बिहार को इथेनॉल का हब बनाने का सपना टूटा गया केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर करते हुए तेल कंपनियों ने बिहार के लिए एक वर्ष में मात्र 14 करोड़ लीटर इथेनॉल क्रय की सीलिंग तय कर दी है। यह मात्रा बमुश्किल चार यूनिट के जरिए ही पूरी हो जाएगी जबकि राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद (एसआइपीबी) ने 28 मई से छह जुलाई के बीच कुल बिहार में इथेनॉल बनाने की फैक्ट्री लगाने को इक्छुक 138 प्रस्तावों को स्टेज-1 क्लियरेंस दिए थे ।
बिहार में गन्ना और मक्का से इथेनॉल निकालने की सम्भावना है शुरुआती दिनों में गन्ना को लेकर यह कहा जा रहा था कि उत्तर बिहार में जिस स्तर पर गन्ना का पैदावार हो रहा है उससे काफी मात्रा में इथेनॉल बनाया जा सकता है अभी भी सुगरकेन से जुड़ी कई फैक्ट्री इथेनॉल बनाने का काम कर रही है लेकिन गन्ना उत्पादन को लेकर जब अध्ययन किया गया तो पता चला कि चीनी मिल के रैवेय के कारण किसान गन्ना उत्पादन में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं इस वजह से गन्ना से इथेनॉल बनाने का सपना टूट गया ।
बिहार के पास दूसरा प्रोडक्ट मक्का है जिससे इथेनाँल निकाला जा सकता है लेकिन देश के अंदर मुर्गी दाना और पॉपकॉर्न के उत्पादन में मक्का का इतना अधिक मांग है कि इथेनाँल बनाने के लिए बिहार को सरप्लस मक्का है ही नहीं वैसे भारत सरकार ने बिहार को मक्का से इथेनाँल बनाने के लिए जो कोटा निर्धारित किया है उसमें अन्य राज्यों से तुलना करे तो बिहार के साथ सौतेला व्यवहार किया गया है
क्यों कि पेट्रोलियम कंपनियों ने मक्का से इथेनाँल बनाए जाने वाले राज्यों का जो कोटा तय किया है उसमें कई राज्य ऐसे हैैं, जहां मक्का का उत्पादन नहीं के बराबर है। बिहार से वहां मक्का जाता है। इसके बावजूद भी उनका कोटा बिहार से ज्यादा तय किया गया है। दिल्ली का कोटा 33 करोड़ लीटर, झारखंड का 18 करोड़ लीटर, बंगाल का 35 करोड़ लीटर, केरल का 55 करोड़ लीटर तय किया गया है। जहां मक्का नहीं होता उन राज्यों के लिए भी मक्का से इथेनाँल का कोटा तय किया गया। असम में दस करोड़ लीटर, मेघालय में चार करोड़, मणिपुर में ढाई करोड़, अरुणाचल प्रदेश में दो करोड़, मिजोरम में एक करोड़ और सिक्किम के लिए एक करोड़ लीटर का कोटा तय किया गया है।सौ फीसद बायबैक का मामला तय नहीं हुआ
इथेनाल बनाने के लिए जिन यूनिटों को एसआइपीबी से स्टेज-1 का क्लियरेंस मिला था, उन्हें बैैंकों ने इस वजह से ऋण देने से मना कर दिया था कि वे अपने उत्पाद के विपणन की गारंटी उपलब्ध कराएं। ऐसे में राज्य के उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन ने केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी से बात कर बिहार से इथेनाल के सौ फीसद बायबैक को लेकर करार करने की मांग की थी। हालांकि, इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ।
वर्तमान में पेट्रोल में दस प्रतिशत तक इथेनाल मिलाए जाने की अनुमति है। बिहार में प्रतिवर्ष 145 करोड़ लीटर पेट्रोल की खपत है। इस लिहाज से राज्य का कोटा तय हुआ। बिहार की वर्तमान क्षमता नौ करोड़ लीटर की है। चार करोड़ लीटर की क्षमता प्रक्रिया में है।
इथेनाल के प्रस्तावों को इस वर्ष मिला स्टेज-1 क्लियरेंस
28 मई को एसआइपीबी की बैठक में 13 यूनिट को
28 जून को एसआइपीबी की बैठक में 55 यूनिट को
06 जुलाई को एसआइपीबी की बैठक में 70 यूनिट को
बिहार के उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन ने कहा कि राज्य को कम से कम 60 हजार करोड़ लीटर का कोटा मिलना चाहिए। बंगाल, झारखंड व पूर्वोत्तर राज्यों के अतिरिक्त दिल्ली का कोटा भी हमें तब तक मिल जाए जब तक इन राज्यों में मक्के का उत्पादन नहीं होता है। मैंने इस संबंध में केंद्र में बात की है। कहा गया है कि ग्रुप आफ मिनिस्टर के समक्ष इस मामले को रखा जाएगा।