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आरसीपी का टिकट कटना संदेश साफ है नीतीश के शर्तो पर चलेगी सरकार

आरसीपी सिंह का टिकट काटना बीजेपी की शिखंडी के सहारे राजनीति करने की शैली पर नीतीश कुमार का यह दूसरा बार हमला है और इस हमले के साथ यह तो तय हो गया है कि आने वाले समय में नीतीश बीजेपी को लेकर और भी कड़े फैसले ले सकते हैं ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा तक बिहार की राजनीति में कोई बड़ा उलटफेर हो जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी ।
1–नीतीश दुश्मनी भी बड़ी शिद्दत से करते हैं नीतीश कुमार जिस परिवेश से आते हैं या फिर जिस तरह की राजनीति करते हैं उसमें नीतीश की मजबूरी है कि उनकी छवि सख्त वाली रहे और यही वजह है कि जिसने भी आंख उठाया उसको नीतीश ने बड़ी शिद्दत से ठिकाने लगा दिया ।चाहे वो जार्ज हो ,शरद यादव हो ,दिग्विजय सिंह हो या फिर प्रभुनाथ सिंह ये सारे कभी जदयू के बड़े चेहरे रहे हैं। इसी तरह चिराग पासवान 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए शिखंडी की तरह नीतीश को पराजित करने के लिए उम्मीदवार को खड़े किये और उसका खासा नुकसान जदयू को हुआ लेकिन सरकार के गठन के कुछ महीने बाद ही नीतीश कुमार ने चिराग का ऐसा ऑपरेशन किया कि मंत्री पद की कौन कहे आवास तक खाली करना पड़ा और बीजेपी खामोशी के साथ वो सब कुछ करता रहा जो नीतीश कहते गये।

आरसीपी सिंह को भी वफादारी बदलने की ही सजा मिली है उन्हें लगा कि नीतीश कुमार के दिन अब लद गये हैं और वो अब चाह करके भी कुछ नहीं कर पायेंगे, केन्द्र में मंत्री हैं, नीतीश के स्वजातीय हैं ,नीतीश कुमार के राजदार रहे हैं उनके हर कर्म और कुकर्म के साझेदार रहे हैं ऐसे में वफादारी बदल भी लेंगे तो भी नीतीश कुमार इस स्थिति में नहीं है कि मेरा टिकट काट दे ।हलांकि राज्यसभा चुनाव की घोषणा के बाद नीतीश कुमार जिस तनाव से गुजर रहे थे उससे ये समझ में आ रहा था कि आरसीपी सिंह का टिकट काटने का फैसला लेना कितना मुश्किल था।

2—आरसीपी सिंह के बाद किसकी बारी
आरसीपी सिंह का टिकट काट कर नीतीश कुमार ने बीजेपी को सीधा संदेश दिया है कि पार्टी अभी भी नीतीश कुमार का है और जो नीतीश चाहेंगे वही होगा साथ ही नीतीश कुमार ने यह संदेश भी दे दिया है कि बिहार में बीजेपी के साथ गठबंधन नीतीश कुमार के शर्तों पर चलेगा ।

ऐसे में आने वाले दिनों में अमित शाह और बिहार की राजनीति में उनके साथ खड़े नेता के साथ साथ बिहार के राज्यपाल ,बिहार विधानसभा के अध्यक्ष और बीजेपी कोटे के कुछ मंत्रियों का पत्ता साफ हो जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी क्यों कि बीजेपी के अंदर भी जिस तरीके से केंद्रीय नेतृत्व के फैसले पर सवाल उठने लगे हैं उससे संकेत साफ है कि बिहार आने वाले दिनों में जंग का मैदान बन सकता है ।

क्यों कि सुशील मोदी जिस तरीके से बोचहा उप चुनाव के परिणाम के सहारे पार्टी नेतृत्व को चुनौती दी है ,फिर राज्यपाल को हटाये जाने की मांग के साथ साथ जातीय जनगणना के समर्थन में बयान देकर अमित शाह को झुकने पर मजबूर कर दिया ऐसे में संकेत साफ है कि आने वाले दिनों में बिहार बीजेपी के अंदर से भी मोदी और शाह को चुनौती मिलनी शुरु हो जाये तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। वैसे बीजेपी के अंदर से राज्यसभा टिकट वितरण को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं ऐसे में नीतीश कुमार जिस तरीके से आरसीपी सिंह का टिकट काटे हैं उससे बीजेपी के अंदर जो शाह विरोधी खेमा है उसको बल मिला है ।

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