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बिहार में सरकार आपके द्वारा और पंचायती राज व्यवस्था से नक्सली मुख्यधारा में लौटने लगे हैं।

लाल इलाके में टूट रहा नक्सलियों का मिथक,
जिसके भय से कभी इलाके के लोग वोट डालने नहीं जाते थे
आज वही जनता के चौखट पर जाकर पंचायत के विकास वोट मांग रहा है

जी है हम बात कर रहे हैं बिहार में कभी नकस्लियों का गढ़ रहा झारखंड राज्य के सीमा से सटे गया जिले के बाराचट्टी थाना क्षेत्र के दक्षिणी इलाके पतलुका पंचायत का जहां 1990 के बाद कभी किसी ने वोट नहीं डाला ।चुनावों के दौरान नक्सलियों के वोट वहिष्कार के नारे का पूरी तौर पर पालन होता था। डर से लोग वोट डालने नही जाते थे और उम्मीदवार इस इलाके में प्रवेश करने की हिम्मत नहीं जुटाते थे। यही वह इलाका है जहां आपात स्थिति में लैंड हुये बीजेपी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष वेंकैया नायडू का हेलीकॉप्टर नक्सलियों ने फूंक दिया था।

परंतु अब स्थितियां बदल चुकी है। यहां के मतदाता विकास के लिए बढ़-चढ़ कर मतदान करने की बात कह रहे हैं। उम्मीदवार भी निडर होकर जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं। जहां खून खराबा का माहौल था वहां अब विकास की बात हो रही है। मुख्यधारा में लौटे कई नक्सली इस पंचायत चुनाव में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हिस्सा ले रहे हैं।

पूर्व नक्सली नंदा सिंह बताते हैं कि जितने वर्षों तक उन्होंने बंदूक उठाये रखा वह उनके जीवन का वो काला अध्याय था। अब वे समझ चुके हैं कि बंदूक से बदलाव सम्भव नही है। क्षेत्र के विकास के लिए वे चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा ले रहे हैं। अब वे लोकतंत्र में विश्वास जता रहे हैं और ग्रामीणों के बीच घूम-घूम कर जनसंपर्क अभियान चलाकर वोट मांग रहे हैं। ताकि मौका मिलने पर क्षेत्र का विकास कर सकें।यह स्थिति नक्सल प्रभावित गया जिले का ही नहीं है बिहार के अधिकांश नक्सल प्रभावित जिलों में पंचायती राज व्यवस्था के लालू होने के बाद चीजे बदल गयी है नक्सली या तो खुद चुनाव लड़ रहे हैं या उनके समर्थक चुनाव लड़ रहे हैं इतना ही नहीं विरोध में अगर उम्मीदवार चुनावी मैदान में है भी तो उसके साथ किसी भी तरह का हिंसक घटना ना घटे इसके लिए नक्सली खुद चुनाव प्रचार के दौरान खास सतर्कता बरतता है ।

आप भी सुनिए क्या कहता है नक्सली

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