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कोरोना से मौत मामले में यूरोपीय देशों से भी आगे निकला बिहार सीआरएस रिपोर्ट में हुआ खुलासा

बिहार में कोरोना से कितनी मौते हुई है इसको लेकर शुरु से ही विवाद रहा है स्वास्थय विभाग और पीआईबी बिहार के साइट पर आज भी कोरोना से मौत की बात करे तो 9649 लोगों का नाम दर्ज है वही राज्य सरकार के आकड़ों की बात करे तो 2020 और 2021के बीच मतलब पहली और दूसरी लहर की बात करे तो बिहार में कोरोना से 5,163 लोगों की मौत हुई है जबकि दूसरी लहर में बिहार का ऐसा कोई भी गांव नहीं था जहां से कोरोना फैलने और कोरोना से मौत की खबर नहीं आयी हो लेकिन नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) ने बिहार सरकार के दावे की कलई खोल कर रख दिया है ।

सीआरएस के रिपोर्ट की माने तो बिहार में औसतन मौत का जो आकड़ा रहा है उससे (मार्च 2020 से मई 2021) के बीच 2,51,000 अतिरिक्त मौतें दर्ज की गई हैं। यह संख्या इस अवधि के दौरान राज्य में कोरोना वायरस की वजह से हुई आधिकारिक मौतों से 48.6 गुना है।

हलाकि इस दौरान राष्ट्रीय स्तर पर मौत का आकंड़ा 35 प्रतिशत अधिक रहा है महामारी से पहले की अवधि (जनवरी 2015 से फरवरी 2020) के सीआरएस डेटा को एक ऑल कॉज मोरटैलिटी बेसलाइन बनाने के लिए औसत निकाला गया है और उसकी तुलना मार्च 2020 से मई 2021के बीच में दर्ज मौतों से की गई तो 2,51,000 ‘अतिरिक्त मौतों’ की संख्या सामने आई है।

मई के अंत तक राज्य के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 5,163 थी। इसका मतलब है कि सीआरएस आंकड़ों से पता चलता है कि आधिकारिक कोविड-19 की मौत का आंकड़ा 48.6 गुना कम था। कोविड-19 प्रकोप के दौरान राज्य सरकारों ने ग्राउंड डेटा को इकट्ठा करने के लिए इस सिस्टम को शुरू किया था। यह रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के कार्यालय के तहत सभी जन्म और मृत्यु को रिकॉर्ड करने की राष्ट्रीय प्रणाली है।

सीआरएस के आकड़े सामने आने के बाद मीडिया के सवालों से बचते हुए बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने बस इतना ही कहा कि वे सीआरएस डेटा पर टिप्पणी नहीं कर सकते, लेकिन कोविड-19 से संबंधित सभी मौतें डीएम और सिविल सर्जन की तरफ से सत्यापित हैं।

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