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Breaking News of Bihar

बीजेपी विधायक रश्मि वर्मा का बयान पार्टी हल निकाल देगी

विधायक पद से इस्तीफा की पेशकश करने के बाद आज पहली बार रश्मि वर्मा भाजपा कार्यालय पहुंची जहां प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के कक्ष में उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल से उनकी मुलाकात हुई । आधे घंटे तक बंद कमरे में हुई मुलाकात के बाद जब वो बाहर निकली तो मीडिया से बात करते हुए कहा- सब ठीक है। लेकिन रश्मि वर्मा जिस अंदाज में मीडिया के सवालों से बच रही थी उससे साफ लग रहा था कि वो अंदर से काफी व्यथित है कई बार आसूं निकलते निकलते रोक ली ।

उप मुख्यमंत्री ने रश्मि वर्मा के त्यागपत्र का किया बचाव

हालांकि उन्होंने ये माना कि वो इस्तीफा देने का मन बना रहीं थी, लेकिन फिर पार्टी ने उनकी परेशानी का खत्म करने का भरोसा दे दिया है, इसलिए अब वो ऐसा नहीं करेंगी। रश्मि वर्मा को मीडिया के सवालों से घिरा देख उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद आगे आए और उन्हें कार्यक्रम में जल्द चलने की बात कही।

विधायक रश्मि वर्मा चेहरे चेहरे से बहुत कुछ कह गयी

वैसे रश्मि वर्मा भले ही मीडिया के सवालों से बचती रही लेकिन उनके चेहरे का भाव जता दिया कि कोई तो बात है ।

बिहार के युवाओं ने इंडिया स्किल्स प्रतियोगिता में लहराया परचम: 4 स्वर्ण, 2 रजत और 5 कांस्य पदक जीता।

इंडिया स्किल्स 2021 की राष्ट्रीय प्रतियोगिता दिल्ली में आयोजित की जा गयी, देश भर से 500 से अधिक प्रतियोगी 54 औद्योगिक क्षेत्रों से अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए प्रतियोगिता में भाग लिया| सभी कौशल प्रतियोगिताओं के विजेताओं को आज दिनांक 10 जनवरी 2022 को सम्मानित किया गया ।

उन्होंने ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है और बहुत बड़ा अवसर है कि बिहार के युवाओं ने अपने कौशल का जौहर राष्ट्रीय स्तर पर दिखाया है और विजेता बनें हैं| हम सभी विजयी प्रतिभागियों को अपनी ओर से शुभकामना देते हैं । साथ ही NSDC और बिहार कौशल विकास मिशन के पदाधिकारियों और कर्मियों को भी इस जीत में साथ देने के लिए आभारी हैं, इस कोरोना काल में आपका योगदान अतुलनीय है ।

बिहार से – श्री उत्सव ने ग्राफ़िक डिजाईन, आई टी नेटवर्क सिस्टम एंड एडमिनिस्ट्रेशन में श्री बद्रीनाथ ने, रिन्यूएबल एनर्जी में श्री रौशन कुमार, और सुश्री ताविसी तन्नु ने विजुअल मर्चेडाइजिंग में स्वर्ण जीता, जबकि रेस्टुरेंट सर्विस में सुश्री अदिति और आई टी नेटवर्क सिस्टम एंड एडमिनिस्ट्रेशन में श्री अमित ने रजत जीता, वहीं कांस्य पदक, फैशन टेक्नोलोजी में सुश्री रिनिता निगोई, कैबिनेट मेकिंग में श्री राजेश शर्मा, ब्रेकरी में सुश्री दीपाली राज, सुश्री बागिषा जैन ने ग्राफ़िक डिजाईन में और रिन्यूएबल एनर्जी में श्री अभिषेक ने जीता|

माननीय मंत्री ने कहा कि बिहार हमेशा से शोध और कौशल का धरती रही है। आर्यभट्ट, चाणक्य, वानभट्ट एवं वशिष्ट नारायण जैसे सरीखे नामों और उनके कौशल कला से पूरी दुनिया परिचित है। बात विक्रमशिला की हो या प्रचीनतम नालंदा विश्वविद्यालय की यहां विश्व के अनेक प्रसिद्ध नामचीन व्यक्तित्व ने विद्या और कौशल को सीखा है| जिसकी ऐतिहासिक और सामाजिक पृष्ठभूमि से आज भी हम सब रु-ब-रु होते रहते हैं|

मुझे यकीन है कि श्रम संसाधन विभाग के अंतर्गत संचालित, बिहार कौशल विकास मिशन और एनएसडीसी के आपसी समन्वय और सहयोग से, इस जीत को विश्व युवा कौशल प्रतियोगिता के मंच पर भी प्रदर्शित करेंगे| सभी सफल युवा अपना कौशल का प्रदर्शन चीन के संघाई में 2022 में आयोजित होने वाले विश्व युवा कौशल प्रतियोगिता में अपना अपना परचम लहराएँ, ऐसी हमारी मंगल कामना है|

पटना हाई कोर्ट ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) में सरकारी धन के कथित गबन की जांच करवाने के मामले में याचिकाकर्ता पर दस हजार रुपये का अर्थदंड लगाया।

पटना हाई कोर्ट ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) में सरकारी धन के कथित गबन की जांच करवाने व जिम्मेदार कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर याचिकाकर्ता पर दस हजार रुपये का अर्थदंड लगाया। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने विशाल सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई कर ये आदेश दिया।
अरवल जिला के रामपुर बैणा पंचायत की मुखिया पर स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) में सरकारी धन के गबन का आरोप लगाते हुए विशाल सिंह ने एक जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका के जरिये जांच और कार्रवाई का आदेश देने का अनुरोध कोर्ट से किया था।

इस मामले में अरवल के बी डी ओ द्वारा गठित की गई जांच को पूरा करने और प्राथमिकी दर्ज करने हेतु आदेश देने की भी माँग किया गया था।
इस जनहित याचिका में खास बात यह भी थी कि याचिकाकर्ता ने अपने चाचा सतीश कुमार सिंह और उनकी मुखिया(रामपुर बैणा पंचायत )पत्नी बिमला देवी पर भी बारह – बारह हजार रुपये लेने का आरोप लगाया था। कहा गया था कि पैतृक जमीन पर पूर्वजों द्वारा बनाये गए शौचालय के नाम पर ही पैसा का गबन किया गया।

राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार ने कोर्ट को बताया कि यह कोई जनहित का मामला नहीं प्रतीत होता है, इसलिए याचिकाकर्ता पर अर्थदंड लगाया जाना चाहिए। कोर्ट ने इस बात पर अपनी सहमति जताते हुए याचिकाकर्ता पर दस हजार रुपये का अर्थदंड लगाया।

महत्वपूर्ण बात यह भी है कि याचिका कर्ता द्वारा इसी मामले को लेकर पूर्व में भी पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसे कोर्ट ने निष्पादित कर दिया था।

बेपरवाह बिहार कोरोना के फर्जी जांच का हुआ खुलासा

#Covid19 बिहार में कोरोना को लेकर स्वास्थ्य विभाग कितना सजग है इसको लेकर आये दिन खबर आती रहती है नया मामला समस्तीपुर से जुड़ा है जहां एक पॉजिटिव व्यक्ति का सीरम एक ही क्षेत्र के 115 लोगों के अलग-अलग नाम से RT-PCR जांच के लिए भेज दिया। इससे सबकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। इससे पहले नालंदा में जहां देश में जिस वैक्सीन का अब तक बच्चों पर ट्रायल ही नहीं हुआ है कोवीशील्ड वो वैक्सीन दो बच्चों को लगा दिया । समस्तीपुर में दो दिन पहले एक स्वास्थ्य कर्मचारी ने एक पॉजिटिव व्यक्ति का सीरम एक ही क्षेत्र के 115 लोगों के अलग-अलग नाम से RT-PCR जांच के लिए भेज दिया। इससे सबकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। मौके पर स्वास्थ्य विभाग की टीम भेजी गई तब पता चला कि जिन लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव है, वे एकदम भले-चंगे हैं।

मामला कल्याणपुर प्रखंड का है। मामले का खुलासा होने के बाद DM योगेंद्र सिंह के आदेश पर सिविल सर्जन डॉ. सत्येंद्र कुमार गुप्ता ने स्वास्थ्य कर्मी दिनेश झा को निलंबित कर दिया। इस मामले में जांच के लिए कल्याणपुर PHC प्रभारी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। दो दिन में जांच रिपोर्ट मांगी गई है।हुआ ऐसा कि कल्याणपुर PHC (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) से 5 जनवरी को 115 लोगों का सैंपल जांच के लिए IGIMS (इंदिरा गांधी आयुर्वेदिक संस्थान) पटना भेजा गया था। 7 जनवरी को सबकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। रविवार को कल्याणपुर टीम भेजी गई। जांच में पता चला कि PHC में एक व्यक्ति की एंटीजन रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। कर्मचारी दिनेश झा ने पॉजिटिव व्यक्ति के सीरम को अलग-अलग रख कर 115 लोगों का सैंपल बना लिया और जांच के लिए पटना भेज दिया था।          

इसके पीछे कि कहानी यह है कि आज कल पूरे बिहार में कोरोना जांच किट स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों द्वारा बाजार में बेचा जा रहा है ,विभागीय लोगों का कहना है कि स्टॉक मिलाने के चक्कर में यह गलती हो गयी और मामला प्रकाश में आ गया फिलहाल उक्त स्वास्थ्य कर्मी पर प्राथमिकी दर्ज करने पर विभाग विचार कर रही है ।

वही मुख्यमंत्री के गृह जिला नालंदा में पिछले सप्ताह देश में जिस वैक्सीन का अब तक बच्चों पर ट्रायल ही नहीं हुआ है,  2 बच्चों को उसी वैक्सीन की डोज लगा दी गई। स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही के शिकार दोनों भाई पीयूष रंजन और आर्यन किरण बिहारशरीफ की प्रोफेसर कॉलोनी के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि हमने रविवार को कोवैक्सिन के लिए स्लॉट बुक कराया था। इसके बाद आज हम 10 बजे के करीब नालंदा स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित टीकाकरण केंद्र IMA हॉल गए।वहां सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद हमने टीका लगवाया। टीकाकरण के बाद पता चला कि हम दोनों को कोवैक्सिन की जगह कोवीशील्ड का टीका लगा दिया गया है।हालांकि इस मामले में सरकार उपाधीक्षक को हटा दिया है और जांच गठित कर दिया है लेकिन सवाल यह है कि पूरी मशीनरी लगने के बावजूद इतनी बड़ी गलती कैसे हो जा रही है इसी तरह 2020 में कोरोना वैक्सीन के दौरान फर्जी मोबाइल नम्बर के इस्तेमाल का मामला सामने आया था और इसको लेकर सरकार की बड़ी किरकरी हुई थी ।

यूरिया को लेकर बिहार में हहाकार कई जिलों में किसान उतरे सड़क पर

बिहार में डीएपी खाद के बाद अब यूरिया को लेकर किसान सड़कों पर है अररिया सुपौल ,मधेपुरा सहित बिहार के कई जिलों में यूरिया खाद को लेकर किसान खासे गुस्से में है कई जगह कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस को आगे आना पड़ा है इस समय गेंहू और तेलहन के लिए किसानों को यूरिया खाद की सख्त जरुरत है ।

कृषि विभाग के सचिव डा़ एन सरवण कुमार की अध्यक्षता में 31 दिसंबर तक उर्वरक की हुई आपूर्ति और वितरण की समीक्षा बैठक की रिपोर्ट बताती है कि बिहार को मांग का 26 फीसदी यूरिया कम मिला है़ राज्य के आधा दर्जन के करीब जिलों में तो मांग का आधा यूरिया भी नहीं पहुंचा़ ।

मुजफ्फरपुर, दरभंगा और पश्चिमी चंपारण के किसानों को मांग का मात्र 47 फीसद ही यूरिया मिल सका़ यही वजह है कि पूरे बिहार में यूरिया को लेकर हहाकार मचा हुआ है हालांकि यूरिया के समय पर नहीं मिलने से गंहू और तेलहन के उपज में खासा प्रभाव पड़ सकता है ।

दिसंबर 21 में यूरिया की स्थिति
315000 टन जरूरत
227998.37 टन उपलब्ध
224030.69 टन सेल
3948.82 टन क्लोजिक स्टॉक
जनवरी 22 में यूरिया की स्थिति
220000.00 टन जरूरत
99772.43 टन उपलब्ध
88168.68 टन सेल
11603.75 टन क्लोजिंग स्टॉक

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई और वहां उनके स्मारक की दुर्दशा के मामलें आज हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

पटना हाईकोर्ट में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई और वहां उनके स्मारक की दुर्दशा के मामलें पर सुनवाई करते हुए केंद्र ( आर्केलोजिकल् सर्वे ऑफ इंडिया) और बिहार सरकार द्वारा हलफनामा नहीं दायर नहीं किये जाने पर मामलें की सुनवाई 13 जनवरी,2022 तक टली।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने विकास कुमार द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को इस सम्बन्ध में निश्चित रूप से हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।लेकिन दोनों सरकारों ने आज हलफनामा दायर नहीं किया,जिस कारण इस जनहित याचिका पर सुनवाई टाल दी गई।
इससे पूर्व हाईकोर्ट ने अधिवक्ता निर्विकार की अध्यक्षता में वकीलों की तीन सदस्यीय कमिटी गठित की थी।कोर्ट ने इस समिति को इन स्मारकों के हालात का जायजा ले कर कोर्ट को रिपोर्ट करने का आदेश दिया था।

तीन सदस्यीय वकीलों की कमिटी ने जीरादेई के डा राजेंद्र प्रसाद की पुश्तैनी घर का जर्जर हालत, वहां बुनियादी सुविधाओं की कमी और विकास में पीछे रह जाने की बात कहीं।साथ ही पटना के बांसघाट स्थित उनके समाधि स्थल पर गन्दगी और रखरखाव की स्थिति भी असंतोषजनक पाया।वहाँ

काफी गन्दगी पायी गई और सफाई व्यवस्था की खासी कमी थी।साथ ही पटना के सदाकत आश्रम की दुर्दशा को भी वकीलों की कमिटी ने गम्भीरता से लिया था।

जनहित याचिका में कोर्ट को बताया गया कि जीरादेई गांव व वहां डाक्टर राजेंद्र प्रसाद के पुश्तैनी घर और स्मारकों की हालत काफी खराब हो चुकी है।याचिकाकर्ता अधिवक्ता विकास कुमार ने बताया कि जीरादेई में बुनियादी सुविधाएं नहीं के बराबर है।
न तो वहां पहुँचने के सड़क की हालत सही है।साथ ही गांव में स्थित उनके घर और स्मारकों स्थिति और भी खराब हैं,जिसकी लगातार उपेक्षा की जा रही है।
उन्होंने बताया कि केंद्र व राज्य सरकार के इसी उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण लगातार हालत खराब होती जा रही है।कोर्ट को बताया गया कि पटना के सदाकत आश्रम और बांसघाट स्थित उनसे सम्बंधित स्मारकों की दुर्दशा भी साफ दिखती हैं।वहां सफाई,रोशनी और लगातार देख रेख नहीं होने के कारण ये स्मारक और ऐतिहासिक धरोहर अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे है।
ऐसे महान नेता स्मृतियों व् स्मारकों की केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किया जाना उचित नहीं हैं।इनके स्मृतियों और स्मारकों को सुरक्षित रखने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।
इस जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 13 जनवरी,2022 को होगी।

मीडिया का शाख लगा है दाव पर

आज तक पर यूपी चुनाव को लेकर आयोजित एक  कार्यक्रम के दौरान अंजना ओम कश्यप और अखिलेश यादव के बीच जिस अंदाज में संवाद हुआ उसे आप क्या कहेंगे, याद करिए किसान आन्दोलन के दौरान चित्रा त्रिपाठी के साथ जो कुछ भी हुआ उसे आप क्या कहेंगे ।क्या यह माना जाये कि पत्रकारिता संकट में है या फिर हम पत्रकार जिस तरीके से सत्ता के साथ खड़े दिख रहे हैं या फिर सत्ता से सवाल करना छोड़ दिये हैं उसका प्रतिफल है ।                                  

 बिहार में भी इस तरह का एक दौर आया था जब सीएम की कुर्सी पर लालू प्रसाद काबिज थे लालू प्रसाद सार्वजनिक मंच से मीडिया की आलोचना करते थे किसी विषय पर प्रतिक्रिया लेना रहता था तो घंटो घर के बाहर खड़े कर देते थे और आये दिन सार्वजनिक रूप से अपमानित भी करते रहते थे। फिर भी एक रिश्ता बना रहा ।            

जहां तक मेरा अनुभव रहा है अखबार में संपादक से लेकर प्रखंड के संवाददाता तक और चैनल के चैनल हेड से लेकर जिला रिपोर्टर तक पर सवर्णों का कब्जा होने के बावजूद कभी भी कभी सुबह के मीटिंग में यह एजेंडा तय नहीं होता था कि लालू प्रसाद की सरकार को घेराबंदी करने के लिए खबर को प्लांट करो या फिर उस नजरिए से खबर बनाओं जिससे लालू प्रसाद के शासन काल घेरे में आ सके।            

मुझे लगता है जब तक हम मीडिया वाले इस सोच के साथ काम करते रहे है कि जो खबर है चलेगा एजेंडा नहीं चलेगा तब तक ठीक रहा लेकिन जैसे ही हम लोग ऐजेंडे पर खबर करने लगे लोगों का भरोसा उठने लगा जो पहले नहीं था लोगों का मीडिया पर बहुत भरोसा था। और यही वजह थी कि गांव में रहने वाले लोग हो या फिर शहर में रहने वाले लोग हो उन्हें हमेशा लगता था कि मीडिया हमारे साथ खड़ी है हर दिन आम जनता का फोन आता था पुलिस के जुल्म को लेकर या फिर भ्रष्टाचार को लेकर। लेकिन जैसे जैसे मीडिया से आम लोगों के सरोकार से जुड़ी खबरें चलनी कम होती गयी लोग भी हम लोगों से दूर होते चले गये ।

अब पहले जैसे आम लोगों का कहां फोन काँल आता है बहुत कम अब कांल आता है हिन्दू मुसलमान के बीच विवाद को लेकर कही कोई घटना हो जाये एक घंटे में चालीस से अधिक कांल आ जाता है हर स्तर के लोग फोन करने लगते हैं हाल ही पटना में एक मुसलमान दुकानदार खरीदारी के दौरान हुए विवाद के क्रम किसी लड़की पर हाथ चला दिया इतना फोन कांल आया जैसे लगा नरसंहार हो गया हो और पुलिस नहीं पहुंच रही है और फिर क्या हुआ थोड़ी देर में सारे चैनल का हेड लाइन खबर बन गयी जबकि पहले हम मीडिया धार्मिक ,सम्प्रदायिक और जाति आधारित हिंसा से जुड़ी खबरो को लिखने में और दिखाने में बहुत सावधानी बरतते थे हम मीडिया वालों की पहली जिम्मेवारी यही होती थी कि ऐसा खबर ना चले जिससे समाज में तनाब बढ़ जाये लेकिन आज क्या हो रहा है हम लोग तनाब और घृणा पैदा करने वाली खबर ही नहीं चला रहे हैं बल्कि खबर प्लांट भी कर रहे हैं इससे हुआ क्या आम लोग जो मीडिया और मीडियाकर्मियोंं की ताकत हुआ करती थी वो हम मीडिया वालों से दूर चल गया और जैसे ही इसका आभाव सत्ता और सिस्टम को हुआ पूरी मीडिया को हासिया पर पहुंचा दिया
संकट की वजह यही है ऐसे में मीडिया से जुड़े लोग एक बार फिर से आम लोगों का भरोसा कैसे जीते इस पर सोचने कि जरूरत है क्यों कि जैसे ही आम लोग हम लोगों के साथ जुड़ने लगेगी बहुत सारी चीजें बदल जाएंगी । मेरा तो अनुभव यही रहा है कि सत्ता से सवाल करने वाले पत्रकारों से भले ही सरकार नराज रहे लेकिन जनता हमेशा सर आंखो पर बिठा कर रखती हैं। वक्त आ गया है आत्ममंथन करने का नहीं तो फिर इस संस्था का कोई मतलब नहीं रह जायेगा ।

आरटीआई कार्यकर्ता में हो रहे हमले को लेकर हाईकोर्ट नराज

पटना हाईकोर्ट ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सूचना मांगे जाने पर सूचना मांगने वाले व्यक्ति से उसके सही आचरण वाले और आपराधिक मामले में संलिप्त नहीं का हलफनामा देने के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवाई की।विकास केन्द्र ऊर्फ गुड्डू बाबा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य के मुख्य सचिव और राज्य कैबिनेट सचिवालय के प्रधान सचिव को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब माँगा।

इस जनहित याचिका में विगत 16 जनवरी, 2006 को कैबिनेट सचिवालय विभाग के उप सचिव व राज्य सरकार के कॉर्डिनेशन डिपार्टमेंट द्वारा जारी उक्त आशय के संबंध में जारी किये गए संकल्प को रद्द करने हेतु आदेश देने की माँग की गई है।

याचिकाकर्ता की ओर से पक्ष प्रस्तुत करते हुए अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि आर टी आई एक्ट के विरुद्ध इस प्रकार का गैर कानूनी व मनमाना शर्त लगाया गया है। याचिका के जरिये उस पत्र को भी रद्द करने हेतु आदेश देने का अनुरोध किया गया है, जिसके जरिये लोक सूचना ऑफिसर द्वारा पत्र जारी कर याचिकाकर्ता से विभाग द्वारा सूचना उपलब्ध कराने के लिए उसके सही आचरण और आपराधिक मामलों में शामिल नहीं होने के सम्बन्ध में शपथ पत्र की मांग की गई है।

इस जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने बगैर बिलंब किये ही सूचना उपलब्ध कराने के लिए लोक सूचना अधिकारी को आदेश देने को लेकर भी आग्रह किया है। आर टी आई एक्ट की धारा 7 के तहत याचिकाकर्ता को अविलंब सूचना उपलब्ध कराने के संबंध में निर्णय लेने का आग्रह भी कोर्ट से किया गया है।
इस मामलें पर चार सप्ताह बाद फिर सुनवाई होगी।

राजधानी पटना सहित बिहार में अनियंत्रित रूप से हो रही चोरी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर

पटना हाई कोर्ट ने पटना समेत राज्य के अन्य हिस्सों में कथित तौर पर अनियंत्रित रूप से हो रही चोरी, लूट- पाट और सेंधमारी की घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई करने के लिए दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार सिंह व संजीव कुमार मिश्रा की जनहित याचिका पर सुनवाई की।

हाईकोर्ट को इन जनहित याचिकाओं में बताया गया कि राजधानी पटना समेत राज्य के अन्य इलाकों में अपराध, चोरी, लूटपाट व् सेंधमारी की घटनाएं बढ़ गई हैं। वहीं पर राज्य सरकार ने शराबबंदी कानून लागू करने के लिए अलग से विशेष टास्क फोर्स का गठन कर दिया है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि बिहार एक्साइज ( संशोधित ) एक्ट , 2018 के प्रावधानों को लागू करने के लिए अलग से पुलिस फोर्स/ विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जाना चाहिए, ताकि प्रभावी ढंग से शराबबंदी कानून से जुड़े प्रावधानों को लागू किया जा सके और अपराध में शामिल एजेंसी व व्यक्तियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जा सके।

याचिका के जरिये शराबबंदी कानून के प्रावधानों को लागू करने के लिए स्थानीय पुलिस प्रशासन अलग हटकर पुलिस टास्क फोर्स के गठन करने हेतु आदेश का आग्रह किया गया है ,ताकि स्थानीय कानून व्यवस्था की समस्याओं को भी बराबर प्राथमिकता देते हुए कार्रवाई की जा सके और संज्ञेय अपराधों के मामले में त्वरित एफ आई आर दर्ज किया जा सके।
नियमित रूप से पुलिस पेट्रोलिंग करने का भी आग्रह किया गया है, खासकर के वैसे क्षेत्रों में जहाँ वृद्ध लोग अकेले रह रहे हों।इस मामलें पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।

विशेष राज्य का दर्जा को लेकर सड़क पर उतरे पप्पू यादव

जन अधिकार पार्टी द्वारा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, किसानों के लिए एमएसपी, बेरोजगारी एवं वार्ड सचिवों की जायज मांग को लेकर पूरे बिहार में रेल चक्का जाम किया है जाम का नेतृत्व जाप के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव खुद कर रहे थे पटना के सचिवालय हॉल्ट पर रेल चक्का जाम करने के दौरान मीडिया से बात करते हुए कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलनी चाहिए। नीति आयोग के आकंड़ों के अनुसार बिहार पिछड़ा राज्य है। विकास के सभी सूचकांक में बिहार निचले पायदान पर हैं। बिहार के विकास के लिए , विशेष राज्य के मांग के लिए हमारी पार्टी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ हैं।

पप्पू यादव फिर उतरे सड़क पर

बिहार की जनता ने केंद्र और राज्य सरकार को भर भर के सांसद और विधायक दिए हैं। ऐसे में अब उनकी बारी है कि जनता को उनका हक विशेष राज्य के दर्जे के रूप में दें। यह राजनीति का नहीं, बिहार के भविष्य का सवाल है और हम किसी भी कीमत पर इससे समझौता नहीं करेंगे।

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत पाप्पू यादव अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ करीब 11 बजे रेलवे स्टेशन पहुंचकर ट्रेनों की आवाजाही को रोक दी। जाप कार्यकर्ता नारेबाजी करते हुए पुलिस का घेरा तोड़कर रेलवे स्टेशन की ओर बढ़ गए और रेलवे ट्रैक पर बैठ गए। प्रदर्शन के दौरान राष्ट्रीय महासचिव प्रेमचन्द सिंह, पूर्व विधायक भाई दिनेश, राजू दानवीर, डॉक्टर संतोष कुमार को रेल प्रशासन ने गिरफ्तार किया।

मौके पर प्रदेश अध्यक्ष राघवेन्द्र कुशवाहा, राष्ट्रीय महासचिव प्रेमचन्द सिंह, राष्ट्रीय महासचिव राजेश रंजन पप्पू, अरुण सिंह, जावेद अली, पूनम झा, सुप्रिया खेमका, राजू दानवीर, संजय सिंह, गौतम आनन्द, भाई दिनेश, सन्नी , पुरुषोत्तम कुमार,दीपक कुमार रजत, आलोक सिंह,ननि यादव, शशांक कुमार मोनू, बबलू यादव, टिंकू यादव, नीतीश यादव, नीरज सिंह,अमित सिंह, अमरनाथ साह, गौरीशंकर सहित सैकड़ों लोग मैजूद थे।

बिहार में युवा सबसे अधिक कोरोना से हो रहे हैं संक्रमित, ओमीक्रोन के दस्तक से दहशत में सरकार

#Covid19  कोरोना को हलके में ना ले दूसरे लहर से भी खतरनाक हो सकता है तीसरा लहर ऐसा मानना है पटना एम्स के डांक्टर का, हो यह रहा है कि तीसरी लहर को सामान्य सर्दी खांसी वाली लहर समझ कर मरीज घर से बाहर  निकल जा रहे हैं जो खतरनाक स्थिति पैदा कर सकता है। लक्षण होने के बावजूद जांच ना कराना और काम पर निकल जाना बड़ी परेशानी बन सकती है। एम्स में अभी तक जीतने भी मरीज आ रहे हैं उनमें ज्यादातर वही लोग हैं जो कामकाजी लोग हैं। 18 से 25 साल के बीच के लोग जो सक्रिय लोग हैं जो घरों से ज्यादा निकलते हैं कामकाज करते हैं ऐसे मरीजों की संख्या ज्यादा है।  साथ ही आम लोग काफी हद तक खुद से घर में इलाज कर ले रहे हैं। लेकिन, ऐसे में यह समझ लेना कि लक्षण गंभीर नहीं हैं ऐसा नहीं है एम्स में अभी तक 60 मरीज भर्ती हो चुके हैं, अब तक 5 की मौत भी हुई है 11 लोग ICU में हैं।

1—24से 26 जनवरी तक तीसरा लहर पीक पर जा सकता है 

तीसरे लहर में कोरोना को लेकर अभी तक जो बात सामने आयी है उसमें बिहार का R-Value 4.55 यानी एक व्यक्ति 4 से अधिक लोगों को संक्रमित कर रहा है। ऐसे में हम यह मान रहे हैं कि बिहार में तीसरी लहर की पीक 24 से 26 जनवरी के बीच आएगी ऐसे में काफी सतर्क रहने कि जरूरत है और इस बार 40 से 50 के बीच युवा मरीज ज्यादा परेशानी महसूस कर रहे हैं ।

2– तीसरे लहर में कोरोना का लक्षण बदल गया है 

सामान्य तौर पर इस बार लक्षणों में सर्दी खांसी ज्यादा है लेकिन इसके साथ ही कुछ नए लक्षण भी हैं जो सामने आ रहे हैं। बदन में असहनीय दर्द हो रहा है, इतना ज्यादा कि मरीज कई बार दर्द की वजह से डिप्रेशन में चले जा रहे हैं। गले में खराश बहुत ज्यादा परेशान करने वाली है। इसके साथ ही पेट खराब होना , आंखों में लालीपन, लाल चकत्ते शरीर पर होना , सिर दर्द यह सारे लक्षण है जो इस बार सामने आ रहे हैं।

3—कोरोना संक्रमित मरीजों के अस्पताल पहुंचने का सिलसिला तेज हो रहा है

एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले 72 घंटों के दौरान बिहार में कोरोना से संक्रमित मरीजों का अस्पताल में भर्ती होने का सिलसिला तेज होने लगा है चार दिन पहले दो चार ऐसे मरीज आ रहे थे जिनको भर्ती होने कि जरूरत महसूस हो रही थी लेकिन अभी 

एम्स में—48, आईजीएमस–12, एनएमसीएच–47, पीएमसीएच–05

मतलब पूरे बिहार में इस समय सौ के करीब मरीज भर्ती है जिसमें 30 से अधिक मरीज आईसीयू में भर्ती है ।

4–ओमीक्रोन पहुंचा बिहार

एक सप्ताह तक बिहार में ओमीक्रोन से पीड़ित एक मरीज का पता चला था जो दिल्ली अपने ओमीक्रोन पीड़ित भाई से मिलने गया था लेकिन बिहार में कल जिस 32 सैंपल की जांच हुई है उसमें 27 ओमीक्रोन से पीड़ित मिला है इस तरह कुल टेस्ट का 85 प्रतिशत मरीज ओमीक्रोन से पीड़ित मिल रहा है ऐसे में विशेषज्ञों की राय है कि बिहार में जांच में तेजी लायी जाये तो ओमीक्रोन से संक्रमित मरीजों की संख्या काफी हो सकती है ऐसे में बिहार के लोगों को और सतर्क रहने कि जरूरत है ।

5–पटना बना #Corona Hotspot 

जी है अभी तक जो जांच रिपोर्ट सामने आया है उसमें संक्रमण दर की बात करे तो बिहार में सबसे अधिक 21.94 प्रतिशत संक्रमण पटना का है दूसरे स्थान पर गया है वही अभी तक 300 प्रखंड में कोरोना संक्रमित मरीजों की पहचान हो चुकी है पिछले एक सप्ताह के दौरान जांच के बाद संक्रमण दर एक फीसदी से बढ़कर 2.55 प्रतिशत हो गया है ।

बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के काम काज को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर कोर्ट ने लिया संज्ञान

पटना हाईकोर्ट में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में सही तौर से काम- काज किये जाने को लेकर तदर्थ कमेटी बनाने हेतु एक जनहित याचिका पर सुनवाई 17 जनवरी,2022 तक टली। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने अजय नारायण शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई की है।

इस जनहित याचिका में चयनकर्ताओं/ सपोर्ट स्टाफ व बी सी सी आई द्वारा संचालित घरेलू टूर्नामेंट में विभिन्न उम्र के राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाडियों को सही तौर से चयन करने को लेकर आदेश देने का अनुरोध किया गया है।।
इस जनहित यह आरोप लगाया गया है कि प्रबंधन कमेटी में अवैध रूप से कुर्सी पर काबिज लोगों द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा है।

यह भी आरोप लगाया गया है कि कुर्सी पर कथित रूप से अवैध तौर पर बैठे लोग प्रतिभावान क्रिकेट खिलाड़ियों के दावों को हतोत्साहित कर रहे हैं। खिलाड़ियों के मनमाने औऱ अनुचित तौर से चयन कर क्रिकेट को बेचने पर उतारू है।
इस याचिका में यह भी माँग की गई है कि पटना हाईकोर्ट में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन से सम्बंधित मामलों की सुनवाई एक साथ एक बेंच द्वारा की जाए।

राज्य में खिलाड़ियों की स्थिति और भी खराब होते जा रही है। साथ ही इस से खिलाड़ी घरेलू टूर्नामेंट में भी कामयाब नहीं हो रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा बोर्ड ऑफ कंट्रोल फोर क्रिकेट इन इंडिया एंड अदर्स बनाम क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार व अन्य के मामले में 9 अगस्त, 2018 को दिये गए फैसले दिया गया था।

इसके अनुसार जस्टिस आर एम लोढ़ा कमेटी द्वारा की गई अनुशंसा के आलोक में खिलाड़ियों का सही तौर से चयन करने हेतु क्रिकेट एडवाइजरी कमेटी के गठन करने को लेकर आदेश देने का अनुरोध किया गया है।

इस मामलें पर अब अगली सुनवाई 17 जनवरी,2022 को होगी।

पीएम को सुरक्षा मानको से खिलवाड़ की अनुमति नहीं होनी चाहिए

मोदी की सुरक्षा में चूक सिस्टम का फेल्योर है ।
सुप्रीम कोर्ट को कठोर एक्शन लेनी चाहिए ।
पीएम को सुरक्षा मानको से खिलवाड़ की अनुमति नहीं होनी चाहिए ।

लोकतंत्र में जनता द्वारा चुनी गयी सरकार बहुमत के दंभ पर मनमर्जी ना करे उसी को नियंत्रित करने के लिए न्यायपालिका और कार्यपालिका का गठन किया है, भारतीय लोकतंत्र का सार तत्व यही है लेकिन भारत में धीरे धीरे विधायिका के सामने कार्यपालिका और न्यायपालिका कमजोर पड़ती जा रही है ऐसे में लोकतंत्र खतरे में है यह कहने में कोई गुरेज नहीं है।
एक कहानी अमेरिका में काफी प्रचलित है एक बार अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन व्हाइट हाउस के बाहर सुबह सुबह टहल रहे थे कोहरा की वजह से एक राहगीर राष्ट्रपति से टकरा गया । वह व्यक्ति शायद जल्दी में था झुँझलाकर पूछा कौन है भाई राष्ट्रपति का जवाब था यही जानने के लिए तो मैं टहल रहा हूं।

ये नहीं चलेगा एसपीजी को सख्त होना होगा


राहगीर को लगा कि यह व्यक्ति सनकी है फिर राहगीर ने व्हाइट हाउस की ओर इशारा करते हुए पूछा इसमें कौन रहता है राष्ट्रपति ने कहा मित्र इसमें कोई नहीं रहता है लोग आते और चले जाते हैं कहने का मतलब पीएम की कुर्सी पर लोग आते हैं और चले जाते हैं लेकिन संस्थान से जुड़े लोग हमेशा बने रहते हैं ऐसे में संस्थानों की विशेष जिम्मेवारी है कि ये जो आने और जाने वाले लोग है जिन्हें जनता चुनती है उनकी मनमर्जी को नियंत्रित रखे तभी इस देश में लोकतंत्र आगे बढ़ पायेगा
पंजाब में पीएम का रास्ता रोके जाने के मामले में जो सियासी तमाशा चल रहा है इसमें संस्थानों की जिम्मेवारी बढ़ गयी है सवाल मोदी का नहीं है

ये व्यक्ति कैसे पीएम के गाँड़ी के पास पहुँच गया क्या ये चूक नहीं है

सवाल देश का है ऐसे में मोदी की सुरक्षा को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है अच्छा है पीएम की सुरक्षा को लेकर विस्तृत बहस हो और उसके बाद ऐसा फुलप्रूफ व्यवस्था बने कि फिर से पीएम की सुरक्षा को लेकर सियासत ना हो सके क्यों कि पंजाब की घटना के बाद कई ऐसे तथ्य सामने आयी है जहां मोदी सुरक्षा मानकों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन करते दिख रहे हैं ये अनुमति किसी भी पीएम को नहीं मिलनी चाहिए और इसके लिए एसपीजी को सुरक्षा मानको को लेकर और सख्त होने कि जरूरत है ।

पंजाब से जो खबरें आ रही है कि पीएम का काफिला रोकने के मामले में पीएम के पास कोई भी किसान नहीं था जबकि बीजेपी के नेता ही मौजूद थे पीएम इस रास्ते से जा रहे हैं ये बीजेपी के नेता को कैसे पता चला जिस बीजेपी के नेता का वीडियो वायरल हो रहा है उसका नाम शिवम है और मीडिया से बातचीत में स्वीकार किया है कि पीएम के पास मोदी जिंदाबाद का नारा में हूं लहरा रहा था वीडियो में साफ दिख रहा है कि झंडा लिए यह शख्स पीएम के गाड़ी के काफी करीब पहुंच गया है और एसपीजी मूकदर्शक बना हुआ है क्या बीजेपी का झंडा और मोदी जिंदाबाद का नारा लगाने वाले आतंकी नहीं हो सकता है यह वीडियो कही ना कही एसपीजी के प्रोफेशनल पुलिस होने पर सवाल खड़े कर रही है इतना ही नहीं एक वीडियो काशी का भी सामने आया है इस वीडियो को देखने के बाद तो लगता ही नहीं है कि पीएम की सुरक्षा में एसपीजी लगा हुआ है यह वीडियो तो बर्दाश्त योग्य नहीं इसी तरह की गलती की वजह से देश दो प्रधानमंत्री को खो चुका है।

रवीश कुमार ने मीडिया को कहाँ लोकतंत्र का दुश्मन

14 जनवरी से विपक्ष और जनता शुरू करें अख़बार फाड़ो और चैनल सुधारो आंदोलन

जब तक विपक्ष अपनी सभाओं के मंच से अख़बार फाड़ो आंदोलन शुरू नहीं करेगा तब तक जनता नहीं समझ पाएगी कि चुनाव के समय अख़बार और न्यूज़ चैनल किस तरह से लोकतंत्र का गला घोंट रहे हैं। यह लोकतंत्र जनता का है। उसने बनाया है। इसलिए आप जनता पर ज़िम्मेदारी है कि चुनाव के समय अख़बारों और सभी न्यूज़ चैनलों के कवरेज को ध्यान से देखें। अख़बारों और न्यूज़ चैनलों के ख़िलाफ़ विपक्ष इसलिए आंदोलन नहीं कर रहा है क्योंकि सत्ता मिलने पर वह भी अख़बारों का इस्तमाल इसी तरह करता है या करना चाहता है। इसलिए विपक्ष के नेता आराम से गोदी मीडिया में इंटरव्यू देने जाते हैं। विपक्ष के नेता को हर दिन का अख़बार रैली में भाषण शुरू करने से पहले फाड़ना चाहिए। रैली में आई जनता को बताना चाहिए कि कैसे पैसे के दम पर ये अख़बार बिक गए हैं। इनमें विपक्ष का कवरेज नहीं है। एक दिन आप जनता को भी ये अख़बार ग़ायब कर देंगे। इसका बड़ा असर होगा। लेकिन विपक्ष डरपोक हो चुका है। उसमें नैतिक बल नहीं बचा है।इससे नुक़सान आप जनता और पाठकों का होता है। क्योंकि इनके कूड़ा को पढ़ने और देखने में आपका समय और पैसा ख़र्च होता है।

हज़ारों करोड़ रुपये के इस मीडिया के ज़रिए जनता को ग़ुलाम बनाने का जो खेल चल रहा है, उसके चक्रव्यूह को जनता ही तोड़ेगी लेकिन उसके पहले उसे पूरा खेल समझना होगा। यूपी चुनावों के दौरान हिन्दी के अख़बार और न्यूज़ चैनल गंध फैलाने जा रहे हैं।
इसलिए जनता से अपील है कि वह लोकतांत्रिक और अहिंसक तरीक़े से अपने अपने घरों में अख़बार फाड़ो आंदोलन शुरू करे। बालकनी में जाकर अख़बार फाड़ दे। चौराहे पर जाकर अख़बार फाड़ दे और चुनावों के दौरान अख़बार बंद करा दे। ये सब गिरोह बन गए हैं। आपके विश्वास का सौदा कर रहे हैं। आप सावधान नहीं होंगे तो फिर मीडिया मीडिया को लेकर रोना मत रोइयेगा।

सबसे पहले आप पाठक और दर्शक अख़बार पढ़ने और टीवी देखने का तरीक़ा और नज़रिया बदलें। ग़ौर से देखिए कि कवरेज के नाम पर केवल रैलियों का सीधा प्रसारण हो रहा है या उनमें कही गई बातों का अपने रिपोर्टर के सहारे तथ्य जुटाकर परीक्षण भी किया जा रहा है। यह भी देखिए कि क्या केवल प्रधानमंत्री की रैली कवर हो रही है? यह भी देखिए कि रैलियों के कवरेज में विपक्ष को कितनी जगह मिल रही है। यह भी देखिए कि प्रधानमंत्री और बीजेपी की रैली के सीधा प्रसारण में लगातार कवरेज़ हो रहा है, कितनी देर तक कवरेज़ हो रहा है और विपक्ष की रैली का कवरेज शुरु होते ही कैसे ब्रेक आ जाता है। क्या गाँव गाँव भ्रमण करने के नाम पर निकले टीवी के ऐंकर या रिपोर्टर हालात का जायज़ा ले रहे हैं या आकर्षक मंच सज़ा कर बहस करा रहे हैं। जिनसे कुछ निकलता नहीं है। मार-पीट, हंगामा और किसी प्रवक्ता के ग़ुस्से या लतीफ़े का भाषण लोकप्रिय हो जाता है। जिसमें आपको मज़ा तो आता है मगर मिलता कुछ नहीं है। डिबेट शो से सावधान रहें। यह चुनाव के समय जनता की आँखों में धूल झोंकने का कार्यक्रम होता है। मेरा काम है समय पर बता देना। बाक़ी आप इस उस चैनल के बीच फ़र्क़ करते रहें।

इन पैमानों में आप दर्शक भी अपनी तरफ़ से कुछ जोड़ सकते हैं। मेरे इन पैमानों से आप देखेंगे कि न्यूज़ चैनल और यू ट्यूबर अस्पताल या किसी सरकारी संस्थान के पास नहीं जाते, जिससे आप उन जगहों का हाल समझें।पता चले कि मरीज़ किस स्थिति से गुज़र रहा है। शहर में कूड़े की हालत से लेकर रद्दी हो चुके सरकारी स्कूल और कालेज का हाल बताने नहीं जाएँगे। बस चौराहे पर कुछ वक्ता क़िस्म के लोगों को पकड़ लेंगे जो बहस को शानदार बना देते हैं। इससे वीडियो तो वायरल होता है मगर दर्शक को दूसरा वायरल हो जाता है। अंधकार का वायरल। उन बहसों में कुछ नहीं होता है। बस यही कि यूपी होगी किसकी। जबकि पत्रकारों को हर दावों की रिपोर्टिंग करनी चाहिए। पड़ताल करनी चाहिए। मगर मीडिया हर चुनाव को एक मौक़े के रुप में इस्तमाल करता है। चुनाव के नाम पर खूब कमाता है और चुनाव के बहाने जनता को और अधिक अंधकार में धकेल देता है।

मैंने भी पब्लिक के बीच जाकर रिपोर्टिंग की है। लेकिन अब नहीं करता। पाँच साल से मीडिया क्या जनता को सूचनाओं की जानकारी दे रहा था? एक पाठक और दर्शक के तौर पर आप याद करें। कितनी खोजी ख़बरें देखी हैं आपने? जिसमें अख़बार या टीवी के दर्शक ख़बर को सरकारी दावों से अलग खोज कर लाते हों?जब ऐसी रिपोर्टिंग होती ही नहीं है तो इसका मतलब है कि आपको भी कुछ नहीं पता। तो ये मॉडल क्या है? ये मॉडल है कि पहले आपको अंधकार में रखना, फिर आपको चुनाव के समय जागरुक घोषित कर आपकी प्रतिक्रियाओं से उस अंधेरे का विस्तार करना। अभी नहीं तो बीस साल बात ज़रूर समझ आएगा। आप चुनाव के बहाने फिल्ड में बहुत से पत्रकारों को घूमते तो देखेंगे लेकिन उनसे रिपोर्टिंग नहीं दिखेगी। बहुत कम मात्रा में दिखेगी।

इसी तरह आप सभी चैनलों के कार्यक्रम देखते हुए सख़्त मानक बनाएँ। देखें कि टीवी का रिपोर्टर चौराहे पर खड़ा होकर केवल पब्लिक से बयान ले रहा है या अपनी तरफ़ से
जनता को बता भी रहा है। अख़बारों के कवरेज को भी ध्यान से पढ़िए। पैसे का बड़ा खेल वहाँ भी होता है। अख़बार अपनी तरफ़ से पड़ताल कर रहे हैं या केवल रैलियों का कवरेज हो रहा है। भाषणों के आधार पर हेडलाइन बनाई जा रही है। एक अख़बार में कितनी ख़बर बीजेपी की छप रही है और कितनी ख़बर विपक्ष की। उस ख़बर के भीतर बीजेपी की ख़बर की कैसी डिटेल है और विपक्ष की कैसे। जैसे मुमकिन है कि विपक्ष की ख़बर में डिटेल न हो। उसके मूल सवाल ग़ायब कर दिए जाएँ और विपक्ष के नेता के बयान को कभी पहले नंबर की प्राथमिकता नहीं दी जाएगी। उनके बयानों को हल्के अक्षरों में छापा जाएगा जबकि बीजेपी के अख़बारों को मोटे अक्षरों में प्रमुखता से छापा जाएगा।

हिन्दी के अख़बार बड़े धूर्त हैं। चुनावी कवरेज के नाम पर अपनी पुरानी फाइल निकाल कर इतिहास बताने के नाम पर पन्ना भर देते हैं। जाति की गिनती बता देते हैं मगर नेता के काम को लेकर रिपोर्टिंग नहीं करते हैं। आपको लगेगा कि चुनावी कवरेज पढ़ रहे हैं लेकिन इतिहास के नाम पर उसमें कुछ नहीं होता है। बोगस है। हर चुनाव नया होना चाहिए और पिछले चुनाव में किए गए वादों की समीक्षा के नाम पर होना चाहिए। उनका कवरेज होना चाहिए।

चुनाव को लेकर जो असली खेल चलता है, चंदे का, खर्चे का, बूथ मैनेजमेंट का इन सबकी गहराई से रिपोर्टिंग नहीं होती है।प्रेस का काम है कि वह चुनाव आयोग की भूमिका पर भी नज़र रखे। केवल आयोग की प्रेस कांफ्रेंस कवर न करे। बल्कि देखे कि आयोग निष्पक्ष वातावरण बना रहा है या नहीं। सभी के लिए बराबर से फ़ैसले हो रहे हैं या नहीं। चंदे का खेल पकड़े। केवल इल्केटोरल रोल ही चंदे का सोर्स नहीं है। स्थानीय स्तर पर भी दुकानदारों और व्यापारियों से भारी मात्रा में अघोषित चंदा वसूला जाता है। क्या किसी अख़बार या चैनल में दम बचा है कि इन सबको उजागर कर दे। इसलिए आप मीडिया के ज़रिए हर दिन मारे जा रहे हैं। आप मृत मतदाता होते जा रहे हैं। मृत मतदाताओं से वोट दिलवा कर इस लोकतंत्र को कृत्रिम रुप से लोकतंत्र बनाया जा रहा है। मेरी इस बात को लिख कर पर्स में रख लें। बाद में अफ़सोस के वक़्त काम आएगा।

पाठकों से अपील है कि पहले तो अख़बारों को लेना बंद करें। इनसे आप प्रोपेगैंडा के अलावा कुछ नहीं जाते हैं। लेकिन कुछ हज़ार की संख्या में पाठक अख़बार लें मगर उनकी समीक्षा के लिए। उनकी ख़बरों की एक एक बात को गहराई से देखें और हर दिन ट्विटर से लेकर इंस्टाग्राम पर उनकी तस्वीर लगाकर समीक्षा करें। पाठक और दर्शक का अपना आंदोलन चलना चाहिए।

हर दिन कुछ पाठक दैनिक जागरण तो कुछ अमर उजाला, कुछ दैनिक हिन्दुस्तान तो कुछ भास्कर का अध्ययन करें। यह काम विपक्ष के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी करना चाहिए। बीजेपी और विपक्ष की ख़बरों की हर मामले में तुलना करें। आपस में चर्चा करें और सोशल मीडिया पर बताएँ कि कैसे एक अख़बार किसी एक के पक्ष में धार्मिक बयान को मोटे अक्षरों में छाप रहा है। कैसे सभी अख़बारों में किसी एक दल के फ़ायदे के लिए सभी धार्मिक बयानों को प्रमुखता से छापा जा रहा है। कैसे इन बयानों को छापने के लिए तरह तरह के नए संगठन और धर्म गुरु सामने लाए जा रहे हैं।

इसी तरह। राजनीतिक विज्ञापनों की भी तुलना करें। बीजेपी से लेकर सपा और कांग्रेस सबके विज्ञापन की। उनमें क्या है और उनकी संख्या कितनी है। अख़बार में छपने वाली रैलियों की तस्वीर की भी तुलना करें।अगर इस तरह की समीक्षा आप पाठकों ने कर दी तो जनता यूपी चुनाव के बहाने मीडिया को और बेहतर तरीक़े से समझेगी।

ऐसा कर आप हम पत्रकारों की बहुत मदद करेंगे। न्यूज़ रुम का माहौल बदलेगा कि जनता समझदार हो गई है। इस मीडिया पर बिल्कुल भरोसा न करें। बल्कि इस लाइन को गाँव गाँव की दीवारों पर लिख दें मगर लिखने से पहले चुनाव आयोग से इजाज़त ले लें क्योंकि नारे लिखने पर कार्रवाई हो सकती है। लेकिन सोशल मीडिया पर आप लिख सकते हैं। अगर ये आंदोलन चल पड़ा तो फिर से पत्रकारों के हाथ में कलम आ जाएगी और जनता के हाथ में अधिकार। मृत मतदाता जीवित हो उठेगा और लोकतंत्र जीवंत।

राबड़ी के बहाने सुशील मोदी ने ठाकरे पर साधा निशाना

महाराष्ट्र पुलिस ने किया राबड़ी देवी का अपमान, उद्धव ठाकरे से बात करें लालू-सुशील कुमार मोदी

पूर्व मुख्यमंत्री के प्रति पूरा सम्मान, उनसे किसी मराठी की तुलना अपमान कैसे?

  1. महाराष्ट्र में भाजपा सोशल मीडिया सेल के प्रभारी ने यदि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे को “मराठी राबड़ी देवी’ कहा और इसे ‘अपमान’ या ‘गाली’ मान कर वहां की पुलिस ने कार्रवाई की, तो राजद को कांग्रेस, शिवसेना और महाराष्ट्र सरकार से अपना विरोध प्रकट करना चाहिए।
    ठाकरे सरकार बताये कि बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री का नाम क्या कोई असंसदीय शब्द है?
  1. भाजपा जानना चाहती है कि क्या महाराष्ट्र पुलिस राबड़ी देवी जी को ऐसी सम्मानित महिला नहीं मानती, जिससे किसी मराठी की तुलना की जा सके ?
    राबड़ी देवी का अपमान वह महाराष्ट्र पुलिस कर रही है, जिसने सुशांत सिंह राजपूत के मामले में लीपापोती की और जिस पर 100 करोड़ रुपये महीने की अवैध वसूली के दाग लगे हैं।
  2. राबड़ी देवी से भाजपा के राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं और भले ही उन्होंने कभी बिहार के एक राज्यपाल के प्रति अमर्यादित शब्दों का प्रयोग भी किया हो, लेकिन हमारी पार्टी सदा उनका सम्मान करती है।
    यदि हिम्मत है तो लालू प्रसाद इस मुद्दे पर सोनिया गाँधी या उद्धव ठाकरे से बात करें।
    राजद बेवजह भाजपा को निशाना बना रहा है।

चुनाव आयोग ने शनिवार को 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया।

चुनाव आयोग ने शनिवार को 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया और इसके साथ ही इन पांच राज्यों में आज से आदर्श आचार संहिता लागू हो गया । उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में 7 चरणों में चुनाव होगा।

शुरुआत 10 फरवरी को उत्तर प्रदेश से होगी। सभी राज्यों के चुनावों के नतीजे 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे।

चुनाव आयोग ने कहा कि कोरोना के बीच 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में सख्त प्रोटोकॉल का पालन कराया जाएगा। 15 जनवरी तक किसी भी तरह के रोड शो, रैली, पद यात्रा, साइकिल और स्कूटर रैली की इजाजत नहीं होगी। वर्चुअल रैली के जरिए ही चुनाव प्रचार की इजाजत होगी। जीत के बाद किसी तरह के विजय जुलूस भी नहीं निकाला जाएगा।

मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि देश में 5 राज्यों की 690 विधानसभाओं में चुनाव कराए जाएंगे। 18.34 करोड़ मतदाता चुनाव में हिस्सा लेंगे। कोरोना के बीच चुनाव कराने के लिए नए प्रोटोकॉल लागू किए जाएंगे। सभी चुनाव कर्मियों को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगी होगी। जिन्हें जरूरत होगी, उन्हें प्रिकॉशन डोज भी लगाई जाएगी।

5 राज्यों के विधानसभा चुनाव का शेड्यूल

पहला चरण: 10 फरवरी
उत्तर प्रदेश
दूसरा चरण: 14 फरवरी
उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा
तीसरा चरण: 20 फरवरी
उत्तर प्रदेश
चौथा चरण: 23 फरवरी
उत्तर प्रदेश
पांचवा चरण: 27 फरवरी
उत्तर प्रदेश, मणिपुर
छठवां चरण: 3 मार्च
उत्तर प्रदेश, मणिपुर
सातवां चरण: 7 मार्च
उत्तर प्रदेश

नतीजे: 10 मार्च

अब तक की बड़ी बातें

  1. कोरोना के बीच चुनाव चुनौतीपूर्ण-नए कोविड प्रोटोकॉल लागू होंगे।
  2. कोरोना संक्रमित भी वोट डाल सकेंगे- मरीजों को पोस्टल बैलेट की सुविधा।
  3. 16% पोलिंग बूथ बढ़ाए गए हैं। 2.15 लाख से ज्यादा पोलिंग स्टेशन बने हैं।
  4. एक पोलिंग स्टेशन पर मैक्सिमम वोटर्स की संख्या 1500 से 1250।
  5. चुनावी खर्च की सीमा बढ़ाई गई, बड़े राज्यों में अब 40 लाख रुपए।
    राजनीतिक दलों के लिए गाइडलाइंस
  6. सभी कार्यक्रमों की वीडियोग्राफी कराई जाएगी।
  7. दलों को अपने उम्मीदवारों की आपराधिक रिकॉर्ड की घोषणा करनी होगी।
  8. उम्मीदवार को भी आपराधिक इतिहास बताना होगा।
  9. यूपी, पंजाब और उत्तराखंड में 40 लाख रुपए हर कैंडिडेट खर्च कर पाएगा।
  10. मणिपुर और गोवा में यह खर्च सीमा 28 लाख रुपए होगी।

बिहार में खाद को लेकर किसानों का हंगामा जारी

बिहार में खाद को लेकर संग्राम जारी है दो सप्ताह पहले तक डीएपी खाद को लेकर किसान परेशान था अब यूरिया खाद को लेकर किसान परेशान है ।इस बीच अररिया के किसानों को खाद नहीं मिलने की वजह से शनिवार की सुबह सैकड़ों की संख्या में किसानों ने टाउन हॉल के समीप सड़क को जाम कर दिया और खाद उपलब्ध कराने की मांग करने लगे।

बिहार में खाद के लिए सड़क पर उतरे किसान

जीरोमाइल से चांदनी चौक जाने वाली मुख्य मार्ग जाम हो जाने से सैकड़ों वाहन का जाम मे फस गया और आवागमन बाधित हो गया है। जिससे जाम की समस्या उत्पन्न हो गई। मामले की जानकारी मिलते ही अररिया SDO पुष्कर कुमार नगर थाना अध्यक्ष कुमार अभिनव दल बल के साथ पहुंचे और प्रदर्शन कर रहे किसानों को समझा बुझाकर शांत कराया।

इस मौके पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आरोप लगाया कि यूरिया प्रति बोरा 266 का दाम है लेकिन खाल दुकानदार के द्वारा 300 से 400 में यूरिया बेचा जा रहा है। प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बताया कि जब वह लोग सरकारी दाम पर यूरिया देने की मांग करने लगे तो खाद दुकानदार दुकान बंद कर फरार हो गया। जिसके बाद आक्रोशित किसानों ने सड़क जाम कर दीया और सड़क पर टायर जलाकर प्रदर्शन करने लगे।

खाद को लेकर बिहार में गुस्से में है किसान


यह स्थिति पूरे बिहार का है पहले डीएपी को लेकर हंगामा था अब यूरिया को लेकर हंगामा है हालांकि खाद को लेकर इस तरह की परेशानी काफी दिनों बाद देखने को मिल रहा है ।

बिहार में दूसरी लहर से भी तेज गति से बढ़ रहा है कोरोना।

सीमित लॉकडाउन के बावजूद बिहार में कोरोना का लहर बेकाबू होता जा रहा है इस बीच बिहार में कोरोना के फैलाव का जो आकड़ा सामने आ रहा है वह चिंता बढ़ाने वाली है दूसरे और तीसरे लहर के आंकड़ों के अध्ययन से यह खुलासा हुआ है कि शुरुआती 15 दिनों में दूसरी लहर की तुलना में तीसरी लहर में संक्रमण दर 1.5 गुना ज्यादा है ।

दूसरी लहर में 15 दिनों 22 मार्च से 05 अप्रैल के बीच 5410 संक्रमित मरीज जांच में सामने आया था वही इस बार 24 दिसंबर से 07 जनवरी के बाच 9447 संक्रमित मरीज जांच में सामने आया है वही बात जांच के प्रतिशत की कड़े तो 10 मरीज में 1.64 मरीज संक्रमित पाये जा रहे हैं साथ ही मरीज के भर्ती होने कि बात करे तो यहां भी दूसरी लहर से ज्यादा लोग अभी तक भर्ती हो चुके हैं वही अभी तक बिहार में तीन लोगों की मौत कोरोना से हो चुकी है।

वही बीते 24 घंटे में पटना AIIMS में 6 साल की मासूम के साथ 33 नए मरीज भर्ती हुए हैं। संक्रमण के मामले जिस तरह से बढ़ रहे हैं उसी हिसाब से हॉस्पिटल में भी भीड़ बढ़ रही है।

बात रिकवरी रेट की करे तो बिहार में रिकवरी रेट में भी गिरावट आनी शुरु हो गयी है। अब यह 97.20% पहुंच गई है। अब तक राज्य में कुल 7,35,852 लोग संक्रमित हुए हैं, जिसमें 7,15,262 मरीजों ने कोरोना को मात दी है। अब तक राज्य में 12,100 लोगों की मौत हो चुकी है।

शनिवार को राजद कार्यालय में हुई जांच में 8 लोग पॉजिटिव पाए गए। इसके बाद एहतियात के तौर पर ऑफिस को बंद किया गया है। वहीं, इस संबंध में राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि हमारे सभी कर्मचारी और पदाधिकारी कोविड जांच में सुरक्षित पाए गए हैं। लेकिन, पोर्टल के कुछ लोग पॉजिटिव पाए गए हैं। कोरोना की बढ़ती स्थिति को देखते हुए राजद कार्यालय अगले आदेश तक के लिए बंद किया गया है।

नीतीश के गुगली में एक बार फिर फंसा बीजेपी

नीतीश बिहार की राजनीति के चाणक्य हैं ये कई मौके पर साबित कर चुके हैं और एक बार फिर जातीय जनगणना पर बयान देकर बीजेपी सहित सारे विपंक्ष को बैकफुट पर खड़ा कर दिया है।

बिहार की राजनीति में इस वक्त राजनीतिक समझ और उस समझ के सहारे सौदेबाजी में नीतीश कुमार के सामने दूर दूर तक कोई नहीं है ।सुशील मोदी में वो समझ था लेकिन नीतीश कुमार के प्रभामंडल से वो कभी बाहर नहीं निकल सके और इस वजह से बीजेपी बिहार में स्वतंत्र निर्णय लेने कि स्थिति में अभी भी नहीं है।

लालू प्रसाद नीतीश से बेहतर खिलाड़ी हैं लेकिन सत्ता लोलुपता में इस तरह फंसे हुए हैं कि नीतीश की राजनीति को कैसे पराजित करें इस और सोचना ही छोड़ दिया है।

जगतानंद सिंह बेहतर प्रशासक हैं लेकिन राजनीति की वो समझदारी नहीं है, शिवानंद तिवारी में वो आग है लेकिन पार्टी में वो स्थिति नहीं है। बात मनोज झा की करे तो उनकी समझ प्रशांत किशोर वाली है डाटा बेस । और बात बिहार बीजेपी कि करे तो राजनीति की समझ मामले में ऐसी बैंक क्रप्सी पहले कभी नहीं रही है बीजेपी का राज्य और केंद्रीय नेतृत्व इस डर से अभी भी बाहर निकल पा रही है कि कही नीतीश साथ ना छोड़ दे ।

नीतीश कुमार इसी का लाभ उठा रहे हैं और जब बीजेपी से कुछ शर्त मनमानी रहती है तो चलते चलते ऐसा बयान दे देते हैं कि राजद उसमें फंस जाता है और बीजेपी सहम जाता है । याद करिए राज्यपाल कोटे से विधान परिषद सदस्यों के मनोनयन का समय था उस वक्त नीतीश कुमार ने इसी तरह का पिटारा खोल दिया क्या हुआ बीजेपी को मनोनयन में नीतीश के 50 प्रतिशत वाली शर्त माननी पड़ी।

अगले माह बिहार विधान परिषद के 24 सीटों का चुनाव होना है 2015 की बात करे तो उस चुनाव में भाजपा को 11, जदयू को 5, लोजपा को 1, कांग्रेस को 1, राजद को 4 सीटों पर जीत मिली थी बाद में भोजपुर के राधा चरण साह, मुंगेर के संजय प्रसाद और सीतामढ़ी के दिलीप राय राजद छोड़कर जदयू में आ गये वही पूर्वी चंपारण से कांग्रेस के टिकट पर जीते राजेश राम भी जदयू का दामन थाम लिया।


कटिहार से निर्दलीय जीते अशोक अग्रवाल और सहरसा से लोजपा के टिकट पर जीतीं नूतन सिंह भाजपा का दामन थाम ली इस तरह.बदलाव के बाद भाजपा में 13 और जदयू में 9 सदस्य है। नीतीश यहां भी 50–50 का फॉर्मूला चाहते हैं और इसी को ध्यान में रखते हुए नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना के जीन को पिटारा से बाहर निकाल दिया है और कहा बिहार बीजेपी में जातीय जनगणना को लेकर अभी तक सहमति नहीं बनी है जिस दिन सहमति बन जायेंगी सर्वदलीय बैठक की तिथि तय हो जायेंगी ।

नीतीश का यह बयान सही निशाने पर लगा है और राजद आगे आकर समर्थन देने तक की बात कह दी हालांकि बीजेपी का अधिकारिक बयान अभी तक नहीं आया है लेकिन मंत्री नीरज सिंह का बयान पहली बार ऐसा लगा कि बीजेपी नीतीश से अलग स्टैंड लेने पर विचार कर रही है लेकिन मंत्री नीरज सिंह का बयान उतना महत्व नहीं रखता जब तक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष या फिर बिहार बीजेपी के प्रभारी का बयान नहीं आता है लेकिन राजद के बयान से इतना तो जरुर हो गया है कि नीतीश एक बार फिर बीजेपी के साथ सौदेबाजी कर सकता है और तय मानिए कि बिहार विधान परिषद का 50-50 का फॉर्मूला का दांव एक बार फिर नीतीश के पक्ष में होगा ।

नीट परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक-सुशील मोदी

नीट-पीजी एवं यूजी में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला गरीबों की ऐतिहासिक जीत – सुशील कुमार मोदी

  1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने नीट-पीजी एवं यूजी के ऑल इंडिया कोटा में पहली बार ओबीसी को 27 फीसद और सामान्य वर्ग के गरीब छात्रों को 10 फीसद आरक्षण देने का फैसला किया था।
    अत्यंत प्रसन्नता की बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों वर्गों के छात्र-छात्राओं को दाखिले में आरक्षण देने के सरकार के फैसले को बहाल रखा।
    इससे मेडिकल के स्नातक और परास्नातक ( यूजी-पीजी) पाठ्यक्रम में नामांकन चाहने वाले 4 हजार से ज्यादा छात्रों को लाभ होगा।
  2. नीट-पीजी एवं यूजी में नामांकन के 15 प्रतिशत केंद्रीय कोटा में आरक्षण देने के फैसले को जब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, तब सरकार ने मजबूती से अपना पक्ष रखा।
    इस मुद्दे पर अदालत का ताजा निर्णय सभी वर्ग के गरीबों के हित में एक ऐतिहासिक विजय है।
  3. सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के लिए पारिवारिक वार्षिक आय की 8 लाख की सीमा को भी स्वीकार किया है।
    इससे नीट-पीजी काउंसलिंग में गतिरोध खत्म होगा।