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Patna High Court: राज्य के पटना स्थित जय प्रकाश नारायण एयरपोर्ट,पटना समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के मामले पर सुनवाई हुई

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के पटना स्थित जय प्रकाश नारायण एयरपोर्ट,पटना समेत राज्य के अन्य एयरपोर्ट के मामले पर सुनवाई की।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने गौरव कुमार सिंह व अन्य द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को विभिन्न एयरपोर्ट के विस्तार,विकास व भूमि अधिग्रहण के सम्बन्ध में की जा रही कार्रवाई का ब्यौरा देने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी राज्य में एयरपोर्ट के लिए किये जा रहे सर्वे का पूरा ब्यौरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
इससे पहले की सुनवाई में पटना के जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट के निर्देशक कोर्ट में उपस्थित हो कर पटना और राज्य के अन्य एयरपोर्ट की स्थिति के सम्बन्ध में ब्यौरा पेश किया था।

उन्होंने पटना एयरपोर्ट की समस्याओं को बताते हुए कहा कि हवाई जहाज लैंडिंग की काफी समस्या है।सामान्य रूप से रनवे की लम्बाई नौ हज़ार फीट होती हैं, जो कि पूर्णिया व दरभंगा में उपलब्ध है,जबकि पटना में रनवे की लम्बाई 68 सौ फीट हैं।

उन्होंने बताया कि एक ओर रेलवे लाइन है और दूसरी ओर सचिवालय हैं।उन्होंने कोर्ट को बताया था कि रन वे की लम्बाई बढ़ाने के लिए सर्वे शुरू होगा।कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को यह जानकारी देने को कहा है कि बिहार के सटे राज्य झारखंड,बंगाल,उत्तर प्रदेश,ओडिशा,उत्तर पूर्व के राज्यों में कितने एयरपोर्ट हैं।

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कोर्ट को राज्य के गया,पूर्णियां और अन्य एयरपोर्ट के विस्तार,विकास और भूमि अधिग्रहण से सम्बंधित समस्यायों के बारे में बताया गया

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के एडवोकेट जनरल से कहा था कि गया एयरपोर्ट के विस्तार के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए 268 करोड़ रुपए कोर्ट में जमा करा दे।सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय के बाद उसका निबटारा होगा।

एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को बताया कि इसके लिए राज्य सरकार से निर्देश की आवश्यकता होगी।अधिवक्ता अर्चना शाही ने कोर्ट को बताया था कि सम्बंधित केंद्रीय मंत्री ने राज्य सभा में बताया कि पटना एयरपोर्ट के विस्तार और विकास के 1260 करोड़ रुपए की राशि निर्गत किया गया।

लेकिन अर्चना शाही ने बताया कि अब तक इस धनराशि का 32% खर्च किया गया है।

राज्य में पटना के जयप्रकाश नारायण अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के अलावा गया, मुजफ्फरपुर,दरभंगा,भागलपुर,फारबिसगंज , मुंगेर और रक्सौल एयरपोर्ट हैं।लेकिन इन एयरपोर्ट पर बहुत सारी आधुनिक सुविधाओं के अभाव व सुरक्षा की भी समस्या हैं।

इस मामलें पर कोर्ट में अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी।

संजय गाँधी जैविक उद्यान (पटना चिड़ियाघर) रहेगा बंद

दिनांक 19 और 20 अप्रैल 2022 को संजय गाँधी जैविक उद्यान (पटना चिड़ियाघर) रहेगा बंद|

सर्वसूचित किया जाता है कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार अंतर्गत संचालित “संजय गाँधी जैविक उद्यान” में दिनांक 19 और 20 अप्रैल 2022 (मंगलवार और बुधवार) को आयोजित वनपाल एवं वनरक्षी के चयन हेतु शारीरिक क्षमता जाँच/माप परीक्षण के कारण, पटना चिड़ियाघर को सभी दर्शकों/ मॉर्निंग वाकर्स (सुबह भ्रमण करने वाले) के लिये पूर्णत: बंद रहेगा|

पटना चिड़ियाघर
पटना चिड़ियाघर

उक्त दोनों दिवसों में आमजनों से संबधित कोई भी गतिविधि को भी पूर्णत: स्थगित किया गया है|

पुन: दिनांक 21 अप्रैल 2022 (गुरुवार) से पटना चिड़ियाघर अपने नियत समय से पूर्व की भांति सभी दर्शकों और मॉर्निंग वाकर्स के लिए खुला रहेगा|

पटना हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस जे एन भट्ट का आज निधन हो गया हैं, वे 76 वर्ष के थे

जस्टिस भट्ट का जन्म गुजरात के जामनगर में 16 अक्टूबर,1945 को हुआ था। उन्होंने एम.कॉम,एल एल एम और लॉ में पी एच डी की डिग्री ली।

1968 में जस्टिस भट्ट ला की प्रैक्टिस शुरू की। उन्होंने गुजरात की न्यायिक सेवा में सीधे ज़िला जज के रूप में योगदान दिया।

1990 में जस्टिस भट्ट गुजरात हाईकोर्ट के पर्मानेंट जज बने।उसके बाद गुजरात हाईकोर्ट का कार्यवाहक चीफ जस्टिस बने।

Justice Dr. J.N. Bhatt

18 जुलाई,2005 को वे पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने। अक्टूबर,2007 जस्टिस भट्ट पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप सेवानिवृत हुए। उसके बाद गुजरात लॉ कमीशन के अध्यक्ष बने। उसके बाद वे गुजरात मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के पद पर कार्य किया।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा महाबोधि मंदिर के परिसर में 250 व्यक्तियों के क्षमता वाले पुलिस बैरक का हुआ उद्घाटन

गया, बोधगया 16 अप्रैल 2022, महाबोधि मंदिर के परिसर में 250 सुरक्षाकर्मियों के रहने के लिए पुलिस बैरक का निर्माण भवन निर्माण विभाग द्वारा 611 लाख रुपए की लागत से दो वर्ष में निर्माण किया गया है। जिसका उद्घाटन आज माननीय मुख्यमंत्री बिहार द्वारा किया गया। पुलिस बैरक निर्माण होने से महाबोधि मंदिर की सुरक्षा में और मुस्तैदी से कार्य किया जाएगा।

इसके उपरांत महाबोधि मंदिर परिसर में पश्चिमी चहारदीवारी पर लगाए गए जातक कथा पैनल का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोकापर्ण किया। जातक कथा का 38 पैनल में भगवान बुद्ध के उपदेशों को अंकित किया गया है। इसे रेड स्टोन से 98 लाख रुपये की लागत से 6 माह में पूर्ण किया गया है। जातक भगवान बुद्ध के पूर्व जन्मों की कहानी है, जब वे बोधिसत्व थे। 500 से अधिक जातक कहानी है। मंदिर के बाहरी परिसर में भी दीवारों पर 23 जातक पैनल पहले से लगे हैं।

इसके उपरांत लगभग 13 करोड़ रुपए की लागत से डेढ़ वर्ष में पूर्ण होने वाले बीटीएमसी के नए भवन का शिलान्यास एवं कार्यों का जायजा लिया। बीटीएमसी के नए निर्माणाधीन भवन बुद्धिस्ट कल्चर को दर्शाता है।

इसके अलावा मुख्यमंत्री ने महाबोधि मंदिर में प्रवेश के लिए लाल बलुआ पत्थर से निर्मित चार प्रवेश द्वारों का भी उद्घाटन किया।

इसके उपरांत माननीय मुख्यमंत्री द्वारा बीटीएमसी कार्यालय के समीप जीविका द्वारा लगाए गए नीरा काउंटर का फीता काटकर उद्घाटन किया माननीय मुख्यमंत्री ने खुशी जाहिर करते हुए नीरा के उत्पादन एवं बिक्री पर जोर दिया।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ताजपुर बख्तियारपुर महासेतु के पुनर्निर्माण कार्यक्रम में शामिल होकर आधारशिला रखी

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज समस्तीपुर पहुंचे जहां रामापुर महेशपट्टी में ताजपुर बख्तियारपुर महासेतु के पुनर्निर्माण कार्यक्रम में शामिल होकर आधारशिला रखी और फोरलेन निर्माण में गति लाने को लेकर संबंधित विभिन्न विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर फीडबैक लिया ।

2011 में नीतीश कुमार ने बख्तियारपुर ताजपुर महासेतु फोरलेन का शिलान्यास किया था । उस समय निर्माण एजेंसी के द्वारा 5 वर्षों में कार्य पूरा करने की बात कही गई थी । लेकिन शिलान्यास के एक दशक बाद भी फोरलेन निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका । बख्तियारपुर ताजपुर महासेतु योजना का लगभग 90 फ़ीसदी से अधिक भूभाग मोरवा ,मोहनपुर एवं शाहपुर पटोरी प्रखंड में पड़ता है ।

भीषण गर्मी से निपटने के लिए स्वास्थ्य महकमा अलर्ट मोड परः मंगल पांडेय

पटना। स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने कहा कि राज्य में बढ़ते भीषण गर्मी को देखते पूरे राज्य में स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है। इस गर्मी से आमजनों को स्वास्थ्य संबंधी गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसे देखते हुए राज्य के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सकीय इलाज के लिए अस्पतालों में डेडिकेटेड वार्ड की व्यवस्था की जा रही है। साथ ही झुलसाती गर्मी व लू से होने वाली बीमारियों जैसे डायरिया एवं अतिसार से संबंधित ओआरएस पाउडर समेत सभी प्रकार की आवश्यक दवाओं की उपलब्धता अस्पतालों में सुनिश्चित की जा रही है।

श्री पांडेय ने कहा कि राज्य के सभी सदर अस्पताल के अलावा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, रेफरल अस्पताल और अनुमंडलीय अस्पताल में मौजूद एंबुलेंसों में लगे एसी, आक्सीजन एवं अन्य उपकरण दुरुस्त स्थिति में है, ताकि संबंधित मरीजों का अविलंब उपचार हो सके। सभी सिविल सर्जनों को सदर अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल तथा जिला के प्रभावित क्षेत्रों के निकटतम सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में रोस्टर संधारित कर अतिरिक्त चिकित्सकों एवं पारा चिकित्साकर्मियों की 24 घंटे तैनाती तथा आवश्यक चिकित्सा उपकरण एवं मेडिकल डिवाइस उपलब्धता सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया गया है।

श्री पांडेय ने कहा कि सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों एवं चिकित्सा महाविद्यालयों में अतिरिक्त विशेषज्ञ चिकित्सक आनकाल ड्यूटी पर 24 घंटे मौजूद रहेंगे, ताकि आपातकालीन स्थिति में सूचित किए जाने पर वे शीघ्र संबंधित अस्पताल में उपस्थित हो सकें। भीषण गर्मी के मद्देनजर सभी सरकारी अस्पतालों के सामान्य वार्ड में एसी, कूलर और पंखा समेत अन्य जरूरी सुविधाओं को भी दुरूस्त करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही गर्म हवा और लू से बचाव की जानकारी आम जनमानस को उपलब्ध कराने हेतु जिलास्तरीय आपदा प्रबंधन शाखा से समन्वय बना प्रचार-प्रसार कराने पर विशेष जोर देने को कहा गया है।

बोचहा उपचुनाव में मिला जनादेश स्वीकार, हार की समीक्षा होगी – डॉ संजय जायसवाल

पटना, 16 अप्रैल, 2022 । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि बोचहा में मिला जनादेश स्वीकार है। उन्होंने बोचहा से विजयी प्रत्याशी अमर पासवान को बधाई और शुभकामना भी दी।

डॉ जायसवाल ने कहा पार्टी किसी भी जनादेश को सहर्ष स्वीकार करती है। बोचहा में मिला लोगों का आदेश स्वीकार है। उन्होंने कहा कि जिन्होंने एनडीए के प्रत्याशी को समर्थन दिया उनका आभार।

उन्होंने कहा कि इस परिणाम से पार्टी परेशान नहीं है, बोचहा परिणाम की समीक्षा की जाएगी। इसके बाद फिर आगे की रणनीति बनाई जाएगी।

भाजपा अध्यक्ष ने माना कि हम अपनी बातों को बोचहा के मतदाताओं को सही ढंग से समझा नहीं पाए, इस कारण यह परिणाम आया।

डॉ संजय जायसवाल
डॉ संजय जायसवाल

उन्होंने कहा कि भाजपा लगातार संघर्ष के बाद यहां पहुंची है, इसलिए संघर्ष से हम पीछे नहीं हटते। उन्होंने कहा कि इस परिणाम से सरकार पर कोई असर नही पड़ने वाला है। बहरहाल चुनाव समाप्त हो चुका है और अब जरूरत उसके आगे देखने की है।

वक्त अब जनता से किए वादे को पूरा करने का है। समय अब राजनीतिक प्रतिद्वंदिता से ऊपर उठ कर बोचहां को विकास पथ पर आगे बढ़ाने का है। विजयी प्रत्याशी अमर पासवान जी को भारतीय जनता पार्टी परिवार की तरफ से हार्दिक शुभकामनायें हैं और हमें पूरी उम्मीद है कि उनके नेतृत्व में केंद्र व राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे ऐतिहासिक कार्य बोचहां में सफलतापूर्वक जमीन पर उतरेंगे।

बोचहां विधानसभा उपचुनाव, राजद उम्मीदवार अमर पासवान भारी मतो से जीते

बोचहां विधानसभा उपचुनाव मतगणना समाप्त । राजद उम्मीदवार अमर पासवान बड़े अंतर से बीजेपी की बेबी देवी को हराया।

राजद उम्मीदवार अमर पासवान 36653 वोट से जीते ।
राजद के अमर पासवान को 82562 वोट।
बीजेपी की बेबी कुमारी को 45909 वोट।
वीआईपी की गीता कुमारी को 29279 वोट ।

बोचहां विधानसभा उपचुनाव मतगणना खत्म राजद भारी मतो से चुनाव जीता

तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर बोचहा की जनता को हार्दिक धन्यवाद दिया है

राजद प्रत्याशी के जीत पर राजद प्रत्याशी अमर पासवान की पत्नी ने क्या बोली जरा आप भी सुनिए

बीजेपी की करारी हार पर मुकेश सहनी हुए खुश, मिठाई खिलाकर एक दूसरे को दे रहे है बधाई
कार्यकर्ताओ द्वारा राजद की जीत पर जश्न के माहौल
वीआईपी प्रमुख मुकेश साहनी लडू खिलाकर कर रहे है ख़ुशी व्यक्त

बिहार के सुपौल में बर्ड फ्लू की दस्तक

बिहार में बर्ड फ्लू ने दस्तक दे दी है। सुपौल में इसके मामले पाये गये हैं। सदर थाने के छपकाही गांव के कुछ वार्डों से लिये गये सैंपलों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। जिसके बाद गांव में पशुपालन विभाग की टीम तैनात कर दी गयी है। इस टीम ने अब एक किलोमीटर की परिधि के मुर्गे-मुर्गियों को मारने का काम शुरू कर दिया गया है।

बिहार में बर्ड फ्लू ने दस्तक दी

Patna High Court: पटना में महिलाओं के लिए पब्लिक टॉयलेट की कमी और पहले से बने टॉयलेटों के रखरखाव की कमी से बेकार हो जाने पर दायर हुई जनहित याचिका पर सुनवाई हुई

पटना हाईकोर्ट ने पटना में महिलाओं के लिए पब्लिक टॉयलेट की कमी और पहले से बने टॉयलेटों के रखरखाव की कमी से बेकार हो जाने पर दायर हुई जनहित याचिका पर सुनवाई की।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने संजीव कुमार मिश्रा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना नगर निगम व जिला प्रशासन से जवाब तलब किया है।

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कोर्ट को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने खुद बहस करते हुए कोर्ट को बताया कि पटना जंक्शन , राजेन्द्र नगर स्टेशन , गोलंबर , मीठापुर- डाक बंगला , गांधी मैदान , कारगिल चौक के जगहों पर पब्लिक टॉयलेट की कमी है। साथ ही पुराने टॉयलेट के रखरखाव नही होने के कारण ठप्प पड़ चुके हैं ।

दो साल पहले 20 करोड़ रुपये सरकारी राशि से बने इन सभी जगहों के पब्लिक यूरिनल व टॉयलेट बेकार हो चुके हैं । महिलाओं को बहुत मुश्किलें होती है ।

इस मामले की अगली सुनवाई 13 मई, 2022 को होगी ।

2,500 साल पुरानी सायक्लोपियन वाॅल को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल करने की कवायद

पटना । सरकार ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को राजगीर में 2,500 साल से अधिक पुरानी साइक्लोपियन दीवार को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में सूचीबद्ध करने के लिए एक नया प्रस्ताव भेजा है। नीतीश सरकार ने भेजा प्रस्ताव।

राजगीर की साइक्लोपियन दीवार पत्थर की 40 किमी लंबी दीवार है, जिसे तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से पहले बनाया गया था। बाहरी दुश्मनों और आक्रमणकारियों से बचाने के लिए इस दीवार को बनाया गया था।

बिहार के दांडी गढ़पूरा के ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह की 92 वर्षगांठ

बिहार के दांडी’ गढ़पूरा के ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह की 92 वर्षगांठ पर इस वर्ष भी मुंगेर से वाया श्रीकृष्ण सेतु- बलिया-बेगूसराय- मंझौल होते हुए ऐतिहासिक व गौरवशाली नमक सत्याग्रह स्थल तक एक भव्य पदयात्रा आयोजित की जायेगी। वर्ष 2012 से प्रतिवर्ष आयोजित इस पदयात्रा के 12वें वर्ष पर आज पंचवीर में एक तैयारी बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता पंचवीर पंचायत की पूर्व सरपंच व कांग्रेस नेत्री रेणु देवी ने किया। कार्यक्रम का संचालन गढ़पुरा नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा समिति के सक्रिय सदस्य व भगत सिंह यूथ फाउंडेशन के पदाधिकारी राम प्रवेश चौरसिया ने किया।

अपने संबोधन में रेणु देवी ने कहा की बापू ने एक चुटकी भर नमक से कभी नहीं अस्त होने वाली ब्रिटिश सत्ता को सदा के लिए सूर्यास्त का रास्ता दिखा दिया था. देश के प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर “आजादी का अमृत उत्सव” पर्व मनाने की शुरुआत की, यह प्रशंसनीय है. आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के अवसर पर आयोजित इस वर्ष की पदयात्रा ऐतिहासिक होगी। उन्होने कहा की गढपुरा का ऐतिहासिक व गौरवशाली नमक सत्याग्रह स्थल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक अनमोल विरासत है और “बिहार केसरी” श्रीबाबू की कर्मभूमि है। वर्तमान व आनेवाली पीढियों के हित में ऐतिहासिक नमक सत्याग्रह व स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानियों की स्मृतियों को संजोने व संवारने की सख्त जरूरत है। उन्होंने साहबपूर कमाल विधानसभा क्षेत्र के लोगों के साथ-साथ बेगूसराय जिला व राज्य के लोगों से इस पदयात्रा में शामिल होने का आग्रह किया।

समाजसेवी राम आशीष पाठक ने कहा कि इस बार की पदयात्रा में लोग बढ़-चढकर भागीदारी सुनिश्चित करेंगे। श्री पाठक ने बताया कि इस वर्ष की पदयात्रा कोविड नियमों के अनुपालन करते हुये भव्यता के साथ आयोजित की जायेगी।

संचालक कर रहे राम प्रवेश चौरसिया ने कहा कि समाज के सभी वर्ग के लोगों को अपने नौनिहालों व आनेवाली पीढियों के हित में अपनी विरासतों का संरक्षण व संवर्द्धन करना चाहिए। नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा का मुख्य उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम की अनमोल विरासत को वर्तमान व आनेवाली पीढियों के हित में सुरक्षित, संरक्षित व संवर्द्धित करना है,जिससे की वह एक बेहतर नागरिक बनकर राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभा सकें. उन्होंने बताया की नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा रुट पर जनसंपर्क और बैठक आयोजित कर समाज के सभी वर्ग के लोगों के बीच जनजागरण अभियान चलाया जा रहा है। जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इस ऐतिहासिक व गौरवशाली कार्यक्रम का हिस्सा बन सकें।

अपने संबोधन में ग्रामीण व प्रखंड कांग्रेस अध्यक्ष संजीव झा ने कहा की वह खुद तो निश्चित तौर पर पदयात्रा में शामिल होंगे ही, साथ ही साथ जिलेवासियों से भी यह आग्रह करते हैं की वह इस ऐतिहासिक व गौरवशाली पदयात्रा में अवश्य शामिल हों।

जेडीयू प्रखंड अध्यक्ष शंभू कर्मशील ने साहेबपुर कमाल वासियों से पदयात्रा को सफल बनाने में सहयोग का निवेदन किया । तथा जिलेवासियों को देश की इस ऐतिहासिक, गौरवशाली,अनूठी व अपने-आप में ईकलौती पदयात्रा में शामिल होने का आग्रह किया।

इस बैठक में विद्यानंद सिंह शिक्षक नेता, अनिल पाठक, विनोबा पाठक, सुधाकर सिंह, रंजीत झा, निपुण झा, अमन झा, धर्मेंद्र पाठक, हीरा सिंह, सुनील जसवाल, भूषण पाठक भूषण पाठक, नारायण झा, सुबोध पाठक इत्यादि उपस्थित थे ।

Patna High Court: राज्य के नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे पर पर्याप्त संख्या में पेट्रोल पंप नहीं होने के मामले में सुनवाई हुई

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के नेशनल हाई वे और स्टेट हाईवे पर पर्याप्त संख्या में पेट्रोल पंप नहीं होने के मामले सुनवाई की।चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन बेंच इस मामलें पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को इस मामलें में विस्तृत जानकारी अगली सुनवाई में देने का निर्देश दिया।

राज्य के नेशनल व स्टेट हाईवे पर जनसंख्या और।वाहनों की संख्या के अनुपात में पेट्रोल पम्प की संख्या काफी कम हैं।

कोर्ट ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए पूछा कि राज्य नेशनल हाइवे पर कितने पेट्रोल पम्प खोलने की अनुमति दी गई है।

कोर्ट ने इस बात को गम्भीरता से लिया कि 2018 से पेट्रोल पंप स्थापित करने के लिए लगभग एक हज़ार आवेदन के कार्रवाई हेतु लंबित पड़ा हुआ हैं। इन मामलों में ज़िला के डी एम की ओर से अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिलने के कारण मामला अटका हुआ हैं।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने जानना चाहा था कि अबतक नेशनल और स्टेट हाईवे में कितने पेट्रोल पम्प चालू अवस्था में हैं।साथ ही राज्य के विस्तार,जनसंख्या और वाहनों की संख्या के मद्देनजर और कितने पेट्रोल पम्प खोलने की आवश्यकता है।इस बारे में हाल में सर्वे किये गए हैं या नहीं।

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कोर्ट ने इस बात पर भी टिप्पणी की कि राज्य के इन पेट्रोल पंप पर आम लोगों के लिए बुनियादी सुविधाओं की भी काफी कमी हैं।पेय जल,मेडिकल किट,शौचालय आदि बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी हैं।

इन सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर जानकारी उपलब्ध कराने का कोर्ट ने आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि प्रदेश के राष्ट्रीय राज मार्ग तथा स्टेट हाईवे पर पेट्रोल पंप सहित अन्य नागरिक सुविधाओं की काफी कमी है। इस कमी को दूर करने के लिए सरकारों ने अब तक कोई विचार क्यों नहीं किया है।

कोर्ट ने कहा कि इन मार्गो से गुजरने वाले लोगों को होने वाली परेशानियों से सरकारे चिंतित नहीं है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन भारत पेट्रोलियम सहित हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन को पार्टी बनाते पूरी जानकारी उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।

इस मामलें पर पुनः 18 अप्रैल,2022 को सुनवाई की जाएगी।

भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था का सच आईएस अधिकारी की जुवानी

बिहारी को बिहार के बाहर गाली क्यों पड़ता है? कभी सोचा है, सोचिए हम बिहारी बिहार से बाहर जाते हैं तो करते क्या है, सवाल का जबाव उसी में छुपा है । जो काम बिहारी बिहार से बाहर करता है आज कल भारतीय भी भारत से बाहर ऐसा ही कुछ करने लगा है, परिणाम क्या हो रहा है जो हाल बिहार से बाहर बिहारी का है वही हाल आज कल भारतीय का भारत से बाहर होता जा रहा है ।

अमेरिका की पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी की एक प्राध्यापिका ने हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में भारत के बारे में कुछ टिप्पणियाँ की हैं जिसे लेकर हंगामा मचा है–

प्रोफेसर एमी वैक्स ने कहा है कि भारतीय डांक्टर अमेरिका के स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सवाल खड़ा किया है बताईए उन्हें यहां बेहतरीन शिक्षा और शानदार अवसर मिलता है लेकिन इसके बदले में वे अमेरिका की आलोचना करते हैं।प्रोफेसर एमी वैक्स ने कहा, “ये अजीब सी बात है कि एशियाई, दक्षिण एशियाई और भारतीय डॉक्टर पेन्सिल्वेनिया की चिकित्सा सेवा में काम करते हैं और उसी की आलोचना करते हैं. मैं वहां लोगों को जानती हूं और मुझे पता है कि वहां क्या हो रहा है. वे नस्लवाद के ख़िलाफ़ जारी मुहिम को लेकर मोर्चा संभाले हुए हैं. वे अमेरिका को दोष देते रहते हैं जैसे कि अमेरिका एक दुष्ट नस्लवादी जगह है.”।

मतलब जिस जगह ने मुझे आगे बढ़ने का मौका दिया अब वहां बैठ कर प्रवचन दे रहे हैं जैसे हम बिहारी बिहार से बाहर देते हैं गुस्सा स्वाभिवक है क्यों कि हमारे यहां कोई व्यवस्था नहीं है और चलते हैं दूसरे को आईना दिखाने ।

बिहार के एक सीनियर ब्यूरोक्रेट ने पारस अस्पताल के बारे में जो लिखा है वह अमेरिका में सम्भव है क्या, स्वास्थ्य के मामले मेंं कहां खड़ा है भारत है अस्पताल और डांक्टर किस तरह से लोगो को लूट रहा है इस पर कभी किसी डाँक्टर को चर्चा करते हुए सूना है नहीं ना तो फिर दूसरे देश को आईना दिखाना कहा तक सही है, ऐसे में दुनिया अगर यह बैनर टांगना शुरु कर दिया है कि हेट इंडियन ,नो बेलकम इंडियन तो इसमें गुनाह क्या है ।

आईएस अधिकारी विजय प्रकाश को मैं व्यक्तिगत रुप से जानता हूं इन्होंने अपने फेसबुक वाल पर जो लिखा है वह भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था का सच है गांव से लेकर शहर के बड़े अस्पतालों में यही चल रहा है विजय प्रकाश जी का पोस्ट आये दो दिन हो गया है लेकिन अभी तक किसी डाँक्टर की कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है ।

विजय प्रकाश जी का पोस्ट लम्बा है लेकिन पढ़िए और विचार करिए हालांकि इसमें राम कही नहींं है मंदिर भी कही नही है।हिन्दू भी कही नहीं है मुसलमान भी कहीं नहीं है पाकिस्तान भी कही नहींं है हो सकता है इस वजह से आपको उपयोगी नहीं लगे लेकिन दिन चर्या यही है जिससे आज ना कल हम सब को इस लूट से गुजरना है कभी इसके लिए जुलुस हो जाये मजा आ जायेगा ।

आपके साथ भी ऐसा हो सकता है
आज मैं पारस एचएमआरआई अस्पताल, पटना में इलाज कराने का एक भयानक अनुभव साझा करने जा रहा हूं ताकि हम इलाज करते समय सावधान हो जाएँ क्योंकि इस प्रकार की घटना किसी के साथ भी हो सकती है।

मैं मार्च’22 के प्रथम सप्ताह में तीव्र दस्त और ज्वर के रोग से काफी पीड़ित हो गया था। तीन दिनों तक परेशानी बनी रही। घर पर रहकर ही इलाज करा रहा था।

चौथे दिन 11.3.’22 को बुखार तो ख़त्म हो गया पर दस्त कम नहीं हो रहा था। सुबह अचानक मुझे चक्कर भी आ गया। चूंकि कुछ वर्षों से मैं एट्रियल फिब्रिलिएशन (ए एफ) का रोगी रहा हूँ अतः सदा एक कार्डिया मोबाइल 6L साथ रखता हूँ। अपने कार्डिया मोबाइल 6L पर जांच किया तो पता चला कि पल्स रेट काफी बढ़ा हुआ था और इ0 के0 जी0 रिपोर्ट एट्रियल फिब्रिलिएशन (ए0 एफ0) का संकेत दे रहा था। अतः तुरत अस्पताल चलने का निर्णय हुआ। पारस एच एम आर आई अस्पताल घर के करीब ही है। अतः सीधे हम उसके इमरजेंसी में ही चले गये। इमरजेंसी में डॉक्टर चन्दन के नेतृत्व में व्यवस्था अच्छी थी। तुरत इ0 सी0 जी0 लिया गया। उसमें भी ए0 एफ0 का ही रिपोर्ट आया। पर करीब आधे घंटे के बाद पुनः इ0 सी0 जी0 लिया गया। उसमें इ0 सी0 जी0 सामान्य हो गया था। साइनस रिदम बहाल हो गया था।

आपात स्थिति में प्रारंभिक देखभाल के बाद, मुझे डॉ. फहद अंसारी डीसीएमआर 3817 की देखरेख में एमआईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया। जब मुझे एमआईसीयू में ले जाया गया, तो मुझ पर दवाओं और परीक्षणों की बमबारी शुरू हो गई। कई तरह के टेस्ट प्रारम्भ हो गये और कई प्रकार की दवाइयाँ लिखी गईं ।

12 मार्च 2022 को सुबह दस्त नियंत्रण में आ गया था। पर मुझे बताया गया कि हीमोग्लोबिन का स्तर नीचे हो गया है और प्लेटलेट की संख्या भी काफी कम हो गई है। अतः डॉक्टर रोग के निदान के संबंध में स्पष्ट नहीं थे। उन्हें लग रहा था कि कोई गंभीर इन्फेक्शन है। मैंने बताया भी कि मैं थाइलेसेमिया माइनर की प्रकृति का हूँ अतः मेरा हीमोग्लोबिन का स्तर नीचे ही रहता है और प्लेटलेट की संख्या भी कम ही रहती है। खून जांच में अन्य आंकड़े भी सामान्य से भिन्न रहते हैं । इसे ध्यान में रखकर ही निर्णय लेना बेहतर होगा। डॉक्टर ने खून चढ़ाने का निर्णय लिया और दोपहर में खून की एक बोतल चढ़ा दी गई।

दोपहर में ही मेरे अटेंडेंट को कॉम्बीथेर और डोक्सी नमक दवा को बाजार से लाने के लिए कहा गया क्योंकि वे अस्पताल की दुकान में उपलब्ध नहीं थे। जब मुझे दवा खाने के लिए कहा गया तो मैंने दवा के बारे में पूछा। उपस्थित नर्स ने कॉम्बिथेर नाम का उल्लेख किया। इंटरनेट के माध्यम से मुझे यह पता चला कि यह एक मलेरिया रोधी दवा है। अस्पताल आने के बाद से ही मुझे बुखार नहीं था। मेरा दस्त भी नियंत्रण में था। फिर मलेरिया-रोधी दवा क्यों? क्या मलेरिया परजीवी मेरे रक्त में पाये गये हैं? इस सम्बन्ध में मैंने नर्स से पूछताछ की। उनका कहना था कि चूँकि डॉक्टर ने यह दवा लिखा है इसलिए वे यह दवा खिला रही हैं। यदि मैं दवा नहीं खाऊंगा तो वे लिख देंगी कि मरीज ने दवा लेने से मना किया। इसपर मैंने कहा कि एक तरफ मुझे खून चढ़ाया जा रहा है क्योंकि हीमोग्लोबिन और प्लेटलेट कम बताये जा रहे हैं और मुझे ए0 एफ0 भी है दूसरी ओर अनावश्यक दवा दिया जा रहा है जबकि मेरा बुखार और दस्त दोनों नियंत्रण में है, जिसका काफी अधिक ख़राब असर मेरे स्वास्थ्य पर हो सकता है जिससे बचा जाना चाहिए । अतः मैंने डॉक्टर से पुनः पूछकर ही दवा खाने की बात कहीं। मेरे बार-बार अनुरोध करने पर नर्स ने आई0 सी0 यू0 के प्रभारी डॉक्टर प्रशांत को बुलाया। मैंने उनसे भी यही अनुरोध किया कि रक्त परीक्षण में मलेरिया परजीवी की स्थिति देखने पर ही ये दवा दी जाय। इस सम्बन्ध में वे प्रभारी डॉक्टर से संतुष्ट हो लें। डॉक्टर प्रशांत ने सम्बंधित डॉक्टर से बाते की और इस दवा को बंद करा दिया क्योंकि मलेरिया परजीवी हेतु रक्त परीक्षण में परिणाम नकारात्मक था। इस प्रकार मैं एक अनावश्यक दवा के कुप्रभाव से बच गया।

यहाँ मैं यह उल्लेख करना आवश्यक समझता हूँ कि हॉस्पिटल में दवाएं नर्स हीं देती हैं इसके पैकेट को भी मरीज को देखने नहीं दिया जाता और डॉक्टर का पूर्जा भी मरीज को नहीं दिखाया जाता है। सामान्यतया दवा देते समय मरीज को यह बताया भी नहीं जाता कि कौन सी दवा दी जा रही है। अतः दवा देने की पूरी जिम्मेदारी डॉक्टर और नर्स पर ही रहती है।
यह संयोग ही था कि कॉम्बिथेर को बाजार से मंगवाया गया था। इसलिए मुझे इस दवा के बारे में जानकारी मिली और मैं इस दवा को लेने से पहले रक्त परीक्षण का रिपोर्ट देख लेने का अनुरोध कर पाया।

13 मार्च 2022 को मेरी स्थिति में काफी सुधार था। सभी लक्षण सामान्य हो गये थे। दोपहर में मुझे सिंगल रूम नं. 265 में भेज दिया गया। आई सी यू से निकलने का ही मरीज के मनः स्थिति पर बहुत सकारात्मक असर पड़ता है। मैं बिल्कुल सामान्य सा महसूस करने लगा। रात में मैंने सामान्य रुप से भोजन किया। नींद भी अच्छी आयी।

14 मार्च 2022 की सुबह मैं बिल्कुल सामान्य महसूस कर रहा था। मैंने सामान्य रुप से शौच किया। अपने दाँत ब्रश किए। अपनी दाढ़ी बनाई और ड्यूटी बॉय की मदद से स्पंज स्नान किया। सब कुछ सामान्य था। फल का रस भी पिया।
सुबह करीब 6.45 बजे मैं अपने लड़के से मोबाइल पर बात कर रहा था। उस समय ड्यूटी पर तैनात नर्स दवा खिलाने आई। उसने मुझे थायरोक्सिन की गोलियों की एक बोतल दिया और मुझे इसे खोलकर एक टैबलेट लेने को कहा। चूंकि मेरे दाहिने हाथ में कैनुला लगा था, मैंने उससे ही इसे खोलने का अनुरोध किया। पर उसने कहा कि उसे इस तरह के बोतल को खोलने में दिक्कत होती है। कोई विकल्प न होने के कारण और हाथ मे कैनुला लगे होने के बावजूद, मैंने खुद ढक्कन खोल दिया और उसे देकर मुझे एक टैबलेट देने के लिए कहा। उसने एक गोली निकालकर दिया और मैंने दवा ले ली। उसने मुझे दो और दवाएं दी, उसे भी मैंने खा लिया ।

इसी बीच उसने दराज से एक शीशी निकाली। मैंने इस दवा के बारे में पूछताछ की क्योंकि यह मेरे अस्पताल में रहने के दौरान पहले कभी नहीं दी गई थी। उसने कहा कि यह एक एंटीबायोटिक है। मैंने एंटीबायोटिक के नाम के बारे में पूछताछ की क्योंकि यह एक नई दवा थी जो मुझे दी जा रही थी और मुझे यह एहसास था कि मैं ठीक हो रहा हूँ। मेरे प्रश्न का उत्तर दिए बिना, उसने आई0 वी0 कैनुला के माध्यम से दवा देना शुरू कर दिया। पूरी बातचीत के दौरान मैं अपने बिस्तर पर बैठा रहा और मोबाइल पर अपने लड़के से बात करता रहा।

जैसे ही यह नई दवा मेरे शरीर में आई, मेरी रीढ़ में जलन शुरू हो गया। मेरा शरीर गर्म होता जा रहा था। मेरा शरीर कांप रहा था। मुझे चक्कर जैसी अनुभूति भी होने लगी। मैंने फिर नर्स से पूछा कि उसने कौन सी दवा दी है। पर वह चुप रही। मैंने पुनः उस दवा की जानकारी मांगी जो उसने मुझे दी थी। वह चुप रही और दराज में लगी रही। मेरी ऊर्जा कम होती जा रही थी। मैंने फिर पूछा, ‘मैं बिल्कुल भी अच्छा महसूस नहीं कर रहा हूँ। कौन सी दवा दी हो।’ इस नई दवा की प्रतिक्रिया बढ़ती जा रही थी। मुझे मस्तिष्क में अजीब सा स्पंदन हो रहा था। लग रहा था गिर जाऊंगा। मुझे लग रहा था कि ब्रेन हेमरेज तो नहीं हो रहा है। मेरे बार-बार बोलने पर भी वह नर्स लगातार मौन बनी रही। फिर मैं सारी ऊर्जा इकठ्ठा कर जोर से चिल्लाया, ‘तबीयत बहुत ख़राब हो रही है। दवा बंद करो’। फिर भी उसके हाव-भाव में कोई तेजी नहीं दिखी और वह बहुत धीरे-धीरे दवा बंद करने आई। खैर, दवा बंद हो गयी।

मैंने तुरंत एक डॉक्टर बुलाने का अनुरोध किया। पर कोई नहीं आया। नर्स ने आकर मेरा बीपी लिया। कुछ देर बाद ड्यूटी पर डॉक्टर होने का दावा करने वाला एक व्यक्ति आया। उसे भी मैंने सारी बातें बताई। वह भी मेरी हालत के बारे में कम चिंतित लग रहा था। उसने दराज खोली और कोई दवा ली और बाहर चला गया। मैंने उसे तुरंत ई0 सी0 जी0 करने के लिए कहा ताकि मैं अपने दिल की स्थिति के बारे में सुनिश्चित हो सकूं। जिस फ्लोर पर वार्ड था उस फ्लोर पर कोई ई0 सी0 जी0 मशीन नहीं था । वे एमआईसीयू विंग से एक मशीन लाए लेकिन वह ठीक से काम नहीं कर रहा था। फिर वे एक अन्य ई0 सी0 जी0 मशीन लाए। मुझे बड़ी राहत मिली जब मैंने पाया कि ई0 सी0 जी0 में कोई अनियमितता नहीं थी और ह्रदय की धड़कन साइनस रिद्म में होना बता रहा था। इस प्रक्रिया में करीब एक घंटा व्यतीत हो गया पर मेरी बेचैनी जारी रही। यद्यपि शरीर में हो रहे बदलाव में धीरे-धीरे सुधार हो रहा था पर रीढ़ में असामान्य स्पंदन जारी रहा। यह कई दिनों तक चलता रहा।

मेरी पत्नी डॉ मृदुला प्रकाश, जो मेरे साथ मेरे वार्ड में थीं, मेरी स्थिति ख़राब होते देख चिंतित हो गयी । उन्होंने नर्स से दवा का नाम पूछा। नर्स ने इंजेक्शन की एक दूसरी शीशी जो ड्रावर में रखा था उसे दिखाया और कहा कि यही सुई दी गयी है। उन्होंने इसका एक फोटो ले लिया। यह एपिनेफ था। उसी समय मेरी लड़की नूपुर निशीथ का फोन आ गया। उसे जब मेरी स्थिति बताई गई तो उसने पूछा कि पापा को कौन सी दवा दी गई है। दवा का नाम एपिनेफ बताने पर उसने कहा कि यह तो अंटी आजमटिक रोग की दवा है जो इमेर्जेंसी में दिया जाता है और इसका हृदय पर काफी साइड इफेक्ट होता है। इसे क्यों दिया जा रहा है?

तब घबड़ाकर डॉ प्रकाश नर्सों की डेस्क पर गईं और मेडिसिन लिस्ट मांगा तथा डॉक्टर का प्रेसक्रिप्शन भी मांगा। उन्हें न तो दवा का लिस्ट दिया गया और न डॉक्टर का प्रेसक्रिप्शन ही दिखाया गया। सभी नर्स वहाँ से हटकर दूसरी ओर चली गई ताकि उनसे ये सूचना नहीं ली जा सके ।

वह इस्तेमाल की हुई शीशी भी चाहती थी जिसे उन्हें दिखाया तो गया। पर जब उन्होंने इसे मांगा, तो उन्हें यह नहीं दिया गया क्योंकि उन्हें कहा गया कि इसका इस्तेमाल स्थानीय जांच में किया जाएगा। जब उन्होंने पूछा कि दवा क्यों दी गई है तो उन्हें बताया गया कि एपिनेफ को एसओएस के रूप में लिखा गया है । प्रभारी नर्स ने कहा कि उपस्थित नर्स ने शारीरिक परीक्षण के माध्यम से नाड़ी की दर 63 पाये जाने के कारण उक्त दवा दिया था । इसपर उन्होंने कहा कि नर्स ने दवा देने से पहले कभी नब्ज को छुआ तक नहीं था। नाड़ी की दर, रक्त चाप और तापमान तो दवा देने के बाद जब स्थिति खरब हो गई थी तब ली गई थी तो किस प्रकार नाड़ी के दर को आधार बनाकर यह दवा दिये जाने की बात कही जा रही है । उसके बाद नर्स निरुत्तर हो गयीं और कोई जवाब नहीं दिया।

वार्ड में मरीज के चिकित्सा से सम्बंधित फ़ाइल नहीं रखी गयी थी। अतः किसी चीज के बारे में कोई जानकारी मरीज या उसके अटेंडेंट को उपलब्ध नहीं था। चूँकि सारी जानकारी नहीं दी जा रही थी और गलत सूचना दी जा रही थी, अतः मामला काफी संदेहास्पद बनता जा रहा था। सूचनाओं मे अपारदर्शिता मामले को काफी गंभीर बना रहा था ।

घटना के लगभग 4.45 घंटे बाद उपस्थित चिकित्सक डॉ. फहद अंसारी ने लगभग 11.30 बजे वार्ड का दौरा किया। पहले तो उन्होंने अपने प्रोफाइल के बारे में बात की और कहा कि यह उनके लिए काला दिन है। उन्होंने घटना पर खेद जताया। उसने मेरी छाती की जांच की, मेरे मल के बारे में पूछा और कहा कि वे मुझे तुरंत छुट्टी दे देंगे । कुछ जांच रिपोर्ट लंबित हैं, जो कुछ दिनों में आ जाएंगी। उन रिपोर्ट के बारे में वह ओपीडी पर अपनी राय देंगे।

वह यह नहीं बता सके कि एपीनेफ सुई क्यों लिखी गई थी या क्यों दी गयी । यह आश्चर्यजनक है कि एपिनेफ्रीन जैसी दवा जिसे इंट्रामस्क्यूलर या सब क्यूटेनस दिया जाता है, उसे किन परिस्थितियों में नसों के माध्यम से दिया गया। यह भी स्पष्ट नहीं है कि ऐसी दवा जो हमेशा एक विशेषज्ञ डॉक्टर की उपस्थिति में या आईसीयू में दी जाती है, उसे अर्ध या गैर-प्रशिक्षित वार्ड नर्स द्वारा देने के लिए कैसे छोड़ दिया गया। यहाँ तक कि प्रभारी नर्स भी उपस्थित नहीं थी। मुझे यह भी आश्चर्य होता है कि जब स्पष्ट रूप से एसओएस का कोई मामला नहीं था तो एसओएस दवा का प्रबंध ही क्यों किया गया। अगर मैंने समय पर विरोध नहीं किया होता और दवा बंद न करा दिया होता, तो शायद मैं कहानी सुनाने के लिए यहां नहीं होता। मैं इस बात से भी हैरान हूं कि इस तरह के ड्रग रिएक्शन केस के बाद भी मेरी सेहत की पूरी जांच किए बिना मुझे कैसे छुट्टी दे दी गई।

जब लगभग 2.30 बजे अपराह्न में मुझे छुट्टी दी गई, तो मुझे डिस्चार्ज सारांश सौंपा गया। मैंने पाया कि इसमे मेरे लिए लिखे गये पूर्जे और दी गयी दवाओं के विवरण पूरी तरह से गायब थे। चिकित्सा विवरण देने के बजाय, डिस्चार्ज सारांश में गोलमटोल वाक्य लिखे थे ।

यहां तक ​​कि इसमें खून चढ़ाने की जानकारी भी गायब थी। मैंने यह भी पाया कि भर्ती के समय मेरे दिल की स्थिति का विवरण भी रिपोर्ट में लिखा नहीं था। मेरे एमआईसीयू में रहने का भी कोई जिक्र नहीं था। एपिनेफ दिये जाने और इसका मेरे ऊपर हुए रियक्सन का भी कोई वर्णन नहीं था। ऐसा प्रतीत होता है कि जानबूझकर महत्वपूर्ण तथ्यों और विवरणों को रिपोर्ट से छिपाया गया है।

मैंने जब अस्पताल प्रशासन को इस सम्बन्ध में पूर्ण जानकारी देने के लिए एवं विस्तृत जांच कराने के लिए पत्र लिखा तो मुझे डिस्चार्ज समरी को पुनरीक्षित कर भेजा गया पर उसमें भी एपीनेफ के न तो डॉक्टर द्वारा लिखने का जिक्र था और न उसे मुझे सुई के रूप में देने का। अस्पताल प्रशासन ने इस सम्बन्ध में आतंरिक जांच कराकर उसका प्रतिवेदन साझा करने की बात कही।

अस्पताल के डॉक्टर ने इस प्रकरण पर मौखिक रुप से क्षमा जरूर मांगी पर अभी तक अस्पताल प्रशासन ने आंतरिक जांच का कोई प्रतिवेदन मेरे साथ साझा नहीं किया तथा मुझे यह भी नहीं बताया कि व्यवस्था में क्या सुधार की गई है जिससे यह पता चले कि भविष्य में किसी मरीज के साथ इस प्रकार की घटना नहीं होगी ।

मैं अभी तक सदमे में हूँ कि यदि एपीनेफ को चिल्लाकर समय से बंद न कराया होता तो क्या हुआ होता। हम अस्पताल में डॉक्टर या नर्स को भगवान का प्रतिरूप मानकर उसकी सभी आज्ञा का पालन करते हैं। यदि कभी शरीर में उसकी प्रतिक्रिया भी हो तो उसे एक अलग घटना माना जाता है दवा देने या दवा देने के तरीके के कारण हुई प्रतिक्रिया नहीं मानी जाती।जब एपीनेफ के बाद शरीर में प्रतिक्रिया हुई तो मैंने भी शुरू में इसे दवा के कारण हुआ नहीं माना था । मुझे लगा कि शायद शरीर में कोई नयी समस्या हो गयी है – ब्रेन हेमरेज या ह्रदयघात हो गया है इसलिए मैंने सोचा पहले इस नयी समस्या से निबट लें तब दवा ले लेंगे। यही सोचकर मैंने दवा बंद कराया था। मेरा चिकित्सा व्यवस्था पर हमारे मन में एक विश्वास या यूँ कहूँ कि एक अंधविश्वास जाम गया है वह मानने के लिए तैयार नहीं था कि कोई डॉक्टर या नर्स कभी ऐसी दवा देंगे जो मेरे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगा।

जब घटना हो भी गयी तो अस्पताल प्रशासन मेरे स्वास्थ्य की चिंता न कर इस बात में व्यस्त रहे कि कैसे यह बात रिकॉर्ड में न आये। मुझे स्वयं अपने इलाज के लिए ब्लड प्रेशर लेना या इ0 सी0 जी0 लेने का आदेश देना पड़ा। अस्पताल के अधिकारी अस्पताल के दस्तावेजों के प्रबंधन में ही लगे रहे ताकि सच्चाई सामने न आए। नर्स को हटा दिया गया। मेरी फाइल में दवा की विवरणी दर्ज नहीं की गयी । दवा वाली शीशी को दराज से निकाल कर छिपा लिया गया।

वास्तव में, वे इस बारे में अधिक चिंतित थे कि रोगी को प्रबंधित करने के बजाय दस्तावेज़ में घटना की रिपोर्टिंग को कैसे प्रबंधित किया जाए। मेरे बार-बार अस्पताल से सच्चाई को रिपोर्ट में अंकित करने का अनुरोध करने के बावजूद, इसे कभी रिकॉर्ड में नहीं किया गया।

मैं अस्पताल का नाम या डॉक्टर का नाम नहीं देना चाहता था, पर उनका व्यवहार जिस प्रकार रहा उससे मुझे अतिशय पीड़ा हुई है। उन्होंने गलत दवा देने के प्रकरण को रिकॉर्ड करने की परवाह तक नहीं की जो मेरे लिए प्राणघातक हो सकती थी। उन्होंने यह जानते हुए कि मैं एट्रियल फीब्रिलेशन का रोगी हूं और एपिनेफ्रीन जैसी आपातकालीन दवा के अंतःशिरा इंजेक्शन से पल्स रेट अप्रत्याशित रुप से बढ़ सकती थी जिससे शरीर को अपूरणीय क्षति हो सकती थी, दवा की प्रतिक्रिया की दूरगामी प्रभाव की जाँच के लिए भी कोई कदम नहीं उठाया। ऐसी आपात स्थिति से निपटने में अस्पताल की व्यवस्था में गंभीरता का भाव नहीं था। प्रभारी चिकित्सक चार घंटे से अधिक समय के बाद मुझे देखने आए। मैं इससे काफी आहत हूँ।

मेरा मन अभी भी इस बात को मानने को तैयार नहीं है कि अस्पताल में कोई दवा खिलाई जाएगी या इंजेक्शन दिया जाएगा और मेडिसिन लिस्ट में उसे शामिल तक नहीं किया जाएगा। क्या यह जहर था कि इसे लिखने से बचा जा रहा है? या किसी साजिश के तहत इसे दिया गया था तथा इसका जिक्र सभी जगह से हटा दिया जाय। अस्पताल के सिस्टम का पूरी तरह फेल हो जाने का इससे बड़ा और क्या प्रमाण हो सकता है ।

प्रश्न यह भी है कि जो दवा लिखी ही नहीं है, वह दवा वार्ड के दराज में कैसे आ गई? डॉक्टर ने कहा कि घटना इसलिए हुई क्योंकि यह दवा अन्य इंजेक्शन के समान है जो मुझे लिखा गया था। पर डॉक्टर के द्वारा जो प्रेसक्रिप्शन मुझे दिया गया उसमें यह कहीं नहीं लिखा था। यह बात इसलिए भी गंभीर है क्योंकि दवाएं अस्पताल के दूकान से ही आती हैं और कई नर्स उसे चेक करते हैं। मैं एम0 आई0 सी0 यू0 से आया था वहाँ सभी दवाओं को कई नर्स चेक करते थे।

यह प्रश्न भी विचारणीय है कि कैसे ओवर मेडिकेशन से बचा जाय। एक साथ कई एंटीबायोटिक शरीर में दे दिए जाने की अवस्था में मरीज के शरीर पर क्या दुष्प्रभाव पड़ेगा, यह गंभीरता से विचार करने की जरूरत है । दूसरे कई देशों में मैंने देखा है कि बिना डॉक्टर के पूर्जा के कोई एंटिबायोटिक खरीद नहीं सकता । डॉक्टर भी अनावश्यक रूप से एंटिबायोटिक नहीं लिखते हैं । देश के स्वास्थ्य के दूरगामी प्रसंग में यह आवश्यक है कि एंटिबायोटिक का व्यवहार उचित ढंग से किया जाय।

मैंने पाया है कि बड़े कॉर्पोरेट अस्पतालों में सभी मरीज का अधिक- से-अधिक शल्य चिकित्सा करने, अधिक-से-अधिक टेस्ट करने, अधिक-से-अधिक दवा लिखने का प्रयास रहता है ताकि अधिक राशि का बिल बन सके और अधिक मुनाफा हो। इसमें मरीज के स्वास्थ्य से ज्यादा महत्वपूर्ण लाभ में वृद्धि करना रहता है। इस पूरी प्रक्रिया में शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव की कोई चिंता नहीं रहती। यदि कोई दुष्प्रभाव हो तो वह भी मुनाफे का एक नया अवसर बन जाता है।

ये प्रश्न एक अस्पताल या एक डॉक्टर का नहीं वरन पूर्ण स्वास्थ्य व्यवस्था के हैं । आइये हम सब मिलकर सोचें कि इन समस्याओं से कैसे निजात पाया जाय ताकि किसी अन्य व्यक्ति को इस तरह की समस्या का सामना न करना पड़े।
विजय प्रकाश
भा0 प्र0 से0 (से0 नि0)
पटना

आंध्र प्रदेश के केमिकल फैक्ट्री में लगी आग, नालंदा के चार मजदूरों की हुई मौत

आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के मुसनुरू गांव के केमिकल फैक्ट्री में अचानक आग लग जाने के कारण 6 मजदूर की मौत हो गई । मृतक में चार नालंदा जिला का रहने बाला है, मरने बालो में कारू रविदास , मनोज कुमार रामसन और सुभाष रविदास नरसंडा गॉव का रहने बाला है और हवदास रविदास बसनिमा गांव के रहने वाला है ।

मौत की खबर मिलते ही गांव में मातम छा गया है परिवार वाला का रो रो कर बुरा हाल है परिवार के सदस्यों ने बताया ये लोग पिछले 15 वर्षों से आंध्र प्रदेश के केमिकल फैक्ट्री में काम कर रहे थे जिससे पूरा परिवार का भरण पोषण हो रहा था ।देर रात सूचना आई कि फैक्ट्री में आग लग गई है जिसमे इन लोगों की मौत हो गई है मौत की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया है और परिवार के लोगों को रो रो कर बुरा हाल है ।

उजड़ता बिहार : बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था अंतिम सांसे ले रही है

काफी लम्बे अंतराल के बाद हाल में ही 20 दिनों से अधिक समय तक गांव और गांव के लोगों के बीच रहने का मौका मिला वैसे गांव में अब पहले वाली बात नहीं रही युवा तो दिखता ही नहीं है कुछ बच्चे दिखते हैं उन्हें भी खेलकुद से ज्यादा वास्ता नहीं है। फिर भी गांव मुझे बहुत आकर्षित करता है वजह गांव के लोगों में एक अलग तरह का विश्वास और समझदारी आज भी देखने को मिलता है ।

दरभंगा बाजार समिति से कोई दस किलोमीटर पर एक गांव है गांव के मुखिया जी रिश्तेदारी में आते हैं उनसे मिलने उसके घर गये थे ,पूरानी हवेली कब गिर जाए कहना मुश्किल है ,दरवाजे पर दो दो ट्रैक्टर देखने से लगता था कि वर्षो से बंद पड़ा है,दरवाजे के ठीक सामने लम्बा सा घर जिसमें सौ से अधिक मवेशी को बांधने वाला खूंटा औरमवेशी के खाना खाने वाला नाद बना है लेकिन बहुत दूर एक गाय बंधी हुई दिखायी दी ।ठीक उसके सामने बहुत बड़ा खलिहान था जिसके बीचो बीच अभी भी एक बांस गड़ा हुआ दिख रहा था जहां कभी दर्जनों बैल धान का दौनी करता होगा ऐसा एहसास आज भी हो रहा था।

खलिहान के ठीक बाजू में अनाज रखने के लिए बड़ा बड़ा घर बना हुआ था मिथिलांचल में इसे बखाड़ी कहते हैं बखाड़ी का हाल यह था कि ऊपर का छज्जा कब उड़ गया अनुमान लगाना मुश्किल है एक आकृति बची हुई है जो एहसास दिलाती है कि किसी जमाने में हजार क्विंटल अनाज रहता होगा।दरवाजे पर जो कुर्सी लगी हुई थी ऐसा लग रहा था वर्षो से उसका रंग रोगन नहीं हुआ है शीशम और सखुआ जैसे लकड़ी का बना हुआ है इसलिए अभी टूटा नहीं है ।यह सब मैं देख ही रहा था कि भूंजा आ गया लगा चलो बहुत दिनों बाद गाँव के कनसार(जहाँ भुजा बनाता था) का भूंजा खाने का मौका मिला लेकिन देख कर बड़ी निराशा हुई वही शहर वाला भूंजा चूड़ा और चना अलग से नमक ,प्याज और मिर्च।

भूंजा खत्म होते होते चाय आ गया वैसे मैं चाय पीता नहीं हूं फिर भी दो घुट ले लिए चाय के स्वाद से लग गया कि इस घर का हाल क्या है मुखिया बनते आ रहे हैं क्यों कि इसके दादा जी भी मुखिया थे और गांव के लोगों में आज भी धारणा है कि मालिक का परिवार है इनके बच्चों में वो ईमान धर्म बचा हुआ है और परिवार वाले उसी ईमान धर्म को बनाये रखने में इस बार भी मुखिया बनने में दो बीघा जमीन बेचना पड़ा है। यह हाल किसी एक गांव के किसानों का नहीं है यह हाल बिहार के हर गांव का है जिनके पास जमीन है वो आज सबसे अधिक गरीब है उनके पास जरूरतें पूरी करने लाइक भी पैसे घर में नहीं है शादी हो या फिर कोई बीमार पड़ गया तो जमीन बेचने के अलावे उसके पास कोई चारा नहीं रह गया है यही हाल छोटे किसान और खेतिहर मजदूर का है यू कहे तो पूरी कृषि व्यवस्था अंतिम सांसे ले रही है मुफ्त में अनाज योजना का कितना बड़ा असर कृषि पर पड़ा है जरा गांव में जाकर देखिए ।

इतना ही नहीं पहले हर गांव में आपको सौ दो सौ भैंस गाय मिल जाता था आज गरीब के घर भी एक दो मवेशी मिल जाये तो बड़ी बात है हालांकि अभी भी गांव का यह कृषक समाज हार नहीं माना है संघर्ष कर रहा है अभी मुर्गी पालन और मछली पालन के सहारे किसानी को किसी तरह खींच रहा है ,लेकिन अब यह साफ दिखने लगा है कि गांव का कृषि व्यवस्था अंतिम सांसे ले रही है ।इस हालात को समझने के लिए मैं छोटे और बड़े किसानों से जहां गया जिस गांव में गया काफी बातचीत किया जो स्थिति बनती जा रही है उसमें यह कह सकते हैं कि भारत भी श्रीलंका की और बढ़ चला है ।

किसानों से खेती ना करने कि वजह जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि खेती में पांच वर्ष पहले जहां पांच हजार रुपया बीघा खर्च होता था आज वो खर्च 25 हजार रुपया बीघा हो गया है लागत मूल्य पांच गुना बढ़ गया है लेकिन अनाज का दाम में मामूली वृद्धि हुई है, पांच वर्ष पहले खेत के जोत में नौ फाड़ा ,कल्टी और रोटावेटर का रेट था 25–35–50 रुपये प्रति कट्टा था वो आज बढ़कर नौ फाड़ा 50 रुपया ,कल्टी 70 रुपया और रोटावेटर 100 रुपया कट्टा हो गया है ।

लेकिन अभी हाल यह है कि दूध का उत्पादन घट कर रोजाना दो लाख से ढाई लाख प्रति लीटर हो गया है ,दूध का पाउडर बनाने वाली मशीन महीनों से बंद है,दूध उत्पादन में कमी को लेकर जब किसान से बात किये तो पता चला कि जर्सी और फ्रीजियन गाय के पालने में उसके खाना और दवा में इतना खर्च बढ़ गया कि अब किसान को गाय पालना घाटे का सौदा हो गया है। समस्तीपुर के किसी भी गांव में चले जाये जहां कभी हर किसान के दरवाजे पर दस से बीस गाय रहता था आज घटकर दो चार बच गया है छोटे किसान भी गाय पालना लगभग छोड़ दिया है ।

यह उजड़ा बिहार की वो तस्वीर है जिसके सहारे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पुचका बेचने बिहारी कश्मीर क्यों जा रहा है , पूरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था बर्बाद हो चुका है एक और बदलाव आया है पहले बिहारी जो बिहार से बाहर काम करता था गांव में जमीन और घर बनाने में निवेश करता था लेकिन यह प्रवृति भी काफी तेजी से घट रहा है इसका असर भी ग्रामीण अर्थ व्यवस्था पर बहुत ही गहरा पड़ा है ।

इतना ही नहीं बहेरी ,बिरौल और कुशेश्वर स्थान जैसे छोटे छोटे बाजार में भी माँल खुल गया है इसका असर यह देखने को मिल रहा है कि छोटे छोटे दुकान के सहारे वर्षो से रोजगार करने वाले दुकानदारों का दुकान बंद होने के कगार परआ गया है यू कहे तो पूरी ग्रामीण अर्थ व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है फिर भी लोग खामोश है । ऐसे तमाम उजड़े हुए चमन के घर पर आपको मोदी और भगवा झंडा जरुर मिल जायेंगा जिसके पास अपनी बदहाली पर बात करने कि फुर्सत तक नहीं है।

अब देखना यह है कि हिन्दू मुसलमान ,जय श्री राम और पांच किलो अनाज के सहारे कितने दिनों तक सरकार इस बवंडर को रोक पाती है वैसे अंदर अंदर आग तो सुलगनी शुरु हो गयी है बस एक माचिस की जरूरत है।

बिहार विधान परिषद में राबड़ी देवी नेता प्रतिपक्ष होगी

बिहार विधान परिषद में राबड़ी देवी नेता प्रतिपक्ष होगी, इस संबंध में बिहार विधान परिषद सचिवालय ने आदेश जारी कर दिया है ।

राष्ट्रीय जनता दल ने बिहार विधान परिषद के चुनाव के बाद नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राबड़ी देवी का नाम विधान परिषद के कार्यकारी सभापति को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता देने के लिए भेजा था जिसे स्वीकार कर लिया गया है और विधान परिषद सचिवालय ने आदेश जारी कर दिया है।

Patna High Court : पटना के चर्चित जिम ट्रेनर गोलीकांड में अभियुक्त खुशबू सिंह को नियमित जमानत देने से इंकार कर दिया

पटना हाई कोर्ट ने पटना के चर्चित जिम ट्रेनर गोलीकांड में अभियुक्त खुशबू सिंह को नियमित जमानत देने से इंकार कर दिया। जस्टिस ए एम बदर ने इस मामलें पर सभी संबंधित पक्षों को सुनने के बाद यह आदेश दिया।

कोर्ट ने खुशबू सिंह की नियमित जमानत याचिका को खारिज करते हुए संबंधित ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह इस मामले का ट्रायल नौ महीने में पूरा कर ले। खुशबू सिंह जिम ट्रेनर विक्रम सिंह गोली कांड में फिलहाल पटना के बेउर जेल में बंद है।

अभियुक्त खुशबू की ओर से उसके अधिवक्ता सुरेन्द्र कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता को इस मामले में एक साजिश के तहत फंसाया गया है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि खुशबू के पति डॉ राजीव सिंह को निचली अदालत से ही नियमित जमानत मिल चुकी है।

जिम ट्रेनर गोलीकांड

सरकारी वकील (एपीपी ) मुस्ताक आलम और जे एन ठाकुर और जिम ट्रेनर की ओर से अधिवक्ता द्विवेदी सुरेन्द्र ने जमानत याचिका का विरोध किया।उन्होंने बहस करते हुए कोर्ट को बताया कि यह मामला पटना ही नही, बल्कि बिहार का चर्चित मामला रहा है। पुलिस ने इस मामले में अनुसंधान पूरा कर खुशुब और उसके पति डॉ राजीव समेत छह अभियुक्तों के खिलाफ कोर्ट में आरोपपत्र समर्पित कर दिया है।

अन्य अभियुक्तों के खिलाफ अनुसंधान अभी भी जारी रखा है।कोर्ट को बताया गया कि कांड दैनिकी में जो साक्ष्य आया है, उससे स्पष्ट होता है कि याचिकाकर्ता इस मामले की मुख्य अभियुक्त है।इस घटना में शामिल दो अन्य अपराधियों ने भी पुलिस को दिये अपने बयान में खुशबू सिंह और उसके पति की संलिप्तता की बात कही है।इन लोगों ने जिम ट्रेनर की हत्या के लिए तीन लाख रुपया अपराधियों को दिया भी है।

इस मामले में खुशबू उसके पति डॉ राजीव और खुशबू के पिता ने कॉन्ट्रैक्ट किलर को जिमट्रेनेर की हत्या करने के लिये बैंक से पैसा निकाल कर दिया है।

इसके पहले भी खुशबू के नियमित जमानत पर 31 जनवरी को सुनवाई हुई थी।उस दिन कोर्ट ने इस मामले में संबंधित पुलिस अधिकारी से शपथ पत्र के माध्यम से अभियुक्त के खिलाफ आये साक्ष्यों को देने को कहा था।

कोर्ट के निर्देश के बाद इस मामले के अनुसंधानकर्ता ने कोर्ट में दो शपथ पत्र दायर कर पूरे घटना और उसके अनुसंधान में आये साक्ष्यों को दिया था।गौरतलब है कि 18 सितंबर 2021 को राजधानी के कदमकुआं इलाके में जिम ट्रेनर विक्रम सिंह को हत्या करने की नियत से गोली मारी गई थी।

हालांकि, इस वारदात में उनकी जान बच गई।इस वारदात में शामिल खुशबू सिंह, उसके पति राजीव कुमार सिंह और दोनों कॉन्ट्रैक्ट किलर समेत कई अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार जेल भेज दिया था। इनमें फिजियोथेरेपिस्ट राजीव कुमार सिंह को जमानत मिल चुकी है।

Patna High Court : दनियावां थाना के पुलिसकर्मी संतोष कुमार व अनूप कुमार द्वारा अधिवक्ता विनोद कुमार के साथ किये गए मारपीट के मामले पर सुनवाई

पटना । हाईकोर्ट में दनियावां थाना के पुलिसकर्मी संतोष कुमार व अनूप कुमार द्वारा अधिवक्ता विनोद कुमार के साथ किये गए मारपीट के मामले पर सुनवाई 18 अप्रैल,2022 को होगी। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ इस मामलें पर सुनवाई कर रही हैं।

आज कोर्ट में पटना के वरीय पुलिस अधीक्षक को पटना हाई कोर्ट के समक्ष उपस्थित थे।

पिछली सुनवाई में कोर्ट को इस घटना के सम्बन्ध में वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने पूरी घटना को रखा था। श्री शाही ने यह भी बताया कि उस रास्ते से राज्य के मुख्यमंत्री को जाना था।

उसके बाद कोर्ट ने इस मामले में दिए गए पत्र को आधार बनाते हुए जनहित याचिका के रूप में रजिस्टर्ड करने का आदेश दिया था।

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कोर्ट को राज्य सरकार के महाधिवक्ता ललित किशोर ने पीड़ित अधिवक्ता की समुचित इलाज करवाने के लिए आश्वस्त किया था। सुनवाई के दौरान राज्य एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने कहा कि इस तरह की घटनाएं बराबर घटती है, जो अच्छी बात नहीं है।

इस घटना के बारे में पत्र में कहा गया है कि जब पीड़ित अधिवक्ता नालंदा जिला अंतर्गत अपने गांव चुलिहारी से पटना आ रहे थे ,तो दनियावां पुलिस द्वारा मारपीट की गई।

इसकी वजह से अधिवक्ता के दोनों कान बुरी तरह से घायल हो गए।पत्र में कहा गया है कि जब अधिवक्ता ने पटना के एसएसपी व दनियावां थाना के एसएचओ के समक्ष शिकायत करना चाहा,तो उन्होंने शिकायत लेने से इंकार कर दिया था।

बीजेपी जदयू के गठबंधन तोड़ने का वक्त आ गया है – पूर्व विधान पार्षद रजनीश कुमार

पटना । बेगूसराय खगड़िया विधान परिषद चुनाव में हार का सामना करने वाले एनडीए के भाजपा उम्मीदवार रजनीश कुमार ने भाजपा जदयू के गठबंधन पर सवाल खड़ा करते हुए भाजपा को जदयू से अलग होने का आग्रह किया है।

रजनीश कुमार ने कहा कि गठबंधन का समय चला गया है, भाजपा के शीर्ष नेताओं से आग्रह करते हुए कहा कि जिस तरह से भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी में आत्मनिर्भर बना है उसी तरह बिहार में भी भाजपा आत्मनिर्भर बनने के लिए अकेले चलने का काम करें। रजनीश कुमार ने कहा कि बिहार में गठबंधन की सरकार है लेकिन निचले स्तर पर गठबंधन का कोई औचित्य नहीं रह गया है।

बेगूसराय विधान परिषद चुनाव में जदयू की इकाई और विधायक ने खुलेआम एनडीए उम्मीदवार के विरोध में प्रचार किया। भाजपा और जदयू नेतृत्व को सूचना देने के बावजूद जदयू ने साथ नहीं दिया और धोखा देने का काम किया। बिहार में उपचुनाव में भाजपा हमेशा जदयू के साथ रही है लेकिन जदयू हमेशा चुनाव में गठबंधन धर्म का पालन नहीं करती है।

अब समय आ गया है कि गठबंधन को साथ नहीं चल सकते हैं ऐसे में भाजपा नेतृत्व से आग्रह है कि भाजपा को बिहार में मजबूत बनाने के लिए अकेले चलने का समय आ गया है।