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अफरशाही और भ्रष्टाचार बीजेपी और नीतीश दोनों के गले की बनी फांस जनता दरबार से भी नहीं निकल रहा है हल

बिहार के मुख्यसचिव राज्य में जारी अफसरशाही को लेकर एक माह के दौरान दूसरी बार जिलों में तैनात अधिकारियों को चेतावनी दिया है कि माननीय सांसद और विधायक के सम्मान का ख्याल रखे और ऐसा नहीं हुआ तो अब कारवाई होगी ।इस तरह का एक पत्र मुख्यसचिव 27-07-2021 को भी जारी किये थे।

लेकिन इस पत्र के बावजूद जिला में तैनात अधिकारियों के कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं हुआ है और इसको लेकर सरकार काफी चिंतित है।क्यों कि 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को जो बड़ा नुकसान हुआ उसकी एक बड़ी वजह थाना और प्रखंड स्तर पर व्याप्त अफरशाही और भ्रष्टाचार रहा है ।

मुख्यसचिव को एक माह के अंदर दूसरी बार पत्र जारी करने के पीछे वजह यही है अब सरकार अफरशाही और भ्रष्टाचार को बर्दास्त करने के मूड में नहीं है लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अफरशाही और भ्रष्टाचार हमेशा उपर से नीचे कि और बढ़ता है कभी भी नीचे से उपर कि और नहीं बढ़ता है।इस सच्चाई के बावजूद नीतीश कुमार और बीजेपी दोनों बीच बीच का राश्ता निकालने में लगा है और इसी कड़ी में नीतीश कुमार जनता से सीधा संवाद पर फिर से काम करना शुरु किये , जनता दरबार शुरु हुआ ,घर से बाहर निकलने लगे ,बाढ़ प्रभावित इलाकों में जाकर लोगों से मिलना शुरु किये फिर भी सरकार का इकबाल कायम नहीं हो रहा है ।

1–अफरशाही और भ्रष्टाचार को कम करने के लिए प्रदेश कार्यालय में शुरु हुआ दरबार
मुख्यसचिव और सीएम के पहल के बावजूद अफरशाही और भ्रष्टाचार को लेकर बहुत कुछ बदल नहीं पा रहा है और सरकार का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है इसको देखते हुए सीएम जहां हर सोमवार को जनता दरबार में शामिल हो रहे हैं वहीं बीजेपी के मंत्री पार्टी दफ्तर में रोजाना सहयोग कार्यक्रम के तहत बैठ रहे हैं और अब तो जदयू के मंत्री भी पार्टी दफ्तर में बैठने लगे हैं ।

बात इन दफ्तरों में शिकायत के चरित्र कि करे तो यहां भी अधिकांश मामले थाने और प्रखंड में व्याप्त अफसरशाही और भ्रष्टाचार को लेकर ही आ रहा है या फिर बहाली में व्याप्त फर्जीवाड़े से जुड़ा है मतलब समस्या एक ही है समाधान कि कोशिश अलग अलग प्लेटफर्म से शुरु कि गयी है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि जो कोशिश शुरु कि गयी है उसके सहारे प्रशासनिक तंत्र की सबसे निचली इकाई में सुधार कैसे सम्भव है जबकि उस तंत्र को भ्रष्ट और लूटेरा बनने पर पटना में बैठे लोग कम मजबूर नहीं कर रहे हैं ।

बिहार के आठ दस जिलों को छोड़ दे तो अधिकांश जिलों में एसपी और डीएम थाना प्रभारी और बीडीओ ,सीओ से सीधे पैसा लेता है ,थाना प्रभारी पद पर नियुक्त करने के लिए एसपी पैसा लेता बीडीओ और सीओ के लिए मंत्री पैसा लेता है।
ऐसे में जब कोई पदाधिकारी पोस्टिंग में पैसा देगा तो फिर आप उन अधिकारियों से सही काम की उम्मीद कैसे कर सकते हैं।

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