Press "Enter" to skip to content

चौराहे पर खड़ा है बिहार तय नहीं कर रहा है किस ओर जाये

बिहार विधानसभा उपचुनाव के प्रचार अभियान का आज आखिरी दिन है छह वर्ष बाद लालू प्रसाद किसी चुनावी जनसभा को संबोधित किये हैं, वही चुनाव के आखिरी दिन सुशील मोदी भी प्रचार अभियान के लिए घर से बाहर निकले, मतलब इन दो सीटों को लेकर सभी राजनीतिक दल अपना सब कुछ झोंक दिया है ।

लेकिन बिहार की सियासत 2005 में जिस जंगल राज के नैरेटिव से शुरू हुआ था आज भी वो नैरेटिव चुनावी राजनीति में बनी हुई है 2020 के विधानसभा चुनाव के तीसरे और चौथे चरण के दौरान पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार भी अंत में जंगलराज और अपहरण राज पर आकर ठहर गये थे और उसका लाभ भी मिला ।

इस उप चुनाव में भी एनडीए उस जंगलराज और अपहरण राज के नैरेटिव को भूलने नहीं दिया है नीतीश कुमार इस उप चुनाव में चार चुनावी सभा को संबोधित किये चारों सभा में वो अपने 15 वर्षो के शासन काल के दौरान किये गये कार्यों पर चर्चा करने के बाद मिया बीबी के शासन काल को याद दिलाने से भूले नहीं हैं। मतलब बिहार की जनता के अंदर उस भय को जिंदा रखना चाहते जिसमें एक नैरेटिव बनाया गया है कि लालू परिवार आयेगा तो फिर से एक बार जंगलराज लौट आयेगा।

कल लालू प्रसाद नीतीश कुमार को लेकर जो बयान दिया कि नीतीश कुमार का विसर्जन करने आये हैं उस बयान पर नीतीश कुमार कि जो प्रतिक्रिया आयी है लालू उन्हें गोली मरवा सकते हैं।लालू यादव चाहें तो गोली मरवा सकते हैं। बाकी वो कुछ नहीं कर सकते हैं। नीतीश कुमार लालू प्रसाद के इस सामान्य से बयान को भी उसी जंगलराज वाले नैरेटिव की ओर मोड़ने कि कोशिश किये है ताकि राज्य में एक बार फिर से भय का माहौल बने।

नीतीश कुमार का यह बयान आना था कि एनडीए के सभी नेता एक साथ लालू के उस बयान को लेकर मोर्चा खोल दिये
जीतन राम मांझी आज सुबह सुबह ट्वीट करके लालू प्रसाद से सवाल किया कि
आज भ्रष्टाचार,जंगलराज,दलित नरसंहार सहित कई मामलों पर आदरणीय .@laluprasadrjd जी भाषण देंगें।
और यह बताएंगे कि,
दलित नरसंहार की जरूरत क्यों पडी।

15 साल का जंगलराज बिहार के लिए क्यों जरूरी था।

इसी तरह सुशील मोदी ने ट्वीट करके लालू प्रसाद से सवाल किया कि
लालू प्रसाद बताएं कि उनके राज में सड़कें जर्जर क्यों थीं और विकास ठप क्यों था?
अपराधियों के डर से बाजार शाम के बाद बंद होते थे, उन्हें एनडीए सरकार के विकास पर सवाल उठाने से पहले अपने चौपट भकचोंधर राज का हिसाब देना चाहिए।

जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार का बयान आया है दोनों सीटों पर चुनाव की थकान मिटेगी, रंगारंग हास्य ठहाकेदार कार्यक्रम होने जा रहा है…जमूरा और चेला के साथ 15 साल जंगल राज के सुल्तान आ रहे हैं..
इस तरह एक बार फिर 2005 में जिस नैरेटिव के सहारे बिहार में सत्ता बदला था उस नैरेटिव को अभी भी एनडीए बनाये रखना चाहता है क्यों कि इसका लाभ एनडीए को आज भी मिल रहा है।

लेकिन एक बड़ा सवाल है कि इस भय के सहारे कब तक बिहार की जनता अपने मूल समस्याओं से मुख मोड़ता रहेगा 2005 में शिक्षा,स्वास्थ्य,रोजगार ,कृषि ,वाणिज्य और व्यापार में देश में बिहार की क्या स्थिति थी और आज बिहार कहां खड़ा है।
इसी तरह 2005 से पहले असंगठित क्षेत्रों में काम करने के लिए जिस संख्या में बिहार के युवा गांव छोड़ रहे थे आज उसमें कोई बदलाव आया है की नही, इसी तरह प्रति व्यक्ति आय ,बाढ़ और सुखाड़ जैसी समस्याओं के समाधान के क्षेत्रों में बिहार कहां तक पहुंचा है।

राज्य में कानून व्यवस्था में सुधार हुआ तो निवेश आना चाहिए ना 2005 के बाद कितने का निवेश हुआ है निवेश के क्षेत्र में बिहार देश के सामने कहां खड़ा है। वही लालू राज में जो व्यापारी बिहार छोड़ कर चले गये थे उनमें कितने व्यापारी लौट कर बिहार आये कई ऐसे सवाल हैं जिसके सहारे राज्य के वास्तविक राजनीति को समझा जा सकता है क्यों कि इस नैरेटिव की वजह से बिहार एक मुहाने पर आकर ठहर सा गया है बात करिए तो सवाल आप ही से होगा विकल्प क्या है। लेकिन इस विकल्पहिनता की जिम्मेवारी जनता की है इस पर कोई बता करने को तैयार नहीं है ऐसे में जरता वाली स्थिति उत्पन्न होना स्वभाविक है ,सिस्टम का करपस्ट होना स्वभाविक है,समाज के अंदर विवेक शून्यता आना स्वभाविक है मतलब हमलोग चौहारे पर खड़े है लेकिन किस और जाना है तय नहीं कर पा रहे हैं ऐसे में दुर्घटना ही होता है ना ।

More from खबर बिहार कीMore posts in खबर बिहार की »
More from बिहार ब्रेकिंग न्यूज़More posts in बिहार ब्रेकिंग न्यूज़ »