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जीविका दीदी ने कर दी कमाल भाई के हाथों में दीदी की बनी राखी से सजेंगी हाथ

कहते हैं रेशम के धागे की राखी का बड़ा महत्व होता है । पूर्णिया की दर्जनों जीविका दीदीयां इन दिनों मलबरी की खेती कर अपने हाथों से बेकार पड़े खराब कोकून से रेशम का धागा निकालकर आकर्षक राखियां बना रही है । इससे जहां उन्हें रोजगार मिल रहा है वहीं ये दीदीयां लोगों को रेशम की शुद्ध राखियां भी मुहैया करा रही है । पिछले साल 23 फरवरी 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी मन की बात में धमदाहा के मलवरी की खेती कर आर्थिक उपार्जन करने वाले आदर्श जीविका समूह की सराहना की थी ।

पूर्णिया के धमदाहा अनुमंडल के अमारी कुकरन में आदर्श जीविका समूह समेत चार अन्य समूह की जीविका दीदीयां इन दिनों रेशम की राखी बना रही है । जीविका दीदी रीना कुमारी ने कहा कि पहले वे लोग खराब हो चुके कोकून को बेकार समझकर फेंक देते थे । लेकिन पिछले साल पटना के सरस मेला में उनलोगों ने देखा कि कुछ लोग किस तरह बेकार पड़े चीजों का इस्तेमाल कर अच्छा हैन्डीक्राफ्ट बना रहे हैं, तो उनलोगों के मन में भी कुछ नया करने की ललक जगी । इसके लिये उनलोगों ने पहले प्रशिक्षण लिया फिर पिछले साल कोरोना के समय अपने परिवार के साथ मिलकर 21 सौ राखियां बनायीं। इस तरह उन्हें कोरोना की मुश्किल घड़ी में तकरीबन 40 हजार रुपये की आमदनी हुई।

इस बार धमदाहा के पांच समूह की 40 जीविका दीदीयों ने बैठक कर राखी बनाने का काम शुरु किया । इस साल उनलोगों का लक्ष्य करीब पचास हजार राखियां बनाने का है और एक राखी की कीमत 15 रु. से 50 रु. तक तय किया गया है। उन्हें भरोसा है कि इससे उन्हें अच्छी आमदनी भी होगी और कुछ सकारात्मक पहल भी।

इस संदर्भ में डीएम राहुल कुमार ने बताया कि पूर्णिया की जीविका दीदीयां अच्छा काम कर रही हैं। धमदाहा की आदर्श मलवरी उत्पादक जीविका समूह की जीविका दीदीयों की प्रशंसा पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी की थी । उन्होंने कहा कि धमदाहा की कई जीविका दीदीयां जहां रेशम की राखी के अलावे साड़ी समेत कई चीजें बना रही हैं वहीं कुछ जीविका दीदीयां मक्का उत्पादन और मक्का से सामग्री बनाकर आर्थिक उपार्जन कर रही है ।

पूर्णिया जीविका समूह की दीदियां लगातार अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए न सिर्फ प्रयास करती हैं बल्कि लगातार प्रशिक्षण ले कर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान भी बना रही है ।

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