इस जनहित याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने की। ये जनहित याचिका बिहार आदिवासी अधिकार फोरम ने की है।
ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट वास्तव में आदिवासी विकास,उनकी संस्कृति और विरासत व योजना और कानून बनाने के लिए आधार उपलब्ध कराता है।इस बारे में सरकारी अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार इसके लिए कार्रवाई कर रही है।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि 30 जून,2022 को बिहार के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक हुई।इसमें तीन महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।



एस सी व एस टी कल्याण विभाग के सचिव को निर्देश दिया गया कि वे शीघ्र ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट के स्वीकृत व्यवस्था करें।
साथ ही जबतक केंद्र सरकार योजना के अंतर्गत नए भवन और परिसर नहीं मिल पाता है, सचिव, भवन निर्माण विभाग को निर्देशित किया गया है कि ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट के लिए तीस दिनों में भवन की व्यवस्था करें।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि ये भी निर्णय लिया गया कि वैकल्पिक भूमि की तलाश की जा रही हैं।इसमें ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट के लिए म्यूजियम,मेमोरियल,काफ्रेंस हॉल आदि सारी व्यवस्था होगी।इसके लिए राज्य सरकार ने प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने के लिए 90 दिनों का समय कोर्ट से माँगा।
सुनवाई के दौरान जजों ने कहा कि क्या ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट के अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर कार्य कर सकते हैं।याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विकास पंकज ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया।
इस मामलें पर आगे की सुनवाई इस माह में की जाएगी।