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Patna High Court: पटना हाई कोर्ट ने चर्चित कैमूर केअर होम मामले में अग्रिम जमानत दी

जस्टिस सुनील कुमार पंवार ने पुनर्वास प्रशिक्षण अधिकारी संजू श्रीवास्तव औऱ बशिष्ठ मुनि पांडेय को दो अलग अलग अग्रिम जमानत हेतु याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये आदेश पारित किया। सी बी आई द्वारा दर्ज किए गए उक्त केस की निगरानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा किया जा रहा है।

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता दीपक कुमार सिन्हा ने दलील दी थी कि याचिकाकर्ता प्राथमिकी में नामित नहीं किये गए थे और इनका नाम नाबालिग लड़कियों द्वार सीआर पी सी की धारा 164 के तहत दिए गए बयान में आया था। इस कांड के मुख्य अभियुक्त पिंटू पाल के विरुद्ध पॉक्सो एक्ट व आई पी सी की धारा 354 के तहत कांड दर्ज किया गया था, जिसे पटना हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत दी जा चुकी है।

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इसके अलावा और भी आरोप लगाया गया था कि याचिकाकर्ता ने पुलिस में शिकायत करना सही नहीं समझा। इसके साथ ही पैसों और कागजात के गबन का भी आरोप था।

शुरुआत में बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के महिला विकास निगम के अंतर्गत आने वाले एन जी ओ ग्राम स्वराज सेवा संस्थान, लालापुर, कुदरा केअर होम के विरुद्ध भभुआ स्थित महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसे बाद में मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मामले को सी बी आई ने ले लिया था।

Patna High Court: राज्य स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी, आयुष के डायरेक्टर व पटना स्थित सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रिंसिपल को किया नोटिस जारी

पटना हाई कोर्ट ने राज्य स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी, आयुष के डायरेक्टर व पटना स्थित सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रिंसिपल को नोटिस जारी किया।जस्टिस पी बी बजनथ्री ने सत्येंद्र कुमार तिवारी की अवमानना वाद पर सुनवाई की।

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कोर्ट के आदेश के बावजूद पटना स्थित आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज में प्रोफ़ेसर की नियुक्ति नहीं किए जाने से संबंधित अवमानना याचिका की सुनवाई की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अशोक कुमार गर्ग ने कोर्ट को बताया कि विगत 20 दिसंबर, 2021 को पटना हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें पटना आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज में प्रोफ़ेसर के पद पर बहाल करने का निर्देश दिया था।

लेकिन कोर्ट के आदेश के बावजूद भी उन्हें अपने पद पर नियुक्त नहीं किया गया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पंचकर्म के प्रोफेसर के पद पर नियुक्त करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने इनकी नियुक्ति तत्काल करने को कहा था।

Patna High Court: पश्चिमी चम्पारण,बेतिया के 53 चतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों नियुक्ति व ज़िला जज,बेतिया द्वारा इन नियुक्तियों को सहमति का विरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने पश्चिमी चम्पारण,बेतिया के 53 चतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों नियुक्ति व ज़िला जज,बेतिया द्वारा इन नियुक्तियों को सहमति का विरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई की।जस्टिस पी बी बजनथ्री ने सतीश कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी नियुक्त 53 चतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों को नोटिस जारी किया है।

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याचिककर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि इन 53 चतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों को साक्षात्कार के आधार पर नियुक्त किया गया।उन्होंने कहा कि सुप्रीमकोर्ट ने 14 फरवरी,2014 को रेणु व अन्य बनाम तीस हजारी,दिल्ली में नियम तय किया था।साथ ही पटना हाईकोर्ट ने 13 मई,2018 इस सम्बन्ध में कानून निश्चित कर दिया था।

इन नियुक्तियों में पारदर्शिता और भारतीय संविधान के आर्टिकल 14 को देखते हुए नियुक्ति की जानी चाहिए।कोर्ट ने मामलें की गम्भीरता को देखते हुए सभी नवनियुक्त चतुर्थ श्रेणी के कर्माचारियों को नोटिस जारी कर दिया हैं।इस मामलें में पटना हाईकोर्ट की ओर से अधिवक्ता सत्यवीर भारती ने पक्ष प्रस्तुत किया।इस मामलें पर आगे भी सुनवाई की जाएगी।

Patna High Court : दो नवनियुक्त जज राजीव राय और हरीश कुमार 29, मार्च 2022 को पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे

पटना हाईकोर्ट के दो नवनियुक्त जज राजीव राय और हरीश कुमार 29,मार्च 2022 को पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे। उन्हें नए शताब्दी भवन लॉबी में पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल शपथ दिलाएंगे। यह समारोह सुबह दस बजे होगा।

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इसके साथ ही पटना हाईकोर्ट में जजों की दो जजों की बढोतरी होगी। चीफ जस्टिस संजय करोल समेत कार्यरत जजों की कुल संख्या 25 हैं,जबकि इन दो जजों के योगदान देने के बाद ये संख्या 27 हो जाएगी।

जबकि पटना हाईकोर्ट में जजों के स्वीकृत पद 53 हैं।इस तरह अभी भी पटना हाईकोर्ट में जजों के 26 पद रिक्त रह जाएँगे।

Patna High Court : पटना हाईकोर्ट ने राज्य के उत्पाद कोर्ट के बुनियादी सुविधाओं के विकास के मामले पर सुनवाई की

जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने इस मामलें पर सुनवाई करते इस मामलें पर की जा रही कारवाइयों का ब्यौरा राज्य सरकार को अगली सुनवाई में देने का निर्देश दिया।

पिछली सुनवाई में भी कोर्ट ने राज्य सरकार को उत्पाद कोर्ट के लिए बुनियादी सुविधाओं के संबंध में विस्तृत हलफनामा दायर देने का निर्देश दिया था । कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए जानना चाहा था कि इन कोर्ट के गठन में विलम्ब क्यों हो रहा हैं।कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा था कि सीबीआई, श्रम न्यायलयों व अन्य कोर्ट के लिए अलग अलग भवन की व्यवस्था है,तो उत्पाद कोर्ट के लिए अलग भवन की व्यवस्था क्यों नहीं की जा रही है।

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महाधिकवक्ता ललित किशोर ने राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया था कि सभी 74 उत्पाद कोर्ट के लिए जजों की बहाली हो चुकी हैं।साथ ही 666 सहायक कर्मचारियों की बहाली के लिए स्वीकृति दे दी गई हैं। उन्होंने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार इन उत्पाद कोर्ट के सही ढंग से के लिए बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए लगातार कार्रवाई कर रही है ।उन्होंने सभी मुद्दों पर जवाब देने के लिए कोर्ट से अतिरिक्त समय की माँग की।

इस मामले पर कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 3 सप्ताह बाद की जाएगी।

Patna High Court: पटना के पाटलिपुत्र कॉलनी की बदहाल सड़कों की मरम्मत और निर्माण करने को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने ऑनलाइन सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को पटना नगर निगम के आयुक्त के समक्ष अभ्यावेदन दायर करने को कहा है। कोर्ट ने इस मामलें में शीघ्र कार्रवाई करने का निर्देश दिया। यह जनहित याचिका संजय कुमार ने दायर किया था।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजू गिरि ने कोर्ट को बताया कि पिछले कई वर्षों से सड़कों की स्थिति बहुत ही खराब हो गई है। इस कॉलनी को वर्ष 1954 में डॉ राजेन्द्र प्रसाद के गाइडेंस में एक आवासीय कॉलनी के रूप में विकसित किया गया था। उन्होंने बताया कि इस कॉलोनी को पटना नगर निगम की सेवा देने के सरकार से अनुरोध किया गया।

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अधिवक्ता राजू गिरि ने बताया कि 1960 में पटना नगर निगम ने एक अधिसूचना जारी कर इस कालोनी को अपनी सेवा देना स्वीकार किया, लेकिन पाटलिपुत्र को आपरेटिव सोसाईटी ने इसका विरोध किया।

इसके बाद मुकद्दमेबाजी का कई दौर चला,जिसमें फैसला पटना नगर निगम के पक्ष में निर्णय दिया था।इसे देखते हुए पटना हाईकोर्ट ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई कर पटना नगर निगम के आयुक्त के समक्ष अभ्यावेदन देने को कहा।

इससे पूर्व पाटलिपुत्र कॉपरेटिव सोसाइटी द्वारा 1957 में म्यूनिसिपल सेवाओं को देने का आग्रह राज्य सरकार से किया गया था, लेकिन राज्य सरकार द्वारा आर्थिक कारणों का हवाला देते हुए अस्वीकार दिया था।

लेकिन जो फैसले दिए गए,उससे इस कॉलोनी को समस्यायों से निजात और लाभ नहीं मिला।आज भी स्थिति वैसी ही बनी हुई है।

Patna High Court: पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में कई व्यक्तियों के आंख की रौशनी खो जाने के मामले में सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार ने हलफनामा दायर कर कार्रवाई रिपोर्ट दायर किया। मुकेश कुमार ने ये जनहित याचिका दायर की है। इसमें कोर्ट को बताया गया कि आँखों की रोशनी गवांने वाले पीडितों को बतौर क्षतिपूर्ति एक एक लाख रुपए दिए गए हैं। साथ ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को बंद करके एफ आई आर दर्ज कराया गया है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह को कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामा का जवाब दायर करने के 31 मार्च,2022 तक का समय दिया है।उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस मामलें प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है,लेकिन अनुसंधान का कार्य नहीं हो रहा हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वी के सिंह को इस अस्पताल को पार्टी बनाने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने मुकेश कुमार की जनहित याचिका पर पिछली सुनवाई में स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को विस्तृत हलफनामा दायर करने का आदेश दिया था।

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इस याचिका में हाई लेवल कमेटी से जांच करवाने को लेकर आदेश देने अनुरोध किया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि कथित तौर पर आई हॉस्पिटल के प्रबंधन व राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बरती गई अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपने आँखों को खोना पड़ा।

याचिका में यह कहा गया है कि राज्य सरकार के अधिकारियों को भी एक नियमित अंतराल पर अस्पताल का निरीक्षण करना चाहिए था। याचिका में आगे यह भी कहा गया है कि जिम्मेदार अधिकारियों व अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी आंख गंवानी पड़ी।

मुजफ्फरपुर आई अस्पताल प्रबंधन व जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आंख खोए व्यक्तियों को मुआवजा देने का भी आग्रह किया गया है। पीड़ितों को सरकारी अस्पताल में उचित इलाज करवाने को लेकर आदेश देने का भी अनुरोध किया गया है।

इस मामले पर अगली सुनवाई आगामी 31मार्च,2022 को की जाएगी।

राष्ट्रपति ने पटना हाई कोर्ट के दो अधिवक्ताओं, राजीव राय और हरीश कुमार को पटना हाई कोर्ट का जज नियुक्त

भारत के राष्ट्रपति ने पटना हाई कोर्ट के दो अधिवक्ताओं, राजीव राय और हरीश कुमार को पटना हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया है। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 217 के क्लॉज़ (1) में दी गई शक्ति का उपयोग करते हुए की गई है। कार्यभार संभालने की तिथि से इनकी वरीयता निर्धारित की जाएगी।

इस आशय की अधिसूचना भारत सरकार के विधि व न्याय मंत्रालय द्वारा 24 मार्च 2022 को जारी की गई है। अधिसूचना की प्रति अधिवक्ता राजीव राय और अधिवक्ता हरीश कुमार को भी पटना हाई कोर्ट के महानिबंधक के जरिये भेजी गई है।

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इसके अलावे अधिसूचना की प्रति बिहार के राज्यपाल के सचिव, राज्य के मुख्यमंत्री के सचिव, पटना हाई कोर्ट चीफ जस्टिस के सचिव, बिहार सरकार के चीफ सेक्रेटरी के सचिव, पटना हाई कोर्ट के महानिबंधक व राज्य के अकाउंटेंट जनरल, प्रेसिडेंटस सेक्रेटेरिएट ( नई दिल्ली), प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के पी एस, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के कार्यालय के रजिस्ट्रार, सेक्रेटरी (जस्टिस) के एम एल एंड जे/ पी पी एस के पी एस व डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के टेक्निकल डायरेक्टर को भी भेज दी गयी है।

Patna High Court: बिहार उद्योग सेवा संवर्ग संशोधन नियम,2013 के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने बिहार उद्योग सेवा संवर्ग संशोधन नियम,2013 के विरुद्ध दायर याचिका पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुमंत कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता की अधिवक्ता वर्धन मंगलम ने कोर्ट को बताया कि बिहार उद्योग सेवा संवर्ग के तहत 60 प्रोजेक्ट मैनेजरों के पद पर बहाली के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। इसमें कामर्स को शामिल नहीं किया गया था।

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कोर्ट ने इस पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि उद्योग विभाग में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर बहाली के लिए कामर्स को क्यों शामिल नहीं किया गया। याचिकाकर्ता की अधिवक्ता वर्धन मंगलम ने कहा कि इस तरह की बहाली गलत,गैर कानूनी और भारतीय संविधान की धारा 14 का उल्लंघन होगा।

कोर्ट ने ये स्पष्ट कर दिया कि इन पदों पर नियुक्ति इस रिट के परिणाम पर निर्भर करेगा। इस मामलें पर अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी।

Patna High Court: पीडीएस डीलर को बिना नोटिस दिए उससे सम्पूर्ण रोजगार योजना के अनाज का पैसा वसूलने के मामलें में राज्य सरकार से जवाबतलब किया है

जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने लक्ष्मण रॉय की याचिका पर सुनवाई की। पटना हाईकोर्ट ने पीडीएस डीलर को बिना नोटिस दिए उससे सम्पूर्ण रोजगार योजना के अनाज का पैसा वसूलने के मामलें में राज्य सरकार से जवाबतलब किया है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आनंद कुमार ओझा ने कोर्ट को बताया सम्पूर्ण रोजगार योजना के तहत अनाज का।वितरण नहीं किये जाने को लेकर जांच और कार्रवाई करने के लिए रिटायर्ड जज उदय सिन्हा कमेटी गठित किया गया।

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कमेटी ने पी डी एस डीलरो को व्यक्तिगत और सार्वजनिक नोटिस दिए।उन्हें दोषी मानते हुए बचे अनाज की वसूली का जिम्मेदार बताते हुए पैसे वसूली का आदेश दिया।

उनका मानना था कि आवेदक पी डी एस डीलर के पास 9 quintal अनाज दुकान में बचा था।अनाज उठाने के लिए सरकारी अधिकारियों से प्रार्थना करने के बाद कूपन जारी नहीं किया गया और अनाज खराब हो गया।इस मामलें पर आगे सुनवाई होगी।

Patna High Court: राज्य के पटना स्थित जय प्रकाश नारायण एयरपोर्ट समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के विस्तार और भूमि अधिग्रहण व अन्य मुद्दों के मामले पर सुनवाई की

चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने गौरव सिंह समेत अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई में पटना के जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट के निर्देशक को तलब किया है।

राज्य में पटना के जयप्रकाश नारायण अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के गया, मुजफ्फरपुर,दरभंगा,भागलपुर,फारबिसगंज , मुंगेर और रक्सौल एयरपोर्ट हैं।लेकिन इन एयरपोर्ट पर बहुत सारी आधुनिक सुविधाओं के अभाव व सुरक्षा की भी समस्या हैं।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पूर्णिया एयरपोर्ट से संबंधित सभी जमीन अधिग्रहण के मुकदमों को डी एम को सुनवाई कर इन मामलों को 45 दिनों में निपटाने का निर्देश दिया था।

पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुमीत कुमार ने जानकारी दी थी कि कोर्ट ने दो दिनों के भीतर गया एयरपोर्ट के संबंध में जमीन अधिग्रहण को लेकर लंबित मुकदमों का चार्ट देने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने पूर्णिया एयरपोर्ट के संबंध में पटना हाई कोर्ट के समक्ष लंबित मुकदमों को सूची प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

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याचिकाकर्ता की अधिवक्ता अर्चना शाही ने बताया कि राज्य के कई एयरपोर्ट कार्यरत नहीं है,जबकि, पटना एयरपोर्ट के विस्तार के लिए बिहार सरकार से एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया भूमि की मांग कर रहा है ,लेकिन जगह नहीं मिल रहा है।

उन्होंने बताया कि गया एयरपोर्ट के लिए भी 26 एकड़ जमीन ही दिया गया। बाकी जमीन अबतक नहीं दिया गया। जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया के तहत बिहार सरकार ने लगभग 260 करोड़ रुपये के लिए अपील दायर कर रखा है।

इस कारण न तो मुआवजा मिला है और न जमीन अधिग्रहण पूरा हुआ है।बिहार में बिहटा का एयरपोर्ट स्टेशन, पूर्णिया एयरपोर्ट और सबेया एयरपोर्ट सिर्फ सेना के इस्तेमाल के लिए होता हैं।

भागलपुर एयरपोर्ट, जोगबनी स्थित फोरबेसगंज एयरपोर्ट, मुंगेर एयरपोर्ट और रक्सौल एयरपोर्ट बंद पड़े हुए हैं।बिहार में सिर्फ दो ही अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट गया और पटना में हैं।

अगली सुनवाई में गया और बोध गया के विकास से सम्बंधित मामलें भी शामिल रहेंगे।साथ ही गया के विष्णुपद मंदिर से भी सम्बंधित मुद्दों पर सुनवाई होगी।

गया एयरपोर्ट राज्य का पहला अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट है, जहां से मुख्यतः बौद्ध देशों जैसे श्रीलंका व कंबोडिया आदि के लिए फ्लाइट चलाई जाती है।

इस मामले पर अगली सुनवाई 30 मार्च ,2022 को होगी।

Patna High Court : ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से हटाए गए मोतिहारी के लोक अभियोजक जय प्रकाश मिश्र को अदालती आदेश के बाद भी अपने पद पर बहाल नहीं किये जाने पर सुनवाई की।

जस्टिस पी बी बजन्थरी ने अवमाननावाद पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के विधि विभाग के सचिव व संयुक्त सचिव को तलब किया है।

राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि 21 दिसंबर, 2021 को कही गई बात के लिए संयुक्त सचिव को शो कॉज नोटिस जारी किया गया है। 21 दिसंबर, 2021 को कोर्ट के आदेशानुसार संयुक्त सचिव उमेश कुमार शर्मा कोर्ट में उपस्थित थे।

उन्होंने राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता अजय कुमार रस्तोगी को निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता की बर्खास्तगी के आदेश को एक सप्ताह के भीतर वापस ले लिया जाएगा।

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कोर्ट का कहना था कि यदि यह मान भी लिया जाता है कि पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए 21 दिसंबर के आदेश को वापस ले लिया जाता है ,तो भी नियत समय के संबंध में 21 दिसंबर से हस्तक्षेप की अवधि के संबंध में अवमानना किया जा रहा है।

कोर्ट का यह भी कहना है कि इस संबंध में राज्य सरकार के विधि विभाग के सचिव और संयुक्त सचिव के विरुद्ध चार्ज फ्रेम क्यों नहीं किया जाए क्योंकि 21 मार्च, 2022 तक फ़ाइल विधि विभाग के कार्यालय में लंबित है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ सतीश चन्द्र मिश्र व राजीव रंजन ने बताया कि कही गई इन बातों के आधार पर कोर्ट ने 21 दिसंबर, 2021 को याचिका को निष्पादित करते हुए राज्य सरकार के विधि विभाग के संयुक्त सचिव को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित रहने से मना कर दिया था। इस मामले पर अगली सुनवाई अब आगामी 31 मार्च को की जाएगी।

Patna High Court : बिहार में दावा प्राधिकरण से तय हुए वाहन दुर्घटना के मुआवजे राशि का सौ फीसदी और त्वरित भुगतान हेतु आवश्यक नियमावली बनाने के लिए दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई की

जस्टिस राजन गुप्ता की खण्डपीठ ने आईसीआईसीआई लोंबार्ड इंश्योरेंस कम्पनी की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एमिकस क्यूरी मृगांक मौली को इस मामलें में सुझाव देने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता कंपनी ने मद्रास व राजस्थान हाई कोर्ट के फैसलों का उदाहरण पेश करते हुए कोर्ट को बताया कि इन दोनों राज्यों में दावा प्राधिकरण से तय हुए मुआवजा राशि का त्वरित भुगतान , इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से करने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया गया है ।

इसी तरह से बिहार में भी राशि का भुगतान आरटीजीएस व एनईएफटी माध्यम के जरिये भुगतान हेतु आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया जा सकता है ।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुर्गेश कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत कानूनी राशि जो कोर्ट में बीमा कम्पनी या भुगतानकर्ता को करनी होती है ,उसे भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भुगतान करने का प्रावधान हो ।

दावा प्राधिकरण से तय हुए अवार्ड की राशि के भुगतान में 3 से 4 साल लग जाते हैं और बिचौलियों के कारण मुआवजे का बड़ा हिस्सा कट जाता है ।

इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भुगतान होने पर बिचौलियों की कोई समस्या अपने आप सुलझ जाएगी और राशि भी पीड़ित परिवार को त्वरित गति से मिल जाएगी । इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व हाईकोर्ट प्रशासन को अगली सुनवाई में जवाब दायर करने को कहा।इस मामलें पर आगे सुनवाई की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने सीनियर सेकेंडरी एलिजिबिलिटी टेस्ट में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा गलत उत्तर का विकल्प के रूप में देने के मामलें में सुनवाई की

जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने नितिन कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को दिया।

कोर्ट ने बिहार परीक्षा समिति को स्पष्ट कर दिया कि सीनियर सेकेंडरी शिक्षक की कोई भी अंतरिम नियुक्ति इस मामलें में कोर्ट के निर्णय पर निर्भर करेगा।

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उन्होंने कोर्ट को बताया कि प्रश्न संख्या 4,50,59,85,89 के उत्तरों के विकल्प गलत दिया गया था।ये परीक्षा कंप्यूटर साइंस से सम्बंधित था।

याचिककर्ता की अधिवक्ता रितिका रानी ने बताया कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के समक्ष उम्मीद्वार ने 7 गलत विकल्प प्रस्तुत किया, लेकिन समिति ने इन गलतियों को अनदेखा कर दिया।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस प्रकार की गड़बडियां होने के कारण बहुत उम्मीद्वारों का भविष्य खतरे में पड गया है।कंप्यूटर साइंस में 1673 पदों पर नियुक्ति होनी हैं।इस मामलें पर आगे सुनवाई की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने बिहार लोक सेवा आयोग(बीपीएससी)के सचिव को 24 मार्च,2022 को तलब किया है

जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने डॉ अखिलेश कुमार द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई की। पटना हाई कोर्ट ने बिहार लोक सेवा आयोग ( बी पी एस सी) के सचिव को 24 मार्च,2022 को तलब किया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने 21 फरवरी, 2022 को बिहार लोक सेवा आयोग को जवाब/ जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय दिया था। कोर्ट ने इस आदेश के साथ हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था।

कोर्ट ने ये भी कहा था कि यदि जवाब / जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया जाता है ,तो 21 मार्च, 2022 को ऑफिसर इंचार्ज उपस्थित रहेंगे।

21 मार्च,2022 को न तो जवाब / जवाबी हलफनामा दाखिल किया गया और न ही ऑफिसर इंचार्ज उपस्थित थे। इस पर कोर्ट का कहना था कि इस तरह का रवैया स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इस मामले पर आगे की सुनवाई 24 मार्च, 2022 को की जायेगी।

पटना हाईकोर्ट ने 38 साल तक काम करने वाले संस्कृत शिक्षक को राहत देते हुए उनकी बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया

जस्टिस संजीव कुमार प्रकाश शर्मा ने याचिकाकर्ता संस्कृत शिक्षक चंद्र भूषण प्रसाद की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें सभी सुविधाओं के साथ उन्हें शिक्षक पद पर बहाल करने का आदेश दिया। पटना हाईकोर्ट ने 38 साल तक काम करने वाले संस्कृत शिक्षक को राहत देते उनकी बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया।

कोर्ट को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संतोष कुमार ने बताया कि वर्ष 1981 में याचिकाकर्ता को सहायक संस्कृत शिक्षक के पद पर नियुक्त किया गया था।बाद में उन्हें प्रोन्नति देकर प्रभारी प्रधानाध्यापक बनाया गया।

लेकिन 38 वर्षों के बाद अचानक 22 फरवरी 2019 को बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के सचिव ने शिक्षक की नौकरी से बर्खास्त करते हुए अबतक भुगतान किए गए राशि की वसूली का आदेश जारी कर दिया।

इसी आदेश की वैधता को चुनौती देते हुए यह रिट याचिका 2019 में दायर की गई थी जिसे मंजूर करते हुए कोर्ट याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला दिया।

भ्रष्ट आचरण को लेकर पटना हाईकोर्ट ने कई जज को सेवा से किया मुक्त

पटना हाई कोर्ट के अनुशंसा के आलोक में 14 न्यायिक पदाधिकारियों को बिहार सेवा संहिता, 1952 के नियम – 74 (बी)(ii) के अंतर्गत अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है। इस आशय की अधिसूचना बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 16 मार्च, 2022 को जारी की गई है।

अनिवार्य सेवानिवृत्त किये जाने वालों में शेखपुरा के जिला व सत्र न्यायाधीश जितेंद्र कुमार दूबे, पटना हाई कोर्ट के विशेष कार्य पदाधिकारी कमरूल होदा, मधुबनी के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश इशरातुल्लाह, मुजफ्फरपुर (सम्प्रति निलंबित ) के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार- III, कटिहार के डी एल एस ए के सचिव विपुल सिन्हा हैं।

भागलपुर (सम्प्रति निलंबित ) के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश सुश्री प्रीति वर्मा, बांका के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश चंद्र मोहन झा, बाढ़ (पटना) के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश शत्रुघ्न सिंह, रोहतास, सासाराम के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश परिमल कुमार मोहित भी शामिल है।

भागलपुर के श्रम न्यायालय के पीठासीन पदाधिकारी प्रभु नाथ प्रसाद, मोतिहारी ( सम्प्रति निलंबित ) के सब जज – सह – सी जे एम सुधीर कुमार सिन्हा, मुजफ्फरपुर (पश्चिम) के सब जज – सह – ए सी जे एम, सतीश चंद्र, पटना सिटी (सम्प्रति निलंबित ) के सब जज – सह- ए सी जे एम संजीव कुमार चन्द्रीयावी व मसौढ़ी, पटना (सम्प्रति निलंबित ) के एस डी जे एम हरे राम का नाम शामिल है।

पटना हाईकोर्ट ने अधिवक्ता दिनेश को सशर्त ज़मानत दी

पटना हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पर कथित रूप से जजों समेत अन्य गणमान्य व्यक्तियों के विरुद्ध आपत्तिजनक पोस्ट किये जाने के मामले में जेल में बंद अधिवक्ता दिनेश को सशर्त ज़मानत दी। जस्टिस ए एम बदर ने अधिवक्ता दिनेश की नियमित ज़मानत हेतु दायर याचिका पर वर्चुअल रूप से सुनवाई की।

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इस मामलें पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इस शर्त पर ज़मानत दी कि वे भविष्य में इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति नहीं करेंगे। याचिकाकर्ता दिनेश के वरीय अधिवक्ता विंध्याचल सिंह ने बताया कि उक्त मामले में अधिवक्ता की गिरफ़्तारी 16 दिसंबर, 2021 को की गई थी।

इस मामले में 11 फरवरी, 2022 को चार्जशीट दायर किया गया था।

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के एयरपोर्ट के विस्तार और भूमि अधिग्रहण मामले पर सुनवाई की

पटना । हाई कोर्ट ने राज्य के पटना स्थित जय प्रकाश नारायण एयरपोर्ट,पटना समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के विस्तार और भूमि अधिग्रहण व अन्य मुद्दों के मामले पर सुनवाई की।

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चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने गौरव सिंह समेत अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य के विकास आयुक्त को दो सप्ताह में सभी पक्षों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया हैं।

मोतिहारी कोर्ट के पीपी को हटाने के मामले में हाईकोर्ट ने सीएम के प्रधान सचिव को जारी किया नोटिस

पटना हाई कोर्ट ने गैरकानूनी तरीके से हटाए गए मोतिहारी के लोक अभियोजक ( पीपी ) जय प्रकाश मिश्र को अदालत के आदेश के बाद भी अभी तक पद पर बहाल नहीं किये जाने के मामलें मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव को नोटिस जारी किया है। जस्टिस पी बी बजन्थरी ने मोतिहारी के लोक अभियोजक जयप्रकाश मिश्रा द्वारा दायर अवमानना के मामलें पर सुनवाई की।

कोर्ट ने कहा कि विधि विभाग के संयुक्त सचिव उमेश कुमार शर्मा को खुद ही पहल कर अदालती आदेश का पालन कराना चाहिए था।

कोर्ट का कहना था कि विधि विभाग के संयुक्त सचिव को नोटिस जारी करते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा था। कोर्ट ने उनसे यह पूछा था कि अदालती आदेश की अवहेलना के मामले में क्यों नहीं उन्हें जिम्मेवार माना जाय।

कोर्ट ने सरकारी वकील को स्पष्ट रूप से कहा था कि अवमानना का यह मामला दोषी पदाधिकारी के विरुद्ध दायर किया गया है, इसलिये इस मामले को लेकर जिम्मेदार व्यक्ति को स्वयं अदालत में अपना जवाब देना होगा कि उसने अदालती आदेश का पालन निर्धारित अवधि में क्यों नही किया।

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पूर्व में कोर्ट को सरकार की ओर से बताया गया कि इस मुकदमे से संबंधित संचिका मुख्य मंत्री के यहां लंबित है, इसलिए इसमें अदालती आदेश का पालन नही हो सका है।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए विधि विभाग के संयुक्त सचिव को 21 दिसंबर, 2021 को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता की बर्खास्तगी के आदेश को एक सप्ताह में वापस लेते हुए तत्काल प्रभाव से इनकी नियुक्ति मोतिहारी के पीपी के पद पर करने का पत्र जारी कर दें। अदालती आदेश में दिए गए निर्धारित अवधि के बीत जाने के बाद भी जब याचिकाकर्ता की नियुक्ति नहीं की गई ,तो अदालती आदेश की अवमानना का यह मामला दायर किया गया था।

इस मामले पर आगे की सुनवाई अब दस दिनों में की जाएगी।