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रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुआ बाजार; निफ्टी 18000 तो सेंसेक्स 60300 के करीब पहुंचा

मंगलवार को उतार-चढ़ाव के बीच सेंसेक्स, निफ्टी में तेजी देखने को मिलि । सेंसेक्स 148 अंक बढ़कर 60,284 के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर और निफ्टी 50 इंडेक्स 46 अंक बढ़कर 17,992 के सर्वकालिक उच्च स्तर पर बंद हुआ। इसी तरह, बेंचमार्क के साथ मिड-कैप इंडेक्स भी आज बाजार बंद होने पर 174 अंक बढ़कर 31,805.5 पर पहुंच गया।

सेंसेक्स चार्ट (12.10.21) एक नजर में

सेक्टर के मोर्चे पर ऑटो, एफएमसीजी, मेटल और पीएसयू बैंक इंडेक्स में 1-3 फीसदी की तेजी आई, जबकि आईटी इंडेक्स में करीब 1 फीसदी की गिरावट आई। बीएसई के स्मॉलकैप और मिडकैप इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए।

टाइटन कंपनी, बजाज-ऑटो, बजाज फिनसर्व, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई), नेस्ले इंडिया, आईटीसी, एक्सिस बैंक, टाटा स्टील, आरआईएल, एचयूएल सेंसेक्स में शीर्ष पर रहे।

दूसरी तरफ, एचसीएल टेक, टेक महिंद्रा, अल्ट्राटेक सीमेंट, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), महिंद्रा एंड महिंद्रा, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक और इंफोसिस शीर्ष इंडेक्स ड्रैगर्स में से थे।

सेंसेक्स के 30 शेयर्स में से 17 शेयर में बड़हत और 13 शेयर में गिरावट देखने को मिली। बीएसई पर कारोबार के दौरान 342 शेयर्स 52 हफ्ते के ऊपरी स्तर पर और 18 शेयर्स 52 हफ्ते के निचले स्तर पर दिखे।

सेंसेक्स के शेयर एक नजर में

सेक्टोरल मोर्चे पर, निफ्टी आईटी को छोड़कर, सभी सेक्टोरल इंडेक्स सकारात्मक क्षेत्र में समाप्त हुए। निफ्टी मीडिया, मेटल, ऑटो, बैंक और रियल्टी सेक्टर के गेज भी 0.6-1.5 फीसदी के बीच बढ़े।

बैंकिंग शेयरों में देर से हुई खरीदारी ने बेंचमार्क को रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद कर दिया। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 0.6 फीसदी और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 0.8 फीसदी चढ़े।

निफ्टी 50 इंडेक्स पर आज करीब 31 शेयर चढ़े और 19 गिरावट के साथ बंद हुए।

निफ्टी के प्रमुख शेयरों के टॉप गेनर और लूजर का हाल

एस एस बी की बड़ी कारवाई हथियार के साथ तस्कर गिरफ्तार

गुप्त सूचना के आधार पर विशेष गस्ती करते हुए एस एस बी जवानों ने 02 हथियारों के साथ 03 कारोबारी और एक मोटर साइकल को किया जब्त

सोमवार की संध्यकालीन बेला मे एस एस बी 45वी बटालियन बीरपुर की सीमा चौकी नरपटपट्टी ने गुप्त सूचना के आधार पर विशेष गस्ती करते हुए एक 09 इंच लंबा सिक्सर, 7.65 एम एम की पाँच जिंदा कारतूस और एक 09 इंच की एयरगन , एक मोटर साइकल (हीरो स्प्लेंदर संख्या BR 11 K 4424) 03 मोबाइल फोन को जब्त करते हुए तीन कारोबारी को गिरफ्तार किया है।

भारत-नेपाल सीमा स्तम्भ संख्या 220 के समीप छोतही अंसारी टोला, वार्ड संख्या 10, जिला अररिया मे कुछ आपराधिक तत्वों द्वारा अवैध हथियारों का मामला संज्ञान मे आया था। कार्यवाही को अंजाम देते हुए सीमा चौकी नरपटपट्टी से सब इंस्पेक्टर सुदर्शन भट्ट के नेतृत्व मे चिन्हित स्थान के लिए विशेष गस्ती दल को भेजा गया। चिन्हित स्थान पर पहुँचकर भारतीय प्रभाग मे छोतही अंसारी टोला, वार्ड संख्या 10 के समीप सूचना के आधार पर जाने पर देखा गया कि तीन व्यक्ति बैठे हुए हैं और गस्ती दल को देखते हुए भागने लगे ।

जिसे दौड़ते हुए गस्ती दल द्वारा घेर लिया गया और पकड़ लिया गया। जब उनसे पूछताछ के दौरान तीनों की तलाशी ली गई तो उन तीनों मे एक व्यक्ति के समीप से 02 कट्टे और कारतूस बरामद बरामद हुए जिसे जब्त कर तीनों कारोबारी को गिरफ्तार कर लिया गया। तीनों के पास से एक एक मोबाइल भी बरामद हुई। दोनों हथियार, बरामद कारतूस, एक बाइक के साथ कारोबारी को भापटियाही थाना के सुपुर्द किया गया। वहीं कारोबारी की पहचान मो अफ़रोज, मो असलम जो थाना नरपतगंज जिला अररिया का निवासी है और अन्य एक अरविंद कुमार मेहता जो थाना भापटियाही जिला सुपौल का निवासी है।

डेढ़ सौ साल पहले पत्रकारिता की स्वायत्तता को गढ़ते हुए एक पत्रकार नगेंद्रनाथ का बाइस्कोप

डेढ़ सौ साल पहले पत्रकारिता की स्वायत्तता को गढ़ते हुए एक पत्रकार नगेंद्रनाथ का बाइस्कोप
“हालांकि तब सिन्ध में किसी तरह का जनमत न था।”

मैं इस पंक्ति पर ठिठक गया। यह पंक्ति आज से कोई 130-35 साल पुरानी होगी। बिहार में पले-बढ़े पत्रकार नगेंद्रनाथ गुप्त कोलकाता के सार्वजनिक जीवन को जीने के बाद जब पत्रकारिता के लिए सिन्ध जाते हैं तब की पंक्ति है। यह पंक्ति 1884 से लेकर 1891 के बीच की है। आज जब जनमत का निर्माण कई तरह के हथकंडों से होने लगा है एक सदी से पहले के दौर में जनमत की उपस्थिति, अनुपस्थिति और निर्माण की प्रक्रिया की झलक इस किताब में मिलती है। किताब का नाम पुरखा पत्रकार का बाइस्कोप है। पत्रकार उस दौर में सार्वजनिकता को किस तरह से देख रहे हैं इसकी एक मिसाल उनकी ही लिखी यह पंक्ति है।

“1878 तक, जब मैंने बिहार छोड़ा, यहां सार्वजनिक जीवन का कोई हिसाब न था। पैसे वाले लगभग सभी को लौण्डेबाज़ी का शौक़ था। राजा, महाराजाओं में,उनमें से कई से मैं भी मिला था, औसत से भी कम दर्जे की बुद्धि रखते थे।”

नगेंद्रनाथ का देखना और लिखना दोनों ही बेहद संक्षिप्त और संयमित है। प्रभाव में प्रवाहित नहीं होते न फिज़ूल की बात दर्ज करते हैं। उस वक्त की पत्रकारिता की शैली जितना ज़रूरी हो, उतना ही लिखा जाए की रही होगी।सूचनाओं को दर्ज करने का कालक्रम में विकास होता है और यहां तक पहुंचते पहुंचते उसका रुप पूरी तरह बदल चुका है। पुरखा पत्रकार के इस संस्मरण में न जाने कितनी ऐसी हस्तियां हैं जो सामान्य से लेकर विशिष्ट के रुप में दर्ज हैं जिन्हें हम महापुरुष और ऐतिहासिक पुरुष कहते हैं। इनमें से कइयों के साथ पत्रकार का पत्र व्यवहार है, मित्रता है और संपर्क है। कइयों को उन्होंने देखा है। बंकिम चंद्र चटर्जी, दयानंद सरस्वती, रामकृष्ण परमहंस, सत्येंद्र नाथ बनर्जी, रवींद्रनाथ टगोर, दादा भाई नौरोजी और कई गवनर्र, कलक्टर। रवींद्रनाथ टगौर बीस साल की उम्र से उनके मित्र रहे थे लेकिन पत्रकार नगेंद्र नाथ गुप्त ने कोई किताब नहीं लिखी, अपनी किताब में बेहद कम लिखा। जितना लिखा है वही शानदार है।

नगेंद्रनाथ गुप्त पत्रकारों की पहली पीढ़ी के पत्रकार रहे होंगे। उनके संस्मण में चल रहे अनेक धारा प्रवाह प्रसंगों में पत्रकारिता के बन रहे मानकों की भी झलक मिलती है। ग़ुलाम भारत में भी पत्रकार अपने पेशे की स्वायत्तता को बचाना जानता है जबकि आज़ाद भारत में ग़ुलाम हो चुका गोदी मीडिया कब का पत्रकार होने का मतलब भूल चुका है। कई प्रसंग मिलते हैं जिससे पता चलता है कि ब्रिटिश भारत की नौकरशाही का पत्रकारिता के साथ क्या रिश्ता था, ख़बरों को लेकर किस तरह की नाराज़गियां थीं।


1878 में जब वर्नाकुलर प्रेस एक्ट पास हुआ तब के बारे में नगेंद्रनाथ गुप्त लिखते हैं कि “बंगाल के गवर्नर सर एश्ले इडेन को हिन्दुस्तानी प्रेस में सरकार की आलोचना पसंद नहीं थी। सबसे ज़्यादा तकलीफ अमृत बाज़ार पत्रकारिता से थी जो तब आधा अंग्रेज़ी और आधा बांग्ला में निकलता था। उन्होंने पत्रकारिता के संपादक शिशिर कुमार घोष को बुलवाया और कहा कि हिन्दुस्तानी अख़बारों में सरकार की आलोचना बंद होनी चाहिए। उन्होंने कहा मुझे कृष्टो दास पाल( हिन्दू पैट्रियट के संपादक) से कोई तकलीफ नहीं है। अगर आपको कोई तकलीफ है तो आप कभी भी मुझसे मुलाकात कर सकते हैं। मैं आपकी सारी मुश्किलें दूर करूंगा। लेकिन सरकार बार-बार अपने अधिकारियों पर हमले बर्दाश्त नहीं कर सकती।”


शिशिर कुमार घोष के नहीं झुकने पर वर्नाकुलर प्रेस एक्ट पास हो गया। अमृतबाज़ार पत्रिका ने इस कानून के ख़िलाफ़ दमदार अभियान चलाया। जिस हफ्ते कानून का प्रस्ताव आया उस हफ्ते अखबार वर्नाकुलर प्रेस एक्ट से बचने के लिए पूरी तरह अंग्रेज़ी में प्रकाशित होने लगा और कानून के दायरे से बाहर हो गया। एस्ले इडेन का ख़ूब मज़ाक उड़ा। इस कानून के ख़िलाफ सत्येंद्र नाथ बनर्जी ने ख़ूब बहस की थी। पत्रकार नगेंद्रनाथ गुप्त लिखते हैं कि मैंने एक मीटिंग में कृष्टो दास पाल को बोलते सुना और मैं उनके तर्क करने की शक्ति का कायल हुआ। न ज़ोर-ज़ोर से बोलना, न तालियों की गड़गड़ाहट, न परिचित जुमले थे। लेकिन तर्क और तथ्यों के आधार पर की जाने वाली बात सुनते हुए लोग एकदम से जादू के असर में दिखे। एकदम संतुलित भाषण, पूरी गरिमा और शालीनता से भरा था।


कोलकाता से सिन्ध टाइम्स में काम करने सिन्ध आ गए। जब नगेंद्रनाथ जी को पता चला कि स्वामित्व में बदलाव हुआ है लेकिन जब उन्हें बताए प्रकाशन में बदलाव हुआ तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद एक नया अखबार शुरू किया फिनिक्स। इस अखबार के बारे में लिखते हुए नगेंद्रनाथ गुप्त कहते हैं कि कुछ समय के लिए तो इस नये अख़बार ने मेरी काफी जान खायी क्योंकि उसके सारे ही काम मुझे करने होते थे। मैं रोज़ चौदह से सोलह घंटे काम करता था। अपनी याद आ गई।
“जैसे ही मैंने मिलने के लिए अपना कार्ड भिजवाया वे तुरन्त निकल कर आ गये।”


उन्नीसवीं सदी में पत्रकार विज़िटिंग कार्ड का इस्तमाल करने लगे थे।पत्रकारों को ब्रिटिश हुकूमत के कार्यक्रमों और निजी पार्टियों में बुलाया जाने लगा था।उसमें भारतीय पत्रकार भी होते थे। इसके लिए पास जारी होता था। इसी के साथ भारतीय पत्रकारिता में ऑफ रिकार्ड बनने का भी एक लाजवाब प्रसंग है जो उस समय तो नहीं लीक होता है लेकिन बाद में सबको पता चल जाता है। पत्रकार नगेंद्रनाथ गुप्त ने पत्रकारों के हीरो बनने और फिर बाद में ज़ीरो बन जाने के प्रसंग को भी अपनी शैली में क्या ख़ूब दर्ज किया है।1886 के इस किस्से में ऑफ रिकार्ड, पत्रकार के हीरो बनने और ज़ीरो बनने के प्रसंग मिलते हैं।
नगेंद्रनाथ गुप्त लिखते हैं कि कोलकाता में कांग्रेस का दूसरा अधिवेशन हुआ था। अधिवेशन के बाद प्रतिनिधिमंडल बंगाल के गवर्नर लार्ड डफरिन से मिलने पहुंचा। उनके साथ इण्डियण मिरर के संपादक नरेंद्रनाथ सेन भी थे। डफरिन ने ग़ुस्से में कहा कि “जेण्टलमैन, मैं आपसे पूछता हूं कि क्या वायसराय के निजी पत्राचार तक आपकी पहुंच हो तो उसको अख़बारी लेख का विषय बनाना उचित है?” कुछ पल की खामोशी के बाद नरेंद्रनाथ सेन ने बहुत मज़बूती के साथ कहा, “माई लार्ड, मुझे अगर ज़रा भी अन्दाज़ा होता कि आप अपने घर के अन्दर मुझे इस तरह अपमानित करेंगे तो मैं यहां कभी न आता। “ गवर्नर के सचिव ने समझा दिया कि कुछ गड़बड़ हो गई है. गवर्नर से उनसे माफी मांगी और सभी से कहा कि ये बात यहां से बाहर नहीं जानी चाहिए।


नगेंद्रनाथ ने आगे लिखा है कि “लार्ड डफरिन की कही बातों का काफी समय तक सम्मान रहा और वर्षों तक प्रेस में कुछ नहीं छपा। पर इतनी बड़ी बात को कब तक दबाये रखा जा सकता था। उस दिन पूरे कोलकाता में इसकी चर्चा होने लगी और कांग्रेस अधिवेशन में आए लोग जान गए। नरेंद्र नाथ सेन अचानक से हीरो बन गए। लेकिन उनका यह अक्खड़पन और आज़ाद स्वभाव अन्त तक नहीं बन सका। उन्हें बाद में रायबहादुर की उपाधि मिली और देसी भाषा में ‘निष्ठावान’ पत्रकारिता के लिए सरकारी सब्सिडी भी मिली।”


उम्मीद है आपने ‘निष्ठावान’ पत्रकारिता पर ग़ौर किया होगा। इसी तरह के कई प्रसंग हैं जब नगेंद्रनाथ गुप्त अधिकारी को ख़बर का सोर्स बताने से इंकार करते हैं और एक प्रसंग में कराची के ज़िला पुलिस सुप्रिटेणडेण्ट कर्नल सिम्पसन से कहताे हैं कि “ मैं किसी एक मामले में आपके समन के लिए यहां आया हूं और अगर फ़ौजदार या किसी को भी अख़बार से शिकायत है तो वह अपने पक्ष में जो चाहे करने को आज़ाद है। फ़ौजदार यह सब देखकर स्तब्ध था और मुझे घूरे जा रहा था।”

“बाहर आने के बाद मैंने इस विषय पर ख़ूब तीखा लिखा और इस मसले को सिन्ध के बाहर के प्रेस वालों ने भी उठाया। शायद किसी ने उन्हें सलाह दी कि समन भेजना ग़लत था और उन्होंने फिर मुझे समन की जगह काफ़ी लल्लो-चप्पो वाला पत्र भेजा। इसके बाद मेरी सिम्पसन से मुलाक़ात नहीं हुई।”


यह प्रसंग शानदार है। बताता है कि एक पत्रकार अपने पेशे की स्वायत्ता के लिए आरंभिक दिनों में किस तरह की लक्ष्मण रेखाएं खींच रहा था। वह अधिकारी की धमकी से नहीं डरता है और न ही ख़ुशामद से झुक जाता है। नरेंद्रनाथ सेन के ज़रिए नगेंद्रनाथ गुप्त ने बता ही दिया कि कैसे एक पत्रकार कैसे गवर्नर को जवाब देकर हीरो बनता है और वही पत्रकार रायबहादुर का ख़िताब लेकर निष्ठावान बन जाता है। नगेंद्रनाथ जी नेअंग्रेज़ी हुकूमत की कार्यप्रणाली को शोषक या मास्टर के खाँचे में बाँट कर नहीं देखा है।

बल्कि जैसा है वैसा ही लिखने के आधार पर दर्ज किया है। ऐसा नहीं है कि वे आज़ादी की चेतना से प्रभावित हैं। कांग्रेस के लिए चंदा कर रहे हैं लेकिन लिखते वक्त उनके प्रसंगों में ब्रिटिश हुकूमत आततायी की तरह नही है। बल्कि वे उसकी व्यवस्था को अपने समय की वस्तुनिष्ठता के साथ दर्ज कर रहे हैं।

इस किताब का कई तरह से पाठ किया जा सकता है। नगेंद्रनाथ गुप्त के जीवन के बहाने हम उस समय के शहरों और कस्बों के जीवन में झांक सकते हैं। बंगाल के नैहट्टी रेलवे स्टेशन के बाहर कई साल पहले बंगाली दुकानदारों का जलवा था अब वहां बिहारी दुकानदारों ने कब्जा कर लिया। आप नगेंद्रनाथ गुप्त के ज़रिए उन्नीसवीं सदी के भारत में लोगों को आइसक्रीम खाते देख सकते हैं। घर में गाउन और पजामा पहने देख सकते हैं जो पत्रकार को पसंद नहीं है। जब वे किसी भारतीय जज या अधिकारी को नोट करते हैं तो उनके इलाके के कपड़े,पगड़ी और चप्पल का ज़िक्र करते हैं। इस आधार पर वे उस अधिकारी को बाकी अधिकारियों से फैसला करते हैं। ब्रिटिश अफसरों में घूस और ईमानदारी के द्वंद के भी कई किस्से हैं। जातिगत पूर्वाग्रह भी हैं। चूँकि इसे बारे में बहुत प्रसंग नहीं है लेकिन इसे आधार बना कर अच्छा ख़ासा अध्ययन हो सकता है। वे एक दो जगहों पर ऊंचा ललाट और खास तरह के चेहरे की पहचान को ब्राह्मणों से जोड़ते हैं। कई तरह के शब्द हैं जो अब प्रचलन में नहीं हैं। कई तरह की मस्तियां हैं जो अब भी हैं।


“जब पण्डित जी क्लास में आते थे तो हमारे कुछ शरारती साथी हाथ जोड़ कर सिर तक ले जाते थे और ज़ोर से कहते थे ‘ पण्‍डित जी प्रोनाउन (प्रणाम की जगह) और उधर से तुन्त जवाब आता था, ‘ बेंचोपरी’( बेंच के ऊपर खड़े हो जाओ)”
यह छपरा का प्रसंग है। प्रणाम का मज़ाक उड़ते-उड़ते प्रोनाउन हो गया है। शरारत प्रयोगधर्मिता को जन्म देती है। ऐसी मौलिकता तो आज के बच्चों की शरारत में कहां होगी। तब लेखक की उम्र बहुत कम थी। वे छपरा के सरकारी स्कूल में पढ़ रहे थे और यह कितना शानदार है कि बच्चे उस समय भी मास्टरों को छेड़ा करते थे। पुरखा पत्रकार ने बंकिम को भी करीब से देखा है और रवींद्रनाथ टगोर से तो दोस्ती ही थी। उनके बारे में लिखते हैं कि “कई महीनों तक वे कमीज़ नहीं पहनते थे और हमारे घर भी सिर्फ धोती पहने आ जाते थे।”

मुझे नगेंद्रनाथ गुप्त जी का देखना बहुत पसंद आया। वे कितनी चीज़ें देख रहे होते हैं। लिखा बहुत कम लेकिन जिस तरह से लिखा है अंदाज़ा हो जाता है कि कितना कुछ देखा है। एक आख़िरी प्रसंग।

“मैंने बाद में एक बार वाजिद अली शाह को कलकत्ता में देखा था। वह दुर्गा पूजा का आख़िरी दिन था और नवाब देवी की प्रतिमा का विसर्जन देखने के लिए अपने एकान्तवास से बाहर आए थे। वे अनपी भारी-भरमक चार पहिये वाली बग्गी पर थे और उनके आगे-पीछे उनके बाडीगार्ड चल रहे थे जो न ख़ुद चुस्त-दुरुस्त दिख रहे थे न उनके घोड़े। वाजिद अली शाह ख़ामोशी से हुक्का पी रहे थे और उनका साइस की सीट पर उनका हुक्काबरदार बैठा हुक्के को संभाल रहा था। नवाब काफी बूढ़े हो गये थे लेकिन उनके चेहरे से उनका नूर टपक रहा था और मैं बांग्ला मुहावरा इस्तमाल करूं तो वे भी तुरन्त टपकने वाले आम की तरह लग रहे थे। उनको देखने के साथ ही मुझे काल के क्रूर चक्र की भी याद आयी। “

शानदार विवरण है। ऐसा लग रहा है जैसे सत्यजीत रे वाजिद अली शाह के आख़िरी पलों को शूट कर रहे हों। इतने छोटे से पैराग्राफ़ में कितना कुछ दर्ज कर दिया है।

अरविन्द मोहन जी शुक्रिया। अनुवाद को साकार करने के लिए और मुझ तक पहुंचाने के लिए। अरविन्द मोहन एक संयोग से इस पुरखा पत्रकार को याद करते हैं कि दोनों का ताल्लुक मोतिहारी से है। मेरी भी है उस ज़िले से। शहर से भले न हो। हमने वाकई एक शानदार किताब पढ़ी है। एक पत्रकार के देखने को देखा है जो हमसे कोई करीब डेढ़ सौ साल पहले इस पेशे में आए थे। ग़ुलाम भारत में पत्रकारिता की स्वायत्ता गढ़ रहे थे। ग़ुलाम भारत में उभर रही आज़ादी की चाह की रेखाओं को दर्ज कर रहे थे।

ध्वस्त हो चुकी है बिहार की नौकरशाही

क्या ये मान लिया जाये कि बिहार में नौकरशाही पूरी तरह से ध्वस्त हो गया या फिर नौकरशाही में आने की जो प्रक्रिया है उस प्रक्रिया में बड़े बदलाव की जरूरत है । यह सवाल आज मैं इसलिए कर रहा हूं कि पांच वर्ष बाद एक बार फिर शुरू हुए जनता के दरबार में सीएम कार्यक्रम के दौरान जिस तरीके की शिकायत आ रही हैं उससे तो यही अनुमान लगाया जा सकता है कि बिहार की नौकरशाही पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है । 

 जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम 2007 से  2014 के दौरान शायद ही ऐसा कोई दरबार रहा हो जिसमें मैं एक पत्रकार के रूप में शामिल नहीं हुआ हूं।उस कानून का भी मैं साक्षी हूं जिसके आधार पर जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया था । जी है मैं बात कर रहा हूं राइट टू सर्विस एक्ट की जिसका रोजाना आज भी सूचना भवन में 50 से अधिक कर्मचारी हर शिकायत और उसके फैसले पर नजर रखते हैं ।

लेकिन यहां भी समस्या वहीं है जनता की शिकायत पर अधिकारी जो फैसला सुनाते हैं उन फैसलों को लागू करने वाले अधिकारी लागू नहीं कराते हैं ऐसे लाखों आदेश की कॉपी पंचायत से लेकर प्रखंड और जिला के दफ्तर में धूल फांक रहा है यह एक्ट भी नौकरशाही का भेट चढ़ गया ।

 इस बार जब से जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम का आयोजन किया गया है देखिए किस तरह की शिकायत आ रही है ।   कल अल्पसंख्यक कल्याण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, कला संस्कृति एवं युवा, वित्त, श्रम संसाधन व सामान्य प्रशासन पिछड़ा एवं अति पिछड़ा कल्याण, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण के साथ मुख्य रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य व समाज कल्याण विभाग से जुड़े 147 मामलों आया हुआ था जिसमें   समस्तीपुर से आये एक छात्र ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाते हुए कहा कि वर्ष 2017 में ही मैट्रिक की परीक्षा पास की लेकिन 10 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि नहीं दी गई है।

इसी तरह पिछले दरबार में  नवादा से चलकर आई 17 वर्षीय ईशु कुमारी कहती हैं, “हम मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन राशि को लेकर यहां आए हैं. हम साल 2019 में मैट्रिक और साल 2021 में इंटर फर्स्ट डिविजन से पास किए लेकिन प्रोत्साहन राशि नहीं मिली।प्रोत्साहन राशि का पैसा हर जिले में उपलब्ध है लेकिन सरकार के इस योजना का लाभ बच्चों को नहीं मिल रहा है।     इसी तरह शिवहर से आए एक युवक ने मुख्यमंत्री से फरियाद करते हुए कहा कि मैंने वर्ष 2016 में मैट्रिक की परीक्षा पास की लेकिन मेरे सर्टिफिकेट पर मेरी तस्वीर की बजाए एक लड़की की तस्वीर लगा दी गई है।

सर्टिफिकेट पर फोटाे सुधार के लिए बिहार बोर्ड में आवेदन भी किया, लेकिन अबतक सुधार नहीं हुआ जिस वजह से इसकी पढ़ाई बाधित हो गयी है।अंक पत्र में सुधार ,नाम में सुधार जैसी समस्या आम है लेकिन इसमें सुधार हो इसके लिए आपको वर्षो बोर्ड के दफ्तर का चक्कर लगाना पड़ेगा ।हर जिला में आंगनबाड़ी केंद्र में काम करने वाली सेविका और सहायिका के मानदेय के लिए राशि उपलब्ध है लेकिन दो वर्ष से मानदेय नहीं मिल रहा है ।

पीडीएस से अनाज नहीं मिल रहा है ,डॉक्टर अस्पताल नहीं आ रहे हैं  इसी तरह सीएम नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘सात निश्चय योजना में काम की गुणवत्ता और सात निश्चय योजना का काम पूरा नहीं होने साथ ही ‘स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ मिलने वाले छात्रों को बैंक द्वारा परेशान किये जाना और प्रधानमंत्री आवास योजना के निर्माण में गड़बड़ी और आवंटन को लेकर हेराफेरी, उद्योग विभाग से अनुदान समय पर नहीं मिल रहा है, बिजली बिल में सुधार नहीं हो रहा है जैसे मामले आ रहे हैं ,जमीन और पुलिस से जुड़े से जुड़े मामले पर चर्चा करना ही बेमानी है वहां तो और स्थिति खराब है हर दिन नये प्रयोग हो रहे हैं और उस प्रयोग का पलीता लगाने के लिए पूरा सिस्टम मानो इन्तजार करता रहता है।

   ये ऐसी समस्या है जिसका समाधान ऑन स्पॉट हो सकता है  लेकिन इसके लिए लोगों को सीएम से मिलना पड़ रहा। मतलब सिस्टम गैर जवाबदेह है किसकी क्या जिम्मेदारी है या तो तय नहीं है या फिर तय है तो उसका कोई हिसाब लेने वाला नहीं है । इस विफलता को आप क्या कहेंगे जबकि सबको पता है कि बीमारी क्या है, ऐसे में आने वाले समय में भारतीय लोकतंत्र का स्वरूप क्या होगा कहना मुश्किल है क्यों कि पब्लिक अब पहले से ज्यादा सजग हो गया है अधिकार क्या है ये समझ में आने लगा है, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की ताकत बढ़ती जा रही है । बस समस्या यह है कि हम अपना प्रतिनिधि कैसे चुने इसको लेकर समझ अभी भी 20वीं सदी वाला ही है ।

दरभंगा एयरपोर्ट के विस्तारीकरण का रास्ता हुआ साफ।

पटना – बिहार कैबिनेट की बैठक में आज कुल 12 एजेंडे पर मोहर लगी है । महत्वपूर्ण एजेंडे में राज्य सरकार ने दरभंगा एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए तीन अरब 36 करोड़ 76 लाख देने की स्वीकृति बिहार की सरकार ने दी है इसके अलावे आपदा प्रबंधन के तहत फसल क्षति को लेकर 550 करोड़ रुपए देने की स्वीकृति कैबिनेट के द्वारा दी है।

अतिवृष्टि के कारण कई जिलों में काफी नुकसान हुआ है इसको लेकर आपदा प्रबंधन विभाग ने 100 करोड़ की आकस्मिक निधि से राशि देने की स्वीकृति दी है ।

कृषि सिंचाई योजना के तहत लगभग 36 करोड़ 12 लाख रुपया देने की स्वीकृति दी गई है वहीं बिहार सरकार ने दलहन और तिलहन की मिनी किट योजना के तहत लगभग 50 करोड़ 61 लाख रुपया देने की।स्वीकृति दी है। कैबिनेट के अपर सचिव संजय कुमार ने की जानकारी देते हुए कहा कि इस बार के कैबिनेट में कुल 12 एजेंटों पर सहमति मिली है जिसमें मुख्य रूप से ऊर्जा कृषि और आपदा प्रबंधन विभाग से जुड़े मामले हैं केंद्र और बिहार की सरकार पर ड्रॉप मोर क्रॉप योजना के तहत सभी किसानों को सिंचाई का लाभ मिले इसको लेकर रु.872600000 की राशि देने की स्वीकृति दी गई है ताकि किसान सिंचाई को लेकर तत्पर हो सके और वर्तमान केंद्र और बिहार सरकार किसानों को 90% अनुदान देने पर सिंचाई की व्यवस्था कराने जा रही है।

जेपी के सम्पूर्ण क्रांति के सपने को मैं हमेशा याद रखता हूं – नीतीश कुमार

श्री नीतीश कुमार लोक नायक जयप्रकाश नारायण जी की जीवनी पर अधारित पुस्तक “द ड्रीम ऑफ़ रेवोल्यूशन ” का विमोचन करते हुए कहा कि जेपी में गांधी और लोहिया दोनों के विचार को साथ लेकर चलते थे उनके सम्पर्ण क्रांति के उदघोष को देखते हुए ही मैंने दिल्ली से पटना आने वाली ट्रेन का नाम सम्पूर्ण क्रांति दिया था ताकि लोग जान सके कि सम्पूर्ण क्रांति नाम के पीछे वजह क्या है।

इसी तरह नीतीश ने कहा कि मैं जो भी काम करता हूं उसके पीछे जेपी का दर्शन होता है जेपी ने गांधी के बाद देश को आन्दोलन करने कि ताकत दी ।

जेपी के याद में जुटे जेपी सेनानी

जेपी के सपनों का देश बना रहे हैं पीएम मोदी, सिताबदियारा में जेपी की मूर्ति पर किया माल्यार्पण – सुशील मोदी

पटना 11.10.2021
पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जेपी के सपनों का बिहार और देश बना रहे हैं। राष्ट्रीय फलक पर भ्रष्टाचार मुक्त देश की दुनिया भर में सराहना हो रही है।

श्री मोदी आज लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जन्मस्थली सिताब दियारा में उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण किया। श्री मोदी ने कहा कि जेपी का नारा था भ्रष्टाचार मिटायेंगे, नया बिहार बनायेंगे। लेकिन अपने को जेपी का वारिस कहने वाले राजद के मुखिया लालू प्रसाद यादव आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे रहे और जेल की हवा खाई। यही नहीं चार घोटाला, अलकतरा सहित कई घोटाले के मामलों में इनके कई मंत्रियों को जेल जाना पड़ा।

श्री मोदी ने जेपी के प्रति अपनी श्रद्धा निवेदित करते हुए कहा कि बिहार और देश में एनडीए की सरकार बनने के बाद से अब तक किसी पर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा। पीएम मोदी पर तो उंगली तक नहीं उठी।

आज पूरी दुनिया में पीएम मोदी के विकास का डंका बज रहा है। लेकिन जेपी के साथ विश्वासघात करने वाले राजद के लोगों द्वारा किये गए भ्रष्टाचार को देश की जनता कभी माफ करने वाली नहीं।

जनता दरबार में बच्चे अपना शैक्षणिक प्रमाण पत्र ठीक कराने आ रहा है ।

जनता दरबार में बिहार के मुख्यमंत्री कार्यक्रम के दौरान आज अल्पसंख्यक कल्याण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौधोगिकी, कला संस्कृति एवं युवा, वित्त, श्रम संसाधन व सामान्य प्रशासन पिछड़ा एवं अति पिछड़ा कल्याण, अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण के साथ मुख्य रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य व समाज कल्याण विभाग से जुड़े 147 मामलों को मुख्यमंत्री ने सुना।

इस दौरान बिहार विधालय परीक्षा समिति के कारनामे से परेशान शिवहर के एक युवक ने कहा कि वह पुरुष है और उसके मैट्रिक के सर्टिफिकेट में लड़की की तस्वीर लगा दी गई।

युवक नीतीश से बोला सर इसकी वजह से मुझे काफी परेशानी हो रही है, कृपया समस्या का समाधान करें तीन वर्ष से बोर्ड का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन इसका समाधान नहीं निकल पाया है सीएम तत्तकाल बोर्ड के अध्यक्ष को समाधान निकालने का निर्देश दिया ।

कैमूर से आए एक युवक ने जब अपना नाम नीतीश कुमार बताया तो मुख्यमंत्री मुस्कुरा दिए। सीएम ने कहा कि आप भी मेरा नाम रख लिए। युवक ने भी जवाब दिया, सर मैंने नहीं माता-पिता ने मेरा नाम नीतीश कुमार रखा था। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज कल नीतीश नाम पड़ा लोग रख रहे हैं। बाद में सीएम ने युवक की समस्या सुनी और अधिकारियों से निदान करवाया।

आपातकाल से जुड़ी भूली विसरी यादें (भाग -1)

जेपी के जयंती के मौके पर आज से जेपी आंदोलन से जुड़ी ऐसी दास्तान से आपको रूबरू कराएंगे जिसनें इंदिरा जैसी मजबूत शासक को धूल चटा दिया था ।

लेखक — फूलेन्द्र कुमार सिंह आंसू
(जेपी आंदोलन के अग्रगी छात्र नेता थे)

आपातकाल के जमाने की भूली विसरी यादें (भाग -1)
आपातकाल( २६ जून)
26 जून 1975 ,याद करके रोंगटे खड़े हो रहे हैं,एक दिन पहले शाम में आंदोलन के साथियों के साथ बैठकर दिल्ली में हुए जे पी के सभा के संभावित नतीजों पर चर्चा की थी ।इस बात की संभावना तो बिलकुल नहीं थी की इंदिरा जी जे पी के मांग पर इस्तीफा देंगी लेकिन बदले राजनैतिक हालात में इंदिरा जी ,आंदोलन के हक़ में कुछ राजनैतिक फैसला करेंगी ।

अहले सुबह हमारे आंदोलन के साथी स्वर्गीय कुमार प्रियदर्शी हमारे हॉस्टल( एम आई टी ,मुज़फ्फर पुर ) आये ।प्रिय दर्शी हमारे छोटे भाई सदृश्य थे ,मालीघाट (मुज़फ्फर पुर जेल के पास ) रहते थे ,सायकिल से आये थे ।सुबह- सुबह वे कभी मिलने नहीं आते थे ,मैं कुछ पूछता ,उन्हों ने जे पी की गिरफ्तारी की सुचना देकर धमाका कर दिया ,मैं सकते में था ,थोड़ा नर्भस भी हुआ ,अपने को सम्हाल नहीं पा रहा था ,आपातकाल घोषित होना ,बिपक्ष के सभी बड़े नेताओं की गिरफ़्तारी ,अखबारों के सेंशरशिप की बातें धीरे -धीरे उनहोंने मुझे बताई ।

धीरे -धीरे अपने भावनाओं पर काबू पाने की कोशिश की ।कालेज के कुछेक
विश्वशनीय आंदोलन के साथियों की बैठक बुलाई और तुरंत की प्रतिक्रिया स्वरुप शहर में मौन जुलुश (मूँह पर काला पट्टी बांधकर ) निकालने का निर्णय लिया ।मै खुद इंजिनीरिंग के अंतिम वर्ष का छात्र था ,कालेज के सभी आंदोलन के साथयों को गुप्त सुचना (समय और स्थान के साथ ) भिजवा दी । प्रकाश (मेरा बैचमेट और अभिन्न मित्र ) और प्रियदर्शी ने लगभग दो घंटे के अंदर काली पट्टी और स्टिकर( इमरजेंसी वापस लो ,जे पी को रिहा करो जैसे नारे लिखवाकर ) कालेज केम्पस आ गए ।

हमारे कुछ अन्य अभिन्न मित्र जी आंदोलन का नैतिक समर्थन करते थे लेकिन आंदोलन में सक्रिय नहीं थे ,उन्हें किसी प्रकार मेरी योजना की भनक लग गयी मुझे समझाने आ गए ,मुझे गिरफ्तार होने का भय दिखाया , अपने समेत बांकी छात्रों के कैरियर ख़राब हो जाने का भय दिखाया गया ।

एक पल के लिए मुझे लगा की कालेज छात्र संघ के महासचिव के हैसियत से अपने समर्थक छात्रों के गिरफ्तार होने और कैरियर से खिलवाड़ करने का ख़तरा मुझे उठाना चाहिए था या नहीं । Instant reaction देने के पक्ष में
अपने निर्णय पर अडिग रहा चाहे खतरा जो भी हो ।

प्रकाश और प्रियदर्शी के आने तक हमने प्रशाशन को देने हेतु एक मेमोरंडम भी तैयार कर लिया ।
हमें उम्मीद नहीं थी कि मेरी सुचना पर 150से 200 छात्र बताएं स्थान,लक्ष्मी चौक पर आ जायेंगे ,मूँह पर काली पट्टी बांध कर और हांथों में नारे वाले स्टिकर लेकर ,मेरे पीछे निकल पड़ेंगे ।

संभव है उन्हें मौन जुलुश, सामान्य जुलुश लगा हो ,गिरफ्तारी भी हो सकती है जिसपर उनहोंने सोचा ही ना हो या फिर अपने प्रिय एवम सम्मानित नेता जे पी की गिरफ्तारी की अप्रत्याशित सुचना उनके अंदर भी गुस्सा भर दिया हो ,एक तथ्य यह भी था कि उसके पहले पुलिश ,आंदोलन के क्रम में अन्य कालेज या उसके छात्रावाश से छात्रों को गिरफ्तार किया करती थी लेकिन एम आई टी या इसके किसी छात्रावास से किसी छात्र की गिरफ्ता7री नहीं की थी ,एक तरह से एम आई टी छात्र अपनेआपको privileged समझते थे ।

हमलोग 11 बजे निकल पड़े ,ब्रह्मपुरा चौक -जुरंनछपडा -सरैयागंज टावर -गरीब स्थान -प्रभात टाकीज –दीपक टाकीज -छोटी कल्याणी -कल्याणी चौक -मोतीझील होते हुए हमलोग बी बी कॉलेजिएट के गेट पर जुलुश रोक दिए ।
मैं आश्चर्यचकित था कि कहीं से पुलिश का हस्तक्षेप नहीं हुआ ,जुलुश के रास्ते शहर के लोग हमारे पास आते थे ,हमारे स्टिकर पर लगे नारों को पढ़ते थे ,आँखों में आश्चर्य ,भय लेकिन अपनापन का भाव दिखता था ,कुछ बोलते नहीं थे क्योंकि हमारे मूँह पर पट्टी बंधी थी लेकिन चेहरे के भाव स्पष्ट थे कि हमारी गिरफ्तारी निश्चित थी ।

बी बी कॉलेजिएट गेट पर हमने आपसी विमर्श से यह निर्णय लिया कि, इतने छात्रों के गिरफ्तारी का खतरा अब ना उठाया जाए ,मैं खुद ,प्रकाश और प्रियदर्शी सामने टाउन थाना जाकर डी एस पी से मिलकर अपना मेमोरंडम सौंपें अगर गिरफ्तारी हुई ,सभी छात्र अपने -अपने हॉस्टल लौट जायेंगे ,अन्यथा वहीँ पर इन्तजार करेंगे ।

हमलोग डी एस पी से उनके कार्यालय कक्ष में मिले ,वे हमें देखकर भौचक हो गए , उन्हें सूझ नहीं रहा था कि हमारे साथ क्या व्यवहार किया जाय ,हमने उन्हें बताया था हमलोग करीब 200 छात्र इमरजेंसी का और जे पी के गिरफ्तारी का विरोध स्वरूप मूँह पर पट्टी बांधकर अपना मेमोरंडम सौंपने आये हैं ताकि आपके माध्यम से अपना विरोध सरकार को बता सकें ,उन्होंने हमें हड़काया ,गिरफ्तारी की धमकी दी लेकिन हमलोग अपना मेमोरंडम उन्हें प्राप्त कराकर ही माना ,मुझे लगा कि इतने छात्रों की गिरफ्तारी से उत्पन्न संभावित प्रतिक्रिया से वे घबरा गए थे
या शायद बड़े नेताओं के गिरफ्तारी का ही आदेश उन्हें प्राप्त हो ,हमें टालना ही उन्हें भला लगा हो ।
हमलोग वहां से शहीद खुदीराम बोस स्मारक आ गए ,आपातकाल और जे पी के गिरफ्तारी के विरोध में अपनी बातें रखी, वहां से अपने अपने हॉस्टल वापस हो गए ।

लगभग 3 बजे दिन में मेरे रूम को नोक किया गया ,मैं खाना खाकर सो गया था ,मैंने गेट खोला तो पाया कि हमारे प्राचार्य श्री एस प्रसाद ,हमारे टीचर श्री एम ऍन पि वर्मा और डी एस पी साहेब गेट पर थे ,मुझे लगा कि मेरी गिरफ्तारी तय है ,लेकिन ऐसा नहीं हुआ ,वे हमें समझाने आये थे ,हमसे आश्वासन चाहते थे कि केम्पस में ऐसी गतिविधि फिर से ना हो ,हम अपना और लड़कों के भविष्य से ना खेलें ।काफी बातें हुई ,हम इतना आश्वासन अवश्य दिए कि मेरे निजी तौर पर सक्रीय नहीं होने का आश्वासन मैं नहीं दे पाऊंगा लेकिन अन्य छात्रों की सक्रियता में मेरी कोई भूमिका नहीं होगी ।मैंने यह भी स्पष्ट किया कि जे पी की गिरफ्तारी जैसी बड़ी सुचना मिलने की स्थिति में मेरी क्या प्रतिक्रया होगी ,इस संबंध में आज कोई आश्वासन नहीं दे पाऊंगा ।

लेखक — फूलेन्द्र कुमार सिंह आंसू
(जेपी आंदोलन के अग्रगी छात्र नेता थे)

केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग को लेकर पटना की सड़क पर उतरे लोग

लखीमपुर खीरी जनसंहार के खिलाफ विरोध मार्च

जेपी जंयती के मौके पर आज अखिल भारतीय किसान महासभा और भाकपा माले की ओर केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग को लेकर कारगिल चौक से जे. पी. गोलम्बर तक विरोध मार्च निकाला इस मौके पर आन्दोलन कर रहे किसानों का समर्थन करते हुए घोषणा किया कि ।

12 अक्टूबर को देशभर में लखीमपुर खीरी में शहीद किसानों के अरदास के दिन मोमबत्ती मार्च व घरों के सामने किसानों के याद में पांच मोमबत्ती जलाने का घोषणा की गई इसमें बिहार के भी किसान शामिल होगे और किसान आन्दोलन से जुड़े संगठन पटना जंक्शन से बुध्दा स्मृति पार्क तक मोमबत्ती मार्च और पटना सिटी में गुरुद्वारा के निकट मोमबत्ती जलायेगा । .

नए रिकॉर्ड स्तर सेंसेक्स, निफ्टी; निफ्टी पहली बार 17900 के ऊपर तो सेंसेक्स 60100 के ऊपर बंद हुआ।

सोमवार को सेंसेक्स 76.72 अंक ऊपर 60,135.78 पर , निफ्टी 50.75 अंक ऊपर 17,945.95 पर बंद हुआ । दिन में सेंसेक्स 417 अंक बढ़कर 60,476.13 के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया था, निफ्टी 50 इंडेक्स भी पहली बार अपने महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक स्तर 18,000 से ऊपर 18,041.95 के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया था ।

सेंसेक्स चार्ट (11.10.21) एक नजर में

सेक्टरों में आईटी इंडेक्स में 3 फीसदी की गिरावट आई, जबकि ऑटो, बैंक, मेटल, पावर और रियल्टी इंडेक्स में 1-2.5 फीसदी की तेजी आई। बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में 0.5% की तेजी आई।

सेंसेक्स पर करीब 20 बढ़त और 10 गिरावट के करीब थे। बीएसई पर कारोबार के दौरान 369 शेयर्स 52 हफ्ते के ऊपरी स्तर पर और 21 शेयर्स 52 हफ्ते के निचले स्तर पर कारोबार करते दिखे।

मारुति सुजुकी, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आईटीसी, एनटीपीसी, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई), कोटक बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, शीर्ष बढ़त प्राप्त करने वालों में से थे।

दूसरी तरफ, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), टेक महिंद्रा, इंफोसिस, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल), भारती एयरटेल शीर्ष इंडेक्स लूसर में थे।

सेंसेक्स के शेयर एक नजर में

निफ्टी में 34 एडवांस और 16 गिरावट आई थी। टाटा मोटर्स, कोल इंडिया और मारुति सूचकांक में ऊपर रहे, जबकि टीसीएस, टेक महिंद्रा और इंफोसिस नीचे रहे।

निफ्टी के प्रमुख शेयरों के टॉप गेनर और लूजर का हाल

बाढ़ प्रभालित इलाकों में दिसम्बर तक स्थिति समान्य हो जायेंगी

बिहार के बाढ़ प्रभावित इलकों में जन जीवन जल्द जल्द से बहाल हो सके इसके लिए सीएम खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं,मीडिया से बात करते हुए सीएम ने कहा कि बाढ़ से राज्य में क्या नुकासान हुआ है

उसका मूल्यांकन चल रहा है जिले के सारे अधिकारी इस काम में लगे हुए हैं जल्द ही केंद्र को रिपोर्ट भेजी जाएगी कि कितना नुकसान हुआ है कल तक रिपोर्ट आ जानी चाहिए और हम जिले के अधिकारियों से लगातार सम्पर्क में हैं ।दिसम्बर तक स्थिति समान्य हो जायेंगी ।

बिहार बिजली संकट से निपटने के लिए बाजार से किसी भी किमत पर बिजली खरीदने का लिया निर्णय

देश में जारी बिजली संकट का असर बिहार में भी देखने को मिल रहा है खास करके ग्रामीण इलाकों में बिजली आपूर्ति प्रभावित हुई है हलाकि सरकार ने दुर्गा पूजा को देखते हुए निर्णय लिया है कि जिस भी रेट में बिजली उपलब्ध है खरीदारी करना है ।

मीडिया से बात करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार को जो कोटा निर्धारित है उतनी आपूर्ति नहीं हो पा रही है इसलिए समस्या हो रही है हम ज्यादा दाम पर बिजली खरीद करके लोगों को दे रहे हैं ।

5 दिनों में 570 लाख यूनिट बिजली की खरीद की गई है बिजली खरीदने में पैसा ज्यादा लग रहा है फिलहाल हम लोग नजर बनाये हुए हैं वैसे ये समस्या पूरे देश का है फिर भी राज्य सरकार बिजली व्यवस्था बने रहे इसके लिए सजग है ।

जेपी की 119 जयंती आज पूरे राज्य में राजकीय सम्मान के साथ मनायी जा रही है जयंती

जेपी के 119वीं जयंती के मौके पर आज पूरे राज्य में अलग अलग तरीके से बिहारवासी जेपी को याद कर रहे हैं इस मौके पर चरखा समिति पटना में मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।

कार्यक्रम शामिल होने के बाद मीडिया से बात करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि जेपी आंदोलन सारी तैयारियां यहीं पर हुई थी।मेरा सौभाग्य था मैं उनसे जुड़ा था मुझे बहुत मानते थे।जयप्रकाश जी से जो सीखा उसी के आधार पर काम कर रहा हूं।

गांधी जेपी लोहिया के आदर्श को मानते हुए समाज को आगे बढ़ाना है आपस में भाईचारा कायम रखना है।
जेपी आवास पर मैं नहीं आता तो मुझे संतोष नहीं होता है,जेपी के विचार को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

स्त्री-शक्ति के प्रति सम्मान का नौ-दिवसीय आयोजन शारदीय नवरात्रि।

स्त्रीत्व का उत्सव !
स्त्री-शक्ति के प्रति सम्मान का नौ-दिवसीय आयोजन शारदीय नवरात्रि अवसर है नमन करने का उस सृजनात्मक शक्ति को जिसे ईश्वर ने सिर्फ स्त्रियों को सौंपा है। उस अथाह प्यार, ममता और करुणा को जो कभी मां के रूप में व्यक्त होता है, कभी बहन, कभी बेटी, कभी मित्र, कभी प्रिया और कभी पत्नी के रूप में।

दुर्गा पूजा, गौरी पूजा और काली पूजा वस्तुतः उसी स्त्री-शक्ति के तीन विभिन्न आयामों के सम्मान के प्रतीकात्मक आयोजन हैं। काली स्त्री का आदिम, अनगढ़, अनियंत्रित स्वरुप है जिस पर काबू करना पुरुष अहंकार के बस की बात नहीं। गौरी या पार्वती स्त्री का सामाजिक तौर पर नियंत्रित, गृहस्थ, ममतालु रूप है जो सृष्टि का जनन भी करती है और पालन भी। दुर्गा स्त्री के आदिम और गृहस्थ रूपों के बीच की वह स्थिति है जो परिस्थितियों के अनुरुप करूणामयी भी है, कभी संहारक भी।

कालान्तर में इन तीनों प्रतीकों के साथ असंख्य मिथक जुड़ते चले गए और इस आयोजन ने अपना उद्देश्य और अपनी अर्थवत्ता खोकर विशुद्ध कर्मकांड का रूप ले लिया। स्त्री के सांकेतिक रूप आज हमारे आराध्य बन बैठे हैं और जिस स्त्री के सम्मान के लिए ये तमाम प्रतीक गढ़े गए, वह पुरूष अहंकार के पैरों तले आज भी रौंदी जा रही हैं। जिस देश में सूअर, मगरमच्छ, उल्लूओ, बैलों और चूहों तक को देवताओं के अवतार और वाहन का दर्जा प्राप्त है, उस देश में स्त्रियों को सिर्फ इसलिए गर्भ में मार दिया जाता है कि वह कुल का दीपक नहीं, ज़िम्मेदारी है। इसलिए अपमानित किया जाता है कि उसने अपनी पसंद के कपडे पहन रखे हैं। इसलिए रौंद डाला जाता है कि उसने घर की दहलीज़ से बाहर क़दम रखने की कोशिश की।

स्त्रियों के प्रति हमारे विचारों और कर्म में विरोधाभास हमेशा से हमारी संस्कृति का बड़ा संकट रहा है। स्त्री एक साथ स्वर्ग की सीढ़ी भी रही है और नर्क का द्वार भी। घर की लक्ष्मी भी और ‘ताड़न’ की अधिकारी भी। मनुष्यता की जननी भी और मजे के लिए बिकने वाली देह भी। जबतक हम देवियों की काल्पनिक मूर्तियों की जगह जीवित देवियों का सम्मान करना नहीं सीख लेते, नवरात्रि के कर्मकांड का कोई अर्थ नहीं !

यह आयोजन तब सार्थक होगा जब पुरूष स्त्रियों के विरुद्ध हजारों सालों से जारी भ्रूण-हत्या, लैंगिक भेदभाव, बलात्कार, उत्पीडन और उन्हें वस्तु या उपभोग का सामान समझने की मानसिकता बदलें और स्त्रियां खुद भी अपने भीतर मौजूद काली, पार्वती और दुर्गा को पहचानने और आवश्यकता के अनुरूप उनका इस्तेमाल करना सीखे !

लेखक -ध्रुव गुप्ता

केन्द्रीयमंत्री गिरिराज सिंह अपने ही सरकार के कार्यशैली पर खड़े सवाल पंचायत सरकार सही से काम नहीं कर रहा है ।

बिहार के ग्राम पंचायत के विकास मॉडल और प्रशासनिक तंत्र पर आज केंद्रीय पंचायती राज व ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने ना सिर्फ सवाल ही खड़े किये बल्कि तथ्यों के साथ मंत्री और पदाधिकारी को कटघरे में भी खड़े कर दिये ,जबकि बिहार सरकार का यह विभाग बीजेपी के कोटे में ही है।

1– पंचायत सरकार सही से काम नहीं कर रहा है
हुआ ऐसा कि आज केन्द्रीयमंत्री गिरिराज सिंह ने पंचायती राज से जुड़े विभाग की समीक्षा बैठक बुलाई थी जिसमें उन्होंने कहा है कि बिहार में सिर्फ ग्राम पंचायत सरकार भवन है। ग्राम पंचायत सरकार नहीं चल रही है। ग्राम सभा की बैठकें नहीं हो रहीं।
उन्होंने गांवों के विकास के लिए काम करने वाले सरकारी कर्मियों की प्रतिदिन की उपस्थिति ग्राम पंचायत सरकार भवन में सुनिश्चित करने की ओर भी पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी का ध्यान आकृष्ट किया। बैठक में राजस्व एवं भूमि सुधार, पंचायती राज, ग्रामीण विकास, ग्रामीण कार्य, निबंधन, कृषि और निबंधन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी, केंद्रीय सचिव हुकम सिंह मीणा, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह, निदेशक जय सिंह, पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव अरविंद चौधरी एवं निदेशक रणजीत कुमार सिंह ने प्रस्तुति के जरिए विभाग के कामकाज संबंधी उपलब्धियों को केंद्रीय मंत्री को अवगत कराया।

2–बिहार में जमीन के दाखिल खारिज

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिहार में जमीन के दाखिल खारिज में हो रही की चर्चा करते हुए कहा कि ऐसी व्यवस्था बनाए कि लोगों को सीओ और एसडीओ के अलावा दूसरे कार्यालय में गुलाब और गेंदा का माला लेकर जाने से निजात मिल जाए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है कि घर बैठे लोगों को जमीन संबंधित सभी दस्तावेज डिजिटल माध्यम से उपलब्ध हो जाए। जमीन संबंधी कार्यों के लिए सरकारी दफ्तरों में वसूली पर केंद्रीय मंत्री ने करारा कटाक्ष किया।


गिरिराज ने कृषि विभाग के अधिकारियों का ध्यान भूमि संरक्षण संबंधित कार्यों में तेजी लाने की ओर आकृष्ट किया। भूमि संरक्षण को लेकर बिहार में हुए कार्यों के प्रति संतोष प्रकट किया।

मुख्यमंत्री ने पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की समीक्षा की

मुख्यमंत्री ने पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की समीक्षा की

मुख्य बिन्दु

• सभी जिलों में अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय प्लस टू उच्च विद्यालय खोलें।

• अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण छात्रावासों, जननायक कर्पूरी ठाकुर कल्याण छात्रावासों, प्राक् परीक्षा प्रशिक्षण केंद्रों, अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय प्लस टू उच्च विद्यालयों, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति छात्रावासों के साथ-साथ सभी अल्पसंख्यक छात्रावासों में प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी हेतु ऑन लाइन क्लास / कोचिंग की सुविधा प्रारंभ की जायेगी।

• जिन जिलों में जननायक कर्पूरी ठाकुर कल्याण छात्रावास निर्माणाधीन हैं, उनका निर्माण कार्य तेजी से पूर्ण करें।
• अन्य पिछड़ा वर्ग प्रवेशिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना, मुख्यमंत्री अत्यंत पिछड़ा वर्ग मेधावृत्ति योजना एवं मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग मेघावृत्ति योजनाओं के अंतर्गत छात्र/छात्राओं के बकाये छात्रवृत्ति / प्रोत्साहन राशि का भुगतान शीघ्र करें।

पटना, 09 अक्टूबर 2021 :- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने 1 अणे मार्ग स्थित संकल्प में पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की समीक्षा की। बैठक में पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के सचिव श्री पंकज कुमार ने विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की अद्यतन जानकारी दी।

उन्होंने मुख्यमंत्री अत्यंत पिछड़ा वर्ग मेधा वृत्ति योजना, मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग मेधा वृत्ति योजना, अन्य पिछड़ा वर्ग प्रवेशिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना, अन्य पिछड़ा वर्ग प्री मैट्रिक छात्र योजना, मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग प्रेवेशिकोत्तर योजना, अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय प्लस टू उच्च विद्यालय, जननायक कर्पूरी ठाकुर कल्याण छात्रावास योजना, अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण छात्रावास योजना, प्राक् परीक्षा प्रशिक्षण केंद्र योजना, मुख्यमंत्री अत्यंत पिछड़ा वर्ग सिविल

सेवा प्रोत्साहन योजना, मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग एवं अति पिछड़ा वर्ग छात्रावास अनुदान योजना तथा छात्रावासों में खाद्यान आपूर्ति योजना के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि सभी जिलों में अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय प्लस टू उच्च विद्यालय खोलें। जिन जिलों में जननायक कर्पूरी ठाकुर कल्याण छात्रावास निर्माणाधीन हैं, उनका निर्माण कार्य तेजी से पूर्ण करें।

उन्होंने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग प्रवेशिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना, मुख्यमंत्री अत्यंत पिछड़ा वर्ग मेधावृत्ति योजना एवं मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग मेधावृत्ति योजनाओं के अंतर्गत छात्र / छात्राओं के बकाये

छात्रवृत्ति / प्रोत्साहन राशि का भुगतान शीघ्र करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण छात्रावासों, जननायक कर्पूरी ठाकुर कल्याण छात्रावासों, प्राक् परीक्षा प्रशिक्षण केंद्रों, अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय प्लस टू

उच्च विद्यालयों, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति छात्रावासों के साथ-साथ सभी अल्पसंख्यक छात्रावासों में प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी हेतु ऑन लाइन क्लास / कोचिंग की सुविधा प्रारंभ की जायेगी इस हेतू सभी व्यवस्था सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि जानकारी दी गई है कि मुख्यमंत्री अत्यंत पिछड़ा वर्ग सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना से छात्र / छात्राएं काफी लाभान्वित हो रहे हैं, यह खुशी की बात है।

राज्य के सभी जिलों में इंजीनियरिंग कॉलेज खोले जा रहे हैं, कई मेडिकल कॉलेज भी खोले जा रहे हैं ताकि यहां के छात्र/छात्राओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सहूलियत हो ।

बैठक में उप मुख्यमंत्री-सह-पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की मंत्री श्रीमती रेणु देवी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री दीपक कुमार, मुख्य सचिव श्री त्रिपुरारी शरण, विकास आयुक्त श्री आमिर सुबहानी, अपर मुख्य सचिव शिक्षा श्री संजय कुमार, अपर मुख्य सचिव वित्त श्री एस० सिद्धार्थ, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के सचिव श्री पंकज कुमार, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक श्री पंकज कुमार पाल, मुख्यमंत्री के सचिव श्री अनुपम कुमार, पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के विशेष सचिव श्री वीरेन्द्र प्रसाद यादव एवं मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी श्री गोपाल सिंह उपस्थित थे।

कोठे की तवायफ़ और एक बिका हुआ पत्रकार , दोनों एक ही श्रेणी में आते हैं।

जिस दौर में सुनील दत्त अपने बेटे संजय दत्त के लिए लड़ाई लड़ रहे थे उस समय बाल मन बार बार सोचता था सुनील दत्त जैसा व्यक्तित्व के साथ कांग्रेस को खड़े रहना चाहिए था।

गुस्सा आता था कांग्रेस पर, मुंबई पुलिस पर सुनवाई कर रहे जज पर ।आखिर संजय दत्त ने ऐसा क्या अपराध कर दिया जो सारे लोग उससे मुख मोड़ लिया, ना उसके पास से कोई हथियार बरामद हुआ था और ना ही उस हथियार से किसी की हत्या हुई थी फिर भी पूरा सिस्टम सुनील दत्त के साथ ऐसा व्यवहार कर रहा था जैसे वो दाऊद का पिता हो।

बाल मन था उस समय सोचने का नजरिया कुछ ऐसा ही था ।दिल्ली जब पढ़ाई के लिए पहुंचे तो उसी दौरान 1996 में लॉ फैकल्टी में पढ़ाई कर रही छात्रा प्रियदर्शिनी मट्टू की हत्या कर दी गयी थी उस हत्या के आरोप में लाॅ फैकल्टी के ही सीनियर संतोष सिंह पर बलात्कार करके हत्या करने का आरोप लगा संतोष सिंह के पिता उस समय दिल्ली पुलिस में डीसीपी थे संतोष सिंह की गिरफ्तारी ही नहीं हुई बाद में सजा भी हुआ ।

बाद में दिल्ली में ही 1999 में हरियाणा के नेता और बड़े कारोबारी का बेटा मनु शर्मा ने जेसिका लाल का मर्डर कर दिया था इस केस में भी बस उसकी बहन खड़ी हो गयी तो सिस्टम चाह करके भी कुछ नहीं कर पाया। इसी तरह याद करिए नीतीश कटारा हत्याकांड मामला नीलम कटारा खड़ी हो गयी तो बाहुबली डीपी यादव अपने बेटे को बचा नहीं पाया याद करिए प्रमोद महाजन के बेटे राहुल महाजन का मामला सत्ता का कोई लाभ मिलता हुआ नहीं दिखा।

याद करिए वो दौर जब प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव के लिए विज्ञान भवन में अस्थायीजेल बनाया गया था क्यों पीएम पर भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले की सुनवाई चल रही थी और हो सकता है पीएम को सजा हो जाये मतलब ऐसा हो सकता है इसको देखते हुए अस्थायी जेल उसी अधिकारी ने बनवाया जो दिन रात पीएम को सैल्यूट मारता था ।

और आज इसी देश में एक मंत्री के बेटे पर हत्या का आरोप है पुलिस गिरफ्तार करने के बजाय सम्मन जारी कर रहा है लेकिन वो पुलिस के सामने उपस्थित नहीं होता है ।आज दूसरे दिन भी पुलिस मंत्री के आवास पर सम्मन चिपका कर लौट आया है लेकिन अभी तक हाजिर नहीं हुआ है ।

सुप्रीम कोर्ट सवाल कर रही है हत्या के आरोपी के घर सम्मन क्यों अभी तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई है लेकिन सरकार और सिस्टम को सुप्रीम कोर्ट के इस टिप्पणी का कोई असर होता नहीं दिख रहा है। याद करिए ये वही देश है ना जहां निर्भया रेप मामले में पूरा देश सड़क पर आ गया था ये वही देश है ना जहां सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐसा हुंकार भरा की अन्ना रातो रात देश की दूसरा गांधी बन गये ,सब कुछ तो वैसा ही है वही दिल्ली पुलिस है, वही सुप्रीम कोर्ट है, वही पीएम हाउस है, वही राष्ट्रपति भवन है ,वही राजपथ है फिर ऐसा क्या बदला जो पूरी व्यवस्था बाहुबलियों, मंत्री और दुराचारी के सामने घुटने के बल पर रेंगने लगा इतने सारे उदाहरण के बाद यह मत पूछिए सीता किसकी जोड़ी मतलब यह सब इसलिए हो रहा है कि मीडिया अपना काम कर छोड़ दिया है।

मंटो ने सही ही कहां था कि कोठे की तवायफ़ और एक बिका हुआ पत्रकार , दोनों एक ही श्रेणी में आते हैं।लेकिन इनमें तवायफ़ की इज्जत ज्यादा होती है। इसी तरह गांधी ने कहा था “मैं कहूंगा कि ऐसे निकम्मे अख़बारों को आप फेंक दें जो आपकी बात नहीं करता है सरकार से सवाल नहीं कर सकता है ।

चलिए निराशा के बीच एक अच्छी खबर भी है दुनिया ने पहली बार पत्रकारों को नये आयाम से देखना शुरु किया और पहली बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए जूरी ने इस बार दो पत्रकार को चुना है।समस्या ये नहीं है हम भारतीय में क्षमता नहीं है समस्या यह है कि हमने लड़ना छोड़ दिया है सुविधाभोगी हो गये हैं परिवार और बच्चों के भविष्य को लेकर इस तरह उलझ गये हैं कि आज सब कुछ दाव पर लग गया है ।

ऐसा नहीं है मीडिया हाउस चलाने वाले पहले दबाव नहीं बनाते थे फिर भी पत्रकारिता को बचाये रखने की जिम्मेवारी संपादक और पत्रकारों के हाथ में था आज हम ही विचारधारा के नाम पर तो चंद पैसे और सुविधा के नाम पर अपना सब कुछ दाव पर लगा दिये है।

मुझे समझ में नहीं आता है सिस्टम बचेगा तब ना हम आप बचेंगे ये अलग बात है कि अभी तक वो आग हमारे आपके घर तक नहीं पहुंचा है इस खुशफहमी में मत रहिए देर सबेर मेरे आपके घर भी जरूर पहुंचेगा कोरोना काल में महसूस हो ही गया होगा इसलिए देश रहेगा तो हम आप भी रहेंगे आपका विचारधारा भी रहेगा देश ही नहीं रहेगा तो फिर हम आप कहां रहेंगे ।

रामविलास पासवान की पुण्यतिथि के बहाने खुब हुई सियासत

लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के संस्‍थापक रामविलास पासवान की पहली पुण्‍यतिथि के मौके पर चाचा-भतीजे ने अलग-अलग कार्यक्रम का आयोजन किया। चाचा पशुपति पारस पटना स्थित प्रदेश कार्यालय में, तो भतीजे चिराग पासवान ने दिल्ली स्थित 12, जनपथ में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया था ।

पटना में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ,राज्यपाल ,नेता प्रतिपंक्ष तेजस्वी यादव ,पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी केन्द्रीयमंत्री गिरिराज सिंह सहित कई नेता शामिल हुए।

वही दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम के दौरान बीजेपी पहली बार चिराग से दूरी बनाते हुए दिखे दिल्ली में रहने के बावजूद पीएम मोदी ,गृहमंत्री अमित शाह,बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड़्डा श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। बीजेपी के वैसे ही नेता शामिल हुए जिनसे रामविलास पासवान का व्यक्तिगत रिश्ता रहा था रक्षामंत्री राजनाथ सिंह पहुंचे थे हलाकि इस मौके पर राहुल गांधी, लालू प्रसाद सहित विपक्ष के कई नेता जरुर पहुंचे थे।

जिस गर्म जोशी से राहुल ,चिराग और लालू प्रसाद के बीच 15 मिनट से अधिक समय तक अकेले में बात हुई आने वाले भविष्य में एक अलग तरह की राजनीति के संकेत साफ दिख रहे थे हलाकि बीजेपी के सीनियर नेताओं के दूरी बनाये रखने के सवाल पर चिराग ने कहां ऐसी कोई बात नहीं है सभी लोगों का फोन आया था ।

हाईकोर्ट ने टीईटी एसटीईटी उतीर्ण नियोजित शिक्षकों को प्रधान शिक्षक की परीक्षा में शामिल होने कि दी अनुमति

टीईटी /एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षको को अंतरिम राहत देते हुए पटना हाईकोर्ट ने उन्हें शर्तो के साथ प्रधान शिक्षक की परीक्षा देने की अनुमति दे दी है | टीईटी /एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ की याचिका पर चीफ जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया |

याचिकाकर्ता संघ द्वारा प्रधान शिक्षक नियुक्ति नियमावली को भ्रामक बता कर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। साथ ही इस नियमावली में सुधार की मांग की है |

याचिकाकर्ता संघ ने प्रधान शिक्षक की नियुक्ति के लिए टीईटी को अनिवार्य करने की मांग करते हुए कहा है कि जब शिक्षक बनने के लिए भी टीईटी अनिवार्य है, तो देश के अन्य राज्यों की भांति प्रधान शिक्षक बनने के लिए भी टीईटी लागू करना चाहिए ।

मामले पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट की खंडपीठ ने टीईटी एसटीईटी उतीर्ण नियोजित शिक्षकों संघ को अंतरिम राहत देते हुए याचिकाकर्ताओं को प्रधान शिक्षक की परीक्षा देने की इस शर्त के साथ अनुमति दे दी है कि परीक्षा का परिणाम इस याचिका पर कोर्ट के अंतिम फैसले पर लागू होगा। याचिकाकर्ता कोर्ट के फैसले से पहले किसी भी अधिकार का दावा नहीं कर सकेंगे।

कोर्ट ने राज्य सरकार को।तीन सप्ताह मे हलफनामा दायर कर जवाब देने का निर्देश दिया है। इस मामले।पर 2 नवंबर,2021 को फिर सुनवाई की जाएगी।