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गरीबों के लिए अब समाज में कही भी जगह नहीं बचेगी क्या ?

2021 के NEET और JEE Mains के परीक्षाफल अभी प्रकाशित हुए। साथ में यह खबर भी कि दोनों परीक्षाओं में भ्रष्टाचार हुआ। पैसों पर सीट खरीदे और बेचे गए।

मैं करीब 20 वर्षों से गरीब मेधावी बच्चों को इन प्रतियोगिताओं में सफल होने के लिए पढ़ाता आया हूँ। मेरे लिए यह मात्र “स्वान्तः सुखाय” के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। ऐसे बच्चों की संख्या कई हज़ारों में है जिनके जीवन में आर्थिक बदलाव भी आया।

इस त्रासदी को देखकर मन मलीन एवं दुःखी हो गया। इच्छा हुई कि अब अपने प्रयास को विराम दे दूँ। मन को समझाया कि ऐसे भी उम्र बढ़ रही है। गरीबों के लिए इस तरह का प्रयास अगर व्यवस्था को मान्य नहीं है तो किस हद तक लड़ाई लड़ी जा सकती है? गरीबों के लिए प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफलता पाकर आगे बढ़ना ही एकमात्र विकल्प बच गया था। वहाँ भी अमीरों के द्वारा उस रास्ते को घेरने की कोशिश की जा रही है।

अंदर से आवाज़ आई – “हथियार मत डालो”। अर्थ इतना ही निकला कि भ्रष्टाचार से इन प्रतियोगिताओं में गरीबों के लिए सीट की संख्या कम ज़रूर हो जाएगी, फ़िर भी कुछ गरीबों को तो लाभ मिलेगा।

प्रयास जारी रहेगा जबतक अमीर लोग गरीबों के सभी रास्ते बंद नहीं कर देते।

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