बिहार की राजनीतिक गलियारों में चर्चा सरेआम है कि बिहार विधानसभा सत्र के समापन के साथ ही बिहार की राजनीति में बवंडर आना तय है हाल ही में केन्द्रीयमंत्री नित्यानंद राय और नीतीश कुमार की मुलाकात उसी बवंडर को थोड़े समय तक टालने की कवायत मानी जा रही है। हालांकि यूपी में मिली जीत से बीजेपी काफी उत्साहित है लेकिन बीजेपी इस बात को लेकर चिंतित है कि बिहार सरकार के एक वर्ष पूरे होने के बावजूद बीजेपी का कोई भी मंत्री उस तरह का प्रभाव नहीं छोड़ पाया है जिसके सहारे बिहार की राजनीति को साधा जा सके।
ऐसे में सत्र के बाद बिहार मंत्रीमंडल में बीजेपी कोटे के मंत्री में बड़ा बदलाव हो सकता है जिसमें उप मुख्यमंत्री सहित कई मंत्रियों का हटना तय माना जा रहा है ।वही नीतीश कुमार ने मंत्रीमंडल में बदलाव का प्रस्ताव लेकर आये केन्द्रीयमंत्री नित्यानंद राय को दो टूक कह दिया है कि साथ सरकार चलानी है तो बिहार विधानसभा के अध्यक्ष को भी हटाये ,ऐसी खबरें आ रही है कि अध्यक्ष को मंत्रीमंडल में शामिल करने पर विचार चल रही है।
आज दिल्ली में बिहार बीजेपी के सांसदों से पीएम की मुलाकात इसी की एक कड़ी मानी जा रही है क्यों कि बिहार को लेकर ऐसी खबरे आनी शुरु हो गयी है कि नीतीश कुमार बीजेपी और खास करके अमित शाह के कार्यशैली से नराज चल रहे हैं और वो साथ छोड़ने को लेकर सही समय का इन्तजार कर रहे हैं ऐसे में नीतीश कुमार का विकल्प क्या हो सकता है इस पर भी राय-मशविरा हुआ है वैसे बोचहा विधानसभा उप चुनाव में भाजपा सांसद का चिराग पासवान से मिलना इसी कड़ी का एक हिस्सा माना जा रहा है ।
इस बीच यूपी में मुलायम के परिवार की वापसी नहीं होने पर तेजस्वी नीतीश कुमार को लेकर पहले से मुलायम हुए हैं और शरद पवार और के0 चंद्रशेखर राव द्वारा विपक्षी एकता को लेकर जो कवायत शुरु की गयी है उसमें ममता बनर्जी के शामिल होने की खबर आ रही है।
इसी को देखते हुए राजद राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन की सियासी खेल को संभालने के लिए शरद यादव की पार्टी का राजद में विलय करया है ताकि दिल्ली की राजनीति को साधा जा सके और इसके लिए राजद अपने कोटे से शरद यादव को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया है।
इस बीच खबर ये भी आ रही है कि विपक्षी एकता अगर शक्ल लेती है तो नीतीश कुमार चाहेंगे की बिहार में मध्यावधि चुनाव हो और वो भी गुजरात के साथ हो। जदयू जिस तरीके से पंचायत स्तर तक पार्टी संगठन को मजबूत करने की कोशिश में लगी है उसको मध्यावधि चुनाव से ही जोड़ कर देखा जा रहा है ।वैसे राष्ट्रपति चुनाव आते आते बहुत कुछ स्पष्ट हो जायेगा ये साफ दिखने लगा है ।
क्यों कि नीतीश कुमार पर जिस तरीके से बीजेपी लगातार दबाव बना रही है ऐसे में बहुत मुश्किल हो रहा है नीतीश कुमार को सरकार चलाना जानकारी यह भी है कि फिल्म कश्मीर फाइल्स को बिहार में टैक्स फ्री होने कि जानकारी उन्हें मीडिया से मिली थी ।
इसी तरह विधानसभा में वंदे मातरम को शामिल करना, फिर जुम्मा की नमाज को लेकर विधानसभा में बेवजह तूल देना ,वही बिहार विधानसभा में बन रहे शताब्दी स्तंभ से अशोक स्तंभ का हटाया जाना जैसे कई मुद्दे हैं जिसको लेकर नीतीश असहज महसूस कर रहे हैं ऐसे में बिहार विधानसभा अध्यक्ष के कार्यशैली को लेकर नीतीश कुमार को सदन में आकर प्रतिकार करना पड़ा उससे नीतीश काफी आहत है ऐसे कई मुद्दे हैं जिसको लेकर नीतीश सहज नहीं है ।