाने का निर्देश दिया था।

कोर्ट ने प्राची पल्लवी को इस जनहित की सुनवाई में कोर्ट की मदद करने के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त किया हैं।कोर्ट ने कहा कि ये ऐतिहासिक धरोहर है,जिसकी सुरक्षा और देखभाल करना आवश्यक हैं।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कन्हैया लाल भास्कर ने कोर्ट को बताया कि सासाराम स्थित शेरशाह का मकबरा राष्ट्रीय धरोहर हैं।इसके तालाब में साफ और ताज़ा
के लिए वहां तक नाले का निर्माण किया गया।

उन्होंने कोर्ट को बताया था कि 2018 से 2020 तक सिर्फ पचास फी सदी नाले का काम हुआ।इसे बाद में खराब माना गया।इसमें लगभग आठ करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

इसमें काफी अनियमितताएं बरती गई, जिसकी जांच स्वतन्त्र एजेंसी से कराई जानी चाहिए।उन्होंने बताया था कि ये नाला कूड़ा से भरा पड़ा है,जिस कारण शेरशाह के मकबरे के तालाब में साफ पानी नहीं पहुँच पाता है।

वह तालाब गंदा और कचडे से भरा हुआ है।वहां जो पर्यटक आते है,उन्हें ऐसी हालत देख कर निराशा होती है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 4 फरवरी,2023 को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट में पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई अब 3 सप्ताह बाद की जाएगी

पटना हाईकोर्ट में पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई अब 3 सप्ताह बाद की जाएगी। जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ इस मामलें पर सुनवाई करते हुए जांच की धीमी गति पर असंतोष जाहिर किया।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने जांच की प्रगति पर असंतोष जाहिर किया था।अगली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट में एस एस पी, पटना और एस आई टी जांच टीम का नेतृत्व करने वाली सचिवालय एएसपी काम्या मिश्रा भी कोर्ट में उपस्थित रही थी।

कोर्ट ने कहा था कि इस मामलें की समग्रता में जांच नहीं की जा रही हैं।पुलिस अधिकारियों को विस्तार और गहराई से जांच पड़ताल करने की आवश्यकता है।

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अधिवक्ता मीनू कुमारी ने बताया था कि कोर्ट अब तक एस आई टी द्वारा किये गए जांच और कार्रवाई के सम्बन्ध में सम्बंधित अधिकारी से जानकारी प्राप्त करना चाहता था।उन्होंने बताया था कि आफ्टर केअर होम में रहने वाली महिलाओं की स्थिति काफी बुरी है।

पहले की सुनवाई में कोर्ट ने अनुसंधान को डी एस पी रैंक की महिला पुलिस अधिकारी से कराने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने जांच रिपोर्ट भी तलब किया था।

हाई कोर्ट ने इस याचिका को पटना हाई कोर्ट जुवेनाइल जस्टिस मोनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया था। कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार चेयरमैन थे, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य के रूप में थे।

इस मामले की अगली सुनवाई में 3 सप्ताह बाद की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट में राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट में राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामलें सुनवाई की। जस्टिस अहसाउद्दीन अमानुल्ला की खंडपीठ ने सुनवाई की।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान ऑनलाइन राज्य के सभी जिलों के डीएम और ज़िला जज उपस्थित रहे।उन्होंने कोर्ट को भवनों के लिए भूमि अधिग्रहण और निर्माण के सम्बन्ध में प्रगति रिपोर्ट पेश किया।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि निर्माण कार्य अच्छे ढंग से चल रहा है। लेकिन कहीं कहीं कठिनाइयां भी आ रही है।
कोर्ट ने उन्हें इस सम्बन्ध में अगली सुनवाई में पूरी जानकारी देने का निर्देश दिया वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए वकीलों के लिए बनने वाले भवनों के निर्माण से संबंधित कार्रवाई ब्यौरा तलब किया था।

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पिछली सुनवाई में श्री शर्मा ने कोर्ट को बताया था कि भवनों का निर्माण राज्य सरकार के भवन निर्माण भवन निर्माण विभाग करें,तो काम तेजी से हो सकेगा।ठेकेदारी के काम में बिलम्ब होने के अलावे लागत भी ज्यादा आएगा।

याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है।अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते है,लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।

वकीलों के लिये शुद्ध पेय जल,शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती हैं।उन्होंने कोर्ट को बताया कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है,वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है। जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य नहीं प्रारम्भ नहीं हो पाया हैं।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 7फरवरी,2023 को की जाएगी।

बिहार कर्मचारी चयन आयोग ने BSSC CGL 3 Exam 2022 रद्द कर दिया; रद्द की गयी परीक्षा पुनः दिनांक 05.03.2023 को संभावित है

पटना । बिहार कर्मचारी चयन आयोग ने आयोजित प्रथम चरण के तृतीय स्नातक स्तरीय संयुक्त (प्रारम्भिक ) प्रतियोगिता परीक्षा -2022 को रद्द कर दिया गया है। प्रश्न पत्र लीक होने के चलते आयोग ने ये निर्णय लिया है।

23 दिसंबर को प्रथम चरण, जिसका आयोजन सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक हुआ था। उस दौरान प्रश्न पत्र के कुछ पन्ने व्हाट्सएप पर लीक कर दिए गए थे। जिसके बाद सवाल उठ रहे थे, कि परीक्षा रद्द की जाएगी या नहीं। हालांकि अब आयोग ने आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी करते हुए स्पष्ट रूप से परीक्षा रद्द करने की सूचना दे दी है।

BSSC

नोटिफिकेशन के अनुसार सभी अभ्यर्थियों को सूचित किया गया है कि रद्द की गयी परीक्षा पुनः दिनांक 05.03.2023 (रविवार) को संभावित है ।

नोटिफिकेशन के अनुसार सभी अभ्यर्थियों को सूचित किया गया है कि रद्द की गयी परीक्षा पुनः दिनांक 05.03.2023 (रविवार) को संभावित है ।

पटना हाइकोर्ट ने रैयती जमीन को जलाशय कह रहे अंचलाधिकारी के मनमानेपन की जांच करने का आदेश दिया

पूर्वी चम्पारण ज़िला में जलाशयों को अतिक्रमण मुक्त करने के दौरान एक नागरिक को पट्टे पर मिली रैयती जमीन को अंचल अधिकारी ने जलाशय कहते हुए उसे अतिक्रमण मुक्त करने का आदेश दे डाला। पटना हाइकोर्ट ने जब यह पूछा कि किस कागजात के आधार पर रैयती जमीन को जलाशय कह रहे हैं, तो अंचल अधिकारी की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।

कोर्ट ने इस मामले में चकिया अंचल के अंचलाधिकारी के मनमानेपन की जांच करने का आदेश पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी को दिया है।

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जस्टिस पूर्णेन्दु सिंह ने रघुनाथ प्रसाद की रिट याचिका को निष्पादित करते हुए पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी को चकिया अंचल में इस तरह के अतिक्रमण मामले की खुद जांच पड़ताल करने का आदेश दिया।

साथ ही निजी स्वार्थ से काम करने वाले अफसरों के खिलाफ विभागीय और कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

पटना हाइकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य के सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी को शौचालय सहित सैनेटरी नैपकिन के बारे में भी पूरी जानकारी देने का आदेश दिया

पटना हाइकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए छात्राओं के सभी शिक्षण संस्थाओं में बने शौचालयों की दयनीय स्थिति पर पटना राज्य के सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी को एक सप्ताह के भीतर पूरा रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने स्वयम संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने आदेश की जानकारी अपर मुख्य सचिव सहित सभी जिलों के डीएम और डीईओ को तुरंत देने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने ये जिम्मेदारी सरकारी अधिवक्ता आलोक राही को दिया है। कोर्ट ने शौचालय सहित सैनेटरी नैपकिन के बारे में भी पूरी जानकारी देने का आदेश दिया।

कोर्ट ने एक स्थानीय दैनिक अखबार में छपी खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका मानते हुए सुनवाई प्रारम्भ की।

अधिवक्ता शम्भू शरण सिंह ने कोर्ट को बताया कि पटना जिला के डीईओ की ओर से एक हलफनामा दायर की गई है।इस हलफनामा में शहरी क्षेत्रों के सरकारी गर्ल्स स्कूल के शौचालय का पूरा ब्यौरा दिया गया है।

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उन्होंने बताया कि नवीं कक्षा से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली दो हजार से ज्यादा छात्राओं के लिए सिर्फ दो शौचालय हैं।पटना के महत्वपूर्ण सरकारी स्कूलों का जो चार्ट दिया गया है, उससे साफ पता चलता है कि आखिर बच्चियों बीच में ही पढ़ाई क्यों
छोड़ देती हैं।

उनका कहना था कि दायर हलफनामा में सैनेटरी नैपकिन के बारे में एक शब्द नहीं लिखा गया है।डीईओ की ओर से शहर के बीस स्कूलों में वर्ग नवीं से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली कुल 12 हजार 4 सौ 91 छात्राओं के लिए मात्र 128 शौचालय हैं।

उन्होंने कहा कि जब शहरी क्षेत्रों के सरकारी गर्ल्स स्कूल की दशा इस प्रकार की है, तो ग्रामीण क्षेत्रों के बारे में कल्पना ही की जा सकती हैं।

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कोर्ट ने अपने दो पुराने आदेश का हवाला देते हुए राज्य के सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी को एक सप्ताह के भीतर सभी सरकारी गर्ल्स स्कूल के शौचालय और सैनेटरी नैपकिन मुहैया कराने से लेकर उसके निष्पादन के बारे में पूरी जानकारी देने का आदेश दिया।

इस् मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 7फरवरी,2023 तय की गई है।

पटना हाईकोर्ट ने मोतिहारी के पूर्व डीईओ (ज़िला शिक्षा पदाधिकारी) को दो दिनों की जेल की सजा सुनाई

पटना हाईकोर्ट में अवमानना से जुड़े एक मामले को गंभीरता से लेते हुए मोतिहारी के पूर्व डीईओ (ज़िला शिक्षा पदाधिकारी) को दो दिनों की जेल की सजा सुनाई है। साथ ही उन्हें 50 हजार रुपये का हर्जाना भी याचिकाकर्ता कुमारी पूनम को देने के लिए कहा है।

जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने पंचायत टीचर की नियुक्ति से संबंधित मामले पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया।दिनांक 1अक्तुबर,2007 को याचिकाकर्ता की नियुक्ति पूर्वी चंपारण के सेमवापुर पंचायत में टीचर के पद पर हुई थी।दिनांक 04.09.2012 को याचिकाकर्ता को अपने पद से हटा कर उसकी जगह मुन्नी कुमारी को इस पद पर नियुक्त कर लिया गया था ।

याचिकाकर्ता ने जब कोर्ट में मामला दायर किया,तो कोर्ट ने उनके पक्ष में निर्णय सुनाया। कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें दोबारा नियुक्त कर लिया गया।याचिकाकर्ता ने पुनः एक अवमानना ​​याचिका दायर कर कोर्ट से गुहार की कि उसे जुलाई 2019 तक का वेतन जारी किए जाने हेतु आदेश पारित किया जाए।

इस पर याचिकाकर्ता ने अवमानना वाद दायर किया। कोर्ट ने उन्हें उपयुक्त प्राधिकार से संपर्क करने की छूट दी।

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लेकिन जैसे ही अवमानना ​​की कार्यवाही को समाप्त हुई, तो उक्त ज़िला शिक्षा पदाधिकारी ने एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता द्वारा उन पर अनावश्यक दबाव डाला जा रहा है। साथ ही उन्होंने निर्देश दिया कि अगले आदेश तक याचिकाकर्ता से कार्य नहीं लिया जाना चाहिए।

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साथ ही यदि कार्य लिया जाता है, तो प्रभारी प्राचार्य की जवाबदेही होगी। इन घटनाओं के मद्देनज़र जब हाईकोर्ट ने डीईओ को नोटिस जारी किया, तो कोर्ट को बताया गया कि अब वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं और उन पर अवमानना की कार्रवाई न की जाए ।

अदालत ने उन्होंने अवमानना का दोषी पाते हुए पटना के बेऊर जेल में दो दिनों की जेल भेजने की सजा सुना दी और याचिकाकर्ता को 50 हज़ार रुपये देने के लिए भी कहा है।

पटना हाइकोर्ट ने बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई की

पटना हाइकोर्ट ने बिहार राज्य में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ के समक्ष आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार ने बताया कि पटना समेत अन्य जिलों में मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड के अध्यक्षों की बहाली के लिए फाइल चयन समिति के पास जाएगी।

याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट ने जो भी आदेश दिया,उस पर राज्य सरकार के द्वारा कोई प्रभावी और ठोस कार्रवाई अब तक नहीं किया गया है।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को पूरी जानकारी देने को कहा था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राज्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवा में क्या क्या कमियों के सम्बन्ध में ब्यौरा देने को कहा था।

साथ ही कोर्ट ने इसमें सुधारने के उपाय पर सलाह देने को कहा।

याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने बताया कि नेशनल मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम ही के अंतर्गत राज्य के 38 जिलों में डिस्ट्रिक्ट मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम चल रहा हैं।लेकिन इसमें स्टाफ की संख्या नाकाफी ही है।जबकि हर जिले में सात सात स्टाफ होने चाहिए।

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उन्होंने बताया कि राज्य सरकार का दायित्व है कि वह मेन्टल हेल्थ केयर एक्ट के तहत कानून बनाए।साथ ही इसके लिए मूलभूत सुविधाएं और फंड उपलब्ध कराए।लेकिन अबतक कोई ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है।

कोर्ट को ये भी बताया गया था कि सेन्टर ऑफ एक्सलेंस के तहत हर राज्य में मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कॉलेज है।लेकिन बिहार ही एक ऐसा राज्य हैं,जहां मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कोई कालेज नहीं है।जबकि प्रावधानों के तहत राज्य सरकार का ये दायित्व हैं।

पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाले फंड में कमी आयी है,क्योंकि फंड का राज्य द्वारा पूरा उपयोग नहीं हो रहा था।

पूर्व की सुनवाई में याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि बिहार की आबादी लगभग बारह करोड़ हैं।उसकी तुलना में राज्य में मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुनियादी सुविधाएँ नहीं के बराबर है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 31जनवरी,2023 को होगी।

नीतीश कुमार बार-बार भाजपा शरणम् हुए, अब दरवाजे बंद: सुशील मोदी

पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 1995 के विधानसभा चुनाव से लेकर 2014 के संसदीय चुनाव तक नीतीश कुमार की पार्टी जब भी अकेले चुनाव लड़ी, उसे अपनी औकात का एहसास होता रहा। हर चुनाव में भाजपा की सफलता दर ( स्ट्राइक रेट) जदयू से ज्यादा रही।

  • 1995 से अब तक भाजपा का स्ट्राइक रेट हमेशा जदयू से ज्यादा रहा
  • उनका वोट कहाँ था, जब विधानसभा की 7 और लोकसभा की 2 सीटें मिली थीं
  • जदयू की कम सीटों के बाद भी हमने वर्ष 2000 और 2020 में उन्हें सीएम बनाया
  • लालू प्रसाद को सजा दिलाने में नीतीश, शिवानंद और ललन सिंह का हाथ

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार बार-बार भाजपा की शरण में आते और पलटी मारते रहे, लेकिन अब उनके लिए हमारे दरवाजे बंद हो चुके हैं।

श्री मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार जिस अल्पसंखयक वोट को “हमारा वोट” कह रहे हैं, वह कहाँ था, जब उन्हें विधानसभा की मात्र 7 सीट और संसदीय चुनाव में केवल 2 सीटें मिली थीं ?

उन्होंने कहा कि सन् 2000 के चुनाव में भाजपा को 65 सीटें और जदयू को 35 सीटें मिली थीं, फिर भी हमने उन्हेंं मुख्यमंत्री बनाया था।

उन्होंने कहा कि 2015 में जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाने और 9 महीने में उनकी कुर्सी छीनने के बाद हताश नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ आने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें दूर ही रखा।

Sushil Modi

श्री मोदी ने कहा कि मात्र दो साल में लालू प्रसाद से मोहभंग के बाद जब नीतीश कुमार ने 2017 में अपनी सरकार बचाने के लिए फिर भाजपा के द्वार खटखटाए, तब जंगलराज की वापसी टालने के लिए भाजपा ने उनका बिना शर्त समर्थन किया था।

उन्होंने कहा कि 2020 के चुनाव में नीतीश कुमार की लोकप्रियता इतनी घट गई कि जदयू मात्र 44 सीटों पर सिमट गया। इसके लिए कोई दूसरा जिम्मेदार नहीं। जदयू की कम सीटों के बावजूद भाजपा ने वर्ष 2000 की तरह नीतीश कुमार को फिर मुख्यमंत्री बनाया। अब वे सब-कुछ भुला देना चाहते हैं।

श्री मोदी ने कहा कि आज लालू प्रसाद की जो हालत है, उसके लिए भी नीतीश कुमार जिम्मेदार हैं। उनके इशारे पर ही चारा घोटाला और बेनामी सम्पत्ति जैसे मामलों में शिवानंद तिवारी और ललन सिंह अदालत या जांच एजेंसियों को सबूत के कागजात उपलब्ध कराते रहे। आज भले ये तीनों लोग लालू प्रसाद के हितैषी बन रहे हों, लेकिन उन्हेंं सजा दिलाने में इन्हीं का हाथ था।

पटना हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राज मार्ग 80 के निर्माण में हो रही देरी पर नाराजगी जाहिर की

पटना हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राज मार्ग 80 के निर्माण में हो रही देरी पर नाराजगी जाहिर की। चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए अधिकारियों के काम काज पर तीखी टिप्पणी की है।

कोर्ट ने कहा कि जो काम अधिकारी का हैं, वह काम कोर्ट को करना पड़ रहा है।मुंगेर से मिर्जाचौकी तक बनने वाली राष्ट्रीय राज मार्ग 80 के निर्माण में जमीन का अधिग्रहण नहीं किये जाने पर कोर्ट ने जिला भूअर्जन पदाधिकारी को जमीन अधिग्रहण का काम जल्द पूरा करने का आदेश दिया।

इस मामले पर सुनवाई के दौरान मुंगेर के डीएम तथा जिला भूअर्जन पदाधिकारी कोर्ट में उपस्थित थे।डीएम ने कोर्ट को बताया कि 2.5 किलोमीटर राज मार्ग के निर्माण के लिए करीब 80 पक्का मकान को ध्वस्त करना पड़ेगा।उनका कहना था कि अगर राज मार्ग के निर्माण के लिए थोड़ा सा एलाइमेन्ट में बदलाव किये जाने से काफी कम घरों को तोड़ना पड़ेगा।

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उन्होंने कोर्ट को एक दूसरा प्रस्ताव भी दिया कि अगर पुराने राष्ट्रीय राज मार्ग को ही नये राष्ट्रीय राज मार्ग से जोड़ दिये जाने पर काफी कम घर को तोड़ना पड़ेगा।कोर्ट ने एनएचएआई के अधिकारियों के साथ बैठक कर समस्या का समाधान हल करने का निर्देश दिया।

वही अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने कोर्ट को बताया कि मुंगेर जिला में नियमित भूअर्जन पदाधिकारी के नहीं रहने से राष्ट्रीय राज मार्ग के निर्माण में बाधा उत्पन्न हो रही हैं।इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को कार्रवाई करने का आदेश दिया।साथ ही मामलें पर अगली सुनवाई की तारीख 2 फरवरी,2023 निर्धारित की है।

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  • भागलपुर: अपराधियों ने दिनदहाड़े बैंक में की डकैती; हथियार के बल पर लूटे 9 लाख रूपये।
  • मुजफ्फरपुर: 70 लाख की शराब जब्त, यूपी से दरभंगा ट्रक से जा रही थी शराब ।

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बिहार में नीतीश-मुक्त राजनीति का पार्टी का निर्णय सराहनीय: सुशील कुमार मोदी

पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू से अब भविष्य में किसी भी परिस्थिति में कोई समझौता नहीं करने के भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि इससे पार्टी में अपने बूते सरकार बनाने का आत्मविश्वास मजबूत होगा।

  • उनके लौटने का भ्रम फैला रहे थे जद-यू के बड़े नेता
  • दो-टूक निर्णय से आत्मविश्वास बढा, भाजपा अपने बूते बनायेगी सरकार

श्री मोदी ने कहा कि
पिछले साल 9 अगस्त को नीतीश कुमार के राजद के साथ जाने के बाद पार्टी का शीर्ष नेतृत्व और कार्यकर्ता बिहार में नीतीश-मुक्त राजनीति पर एकमत हो चुके हैं, जबकि जदयू के कुछ बड़े नेता नीतीश कुमार की वापसी को लेकर भ्रम फैला रहे थे।

उन्होंने कहा कि दरभंगा में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति ने नीतीश कुमार को लेकर सारे भ्रम दूर कर दिये।

श्री मोदी ने कहा कि भाजपा और जनादेश को बार-बार धोखा देने वाले नीतीश कुमार
बिहार की राजनीति में बोझ बन गये हैं। उनके पास न जनाधार है, न वोट ट्रांसफर कराने की क्षमता। उनकी हैसियत अब विधान सभा की 10-15 सीट जीतने की भी नहीं रह गयी है।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार से अब इस जिंदगी में कभी कोई समझौता नहीं होगा।

sushil modi vs nitish kumar

श्री सुशील मोदी ने कहा कि 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी 43 सीट भी इसलिए जीत पायी कि भाजपा ने सारी ताकत झोंक दी थी और स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार आकर नीतीश कुमार की पार्टी के लिए प्रचार किया था।

उन्होंने कहा कि यदि पीएम मोदी ने नीतीश कुमार के लिए वोट न मांगे होते, तो अपने बल पर उनकी पार्टी लोकसभा की 15 नहीं, सिर्फ दो सीट जीत पाती।

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श्री मोदी ने कहा कि भाजपा आज राजनीतिक बोझ से मुक्त होने का अनुभव कर रही है और खुश है कि वे छोड़ कर चले गये । अब पार्टी अपनी ताकत के बल पर 2025 में बिहार में सरकार बनायेगी।

उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा प्रचंड बहुमत से जीतेगी और नरेंद्र मोदी फिर प्रधानमंत्री के रूप में देश का नेतृत्व करेंगे। बिहार इस जन आकांक्षा को पूरा करने में शत प्रतिशत योगदान करेगा।