बिहार के बांका जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां एक भी घर मुस्लिम नहीं है फिर भी पूरा गांव बुराई पर अच्छाई की जीत , शहादत और कुर्बानी की प्रतीक #मुहर्रम पर्व पूरे धूमधाम से मनाता है हम बात कर रहे हैं बांका जिले के अमरपुर प्रखंड स्थित तारडीह गांव का जहां आज सुबह से ही पूरे गांव का नराजा बदला बदला सा दिख रहा है । पूरे गाँव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं रहने के बाबजूद वहाँ रह रहे हिन्दू परिवार पिछले कई वर्षों से मुहर्रम धूमधाम से मना रहे हैं l इस पर्व को मानाने की शुरुआत 1990 में अमरपुर विधानसभा से विधायक रहे स्व. माधो मण्डल के पिता ने की थी। तब से उनके बंशज इसे आज तक मनाते आ रहे हैं। माधो मण्डल के पुत्र शंकर मण्डल ने बताया कि उनके दादा जी को कोई संतान नहीं हो रही थी, तब उन्होंने मजार पर जाकर मन्नत मांगी और मन्नत पूरा होने पर इस पर्व की शुरुआत की गयी l इसमें ग्रामीणों का काफ़ी सहयोग मिलता है l इस पर्व में स्थानीय लोग मुस्लिम रीतिरिवाज के लिये गाँव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं रहने के कारण दूसरे गाँव से मौलवी को बुलाकर परम्परा का निर्वहन करते हैं l
सुबह से ही तारडीह वाले गाँव से पांच किलोमीटर दूर मुस्लिम आबादी बाले गाँव में जाकर पहलाम करते हैं एवं आपस में भाईचारा का संदेश देते हैं l हालांकि इस बार कोविड नियमों की वजह से जुलूस का आदेश नहीं मिलने के कारण शांतिपूर्ण तरीके से गाँव में ही पहलाम करेंगे lहलाकि बिहार के कई इलाकों में मुस्लिम इसी तरीके से गांव के गांव छठ पर्व करते हैं ।