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लालू प्रसाद के पुत्र मोह में पार्टी और परिवार में मचा घमासन जगदानंद सिंह इस्तीफा पर अड़े तेजस्वी ने पार्टी नेताओं की बुलाई बैठक

बिहार में लालू-राबड़ी परिवार (Lalu-Rabri Family) से जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) का रिश्ता लगभग टूट चुका है लालू प्रसाद के लगातार बातचीत के बावजूद जगदानंद सिंह राजद कार्यालय जाने को तैयार नहीं है।
हलाकि तेजस्वी का कहना है कि ऐसी कोई बात नहीं है यह सब मीडिया का खेल है जगदानंद सिंह कही किसी से कहे हैं कि मैं नराज हूं फिर मीडिया ये सवाल कहां से उठा रही है वैसे तेजस्वी जो कुछ भी कह रहे हैं लेकिन बगैर आग के धुआं नहीं उठाता है जिस दिन तेज प्रताप जगदानंद सिंह को हिटलर कहां था उसी दिन से जगदानंद सिंह पार्टी दफ्तर नही जा रहे हैं 15 अगस्त जैसे मौके पर जब पार्टी अध्यक्ष राष्ट्र ध्वज फहराते थे उस दिन भी वो नहीं गये और इसको लेकर जब जब तेजस्वी से सवाल किया गया वो सवालो को टालते रहे ।


लालू प्रसाद के करीबियों में जगदानंद सिंह पहले व्यक्ति नहीं हैं, जिन्हें उनके बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) के बयानों से धक्का लगा है। इसके पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) और आरजेडी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे (Ramchandra Purvey) पर भी तेज प्रताप के बयानों की गाज गिर चुकी है। रघुवंश तो इतने व्यथित हुए कि अपने आखिरी क्षणों में अस्पताल से ही लालू का साथ छोड़ने का एलान कर दिया था। फिर भी तेज प्रताप की बदजुबान जारी है । नतीजतन पुत्र के प्रति मोह से लालू के अपने लगातार बिछुड़ते जा रहे हैं।

2019 में प्रदेश अध्‍यक्ष पद से बेदखल किए गए थे रामचंद्र पूर्वे जगदानंद के अनुशासन का अक्सर मजाक उड़ाने वाले तेज प्रताप ने चार बार से लगातार आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष बनते आ रहे रामचंद्र पूर्वे को 2019 में पद से बेदखल कराया था। उनपर चुगली करने और फोन नहीं उठाने का आरोप लगाया था। तेज प्रताप की सिफारिश पर आरजेडी में एक पदाधिकारी बनाने में देरी का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा था। यह वही पूर्वे हैं, जिन्होंने 1997 में जनता दल से अलग होकर लालू की नई बनी पार्टी का संविधान तैयार किया था। चारा घोटाले (Fodder Scam) में लालू जब जेल गए तो राबड़ी देवी (Rabri Devi) के साथ मंत्री के रूप में सबसे पहले शपथ लेने वाले पूर्वे ही थे। बाकी मंत्रीमंडल का गठन बाद में हुआ था। पूर्वे अपनी ही बनाई पार्टी से अब अलग-थलग हैं।

तेज प्रताप के कारण टूटा दरोगा प्रसाद राय परिवार से रिश्‍ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद राय (Daroga Prasad Rai) के घराने से लालू परिवार का बहुत ही धनिष्ट रिश्ता रहा था उस रिश्ते को रिश्तेदारी में बदलने के लिए लालू प्रसाद ने बड़ी धूमधाम से रिश्ता जोड़ा था और तेज प्रताप की शादी दरोगा प्रसाद की पौत्री ऐश्वर्या राय (Aishwarya Rai) के साथ हुई थी। लेकिन छह महीने के भीतर ही मामला तलाक तक पहुंच गया। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी तेज प्रताप ने आरजेडी के शिवहर सहित अधिकृत दो प्रत्याशियों के खिलाफ लालू-राबड़ी मोर्चा बनाकर प्रत्याशी उतार दिए थे और उस प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार भी किया था ।


तेज प्रताप से इस तरह के आचरण को लेकर पार्टी में ही नहीं परिवार में भी जबरदस्त शीत युद्ध जारी है राबड़ी और मिसा को छोड़ दे तो परिवार के अधिकांश सदस्य तेज प्रताप के व्यवहार से नराज है तेजस्वी तो कई बार तेज प्रताप के हरकत के कारण शर्मिदा होना पड़ा है ।


वैसे इस बार स्थिति बदली हुई है जगतानंद नहीं माने तो फिर लालू प्रसाद को पार्टी को सम्भाले रखना बड़ी मुश्किल होगी क्यों कि जगतानंद सिंह के प्रदेश अध्यक्ष रहने से तेजस्वी को बिहार की राजनीति समझने में काफी मदद मिलती है साथ ही आज भी जगतानंद सिंह को बिहार की राजनीति में काफी साफ सुथरी छवि है और इसका लाभ राजद को मिलता रहता है ।
तेजस्वी इसको लेकर पार्टी दफ्तर में एक बैठक बुलाया जिसमें श्याम रजक और आलोक मेहता मौजूद थे ।बैठक में जगतानंद सिंह को लेकर चर्चा हुई और इस बात पर जोड़ दिया गया कि इससे पार्टी की छवि खराब हो रही है ऐसे में पार्टी को कठोर निर्णय लेने कि आवश्कता है ।

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