लालू प्रसाद पटना रवाना होने से पहले मीडिया से बात करते हुए कहाँ कि गठबंधन क्या होता है कांग्रेस को जमानत जप्त कराने के लिए टिकट नहीं दे देते ।
बिहात कांग्रेस प्रभारी को जमीनी हकीकत पता नहीं ।
परिवार के टूट पर कहाँ ऐसा कुछ भी नहीं है ।
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बिहार विधानसभा के उपचुनाव में जिन दो सीटों पर चुनाव हो रहा है वहां एक बार फिर बीजेपी के कोड़ वोटर बनिया किस ओर करवट लेता है उस पर सबकी नजर है क्यों कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में बड़े स्तर पर बनिया वोटर बीजेपी का साथ छोड़ दिया था और इस वजह से राजद के टिकट पर मुजफ्फरपुर,शेरघाटी,सासाराम मोरवा ,मधुबनी से बनिया विधायक बना इतना ही नहीं कई सीटों पर निर्दलीय खड़े होकर एनडीए को नुकसान भी पहुंचाया। सुशील मोदी,संजय जयसवाल और तारकेश्वर प्रसाद की प्रतिष्ठा दांव पर
बिहार विधानसभा के उपचुनाव में जिन दो सीटों पर मतदान हो रहा है वहां एनडीए और राजद दोनों के लिए करो या मरो वाली स्थिति है दोनों दल अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया है फिर भी बीजेपी का कोर वोटर बनिया तारापुर और कुशेश्वर स्थान में एनडीए के साथ नहीं है, तारापुर में राजद तो बनिया जाति के उम्मीदवार को टिकट देकर एनडीए को पसीना छुड़ा दिया है और अभी तक जो स्थिति है जिसमें जदयू काफी पीछे चल रहा है।
कुशेश्वर स्थान विधानसभा में भी पहली बार कुशेश्वर स्थान बाजार के साथ साथ जो दो तीन गांव बनिया का है वो दो भागों में बंटा हुआ है ,एक बड़ा हिस्सा राजद के साथ भी है,कुछ कांग्रेस के साथ भी है बिखराव साफ दिख रहा है हालांकि बीजेपी अपने तमाम बड़े बनिया नेता को तारापुर और कुशेश्वर स्थान में कैप कराये हुए हैं लेकिन बहुत कुछ प्रभाव नहीं पड़ रहा है।
एनडीए के सरकार में भी बिहार में बनिया सुरक्षित नहीं है बिहार बीजेपी की बात करे तो बनिया जाति का इससे पहले इतने बड़े पद पर एक साथ इस तरह का प्रतिनिधित्व पहले कभी नहीं मिला प्रदेश अध्यक्ष बनिया ,उप मुख्यमंत्री बनिया ,इसके अलावा दो दो मंत्री प्रमोद कुमार और श्री नारायण के साथ सुशील मोदी फिर भी बनिया क्यों बीजेपी से दूरी बनाने लगे हैं इन सवालों का जवाब आपको उन इलाकों में जाने के बाद मिलेगा जहां बनिया एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ जुड़ा है ।
बिहार में एनडीए का कोर वोटर बनिया क्यों बीजेपी का साथ छोड़ रहा है इस पर जब बात शुरू हुई तो उन्होंने कहा कि अब हम लोग भी मुसलमान हो गये हैं एनडीए की सरकार बिहार में है देख लीजिए हर दिन बिहार में बनिया के साथ किस तरह की घटनाएं घट रही है आज भी हत्याएं हो रही है. अपहरण हो रहा है ,रंगदारी मांगी जाती है ,लूट हो रही है ।
लेकिन पुलिस के पास जाइए कोई मदद नहीं मिलता है ऐसे में बिहार का व्यापारी वर्ग को लग रहा है कि एनडीए के साथ रहने से कोई सुरक्षा नहीं है इसलिए जैसे 30 वर्षो से बिहार में जिस वोटिंग समीकरण के सहारे मुसलमान सुरक्षित हैं उसी तरह जहां जहां का व्यापारी समुदाय एनडीए से दूरी बनाया है वहां उसी समीकरण के सहारे सुरक्षित महसूस कर रहा है और शांति से अपना काम धंधा चला रहा है ।देख लीजिए 2020 चुनाव में जहां जहां बनिया एनडीए का साथ छोड़ा है उन इलाकों में बनिया कितना अमन शांति के साथ जी रहा है इसलिए अब हम लोग बिहार में एनडीए से दूरी बढ़ते जा रहे हैं फिर राजद हमलोगों के समाज से जुड़े लोगों को टिकट भी दे रहा है ।
छिटपुट घटनाओं को छोड़ कर बिहार पंचायत चुनाव के पांचवे चरण का मतदान शांतिपूर्ण ढंग चल रहा है दोपहर एक बजे तक 30 से 35 प्रतिशत वोटिंग की खबर है । इस चरण में 38 जिलों के 58 प्रखंडों में मतदान हो रहा है। इसके लिए 12056 मतदान केंद्रों पर मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। पांचवे चरण में 67 लाख 46 हजार 545 मतदाता अपना वोट डालेंगे। इनमें 35 लाख 38 हजार 500 पुरुष, 32 लाख 07 हजार 791 महिला एवं 254 अन्य मतदाता शामिल हैं।
26091 सीटों पर हो रहे हैं चुनाव
पांचवें चरण में कुल 26091 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं। इनमें ग्राम पंचायत सदस्य के 11,553, मुखिया के 845, पंचायत समिति सदस्य के 1171, जिला परिषद सदस्य के 124, ग्राम कचहरी पंच के 11,553 एवं ग्राम कचहरी सरपंच के 845 सीटें शामिल हैं। इस चरण में 92 हजार 972 उम्मीदवार मैदान में हैं।
मतदाताओं की संख्या
पांचवे चरण में 35 लाख 38 हजार 500 पुरुष , जबकि 32 लाख सात हजार 791 महिला मतदाता शामिल हैं. कुल 67 लाख 46 हजार 545 मतदाता वोट करेंगे.
67 लाख 46 हजार 545 मतदाता
निर्वाचन आयोग की ओर से 7,810 भवनों में 12,056 बूथों की स्थापना की गयी है. इस चरण के मतदान में 67 लाख 46 हजार 545 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.
पंचायत चुनाव के दौरान क्या खास रहा
दिन के एक बजे तक 35 से 40 प्रतिशत वोटिंग होने की सूचना है ।
1—बगहा में बूथ संख्या तीन पर ईवीएम खराब होने के कारण 1 घंटे की देरी से वोटिंग शुरू हुई।
2—शेखपुरा में एक बूथ की लूट की घटना के बाद सरपंच व पंच के चुनाव को रद्द करने की सिफारिश चुनाव आयोग से की गई है।
3—रोसड़ा में मतदान शांतिपूर्वक चल रहा है। भिरहा पूरब पंचायत स्थित मतदान केंद्र संख्या 118 पर सीयू में खराबी के कारण करीब डेढ़ घंटा विलंब से मतदान प्रारंभ हो सका।
4—-मोतिहारी के पताही में एक बूथ पर ड्यूटी कर रहे एक मतदान कर्मी की हृदय गति रूकने से मौत हो गई। घटना पताही प्रखंड क्षेत्र की बखरी पंचायत के उत्क्रमित मध्य विद्यालय चम्पापर के मतदान केंद्र संख्या 159 पर हुई। मृत मतदान कर्मी वंशीधर राम (56) था। उधर, भभुआ के बूथ 117 पर एक वृद्ध महिला वोटर की मौत हो गई।
5— अररिया के कई बूथों पर कीचड़ व जल जमाव होने के बावजूद बड़ी संख्यां में मतदाता मतदान करने पहुंचे। इसमें महिलाओं की भी अच्छी खासी संख्या थी।
6—वैशाली जिले के बिदुपुर प्रखंड अंतर्गत सैदपुर गणेश पंचायत के मुखिया प्रत्याशी अभिषेक कुमार को चाकू मारकर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया गया है। उनका इलाज हाजीपुर सदर अस्पताल में चल रहा है।
7—वैशाली जिले में पुलिस और समर्थकों के बीच कहासुनी हो गयी. बिदुपुर प्रखंड के शीतलपुर कमालपुर पंचायत में मतदान केंद्र संख्या 176 पर पोलिंग एजेंट का मोबाइल पुलिस ने जब्त कर लिया जिसे लेकर विवाद छिड़ गया और वोट बहिष्कार किया जाने लगा.
8—मोतिहारी: पताही प्रखंड क्षेत्र के जिहुली पंचायत स्थित उच्च विद्यालय जंगली दक्षिणी भाग के मतदान केंद्र संख्या 133 बूथ संख्या 6 पर वार्ड सदस्य के ईवीएम का बदलाव हो गया है. वार्ड नंबर 6 के वार्ड सदस्य पद के लिए 4 अभ्यर्थी है जबकि ईवीएम में 3 अभ्यर्थी का नाम अंकित है. वार्ड नंबर 6 के वार्ड सदस्य के किसी भी अभ्यर्थी के नाम उस ईवीएम में अंकित नहीं है. यहां वोटिंग शुरू होने में देरी हो सकती है.
राम मोहम्मद सिंह आज़ाद और शहीद उधम सिंह का आज का भारत
जिस समय शूजीत सरकार की फ़िल्म उधम सिंह देखी जा रही है, वह समय उन आदर्शों के ख़िलाफ़ हो चुका है जिसमें कोई क्रांतिकारी अपने हाथ पर गुदवा ले कि उसका नाम राम मोहम्मद सिंह आज़ाद है। सिर्फ़ इस एक बात से न्यूज़ चैनल और आई टी सेल हमला कर देते कि यह क्रांतिकारी झूठा है। हिन्दू मुस्लिम खाँचे में जनता के सोचने की शक्ति का इस तरह विभाजन कर दिया गया है कि मैं बार बार उसी दृश्य पर अटका रहा जब शहीद उधम सिंह अपनी क़मीज़ की बाँह खींच कर राम मोहम्मद सिंह आज़ाद लिखा दिखाते हैं।
मेरा सवाल इस फ़िल्म से बाहर का है। अपने अपने लैपटॉप पर देख रहे दर्शकों ने इस एक दृश्य को कैसे देखा होगा। क्या उनके भीतर कुछ कौंधा होगा? इस दृश्य को देखते समय क्या वे उधम सिंह से नज़र मिला पाए होंगे, क्या ख़ुद से नज़र मिला सके होंगे? बेहद ईमानदारी से बनाई गई इस फ़िल्म को देखते वक़्त दर्शकों ने अपनी राजनीतिक बेईमानी को किस तरह ढाँका होगा? क्या उन्हें किसी तरह का नैतिक संकट नहीं हुआ होगा?
जिस वक़्त में प्यार लव जिहाद हो गया हो, प्रेम करने वाले जोड़ों के बीच एक ख़ास मज़हब के प्रेमी की पहचान के लिए एंटी रोमियो दस्ता बनाने की बात हुई हो उस वक़्त में लंदन की अदालत में हीर-रांझा किताब पर हाथ रख कर शपथ लेते हुए उधम सिंह को देख कर क्या लोग उसका मतलब समझ पा रहे थे? प्रेम की महानगाथा की यह किताब उधम सिंह के जीवन के केंद्र में हैं जिसमें वे मज़दूर से लेकर मालिक तक के डर को एक व्यापक नज़रिए से देखते हैं जिसे आज कल कम्युनिस्ट कह कर दुत्कारा जाता है। प्रेम के तमाम प्रसंगों को निकाल दिए जाएँ तो उधम सिंह की कहानी में कुछ नहीं बचता है।
सवाल है कि उधम सिंह के जीवन से जुड़ी जो मान्यताएँ थीं, वो सारी की सारी कुचली जा चुकी हैं। आज का समाज और नौजवान उससे मुक्त हो चुका है। उसके भीतर राम मोहम्मद सिंह आज़ाद की कल्पना हो ही नहीं सकती। उस दृश्य को देखते हुए क्या उसकी कल्पनाएँ कौंध गई होंगी, क्या उसे शर्म आई होगी? हर फ़िल्म और फ़िल्म का कोई दृश्य लंबे समय तक दिमाग़ पर छाया रहता है। देखने वालों की कल्पनाओं का विस्तार करता रहता है।सांप्रदायिक नफ़रत से भरी जनता ने उधम सिंह को देखते हुए ख़ुद को कैसे देखे होगा? एक बेहद बेईमान समय में बेहद ईमानदारी से बनी फ़िल्म की बात इसीलिए इतनी कम हो रही है।
हमने शहीदों को मूर्तियों में बदल दिया है। दिवसों के नाम पर कर्मकांड विकसित कर लिए हैं। दिन गुज़रता नहीं है कि हम दूसरे की जयंती मनाने की तैयारी करने लग जाते हैं। याद करना भी भूलना जैसा ही है। एक दर्शक उधम सिंह की ज़िंदगी को फ़िल्म से पहले जितना कम जानता होगा, फ़िल्म देखने के दौरान और उसके बाद और अनजान हो गया होगा। दिन भर वह व्हाट्स एप में मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत की बातें करते हैं, वह उधम सिंह के जीवन की गाथा को कैसे समझ पाएगा।
शूजीत सरकार ने एक अच्छी फ़िल्म बनाई है। किसी भी संकट के समय यह बात होती है कि बॉलीवुड चुप है। ठीक बात भी है। लेकिन यह भी देखना चाहिए कि कोई सचेत फ़िल्मकार इसी घुटन भरे वक़्त में किस तरह की फ़िल्म बना रहा है। कैसी कहानियों को दर्शकों के बीच रखता है। उधम सिंह बनाकर शूजीत सरकार ने यही काम किया है। बोला है। यह जानते हुए कि आज के नौजवानों की जवानी की कोई कहानी नहीं हैं, उनके बस की बात नहीं है उधम सिंह के जीवन के मर्म को समझना, फिर भी शूजीत ने यह फ़िल्म बनाई है। विक्की कौशल को उनके जीवन का शानदार अभिनय का अवसर दिया। एक ऐसे शहीद के जीवन के बारे में विस्तार से और बिना किसी नाटकीय और फ़िल्मी गीतों के हमारे सामने रखने के लिए शूजीत का शुक्रिया।
जलियाँवाला बाग़ की घटना फ़िल्म के पर्दे पर विस्तार पा रही है। इसके पहले की फ़िल्मों में इस घटना को संक्षेप में ही रखा गया है। फ़िल्म का हिस्सा बनाकर लेकिन इस फ़िल्म में जलियाँवाला बाग़ एक फ़िल्म के बराबर का हिस्सा पाती है। जिस घटना ने इस महान शख़्स को प्रभावित किया, जिसके कारण वे कई साल का सब्र करते हैं और ड्वायर को मार देते हैं। मारने से पहले लंदन में तरह तरह के काम करते हैं, ड्वायर के घर में काम करते हैं। बिना जलियाँवाला बाग़ को विस्तार से दिखाए शूजीत सरकार कोई रोचक फ़िल्म बना सकते थे मगर वह फ़िल्म नहीं होती। जलियाँवाला बाग़ की कहानी अब भी अधूरी है। एक पूरी फ़िल्म का इंतज़ार कर रही है।
ऐनी फारुकी और महमूद फारुकी की दास्तानगोई में जलियाँवाला बाग़ का एक प्रसंग है। कुचा रामदास की चार महिलाएं जलियाँवाला बाग़ से होकर गुज़रना चाहती थीं।इनमें से दो मुसलमान थीं, एक सिख और एक हिन्दू।भत्तल बेगम, पारो, शाम कौर, ज़ैनब। चारों ने डायर के सिपाहियों के आदेश को मानने से इंकार कर दिया और उनकी गोली से शहीद हो गईं। भत्तल बेगम, पारो, शाम कौर और ज़ैनब का हिन्दुस्तान कितना बदल गया है। उसे अब ये गली सेल्फी स्पाट नज़र आने लगी है। काश यह प्रसंग इस फ़िल्म का हिस्सा होता जो शहीद उधम सिंह के राम मोहम्मद सिंह आज़ाद के मर्म को और विस्तार मिलता।
शहीद उधम सिंह फ़िल्म देखिएगा। वैसे देखने की योग्यता तो तय नहीं की जा सकती लेकिन आपको पता चलेगा कि आप फ़िल्म से नज़र मिलाने के लायक़ हैं या नहीं। बोल कर देखिएगा, शहीद उधम सिंह ज़िंदाबाद। शहीद उधम सिंह ज़िंदाबाद फिर पूछिएगा कि ईमानदारी से निकला या कर्मकांड की तरह निकल गया।
आज के सांप्रदायिक और डरपोक नौजवानों तुम्हारी कोई कहानी नहीं है तुम उधम सिंह की कहानी को कैसे देखोगे। यही सोचता रहा और फ़िल्म देख गया।
लेखक–रवीश कुमार
अब मरीजों को सप्ताह में छह दिन मिलेगी ई-संजीवनी टेलीमेडिसीन की सेवाएं । पटना। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवा का विस्तार कर दिया गया है। अब eSanjeevani.in और eSanjeevani OPD की सेवाएं सप्ताह में छह दिन उपलब्ध रहेंगी।
श्री पांडेय ने कहा कि पहले ई-संजीवनी इन के माध्यम से सोमवार, गुरुवार एवं शनिवार तथा ई-संजीवनी ओपीडी के माध्यम से प्रत्येक मंगलवार, बुधवार एवं शुक्रवार को मिलती थी। अब दोनों माध्यम से सेवा सोमवार से शनिवार तक मिलेगी। इसके साथ ही सेवा की कार्यावधि को सुबह 9 बजे से बढ़ाकर 4 बजे तक कर दी गयी है, जबकि पहले सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक यह सेवाएं मिल रही थी।
श्री पांडेय ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा दूर दराज के क्षेत्रों में रहने वाले वाले लोगों को टेलीमेडिसीन ( eSanjeevani.in और eSanjeevani OPD) के माध्यम से चिकित्सकीय परामर्श उपलब्ध कराया जा रहा है। ई-संजीवनी समग्र रूप से जमीनी स्तर पर डाक्टरों और चिकित्सा विशेषज्ञों की कमी को दूर कर रही है। यही नहीं माध्यमिक और तृतीयक स्तर के अस्पतालों पर मरीजों का बोझ भी कम पड़ रहा है।
श्री पांडेय ने कहा कि इस सेवा का लाभ अधिक से अधिक लोगों उपलब्ध हो सके, इसके लिए विभाग निरंतर प्रयास कर रहा है। इसके लिए जिलों के सभी प्रखण्डों में कम से कम दो स्पोक्स स्थापित किये जाएंगे।
लीज्ड रेलवे पार्सल वैन के माध्यम से अवैध रूप से मालों के परिवहन तथा गया में फर्निशिंग हाउस के एक बड़े व्यापारी के विरुद्ध वाणिज्य कर विभाग की बड़ी कार्रवाई
वाणिज्य कर विभाग, बिहार डाटा एनालिटिक्स एवं ह्यूमन/मार्केट इंटेलिजेंस के आधार पर कर अपवंचना की रोकथाम हेतु लगातार प्रयासरत है। इसी क्रम में विभाग की आयुक्त-सह-सचिव के निदेशानुसार शनिवार को कर अपवंचकों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की गयी ।
गया के फर्निशिंग मेटेरियल के एक बड़े व्यापारी के यहां दिनांक २३.१०.२१ को निरीक्षण किया गया। व्यवसाई मुख्यतः पर्दा, mattress, doormat, बेडशीट, तिरपाल इत्यादि का व्यापार करते हैं। उनके खिलाफ लगातार शिकायत प्राप्त हो रही थी कि उनके
द्वारा बड़े पैमाने पर कर की चोरी की जा रही है। निरीक्षण के क्रम में कई प्रकार की अनियमितता प्रकाश में आई। फर्निशिंग शॉप के द्वारा ना तो किसी प्रकार का इनवॉयस/बिल निर्गत किया जा रहा है, ना हीं कोई लेखापुस्त संधारित पाया गया। साथ हीं इस प्रतिष्ठान के एक undeclared godown का भी पता चला जो इस फर्म के निबंधन में कहीं दर्ज नहीं है। इन अनिमितताओं के आधार पर इनके लाखों के माल को जब्त भी किया गया है।
विभाग द्वारा मालों के परिवहन के क्रम में हो रही कर-अपवंचना को रोकने हेतु परिवहन के विभिन्न स्थानों पर पैनी नज़र रखी जा रही है। विश्वसनीय स्रोंतों से प्राप्त जानकारी के आधार पर दिनांक 23.10.21 को राजेंद्र नगर टर्मिनल पर बिना वैध दस्तावेजों के करोड़ों के माल को ले जा रहे रेलवे वीपी का पता लगाया गया।
जांच के क्रम में परिवहन हेतु वांछनीय कागजात प्रस्तुत नहीं किये गए। चूंकि इन मालों को जीएसटी प्रावधानों का अनुपालन किए बिना परिवहित किया जा रहा था, अतः इन मालों को तत्काल स्तंभित किया गया है। जब्त मालों में बड़ी संख्या में readymade garments, इलेक्ट्रॉनिक गुड्स इत्यादि मौजूद हैं। यह रेलवे वीपी दिल्ली से पटना आ रही थी।
विभाग की आयुक्त-सह-सचिव द्वारा बताया गया कि दोनों ही मामलों में विस्तृत अन्वेषण के उपरांत कर अपवंचकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी तथा उनसे टैक्स एवं शास्ति की राशि वसूली जाएगी।
बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री तारकिशोर प्रसाद आज तारापुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत संग्रामपुर इलाके में जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संग्रामपुर की जनता राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ है। 30 अक्टूबर को होने वाले उप चुनाव के मतदान में डपोरशंखी विपक्ष को सबक सिखाएगी।
उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता कहते हैं कि उपचुनाव जीतकर खेला करेंगे, मुझे तो समझ में नहीं आता कि जिसके घर में खेला हो रहा हो, कोई मछली मार रहा हो, कोई बांसुरी बजा रहा हो, इन सब चीजों को तारापुर की जनता देख रही है। उन्होंने कहा कि जिससे अपना परिवार नहीं संभल सकता वे क्षेत्र और राज्य को क्या संभालेंगे ? विपक्ष को सिर्फ सत्ता की भूख है, उन्हें सिर्फ परिवारवाद की चिंता है। जनता से उनका कोई लेना-देना नहीं है। इस बात को समझने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि 2005 के पहले के बिहार को जिन लोगों ने देखा है, उन्हें आज के बिहार और बिहार सरकार के कामों को देखने पर सब कुछ स्पष्ट दिखता है। 2005 के पहले तारापुर और संग्रामपुर से पटना पहुंचना कितना दूभर था, जर्जर सड़कें बिहार की पहचान थी, परन्तु आज स्थिति बदल चुकी है।
भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं बिहार के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने जनता के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को साबित किया है। शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना के निर्माण के साथ-साथ आम जनमानस की कठिनाइयों को दूर करने के संस्थागत प्रयास सुनिश्चित किए गए हैं, जिसके अच्छे परिणाम दिख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जहां एक ओर केंद्र सरकार ने माताओं एवं बहनों को उज्जवला योजना के अंतर्गत एल.पी.जी. के कनेक्शन मुहैया कराए गये, स्वच्छ जल, बिजली सहित अन्य मूलभूत सुविधा को मुहैया कराया गया, कोरोना की वैश्विक परिस्थिति के दौरान गरीबों की भूख की चिंता करते हुए नरेंद्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत दो चरणों में नि:शुल्क अनाज की व्यवस्था सुनिश्चित कराई, जो आगामी नवंबर माह तक दी जा रही है।
कोरोना संकट के दौरान देश के लोगों की जान की रक्षा हेतु प्रधानमंत्री जी की सूझबूझ से भारत ने दो स्वदेशी टीके का निर्माण कर नि:शुल्क टीकाकरण का कार्य प्रारंभ कराया। जहां संसाधन संपन्न देश कोरोना के समक्ष घुटने टेकते नजर आए, वहीं नरेंद्र मोदी जी ने देश के लोगों के साथ-साथ मानवता की रक्षा हेतु दुनिया के कई देशों को टीका उपलब्ध कराए गए। आज भारत में कोरोना टीका का आंकड़ा 100 करोड़ के पार चला गया है।
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने आत्मनिर्भर बिहार के सात निश्चय के अंतर्गत युवा उद्यमिता एवं महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए 5 लाख रुपये अनुदान एवं 5 लाख रुपये ऋण के रूप में उपलब्ध कराने की व्यवस्था सुनिश्चित की है। महिला उद्यमियों के लिए इस योजना के अंतर्गत ब्याज मुक्त ऋण की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार सरकार ने व्यवसायियों के हितों का खासतौर पर ध्यान रखा है। व्यवसायी किसी भी सामाजिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं। करोना काल के दौरान व्यवसायियों की हित रक्षा हेतु विशेष प्रबंध सुनिश्चित किए गए है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन परिवारवाद पर काम नहीं करता।
हमारी प्रतिबद्धताएं जनता के प्रति हैं। उन्होंने जनसभा के दौरान लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि महागठबंधन बिखर चुका है। विपक्ष को सत्ता की भूख सता रही है। उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि चुनाव के समय जिन्हें विकास की याद आती हो, ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है।
उन्होंने आह्वान करते हुए कहा कि आगामी 30 अक्टूबर को होने वाले उपचुनाव में जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार को भारी बहुमत से विजयी बनावें। जनता के आशीर्वाद से कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा की दोनों सीटें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन जीतेगा।
जनसभा के दौरान मुंगेर के विधायक प्रणव कुमार यादव, पूर्व मंत्री श्री श्याम बिहारी प्रसाद भगत, शंभू प्रसाद गुप्ता, अजय कुमार, एस.सी. एवं एस.टी. मोर्चा के अध्यक्ष संजय रजक, उमाकांत जी, चेंबर ऑफ कॉमर्स के मनोज कुमार सहित भारतीय जनता पार्टी, जनता दल यूनाइटेड, हम एवं विकासशील इंसान पार्टी के कार्यकर्तागण और भारी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित थे।
पप्पू यादव कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करने से पहले राहुल गांधी से मिलकर कोई बड़ा डील करना चाहते हैं
पप्पू यादव कांग्रेस उम्मीदवार का प्रचार करने के बजाय आज अचानक कांग्रेस मुख्यालय दिल्ली पहुंच गए, वहां उनकी मुलाकात झारखंड के कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह से हुई लेकिन बिहार को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है।
हालांकि कांग्रेस पप्पू यादव की जो छवि है और राजद को लेकर जिस तरह के बयान दे रहे हैं उसको लेकर फिलहाल पप्पू यादव के कांग्रेस में एंट्री की सम्भावना कम है ।
इसी को देखते हुए पप्पू यादव किसी भी तरह से राहुल गांधी से मिलकर कोई ठोस आश्वासन लेना चाह रहा है जिसकी सम्भावना फिलहाल नहीं दिख रही है ।
ऐसे में पप्पू यादव क्या करते हैं इस पर सबकी नजर है क्यों कि बिहार विधानसभा के उपचुनाव का प्रचार अभियान 28 अक्टूबर को खत्म होने वाली है ।
कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने का कितना फायदा कांग्रेस को मिलेगा ये तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन जिस तरीके से बिहार की राजनीति 30 वर्षों से एक खास मुहाने पर रुक सा गया था उसमें हलचल तो दिखाई देने लगा है।
जरा इन ट्वीट और बयानों पर गौर करिए
तेज प्रताप — ट्वीट कर कहा है- “जब से आए हो, अक्कड़-बक्कड़, कुच्छो बोलते जा रहे हो…! गैंग वाले थे, अब नेता बनने का शौक पाले हो का…? याद रखो कि अगर लालू यादव जी ना होते तो शायद तुम भी ना होते…
डाॅ रोहिणी—-लालू प्रसाद की पुत्री डॉ. रोहिणी जो इन दिनों अपने ट्विटर हैंडल के सहारे बिहार की राजनीति में फिरकी लेती रही है उन्होंने कन्हैया को लेकर एक ट्वीट किया है “बड़ी-बड़ी बातें जो बोलता है, एसी भी उखाड़ कर जो बेचता है..’। रोहिणी ने यह भी कहा है- “सिद्धांत का जो धनी नहीं, वो नेता तो क्या इंसान बनने के लायक नहीं।
सुशील मोदी —कांग्रेस और राजद के जूदा जूदा होने पर सुशील मोदी का बयान आया है ,एनडीए के वोट बैंक में सेंधमारी करने के लिए अलग अलग चुनाव लड़ रहा है ,राजद की पालकी को ढोने का काम कांग्रेस कर रही है और आगे भी करेगी,चुनाव बाद दोनों दल एक बार फिर एक हो जाएगा,जनता को भ्रम में रखने के लिए राजद कांग्रेस की रणनीति है ।
मनोज झा–(राजद प्रवक्ता )—-कन्हैया के बयान पर मनोज झा की बहुत ही सधी हुई प्रतिक्रिया आयी है मैं उनको शुभकामना देता हूं और मैं क्या हूं मैं क्या नहीं हूं इसका मूल्यांकन बिहार और देश के लोग करेंगे मैं राजनीति में भाषा की गरिमा का बहुत ध्यान रखता हूं हां उन्हें बहुत बहुत शुभकामना देता हूं और तरक्की करे और उच्चे जाये ।
सुशील मोदी और मनोज झा का यह बयान और लालू प्रसाद के परिवार का ट्वीट अपने आप में बहुत कुछ बया कर रही है, देखिए आगे आगे होता है क्या।
वैसे बिहार विधानसभा उपचुनाव का परिणाम जिसके भी पक्ष में हो बिहार की सियासत पर दूरगामी प्रभाव छोड़ेगा यह तय दिख रहा है ।
चुनाव ठेकेदारी है क्या? **
विद्यार्थी जीवन में कानून से पाला नहीं पड़ा। विज्ञान एवं गणित से पड़ा था। नौकरी में फौजदारी कानून से वास्ता पड़ा, पुलिस की नौकरी जो कर ली थी।
वर्ष 2001 – 2003 के बीच IG (Provision) के रूप में टेंडर, कॉन्ट्रैक्ट, एग्रीमेंट, आदि शब्दों से रू-ब-रू हुआ। आदत के अनुसार हर चीज़ का कानूनी पहलू समझने के लिए “लॉ ऑफ़ कॉन्ट्रैक्ट” का अध्यययन भी यथासंभव कर लिया।
सहसा ध्यान आया कि चुनाव में भी तो राजनीतिक पार्टियाँ अपने मैनिफेस्टो के माध्यम से चुनाव आयोग के द्वारा निकाली गई अधिसूचना, जो टेंडर के समतुल्य मानी जा सकती है, अपना-अपना “कोटेशन” आम आदमी के सामने रखती हैं।
टेंडर नेगोशिएशन परचेज़ समिति के सामने होती है, जिसमें आजकल टेक्निकल और कमर्शियल बिड अलग-अलग फाइल की जाती है। उसी प्रकार चुनाव प्रचार और मीडिया के द्वारा स्थापित मंच पर बहस होती है, जो “टेंडर नेगोशिएशन” के सपेक्ष है।
अंततः जिस पार्टी का “बिड” आम आदमी अर्थात वोटर को सबसे अच्छा लगता है, उस पार्टी को “वर्क आर्डर” मिल जाता है। चुनाव आयोग उस विजयी पार्टी के उम्मीदवार को औपचारिक रूप से प्रमाण पत्र देकर पार्टी और आम आदमी के बीच “कॉन्ट्रैक्ट” साइन होने का एलान कर देता है।
चुनाव और उसमें अपनाई गई प्रक्रिया से अधिक मौलिक, संवैधानिक एवं कानूनी प्रक्रिया शायद ही कोई हो। ऐसी परिस्थिति में चुनावी वादों को कानून के माध्यम से “एनफोर्स” कराने की व्यवस्था होनी ही चाहिए।
मुझे तो दीवानी तथा फौजदारी, दोनों आयाम दिख रहे हैं। समाज (सरकार नहीं) में कानूनविद इस विचार पर सोच कर देखना चाहेंगे?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रबी महाभियान (2021-22) का शुभारंभ एवं प्रसार रथों को हरी झंडी दिखाकर कर मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूरे देश में 100 करोड़ लोगों को कोविड-19 के टीके दिए जाने पर खुशी जताई है और कहां कि बिहार में भी वैक्सीनेशन के इस मिशन को लेकर काफी बेहतर काम हो रहा है वहीं तमाम लोगों को अब दूसरे डोज के टीके भी लग रहे हैं सरकार लगातार इसको लेकर समीक्षा भी कर रही है और सभी लोगों को दूसरा डोज का टिका मिले इस पर काम भी कर रही है
वही उत्तराखंड त्रासदी में मारे गए लोगों को मुख्यमंत्री राहत कोष से दो ₹200000 दिए जाने की घोषणा भी की है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उत्तराखंड के त्रासदी को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि पश्चिमी चंपारण जिले के कई लोगों की मौत हुई है जिसको लेकर सरकार काफी चिंतित है और तमाम अधिकारियों को भी सरकारी सहायता मुहैया कराय।
साथ ही महागठबंधन के बिखराव पर भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुप्पी तोडी…… बोले सीएम नीतीश कुमार ….यह महागठबंधन का अंदरूनी मामला है वे लोग जाने हम लोग महा गठबंधन वाले मामले पर ध्यान नहीं देते हैं
क्या बिहार की राजनीति में तुरुप का इक्का साबित होगा कन्हैया
कांग्रेस में शामिल होने के बाद पहली बार पटना पहुंचे कन्हैया का जिस अंदाज में कांग्रेस के नेताओं ने स्वागत किया उससे संकेत साफ है कि आने वाले समय में गुजरात की तरह बिहार में भी कांग्रेस कन्हैया को बड़ी जिम्मेवारी दे सकती है।
वही कन्हैया जिस अंदाज में जातिवाद ,परिवारवाद और राजद के दिल्ली वाले एक नेता पर जिस तरीके से सीधा हमला बोला है उससे यह तय हो गया कि बिहार में अब कांग्रेस फ्रंटफुट पर खेलने का निर्णय ले लिया है। और इसका असर है कि लालू प्रसाद रविवार को पटना पहुंच रहे हैं।
1–कन्हैया को पहले कांग्रेसियों से लड़ना होगा
कन्हैया भले ही कांग्रेस में शामिल हुआ है लेकिन बिहार कांग्रेस के जो मठाधीश हैं उसको जब तक वो साथ लाने में कामयाब नहीं होंगे तब तक कन्हैया को बिहार की राजनीति में स्थापित होना बहुत ही मुश्किल है ।
कल सदाकत आश्रम में साफ दिख रहा था कि मंच पर बैठे अधिकांश नेता कन्हैया को लेकर असहज थे, इतना ही नहीं कई नेता तो इस काम में लगे हुए थे कि सदाकत आश्रम में कुछ ऐसा करा दिया जाये ताकि मीडिया में कन्हैया के स्वागत की खबर दब जाये ।
लेकिन कन्हैया के समर्थक को देख कर वो लोग साहस नहीं जुटा पाये फिर भी राहुल गांधी जिस तरीके से गुजरात में हार्दिक पटेल के साथ खड़े हैं ठीक उसी तरह से कन्हैया के साथ भी खड़े रहेंगे तभी कन्हैया कांग्रेस में कुछ जान फुक पायेगा ।
हालांकि बिहार कांग्रेस पूरी तौर पर टेबल पॉलिटिक्स तक सिमट कर रहा गया है साथ ही कोई भी ऐसा नेता नहीं बचा है जिससे कोई बड़ी उम्मीद लगायी जा सके, लेकिन ये सारे कांग्रेस के अंदर काफी प्रभावशाली हैं और तोड़ जोड़ के माहिर खिलाड़ी भी है साथ ही बिहार की राजनीति की समझ भी रखते हैं। ऐसे में कन्हैया के सामने पहली चुनौती है यही है कि ऐसे कांग्रेसियों का आर्शीवाद उन्हें कैसे प्राप्त हो।
क्यों कि सीपीआई में भी कन्हैया पार्टी के मठाधीश को साथ जोड़ने में कामयाब नहीं हुए थे और इस वजह से उन्हें लोकसभा चुनाव में बेगूसराय में पार्टी का उस तरह से साथ नहीं मिला,अगर साथ मिलता तो लड़ाई दिलचस्प हो जाता। हालांकि कन्हैया के साथ राहुल का आर्शीवाद है इसलिए मठाधीश को मनाना मुश्किल नहीं है फिर भी बड़ी चुनौती है क्यों कि कांग्रेस का जो भी संगठन बचा हुआ है उसमें नये लोगों को जोड़ कर ही कन्हैया बिहार कांग्रेस में धार पैदा कर सकता है ।
2–राजद के साथ कैसे रिश्ता रहता है इस पर भी कन्हैया का राजनीतिक भविष्य निर्भर करता है
कन्हैया के आने से बिहार कांग्रेस की स्थिति में कोई बड़ा बदलाव आ जाएगा ऐसा सम्भव नहीं है, बिहार में कांग्रेस को राजद या जदयू का साथ चाहिए ही तभी वह बिहार की राजनीति में मजबूत उपस्थिति दर्ज करा सकता है।
कन्हैया के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती यही है।
राजद के अंदर कन्हैया को लेकर जो छवि बनायी गयी है उससे तेजस्वी असहज है और यही वजह है कि राजद बिहार विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं देकर हैसियत दिखाना चाह रही है ताकि आने वाले चुनाव में कन्हैया का दबाव ना रहे साथ ही जैसे पहले कांग्रेस को हाथ उठा कर सीट दे देते थे वैसे ही दे दें।
लेकिन राजद के इस व्यवहार पर पहली बार आलाकमान ने लालू प्रसाद के परिवार को लेकर अपना रुख बदलते हुए पूरी मजबूती के साथ मैदान में उतरने का कहा ,इतना ही नहीं कांग्रेस लालू प्रसाद के परिवार को हैसियत दिखाने के लिए पप्पू यादव तक को साथ आने का न्यौता दे दिया वही कन्हैया को आते आते मैदान में उतर दिया और इतना ही नहीं पहली बार कांग्रेस ने सार्वजनिक रूप से घोषणा कर दिया कि राजद से मेरा रिश्ता समाप्त हो गया ।
हालांकि कांग्रेस ऐसा रुख अख्तियार कर लेगा इसकी उम्मीद राजद के सलाहकार को नहीं था और कहां जा रहा है कि कांग्रेस को लेकर राजद प्रवक्ता मनोज झा का जो बयान आया है उससे लालू प्रसाद खासे नाराज है और यही वजह है कि लालू प्रसाद जो पूरी तौर पर अभी भी स्वस्थ नहीं है भागे भागे रविवार को पटना पहुंच रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि कांग्रेस के साथ छुटने से राष्ट्रीय स्तर पर जो नुकसान होगा सो होगा ही बिहार में भी एक नये तरीके का गठबंधन बन सकता है जिसका नुकसान राजद को होगा।क्यों कि राजद की ताकत अब सिर्फ मुस्लिम वोटर रहा है एमवाई समीकरण दरका तो फिर राजद की वापसी बेहद मुश्किल हो जायेंगी ।
वही कन्हैया के आने से जदयू और कांग्रेस के बीच नजदीकियां बढ़ सकती है क्यों कि कन्हैया का नीतीश से बहुत ही अंतरंग रिश्ता है और नीतीश भी चाह रहे थे कि कांग्रेस में ऐसा कोई नेता हो जिसके सहारे सीधे राहुल तक पहुंचा जा सके। क्यों कि जदयू पिछली बार भी जब राजद से नाता तोड़ रहा था उस समय अंतिम क्षण तक नीतीश का यह प्रयास जारी रहा कि कांग्रेस लालू प्रसाद पर दबाव बनाये और तेजस्वी पद छोड़ दे राहुल उस समय भी नीतीश के साथ खड़े थे लेकिन अहमद पटेल लालू प्रसाद की बात में आ गये और फिर राहुल चुप हो गया ।
लेकिन कन्हैया के आने से इस बार स्थिति भिन्न है कमान राहुल के हाथ में है, वही देश की राजनीति जिस दिशा में बढ़ रही है ऐसे में नीतीश बीजेपी के साथ सहज नहीं है ।
ऐसे में कन्हैया के आने से नीतीश का गठबंधन से अलग होने का रास्ता मिल गया है क्यों कि कन्हैया जिस तरीके से राजद और लालू प्रसाद को लेकर हमलावर है ऐसे में कांग्रेस अगर कन्हैया को बिहार की जिम्मेवारी सौपता है तो नीतीश को राजद से साथ हाथ मिलाने में कोई परेशानी नहीं होगी क्योंकि इस बार कांग्रेस पहले कि स्थिति में ज्यादा मजबूत और निर्णय लेने की स्थिति में है इसलिए आने वाले समय में बिहार की राजनीति में कन्हैया तुरुप का इक्का साबित हो जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी ।
पटना हाईकोर्ट ने आम लोगों ठगने के लिए 28 पृष्टों में मोबाइल फ़ोन नंबर पकड़े जाने के मामले में सख्त रुख अपनाते हुए शिव कुमार को अग्रिम जमानत नहीं दिया।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि आज के दिनों में इस प्रकार का अपराध समाज में अनियंत्रित हो गया है, जब अपराधी लोगों को फ़ोन करके उनसे बैंक आदि के डिटेल्स ले कर ठग रहे हैं।
शिव कुमार की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संदीप कुमार ने याचिकाकर्ता को एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने ससमय आत्मसमर्पण नहीं करने की स्थिति में नवादा के पुलिस अधीक्षक को इस मामले में याचिकाकर्ता समेत इस मामले के सभी अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए सभी जरूरी कदम उठाने का भी आदेश दिया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में नवादा के पुलिस अधीक्षक को केस के अनुसंधान अधिकारी (आई ओ )को कारण बताओ नोटिस जारी करने को कहा है कि आखिर इस मामले के अभियुक्तों की गिरफ्तारी अभी तक क्यों नहीं कि गई है,जबकि यह मामला वर्ष 2020 का है।
कोर्ट ने इस बात की जानकारी मांगी है कि इनकी गिरफ्तारी को लेकर क्या कार्रवाई अभी तक कि गई है। इतने लंबे समय तक इनकी गिरफ्तारी पुलिस द्वारा क्यों नहीं कि गई है।
कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि इस तरह के अपराध वारीसलीगंज पुलिस थाना क्षेत्र में अनियंत्रित ढंग से फैला हुआ है। कोर्ट नवादा को दूसरा जामताड़ा होने की अनुमति नहीं देगा।
आदेश का अनुपालन को लेकर इस आदेश की प्रति को फौरन नवादा के पुलिस अधीक्षक को फैक्स के जरिये भेजने का आदेश कोर्ट द्वारा दिया गया है। कोर्ट के आदेश का अनुपालन रिपोर्ट नवादा के पुलिस अधीक्षक के व्यक्तिगत शपथ पत्र के साथ पेश करने को कहा गया है।
मामला वारीसलिगंज थाना कांड संख्या – 163 / 2020 से जुड़ा हुआ है, जिसमें आई पी सी की धारा 419/ 420 व आई टी एक्ट की धारा 66( बी) के तहत केस दर्ज किया गया था। याचिकाकर्ता के पास से कथित तौर पर 28 पृष्टों में आम लोगों को ठगने के लिए मोबाइल फ़ोन नंबर पाया गया था।
इस मामले पर आगे की सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।
पटना हाईकोर्ट ने 67 वीं बीपीएससी परीक्षा में अधिकतम उम्र सीमा में छूट दिए जाने के मामले पर सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया है ।
जयदीप अभय व अन्य की ओर से दायर रिट याचिकाओं पर जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह ने सभी पक्षों का बहस सुनने के बाद सुरक्षित रखा। याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य में पिछले 15 वर्षों से लोक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा को , हर साल लेने की जगह दो तीन वर्षों की परीक्षा एक साथ संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित किया जाता है।
हर वर्ष बहाली के लिए परीक्षा आयोजित नही होने के कारण अभ्यार्थियों को परीक्षा में बैठने का समान अवसर नही मिलता है।अगर हर वर्ष परीक्षा आयोजित किया जाता,तो उम्मीद्वार को पूरा अवसर मिलता।
साथ ही संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित करने पर अवसर कम मिल पाएंगे।
परीक्षा में शामिल होने की उम्र सीमा खत्म होने के बाद उन्हें परीक्षा में शामिल होने का अवसर नहीं प्राप्त होता है। उन्हें समान अवसर नहीं प्राप्त मिलने के कारण उनके साथ न्याय नहीं हो पाता है।
वहीं बीपीएससी की तरफ से इन याचिकाओं का विरोध करते हुए अधिवक्ता संजय पाण्डेय ने कोर्ट को बताया गया संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में अधिकतम उम्र में छूट दी जाती रही है ।
साथ ही उन परीक्षाओं में हर वर्ष की रिक्तियां भी एकसाथ सम्मिलित रहती है । अभ्यार्थियों को उचित अवसर मिलता मिलता है ।हाई कोर्ट ने सभी पक्षों का बहस सुनने के बाद इस मामले पर निर्णय सुरक्षित रख लिया ।
बिहार विधानसभा भवन शताब्दी समारोह में भाग लेने आये राष्ट्रपति रामनाथ कोविद आज वापस दिल्ली लौट गये हलाकि लौटने के दौरान पटना एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति काफी भावुक हो गये थे और कुछ देर तक नीतीश कुमार का हाथ पकड़े रहे कल के संबोधन में भी उन्होंने कहा था कि बिहारी कहलाना मुझे अच्छा लगता है और बिहार के विरासत को ही मैं राष्ट्रपति भवन में आगे बढ़ा रहा हूं ।
तीन दिनों के यात्रा पर आये थे राष्ट्रपति रामनाथ कोविद
यात्रा के समापन के बीच आज सुबह राष्ट्रपति रामनाथ कोविद 8:25 मत्था टेकने श्री हरमंदिर साहब पहुंचे थे। प्रबंधक समिति के अध्यक्ष अवतार सिंह हित, वरीय उपाध्यक्ष जगजोत सिंह, कनीय उपाध्यक्ष लखविंदर सिंह, महासचिव इंद्रजीत सिंह तथा सचिव हरवंश सिंह ने उनका स्वागत किया।
20 मिनट से अधिक समय तक वो वहां रुके उसके बाद राष्ट्रपति महावीर मंदिर पहुंचे जहां स्वागत के लिए किशोर कुणाल खुद मौजूद थे महावीर मंदिर की और से उन्हें महावीर मंदिर का प्रतिक चिन्ह भेट किया गया और बाद राष्ट्रपति बुद्धा स्मृति पार्क गये और वहां से राष्ट्रपति रामनाथ कोविद 10.25 बजे गांधी मैदान स्थित खादी मॉल पहुंचे।
उन्होंने अपने लिए पैजामा-कुर्ता और पत्नी के लिए खादी की दो साड़ियां खरीदीं। राष्ट्रपति ने बिहार खादी ग्रामोद्योग द्वारा संचालित मॉल को देखने के बाद कहा कि ऐसा मॉल हर जगह होना चाहिए। मंत्री ने कहा कि इस दिशा में तेजी से काम चल रहा है। खादी के विस्तार के लिए वे प्रयासरत हैं।
उप चुनाव के बहाने ही सही कांग्रेस बिहार में राजद से दूरी बनाना शुरु कर दिया है और इसके लिए पार्टी उप चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दिया है और खबर आ रही है कि पप्पू यादव कन्हैया, हार्दिक और जिग्नेश तारापुर और कुशेश्वरस्थान में साथ मंच शेयर करेंगे वैसे कांग्रेस पहले ही पूर्व सांसद रंजीत रंजन को कुशेश्वरस्थान स्थान का पर्यवेक्षकों नियुक्त कर संकेत दे दिया था कि पप्पू और रंजीता वर्षो बाद एक साथ दिखेगी
1—कांग्रेस के लिए प्रचार करेंगे पप्पू यादवपप्पू यादव की छवि को देखते हुए टीम राहुल फिलहाल पप्पू यादव को पार्टी में शामिल करने से परहेज कर रही है लेकिन पप्पू यादव बिहार में कांग्रेस के लिए काम करे इसके लिए दिल्ली के निर्देश पर ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा ने पप्पू यादव से उप चुनाव में समर्थन मांगा था ।
पप्पू यादव ने आज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा के आग्रह को स्वीकार करते हुए दोनों सीटों पर कांग्रेस का समर्थन की घोषणा करते हुए कांग्रेस के लिए प्रचार करने की घोषणा की है।पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पप्पू यादव ने कहा कि बिहार और देश की जो वर्तमान स्थिति है, उससे कांग्रेस बेहतर तरीके से लड़ाई लड़ रही है। UP और बॉर्डर इलाके में भी कांग्रेस काफी मेहनत कर रही है, इसलिए देश हित और बिहार की स्थिति को देखते हुए, कांग्रेस का 100 प्रतिशत सहयोग करेंगे।
हमारी पार्टी के कार्यकर्ता कुशेश्वरस्थान में लगेंगे। मैं खुद कैम्प करूंगा। हमारी पार्टी ने निर्णय लिया है कि हर परिस्थिति में हम बिहार में कांग्रेस के साथ हैं।
2–तेजस्वी पर साधा निशानापप्पू ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इतना कमजोर विपक्ष और बहुरूपिया हमने कहीं नहीं देखा है।
विपक्ष को मछली मारने और धान के खेत में जाने से फुर्सत नहीं है। वहीं, पूर्व सांसद ने केंद्र सरकार और बिहार सरकार आड़े हाथों लिया और कहा कि कश्मीर मामले में केंद्र और बिहार सरकार चुप है।
3—पप्पू यादव ,कन्हैया, हार्दिक और जिग्नेश कई सभा साथ करेंगे कांग्रेस उप चुनाव को दिलचस्प बनाने के लिए अपनी पूरी युवा बिग्रेड को मैदान में उतार दिया है कल से कन्हैया, हार्दिक और जिग्नेश के साथ साथ पप्पू यादव भी कांग्रेस के लिए वोट मांगेंगे।
इस युवा बिग्रेड का तारापुर पर कितना प्रभाव पड़ेगा कहना मुश्किल है लेकिन इस टीम के मैदान में उतरने से कुशेश्वरस्थान में राजद की मुश्किलें बढ़ सकती है । हालांकि कांग्रेस की पूरी कोशिश चल रही है कि पप्पू यादव के सहारे यादव वोटर में और कन्हैया के सहारे मुस्लिम वोटर में इतना बड़ा डिभिजन करा दे कि राजद को कांग्रेस की शर्तों पर गठबंधन करने पर मजबूर होना पड़े ।
बिहार के विकास से जुड़ा एक किस्सा सुनाते हैं आपको ,बिहार के गया जिला में महादलित की एक बस्ती है गहलौर जहां 14 जनवरी 1929 को दशरथ मांझी का जन्म हुआ था , एक दिन की बात है दशरथ मांझी पहाड़ पर लकड़ी काट रहे थे ,दोपहर हुआ तो उनकी पत्नी मांझी के लिए खाना लेकर पहाड़ पर चढ़ने लगी उसी दौरान उनका पैर फिसल गया और वो घायल हो गयी ।लेकिन समय पर दवा और अस्पताल नहीं पहुंच पाने के कारण कुछ दिनों बाद उनकी मौत हो गयी।
मांझी को लगा कि गांव के सामने जो पहाड़ है वहां से अगर रास्ता होता तो मेरी पत्नी बच सकती थी बस क्या था एक हाथ में हथौड़ा और दूसरे हाथ में छेनी लेकर मांझी पहाड़ को काटने चल दिये और 22 वर्षो तक निरंतर काटते हुए रास्ता बना कर ही दम लिये ।
2005 के बाद बिहार की सियासत का मिजाज बदला और राजनीति दलित से महादलित पर पहुंच गया ऐसे में सरकार को महादलित में एक चेहरा चाहिए थे जिसके सहारे उस वक्त की राजनीति को साधा जा सकता था , बस फिर क्या था गुमनामी में जी रहे दशरथ मांझी रातो रात मसीहा बन गये और उन्हें एक नया नाम दिया गया ‘माउंटेन मैन’ ।
उनकी इस उपलब्धि के लिए बिहार सरकार ने सामाजिक सेवा के क्षेत्र में 2006 में पद्मश्री हेतु उनके नाम का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा। लेकिन वह सम्मान आज तक दशरथ मांझी को नहीं मिला।
नीतीश कुमार ने उन्हें पटना बुलाया और अपनी कुर्सी पर बिठा कर सम्मानित किया तो एक बार फिर दुनिया की नजर ‘माउंटेन मैन’ की और आकृष्ट हुआ ।
उनके जीवन पर आधारित फिल्में बननी शुरु हो गयी और फिर घोषणाओं का जो दौर शुरू हुआ वह उनके मरने के बाद ही थमा ,लेकिन आज भी मांझी का वो सपना अधूरा ही है, नीतीश कुमार से मिलने जब वो पटना आये थे तो मांझी ने नीतीश को कहां था पहाड़ काट करके सड़क तो बना दिये लेकिन अभी भी लोगों का आने जाने में बहुत परेशानी हो रही है। ऐसे में पहाड़ को काटकर गांव की सड़क जितनी ऊंची है उस लेवल पर सड़क बनवा दीजिए।
मांझी की इसी इच्छा की पूर्ति के लिए विकास का खेल शुरू हुआ, समाधि स्थल चार वर्ष पहले ही बना है किस हाल में है मांझी का समाधि स्थल जरा आप भी सुनिए समाधि का देखभाल कर रहे राम मांझी की जुवानी ,वही जहां तक पहाड़ की ऊंचाई को कम करने की बात है उसके लिए विकास किसी तरीके से रुप बदला जरा आप भी सुनिए मांझी के गांव वालों की जुबानी ।
यही बिहार के विकास की कहानी है दशरथ मांझी ने पहाड़ तोड़ कर अपनी फाल्गुनी के लिए ताजमहल से कम बड़ी निशानी छोड़कर नहीं गये हैं लेकिन राजनीतिक जरूरत थी तो हर किसी ने दशरथ को याद किया लेकिन जैसे ही राजनीतिक जरूरतें पूरी हुई विकास भी उन्हें भुल गया ।
बिहार पंचायत चुनाव के चौथे चरण की मतगणना शुरु हो गयी है हालांकि मतगणना से पहले ही 3,220 निर्विरोध निर्वाचित हो चुका है इनमें 3,104 पंच; 1 मुखिया और 115 पंचायत सदस्य भी शामिल है राज्य निर्वाचन आयोग से मिली जानकारी के अनुसार सबसे अधिक 3,104 पंच निर्विरोध निर्वाचित हो गए हैं। चौथे चरण में कुल 24 हजार 586 पदों के लिए चुनाव हुआ है ।
चौथे चरण के 147 पदों पर किसी ने नहीं किया नामांकन ।
चौथे चरण में जिन सीटों पर वोटिंग हुई है, उनमें से 147 पदों पर किसी भी प्रत्याशी ने नामांकन दाखिल नहीं किया है। कोई भी नामांकन दाखिल नहीं होने के कारण ये सीटें खाली रह गई हैं। इसमें सबसे अधिक 140 पद ग्राम कचहरी के पंच का है। इसके साथ ही 7 पद ग्राम पंचायत सदस्य का है।
पटना हाई कोर्ट में नए जजों के आने से अब लंबित पड़े आपराधिक मामलों की सुनवाई रफ्तार पकड़ने संभावना को बल मिला है । पिछले कुछ दिनों मे स्थानांतरण व नई नियुक्तियों के होने से पटना हाई कोर्ट जजों की संख्या 17 से बढ़ कर 26 हो गई हैं।
पूजा अवकाश के बाद कोर्ट खुलते ही पटना हाई कोर्ट में वकीलों में उत्साह दिखाई देने लगा। लेकिन वे इस बात को लेकर चिन्तित दिखें कि एक लाख से अधिक लम्बित पड़े सिविल मामलों की सुनवाई के लिए केवल 5 एकलपीठ ही गठित हुए हैं।
गौरतलब हैं कि दूसरे हाई कोर्ट से स्थानांतरित होकर आए तीन जज जहां डिवीजन बेंच में बैठे ,वहीं नवनियुक्त छह जजों ने एकलपीठ में बैठकर पुराने लम्बित ज़मानत अर्ज़ियाँ पर सुनवाई किया।
वही दूसरी ओर रिट समेत सिविल मामलों पर सुनवाई करने के लिए बहुत कम जज होने के कारण वकीलों ने निराशा जताई ।
हाई कोर्ट में आपराधिक मामलों पर सुनवाई हेतु जहां एक ओर 16 एकलपीठ गठित हुई है।
वहीं रिट याचिकाओं समेत अन्य सिविल मामलों पर सुनवाई के लिए सिर्फ 5 जज ही हैं। इसमें भी अभी सिर्फ चार ही कार्यरत हैं । जस्टिस अनिल कुमार उपाध्याय की बीमारी की वजह से उनकी एकलपीठ फिलहाल सुनवाई नही कर रही है।
पटना हाई कोर्ट ने भागलपुर में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत इंटग्रेटेड कमांड और कंट्रोल सेन्टर के संबंध में टेंडर के कागजात को पेश करने समेत अन्य मुद्दों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की।जस्टिस मोहित कुमार शाह ने इस मामले पर सुनवाई करते मेसर्स भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड, भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक/ सी ई ओ, टेंडर कमेटी और मेसर्स शपूरजी पलोनजी एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस जारी किया है।
हाईकोर्ट ने टेलिकम्युनिकेशनस कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि उक्त मामले में निविदा प्रक्रिया का अंतिम निष्कर्ष इस रिट याचिका के फलाफल पर निर्भर करेगा।
याचिका में 25 मार्च, 2021 के टेंडर नंबर – बी एस सी एल/ आई सी सी सी एस / 2024/48 से संबंधित सभी कागजातों को पेश करने को लेकर आदेश देने के लिए कोर्ट से आग्रह किया गया है।साथ ही याचिका में टेंडर देने के संबंध में टेंडर कमेटी द्वारा लिये गए निर्णय को रद्द करने का भी आग्रह किया गया है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि पूरी टेंडर प्रक्रिया को पक्षपात तरीके से मैनेज किया गया है और याचिकाकर्ता कंपनी को अयोग्य ठहराया गया है,जो संचार मंत्रालय के अधीन सेंट्रल गवर्नमेंट पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज है।