पटना । बिहार की राजधानी पटना में आयकर विभाग की टीम ने साकार ग्रुप के ठिकानों पर छापा मारा है। टैक्स चोरी के आरोप में कई जगहों पर तलाशी जारी है।
पटना यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव प्रचार का आज आखिरी दिन है।
पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि एनडीए सरकार के समय उर्दू शिक्षक से लेकर दरोगा-सिपाही तक, जिन 10 हजार से ज्यादा लोगों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, उन्हीं को दोबारा नियुक्ति पत्र बाँटने की बाजीगरी से नीतीश कुमार बेरोजगारों की आँख में धूल झोंक रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गाँधी मैदान में कभी गिलास से रुमाल और खाली बर्तन से कबूतर निकालने की बाजीगरी दिखाने वाले मजमा लगाते थे , आज वहीं नीतीश कुमार फूँक मार कर हजारों नियुक्ति पत्र निकाल दे रहे हैं।
श्री मोदी ने कहा कि बुधवार को जिन 10,459 लोगों को दरोगा-सिपाही के पद पर नियुक्ति पत्र दिये गए, उन्हें एक साल पहले जनवरी में ही संबंधित जोन के एसपी-डीआइजी नियुक्ति पत्र दे चुके हैं और उनका प्रशिक्षण भी चल रहा है। इन नियुक्तियों के लिए विज्ञापन 2019 में प्रकाशित हुआ था। उन्होंने कहा कि पुलिस सेवा के लोग जब बिना प्रशिक्षण पूरा किये पूरी वर्दी नहीं पहन सकते, तब नियुक्ति पत्र लेते समय वे वर्दी में कैसे दिखे? यह पहली बार हुआ।
श्री मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार अब यूपीए सरकार के मुख्यमंत्री हैं , लेकिन सारा लोकलाज छोड़ कर वे पिछली एनडीए सरकार के समय हुई नियुक्तियों की चिट्ठी बांट रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार और तेजस्वी प्रसाद यादव को उन नियुक्तियों के पत्र बाँट कर श्रेय लेने का कोई नैतिक अधिकार नहीं, जिनकी प्रक्रिया 9 अगस्त को सरकार बदलने से पहले शुरू हो चुकी थी।
श्री मोदी ने कहा कि महागठबंधन सरकार की पहली कैबिनेट में पहले दस्तखत से 10 लाख युवाओं को “स्थायी नौकरी” देने का जो वादा किया गया था, उसका समय तो अभी तक शुरू ही नहीं हुआ। क्या वे कैबिनेट की सौ बैठकों के बाद गिनती शुरू करेंगे?
16 नवंबर 2022 । राज्य में जलीय क्षेत्रों में अवैध अतिक्रमण पर पटना हाइकोर्ट ने सुनवाई करते हुए पटना और मगध प्रमंडल के अंचल अधिकारियो को अगली सुनवाई में तलब किया है।रामपुनीत चौधरी की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने सुनवाई की।
कोर्ट ने तिरहुत,दरभंगा और मुंगेर प्रमंडलों के सभी अंचल अधिकारियो को जलीय क्षेत्रों में हुए अतिक्रमण को हटा कर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।कोर्ट ने इस मामलें पर सख्त निर्देश दिया है।
राज्य के विभिन्न जिलों में जलीय क्षेत्रों पर बड़े पैमाने पर हुए अवैध अतिक्रमण के मुद्दे पर याचिकाकर्ता ने ये जनहित याचिका दायर किया था।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेन्द्र कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि पटना समेत राज्य के विभिन्न जिलों में पहले बड़ी संख्या में जलीय क्षेत्र थे,जिसका उपयोग कृषि कार्य,पेय जल व अन्य कार्यों के लिए होता था।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि अब अधिकांश जलीय क्षेत्रों पर अवैध कब्ज़ा हो गया है।उन्हें पाट कर उस भूमि पर अवैध कई प्रकार के निर्माण किये गए हैं।
उन्होंने को बताया कि इससे जहां पेय और कृषि कार्य के लिए जल की उपलब्धता कम हुई है,वहीं वर्षा के जल को भी रोकने का मार्ग खत्म हो गया है।
इस मामलें पर अब अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।
16 नवंबर 2022 । चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ ने आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को अबतक की गई कार्रवाई का ब्यौरा देने के लिए 12 दिसंबर,2022 तक का मोहलत दिया है।
कोर्ट ने आकांक्षा मालवीय की जनहित याचिका पर सुनवाई की।याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट ने जो भी आदेश दिया,उस पर राज्य सरकार के द्वारा कोई प्रभावी और ठोस कार्रवाई अब तक नहीं किया गया है।
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को पूरी जानकारी देने को कहा था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राज्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवा में क्या क्या कमियों के सम्बन्ध में ब्यौरा देने को कहा था।
साथ ही कोर्ट ने इसमें सुधारने के उपाय पर सलाह देने को कहा।याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने बताया कि नेशनल मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम ही के अंतर्गत राज्य के 38 जिलों में डिस्ट्रिक्ट मेन्टल हेल्थ प्रोग्राम चल रहा हैं।लेकिन इसमें स्टाफ की संख्या नाकाफी ही है। हर जिले में सात सात स्टाफ होने चाहिए।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार का दायित्व है कि वह मेन्टल हेल्थ केयर एक्ट के तहत कानून बनाए।साथ ही इसके लिए मूलभूत सुविधाएं और फंड उपलब्ध कराए।लेकिन अबतक कोई ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है।
कोर्ट को ये भी बताया गया था कि सेन्टर ऑफ एक्सलेंस के तहत हर राज्य में मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कॉलेज है।लेकिन बिहार ही एक ऐसा राज्य हैं,जहां मानसिक रोग के अध्ययन और ईलाज के लिए कोई कालेज नहीं है।जबकि प्रावधानों के तहत राज्य सरकार का ये दायित्व हैं।
पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि केंद्र सरकार की ओर से दिए जाने वाले फंड में कमी आयी है,क्योंकि फंड का राज्य द्वारा पूरा उपयोग नहीं हो रहा था।
पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता की अधिवक्ता आकांक्षा मालवीय ने कोर्ट को बताया कि बिहार की आबादी लगभग बारह करोड़ हैं।उसकी तुलना में राज्य में मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुनियादी सुविधाएँ नहीं के बराबर है।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 12 दिसंबर,2022 को होगी।
15 नवंबर 2022 । पटना हाईकोर्ट ने बिहार के गर्भाशय घोटाले के मामलें पर सुनवाई की। जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को अगली सुनवाई में जवाब देने का निर्देश दिया।
पिछली सुनवाई करते कोर्ट ने इन मामलों में केंद्रीय कानून के तहत मामलें दर्ज करने के सम्बन्ध हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।
ये जनहित याचिका वेटरन फोरम द्वारा दायर की गई थी। कोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में राज्य सरकार के मुख्य सचिव को अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा हलफनामा पर दायर करने का निर्देश दिया था।
पिछली सुनवाई में कोर्ट में उपस्थित एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को बताया था कि इस जनहित याचिका में दिए गए तथ्य वास्तविक नहीं हैं।उन्होंने बताया कि बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के समक्ष साढ़े चार सौ इस तरह के मामलें आए थे।
राज्य सरकार के जांच के बाद नौ जिलों में गर्भाशय निकाले जाने के सात सौ दो मामलें आए थे।इन मामलों में प्राथमिकी दर्ज कराई गई और आगे की कार्रवाई चल रही है।उन्होंने कोर्ट को बताया था कि पीड़ित महिलाओं को क्षतिपूर्ति राज्य सरकार ने पचास पचास हजार रुपये पहले ही दे दिए।
इसके बाद बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने आदेश दिया था कि यह राशि बढ़ा कर डेढ़ और ढाई लाख रुपए बतौर क्षतिपूर्ति दिए जाए।महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया था कि क्षतिपूर्ति की राशि देने के लिए राज्य सरकार ने 5.89 करोड़ रुपए निर्गत कर दिए गए है।
कोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा था कि किन किन धाराओं के दोषियों के विरुद्ध मामलें दर्ज किये गए।मानव शरीर से बिना सहमति के अंग निकाला जाना गंभीर अपराध है।इसलिए उनके विरुद्ध नियमों के तहत ही धाराएं लगानी जानी चाहिए।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया था कि सबसे पहले ये मामला मानवाधिकार आयोग के समक्ष 2012 में लाया गया था।2017 में पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका वेटरन फोरम ने दायर किया गया था।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 7 दिसंबर,2022 को की जाएगी।
15 नवंबर 2022 । पीएमसीएच,पटना में पड़े डायलिसिस मशीनों के चालू नहीं होने के मामलें में पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए अधीक्षक,पीएमसीएच से जवाबतलब किया।विकास चन्द्र ऊर्फ गुड्डू बाबा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने सुनवाई की।
कोर्ट ने पीएमसीएच के अधीक्षक को ये बताने को कहा कि इस समस्या का समाधान किस प्रकार होगा।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि पीएमसीएच में 31 डायलिसिस मशीन खरीदे गए,लेकिन डॉक्टर और टेक्निशयन के नहीं होने के कारण इन मशीनों का उपयोग नहीं हो पा रहा हैं।
उन्होंने बताया कि एक मशीन की कीमत लगभग बारह लाख रुपया है।इन मशीनों के चालू नहीं होने के कारण बड़े पैमाने पर सार्वजनिक धन का दुरपयोग हुआ है,वहीं मरीजों और उनके घरवालो पर प्राइवेट अस्पतालों में ईलाज कराने पर बड़ा आर्थिक बोझ पड़ता है।
अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह ने कोर्ट को बताया कि पीएमसीएच के नेफ्रोलॉजी विभाग में 25 डॉक्टरों की नियुक्ति हुई,लेकिन वे बाद में दूसरे जगह भेजे गए।नेफ्रोलॉजी विभाग में डॉक्टरों और स्टाफ की कमी के कारण मरीजों का सही ढंग से ईलाज नही हो रहा है।
कोर्ट ने सख्त टिपण्णी करते हुए कहा कि अगर नेफ्रोलॉजी विभाग नहीं काम कर रहा है, तो न्यायिक आदेश से कोर्ट बंद कर इन मशीनों को दूसरे अस्पताल में भेज देगा।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 18नवंबर, 2022 को की जाएगी।
14 नवंबर 2022 । पटना हाईकोर्ट ने भागलपुर के चर्चित सैनडिश कमपॉउन्ड क्षेत्र में अनधिकृत रूप से बनाए गए निर्माण के मामलें पर सुनवाई की।चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने जनहित याचिकाकर्ता गोयनका की याचिका पर सुनवाई करते भागलपुर नगर निगम के आयुक्त को अगली सुनवाई में तलब किया है।
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में इस मामलें पर सुनवाई करते हुए हुए अनधिकृत निर्माणों पर रोक लगा दिया था।
याचिकाकर्ता की अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने बताया कि भागलपुर में ये एक सार्वजानिक पार्क हैं,जहां यहाँ के नागरिक टहलने,खेलने और मनोरंजन के लिए आते है।
अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने बताया कि कोर्ट ने इस मामलें पर 2004 में भी सुनवाई की थी।कोर्ट ने पार्क के क्षेत्र के भीतर किसी तरह के निर्माण पर रोक लगा दिया था।
कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि पार्क का जिस उद्देश्य के बनाया गया है, उसी के लिए उपयोग हो।उन्होंने कोर्ट को बताया कि बाद में प्रशासन ने जन उपयोगी निर्माण के नाम पर कुछ निर्माण कार्य करने की अनुमति कोर्ट से ले ली।लेकिन बाद में अन्धाधुंध और मनमाने तरीके से निर्माण होने लगे,जिससे इस पार्क का उद्देश्य ही खत्म हो गया।
उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया था कि भागलपुर नगर निगम को 29 सितम्बर,2021 को कोर्ट के आदेश को पालन करने के सम्बन्ध में निर्देश दिया जाए।
इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।
14 नवंबर 2022 । पटना हाइकोर्ट ने बड़ी संख्या सूचीबद्ध अवमानना वादों पर सुनवाई करते हुए राज्य के मुख्य सचिव, डी जी पी और विभिन्न विभागों के अध्यक्षों को 17 नवंबर,2022 को तलब किया है। जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने डेढ़ सौ से भी अधिक अवमानना वादों पर सुनवाई करते हुए कहा कि अदालती आदेश का पालन नहीं किया जाना गंभीर मामला हैं।
पटना हाइकोर्ट में बड़ी संख्या में अदालती आदेश का पालन नहीं किये जाने पर अदालती अवमानना दायर किया जाता रहा है।अदालती अवमानना के वादों के सुनवाई के दौरान दिए गए अदालती आदेश का सरकारी विभागों व अधिकारियों द्वारा पालन नहीं किया जाता है।
कोर्ट ने इस स्थिति पर गंभीर चिंता जाहिर की।कोर्ट ने इन अधिकारियों से सुझाव भी देने को कहा।कोर्ट इन अधिकारियों से ये भी जानना चाहता है कि अदालती अवमानना के मामलें में कोर्ट के आदेश का कैसे शीघ्र अनुपालन किया जाएगा।साथ ही इन मामलों के निबटारे में कितना समय लगेगा,इस सम्बन्ध में कोर्ट इन अधिकारियों से जानकारी चाहेगा।
कोर्ट ने इस आदेश की जानकारी सभी सम्बंधित अधिकारियों को दे देने का निर्देश अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार को दिया है। इस मामलें पर अगली सुनवाई 17नवंबर,2022 को की जाएगी।
14 नवंबर 2022 । अनमोल कुमार की याचिका पर चीफ जस्टिस संजय क़रोल की खंडपीठ के समक्ष बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत किया।
कोर्ट ने बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की गई कार्रवाई पर संतोष जाहिर किया,लेकिन कोर्ट इस सम्बन्ध में अगली सुनवाई में विस्तृत आदेश पारित करेगा।
पिछली सुनवाई में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अवैध रूप से चल रहे 102 ईट भट्टे को बंद करा दिया गया।साथ ही ये भी कोर्ट से ये भी कहा गया कि आगे अगर ऐसे
अवैध रूप से ईट भट्टे चालू पाये गए,तो उन्हें तत्काल बंद करा दिया जाएगा तथा उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
एमिकस क्यूरी अधिवक्ता शिल्पी केशरी ने कोर्ट को बताया था कि राज्य में ईट भट्टे चलाने के क्रम में नियमों का खुला उल्लंघन किया गया।उन्होंने कहा कि बारिश के दिनों में तो ईट भट्टे ऐसे भी बंद ही रहते है।
उन्होंने कहा कि इन ईट भट्टे से होने वाले प्रदूषण के कारण वातावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता हैं।
इस मामलें पर फिर अगली सुनवाई 29 नवंबर,2022 को की जाएगी।
14 नवंबर 2022 । पटना हाइकोर्ट ने राज्य में बड़ी संख्या में अनुसूचित जनजाति के छात्रों के बीच में स्कूल छोड़े जाने के मामलें पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। पश्चिम चम्पारण जिले में राज्य के एकमात्र अनुसूचित जनजाति की बालिकाओं के लिए स्कूल की दयनीय अवस्था के मामलें में कोर्ट ने सुनवाई की।
चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई की।कोर्ट ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अनुसूचित जनजाति के छात्रों के इतनी बड़ी संख्या में स्कूल बीच में छोड़ना गंभीर
है।
कोर्ट ने इस सम्बन्ध में की गई सुधारात्मक कार्रवाई के बारे में पूरा ब्यौरा देने का निर्देश दिया।साथ ही कोर्ट ने पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड में एकमात्र अनुसूचित जनजाति बालिका विद्यालय के स्थिति सुधारने के लिए की गई कार्रवाई का ब्यौरा भी तलब किया।
कोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के निदेशक और समाज कल्याण विभाग के निदेशक को आज की सुनवाई में स्थिति स्पष्ट करने
के लिए तलब किया था।उन्होंने आज कोर्ट मे उपस्थित हो कर स्थिति के सम्बन्ध में जवाब दिया।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि बिहार में अनुसूचित जनजाति की बालिकाओं के लिए पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड एकमात्र स्कूल है।पहले यहाँ पर कक्षा एक से ले कर कक्षा दस तक की पढ़ाई होती थी।
लेकिन जबसे इस स्कूल का प्रबंधन सरकार के हाथों में गया,इस स्कूल की स्थिति बदतर होती गई।कक्षा सात और आठ में छात्राओं का एडमिशन बन्द कर दिया गया।
साथ ही कक्षा नौ और दस में छात्राओं का एडमिशन पचास फीसदी ही रह गया।यहाँ पर सौ बिस्तर वाला हॉस्टल छात्राओं के लिए था,जिसे बंद कर दिया गया।
इस स्कूल में पर्याप्त संख्या में शिक्षक भी नहीं है।इस कारण छात्राओं की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है।
कोर्ट ने जानना चाहा कि इतनी बड़ी तादाद में छात्राएं स्कूल जाना क्यों बंद कर दे रही है।कोर्ट ने कहा कि जब इस स्कूल के लिए केंद्र सरकार पूरा फंड देती है,तो सारा पैसा स्कूल को क्यों नहीं दिया जाता हैं।
इस मामलें पर आगे की सुनवाई 29 नवंबर,2022 को होगी।
पटना, 13 नवम्बर 2022 । मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज राजकमल प्रकाशन के स्थापना दिवस के अवसर पर अशोक राजपथ स्थित राजकमल प्रकाशन के नवनिर्मित भवन का फीता काटकर उद्घाटन किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्ज्वलित कर राजकमल प्रकाशन समूह के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि आप सभी इसी तरह आगे बढ़ें और तरक्की करें। छात्र जीवन से ही हम यहां आते रहे हैं। राजकमल प्रकाशन काफी लोकप्रिय रहा है और इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। राजकमल प्रकाशन के प्रति मेरे मन में काफी सम्मान है और रहेगा।
राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष श्री अशोक महेश्वरी ने नवनिर्मित भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया। श्री अशोक महेश्वरी ने लेखकों का एक फोटो फ्रेम और पुस्तक भेंटकर मुख्यमंत्री का स्वागत किया।
कार्यक्रम में बिहार राज्य आपदा प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री उदयकांत मिश्रा, बिहार राज्य आपदा प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष श्री व्यास जी, राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष श्री अशोक महेश्वरी, जिलाधिकारी श्री चंद्रशेखर सिंह, वरीय पुलिस अधीक्षक श्री मानवजीत सिंह ढिल्लो, संपादक, लेखक एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
पटना हाइकोर्ट में आयोजित किये गए राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल मिलाकर 308 मामलों की सुनवाई की गई। आज 93 मुकदमों की सुनवाई लोक अदालत के दौरान की गई।
कुल मिलाकर 145 मुकदमों का निष्पादन हुआ, (जिसमें 52 मुकदमें की सुनवाई प्री – सिटींग में अर्थात इस लोक अदालत के पहले), 25 मुकदमें मोटर वाहन एक्ट, 43 सर्विस से जुड़े मामले और 73 अवमानना के मुकदमें शामिल थे।
इनमें से 25 मोटर वाहन एक्ट के मुकदमों में एक करोड़ पैतीस लाख रुपये का सेटलमेंट किया गया।
ये शराब बड़ी जालिम चीज है,चले थे गांधी बनने और आज वही शराब नीति नीतीश कुमार के गले का फास बन गया है। जी हां, 2020 में सरकार बनने के बाद से अभी तक किसी एक विभाग की सबसे अधिक समीक्षा नीतीश कुमार द्वारा किया गया है तो वह है उत्पाद विभाग और उसी का नतीजा था कि नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून में संशोधन करते हुए शराब पीकर पकड़े जाने पर 2-5 हजार रुपये के बीच जुर्माना लेकर छोड़ने की बात सामने आयी और जुर्माना नहीं देने पर एक महीने की जेल हो सकती है।
संशोधन के बावजूद पुलिस जुर्माना लेने के बजाय कोर्ट में भेज देती है इस दौरान शराब पीने वाले को भी परेशानी झेलनी पड़ती है ।आंकड़ा बता रहा है कि शराब पीकर पकड़े गये अभियुक्तों में 80 प्रतिशत से अधिक गरीब और कमजोर वर्ग के लोग हैं, पैसे वाले पकड़े भी जाते हैं तो वही के वही पुलिस पैसा वसूल कर छोड़ देता है ।इस वजह से गरीब लोगों में शराब कानून को लेकर एक अलग तरह का गुस्सा पैदा होता जा रहा है ।
महिला अब शराबबंदी पर बात करना नहीं चाहती है
मोकामा और गोपालगंज विधानसभा उप चुनाव के दौरान मोकामा में कुछ ज्यादा तो समझ में नहीं आया लेकिन गोपालगंज में महिलाओं में नीतीश कुमार को लेकर वह उत्साह देखने को नहीं मिला जो पहले देखने को मिलता था। बातचीत में पता चला कि शराबबंदी कानून को लेकर महिला नीतीश से निराश है और वो अब हार मान गयी है ।
इसका असर यह देखने को मिला कि वोट देने को लेकर महिलाओं में जो उत्साह पहले रहता था उसमें कमी आयी है । चुनाव के बाद मैंने इसके लिए अलग अलग जिलों में एक हजार महिलाओं से बात किये सभी के सभी शराबबंदी के पक्ष है लेकिन समस्या यह आ रही है कि गांव गांव में डोर टू डोर शराब पहुंचाने वालों का जो सिंडिकेट खड़ा हो गया है उस सिंडिकेट में कोई उसका देवर है तो कोई जाउत है तो कोई भैसुर है मतलब पीने वाला भी और शराब पहुंचाने वाला भी एक दूसरे का रिश्तेदार ही है ।
इस वजह से महिला अब उस अंदाज में विरोध नहीं कर पाती है क्यों कि विरोध करती है तो डोर तू डोर शराब पहुंचाने वालों का परिवार ही उसके लिए आगे आकर लड़ने लगती है इस वजह से महिलाओं में शराबबंदी को लेकर जो एकजुटता देखने को मिलता था वो पूरी तौर पर हर गांव में टूट गया है।
हालात यह है कि जीविका दीदी भी अब शराब पर चर्चा करने से डरती है क्यों कि चौकीदार से लेकर थानाध्यक्ष तक शराब कारोबारी और डोर टू डोर शराब पहुंचाने वालों के साथ खड़ी रहती है । वही जो शराब पहले सौ रुपया में मिलता था वो आज तीन सौ रुपया में मिल रहा है इस वजह से महिलाओं को घर चलाने में काफी परेशानी हो रही है इससे महिला खासा निराश है और इसका असर नीतीश कुमार के छवि पर पड़ रहा है।
वही आकड़ा पर गौर करे तो अभी तक शराबबंदी के बाद जितनी भी गिरफ्तारी हुई है उसमें सबसे अधिक संख्या पिछड़े और दलित जाति के लोगों का है। वही इस काम में गांव स्तर पर काम करने वाला भी पिछड़ा और दलित वर्ग से ही आता है इस वजह से गांव आर्थिक व्यवस्था पूरी तौर पर बदल गया है।
डोर टू डोर शराब पहुंचाने वाले के घर कि स्थिति में बड़ा बदलाव आ रहा है इसको देखते हुए रोज नये नये लोग इस धंधे में शामिल हो रहे हैं। अब हालात यह है कि डोर टू डोर शराब पहुंचाने वालो की संख्या इतनी बढ़ गयी है कि शराब कारोबारी डोर टू डोर शराब पहुंचाने का काम देने से पहले 25 से 50 हजार रुपया लेता है उसके बाद उन्हें यह काम देता है और यह पैसा वापस नहीं मिलता है ।
एक तरह से डोर टू डोर शराब पहुंचाने का लाइसेंस निर्गत करता है जिसकी जानकारी गांव के चौकीदार से लेकर थानेदार तक को रहता है अब तो मुखिया भी इस खेल में हिस्सेदार बन गया है। इस तरह गांव स्तर पर शराबबंदी कानून पूरी तरह से फेल हो गया है । वही पुलिस को दिखाने के लिए जो कार्यवाही कर रही है उसके शिकार अधिकांश गरीब ,दलित और पिछड़ा हो रहा है इस वजह से एक नयी तरह की समस्या खड़ी होने लगी है जिसका राजनीतिक नुकसान कही ना कही नीतीश को हो रहा है और यही वजह है कि इन दिनों जदयू के नेता भी शराबबंदी कानून को लेकर बोलने लगे हैंं।
पटना, 11 नवम्बर 2022। पटना हाईकोर्ट ने ऑनलाइन सुनवाई करते हुए चंपारण, बेतिया जिला स्थित सभी एससी/ एसटी आवासीय विद्यालयों के रखरखाव के लिए खरीद और आपूर्ति में कथित रूप से बड़े पैमाने पर बरती गई वित्तीय अनियमितता और गबन के मामले पर सुनवाई की।
चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने पूनम देवी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य के चीफ सेक्रेटरी से गठित की गई जांच कमेटी का रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए दो सप्ताह के भीतर इस मामले में की गई कार्रवाई का ब्यौरा देने का आदेश भी दिया है। याचिककर्ता के अधिवक्ता सुरेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि मामला वर्ष 2018 -2000 से जुड़ा हुआ है।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका के जरिये मामले की जांच के लिए हाई लेवल जांच कमेटी के गठन हेतु आदेश देने का भी अनुरोध किया है। इस मामले पर अगली सुनवाई चार सप्ताह की जाएगी।
सुशील कुमार मोदी – प्रेस विज्ञप्ति 11.11.2022
पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार का न बिहार के बाहर कहीं प्रभाव है और न राज्य के भीतर वे अपना जनाधार बचा पाये, इसलिए विपक्षी एकता की उनकी मुहिम फ्लॉप कर गई। डेढ़ महीने में न कोई प्रमुख विपक्षी नेता उनसे मिलने आया, न वे किसी से मिलने गए।
श्री मोदी ने कहा कि गोपालगंज और मोकामा के उपचुनाव में नीतीश कुमार अपना लव-कुश और अतिपिछड़ा वोट राजद को ट्रांसफर नहीं करा पाये। उनका आधार वोट भाजपा की तरफ खिसक गया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद न मल्लिकार्जुन खडगे ने और न भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी ने ही नीतीश कुमार को आमंत्रित किया।
श्री मोदी ने कहा कि विपक्षी एकता के नाम पर केसीआर बिहार आए थे, लेकिन नीतीश कुमार के साथ बात नहीं बनी। अब उन्होंने अपनी पार्टी को राष्ट्रीय बना कर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी से हाथ मिला लिया।
उन्होंने कहा कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और केजरीवाल की पार्टी को एक साथ लाने में नीतीश कुमार कोई भूमिका नहीं निभा सके। दोनों जगह दोनों विपक्षी दल एक-दूसरे के खिलाफ भी लड़ रहे हैं।
श्री मोदी ने कहा कि जब नीतीश कुमार को कोई नेता मानने को तैयार नहीं, तब विपक्षी एकता के नाम पर जदयू का राजद में विलय कराने के अलावा उनके पास कोई रास्ता नहीं है।
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों दिल्ली में केजरीवाल, चौटाला और अखिलेश यादव से नीतीश कुमार के मिलने का कोई फालोअप नहीं हुआ।
श्री मोदी ने कहा कि केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ खड़ा होना नामंजूर कर दिया और आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में घिरे ओम प्रकाश चौटाला ने चुप्पी साध ली।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को भरोसेमंद दोस्त भाजपा का साथ छोड़ने के लिए पछताना पड़ेगा।
पटना, 11 नवम्बर 2022। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री स्व0 मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिवस पर आयोजित शिक्षा दिवस कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सबको मालूम है कि आज शिक्षा दिवस के अवसर पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। हमलोगों ने वर्ष 2007 में स्व0 मौलाना अबुल कलाम आजाद जी के जन्मदिन के अवसर पर शिक्षा दिवस मनाने की शुरूआत बिहार से की। जब राज्य में हमलोगों ने इसकी शुरुआत की तो उसके बाद केंद्र सरकार से भी हमलोगों ने अनुरोध किया कि इसे शुरु किया जाए। उस समय के मानव संसाधन मंत्री अर्जुन सिंह ने इसे स्वीकार किया और वर्ष 2008 से पूरे देश में इनके जन्मदिन को शिक्षा दिवस के रुप में मनाया जाने लगा ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के दौरान स्व० मौलाना अबुल कलाम आजाद जी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी। समाज में आपसी एकता को बनाए रखने में उनका योगदान था। वे हिंदुस्तान और पाकिस्तान बंटवारा के खिलाफ थे। उस समय जो माहौल पैदा हो रहा था उसमें वे हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए काम करते रहे। गांधी जी भी हिन्दु-मुस्लिम एकता के लिये काम कर रहे थे लेकिन उनकी हत्या कर दी गई। देश की आजादी के बाद जब सरकार बनी तो मौलाना अबुल कलाम आजाद जी को देश का प्रथम शिक्षा मंत्री बनाया गया । शिक्षा के क्षेत्र में जितना काम हुआ है सब उन्हीं की देन है। देश को एकजुट करने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के विकास के लिये कई कदम उठाये गये। शिक्षकों की बहाली की गयी, नये-नये संस्थानों की स्थापना की गयी। कॉलेज और यूनिवर्सिटी बनाये गये। मुझे प्रसन्नता हो रही है कि आज यहां इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लड़कियां मौजूद हैं।
पोशाक योजना, साईकिल योजना की शुरुआत कर लड़कियों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया गया। बड़ी संख्या में लड़कियां स्कूल जाने लगीं और आज लड़कों के बराबर लड़कियां मैट्रिक की परीक्षा में शामिल हो रही हैं। सरकार में आने के बाद जब हमने अध्ययन कराया तो पता चला कि साढ़े 12 प्रतिशत बच्चे और बच्चियां स्कूल नहीं जाते हैं। मुस्लिम समुदाय और महादलित समुदाय के बच्चे इसमें सबसे ज्यादा थे, उसके बाद इनके लिए पढ़ने का इंतजाम हमलोगों ने कराया। अब 0.5 प्रतिशत से भी कम बच्चे-बच्चियां स्कूल से बाहर हैं लेकिन हमारा लक्ष्य है कि सभी पढ़ें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक सर्वे से जानकारी मिली कि पति-पत्नी में अगर पत्नी मैट्रिक पास है तो देश का प्रजनन दर 2 और बिहार का प्रजनन दर भी 2 है लेकिन पति-पत्नी में अगर पत्नी इंटर पास है तो देश का प्रजनन दर 1.7 और बिहार का 1.6 है। वर्ष 2011-12 में बिहार का प्रजनन दर 4.3 था जो घटकर आज 2.9 पर आ गया है। लड़कियाँ पढ़ेंगी तो राज्य का प्रजनन दर 2.9 से घटकर 2 पर आ जायेगा। लड़कियों को शिक्षित करने के लिये कई इंतजाम किये गये हैं।
मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के अन्तर्गत जन्म से स्नातक तक हर लड़की को पढ़ने के लिये 54 हजार 100 रुपये दिया जाता था लेकिन उसको बढ़ाकर 94 हजार 100 रूपये कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि हम तो एक पिछड़ा राज्य हैं लेकिन राज्य में विकास के कई काम किये जा रहे हैं। हर घर तक पक्की गली नाली का निर्माण, शौचालय का निर्माण, हर घर नल का जल पहुंचाने का काम किया गया। हम आप शिक्षकों से कहेंगे कि आपलोग स्कूल जायें और बच्चों को ठीक से पढ़ायें। जो शिक्षक स्कूल में नहीं पढ़ाते हैं उन पर कार्रवाई करें। अभी सबसे अधिक खर्च शिक्षा पर किया जा रहा है। बजट का 21 प्रतिशत तक पढ़ाई पर खर्च हो रहा है।
हमलोग 25 प्रतिशत तक शिक्षा पर खर्च करेंगे। हमलोगों ने लड़कियों के पढ़ने के लिए पूरी व्यवस्था कर दी है। इंजीनियरिंग, मेडिकल के क्षेत्रों में लड़कियों के लिये एक तिहाई सीट आरक्षित कर दिया गया है। लड़कियां पढ़ेंगी तो प्रजनन दर कम होगा और अपने बच्चों को भी शिक्षित कर पाएंगी। स्कूलों में तीन से आठ वर्ग के बच्चों के लिये ‘बापू की पाती’ तथा 9 से 12 वर्ग के बच्चों के लिये ‘एक था मोहन’ पुस्तक बच्चों को पढ़ाया जा रहा है ताकि बापू के बारे में बच्चे-बच्चियां ठीक से जान सकें। जिस प्रकार बापू के बारे में बच्चों को पढ़ाया जा रहा है उसी प्रकार उसी प्रकार मौलाना आजाद की कहानी भी बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। कभी-कभी देश में लोग झगड़ा पैदा करना चाहते हैं। जब आप बापू और मौलाना आजाद के बारे में लोग जानेंगे तो आपस में प्रेम और भाईचारे का माहौल रहेगा।
हमने कहा था बिहार में आई0आई0टी0 बनना चाहिए और उस समय के मानव संसाधन मंत्री अर्जुन सिंह ने इस पर काम कराया और उसके लिए हमलोगों ने जमीन उपलब्ध कराया था। श्रद्धेय अटल जी की सरकार में हम मंत्री थे उस वक्त हमने एन0आई0टी0 के लिये उस समय के मानव संसाधन मंत्री श्री मुरली मनोहर जोशी जी से कहा था और उन्होंने इसे स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि सब चीज लोग भूलते जा रहे हैं, नई टेक्नोलॉजी के माध्यम से भी सभी चीजों की जानकारी नई पीढ़ी को मिले। नई टेक्नोलॉजी के माध्यम से भी बिहार में किये गये कामों को लोग जानेंगे, आजादी की बातों को भी लोग जानेंगे। सबको एक दूसरे के साथ मिलकर चलना चाहिए। आपस में मिल्लत के साथ रहना चाहिए। आपस में प्रेम और भाईचारे का भाव रखें। पुनः मैं स्व० मौलाना अबुल कलाम आजाद जी के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
कार्यक्रम की शुरुआत के पूर्व मुख्यमंत्री ने भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री स्व० मौलाना अबुल कलाम आजाद जी के जीवन पर आधारित पुस्तकों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्यमंत्री ने भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री स्व० मौलाना अबुल कलाम आजाद जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को स्कूल की छात्रा ने हरित पौधा भेंटकर स्वागत किया तथा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार ने मुख्यमंत्री को पुस्तकों का सेट भेंटकर उनका स्वागत किया।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने ‘बेस्ट प्लस ऐप’ का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने डी०बी०टी० के माध्यम से वर्ष 2022-23 के लिए छात्र-छात्राओं के प्रोत्साहन राशि का हस्तांतरण किया। मुख्यमंत्री ने बिहार स्वच्छ विद्यालय 2022-23 पुरस्कार पोर्टल का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ‘बिहार स्वच्छ विद्यालय 2022-23 पुरस्कार’ मार्गदर्शिका का भी विमोचन किया। डॉ० मनेन्द्र कुमार और डॉ० रेखा कुमारी द्वारा लिखित पुस्तक ‘दे बेसिक्स ऑफ एनिमल बिहेवियर का लोकार्पण मुख्यमंत्री ने किया। बैगलेस सुरक्षित शनिवार मार्गदर्शिका का भी मुख्यमंत्री ने विमोचन किया। कार्यक्रम में ‘बैगलेस सुरक्षित शनिवार पर आधारित एक लघु फिल्म तथा ‘अभिभावक – शिक्षक संगोष्ठी, 20 अक्टूबर 2022 पर आधारित एक लघु फिल्म प्रदर्शित की गई।
कार्यक्रम को वित्त, वाणिज्य कर तथा संसदीय कार्य मंत्री श्री विजय कुमार चौधरी, शिक्षा मंत्री प्रो० चंद्रशेखर, विकास आयुक्त श्री विवेक कुमार सिंह, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री दीपक कुमार सिंह, प्रसिद्ध पत्रकार श्री दारेन शाहिदी ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर विधान पार्षद श्री संजय कुमार सिंह उर्फ गांधी जी, विधान पार्षद श्रीमती कुमुद वर्मा, वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव सह मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ० एस० सिद्धार्थ, पटना विश्वविद्यालय के कुलपति श्री गिरीश कुमार चौधरी, नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति श्री के०सी० सिन्हा, शिक्षा विभाग के सचिव श्री असंगवा चुवा आओ, माध्यमिक शिक्षा के निदेशक श्री मनोज कुमार, उच्च शिक्षा के निदेशक डॉ० रेखा कुमारी, बिहार राज्य शिक्षा बोर्ड एवं प्रशिक्षण के निदेशक श्री संजय आर्य, प्राथमिक शिक्षा के निदेशक श्री रवि प्रकाश, शिक्षा विभाग के विशेष सचिव श्री सतीश चंद्र झा सहित अन्य पदाधिकारीगण, शिक्षकगण एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थीं ।
11 नवंबर 2022 । पटना हाईकोर्ट ने राज्य में प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध की गई कार्रवाई के सम्बंध में राज्य के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस पार्थ सारथी की खंडपीठ ने अधिवक्ता मयूरी द्वारा दायर जनहित याचिका पर ऑनलाइन सुनवाई करते हुए ये आदेश को पारित किया।
कोर्ट ने राज्य में स्टेट ड्रग कंट्रोलर की स्थाई नियुक्ति के लिए उठाए गए कदम के संबंध में प्रधान सचिव को सूचित करने को कहा है। चूंकि वर्तमान ड्रग कंट्रोलर करीब विगत 5 वर्षों से अस्थाई रूप से कार्यरत हैं।
स्टेट ड्रग कंट्रोलर ने कथित रूप से कुछ प्रतिबंधित दवाओं बनाये जाने के लिए लाइसेंस की मंजूरी दी थी। इन दवाओं को भारत सरकार ने एक गज़ट अधिसूचना से वर्ष 2011 में ही प्रतिबंधित कर दिया था।
याचिकाकर्ता का कहना है कि स्टेट ड्रग कंट्रोलर की लापरवाही की वजह से कुछ दवाओं पर पूरे भारत में प्रतिबंध लगा दिए जाने के बावजूद इन दवाओं को बिहार राज्य में बनाया और बेचा जा रहा था।
कोर्ट का यह भी कहना था कि मामले के प्रकाश में आने के बाद करीब डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी आज तक किसी भी कर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कि गई है, जोकि प्रथम दृष्टया राज्य में स्वास्थ के प्रति स्वास्थ्य कर्मियों की उदासीनता को बतलाता है।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 25 नवंबर,2022 को होगी।
सुशील कुमार मोदी – प्रेस विज्ञप्ति 10.11.2022
पटना । पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार की जिद के कारण निकाय चुनाव टल गए, जिससे अतिपिछड़ा वर्ग के सैकड़ों लोग मेयर-डिप्टी मेयर बनने से वंचित रह गए।
श्री मोदी ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले के बाद भले ही सरकार झुकी और अतिपिछड़ों को राजनीतिक आरक्षण देने के लिए अतिपिछड़ा वर्ग आयोग को पुनर्जीवित कर दिया गया, लेकिन अभी तय नहीं कि कब आयोग की रिपोर्ट आयेगी और चुनाव कब होंगे?
उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव जब भी होंगे, तब फिर से नामांकन करना होगा या पहले के नामांकन ही मान्य होंगे, यह भी स्पष्ट नहीं है।
श्री मोदी ने कहा कि निकाय चुनाव टल गए, लेकिन आचार-संहिता लागू है, इसलिए पूरे राज्य में शहरी विकास का कोई नया काम नहीं हो रहा है।
उन्होंने कहा कि इन सारी बातों के लिए नीतीश कुमार जिम्मेदार हैं।
श्री मोदी ने कहा कि सरकार चुनाव की तारीख के बारे में स्पष्ट घोषणा करे, ताकि ऊहापोह की स्थिति समाप्त हो।
उन्होंने कहा कि जब महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में निकाय चुनाव पर रोक लगने का हवाला देकर एजी और राज्य निर्वाचन आयोग ने अतिपिछड़ों को आरक्षण देने के लिए विशेष आयोग बनाने और उसकी रिपोर्ट के अनुसार निकाय चुनाव कराने का मंतव्य दिया, तब नीतीश कुमार ने किसी की एक न सुनी।
श्री मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री के राजहठ के कारण अतंत: निकाय चुनाव पर रोक लगी और करना वही पड़ा, जो पहले
किया जा सकता था। इसका खामियाजा अतिपिछड़ों को उठाना पड़ा।