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पटना हाईकोर्ट ने अदालती आदेश की अवमानना से जुड़े मामले को गंभीरता से लेते हुए इंडियन बैंक के चीफ मैनेजर को 7 जुलाई,2023 को कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया हैं

पटना हाईकोर्ट ने अदालती आदेश की अवमानना से जुड़े मामले को गंभीरता से लेते हुए इंडियन बैंक के चीफ मैनेजर को 7 जुलाई,2023 को कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया हैं ।जस्टिस राजीव राय ने हरिंदर कौर की अवमानना मामलें पर सुनवाई की।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि आदेश का अनुपालन 7 जुलाई,2023 तक नहीं किया गया, तो इंडियन बैंक के चीफ मैनेजर स्वयं कोर्ट में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देना होगा ।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आरके शुक्ला ने कोर्ट को बताया कि दिनांक 21मार्च,2017 को पटना हाई कोर्ट ने एक आदेश पारित कर याचिकाकर्ता के पति द्वारा इलाहाबाद बैंक (वर्तमान में इंडियन बैंक)में जमा कराये गए 17 लाख रुपये को ब्याज समेत याचिकाकर्ता को लौटाने का आदेश दिया था ।

आदेश के अनुपालन में इलाहाबाद बैंक द्वारा 17 लाख रुपये तो लौटा दिये गए ,लेकिन उसका ब्याज नहीं याचिकाकर्ता को नहीं लौटाया गया।

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कोर्ट ने जब ब्याज देने के संबंध में बैंक के अधिवक्ता से स्पष्टीकरण माँगा, तो उन्होंने पटना हाई कोर्ट द्वारा पारित फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि ब्याज देना बैंक की देनदारी नहीं है।चूँकि इस राशि को बैंक द्वारा इस्तेमाल नहीं किया गया है ।

उन्होंने कोर्ट से कहा कि आदेश के अनुपालन में मूल राशि लौटा दी गई है। इस पर कोर्ट ने असहमति जताते हुए बैंक को ब्याज की राशि याचिकाकर्ता को लौटाने का आदेश दिया ।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि अगली सुनवाई तक इस आदेश का पालन नहीं किया गया, तो इंडियन बैंक के चीफ मैनेजर अदालत में स्वयं उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देंगे । इस मामले की अगली सुनवाई 7 जुलाई,2023 को होगी ।

राज्य कर नगर निकाय चुनाव में ओबीसी/ईबीसी को दिए गए आरक्षण मामले की सुनवाई अब पटना हाई कोर्ट के दो जजों की खंडपीठ करेगी

राज्य कर नगर निकाय चुनाव में ओबीसी/ईबीसी को दिए गए आरक्षण मामले की सुनवाई अब पटना हाई कोर्ट के दो जजों की खंडपीठ करेगी। जस्टिस राजीव रॉय ने इस मामले को दो जजों की खंडपीठ को भेजने का निर्देश दिया।

गौरतलब है कि समर्पित आयोग की ओर से राज्य सरकार को दी गई रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को हाई कोर्ट के समक्ष रखने का आदेश दिया था।

जिसके बाद हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गई।इस याचिका पर जस्टिस सत्यव्रत वर्मा सुनवाई कर रहे थे।

इस दौरान राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से दायर अर्जी पर सवाल उठाते हुये कहा गया कि इस केस को दो जजों की खंडपीठ को करना चाहिये।उन्होंने इस केस को खंडपीठ के समक्ष भेजने का अनुरोध किया।

कोर्ट ने इस मामले में गर्मी की छुट्टी के बाद कोई निर्णय लेने का आदेश दिया था विदित है कि पटना हाईकोर्ट ने नगर निकाय चुनाव में ओबीसी/ईबीसी को दिए गए आरक्षण को गैरकानूनी करार देते हुए आरक्षित सीट को सभी के लिए खोलने का आदेश दिया था।

हाई कोर्ट के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव को स्थगित कर दिया।नगर निकाय का चुनाव दो चरणों में होना था। पहले चरण का चुनाव 10 अक्टूबर,2022 को और दूसरे चरण का चुनाव 20 अक्टूबर,2022 को होना था।

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इसी बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने हाई कोर्ट में पुनर्विचार अर्जी दायर की। लेकिन बाद में इस अर्जी को वापस ले ली।

हाई कोर्ट में आवेदकों की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि नगर निकाय चुनाव में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नजरअंदाज किया जा रहा है। पिछड़ी जाति को नगर निकाय चुनाव में आरक्षण नही दिया जा रहा है।

जबकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछड़ी जातियों को आरक्षण देने के लिए समर्पित आयोग बना निर्णय लेने के बाद ही चुनाव कराने का आदेश दिया है।लेकिन राज्य सरकार पिछड़ी जाति को आरक्षण दिये बिना चुनाव कराने का निर्णय लिया है।

वही राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया गया कि पंचायत चुनाव के समय ही पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ देने के लिए पिछड़ी जातियों का डाटा कलेक्शन किया गया था।उसी डाटा के आधार पर नगर निकाय का चुनाव कराने का फैसला लिया गया है।

राजधानी पटना समेत राज्य के कई अन्य शहरों में बने बड़ी और बहुमंजिली ईमारतों में आग बुझाने की पर्याप्त और प्रभावी व्यवस्था नहीं होने के मामलें में पटना हाईकोर्ट में दो सप्ताह बाद की जाएगी

राजधानी पटना समेत राज्य के कई अन्य शहरों में बने बड़ी और बहुमंजिली ईमारतों में आग बुझाने की पर्याप्त और प्रभावी व्यवस्था नहीं होने के मामलें में पटना हाईकोर्ट में दो सप्ताह बाद की जाएगी।अधिवक्ता मणिभूषण प्रताप सेंगर की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ सुनवाई कर रही है।

उन्होंने अपनी जनहित याचिका में बताया कि पटना समेत राज्य के कई शहरों में बड़ी ईमारतों में आग बुझाने की प्रभावी व्यवस्था न के बराबर है।उन्होंने बताया कि इन ईमारतों में बिजली के शॉर्ट सर्किट होने या किसी अन्य कारण से आग लगने पर आग बुझाने की सही व्यवस्था नहीं होने के कारण अक्सर जान माल की बड़े पैमाने पर क्षति होती है।

उन्होंने बताया कि शहरों में शहरों में नियमों का उल्लंघन करने के कारण आग बुझाने में काफी कठिनाई होती है।सड़कों व गलियों मे होने वाले अतिक्रमणों के कारण चौड़ाई कम होती जा रही है।इससे भी आग बुझाने वाले फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

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उन्होंने ये भी जानकारी दी है कि पटना में 51 ईमारतों को आग बुझाने की व्यवस्था की जांच के बाद अस्थायाई अनापत्ति प्रमाणपत्र दिया गया है।जबकि 12 ईमारतों को उनके आग बुझाने की व्यवस्था की जांच कर स्थायी अनापत्ति प्रमाणपत्र दिया गया है ।

उन्होंने बताया कि पटना में हजार से अधिक ऐसी ईमारतें है, जिन्हें आग बुझाने की व्यवस्था का अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं दिया गया है ।इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट में पटना एवं राज्य के अन्य क्षेत्रों में खुले आम नियमों का उल्लंघन कर मांस- मछली बेचने पर पाबन्दी लगाने सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के बाद होगी

पटना हाईकोर्ट में पटना एवं राज्य के अन्य क्षेत्रों में खुले आम नियमों का उल्लंघन कर मांस- मछली बेचने पर पाबन्दी लगाने सम्बंधित जनहित याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के बाद होगी। चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने मामलें पर सुनवाई करते हुए पटना नगर निगम को विस्तृत हलफनामा दायर करने के लिए पुनः दो सप्ताह का समय दिया।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस बारे में पटना नगर निगम को विस्तृत जानकारी देने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा था। पटना नगर निगम ने कोर्ट को बताया था कि आधुनिक बूचडखाने के निर्माण और विकास के लिए स्थानों को चिन्हित कर लिया गया है।

ये जनहित याचिका अधिवक्ता संजीव कुमार मिश्र ने दायर की है। अधिवक्ता मानिनी जयसवाल ने कोर्ट को बताया कि पटना समेत राज्य विभिन्न क्षेत्रों में अस्वास्थ्यकर और नियमों के विरुद्ध मांस मछली काटे और बेचे जाते हैं।

उन्होंने सुनवाई के दौरान बताया था कि इससे जहाँ आम आदमी के स्वास्थ्य पर पर बुरा असर पड़ता हैं, वहीं खुले में इस तरह से खुले में जानवरों के काटे जाने से छोटे लड़कों के मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

याचिकाकर्ता के वकील मानिनी जयसवाल ने कोर्ट से यह भी आग्रह किया था कि खुले और अवैध रूप से चलने वाले बूचडखानों को नगर निगम द्वारा तत्काल बंद कराया जाना चाहिए ।

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उन्होंने कोर्ट को बताया था कि पटना के राजा बाज़ार, पाटलिपुत्रा , राजीव नगर, बोरिंग केनाल रोड , कुर्जी, दीघा , गोला रोड , कंकड़बाग आदि क्षेत्रों में नियमों का उल्लंघन कर खुले में मांस मछ्ली की बिक्री होती है।

अधिवक्ता मानिनी जायसवाल ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि अस्वस्थ और बगैर उचित प्रमाणपत्र के ही जानवरों को मार कर इनका मांस बेचा जाता है ,जो कि जनता के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

उनका कहना था कि शुद्ध और स्वस्थ मांस मछ्ली उपलब्ध कराने के लिए सरकार को आधुनिक सुविधाओं सुविधाओं के साथ बूचड़खाने बनाए जाने चाहिए,ताकि मांस मछली बेचने वालोंं को भी सुविधा मिले।

साथ ही जनता को भी स्वस्थ और प्रदूषणमुक्त मांस मछली मिल सके।इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद होगी।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर पटना हाईकोर्ट में योग दिवस का आयोजन किया गया

आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर पटना हाईकोर्ट में योग दिवस का आयोजन किया गया। इसमें पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के वी चंद्रन समेत कई अन्य जज, रजिस्ट्री के अधिकारीगण, विभिन्न अधिवक्ता संघ के पदाधिकारी व पटना हाईकोर्ट के अधिकारी और कर्मचारियों ने इस कार्यक्रम भाग लिया। ये कार्यक्रम सुबह साढ़े छह बजे से साढ़े सात बजे आयोजित किया गया था ।

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भागलपुर के पास अगवानी घाट पर गंगा नदी के ऊपर बन रहे पुल के ध्वस्त होने के मामलें पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए बिहार सरकार को की जा रही कार्रवाईयों का ब्यौरा देते हुए विस्तृत हलफ़नामा दायर करने का निर्देश दिया

भागलपुर के पास अगवानी घाट पर गंगा नदी के ऊपर बन रहे पुल के ध्वस्त होने के मामलें पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को की जा रही कार्रवाईयों का ब्यौरा देते हुए विस्तृत हलफ़नामा दायर करने का निर्देश दिया है। अधिवक्ता मणिभूषण सेंगर व ललन कुमार की याचिकायों चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए निर्माण कंपनी एस पी सिंगला को पार्टी बनाने का निर्देश दिया।इन मामलों पर अगली सुनवाई कल 12 अगस्त,2023 को होगी।

कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा दायर हलफ़नामा का जवाब देने के लिए याचिकाकर्ताओं को पुनः दो सप्ताह का समय दिया गया।आज कोर्ट में एस पी सिंगला कंपनी के एम डी एस पी सिंगला उपस्थित रहे।

इससे पूर्व जस्टिस पूर्णेन्दु सिंह की सिंगल बेंच ने ग्रीष्मावकाश के दौरान ललन कुमार की याचिका पर सुनवाई की थी।उन्होंने गंगा नदी पर बन रहे खगड़िया के अगुबानी – सुल्तानगंज के निर्माणाधीन चार लेन पुल के ध्वस्त होने के मामलें को गंभीरता से लेते हुए निर्माण करने वाली कंपनी के एम डी को 21जून,2023 को कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया था।

इस मामलें में अधिवक्ता मणिभूषण प्रताप सेंगर ने एक जनहित याचिका दायर की थी।उन्होंने अपनी जनहित याचिका में कहा कि भ्रष्टाचार, घटिया निर्माण सामग्री और निर्माण कंपनी के घटिया कार्य से ये पुल दुबारा टूटा है।ये पुल 1700 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा था ।

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उन्होंने इस याचिका में कहा है कि इस मामलें की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराये जाने या न्यायिक जांच कराया जाये।जो भी दोषी और जिम्मेदार है,उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

उन्होंने अपने जनहित याचिका में ये मांग की है कि इस निर्माण कंपनी को लिस्ट कर इससे और अन्य जिम्मेदार और दोषी लोगों से इस क्षति की वसूली की जाये।

उन्होंने कहा कि इससे पहले भी ये पुल टूटा था,लेकिन उसकी विभागीय जांच भी नहीं करायी गयी।इतने कम समय में दुबारा निर्माणधीन पुल का ध्वस्त होना इसमें भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का होना स्पष्ट प्रतीत होता है।

आज ये याचिकायें चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के रखा गया था। कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पी के शाही और सरकारी अधिवक्ता अमीष कुमार ने पक्ष प्रस्तुत किया। इन मामलों पर अगली सुनवाई 12अगस्त,2023 को की जाएगी।

JDU सांसद के बेटे को 1600 करोड़ रुपये के एम्बुलेंस ठेका दिये जाने के मामलें पर पटना हाईकोर्ट में 24 जून,2023 को सुनवाई की जाएगी

कथित रूप से जदयू सांसद के बेटे को 1600 करोड़ रुपये के एम्बुलेंस ठेका दिये जाने के मामलें पर पटना हाईकोर्ट में 24 जून,2023 को सुनवाई की जाएगी। जस्टिस पी वी बजनथ्री की खंडपीठ में इस बीभीजे इंडिया लिमिटेड व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई की जाएगी।

इस याचिका में ये आरोप लगाया गया है कि जदयू के जहानाबाद से सांसद चंदेश्वर प्रसाद चन्द्रवंशी के बेटे बेटी की कंपनी पशुपतिनाथ डिस्ट्रीब्यूटर्स को इस एम्बुलेंस का ठेका मिला हैं।

बाक़ी बीडर्स ने इस मामलें पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई याचिकायें दायर की है।इन्हीं याचिकायों पर कोर्ट सुनवाई करेगी।

बीडिंग में सरकार के द्वारा सांसद के बेटे की कंपनी को लाभ पहुँचाने का आरोप है।बीडिंग में नियमों को बदलकर पशुपति डिस्ट्रिब्यूटर्स को लाभ पहुँचाया गया हैं।

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इन पर आरोप हैं कि बीडिंग में रेट को कम करके पशुपति कंपनी को टेंडर दिया गया है।इन याचिकायों में कहा गया कि इन्हें लाभ पहुँचाने के लिए नियमों की उपेक्षा की गयी है।

याचिकाओं में ये भी कहा गया कि यह कंपनी इस बीडिंग के लिए योग्य नहीं हैं । सांसद के परिवार के चार लोग कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल हैं।

24 जून,2023 को हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई की जाएगी।

अदालती आदेश का पालन नहीं किये जाने पर पटना हाई कोर्ट ने निगरानी के प्रधान सचिव पर 25 हजार रूपये का जुर्माना लगाया

अदालती आदेश का पालन नहीं किये जाने पर पटना हाई कोर्ट ने निगरानी के प्रधान सचिव पर 25 हजार रूपये का जुर्माना लगाया है। जस्टिस पीबी बजंत्री और जस्टिस जीतेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने मनोज मोहन की ओर से दायर अवमानना अर्जी पर सुनवाई के बाद जुर्माना लगाया।

आवेदक के वकील दिवाकर यादव ने कोर्ट को बताया कि पांच साल बीत जाने के बावजूद अधिकारी ने हाई कोर्ट के रिट कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किये। जबकि कोर्ट ने 15 मई को अदालती आदेश का पालन करने का आदेश दिया था इसके बावजूद आदेश का पालन नहीं किया गया।

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कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए 25 हजार रूपये का जुर्माना लगा दिया।साथ ही जुर्माने की राशि को पटना हाई कोर्ट लीगल ऐड में जमा करने का आदेश दिया।

इसके साथ ही चार सप्ताह के भीतर कोर्ट के आदेश का पालन करने का दिया। आदेश पालन नहीं होने की स्थिति में उन्हें अगली तारीख पर कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया।

भागलपुर के पास अगवानी घाट पर गंगा नदी के ऊपर बन रहे पुल के ध्वस्त होने के मामलें पर पटना हाईकोर्ट में अधिवक्ता मणिभूषण सेंगर व ललन कुमार की याचिकायों पर कल एक साथ सुनवाई होगी

भागलपुर के पास अगवानी घाट पर गंगा नदी के ऊपर बन रहे पुल के ध्वस्त होने के मामलें पर पटना हाईकोर्ट में अधिवक्ता मणिभूषण सेंगर व ललन कुमार की याचिकायों पर कल 21जून, 2023 को एक साथ सुनवाई होगी। इन याचिकाओं पर चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ सुनवाई करेगी।

इससे पूर्व जस्टिस पूर्णेन्दु सिंह की सिंगल बेंच ने ग्रीष्मावकाश के दौरान ललन कुमार की याचिका पर सुनवाई की।उन्होंने गंगा नदी पर बन रहे खगड़िया के अगुबानी – सुल्तानगंज के निर्माणाधीन चार लेन पुल के ध्वस्त होने के मामलें को गंभीरता से लेते हुए निर्माण करने वाली कंपनी के एम डी को 21जून,2023 को कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया था।

कोर्ट ने साथ ही पुल निर्माता कंपनी को विस्तृत रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया था,जिसमें कंपनी को पुल की पूरी लम्बाई,डीपीआर ,मिट्टी की गुणवत्ता आदि का विवरण देने को कहा था।साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को कार्रवाई रिपोर्ट अगली सुनवाई में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।कोर्ट ने 21 जून,2023 को उपर्युक्त बेंच में प्रस्तुत किये जाने का निर्देश दिया था।

इस मामलें में अधिवक्ता मणिभूषण प्रताप सेंगर ने पहले एक जनहित याचिका दायर की थी।उन्होंने अपनी जनहित याचिका में कहा कि भ्रष्टाचार, घटिया निर्माण सामग्री और निर्माण कंपनी के घटिया कार्य से ये पुल दुबारा टूटा है।ये पुल 1700 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा था ।

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उन्होंने इस याचिका में कहा है कि इस मामलें की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराये जाने या न्यायिक जांच कराया जाये।जो भी दोषी और जिम्मेदार है,उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

उन्होंने अपने जनहित याचिका में ये मांग की है कि इस निर्माण कंपनी को लिस्ट कर इससे और अन्य जिम्मेदार और दोषी लोगों से इस क्षति की वसूली की जाये।

उन्होंने कहा कि इससे पहले भी ये पुल टूटा था,लेकिन उसकी विभागीय जांच भी नहीं करायी गयी।इतने कम समय में दुबारा निर्माणधीन पुल का ध्वस्त होना इसमें भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का होना स्पष्ट प्रतीत होता है।

आज ये मामला चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के रखा गया था।कोर्ट ने इस मामलें पर सुनवाई करते हुए दोनो मामलों कल 21जून,2023 को सुनवाई की तिथि निर्धारित की है।

पटना हाईकोर्ट ने बिहार में शिक्षकों की बहाली के लिए सरकार द्वारा बनाये गये नियमावली को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने राज्य में शिक्षकों की बहाली के लिए राज्य सरकार द्वारा बनाये गये नियमावली को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। सुबोध कुमार की याचिका चीफ जस्टिस के वी कृष्णन ने याचिका पर सुनवाई करते राज्य सरकार को अगली सुनवाई में जवाब देने का निर्देश देने का निर्देश दिया है। इस मामलें पर अगली सुनवाई 29 अगस्त,2023 को होगी।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने राज्य में बड़े पैमाने शिक्षकों की बहाली के लिए 2023 में नया नियमावली बनाया है।इसके तहत राज्य में शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया प्रारम्भ की गयी है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि 2023 में जो राज्य सरकार ने नयी नियमावली बनायी है, उसके अंतर्गत 2006 से 2023 तक बहाल शिक्षकों को इस प्रक्रिया में शामिल होना होगा।

उन्होंने बताया कि नयी नियमावली के अंतर्गत जो शिक्षक बहाल होंगे,उन्हे सरकारी सेवक का दर्जा मिलेगा।जो शिक्षक 2006 से कार्यरत है,उन्हें सरकारी सेवक होने का लाभ नहीं मिलेगा।

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इस नयी नियमावली के अंतर्गत शिक्षकों की बहाली के लिए परीक्षा ले कर अनुशंसा करने की जिम्मेदारी बिहार लोक सेवा आयोग को सौंपी गयी है।

इसमें ये भी मुद्दा उठाया गया कि नियमावली 2006 के अंतर्गत नियुक्त शिक्षकों के योग्यता और कार्य समान है, पर नियमावली 2023 के अंतर्गत बहाल शिक्षकों का वेतन अलग होगा,जो कि समानता के सिद्धांत का उल्लंघन है।

इस मामले में सुनवाई के दौरान हुए बहस में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव, राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल पी के शाही और अधिवक्ता अमीष कुमार ने पक्षों को प्रस्तुत किया।

इस मामलें पर अगली सुनवाई 29अगस्त,2023 को होगी।

बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों व उनके अंतर्गत कॉलेजों में छात्रों के हॉस्टलों की दयनीय हालत पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई

राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों व उनके अंतर्गत कॉलेजों में छात्रों के हॉस्टलों की दयनीय हालत पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की। विकास चंद्र उर्फ़ गुड्डू बाबा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस के वी कृष्णन की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जवाब देने के लिए दो सप्ताह का मोहलत दिया है।

याचिकाकर्ता विकास चंद्र उर्फ़ गुड्डू बाबा ने अपनी जनहित याचिका में बताया कि राज्य के विश्वविद्यालयों व उनके अंतर्गत कालेजों में छात्रों के हॉस्टलों की स्थिति काफी दयनीय है।उन हॉस्टलों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। छात्रों के लिए साफ सुथरे और अच्छे कमरे,स्वच्छ शौचालयों,शुद्ध पेय जल,कैंटीन,बिजली आदि सुविधायें उपलब्ध नहीं है।

याचिका में ये कहा गया कि इससे छात्रों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता हैं ।इसका प्रभाव उनकी पढ़ाई और स्वास्थ्य पर पड़ता है ।इस याचिका ये अनुरोध किया गया कि छात्रों के लिए नये हॉस्टलों का निर्माण किया जाये,जिनमें उनके लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध हो,ताकि उन्हें रहने और पढ़ने लिए सही माहौल मिले।

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याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि इस मामलें में 23 अक्टूबर,2019 को बिहार सरकार के मुख्य सचिव और सभी सबंधित पक्षों को दिया गया।इसमें ये कहा गया कि छात्रों के लिए साफ सुथरे कमरे,स्नानघर, शौचालयों,बिजली आदि की बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया।लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी।

कोर्ट ने आज इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को अबतक की गयी कार्रवाई का ब्यौरा राज्य को दो सप्ताह में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।इस मामलें पर अब अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।

पटना हाईकोर्ट ने महादलित विकास मिशन योजना अंतर्गत छात्रवृत्ति घोटाले के मामलें में जेल में बंद आईएएस अधिकारी एसएम राजू को नियमित जमानत देते हुए उनकी रिहाई का आदेश दिया

पटना हाईकोर्ट ने महादलित विकास मिशन योजना अंतर्गत छात्रवृत्ति घोटाले के मामलें में जेल में बंद आईएएस अधिकारी एसएम राजू को नियमित जमानत देते हुए उनकी रिहाई का आदेश दिया है ।
न्यायमूर्ति राजेश कुमार वर्मा ने राजू की जमानत याचिका को मंजूर करते हुए ये निर्णय सुनाया।

यह मामला राज्य सरकार की महादलित विकास मिशन के योजना अंतर्गत अनुसूचित जनजाति व महादलित के छात्र व छात्राओं को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि के घोटाले से संबंधित है। इस मामले पर निगरानी ब्यूरो के डीएसपी ने 23 अक्टूबर, 2017 को एक मामला दर्ज किया था, जो निगरानी थाना कांड संख्या एकाशी 2017 के रूप में आईपीसी की सुसंगत धाराओं एवं भ्रष्टाचार निरोध कानून की धारा 13 के अंतर्गत दर्ज हुआ था।

इस मामले में राजू को इसीलिए आरोपी बनाया गया, क्योंकि वह महादलित विकास मिशन के सचिव के रूप में पदस्थापित थे।

याचिकाकर्ता के तरफ से वरीय अधिवक्ता पुष्कर नारायण शाही ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में राजू बिल्कुल बेकसूर है।

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उनके खिलाफ प्राथमिकी में कोई सीधा आरोप दर्ज नहीं है और ना ही कोई ऐसा आरोप लगाया गया है। जिससे यह साबित हो कि इस कांड के मुख्य अभियुक्त कंपनी के साथ उनका कोई लेन-देन हुआ था।

उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया था कि इस कांड के एक अन्य रिटायर्ड आईएएस कड़ा परशुराम रमैया को 2019 में ही निचली अदालत से जमानत मिल गई थी। उनसे कहीं बेहतर केस राजू का है ,जो पिछले साढ़े 4 महीने से जेल में बंद है ।

वही निगरानी ब्यूरो की तरफ से विशेष लोक अभियोजक अरविंद कुमार ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि केस डायरी की कई जगहों पर स्पष्ट सबूत व साक्ष्य मिलते हैं, जिससे राजू का इस कांड में संलिप्तता उजागर होता है।

कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद 5 मई,2023 को फैसला सुरक्षित कर लिया था जिसे आज सुनाया गया।

पटना हाईकोर्ट ने पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर याचिकाओं को स्वीकृत करते हुए वहां के नागरिकों को बड़ी राहत दी

पटना हाईकोर्ट ने पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामलें पर याचिकाओं को स्वीकृत करते हुए वहां के नागरिकों को बड़ी राहत दी है।कोर्ट ने अपने निर्णय में ये स्पष्ट किया कि जो भी निर्माण 2018 के पहले बने है,उस पर दीघा लैण्ड सेटलमेंट एक्ट के तहत किया जाना है।कोर्ट ने प्रशासन द्वारा नेपालीनगर क्षेत्र में मकान तोड़े जाने को अवैध ठहराया। साथ ही अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया को रद्द कर दिया।

जस्टिस संदीप कुमार ने 17 नवंबर,202 सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने इस मामलें पर निर्णय देते हुए कहा कि जिन लोगों के मकानों को गैर कानूनी तरीके से तोड़ा गया है,उन्हें पांच पाँच लाख रुपए मुअबजा देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है।कोर्ट ने साफ किया है कि यदि क्षतिपूर्ति की राशि अगर अधिक हो,तो उस पर विचार कर देना होगा।

कोर्ट ने ये भी कहा कि जिनका मकान 2018 के बाद बना है,उन सभी मामलों में दीघा लैण्ड सेटलमेंट एक्ट के तहत विचार करने का निर्देश दिया गया था।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने बिहार राज्य आवास बोर्ड को बताने को कहा था कि अब तक पटना में उसने कितनी कॉलोनियों का निर्माण और विकास किया हैं।

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साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को एमिकस क्यूरी संतोष सिंह द्वारा प्रस्तुत दलीलों का अगली सुनवाई में जवाब देने का निर्देश दिया था।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को बिहार राज्य आवास बोर्ड के दोषी अधिकारियों और जिम्मेवार पुलिस वाले के विरुद्ध की जाने वाली कार्रवाई की कार्य योजना प्रस्तुत करने को कहा था।

कोर्ट ने कहा था कि ये बहुत आश्चर्य की बात है कि इनके रहते इस क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर नियमों का उल्लंघन कर मकान बना लिए गए।

इस मामलें पर कोर्ट द्वारा सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय 17 नवंबर,2022 को सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया गया।

पटना हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी पूर्व RJD विधायक गुलाब यादव को बड़ी राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगा दी

पटना हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी पूर्व आरजेडी विधायक गुलाब यादव को बड़ी राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगा दी है । जस्टिस संदीप कुमार की एकलपीठ ने गुलाब यादव की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके ख़िलाफ़ कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने का भी आदेश दिया है।

पूर्व विधायक पर एक महिला ने कथित रूप से दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। महिला ने वर्ष 2021 में शिकायत दर्ज कर आरोप लगाया था कि उसे महिला आयोग का सदस्य बनाने का झांसा देकर पूर्व विधायक ने उसे अपने रूकनपुरा स्थित आवास पर बुलाया। उसके साथ दुष्कर्म कर उसका वीडियो बना लिया था।

अपनी शिकायत में महिला ने यह भी आरोप लगाया था कि गुलाब यादव ने उसे दिल्ली एवं पुणे के विभिन्न होटल में बुला कर उसके साथ दुष्कर्म किया था।

इस मामले की अगली सुनवाई 6 सितंबर,2023 को होगी ।

पटना हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव और सीतामढ़ी विशेष उत्पाद जज 2 के खिलाफ अवमानना मामला दर्ज करने का आदेश दिया

पटना हाईकोर्ट के फैसला को नजरअंदाज कर जब्त सामान को नहीं छोड़े जाने पर सख्त रुख अपनाया। कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव और सीतामढ़ी विशेष उत्पाद जज 2 के खिलाफ अवमानना मामला दर्ज करने का आदेश दिया है।

चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने मेरठ के जीनेथ कंपनी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद जब्त सामान को छोड़ने और इन अधिकारियों के खिलाफ अवमानना अर्जी दर्ज करने का आदेश दिया।

आवेदक के अधिवक्ता रोहित सिंह ने कोर्ट को बताया कि अस्पतालो में इस्तेमाल होने वाले समान को मेरठ के ट्रांसपोर्टर के यहां माल बुक कराया गया।उन्होंने कोर्ट को बताया कि ट्रांसपोर्टर ने ट्रक से बुक सामान को असम भेजा।

बिहार के सीतामढ़ी के रास्ते जब ट्रक जा रहा था, तो उत्पाद विभाग के अधिकारियों ने ट्रक रुकवा जांच किया।अधिकारी ने जो प्राथमिकी दर्ज की है, उसके अनुसार ट्रक जांच के दौरान दो हजार लीटर से ज्यादा विदेशी शराब जब्त किया गया।

इस दौरान ट्रक का ड्राइवर और खलासी भागने में कामयाब हो गये।उनका कहना था कि बुक समान को छोड़ने के लिए हाई कोर्ट में एक अर्जी दायर की गई थी।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अस्पताल में इस्तेमाल होने वाले समान को उत्पाद कानून के तहत जब्त नहीं किया जा सकता।

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कोर्ट ने सीतामढ़ी के विशेष उत्पाद जज को जब्त सामान को छोड़ने के बारे में कानून के तहत आदेश जारी करे।कोर्ट के आदेश के आलोक में आवेदक ने अर्जी दायर की।

लेकिन विशेष उत्पाद जज ने उसे खारिज कर दिया।इसके बाद आवेदक ने उत्पाद आयुक्त के समक्ष अपील दायर किया।आयुक्त ने भी अपील को खारिज कर दिया।

इस आदेश के वैधता को अपर मुख्य सचिव के समक्ष रिवीजन दायर कर चुनौती दी।अपर मुख्य सचिव ने हाई कोर्ट के पूर्व के आदेश को देख उसे नहीं मानते हुये जब्त सामान को छोड़ने से इंकार करते हुए उसे नीलाम कार्रवाई करने का आदेश दिया।

अपर मुख्य सचिव के आदेश सहित अन्य अधिकारियों द्वारा दिए गए आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी।

कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई कर जब्त सामान को छोड़ने का निर्देश दिया।साथ ही हाईकोर्ट के आदेश उल्लंघन करने को लेकर अपर मुख्य सचिव और सीतामढ़ी के विशेष उत्पाद जज दो के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज करने का आदेश हाई कोर्ट प्रशासन को दिया है।

पटना हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय से हत्या के प्रयास में 10 साल की सजा पाए अभियुक्त को रिहा कर दिया

पटना हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय से हत्या के प्रयास में दस साल की सजा पाए अभियुक्त को रिहा कर दिया ।जस्टिस आलोक कुमार पांडेय ने चंदन कुमार मंडल की अपील याचिका पर स्वीकृति देते हुए उसे रिहा कर दिया ।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि 06.09.2016 को शाम करीब 7.30 बजे जब वह शौच के लिए जा रही थी,तब वहां अपीलकर्ता और अन्य लोगों ने उसे पकड़ लिया और उसको मारने के इरादे से चाकू से वार किया। जिसके परिणामस्वरूप उसकी गर्दन और पेट के दाहिने हिस्से में चोटें आईं और वह जमीन पर गिर गई।

चीख सुनकर पीड़िता का पति और अन्य ग्रामीण जब आये, तो अपीलकर्ता और अन्य लोगो मौके से भाग गए।

याचिकाकर्ता पर आईपीसी की धारा 307, 324 और 341 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी । जिस पर निचली अदालत ने याचिकाकर्ता को दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराते हुए धारा 307 के तहत पांच हजार रुपये के जुर्माने के साथ दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी।साथ ही आईपीसी की धारा 324 के तहत अपराध के लिए एक हजार के जुर्माने के साथ तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मनोहर प्रसाद सिंह ने कोर्ट में दलील दी थी कि प्राथमिकी दर्ज कराने में देरी की गई । उन्होंने कोर्ट को बताया की घटना स्थल के विवरण में परस्पर विरोधाभास पाया गया है ।

एपीपी एएमपी मेहता ने याचिका का कड़ा विरोध किया।तथ्यों का अवलोकन कर अदालत ने याचिकाकर्ता की 6 साल की हिरासत के मद्देनजर उसे रिहा कर दिया और उसकी शेष सजा को खत्म कर दिया।

पटना हाइकोर्ट ने नवनीत कुमार द्वारा उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक में सौ करोड़ रुपए के घोटाले के मामलें में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की

पटना हाइकोर्ट ने नवनीत कुमार द्वारा उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक में सौ करोड़ रुपए के घोटाले के मामलें में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। जस्टिस पी बी बजनथ्री व जस्टिस ए अभिषेक रेड्डी के डिवीजन बेंच द्वारा की गई।

याचिकाकर्ता के एडवोकेट श्री शिव प्रताप ने बताया कि सुनवाई के दौरान कोर्ट द्वारा भारत सरकार और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को 5 सप्ताह में अपना जवाब दायर करने का निर्देश दिया I मामले की अगली सुनवाई 26 जून,2023 को होगी ।

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गौरतलब है कि इस मामले में पिछले वर्ष मार्च में मुजफ्फरपुर के कोर्ट के आदेश पर काजी मुहम्मदपुर थाने में सौ करोड़ रुपए के घोटाले की प्राथमिकी दर्ज हुई थी, लेकिन इसमें कोई भी प्रगति नहीं हुई ।

याचिकाकर्ता के द्वारा सितम्बर, 2022 में एक जनहित याचिका दायर की गई थी,जिसमें पूरे मामले की जांच सीबीआई और इ डी से कराने की मांग की गई थी ।

पटना हाईकोर्ट ने पटना मुख्य नहर के बांध व चार्ट भूमि पर अतिक्रमणकारियों द्वारा किये गए अतिक्रमण के मामले पर सुनवाई की

पटना हाईकोर्ट ने पटना मुख्य नहर के बांध व चार्ट भूमि पर अतिक्रमणकारियों द्वारा किये गए अतिक्रमण के मामले पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस के वी चंद्रन व जस्टिस मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ के समक्ष राज किशोर श्रीवास्तव की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।

अतिक्रमणकारी की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने इस मामले में अधिकारी के समक्ष अपनी बात को रखने की बात कही। कोर्ट का कहना था कि अभी सुनवाई खंडपीठ कर रही है।

इसके बाद खंडपीठ ने अतिक्रमणकारी के अधिवक्ता की दलील को सुनने के बाद उनकी याचिका को खारिज कर दिया।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेंद्र कुमार सिंह ने हाई कोर्ट द्वारा विगत 5 मई, 2023 को इस मामले में पारित किए गए आदेश का हवाला दिया गया। इसमें दानापुर के अंचलाधिकारी ने अन्य बातों के अलावा चार सप्ताह में कम से कम 70 फीसदी अतिक्रमण को हटाने की बात कही थी।

इस बीच कोर्ट ने राज्य सरकार को विकल्प तलाशने को भी कहा है।इस नहर बांध व चार्ट भूमि पर अतिक्रमण की स्थिति को दानापुर के अंचलाधिकारी ने भी स्वीकार किया है।

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सोन नहर प्रमंडल, खगौल, पटना द्वारा अतिक्रमण वाद दायर करने के लिए दानापुर के अंचलाधिकारी को लिखा गया था, लेकिन अभी तक इसे नहीं हटाया गया।

सोन नहर प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता द्वारा दानापुर के अंचलाधिकारी को अतिक्रमणकारियों की सूची भी अंचलाधिकारी को दी गई है।

कार्यपालक अभियंता ने अपने पत्र में विभागीय मुख्य नहर के बांध व चार्ट भूमि पर किये गए अतिक्रमण को अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध अतिक्रमण वाद दायर कर ठोस अग्रेतर कार्रवाई करने हेतु अनुरोध किया था, ताकि विभागीय भूमि अतिक्रमणकारियों से मुक्त हो सके।

इस मामले में आगे की सुनवाई अब अगली सुनवाई 31जुलाई,2023 को की जाएगी।

पटना हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानियो के पौत्र पौत्रियों को हाई कोर्ट नियुक्तियों में आरक्षण देने से साफ इंकार करते हुए दायर याचिका को रद्द को कर दिया

पटना हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानियो के पौत्र पौत्रियों को हाई कोर्ट नियुक्तियों में आरक्षण देने से साफ इंकार करते हुए दायर याचिका को रद्द को कर दिया।जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने विकाश कुमार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।

कोर्ट को बताया गया कि हाई कोर्ट ने 550 सहायको की बहाली के लिए गत 3 फरवरी,2023को एक विज्ञापन जारी किया था।इस विज्ञापन में सभी को आरक्षण दिया गया, लेकिन स्वतंत्रता सेनानियो के पोता पोती को दिये जाने वाले दो प्रतिशत आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया।

उनका कहना था कि राज्य सरकार ने 10 फरवरी 2016 को पत्रांक 2526 जारी कर स्वतंत्रता सेनानी के पौत्र पौत्रिओं को दो प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया था।जिसका लाभ हाई कोर्ट अपने यहां के बहाली में नहीं दे रहा है।

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जबकि हाई कोर्ट के नियमावली के नियम 10 के तहत आरक्षण देने का प्रावधान है।वही हाई कोर्ट की ओर से इस याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट को बताया गया कि इस बहाली में एससी /एसटी सहित ईबीसी /बीसी /ईडब्ल्यूएस को निर्धारित प्रतिशत के अनुसार आरक्षण दिया जा रहा है।

उनका कहना था कि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के आदेश के बाद नियमावली के नियम 10 के तहत आरक्षण दिया जाता हैं।कोर्ट ने दोनों पक्षों का दलील सुनने के बाद अर्जी को कोर्ट ने खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट में जातीय जनगणना से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई अगले बेंच के गठन होने तक टली

सुप्रीम कोर्ट में जातीय जनगणना से सम्बंधित मामलें पर सुनवाई अगले बेंच के गठन होने तक टली। सुप्रीम कोर्ट मे जज जस्टिस संजय करोल ने इस मामलें पर सुनवाई से अपने को अलग किया।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय क़रोल ने पटना हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में इस मामलें पर सुनवाई की थी।

सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने पटना हाइकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी,जिसमें कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा राज्य में जातियों की गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई करने सम्बन्धी याचिका को रद्द कर दिया था।

साथ ही राज्य सरकार ने पटना हाइकोर्ट द्वारा 4 मई, 2023को पारित अंतरिम आदेश को भी चुनौती दी गई है। चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने राज्य सरकार के 3 जुलाई,2023 के पूर्व सुनवाई करने की याचिका को कोर्ट ने 9मई,2023 को सुनवाई करने के बाद खारिज कर दिया था।

इस आदेश विरुद्ध को राज्य सरकार ने एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर कर की है।पटना हाइकोर्ट ने इन मामलों पर सुनवाई की तिथि 3 जुलाई,2023 ही रखा। 9 मई, 2023 को सुनवाई करने के बाद हाईकोर्ट ने इन मामलों पर सुनवाई की तिथि 3 जुलाई,2023 ही निश्चित किया था।

गौरतलब कि पहले 4मई,2023 को कोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए जातीय जनगणना पर रोक लगा दी थी।चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि राज्य सरकार इस दौरान इक्कठी की गई आंकड़ों को शेयर व उपयोग फिलहाल नहीं करेगी।

Supreme-court-on-Bihar-caste-based-survey
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पटना हाइकोर्ट में राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका में ये कहा गया था कि क्योंकि पटना हाइकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार के पास जातीय जनगणना कराने का वैधानिक अधिकार नहीं है,इसीलिए इन याचिकाओं पर 3 जुलाई,2023 को सुनवाई करने का कोई कारण नहीं है।

साथ ही कार्यपालिका के पास जातीय जनगणना कराने का क्षेत्राधिकार नहीं है।इसे कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में स्पष्ट कर दिया था।

कोर्ट ने ये भी कहा था कि जातीय जनगणना से जनता की निजता का उल्लंघन होता है।इस सम्बन्ध में विधायिका द्वारा कोई कानून भी नहीं बनाया गया है।

कोर्ट ने अपने 4 मई, 2023 के अंतरिम आदेश में जो निर्णय दिया है,उसमें सभी मुद्दों पर अंतिम निर्णय दिया गया।कोर्ट ने इन याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों पर अंतिम रूप से निर्णय दे दिया है।

राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य
लोगों के लिए कल्याणकारी और विकास की योजना तैयार है।इसका किसी अन्य कार्य के लिए कोई उद्देश्य नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की इस याचिका पर सुनवाई के लिए जस्टिस बी आर गवाई और जस्टिस संजय करोल के बेंच का गठन किया गया था।लेकिन चूंकि जस्टिस संजय करोल ने इस मामलें की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।

अतः इस मामलें की सुनवाई के लिए फिर बेंच गठित होने के बाद सुनवाई की जाएगी।