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क्या पढ़ना है छात्रों को तय करने दीजिए

किस तरह की शिक्षा और समाज चाहते हैं हम?
अभी हाल फिलहाल में 10वीं व 12वीं बोर्ड का रिजल्ट आया है। विद्यार्थी तय कर रहे होंगे कि आगे कौन सा स्ट्रीम लेना है। मैंने महसूस किया है कि दबाव कुछ ऐसा होता है कि निम्न क्रम में स्ट्रीम लेना होता है: विज्ञान> वाणिज्य> मानविकी। मतलब विज्ञान सबसे अच्छा और मानविकी सबसे कम अच्छा। अगर किसी को विज्ञान में कम नंबर भी है तो भी खींच-तान के उसी विषय को लेने का ही प्रेशर होता है। भले ही उसको मानविकी विषय में अच्छे नंबर आए हों और झुकाव भी कहीं ना कहीं उसकी तरफ हो, फिर भी अगर उसने वो स्ट्रीम ले लिया तो उसे गया गुजरा समझा जाता है। इसके पीछे परिवार, समाज और पीयर (peer) प्रेशर बड़े कारण हैं। आजकल शिक्षा ज्ञान कम, कमाने का जरिया अधिक बन गया है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। मूल्यों के क्षरण के पीछे मैं इसे एक महत्वपूर्ण फैक्टर मानती हूं।

जबरदस्ती इंजीनियर बनने का इतना दबाव है कि इतने सारे इंजीनियर कॉलेजों से निकल रहे हैं लेकिन उनमें बेरोजगारी बड़ी समस्या है। फिर भी लोग व्यापक तौर पर अपनी सोच नहीं बदल पा रहे हैं। स्किल पर लोगों का ध्यान कम है।

हर विषय का अपना महत्व होता है। जिस विषय में रुचि और पैशन है, उस फील्ड में बढ़िया कैरियर बनाया जा सकता है। जिसमें रुचि नहीं है, उसको लेकर जीवन भर झेला सकते हैं। अच्छा, हमारे यहां ये चीज भी है कि कोई परेशान हैं या दूसरी दिशा में जाना चाहते हैं तो जीवन के किसी प्वाइंट पर स्ट्रीम/प्रोफेशन बदलने की सोचना भी बड़ी हिमाकत की बात है। बैंक लोन, बच्चे आदि के चलते ऐसा निर्णय लेना आसान नहीं है। नतीजा फ्रस्ट्रेशन के साथ काम करते रहना पड़ता है।

एक जिंदगी मिली है, अपने अनुसार निर्णय लीजिए (क्योंकि जिंदगी भर निभाना आप ही को है), जरुरत पड़े तो गैर परंपरागत निर्णय लेने का माद्दा रखिए, स्ट्रीम/प्रोफेशन भी बदल सकते हैं और संतुष्ट जीवन जिएं। हो सकता है एकाध बार आप फेल हो जाएं लेकिन फिर से खड़े होने की हिम्मत रखिए। अंततः सार यहीं है कि अगर आप खुश रहेंगे तो दुनिया खुश रहेगी।

– लेखिका प्रो० लक्ष्मी कुमारी वीर कुंवर सिंह विश्वविधलय के राजनीतिशास्त्र विभाग से जुड़ी है ।

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