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पटना हाईकोर्ट ने पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई की

जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ इस मामलें पर सुनवाई करते हुए इस मामलें की जांच पर असंतोष जाहिर किया।

कोर्ट ने एस एस पी, पटना और एस आई टी जांच टीम का नेतृत्व करने वाली सचिवालय एएसपी काम्या मिश्रा को अब तक किये गए जांच का पुनः आकलन कर कार्रवाई रिपोर्ट अगली सुनवाई में पेश करने का निर्देश दिया हैं।

कोर्ट ने कहा कि इस मामलें की समग्रता में जांच नहीं किया गया हैं।पुलिस अधिकारियों को विस्तार और गहराई से जांच पड़ताल करने की आवश्यकता है।

अधिवक्ता मीनू कुमारी ने बताया कि कोर्ट अब तक एस आई टी द्वारा किये गए जांच और कार्रवाई के सम्बन्ध में सम्बंधित अधिकारी से जानकारी प्राप्त करना चाहता था।उन्होंने बताया कि आफ्टर केअर होम में रहने वाली महिलाओं की स्थिति काफी खराब हैं।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने एस आई टी टीम का नेतृत्व करने वाली पुलिस अधिकारी को कोर्ट ने अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा देने को कहा था।

पिछली सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को बताया था कि इस मामलें में चार्ज शीट फाइल किया जा चुका है।पिछली सुनवाई में उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी थी कि आफ्टर केयर की अधीक्षिका को गिरफ्तार किया जा चुका हैं।

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पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने अनुसंधान को डी एस पी रैंक की महिला पुलिस अधिकारी से कराने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने जांच रिपोर्ट भी तलब किया था।

हाई कोर्ट ने इस याचिका को पटना हाई कोर्ट जुवेनाइल जस्टिस मोनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया था। कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार चेयरमैन थे, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य के रूप में थे।

कमेटी ने इस मामले में 31 जनवरी को अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट को गंभीरता से लिया है। केअर होम में 260 से भी ज्यादा महिलाएं वास करती हैं।

इस मामलें पर आगे की सुनवाई 8 दिसंबर,2022 को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने अदालती आदेश की अवमानना के मामले में सुपौल के जिलाधिकारी पर पाँच हजार रुपये का अर्थदण्ड लगाया

इस अर्थ दंड को उन्हें अपने पॉकेट से पटना उच्च न्यायालय विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराना होगा। जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने शम्भू प्रसाद उर्फ़ शम्भू स्वर्णकार की आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किया।

इस मामले में हाई कोर्ट ने दिनांक 08.08.2018 को सुपौल के ज़िलाधिकारी से अपना हलफनामा देने का निर्देश दिया था,लेकिन इस निर्देश के बावजूद उन्होंने अपना हलफ़नामा दायर नहीं किया।

इसके बाद दिनांक 23.09.2022 को हाई कोर्ट ने पुनः उन्हेें हलफनामा देने का निर्देश दिया।उसके बाद भी जब मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हुआ,तो कोर्ट ने यह पाया कि उक्त दोनों तिथि को पारित आदेश का अनुपालन सुपौल के जिलाधिकारी द्वारा नहीं किया गया।

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गौरतलब है कि सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त समय देने की माँग की गई । इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए उन पर 5000 रुपये का अर्थ दंड लगाया।

पटना हाईकोर्ट ने पटना समाहरणालय बार एसोसिएशन भवन को तोड़े जाने के मामलें पर सुनवाई की

पटना, 23 नवंबर, 2022। उपेंद्र नारायण सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए वकीलों के लिए आधुनिक और बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराने को कहा।

वरीय अधिवक्ता योगेश चन्द्र वर्मा ने पटना समाहरणालय बार एसोसिएशन के भवन को तोड़ने की कार्रवाई की जा रही है।लेकिन वकीलों के बैठने और काम करने की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है।राज्य के विभिन्न बार एसोसिएशन के भवन या तो है ही नहीं या काफी बुरी स्थिति में है।

आज कोर्ट में उपस्थित पटना के प्रमंडलीय आयुक्त ने बताया कि पटना के जिलाधिकारी ने इस सम्बन्ध में बैठक किया।उस बैठक की रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत किया गया।इसमें कहा गया कि वकीलों के बैठने के लिए भवन निर्माण किया जाएगा।जबतक वकीलों को बैठने के लिए विकास भवन में बैठने की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है।

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कोर्ट ने बिहार राज्य बार कॉउन्सिल और याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को राज्य के विभिन्न बार एसोसिएशनों के भवनों की हालत के सम्बन्ध में जानकारी देने को कहा। वरीय अधिवक्ता योगेश चन्द्र वर्मा ने कोर्ट को बताया कि राज्य में वकीलों को बैठने और कार्य करने के लिए न तो उचित व्यवस्था है और न ही भवन हैं।ऐसे में वकीलों के पेशागत कार्य करने में बहुत कठिनाई होती हैं।

इस मामलें पर कल भी सुनवाई जारी रहेगी।

पटना हाईकोर्ट में राज्य के मठों, मंदिरों,धार्मिक संस्थाओं के महंतो, पुजारियों,साधुओं और सेवकों के जीवन की सुरक्षा के लिए प्रभावी उपाय करने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कल तक के लिए टली

पटना, 23 नवंबर, 2022। पटना हाईकोर्ट में राज्य के मठों, मंदिरों,धार्मिक संस्थाओं के महंतो, पुजारियों,साधुओं और सेवकों के जीवन की सुरक्षा के लिए प्रभावी उपाय करने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कल तक के लिए टली। पंकज प्राणरंजन द्विवेदी की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ द्वारा सुनवाई की जा रही है।

इस जनहित याचिकाकर्ता में ये शिकायत की गई है कि असामाजिक तत्वों द्वारा मंदिर,मठ और संस्थाओं से देवी देवता की मूर्तियों को हटाया जा रहा है और मठों व मंदिरों के लोगों की हत्या की घटनाएं भी सामने आ रही हैं।

साथ ही इनकी सम्पत्ति और भूमि पर असामाजिक तत्वों द्वारा अवैध कब्ज़ा करने की घटनाएं राज्य के विभिन्न जिलों में होती रही है।इन घटनाओं की जानकारी होने के बाद भी न तो राज्य सरकार और न ही बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा ही कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

इस जनहित याचिका में ये माँग की गई है कि मठों, मंदिरों,धार्मिक संस्थाओं की भूमि,संपत्तियों की रक्षा के प्रभावी और सख्त कदम राज्य सरकार व बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड उठायें।साथ ही मठों और मंदिरों में रहने वाले महन्त, पुजारियों और साधु के जान माल की सुरक्षा की प्रभावकारी व्यवस्था की जाए।

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इस जनहित याचिका में ये भी माँग की गई है कि असामाजिक तत्वों और स्थानीय दबंगो के विरुद्ध सख्त और प्रभावी कार्रवाई की जाए,क्योंकि इनके लिए न तो कानून का डर है और ना ही सम्मान है।

इस जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट की सहायता के लिए कोर्ट ने अधिवक्ता आशीष गिरी को एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त कर रखा है।कल वे सुनवाई के दौरान कोर्ट में सभी मुद्दों पर कोर्ट की सहायता करेंगे।

इस जनहित याचिका पर कल सुनवाई की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने पटना मुख्य नहर के बांध व चार्ट भूमि पर अतिक्रमणकारियों द्वारा किये गए अतिक्रमण के मामले पर सुनवाई की

पटना, 23 नवंबर, 2022। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने राज किशोर श्रीवास्तव की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि अतिक्रमणकारियों को पूरा अतिक्रमित भूमि खाली करनी होगी।

कोर्ट अतिक्रमणकारियों की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने इस मामले में निर्देश लेने के लिए समय देने का आग्रह किया, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए इस मामले पर आगे की सुनवाई के लिए आगामी 5 दिसंबर,2022 की तिथि निर्धारित किया है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि कोर्ट ने कहा कि अतिक्रमणकारियों को ये पूरी जमीन को हर हाल में खाली करना होगा। कोर्ट को भी सहानुभूति है, लेकिन इस सरकारी जमीन को खाली करना होगा।

इस मामले में कोर्ट ने पूर्व में ही कोर्ट ने दानापुर के अंचलाधिकारी को अतिक्रमण हटाकर अनुपालन के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया गया था। उक्त नहर बांध व चार्ट भूमि पर अतिक्रमण की स्थिति को दानापुर के अंचलाधिकारी ने भी स्वीकार किया है।

सम्बंधित अंचलाधिकारी ने 5 मई, 2022 को ही कोर्ट को स्वयं बताया था कि अगले चार सप्ताह में कम से कम 70 फीसदी अतिक्रमण को हटा दिया जाएगा। सोन नहर प्रमंडल, खगौल, पटना द्वारा अतिक्रमण वाद दायर करने के लिए दानापुर के अंचलाधिकारी को लिखा गया था, लेकिन अभी तक इसे नहीं हटाया गया।

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सोन नहर प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता द्वारा दानापुर के अंचलाधिकारी को अतिक्रमणकारियों की सूची भी अंचलाधिकारी को दी गई है। कार्यपालक अभियंता ने अपने पत्र में विभागीय मुख्य नहर के बांध व चार्ट भूमि पर किये गए अतिक्रमण को अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध अतिक्रमण वाद दायर कर ठोस अग्रेतर कार्रवाई करने हेतु अनुरोध किया था, ताकि विभागीय भूमि अतिक्रमणकारियों से मुक्त हो सके।

इस मामलें पर 5 दिसंबर,2022 को अगली सुनवाई की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट में पटना मुख्य नहर के बांध व चार्ट भूमि पर अतिक्रमणकारियों द्वारा किये गए अतिक्रमण के मामले पर सुनवाई कल तक टली

पटना हाईकोर्ट ने पटना मुख्य नहर के बांध व चार्ट भूमि पर अतिक्रमणकारियों द्वारा किये गए अतिक्रमण के मामले पर सुनवाई कल तक टली। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ राज किशोर श्रीवास्तव की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।

पूर्व में इस संबंध में कोर्ट द्वारा दानापुर के अंचलाधिकारी को अतिक्रमण हटाकर अनुपालन के संबंध में हलफनामा दाखिल करने का आदेश गया था।

इसके पूर्व याचिककर्ता के अधिवक्ता द्वारा खंडपीठ को हाई कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए आदेश के बारे में बताया गया था। इस नहर बांध व चार्ट भूमि पर अतिक्रमण की स्थिति को दानापुर के अंचलाधिकारी ने भी स्वीकार किया है।

अंचलाधिकारी ने 5 मई, 2022 को ही कोर्ट को स्वयं बताया था कि अगले चार सप्ताह में कम से कम 70 फीसदी अतिक्रमण को हटा दिया जाएगा।सोन नहर प्रमंडल, खगौल, पटना द्वारा अतिक्रमण वाद दायर करने के लिए दानापुर के अंचलाधिकारी को लिखा गया था, लेकिन अभी तक इसे नहीं हटाया गया।

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सोन नहर प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता द्वारा दानापुर के अंचलाधिकारी को अतिक्रमणकारियों की सूची भी अंचलाधिकारी को दी गई थी।

कार्यपालक अभियंता ने अपने पत्र में विभागीय मुख्य नहर के बांध व चार्ट भूमि पर किये गए अतिक्रमण को अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध अतिक्रमण वाद दायर कर ठोस अग्रेतर कार्रवाई करने हेतु अनुरोध किया था, ताकि विभागीय भूमि अतिक्रमणकारियों से मुक्त हो सके। कोर्ट ने अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा है। इस मामले पर कल सुनवाई की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने पटना के गाय घाट स्थित आफ्टर केअर होम की घटना के मामले पर सुनवाई की। जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए इस मामलें में एस आई टी जांच टीम का नेतृत्व करने वाली सचिवालय एएसपी काम्या मिश्रा को अगली सुनवाई में तलब किया हैं।

अधिवक्ता मीनू कुमारी ने बताया कि कोर्ट अब तक एस आई टी द्वारा किये गए जांच और कार्रवाई के सम्बन्ध में सम्बंधित अधिकारी से जानकारी प्राप्त करना चाहता था।उन्होंने बताया कि आफ्टर केअर होम में रहने वाली महिलाओं की स्थिति काफी खराब हैं।

इससे पूर्व इस मामलें की सुनवाई चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ द्वारा सुनवाई की जा रही थी।आज कोर्ट ने एस आई टी टीम का नेतृत्व करने वाली पुलिस अधिकारी को कोर्ट ने अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा देने को कहा हैं।

कोर्ट के पिछली सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को बताया कि इस मामलें में चार्ज शीट फाइल किया जा चुका है।पिछली सुनवाई में उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी थी कि आफ्टर केयर की अधीक्षिका को गिरफ्तार किया जा चुका हैं।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने अनुसंधान को डी एस पी रैंक की महिला पुलिस अधिकारी से कराने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने जांच रिपोर्ट भी तलब किया था।

राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि दोनों पीडितों की ओर से महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज हो गई है।पीड़िता की संबंधित अधिकारियों के समक्ष जांच भी की गई थी।

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हाई कोर्ट ने इस याचिका को पटना हाई कोर्ट जुवेनाइल जस्टिस मोनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया था। कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार चेयरमैन थे, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य के रूप में थे।

कमेटी ने इस मामले में 31 जनवरी को अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट को गंभीरता से लिया है। केअर होम में 260 से भी ज्यादा महिलाएं वास करती हैं।

इस मामलें पर आगे की सुनवाई 24 नवंबर,2022 को की जाएगी।

Patna High Court News: मोटर दुर्घटना एवं कर्मचारी मुआवजा अधिनियम के तहत मुआवजे की राशि इलेक्ट्रॉनिक मोड से दिए जाने के मामले पर सुनवाई हुई

18 नवंबर 2022 । पटना हाईकोर्ट ने मोटर दुर्घटना एवं कर्मचारी मुआवजा अधिनियम के तहत मुआवजे की राशि इलेक्ट्रॉनिक मोड / आरटीजीएस या एनईएफटी के माध्यम से दिए जाने के मामले पर सुनवाई की। जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए परिवहन विभाग के सचिव को अगली सुनवाई में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है ।

कोर्ट ने आईसीआईसीआई लॉमबर्ड की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिया ।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दुर्गेश नंदन सिंह ने बिहार राज्य में मोटर वाहन अधिनियम की धारा 173 का हवाला देते हुए कोर्ट से अनुरोध किया कि है मोटर दुर्घटना एवं कर्मचारी मुआवजा अधिनियम के तहत मुआवजे की राशि को इलेक्ट्रॉनिक मोड / आरटीजीएस या एनईएफटी के माध्यम से पीड़ितों या लाभार्थियों दिए जाने प्रावधान होना चाहिए।

एमिकस क्यूरी अधिवक्ता मृगांक मौली ने सुप्रीम कोर्ट के केस का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा करने का आदेश सभी राज्यों को दिया जा चुका है, लेकिन बिहार में यह लागू नहीं है ।

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राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने कोर्ट को बताया कि मुआवज़ा राशि को इलेक्ट्रॉनिक एवं अन्य माध्यम से दिया जा सकता है। ऐसा करने में राज्य सरकार को कोई आपत्ति नहीं है, बीमा कंपनी ऐसा कर सकती है ।

इस मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी ।

PMCH में पड़े डायलिसिस मशीनों के चालू नहीं होने के मामलें में पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की

पटना । पीएमसीएच में पड़े डायलिसिस मशीनों के चालू नहीं होने के मामलें में पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की। राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को आश्वास्त किया गया कि जल्दी ही पीएमसीएच में डायलिसिस मशीन को चालू करने की कार्रवाई की जाएगी।

विकास चन्द्र ऊर्फ गुड्डू बाबा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को इस मामलें में एक सप्ताह में हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पीएमसीएच के अधीक्षक को ये बताने को कहा कि इस समस्या का समाधान किस प्रकार होगा। आज कोर्ट में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अमृत प्रत्यय भी उपस्थित थे।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि पीएमसीएच में 31 डायलिसिस मशीन खरीदे गए,लेकिन डॉक्टर और टेक्निशयन के नहीं होने के कारण इन मशीनों का उपयोग नहीं हो पा रहा हैं।

उन्होंने बताया कि एक मशीन की कीमत लगभग बारह लाख रुपया है।इन मशीनों के चालू नहीं होने के कारण बड़े पैमाने पर सार्वजनिक धन का दुरपयोग हुआ है,वहीं मरीजों और उनके घरवालो पर प्राइवेट अस्पतालों में ईलाज कराने पर बड़ा आर्थिक बोझ पड़ता है।

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अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि पीएमसीएच के नेफ्रोलॉजी विभाग में 25 डॉक्टरों की नियुक्ति हुई,लेकिन वे बाद में दूसरे जगह भेजे गए।नेफ्रोलॉजी विभाग में डॉक्टरों और स्टाफ की कमी के कारण मरीजों का सही ढंग से ईलाज नही हो रहा है।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने सख्त टिपण्णी करते हुए कहा था कि अगर नेफ्रोलॉजी विभाग नहीं काम कर रहा है, तो न्यायिक आदेश से कोर्ट बंद कर इन मशीनों को दूसरे अस्पताल में भेज देगा।

इस मामलें पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी।

पटना हाइकोर्ट ने BCCI और BCA (बिहार क्रिकेट एसोसिएशन) को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया

17 नवंबर 2022 । पटना हाइकोर्ट ने बीसीसीआई और बीसीए ( बिहार क्रिकेट एसोसिएशन) को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाबतलब किया है। जस्टिस मोहित कुमार शाह ने आदित्य प्रकाश वर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया।

याचिकाकर्ता आदित्य प्रकाश वर्मा ने अपनी याचिका में ये आरोप लगाया कि बी सी ए में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं बरती जा रही है।उन्होंने बताया कि इस सम्बन्ध में बीसीसीआई को अवगत कराया गया,लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।

उन्होंने अपनी याचिका में माँग की कि जिस तरह जम्मू कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन को अधिकार रहित कर,जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने एक कमिटी द्वारा जांच कराई थी,उसी प्रकार पटना हाइकोर्ट भी एक कमिटी गठित कर बी सी ए के क्रियाकलापों की जांच कराए।इससे बी सी ए में बरती जा रही सारी गड़बड़ी उजागर होगा।

HC BCCI BCA

इस मामलें फिर छह सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा

17 नवंबर 2022 । पटना हाईकोर्ट ने पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया है।जस्टिस संदीप कुमार ने इस मामलें पर सभी पक्षों द्वारा दी गई दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने बिहार राज्य आवास बोर्ड को बताने को कहा था कि अब तक पटना में उसने कितनी कॉलोनियों का निर्माण और विकास किया हैं।

साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को एमिकस क्यूरी संतोष सिंह द्वारा प्रस्तुत दलीलों का अगली सुनवाई में जवाब देने का निर्देश दिया था।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को बिहार राज्य आवास बोर्ड के दोषी अधिकारियों और जिम्मेवार पुलिस वाले के विरुद्ध की जाने वाली कार्रवाई की कार्य योजना प्रस्तुत करने को कहा था।

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कोर्ट ने कहा था कि ये बहुत आश्चर्य की बात है कि इनके रहते इस क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर नियमों का उल्लंघन कर मकान बना लिए गए।

इस मामलें पर कोर्ट द्वारा जनवरी, 2023 में निर्णय सुनाए जाने की संभावना है।

जलीय क्षेत्रों में अवैध अतिक्रमण पर पटना हाइकोर्ट ने सुनवाई करते हुए पटना और मगध प्रमंडल के अंचल अधिकारियो को अगली सुनवाई में तलब किया

16 नवंबर 2022 । राज्य में जलीय क्षेत्रों में अवैध अतिक्रमण पर पटना हाइकोर्ट ने सुनवाई करते हुए पटना और मगध प्रमंडल के अंचल अधिकारियो को अगली सुनवाई में तलब किया है।रामपुनीत चौधरी की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने सुनवाई की।

कोर्ट ने तिरहुत,दरभंगा और मुंगेर प्रमंडलों के सभी अंचल अधिकारियो को जलीय क्षेत्रों में हुए अतिक्रमण को हटा कर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।कोर्ट ने इस मामलें पर सख्त निर्देश दिया है।

राज्य के विभिन्न जिलों में जलीय क्षेत्रों पर बड़े पैमाने पर हुए अवैध अतिक्रमण के मुद्दे पर याचिकाकर्ता ने ये जनहित याचिका दायर किया था।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेन्द्र कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि पटना समेत राज्य के विभिन्न जिलों में पहले बड़ी संख्या में जलीय क्षेत्र थे,जिसका उपयोग कृषि कार्य,पेय जल व अन्य कार्यों के लिए होता था।

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उन्होंने कोर्ट को बताया कि अब अधिकांश जलीय क्षेत्रों पर अवैध कब्ज़ा हो गया है।उन्हें पाट कर उस भूमि पर अवैध कई प्रकार के निर्माण किये गए हैं।

उन्होंने को बताया कि इससे जहां पेय और कृषि कार्य के लिए जल की उपलब्धता कम हुई है,वहीं वर्षा के जल को भी रोकने का मार्ग खत्म हो गया है।

इस मामलें पर अब अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।

पटना हाइकोर्ट ने बिहार में मानसिक स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर की

16 नवंबर 2022 । चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को अबतक की गई कार्रवाई का ब्यौरा देने के लिए 12 दिसंबर,2022 तक का मोहलत दिया है।

कोर्ट ने आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई की।याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट ने जो भी आदेश दिया,उस पर राज्य सरकार के द्वारा कोई प्रभावी और ठोस कार्रवाई अब तक नहीं किया गया है।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को पूरी जानकारी देने को कहा था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राज्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवा में क्या क्या कमियों के सम्बन्ध में ब्यौरा देने को कहा था।

साथ ही कोर्ट ने इसमें सुधारने के उपाय पर सलाह देने को कहा।याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने बताया कि नेशनल मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम ही के अंतर्गत राज्य के 38 जिलों में डिस्ट्रिक्ट मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम चल रहा हैं।लेकिन इसमें स्टाफ की संख्या नाकाफी ही है। हर जिले में सात सात स्टाफ होने चाहिए।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार का दायित्व है कि वह मेन्टल हेल्थ केयर एक्ट के तहत कानून बनाए।साथ ही इसके लिए मूलभूत सुविधाएं और फंड उपलब्ध कराए।लेकिन अबतक कोई ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है।

कोर्ट को ये भी बताया गया था कि सेन्टर ऑफ एक्सलेंस के तहत हर राज्य में मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कॉलेज है।लेकिन बिहार ही एक ऐसा राज्य हैं,जहां मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कोई कालेज नहीं है।जबकि प्रावधानों के तहत राज्य सरकार का ये दायित्व हैं।

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पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाले फंड में कमी आयी है,क्योंकि फंड का राज्य द्वारा पूरा उपयोग नहीं हो रहा था।

पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि बिहार की आबादी लगभग बारह करोड़ हैं।उसकी तुलना में राज्य में मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुनियादी सुविधाएँ नहीं के बराबर है।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 12 दिसंबर,2022 को होगी।

बिहार के गर्भाशय घोटाले के मामलें पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की

15 नवंबर 2022 । पटना हाईकोर्ट ने बिहार के गर्भाशय घोटाले के मामलें पर सुनवाई की। जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को अगली सुनवाई में जवाब देने का निर्देश दिया।

पिछली सुनवाई करते कोर्ट ने इन मामलों में केंद्रीय कानून के तहत मामलें दर्ज करने के सम्बन्ध हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।

ये जनहित याचिका वेटरन फोरम द्वारा दायर की गई थी। कोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार के मुख्य सचिव को अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा हलफनामा पर दायर करने का निर्देश दिया था।

पिछली सुनवाई में कोर्ट में उपस्थित एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को बताया था कि इस जनहित याचिका में दिए गए तथ्य वास्तविक नहीं हैं।उन्होंने बताया कि बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के समक्ष साढ़े चार सौ इस तरह के मामलें आए थे।

राज्य सरकार के जांच के बाद नौ जिलों में गर्भाशय निकाले जाने के सात सौ दो मामलें आए थे।इन मामलों में प्राथमिकी दर्ज कराई गई और आगे की कार्रवाई चल रही है।उन्होंने कोर्ट को बताया था कि पीड़ित महिलाओं को क्षतिपूर्ति राज्य सरकार ने पचास पचास हजार रुपये पहले ही दे दिए।

इसके बाद बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने आदेश दिया था कि यह राशि बढ़ा कर डेढ़ और ढाई लाख रुपए बतौर क्षतिपूर्ति दिए जाए।महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया था कि क्षतिपूर्ति की राशि देने के लिए राज्य सरकार ने 5.89 करोड़ रुपए निर्गत कर दिए गए है।

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कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा था कि किन किन धाराओं के दोषियों के विरुद्ध मामलें दर्ज किये गए।मानव शरीर से बिना सहमति के अंग निकाला जाना गंभीर अपराध है।इसलिए उनके विरुद्ध नियमों के तहत ही धाराएं लगानी जानी चाहिए।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया था कि सबसे पहले ये मामला मानवाधिकार आयोग के समक्ष 2012 में लाया गया था।2017 में पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका वेटरन फोरम ने दायर किया गया था।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 7 दिसंबर,2022 को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने पीएमसीएच अधीक्षक को जवाबतलब किया

15 नवंबर 2022 । पीएमसीएच,पटना में पड़े डायलिसिस मशीनों के चालू नहीं होने के मामलें में पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए अधीक्षक,पीएमसीएच से जवाबतलब किया।विकास चन्द्र ऊर्फ गुड्डू बाबा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की।

कोर्ट ने पीएमसीएच के अधीक्षक को ये बताने को कहा कि इस समस्या का समाधान किस प्रकार होगा।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि पीएमसीएच में 31 डायलिसिस मशीन खरीदे गए,लेकिन डॉक्टर और टेक्निशयन के नहीं होने के कारण इन मशीनों का उपयोग नहीं हो पा रहा हैं।

उन्होंने बताया कि एक मशीन की कीमत लगभग बारह लाख रुपया है।इन मशीनों के चालू नहीं होने के कारण बड़े पैमाने पर सार्वजनिक धन का दुरपयोग हुआ है,वहीं मरीजों और उनके घरवालो पर प्राइवेट अस्पतालों में ईलाज कराने पर बड़ा आर्थिक बोझ पड़ता है।

अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि पीएमसीएच के नेफ्रोलॉजी विभाग में 25 डॉक्टरों की नियुक्ति हुई,लेकिन वे बाद में दूसरे जगह भेजे गए।नेफ्रोलॉजी विभाग में डॉक्टरों और स्टाफ की कमी के कारण मरीजों का सही ढंग से ईलाज नही हो रहा है।

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कोर्ट ने सख्त टिपण्णी करते हुए कहा कि अगर नेफ्रोलॉजी विभाग नहीं काम कर रहा है, तो न्यायिक आदेश से कोर्ट बंद कर इन मशीनों को दूसरे अस्पताल में भेज देगा।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 18नवंबर, 2022 को की जाएगी।

Patna High Court News: भागलपुर के चर्चित सैनडिश कमपॉउन्ड क्षेत्र में अनधिकृत रूप से बनाए गए निर्माण मामलें पर सुनवाई हुई

14 नवंबर 2022 । पटना हाईकोर्ट ने भागलपुर के चर्चित सैनडिश कमपॉउन्ड क्षेत्र में अनधिकृत रूप से बनाए गए निर्माण के मामलें पर सुनवाई की।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने जनहित याचिकाकर्ता गोयनका की याचिका पर सुनवाई करते भागलपुर नगर निगम के आयुक्त को अगली सुनवाई में तलब किया है।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस मामलें पर सुनवाई करते हुए हुए अनधिकृत निर्माणों पर रोक लगा दिया था।

याचिकाकर्ता की अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने बताया कि भागलपुर में ये एक सार्वजानिक पार्क हैं,जहां यहाँ के नागरिक टहलने,खेलने और मनोरंजन के लिए आते है।

अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने बताया कि कोर्ट ने इस मामलें पर 2004 में भी सुनवाई की थी।कोर्ट ने पार्क के क्षेत्र के भीतर किसी तरह के निर्माण पर रोक लगा दिया था।

कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि पार्क का जिस उद्देश्य के बनाया गया है, उसी के लिए उपयोग हो।उन्होंने कोर्ट को बताया कि बाद में प्रशासन ने जन उपयोगी निर्माण के नाम पर कुछ निर्माण कार्य करने की अनुमति कोर्ट से ले ली।लेकिन बाद में अन्धाधुंध और मनमाने तरीके से निर्माण होने लगे,जिससे इस पार्क का उद्देश्य ही खत्म हो गया।

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उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया था कि भागलपुर नगर निगम को 29 सितम्बर,2021 को कोर्ट के आदेश को पालन करने के सम्बन्ध में निर्देश दिया जाए।

इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।

पटना हाइकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी और विभिन्न विभागों के अध्यक्षों को किया तलब

14 नवंबर 2022 । पटना हाइकोर्ट ने बड़ी संख्या सूचीबद्ध अवमानना वादों पर सुनवाई करते हुए राज्य के मुख्य सचिव, डी जी पी और विभिन्न विभागों के अध्यक्षों को 17 नवंबर,2022 को तलब किया है। जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने डेढ़ सौ से भी अधिक अवमानना वादों पर सुनवाई करते हुए कहा कि अदालती आदेश का पालन नहीं किया जाना गंभीर मामला हैं।

पटना हाइकोर्ट में बड़ी संख्या में अदालती आदेश का पालन नहीं किये जाने पर अदालती अवमानना दायर किया जाता रहा है।अदालती अवमानना के वादों के सुनवाई के दौरान दिए गए अदालती आदेश का सरकारी विभागों व अधिकारियों द्वारा पालन नहीं किया जाता है।

कोर्ट ने इस स्थिति पर गंभीर चिंता जाहिर की।कोर्ट ने इन अधिकारियों से सुझाव भी देने को कहा।कोर्ट इन अधिकारियों से ये भी जानना चाहता है कि अदालती अवमानना के मामलें में कोर्ट के आदेश का कैसे शीघ्र अनुपालन किया जाएगा।साथ ही इन मामलों के निबटारे में कितना समय लगेगा,इस सम्बन्ध में कोर्ट इन अधिकारियों से जानकारी चाहेगा।

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कोर्ट ने इस आदेश की जानकारी सभी सम्बंधित अधिकारियों को दे देने का निर्देश अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार को दिया है। इस मामलें पर अगली सुनवाई 17नवंबर,2022 को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में अवैध रूप से चलने वाले ईंट भट्टे से होने वाले प्रदूषण के मामलें पर सुनवाई की

14 नवंबर 2022 । अनमोल कुमार की याचिका पर चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ के समक्ष बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत किया।

कोर्ट ने बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की गई कार्रवाई पर संतोष जाहिर किया,लेकिन कोर्ट इस सम्बन्ध में अगली सुनवाई में विस्तृत आदेश पारित करेगा।

पिछली सुनवाई में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अवैध रूप से चल रहे 102 ईट भट्टे को बंद करा दिया गया।साथ ही ये भी कोर्ट से ये भी कहा गया कि आगे अगर ऐसे
अवैध रूप से ईट भट्टे चालू पाये गए,तो उन्हें तत्काल बंद करा दिया जाएगा तथा उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

एमिकस क्यूरी अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने कोर्ट को बताया था कि राज्य में ईट भट्टे चलाने के क्रम में नियमों का खुला उल्लंघन किया गया।उन्होंने कहा कि बारिश के दिनों में तो ईट भट्टे ऐसे भी बंद ही रहते है।

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उन्होंने कहा कि इन ईट भट्टे से होने वाले प्रदूषण के कारण वातावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता हैं।

इस मामलें पर फिर अगली सुनवाई 29 नवंबर,2022 को की जाएगी।

पटना हाइकोर्ट ने राज्य में बड़ी संख्या में अनुसूचित जनजाति के छात्रों के बीच में स्कूल छोड़े जाने के मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया

14 नवंबर 2022 । पटना हाइकोर्ट ने राज्य में बड़ी संख्या में अनुसूचित जनजाति के छात्रों के बीच में स्कूल छोड़े जाने के मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। पश्चिम चम्पारण जिले में राज्य के एकमात्र अनुसूचित जनजाति की बालिकाओं के लिए स्कूल की दयनीय अवस्था के मामलें में कोर्ट ने सुनवाई की।

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई की।कोर्ट ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अनुसूचित जनजाति के छात्रों के इतनी बड़ी संख्या में स्कूल बीच में छोड़ना गंभीर
है।
कोर्ट ने इस सम्बन्ध में की गई सुधारात्मक कार्रवाई के बारे में पूरा ब्यौरा देने का निर्देश दिया।साथ ही कोर्ट ने पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड में एकमात्र अनुसूचित जनजाति बालिका विद्यालय के स्थिति सुधारने के लिए की गई कार्रवाई का ब्यौरा भी तलब किया।

कोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के निदेशक और समाज कल्याण विभाग के निदेशक को आज की सुनवाई में स्थिति स्पष्ट करने
के लिए तलब किया था।उन्होंने आज कोर्ट मे उपस्थित हो कर स्थिति के सम्बन्ध में जवाब दिया।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि बिहार में अनुसूचित जनजाति की बालिकाओं के लिए पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड एकमात्र स्कूल है।पहले यहाँ पर कक्षा एक से ले कर कक्षा दस तक की पढ़ाई होती थी।

लेकिन जबसे इस स्कूल का प्रबंधन सरकार के हाथों में गया,इस स्कूल की स्थिति बदतर होती गई।कक्षा सात और आठ में छात्राओं का एडमिशन बन्द कर दिया गया।

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साथ ही कक्षा नौ और दस में छात्राओं का एडमिशन पचास फीसदी ही रह गया।यहाँ पर सौ बिस्तर वाला हॉस्टल छात्राओं के लिए था,जिसे बंद कर दिया गया।

इस स्कूल में पर्याप्त संख्या में शिक्षक भी नहीं है।इस कारण छात्राओं की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है।

कोर्ट ने जानना चाहा कि इतनी बड़ी तादाद में छात्राएं स्कूल जाना क्यों बंद कर दे रही है।कोर्ट ने कहा कि जब इस स्कूल के लिए केंद्र सरकार पूरा फंड देती है,तो सारा पैसा स्कूल को क्यों नहीं दिया जाता हैं।

इस मामलें पर आगे की सुनवाई 29 नवंबर,2022 को होगी।

पटना हाइकोर्ट में आयोजित किये गए राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल मिलाकर 308 मामलों की सुनवाई की गई

पटना हाइकोर्ट में आयोजित किये गए राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल मिलाकर 308 मामलों की सुनवाई की गई। आज 93 मुकदमों की सुनवाई लोक अदालत के दौरान की गई।

कुल मिलाकर 145 मुकदमों का निष्पादन हुआ, (जिसमें 52 मुकदमें की सुनवाई प्री – सिटींग में अर्थात इस लोक अदालत के पहले), 25 मुकदमें मोटर वाहन एक्ट, 43 सर्विस से जुड़े मामले और 73 अवमानना के मुकदमें शामिल थे।

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इनमें से 25 मोटर वाहन एक्ट के मुकदमों में एक करोड़ पैतीस लाख रुपये का सेटलमेंट किया गया।